पुनरुत्थान की आशा—आपके लिए क्या मायने रखती है?
पुनरुत्थान की आशा—आपके लिए क्या मायने रखती है?
“तू अपनी मुठ्ठी खोलता है, और सब प्राणियों की इच्छा को सन्तुष्ट करता है।”—भजन 145:16, नयी हिन्दी बाइबिल।
1-3. भविष्य के बारे में कुछ लोगों की क्या आशा है? उदाहरण देकर समझाइए।
इंग्लैंड के मैनचॆस्टर इलाके के पास, नौ साल का क्रिस्टफर और उसका भाई, अपने मौसा-मौसी और उनके दो बेटों के साथ प्रचार के लिए निकले थे। सुबह का वक्त उन्होंने घर-घर के प्रचार करते हुए बिताया। इस पत्रिका के साथ निकलनेवाली हमारी सजग होइए! पत्रिका के एक अँग्रेज़ी अंक में बताया गया कि इसके आगे क्या हुआ। “दोपहर को वे सभी सागर किनारे पर बसे ब्लैकपूल इलाके की सैर करने निकले। रास्ते में एक भयानक कार दुर्घटना में ये सभी छः लोग अपनी जान गवाँ बैठे। मरनेवाले कुल 12 लोग थे जिन्होंने मौके पर ही दम तोड़ दिया। पुलिस ने इस दुर्घटना को ‘ऐसी विनाशकारी घटना’ बताया ‘जिसने सबकुछ खत्म कर दिया।’”
2 इस दुर्घटना से पहले की शाम को, क्रिस्टफर का पूरा परिवार कलीसिया पुस्तक अध्ययन में हाज़िर हुआ था, जहाँ मौत के विषय पर चर्चा की गयी थी। उसके पिता ने कहा: “क्रिस्टफर हमेशा से ही बड़ा ज़हीन लड़का था। उस रात उसने बहुत ही साफ शब्दों में नयी दुनिया और भविष्य के लिए अपनी आशा के बारे में बताया। और जब हमारी चर्चा चल रही थी, तो क्रिस्टफर ने अचानक कहा: ‘मौत से हमें भी दुःख होता है, मगर यहोवा के साक्षी होने का फायदा यह है कि हम जानते हैं कि एक-दूसरे को इस धरती पर एक दिन ज़रूर देखेंगे।’ वहाँ मौजूद हम लोगों को इस बात का ज़रा भी एहसास नहीं था कि उसके ये शब्द कितने यादगार हो जाएँगे।” *
3 बरसों पहले, सन् 1940 में ऑस्ट्रिया के एक साक्षी फ्राँत्स् के आगे मौत खड़ी थी। उसका सिर काटकर उसे मार डालने का हुक्म था। उसका जुर्म? उसने यहोवा से गद्दारी करने से इनकार कर दिया था। बर्लिन के जेलखाने से फ्राँत्स् ने अपनी माँ को लिखा: “मेरे पास जो ज्ञान है, उसके मद्देनज़र अगर मैं [सेना में] शपथ लेता तो एक ऐसा पाप करता जिसकी सज़ा मौत होनी चाहिए। ऐसा करके मैं दगाबाज़ हो जाता। और मुझे पुनरुत्थान न मिलता। . . . मेरी प्यारी माँ और मेरे सभी भाई-बहनों, आज मुझे सज़ा सुनायी गयी है, और यह सुनकर घबराना नहीं, मुझे मौत की सज़ा सुनायी गयी है। कल सुबह मुझे मौत की नींद सुला दिया जाएगा। जैसे बीते ज़मानों में सभी सच्चे मसीहियों के साथ होता आया है, आज मुझे भी शक्ति देनेवाला परमेश्वर ही है। . . . अगर आप आखिरी घड़ी तक वफादार बने रहोगे, तो हम पुनरुत्थान के वक्त फिर मिलेंगे। . . . तब तक के लिए अलविदा।” *
4. यहाँ बताए गए अनुभवों का आप पर कैसा असर होता है, और अब हम किस बात पर चर्चा करेंगे?
4 पुनरुत्थान की आशा, क्रिस्टफर और फ्राँत्स् दोनों के लिए बहुत बड़े मायने रखती थी। यह आशा उनके लिए सच्ची थी। बेशक ऐसे वाकये हमारा दिल छू जाते हैं! आइए अब चर्चा करें कि पुनरुत्थान का इंतज़ाम क्यों किया गया है और यह जानने का खुद हम पर कैसा असर होना चाहिए। ऐसा करने से हम यहोवा के लिए अपना प्यार बढ़ा पाएँगे, उसके और ज़्यादा एहसानमंद होंगे और हमारी पुनरुत्थान की आशा और पक्की होगी।
पृथ्वी पर पुनरुत्थान का दर्शन
5, 6. प्रकाशितवाक्य 20:12, 13 में प्रेरित यूहन्ना ने जो दर्शन लिखा, उससे क्या पता चलता है?
5 मसीह यीशु की हज़ार साल की हुकूमत के दौरान क्या-क्या होगा, इसका दर्शन प्रेरित यूहन्ना को दिखाया गया था। उसमें उसने पृथ्वी पर पुनरुत्थान होते देखा। उसने कहा: “मैं ने छोटे बड़े सब मरे हुओं को . . . देखा, . . . और समुद्र ने उन मरे हुओं को जो उस में थे दे दिया, और मृत्यु और अधोलोक [हेडिज़] ने उन मरे हुओं को जो उन में थे दे दिया।” (प्रकाशितवाक्य 20:12, 13) “छोटे” या “बड़े,” हर किस्म के ओहदे या पद के लोगों को इंसान की आम कब्र हेडिज़ (शीओल) की कैद से रिहा कर दिया जाएगा। जो लोग समंदर में डूबकर मर गए हैं, उन्हें भी फिर से ज़िंदा किया जाएगा। ये सारी अद्भुत घटनाएँ यहोवा के मकसद का एक हिस्सा हैं।
6 मसीह के हज़ार साल की हुकूमत, शैतान के कैद होने और अथाह कुंड में डाले जाने से शुरू होगी। उस हुकूमत के दौरान, पुनरुत्थान पानेवाले या भारी क्लेश से बचकर निकलनेवाले किसी भी शख्स को शैतान गुमराह नहीं कर सकेगा, क्योंकि वह कुछ भी करने की हालत में नहीं होगा। (प्रकाशितवाक्य 20:1-3) हज़ार साल आपके लिए एक लंबा समय हो सकता है, मगर यहोवा की नज़र में यह “एक दिन के बराबर” है।—2 पतरस 3:8.
7. मसीह की हज़ार साल की हुकूमत के दौरान किस बिना पर न्याय किया जाएगा?
7 दर्शन के मुताबिक, मसीह के हज़ार साल की हुकूमत न्याय का समय होगा। प्रेरित यूहन्ना ने लिखा: “मैं ने छोटे बड़े सब मरे हुओं को सिंहासन के साम्हने खड़े हुए देखा, और पुस्तक खोली गई; और फिर एक और पुस्तक खोली गई, अर्थात् जीवन की पुस्तक; और जैसे उन पुस्तकों में लिखा हुआ था, उन के कामों के अनुसार मरे हुओं का न्याय किया गया। . . . और उन में से हर एक के कामों के अनुसार उन का न्याय किया गया।” (प्रकाशितवाक्य 20:12, 13) गौर कीजिए के एक शख्स का न्याय इस बिना पर नहीं किया जाएगा कि उसने मरने से पहले क्या किया था या करने से चूक गया था। (रोमियों 6:7) इसके बजाय, न्याय उन “पुस्तकों” की बिना पर होगा जो भविष्य में खोली जानी हैं। एक इंसान, पुस्तकों से सीखने के बाद कैसे काम करता है, उसके हिसाब से यह तय किया जाएगा कि “जीवन की पुस्तक” में उसका नाम लिखा जाना चाहिए या नहीं।
‘जीवन का पुनरुत्थान’ या ‘दंड का पुनरुत्थान’
8. पुनरुत्थान पानेवालों के लिए आगे कौन-से दो अंजाम रखे हैं?
8 यूहन्ना के दर्शन में पहले बताया गया है कि यीशु के पास “मृत्यु और अधोलोक [हेडिज़] की कुंजियां” हैं। (प्रकाशितवाक्य 1:18) वह यहोवा की ओर से “जीवन के अधिनायक” का काम करता है और उसे “जीवतों और मरे हुओं” का न्याय करने का अधिकार दिया गया है। (प्रेरितों 3:15, नयी हिन्दी बाइबिल; 2 तीमुथियुस 4:1) वह यह कैसे करेगा? जो मौत की नींद सो रहे हैं उन्हें फिर से ज़िंदा करके। यीशु जिस भीड़ को सिखा रहा था, उससे उसने कहा: “इस से अचम्भा मत करो, क्योंकि वह समय आता है, कि जितने [“स्मारक,” NW] कब्रों में हैं, उसका शब्द सुनकर निकलेंगे।” उसने आगे कहा: “जिन्हों ने भलाई की है वे जीवन के पुनरुत्थान के लिये जी उठेंगे और जिन्हों ने बुराई की है वे दंड के पुनरुत्थान के लिये जी उठेंगे।” (यूहन्ना 5:28-30) तो फिर, बीते ज़मानों में जी चुके विश्वासयोग्य स्त्री-पुरुषों का भविष्य कैसा होगा?
9. (क) पुनरुत्थान में वापस आने के बाद, बहुत-से लोग बेशक क्या सीखेंगे? (ख) शिक्षा का कौन-सा महान काम किया जाएगा?
9 जब बीते ज़माने के ये विश्वासयोग्य जन पुनरुत्थान पाकर फिर से ज़िंदा होंगे, तो उन्हें बहुत जल्द पता चल जाएगा कि जिन वादों पर उन्होंने भरोसा किया था वे अब हकीकत का रूप ले चुके हैं। उन्हें यह जानने में कितनी दिलचस्पी होगी कि परमेश्वर की स्त्री का वंश कौन था, जिसका ज़िक्र बाइबल की पहली भविष्यवाणी यानी उत्पत्ति 3:15 में किया गया है! उन्हें यह सुनकर कितनी खुशी होगी कि जिस मसीहा के आने का वादा किया गया था, यानी यीशु अपनी आखिरी साँस तक परमेश्वर का वफादार रहा और इस तरह अपनी ज़िंदगी एक छुड़ौती बलिदान के रूप में दे सका! (मत्ती 20:28) जो लोग मरे हुओं का इस दुनिया में स्वागत करेंगे, वे उन्हें यह समझाने की खुशी पाएँगे कि यह छुड़ौती बलिदान यहोवा की अपार कृपा और दया का सबूत है। जब पुनरुत्थान पानेवालों को पता चलेगा कि परमेश्वर का राज्य धरती के लिए यहोवा का उद्देश्य पूरा करने में क्या-क्या कर रहा है, तो बेशक उनका दिल भी यहोवा की तारीफ से उमड़ने लगेगा। उन्हें यह दिखाने के ढेरों मौके मिलेंगे कि वे अपने प्यारे स्वर्गीय पिता और उसके बेटे के वफादार हैं। उस वक्त जीनेवाला हर इंसान, शिक्षा के उस महान काम में हिस्सा लेने से खुशी पाएगा जो कब्र में से निकलनेवाले अरबों लोगों को सिखाने के लिए ज़रूरी है, क्योंकि इन लोगों के लिए भी छुड़ौती को कबूल करना ज़रूरी है जिसका इंतज़ाम परमेश्वर ने किया है।
10, 11. (क) हज़ार साल की हुकूमत के दौरान पृथ्वी पर मौजूद सभी लोगों को क्या मौके मिलेंगे? (ख) इसका हम पर कैसा असर होना चाहिए?
10 जब इब्राहीम का पुनरुत्थान होगा तो जिस “नगर” का इंतज़ार उसने सारी ज़िंदगी किया, उसकी हुकूमत के अधीन रहकर वह असली मायने में ज़िंदगी का आनंद उठा सकेगा। (इब्रानियों 11:10) बीते वक्त का विश्वासयोग्य अय्यूब जब ज़िंदा होगा और यह जानेगा कि उसकी मिसाल से हिम्मत पाकर यहोवा के कितने सेवक अपनी खराई की परीक्षाओं का सामना कर पाए, तो उसकी खुशी का ठिकाना न रहेगा! और दानिय्येल भी यह जानना चाहेगा कि जो भविष्यवाणियाँ लिखने की प्रेरणा उसे मिली थी, वे कैसे पूरी हुईं!
11 बेशक, धर्मी नयी दुनिया में जिन-जिन को ज़िंदगी मिलेगी, चाहे पुनरुत्थान से या चाहे भारी क्लेश में से बच निकलने से, उन सभी को इस पृथ्वी और इसमें रहनेवालों के लिए यहोवा के उद्देश्य के बारे में बहुत कुछ सीखना होगा। हमेशा तक जीने की उम्मीद और सदा-सर्वदा के लिए यहोवा की महिमा करने का मौका, हज़ार साल के शिक्षा कार्यक्रम को वाकई खुशियों से मालामाल कर देगा। लेकिन, पुस्तकों में लिखी बातें सीखने के बाद हममें से हर इंसान क्या करता है, यह सबसे ज़्यादा अहमियत रखता है। हमने जो सीखा है क्या हम उस पर अमल करेंगे? क्या हम इस जानकारी पर मनन करेंगे और इसके मुताबिक जीएँगे जो हमें इस बात के लिए मज़बूत करेगी कि सच्चाई की राह से हटाने की शैतान की आखिरी कोशिश का हम विरोध कर सकें?
12. सिखाने के काम और इस पृथ्वी को एक फिरदौस की शक्ल देने के काम में जी-जान लगाकर मेहनत करने के लिए हर किसी को किस बात से मदद मिलेगी?
12 मसीह के छुड़ौती बलिदान के फायदों को लागू करने से जो बढ़िया आशीषें मिलेंगी, उन्हें भुलाया नहीं जा सकता। आज तरह-तरह की बीमारियाँ, अपंगता, बुढ़ापा इंसान को लाचार कर देता है। मगर पुनरुत्थान में फिर से ज़िंदा होनेवाले लोग इन तकलीफों के शिकार नहीं होंगे। (यशायाह 33:24) चुस्त-फुर्त शरीर पाकर और आगे चलकर सौ फीसदी तंदरुस्ती हासिल करने की आशा के साथ, नयी दुनिया के सभी लोग पुनरुत्थान पानेवाले अरबों लोगों को जीवन की राह की शिक्षा देने में जी-जान से लग जाएँगे। वे लोग एक ऐसे सबसे बड़े काम का भी बीड़ा उठाएँगे जिसे पूरा करने की आज तक इस ज़मीन पर किसी ने कोशिश नहीं की—वह है, इस पूरे ग्रह को फिरदौस की शक्ल देना जिससे यहोवा की महिमा हो।
13, 14. आखिरी परीक्षा लेने के लिए शैतान को क्यों छोड़ा जाएगा, और हममें से हर इंसान के लिए इसका क्या-क्या अंजाम हो सकता है?
13 जब शैतान को आखिरी परीक्षा लेने के लिए अथाह कुंड से छोड़ा जाएगा, तब वह एक बार फिर इंसानों को गुमराह करने की कोशिश करेगा। प्रकाशितवाक्य 20:7-9 के मुताबिक, ‘भरमायी हुई जातियाँ’ यानी ऐसे लोगों के समूह जो दुष्ट शैतान के बहकावे में आ जाते हैं, वे विनाश का दंड पाएँगे: “आग स्वर्ग से उतरकर उन्हें भस्म करेगी।” इनमें से कई लोगों का पुनरुत्थान हज़ार साल के दौरान हुआ था, इस विनाश से उनका पुनरुत्थान, दंड का पुनरुत्थान ठहरेगा। दूसरी तरफ, पुनरुत्थान पानेवालों में जो परमेश्वर की तरफ खराई बनाए रखते हैं उन्हें हमेशा की ज़िंदगी का वरदान मिलेगा। उनका पुनरुत्थान सही मायने में ‘जीवन का पुनरुत्थान’ होगा।—यूहन्ना 5:29.
14 पुनरुत्थान की आशा हमें आज भी दिलासा कैसे दे सकती है? इससे भी बढ़कर, हमें आज क्या करना चाहिए ताकि भविष्य में पुनरुत्थान के फायदे हमें ज़रूर मिलें?
आज हम जो सबक सीख सकते हैं
15. पुनरुत्थान की आशा पर विश्वास करना कैसे आज हमारी मदद कर सकता है?
15 आपने शायद हाल ही में एक अज़ीज़ को मौत में खोया हो और इससे ज़िंदगी में जो सूनापन और एक भारी बदलाव आया है, शायद आप उसका सामना कर रहे हैं। पुनरुत्थान की आशा आपको एक अंदरूनी सुकून और हिम्मत पाने में मदद देती है जो ऐसे लोगों को नहीं मिलती जिन्हें सच्चाई का ज्ञान नहीं है। पौलुस ने थिस्सलुनीकियों को दिलासा दिया: “हम नहीं चाहते, कि तुम उनके विषय में जो सोते हैं, अज्ञान रहो; ऐसा न हो, कि तुम औरों की नाईं शोक करो जिन्हें आशा नहीं।” (1 थिस्सलुनीकियों 4:13) क्या आप मन की आँखों से खुद को नयी दुनिया में देख पाते हैं, जहाँ पुनरुत्थान हो रहा है? अगर हाँ, तो अपने अज़ीज़ों से दोबारा मिलने की उम्मीद पर सोचने से दिलासा पाइए।
16. पुनरुत्थान के वक्त शायद आप कैसा महसूस करेंगे?
16 फिलहाल आप शायद आदम की बगावत का एक अंजाम भुगत रहे हैं, यानी आपकी सेहत ठीक नहीं रहती। मगर ऐसे में जो मायूसी और दर्द महसूस होता है, उसकी वजह से आप पुनरुत्थान पाने की खुशी और उम्मीद को अपनी आँखों से ओझल मत होने दीजिए, क्योंकि पुनरुत्थान के ज़रिए आपको बढ़िया सेहत और दमखम के साथ नयी ज़िंदगी मिलेगी। और फिर जब आपकी आँखें खुलेंगी तो आप हँसते-मुस्कुराते चेहरे देखेंगे। ये लोग आपका पुनरुत्थान होने पर आपको गले लगाकर अपनी खुशी ज़ाहिर करने के लिए बेताब हैं। यह सब देखकर आप परमेश्वर की निरंतर प्रेम-कृपा के लिए उसका धन्यवाद करने से खुद को रोक नहीं सकेंगे।
17, 18. कौन-से दो ज़रूरी सबक हमें हमेशा याद रखने चाहिए?
17 तब तक आइए हम दो सबक हमेशा याद रखें। एक है, आज यहोवा की सेवा तन-मन से करने की अहमियत। हमारे स्वामी, मसीह यीशु की तरह जब हम त्याग की ज़िंदगी जीते हैं, तो यहोवा के लिए और पड़ोसियों के लिए हम अपने प्यार का सबूत देते हैं। जब विरोध या ज़ुल्मों की वजह से हमारी रोज़ी-रोटी या हमारी आज़ादी छिन जाती है, तब चाहे कैसी भी परीक्षाएँ हम पर आएँ हम विश्वास में मज़बूती से टिके रहने की ठान लेते हैं। अगर विरोधी हमें जान से मारने की धमकी देते हैं, तो हम पुनरुत्थान की आशा से दिलासा पाते हैं और यह हमें यहोवा और उसके राज्य का वफादार बने रहने की हिम्मत देती है। जी हाँ, हम पूरे जोश से राज्य का प्रचार और चेले बनाने का काम करते हैं, इसलिए यहोवा से हमेशा की आशीषें पाने की उम्मीद रखते हैं जो उसने धर्मियों के लिए रख छोड़ी हैं।
18 दूसरा सबक इस बारे में है कि हम असिद्ध शरीर की लालसाओं से उठनेवाली परीक्षाओं का सामना कैसे करते हैं। पुनरुत्थान की आशा का हमारा ज्ञान और यहोवा की अपार कृपा के लिए हमारी एहसानमंदी, विश्वास में टिके रहने के हमारे फैसले को और मज़बूत करती है। प्रेरित यूहन्ना ने आगाह किया था: “तुम न तो संसार से और न संसार में की वस्तुओं से प्रेम रखो: यदि कोई संसार से प्रेम रखता है, तो उस में पिता का प्रेम नहीं है। क्योंकि जो कुछ संसार में है, अर्थात् शरीर की अभिलाषा, और आंखों की अभिलाषा और जीविका का घमण्ड, वह पिता की ओर से नहीं, परन्तु संसार ही की ओर से है। और संसार और उस की अभिलाषाएं दोनों मिटते जाते हैं, पर जो परमेश्वर की इच्छा पर चलता है, वह सर्वदा बना रहेगा।” (1 यूहन्ना 2:15-17) यह दुनिया हमें धन-दौलत का लालच देकर फँसाना चाहती है, मगर इसकी सारी चमक-दमक “सच्ची ज़िन्दगी” के सामने फीकी पड़ जाती है। (1 तीमुथियुस 6:17-19, हिन्दुस्तानी बाइबिल) अगर हमारे आगे अनैतिकता की परीक्षा आती है, तो हम उसका सख्ती से विरोध करेंगे। हम जानते हैं कि अगर हरमगिदोन से पहले हमारी मौत हो गयी और अगर हम ऐसे काम करते रहे जिससे यहोवा नाखुश होता है, तो फिर हम भी उन्हीं लोगों के जैसे हो जाएँगे जिनके लिए पुनरुत्थान की आशा नहीं है।
19. हमें कौन-सी बहुत बड़ी इज़्ज़त बख्शी गयी है जो हमें नहीं भूलनी चाहिए?
19 सबसे बढ़कर हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि यहोवा के दिल को आज और हमेशा के लिए खुश करने की हमें कितनी बड़ी इज़्ज़त बख्शी गयी है। (नीतिवचन 27:11) मौत तक हमारा विश्वासयोग्य बने रहना या इस दुष्ट व्यवस्था के अंत तक खराई बनाए रखना, यहोवा को दिखाता है कि इस विश्व पर हुकूमत के मसले को लेकर हम किसकी तरफ हैं। तब हमारी खुशी का ठिकाना न रहेगा जब हमें इस धरती पर फिरदौस में जीने का मौका मिलेगा, फिर चाहे हम भारी क्लेश से बच निकले हों या चमत्कार से हमारा पुनरुत्थान हुआ हो!
हमारी इच्छाओं को पूरा करना
20, 21. क्या बात हमें विश्वासयोग्य रहने में मदद करेगी, फिर चाहे पुनरुत्थान के बारे में हमारे कई सवालों के जवाब न भी मिले हों? समझाइए।
20 पुनरुत्थान के बारे में हमारी इस चर्चा में अब भी कुछ सवालों के जवाब नहीं दिए गए। जैसे, यहोवा उन लोगों के लिए क्या इंतज़ाम करेगा जो मरते वक्त शादीशुदा थे? (लूका 20:34, 35) क्या पुनरुत्थान उसी जगह पर होगा जहाँ लोगों की मौत हुई थी? क्या लोगों का पुनरुत्थान उनके परिवार के घर के आसपास ही होगा? पुनरुत्थान के वक्त क्या-क्या होगा इस बारे में और भी ढेरों सवाल हैं जिनका जवाब मिलना बाकी है। मगर, हमें यिर्मयाह के ये शब्द याद रखने चाहिए: “जो यहोवा की बाट जोहते और उसके पास जाते हैं, उनके लिये यहोवा भला है। यहोवा से उद्धार पाने की आशा रखकर चुपचाप रहना भला है।” (विलापगीत 3:25,26) यहोवा के ठहराए हुए वक्त पर, हमारे सभी सवालों के जवाब मिल जाएँगे। इसका हम यकीन क्यों रख सकते हैं?
21 यहोवा के बारे में भजनहार ने गीत में जो कहा उस पर मनन कीजिए: “तू अपनी मुठ्ठी खोलता है, और सब प्राणियों की इच्छा को सन्तुष्ट करता है।” (भजन 145:16, नयी हिन्दी बाइबिल) जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं हमारी इच्छाएँ भी बदलती जाती हैं। बचपन में हम जो पाना चाहते थे, आज हमें उन चीज़ों की इच्छा नहीं होती। ज़िंदगी के बारे में हमारा नज़रिया, हमारे तजुरबे और हमारी उम्मीदों के मुताबिक होता है। इसके बावजूद, नयी दुनिया में हमारी जो भी वाजिब इच्छाएँ होंगी यहोवा उन्हें ज़रूर पूरा करेगा।
22. यहोवा की महिमा करने की हमारे पास अच्छी वजह क्यों है?
22 हममें से हरेक की सबसे बड़ी चिंता है कि हम विश्वासयोग्य हों। “फिर यहां भण्डारी में यह बात देखी जाती है, कि विश्वास योग्य निकले।” (1 कुरिन्थियों 4:2) हम परमेश्वर के राज्य के शानदार सुसमाचार के भंडारी हैं। इस सुसमाचार का ऐलान जी-जान लगाकर करने से हमें ज़िंदगी की राह पर बने रहने में मदद मिलती है। हमेशा याद रखिए कि हम सब “समय और संयोग” के वश में हैं। (सभोपदेशक 9:11) ज़िंदगी में आगे न जाने क्या होगा, इस बारे में बेवजह चिंता को कम करने के लिए, पुनरुत्थान की शानदार आशा को मज़बूती से थामे रहिए। यकीन रखिए कि मसीह के हज़ार साल की हुकूमत शुरू होने से पहले ही अगर आपकी मौत हो जाए, तो आप इस विश्वास से तसल्ली पा सकते हैं कि एक-न-एक-दिन आपको राहत ज़रूर मिलेगी। यहोवा के ठहराए हुए वक्त पर, आप भी अय्यूब के वे शब्द दोहराएँगे जो उसने सिरजनहार से कहे थे: “तू मुझे पुकारेगा, और मैं उत्तर दूंगा।” यहोवा की महिमा हो, जो उन सभी लोगों को फिर से ज़िंदा करने के लिए तरस रहा है जो उसकी याद में बसे हुए हैं!—अय्यूब 14:15, NHT.
[फुटनोट]
^ जुलाई 8, 1988 की सजग होइए! (अँग्रेज़ी) पेज 10 देखिए। इसे यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है।
^ यहोवा के साक्षी—परमेश्वर के राज्य की घोषणा करनेवाले (अँग्रेज़ी), पेज 662. इसे यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है।
क्या आपको याद है?
• हज़ार साल की हुकूमत के दौरान लोगों का न्याय किस आधार पर किया जाएगा?
• क्यों कुछ लोगों को ‘जीवन का पुनरुत्थान’ और कुछ लोगों को ‘दंड का पुनरुत्थान’ मिलेगा?
• पुनरुत्थान की आशा से हमें अभी दिलासा कैसे मिल सकता है?
• पुनरुत्थान के बारे में जिन सवालों के जवाब हमें नहीं मिले, उनके मामले में भजन 145:16 के शब्द हमारी मदद कैसे करते हैं?
[अध्ययन के लिए सवाल]
[पेज 21 पर तसवीरें]
पुनरुत्थान में विश्वास करने से आज हमें कैसे मदद मिल सकती है?