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यहोवा “अपने खोजनेवालों को प्रतिफल देता है”

यहोवा “अपने खोजनेवालों को प्रतिफल देता है”

यहोवा “अपने खोजनेवालों को प्रतिफल देता है”

“परमेश्‍वर के पास आनेवाले को विश्‍वास करना चाहिए, कि वह है; और अपने खोजनेवालों को प्रतिफल देता है।”इब्रानियों 11:6.

1, 2. यहोवा के कुछ सेवकों को निराशा की भावनाओं से क्यों जूझना पड़ सकता है?

 “कहने को तो मैं करीब 30 साल से यहोवा की एक साक्षी हूँ, मगर मैंने खुद को कभी-भी एक साक्षी होने की लायक नहीं समझा। मैंने पायनियर सेवा की है और यहोवा की सेवा में दूसरे कई सुअवसर पाए हैं, मगर इनमें से एक भी बात मुझे यकीन नहीं दिलाती कि मैं एक साक्षी कहलाने की लायक हूँ।” बार्बरा नाम की एक मसीही बहन ने यह कहकर अपने दिल की बात बतायी। * कीथ नाम के एक भाई ने भी कुछ ऐसा ही कहा: “कई बार मैंने खुद को नाकाबिल महसूस किया है, क्योंकि यहोवा के सेवकों के लिए खुश रहने की कई वजह हैं, मगर मैं खुश नहीं था। इससे मेरे अंदर दोष की भावनाएँ पनपने लगीं और मैं खुद की नज़रों में गिरता ही चला गया।”

2 बीते ज़माने में और आज भी, यहोवा के कई वफादार सेवकों को ऐसी भावनाओं के साथ जूझना पड़ा है। क्या आप भी कभी-कभी ऐसा ही महसूस करते हैं? हो सकता है, आपको ज़िंदगी में एक-के-बाद-एक कई मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा हो और अब आपके लिए सहना मुश्‍किल हो रहा है, जबकि दूसरे भाई-बहनों को देखने से ऐसा लगता है कि वे बड़े आराम की ज़िंदगी काट रहे हैं, उन्हें कोई चिंता नहीं है। इसलिए शायद आपको लगे कि यहोवा आपसे खुश नहीं है, और ना ही आप उसका प्यार पाने के लायक हैं। मगर रुकिए। इतनी जल्दी इस नतीजे पर मत पहुँचिए। बाइबल हमें यकीन दिलाती है: “[यहोवा] ने दुःखी को तुच्छ नहीं जाना और न उस से घृणा करता है, और न उस से अपना मुख छिपाता है; पर जब उस ने उसकी दोहाई दी, तब उसकी सुन ली।” (भजन 22:24) मसीहा के बारे में बतायी यह भविष्यवाणी दिखाती है कि यहोवा न सिर्फ अपने वफादार जनों की दोहाई सुनता है, बल्कि उन्हें प्रतिफल भी देता है।

3. इस दुनिया में हम मुसीबतों से क्यों बच नहीं सकते?

3 इस दुनिया में मुसीबतें तो हर किसी पर आती हैं, यहाँ तक कि यहोवा के लोग भी इनसे बच नहीं सकते। हम एक ऐसी दुनिया में जी रहे हैं जिस पर यहोवा के सबसे बड़े दुश्‍मन, शैतान का राज है। (2 कुरिन्थियों 4:4; 1 यूहन्‍ना 5:19) ऐसा नहीं है कि यहोवा के सेवक जब भी खतरे में होते हैं तो चमत्कार करके उन्हें बचा लिया जाता है। सच तो यह है कि वे शैतान का सबसे खास निशाना हैं। (अय्यूब 1:7-12; प्रकाशितवाक्य 2:10) इसलिए जब तक यहोवा के कार्रवाई करने का वक्‍त नहीं आता, तब तक हमें ‘क्लेश में स्थिर रहना’ और ‘प्रार्थना में नित्य लगे रहना है,’ और यह भरोसा रखना है कि यहोवा हमारा खयाल रखता है। (रोमियों 12:12) हमें ज़िंदगी में आनेवाली मुसीबतों से दबकर यह नहीं सोचना चाहिए कि हमारा परमेश्‍वर यहोवा हमसे प्यार नहीं करता!

धीरज धरने की पुराने ज़माने की मिसालें

4. यहोवा के ऐसे वफादार सेवकों की मिसालें बताइए जो दर्दनाक हालात से गुज़रे थे।

4 पुराने ज़माने में यहोवा के कई सेवकों को इतने दर्दनाक हालात से गुज़रना पड़ा कि वे पूरी तरह टूट चुके थे। मिसाल के लिए, हन्‍ना इस बात को लेकर “मन में व्याकुल” थी कि उसका कोई बच्चा नहीं था। उन दिनों एक बाँझ स्त्री के बारे में समझा जाता कि परमेश्‍वर ने उसे नज़रअंदाज़ कर दिया है। (1 शमूएल 1:9-11) दूसरी मिसाल एलिय्याह नबी की है। जब ईज़बेल रानी ने उसे मार डालने के लिए अपने लोगों से उसका पीछा करवाया, तो वह इतना डर गया कि उसने यहोवा से यह प्रार्थना की: “हे यहोवा बस है, अब मेरा प्राण ले ले, क्योंकि मैं अपने पुरखाओं से अच्छा नहीं हूं।” (1 राजा 19:4) प्रेरित पौलुस अपनी असिद्धताओं से इस कदर हताश हो गया था कि उसने यह कबूल किया: “जब भलाई करने की इच्छा करता हूं, तो बुराई मेरे पास आती है।” उसने यह भी कहा: “मैं कैसा अभागा मनुष्य हूं!”—रोमियों 7:21-24.

5. (क) हन्‍ना, एलिय्याह और पौलुस को क्या प्रतिफल मिला था? (ख) अगर हम निराशा की भावनाओं से संघर्ष कर रहे हैं, तो परमेश्‍वर के वचन से हम क्या दिलासा पा सकते हैं?

5 जैसा कि हम जानते हैं, हन्‍ना, एलिय्याह और पौलुस, इन सभी ने यहोवा की सेवा में हार नहीं मानी और उनके धीरज के बदले यहोवा ने उन्हें शानदार प्रतिफल दिया। (1 शमूएल 1:20; 2:21; 1 राजा 19:5-18; 2 तीमुथियुस 4:8) लेकिन जब वे बुरे वक्‍त में थे, तब उन्हें चिंता, निराशा, डर और ऐसी हर तरह की भावना से जूझना पड़ा जो आम तौर पर इंसानों को आ घेरती है। इसलिए कभी-कभी जब हमारे अंदर निराशा की भावनाएँ पैदा होती हैं, तो यह सोचकर हमें ताज्जुब नहीं करना चाहिए कि मेरे साथ ही ऐसा क्यों हो रहा है। लेकिन अगर जीवन की चिंताएँ आपके अंदर यह शक पैदा करने लगे कि क्या यहोवा सचमुच आपसे प्यार करता है, तब आप क्या कर सकते हैं? ऐसे में आप परमेश्‍वर के वचन से दिलासा पा सकते हैं। उदाहरण के लिए, पिछले लेख में हमने यीशु की इस बात पर चर्चा की थी कि यहोवा ने ‘आपके सिर के बाल भी सब गिन रखे हैं।’ (मत्ती 10:30) यीशु के ये शब्द हमें अंदर से काफी मज़बूत करते हैं क्योंकि ये दिखाते हैं कि यहोवा अपने हर सेवक में गहरी दिलचस्पी रखता है। साथ ही, गौरैयों का दृष्टांत भी याद कीजिए। अगर यहोवा एक छोटी-सी गौरैया के ज़मीन पर गिरते वक्‍त भी ध्यान देता है, तो क्या वह आपकी तकलीफों को अनदेखा कर देगा?

6. बाइबल उन लोगों को कैसे सांत्वना दे सकती है जो निराशा की भावनाओं से संघर्ष कर रहे हैं?

6 मगर आप शायद पूछें: क्या हम असिद्ध इंसान इस पूरे जहान के सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर, यहोवा की नज़रों में वाकई अनमोल हो सकते हैं? जी हाँ, ज़रूर हो सकते हैं! बाइबल में ऐसे ढेरों वाकये दर्ज़ हैं जो हमें इस बात का यकीन दिलाते हैं। इन वाकयों पर मनन करने से हम भी भजनहार की तरह यह कह सकेंगे: “जब मेरे मन में बहुत सी चिन्ताएं होती हैं, तब हे यहोवा, तेरी दी हुई शान्ति से मुझ को सुख होता है।” (भजन 94:19) आइए परमेश्‍वर के वचन की ऐसी कुछ बातों पर ध्यान दें जो हमें शांति देती हैं। तब यह बात हमारे ज़हन में उतर जाएगी कि परमेश्‍वर हमें अनमोल समझता है और अगर हम उसकी मरज़ी पूरी करते रहें, तो वह हमें ज़रूर प्रतिफल देगा।

यहोवा के “निज भाग”

7. यहोवा ने मलाकी के ज़रिए, भ्रष्ट यहूदी जाति को कौन-सी भविष्यवाणी सुनायी?

7 सामान्य युग पूर्व पाँचवीं सदी में यहूदी जाति की हालत बहुत खराब थी। मंदिर के याजक लूले-लंगड़े जानवरों को भी कबूल कर लेते और यहोवा की वेदी पर उनकी बलि चढ़ाते थे। न्यायी पक्षपात करते थे। जहाँ देखो वहाँ जादू-टोने के काम, झूठ, धोखाधड़ी और व्यभिचार आम हो गया था। (मलाकी 1:8; 2:9; 3:5) यह जाति जब इतनी भ्रष्ट हो गयी थी, तभी मलाकी ने उसे एक ऐसी भविष्यवाणी सुनायी जिस पर यकीन करना मुश्‍किल लगता है। इस भविष्यवाणी में यहोवा ने बताया कि वक्‍त आने पर वह अपने लोगों को दोबारा आशीष देगा। उसने कहा: “सेनाओं का यहोवा यह कहता है, कि जो दिन मैं ने ठहराया है, उस दिन वे लोग मेरे वरन मेरे निज भाग ठहरेंगे, और मैं उन से ऐसी कोमलता करूंगा जैसी कोई अपने सेवा करनेवाले पुत्र से करे।”—मलाकी 3:17.

8. मलाकी 3:17 की भविष्यवाणी बड़ी भीड़ पर भी क्यों लागू की जा सकती है?

8 मलाकी की यह भविष्यवाणी आज आत्मा से अभिषिक्‍त मसीहियों पर भी पूरी हो रही है, जो 1,44,000 जनों से बनी एक आत्मिक जाति का हिस्सा हैं। और यह जाति सचमुच यहोवा का “निज भाग” या उसकी “निज प्रजा” है। (1 पतरस 2:9) मलाकी की इस भविष्यवाणी से “बड़ी भीड़” के लोग भी हिम्मत पा सकते हैं, जो ‘श्‍वेत वस्त्र पहिने, और अपने हाथों में खजूर की डालियां लिए हुए सिंहासन के साम्हने और मेम्ने के साम्हने खड़े हैं।’ (प्रकाशितवाक्य 7:4, 9) वे अभिषिक्‍त जनों के साथ मिलकर एक झुंड के नाते, एक ही चरवाहे यीशु मसीह के अधीन रहते हैं।—यूहन्‍ना 10:16.

9. यहोवा अपने लोगों को “निज भाग” क्यों समझता है?

9 जिन लोगों ने यहोवा की सेवा करने का चुनाव किया है, उन्हें वह किस नज़र से देखता है? जैसे मलाकी 3:17 कहता है, वह उनके बारे में बिलकुल वैसा ही महसूस करता है जैसे एक पिता अपने बेटे के बारे में महसूस करता है। गौर कीजिए कि उनको वह अपना “निज भाग” कहता है। यह दिखाता है कि उसके दिल में अपने लोगों के लिए कितना प्यार उमड़ आता है। “निज भाग” के लिए कुछ बाइबलों में “मेरे अपने लोग,” “मेरा सबसे बेशकीमती खज़ाना” और “मेरे अनमोल रत्न” कहा गया है। आखिर क्या वजह है कि यहोवा अपने सेवकों को इतना खास समझता है? एक कारण यह है कि यहोवा दूसरों की कदर करनेवाला परमेश्‍वर है। (इब्रानियों 6:10) जो सच्चे दिल से उसकी सेवा करते हैं, वह उनके करीब आता है और उन्हें बेहद खास समझता है।

10. आज किस मायने में यहोवा अपने लोगों को महफूज़ रखता है?

10 क्या आपके पास ऐसी कोई बेशकीमती चीज़ है जिसे आप खास तौर से संजोए रखते हैं? तो ज़रूर आप उस चीज़ को महफूज़ रखने के लिए एहतियात बरतते होंगे। यहोवा भी अपने “निज भाग” यानी अपने लोगों को महफूज़ रखता है। माना कि वह उन्हें ज़िंदगी की सारी मुसीबतों और हादसों से नहीं बचाता। (सभोपदेशक 9:11) मगर वह अपने वफादार सेवकों को आध्यात्मिक मायने में ज़रूर बचा सकता है और उन्हें बचाएगा भी। वह उन्हें ज़िंदगी का हर गम सहने की ताकत देता है। (1 कुरिन्थियों 10:13) इसीलिए मूसा ने परमेश्‍वर की जाति इस्राएल से कहा था: “तू हियाव बान्ध और दृढ़ हो, . . . तेरे संग चलनेवाला तेरा परमेश्‍वर यहोवा है; वह तुझ को धोखा न देगा और न छोड़ेगा।” (व्यवस्थाविवरण 31:6) यहोवा अपने लोगों को बहुत अनमोल समझता है। वे उसके लिए “निज भाग” या बेशकीमती खज़ाना हैं।

यहोवा ‘प्रतिफल देनेवाला’ परमेश्‍वर है

11, 12. यहोवा को प्रतिफल देनेवाला परमेश्‍वर समझने से, अपने मन में उठनेवाले शक को दूर करने में हमें कैसे मदद मिलेगी?

11 यहोवा अपने सेवकों को प्रतिफल देता है। यह एक और सबूत है कि वह उनकी बहुत कदर करता है। उसने इस्राएलियों से कहा था: “सेनाओं का यहोवा यह कहता है, . . . मुझे परखो कि मैं आकाश के झरोखे तुम्हारे लिये खोलकर तुम्हारे ऊपर अपरम्पार आशीष की वर्षा करता हूं कि नहीं।” (मलाकी 3:10) आखिरकार, वह दिन भी आएगा जब यहोवा अपने सेवकों को हमेशा की ज़िंदगी का प्रतिफल देगा। (यूहन्‍ना 5:24; प्रकाशितवाक्य 21:4) परमेश्‍वर का यह बेशकीमती इनाम दिखाता है कि उसका प्यार कितना महान है और वह कितना दरियादिल है। इससे यह भी साबित होता है कि जो उसकी सेवा करने का चुनाव करते हैं उनकी वह सचमुच कदर करता है। हमें यहोवा के बारे में यह नज़रिया पैदा करना चाहिए कि वह अपने लोगों को उदारता से प्रतिफल देनेवाला परमेश्‍वर है। तभी हम उसके प्यार के बारे में मन में उठनेवाले शक को दूर कर सकेंगे। दरअसल, यहोवा खुद हमें बताता है कि हम उसे प्रतिफल देनेवाला परमेश्‍वर समझें! पौलुस ने लिखा: “परमेश्‍वर के पास आनेवाले को विश्‍वास करना चाहिए, कि वह है; और अपने खोजनेवालों को प्रतिफल देता है।”—इब्रानियों 11:6.

12 यह सच है कि हम यहोवा की सेवा सिर्फ इसलिए नहीं करते कि उसने अपने सेवकों को इनाम देने का वादा किया है, बल्कि इसलिए कि हम उससे प्यार करते हैं। फिर भी, इनाम पाने की आशा को दिल में संजोए रखना गलत या स्वार्थ नहीं होगा। (कुलुस्सियों 3:23, 24) जो लोग सच्ची लगन से यहोवा की खोज करते हैं, उन्हें वह खुद आगे बढ़कर प्रतिफल देता है, क्योंकि वह उनसे प्यार करता और उनकी बहुत कदर करता है।

13. छुड़ौती का इंतज़ाम क्यों यहोवा के प्यार का सबसे बड़ा सबूत है?

13 इंसान, यहोवा की नज़रों में बहुत अनमोल हैं, इसका सबसे बड़ा सबूत छुड़ौती का इंतज़ाम है। प्रेरित यूहन्‍ना ने लिखा था: “परमेश्‍वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उस ने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्‍वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए।” (यूहन्‍ना 3:16) यीशु मसीह का छुड़ौती बलिदान इस खयाल तक को गलत साबित करता है कि यहोवा की नज़रों में हमारी कोई कीमत नहीं है या हम उसका प्यार पाने के लायक नहीं हैं। सोचिए कि जब यहोवा ने हमारी खातिर इतनी बड़ी कीमत चुकायी है, अपने एकलौते बेटे को ही कुरबान कर दिया है, तो क्या शक की कोई गुंजाइश बचती है कि वह हमसे कितना प्यार करता है?

14. छुड़ौती के बारे में पौलुस की भावनाएँ किस बात से पता चलती हैं?

14 इसलिए अगर कभी निराशा की भावनाएँ आप पर हावी हो जाती हैं, तो छुड़ौती के बारे में गहराई से सोचिए। जी हाँ, यह बात मन में बिठा लीजिए कि खुद यहोवा ने छुड़ौती का तोहफा आपके लिए दिया है। प्रेरित पौलुस ऐसा ही मानता था। याद कीजिए उसने कहा था: “मैं कैसा अभागा मनुष्य हूं!” मगर फिर उसने कहा: “मैं अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्‍वर का धन्यवाद करता हूं” जिसने “मुझ से प्रेम किया, और मेरे लिये अपने आप को दे दिया।” (रोमियों 7:24, 25; गलतियों 2:20) ऐसा कहकर पौलुस डींग नहीं मार रहा था। वह बस अपना यह भरोसा दिखा रहा था कि यहोवा की नज़रों में वह कितना अनमोल है। पौलुस की तरह आपको भी छुड़ौती के बारे में यह नज़रिया पैदा करना चाहिए कि परमेश्‍वर ने यह तोहफा खुद आपके लिए दिया है। यहोवा न सिर्फ उद्धार करने की लाजवाब शक्‍ति रखता है, बल्कि प्यार से प्रतिफल भी देता है।

शैतान की धूर्त्त युक्‍तियों से खबरदार रहिए

15-17. (क) इब्‌लीस, निराशा की भावनाओं का कैसे फायदा उठाता है? (ख) अय्यूब के साथ जो हुआ, उससे हमें क्या हौसला मिल सकता है?

15 फिर भी, शायद आपको यकीन करना मुश्‍किल लगे कि परमेश्‍वर ने अपने वचन में शांति देनेवाली जो बातें दर्ज़ करवायी हैं, वे सचमुच आप पर लागू होती हैं। आप शायद सोचें कि परमेश्‍वर की नयी दुनिया में हमेशा की ज़िंदगी का इनाम दूसरे पा सकते हैं, मगर मैं बिलकुल उसके लायक नहीं हूँ। अगर आपका दिल भी यही कहता है, तो आप क्या कर सकते हैं?

16 आप पौलुस की यह सलाह ज़रूर जानते होंगे जो उसने इफिसियों को दी थी: “परमेश्‍वर के सारे हथियार बान्ध लो; कि तुम शैतान की युक्‍तियों के साम्हने खड़े रह सको।” (इफिसियों 6:11) जब हम शैतान की चालों के बारे में सोचते हैं, तो फौरन हमें ऐसे कुछ फंदे याद आते हैं, जैसे धन-दौलत का लालच और अनैतिकता। वाकई ये शैतान के ही फंदे हैं। पुराने ज़माने में और आज भी परमेश्‍वर के कई लोग इस फंदे में फँसे हैं। लेकिन शैतान की एक और धूर्त्त युक्‍ति है जिसे हमें अनदेखा नहीं करना चाहिए। वह क्या है? लोगों को यकीन दिलाना कि यहोवा परमेश्‍वर उनसे बिलकुल प्यार नहीं करता।

17 इब्‌लीस, लोगों की निराशा की भावनाओं का फायदा उठाकर उन्हें परमेश्‍वर से दूर करने में माहिर है। याद कीजिए कि अय्यूब के एक दोस्त बिल्दद ने उससे क्या कहा था: “मनुष्य ईश्‍वर की दृष्टि में धर्मी क्योंकर ठहर सकता है? और जो स्त्री से उत्पन्‍न हुआ है वह क्योंकर निर्मल हो सकता है? देख, उसकी दृष्टि में चन्द्रमा भी अन्धेरा ठहरता, और तारे भी निर्मल नहीं ठहरते। फिर मनुष्य की क्या गिनती जो कीड़ा है, और आदमी कहां रहा जो केंचुआ है!” (अय्यूब 25:4-6; यूहन्‍ना 8:44) क्या आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि यह बात सुनकर अय्यूब कैसे टूट गया होगा? इसलिए आपको हताश करने के लिए शैतान को ज़रा भी मौका मत दीजिए। साथ ही, शैतान की चालों से वाकिफ भी रहिए ताकि सही काम करने के लिए आपको और भी हिम्मत और ताकत मिले। (2 कुरिन्थियों 2:11) हालाँकि अय्यूब की गलत सोच को सुधारने के लिए उसे ताड़ना दी गयी थी, मगर यहोवा ने उसके धीरज का प्रतिफल भी दिया। उसने जो भी खोया था, उसका दुगुना उसे वापस दिया।—अय्यूब 42:10.

यहोवा “परमेश्‍वर हमारे मन से बड़ा है”

18, 19. इसका मतलब क्या है कि परमेश्‍वर “हमारे मन से बड़ा है,” और किस मायने में वह “सब कुछ जानता है”?

18 अगर निराशा की भावनाओं ने आपके दिल में जड़ पकड़ ली है, तो उन्हें मिटाना मुश्‍किल हो सकता है। मगर यहोवा की आत्मा आपकी मदद कर सकती है ताकि आप ‘परमेश्‍वर की पहिचान के विरोध में उठनेवाली हर एक भावना को कैद’ कर सकें यानी उस पर काबू पा सकें। (2 कुरिन्थियों 10:4, 5) जब भी आपको लगता है कि आप निराशा की गहरी खाई में डूबते जा रहे हैं, तो प्रेरित यूहन्‍ना के इन शब्दों पर गहराई से सोचिए: “इसी से हम जानेंगे, कि हम सत्य के हैं; और जिस बात में हमारा मन हमें दोष देगा, उसके विषय में हम उसके साम्हने अपने अपने मन को ढाढ़स दे सकेंगे। क्योंकि परमेश्‍वर हमारे मन से बड़ा है; और सब कुछ जानता है।”—1 यूहन्‍ना 3:19, 20.

19 इसका मतलब क्या है कि “परमेश्‍वर हमारे मन से बड़ा है”? कभी-कभी मन हमें दोषी ठहरा सकता है, खासकर ऐसे वक्‍त पर जब हमारी कमज़ोरियों और गलतियों का एहसास हमें चुभने लगता है। या शायद हमारी परवरिश ऐसी हुई हो कि हमें हर वक्‍त खुद को नीचा देखने की आदत हो, मानो हम कभी ऐसा काम कर ही नहीं सकते जो यहोवा को मंज़ूर हो। मगर प्रेरित यूहन्‍ना के शब्द हमें यकीन दिलाते हैं कि यहोवा हमारी इन भावनाओं से कहीं महान है! वह सिर्फ हमारी गलतियाँ नहीं देखता। इसके बजाय वह देख सकता है कि हमारे अंदर कौन-से भले गुण छिपे हैं। वह हमारे इरादों और भावनाओं को भी जानता है। दाऊद ने लिखा था: “वह हमारी सृष्टि जानता है; और उसको स्मरण रहता है कि मनुष्य मिट्टी ही हैं।” (भजन 103:14) जी हाँ, यहोवा हमारे बारे में हमसे बेहतर जानता है!

“शोभायमान मुकुट” और “राजसी पगड़ी”

20. बहाली के बारे में यशायाह की भविष्यवाणी के मुताबिक, यहोवा अपने सेवकों के साथ कैसे पेश आता है?

20 यशायाह नबी के ज़रिए यहोवा ने अपने लोगों से वादा किया था कि वह उन्हें बाबुल की बंधुआई से छुड़ाकर अपने देश में बहाल करेगा। बाबुल की गुलामी सहते वक्‍त, उन मायूस लोगों को दिलासा और हिम्मत पाने के लिए इसी आशा की ज़रूरत थी! यहोवा ने उन्हें बताया कि जब उनके लिए अपने वतन लौटने का वक्‍त आएगा तो क्या होगा: “तू यहोवा के हाथ में एक शोभायमान मुकुट, हां, अपने परमेश्‍वर के हाथ में राजसी पगड़ी ठहरेगी।” (यशायाह 62:3, NHT) ऐसा कहकर यहोवा ने अपने लोगों को गरिमा और सम्मान दिया। आज अपनी आत्मिक इस्राएल जाति को भी यहोवा ने ऐसे ही सम्मानित किया है, मानो उन्हें सदा के लिए ऊँचा किया है।

21. आप खुद को कैसे भरोसा दिला सकते हैं कि यहोवा आपकी वफादारी और धीरज का ज़रूर प्रतिफल देगा?

21 हालाँकि यह भविष्यवाणी खास तौर से अभिषिक्‍त जनों पर पूरी होती है, मगर यह दिखाती है कि यहोवा अपने सभी सेवकों को कितनी गरिमा प्रदान करता है। इसलिए जब खुद के बारे में आपके मन में शक पैदा होने लगता है, तो याद रखिए कि भले ही आप असिद्ध हैं, मगर आप यहोवा की नज़रों में एक “शोभायमान मुकुट” और “राजसी पगड़ी” की तरह अनमोल हो सकते हैं। इसलिए तन-मन से उसकी मरज़ी पूरी करते हुए उसका दिल खुश करते रहिए। (नीतिवचन 27:11) ऐसा करने से आप भरोसा रख सकेंगे कि यहोवा आपकी वफादारी और धीरज का ज़रूर प्रतिफल देगा!

[फुटनोट]

^ कुछ नाम बदल दिए गए हैं।

क्या आपको याद है?

• हम किस तरह यहोवा के लिए “निज भाग” हैं?

• यहोवा के बारे में यह मानना क्यों ज़रूरी है कि वह प्रतिफल देनेवाला परमेश्‍वर है?

• शैतान की किन धूर्त्त युक्‍तियों से हमें खबरदार रहना चाहिए?

• किस मायने में “परमेश्‍वर हमारे मन से बड़ा है”?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 26 पर तसवीर]

पौलुस

[पेज 26 पर तसवीर]

एलिय्याह

[पेज 26 पर तसवीर]

हन्‍ना

[पेज 28 पर तसवीर]

परमेश्‍वर के वचन में आपको शांति देनेवाली ढेरों बातें हैं