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ईमानदारी के उसूल पर चलनेवाले यहोवा का नाम रोशन करते हैं

ईमानदारी के उसूल पर चलनेवाले यहोवा का नाम रोशन करते हैं

राज्य उद्‌घोषक रिपोर्ट करते हैं

ईमानदारी के उसूल पर चलनेवाले यहोवा का नाम रोशन करते हैं

यहोवा के साक्षी सारी दुनिया में अपनी ईमानदारी के लिए जाने जाते हैं, फिर चाहे वे जवान हों या बुज़ुर्ग। इस बारे में तीन महाद्वीपों से मिले अनुभवों पर गौर कीजिए।

नाइजीरिया में रहनेवाली ओलूसोला एक दिन घर जाने के लिए अपने स्कूल से निकल ही रही थी कि उसे मैदान में एक बटुआ मिला। उसने वह बटुआ उठाया और जाकर अपने स्कूल के प्रिंसीपल को दे दिया। प्रिंसीपल ने बटुए में रखे पैसों को गिना, तो पाया कि वे करीब 2,000 रुपए (6,200 नाइरा) हैं। यह बटुआ एक टीचर का था। इसलिए प्रिंसीपल ने वह बटुआ उस टीचर को लौटा दिया। टीचर इतना खुश हुआ कि उसने अपनी एहसानमंदी दिखाने के लिए ओलूसोला को करीब 300 रुपए (1,000 नाइरा) दिए और कहा कि वह उन पैसों से अपने स्कूल की फीस भरे। जब दूसरे विद्यार्थियों को पता चला कि ओलूसोला ने क्या किया, तो उन्होंने उसका खूब मज़ाक उड़ाया। इसके कुछ हफ्तों बाद, एक विद्यार्थी के पैसों की चोरी हो गयी। जब उसने इस बारे में प्रिंसीपल से शिकायत की, तो टीचरों से कहा गया कि वे सभी विद्यार्थियों की तलाशी लें। ओलूसोला के टीचर ने उससे कहा: “तुम यहाँ एक तरफ खड़ी हो जाओ। मैं जानता हूँ कि तुम एक यहोवा की साक्षी हो, इसलिए तुम चोरी नहीं कर सकती।” जब बाकी बच्चों की तलाशी ली गयी, तो पैसे उन दो लड़कों के पास मिले जिन्होंने पहले ओलूसोला का मज़ाक उड़ाया था। चोरी करने के लिए उन दोनों लड़कों को कड़ी सज़ा दी गयी। ओलूसोला लिखती है: “अब सभी जानते हैं कि मैं यहोवा की एक साक्षी हूँ, जो कभी चोरी नहीं कर सकती। मैं बहुत खुश हूँ कि इस तरह मैंने यहोवा का नाम रोशन किया है।”

अर्जेंटाइना का रहनेवाला मार्सेलो एक दिन जब अपने घर से निकला, तो उसने घर के पीछेवाले दरवाज़े से कुछ ही दूरी पर एक अटैची पड़ी हुई देखी। वह उसे उठाकर घर ले आया। फिर मार्सेलो और उसकी पत्नी ने बड़ी सावधानी से उस अटैची को खोला। उसे खोलते ही वे दंग रह गए क्योंकि उसमें ढेर सारे पैसे, क्रेडिट कार्ड और दस्तखत किए हुए कई चेक रखे थे। उनमें से एक चेक करीब 1,35,00,000 रुपए (10,00,000 पेसोस) का था। जिस आदमी की वह अटैची थी उसका फोन नंबर अटैची से मिले एक बिल पर लिखा था। उन्होंने उस आदमी को फोन किया और उसे अटैची लेने के लिए मार्सेलो की नौकरी की जगह पर आने को कहा। जब वह आदमी आया तो बहुत घबराया हुआ और परेशान-सा था। मार्सेलो के मालिक ने उस आदमी को तसल्ली देते हुए कहा कि चिंता मत कीजिए, मार्सेलो एक यहोवा का साक्षी है। फिर जब मार्सेलो ने उसे अटैची दी, तो उसने मार्सेलो को बतौर इनाम सिर्फ करीब 300 रुपए (20 पेसोस) दिए। यह देखकर मालिक को बहुत गुस्सा आया कि मार्सेलो की ईमानदारी के लिए उसे इतनी कम रकम दी गयी। इस पर मार्सेलो ने समझाया कि वह किसी इनाम के लिए नहीं बल्कि यहोवा का एक साक्षी होने की वजह से हर वक्‍त ईमानदार रहता है।

एक और अनुभव किरगीज़स्तान से है। एक दिन छः साल के रीनॉट को एक पर्स मिला जो पड़ोस में रहनेवाली एक औरत का था। उस पर्स में करीब 1,125 रुपए (1,100 सोम) थे। रीनॉट ने पर्स ले जाकर उस औरत को दिया। उस औरत ने पैसे गिनकर देखे और रीनॉट की माँ से कहा कि उसमें करीब 225 रुपए (200 सोम) कम हैं। रीनॉट ने कहा कि उसने वह पैसे नहीं लिए। फिर तीनों, बाकी के पैसे ढूँढ़ने के लिए निकले। तब रीनॉट को जहाँ से पर्स मिला था, उसी के पास वे पैसे मिल गए। यह देखकर वह औरत एकदम हैरान रह गयी। उसने रीनॉट का शुक्रिया अदा किया क्योंकि उसने उसके खोए हुए पैसे लौटाए और उसकी माँ की तारीफ की कि वह अपने बेटे को मसीही उसूलों पर चलना सिखा रही है।