हम किसी भी आज़माइश का सामना कर सकते हैं!
हम किसी भी आज़माइश का सामना कर सकते हैं!
क्या आप फिलहाल किसी आज़माइश से गुज़र रहे हैं? क्या आप निराश हैं, क्योंकि आप उस आज़माइश का सामना नहीं कर पा रहे हैं? क्या आपको कभी-कभी लगता है कि आप अकेले ही इस आज़माइश से गुज़र रहे हैं, और इसका कोई हल नहीं है? अगर हाँ, तो हिम्मत रखिए! हम चाहे किसी भी आज़माइश से क्यों न गुज़रें, बाइबल हमें यकीन दिलाती है कि परमेश्वर की मदद से हम इनका सामना ज़रूर कर सकते हैं।
बाइबल बताती है कि परमेश्वर के सेवक “नाना प्रकार की परीक्षाओं में” पड़ेंगे। (याकूब 1:2) शब्द “नाना प्रकार” (यूनानी में, पिकीलोस) पर ज़रा गौर कीजिए। पुराने ज़माने में इसके मूल यूनानी शब्द का मतलब था, “बहुत-से और तरह-तरह के” या “अलग-अलग रंग के।” यह शब्द इस बात पर ज़ोर देता है कि “परीक्षाएँ कई किस्म की होती हैं।” इसलिए एक तरह से कहा जा सकता है कि ‘नाना प्रकार की परीक्षाएँ,’ ऐसी आज़माइशें हैं जिनके अलग-अलग रंग होते हैं। इसके बावजूद, यहोवा हरेक परीक्षा का सामना करने में हमारी मदद करता है। हमें इतना पक्का यकीन क्यों है?
“परमेश्वर के नाना प्रकार के अनुग्रह”
प्रेरित पतरस ने कहा कि मसीही “नाना प्रकार की परीक्षाओं के कारण उदास” हो जाते हैं। (1 पतरस 1:6) बाद में, ईश्वर-प्रेरणा से लिखी अपनी पत्री में उसने कहा कि ‘परमेश्वर का अनुग्रह नाना प्रकार’ से ज़ाहिर होता है। (1 पतरस 4:10) इस आयत में भी “नाना प्रकार” के लिए, मूल यूनानी शब्द पिकीलोस से मिलता-जुलता शब्द इस्तेमाल किया गया है। एक बाइबल विद्वान, इस शब्द के बारे में कहता है: “इसके पीछे वाकई एक गहरा विचार छिपा है। . . . परमेश्वर की कृपा [या, अनुग्रह] के लिए पिकीलोस शब्द इस्तेमाल करने का मतलब है कि इंसान के हालात में ऐसा कोई रंग या आज़माइश नहीं जिसका सामना करने में परमेश्वर की कृपा हमारी मदद न कर सके।” वह आगे कहता है: “एक इंसान के हालात चाहे कितने ही बदतर क्यों न हों, उस पर मुसीबतों का कितना ही बड़ा पहाड़ क्यों न टूट पड़ा हो, या कितनी ही बड़ी आफत या सख्त ज़रूरत क्यों न आन पड़ी हो, मगर ऐसे कोई भी हालात नहीं हैं जिनसे बाहर निकलने या जिनका सामना करने में परमेश्वर की कृपा मदद न दे सके। गहरा मतलब रखनेवाले शब्द पिकीलोस से सीधे हमारे मन में यह बात आती है कि सभी हालात को झेलने में परमेश्वर की अलग-अलग रंगोंवाली कृपा पूरी तरह हमारी मदद कर सकती है।”
परमेश्वर का अनुग्रह आज़माइशों से गुज़रने में मदद देता है
परमेश्वर का अनुग्रह कई तरीकों से ज़ाहिर होता है। इनमें से एक के बारे में पतरस हमें बताता है। और वह है, मसीही कलीसिया के अलग-अलग भाई-बहनों के ज़रिए। (1 पतरस 4:11) परमेश्वर के हरेक सेवक के पास आध्यात्मिक वरदान या काबिलीयतें होती हैं, और इन्हीं से वह आज़माइशों से गुज़रनेवालों का हौसला बढ़ा सकता है। (रोमियों 12:6-8) मसलन, कलीसिया के कुछ सदस्य बाइबल सिखाने में बहुत माहिर होते हैं। जब वे सोच-समझकर बाइबल से कुछ कहते हैं, तो उनसे लोगों में नया जोश भर आता है और धीरज धरते रहने का उनका इरादा और भी मज़बूत हो जाता है। (नहेमायाह 8:1-4, 8, 12) दूसरे ऐसे हैं जो नियमित तौर पर उन लोगों के घर जाकर चरवाही भेंट करते हैं जिन्हें मदद और दिलासे की सख्त ज़रूरत होती है। ऐसी भेंट के दौरान वे भाई-बहनों का हौसला बढ़ाते और उनके ‘मनों को शान्ति’ देते हैं। (कुलुस्सियों 2:2) जब भी अध्यक्ष इस तरह भाई-बहनों से मुलाकात करके उनका विश्वास मज़बूत करते हैं, तो वे दरअसल उन्हें एक आध्यात्मिक तोहफा दे रहे होते हैं। (यूहन्ना 21:16) इसके अलावा, कलीसिया में ऐसे भी लोग मौजूद हैं, जो आज़माइशों से मायूस भाई-बहनों को प्यार और हमदर्दी जताने, साथ ही कोमलता से पेश आने के लिए जाने जाते हैं। (प्रेरितों 4:36; रोमियों 12:10; कुलुस्सियों 3:10) प्यार और परवाह करनेवाले भाई-बहन जिस तरह हमदर्दी जताते हैं और मदद के लिए दौड़े-दौड़े आते हैं, वह एक अहम “रंग” या तरीका है जिससे परमेश्वर अपना अनुग्रह ज़ाहिर करता है।—नीतिवचन 12:25; 17:17.
“सब प्रकार की शान्ति का परमेश्वर”
इससे बढ़कर खुद यहोवा हमें शांति या दिलासा देता है। वह “सब प्रकार की शान्ति का परमेश्वर है [जो] हमारे सब क्लेशों में शान्ति देता है।” (2 कुरिन्थियों 1:3, 4) जब हम यहोवा से मदद के लिए बिनती करते हैं, तो वह दो खास तरीकों से हमें जवाब देता है। एक, वह ईश्वर-प्रेरणा से लिखे अपने वचन के ज़रिए हमें बुद्धि देता है और दूसरा, वह अपनी पवित्र आत्मा के ज़रिए हमें ताकत देता है। (यशायाह 30:18, 21; लूका 11:13; यूहन्ना 14:16) प्रेरित पौलुस ने ईश्वर-प्रेरणा से जिस वादे के बारे में बताया, उससे हमारा ढाढ़स बँधता है। उसने कहा: “परमेश्वर सच्चा है: वह तुम्हें सामर्थ से बाहर परीक्षा में न पड़ने देगा, बरन परीक्षा के साथ निकास भी करेगा; कि तुम सह सको।”—1 कुरिन्थियों 10:13.
जी हाँ, हमारी आज़माइश चाहे किसी भी “रंग” या किस्म की हो, परमेश्वर का अनुग्रह हमें उसका सामना करने में पूरी-पूरी मदद देगा। (याकूब 1:17) यहोवा के सेवकों के आगे नाना प्रकार की चुनौतियाँ या परीक्षाएँ क्यों न आएँ, यहोवा ऐन वक्त पर उनको सही किस्म की मदद ज़रूर देता है। और यह ‘परमेश्वर के नाना प्रकार की बुद्धि’ का सिर्फ एक सबूत है। (इफिसियों 3:10, NW) क्या आप इस बात से सहमत नहीं?
[पेज 31 पर तसवीरें]
यहोवा, आज़माइशों का सामना करने में हमारी मदद करता है