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वफादारी निभाने के फायदे हैं

वफादारी निभाने के फायदे हैं

वफादारी निभाने के फायदे हैं

कुछ देशों में, बच्चे अपने किसी साथी को छेड़ने के लिए उसके स्वेटर पर कंटीले बीज लगा देते हैं। एक बार जब ये बीज ऊन से चिपक जाएँ, तो आसानी से नहीं निकलते, फिर चाहे बच्चा चले, दौड़े या कूदे-फाँदे। इनको हटाने का सिर्फ एक ही तरीका है, इन्हें एक-एक करके निकालना। बच्चों को इस तरह की शरारत करने में बड़ा मज़ा आता है।

बेशक हममें से कोई नहीं चाहेगा कि हमारे कपड़ों पर ये कंटीले बीज लगे हों। फिर भी, जब हम इन बीजों के बारे में सोचते हैं तो हैरत में पड़ जाते हैं कि वे किस कदर चिपक जाते हैं और आसानी से छूटते नहीं। एक वफादार इंसान भी इस बीज की तरह होता है। वह जिसके साथ रिश्‍ता जोड़ता है, ज़िंदगी-भर उसका साथ निभाता है। उस रिश्‍ते के साथ आनेवाली हर ज़िम्मेदारी को वह अच्छी तरह पूरा करता है, फिर चाहे हालात की वजह से ऐसा करना मुश्‍किल ही क्यों न हो। “वफादारी” शब्द से और भी कई अच्छे गुण मन में आते हैं, जैसे सच्चाई, निष्ठा और भक्‍ति। इसमें शक नहीं कि आप चाहेंगे कि दूसरे आपसे वफादारी निभाएँ, लेकिन क्या आप भी दूसरों के साथ वफादारी निभाने का मज़बूत इरादा या जज़्बा रखते हैं? अगर हाँ, तो आपको किसके साथ वफादारी निभानी चाहिए?

शादी में वफादारी—एक बुनियादी ज़रूरत

शादी एक ऐसा दायरा है, जहाँ वफादारी दिखाना निहायत ज़रूरी है। मगर दुःख की बात है कि लोग अकसर इस मामले में चूक जाते हैं। जो पति-पत्नी शादी के वक्‍त ली गयी शपथ को निभाते हैं, यानी एक-दूसरे का साथ नहीं छोड़ते और एक-दूसरे की भलाई के लिए काम करते हैं, वे शादी के बंधन को मज़बूत करने और इससे खुशी पाने के लिए बहुत बड़ा कदम उठा चुके हैं। ऐसा क्यों कहा जा सकता है? क्योंकि इंसानों को इस ज़रूरत के साथ बनाया गया है कि वे दूसरों के वफादार रहें, साथ ही दूसरे भी उनके साथ वफादारी निभाएँ। जब परमेश्‍वर ने अदन के बाग में आदम और हव्वा को शादी के बंधन में बाँधा, तब उसने यह ऐलान किया: “पुरुष अपने माता पिता को छोड़कर अपनी पत्नी से मिला रहेगा।” यही बात पत्नी पर भी लागू होती थी कि वह अपने पति से मिली रहे। पति-पत्नी को एक-दूसरे का वफादार रहना और साथ देना था, और एक-दूसरे की मदद भी करनी थी।—उत्पत्ति 2:24; मत्ती 19:3-9.

यह तो हज़ारों साल पहले की बात है। क्या इसका यह मतलब है कि शादी में वफादारी निभाने की बात पुराना फैशन है? ज़्यादातर लोग कहेंगे, बिलकुल नहीं। जर्मनी में खोजकर्ताओं ने सर्वे लेने पर पाया कि 80 प्रतिशत लोगों का मानना है कि शादी में वफादारी बहुत ज़रूरी है। एक और सर्वे यह जानने के लिए लिया गया कि स्त्री-पुरुष में किन गुणों को सबसे ज़्यादा पसंद किया जाता है। पुरुषों के एक समूह से पूछा गया कि वे स्त्रियों के ऐसे पाँच गुण बताएँ जो उन्हें सबसे अच्छे लगते हैं। उसी तरह स्त्रियों के एक समूह से पूछा गया कि वे पुरुषों के ऐसे पाँच गुण बताएँ जो वे सबसे ज़्यादा पसंद करती हैं। स्त्री-पुरुष दोनों की नज़र में सबसे अनमोल गुण था, वफादारी।

जी हाँ, वफादारी एक ऐसा गुण है जिसकी मज़बूत बुनियाद पर शादीशुदा ज़िंदगी कामयाब होती है। लेकिन जैसे हमने पिछले लेख में देखा था, इस गुण की तारीफ तो सभी करते हैं मगर वफादारी निभानेवाले बहुत कम हैं। मिसाल के लिए, बहुत-से देशों में तलाक की दर बढ़ती जा रही है, जो इस बात का सबूत है कि ज़्यादातर पति-पत्नी एक-दूसरे को दगा दे रहे हैं। इस चलन का बुरा असर पति-पत्नी पर न हो, इसके लिए वे क्या कर सकते हैं और कैसे एक-दूसरे के वफादार रह सकते हैं?

वफादारी से शादी का बंधन मज़बूत बना रहता है

पति-पत्नी जब मौके ढूँढ़कर एक-दूसरे को अपने प्यार का यकीन दिलाते हैं, तो वे वफादारी निभाते हैं। जैसे कि एक-दूसरे से बात करते वक्‍त हमेशा “मेरा” कहने के बजाय “हमारा” कहना अच्छा होगा, जैसे “हमारे दोस्त,” “हमारे बच्चे,” “हमारा घर,” “हमारे तजुरबे,” वगैरह-वगैरह। इसके अलावा, कोई भी योजना बनाने या फैसला करने से पहले—चाहे यह घर के बारे में हो, नौकरी, बच्चों की परवरिश, मनोरंजन, छुट्टियाँ मनाने या धार्मिक मामलों के बारे में हो, पति-पत्नी को एक-दूसरे की भावनाओं के लिए लिहाज़ दिखाना चाहिए, साथ ही एक-दूसरे की राय भी पूछनी चाहिए।—नीतिवचन 11:14; 15:22.

वफादारी दिखाने के लिए पति-पत्नी अपने साथी को हमेशा यह एहसास दिला सकते हैं कि वे उसे दिलो-जान से चाहते हैं और उसके बिना उनकी ज़िंदगी अधूरी है। अगर पति या पत्नी किसी विपरीत लिंग के व्यक्‍ति के साथ कुछ ज़्यादा ही दोस्ताना तरीके से पेश आता है, तो साथी के दिल में शक और चिंता पैदा हो सकती है। बाइबल पुरुषों को सलाह देती है कि वे ‘अपनी जवानी की पत्नी का साथ’ कभी न छोड़ें। एक पति को अपने दिल में किसी भी परायी स्त्री को जगह नहीं देनी चाहिए, न ही उसे लुभाने की कोशिश करनी चाहिए। बेशक, उसे किसी भी हाल में दूसरी औरत के साथ नाजायज़ संबंध नहीं रखने चाहिए। बाइबल खबरदार करती है: “जो परस्त्रीगमन करता है वह निरा निर्बुद्ध है; जो अपने प्राणों को नाश करना चाहता है, वही ऐसा करता है।” वफादारी के इस ऊँचे स्तर पर चलने की माँग एक पत्नी से भी की जाती है।—नीतिवचन 5:18; 6:32.

शादीशुदा ज़िंदगी में वफादारी दिखाने के क्या कोई फायदे हैं? बेशक हैं। वफादारी, शादी को मज़बूत करती है और कायम रखती है। इससे पति-पत्नी दोनों को फायदा होता है। मिसाल के लिए, जब पति पूरी वफादारी के साथ पत्नी की देखभाल करता है, तो इससे पत्नी निश्‍चिंत रहती है और वह भी अपनी ज़िम्मेदारी को बेहतरीन तरीके से पूरा करती है। उसी तरह पत्नी की वफादारी देखकर पति भी बढ़िया ढंग से अपना फर्ज़ पूरा कर पाता है। जो पति, पत्नी के साथ वफादारी निभाता है, उसे ज़िंदगी के दूसरे मामलों में भी धर्मी उसूलों पर चलने का अटल इरादा करने में मदद मिलती है।

अगर पति-पत्नी एक-दूसरे के वफादार रहें, तो मुसीबत की घड़ी में भी डर या चिंता उन पर हावी नहीं होगी। दूसरी तरफ, जो वफादार नहीं होते, वे अकसर समस्याएँ उठने पर झट-से अलग होने या तलाक लेने की सोचते हैं। अलग होना या तलाक लेना समस्या का हल नहीं, बल्कि नयी समस्याओं को दावत देना है। सन्‌ 1980 के दशक में एक जाना-माना फैशन सलाहकार, अपनी पत्नी और परिवार से अलग हो गया था। शादी का बंधन तोड़कर क्या वह खुश था? अपने परिवार से अलग होने के बीस साल बाद, वह कबूल करता है कि उसे “तनहाई और बेचैनी के सिवा और कुछ नहीं मिला है। [उसे] रात को नींद नहीं आती, क्योंकि [वह] अपने बच्चों को गुड नाइट कहने के लिए तरसता रहता है।”

माता-पिता और बच्चों के बीच वफादारी

जब पति-पत्नी एक-दूसरे के वफादार रहते हैं, तो ज़ाहिर है कि उनके बच्चे भी यह गुण दिखाना सीखेंगे। जब बच्चे ऐसे माहौल में पलते-बढ़ते हैं जहाँ प्यार और वफादारी हो, तो बड़े होकर वे न सिर्फ अपने जीवन-साथी की तरफ बल्कि अपने माँ-बाप की तरफ भी अपनी ज़िम्मेदारी निभाते हैं और उन्हें बुढ़ापे की तकलीफों के वक्‍त सहारा देते हैं।—1 तीमुथियुस 5:4, 8.

मगर कुछ परिवारों में बच्चे बीमार या अपाहिज होते हैं, इसलिए माता-पिता को वफादारी के साथ उनकी देखभाल करने की ज़रूरत पड़ती है। हर्बर्ट और गट्रूड को ही लीजिए। वे दोनों 40 से भी ज़्यादा साल से यहोवा के साक्षी हैं। उनका बेटा, डीटमार जन्म से मस्क्यूलर डिस्ट्रोफी नाम की एक बीमारी से लड़ता रहा। यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें माँस-पेशियाँ धीरे-धीरे नष्ट होने लगती हैं। नवंबर 2002 में डीटमार चल बसा। उसकी ज़िंदगी के आखिरी सात सालों के दौरान, उस पर चौबीसों घंटे नज़र रखने और उसकी देखभाल करने की ज़रूरत आन पड़ी थी। उसके माता-पिता ने प्यार से उसकी हर ज़रूरत पूरी की। यहाँ तक कि उन्होंने अपने घर में इलाज से जुड़ी एक मशीन लगवायी और डीटमार की देखभाल करने के लिए ट्रेनिंग भी हासिल की। परिवार में वफादारी दिखाने की यह क्या ही बढ़िया मिसाल है!

दोस्ती के लिए ज़रूरी है, वफादारी

बिरगिट कहती है: “जीवन-साथी के बिना एक इंसान खुश रह सकता है, मगर एक दोस्त के बिना खुश रहना बहुत मुश्‍किल है।” शायद आप भी इस बात से सहमत हों। चाहे आप शादीशुदा हों या कुँवारे, एक अच्छे दोस्त की वफादारी आपकी ज़िंदगी में खुशियों के रंग भर सकती है। लेकिन हाँ, अगर आप शादीशुदा हैं, तो आपका सबसे करीबी दोस्त आपका जीवन-साथी होना चाहिए।

दोस्त का मतलब सिर्फ कोई जान-पहचानवाला नहीं है। हमारे जान-पहचानवाले तो बहुत होते हैं, जैसे पड़ोसी, साथ काम करनेवाले या फिर ऐसे लोग जिनके साथ कभी-कभार हमारी मुलाकात होती है। मगर एक दोस्त की बात अलग है। सच्ची दोस्ती बढ़ाने के लिए समय खर्च करना पड़ता है, मेहनत करनी पड़ती है और दोस्ती निभाने का अटल इरादा ज़रूरी होता है। किसी का दोस्त होना एक सम्मान की बात है। दोस्ती करने के कई फायदे होते हैं, मगर इसके साथ ज़िम्मेदारियाँ भी आती हैं।

अपने दोस्तों के साथ बातचीत करना निहायत ज़रूरी है। कभी-कभी हालात ऐसे पैदा होते हैं कि दोस्तों से बात करने की सख्त ज़रूरत हो सकती है। बिरगिट कहती है: “अगर मेरी सहेली को या मुझे कोई परेशानी होती है, तो हम हफ्ते में एक-दो बार फोन पर एक-दूसरे से बात करती हैं। यह वाकई दिल को सुकून देता है कि वह मेरी मदद करने और मेरी बात सुनने के लिए हरदम तैयार है।” दूरी दोस्तों के बीच रुकावट नहीं होती। गेरडा और हेलगा, एक-दूसरे से हज़ारों किलोमीटर दूर रहती हैं, फिर भी वे 35 से भी ज़्यादा सालों से एक-दूसरे की अच्छी दोस्त रही हैं। गेरडा बताती है: “हम हमेशा एक-दूसरे को खत लिखती हैं। हमारे साथ जो कुछ होता है, और हमारे दिल पर जो भी बीतती है, फिर चाहे वह खुशी हो या गम, सबकुछ हम एक-दूसरे के साथ बाँटती हैं। हेलगा से चिट्ठी मिलने पर मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहता। हम दोनों की सोच बिलकुल एक-जैसी है।”

दोस्ती को सलामत रखने के लिए वफादारी बेहद ज़रूरी है। एक दोस्त अगर एक बार भी दगा दे, तो बरसों पुरानी दोस्ती एक पल में टूट सकती है। दोस्तों के बीच कभी कोई राज़ नहीं होता। इसलिए यह एक आम बात है कि दोस्त निजी-से-निजी मामलों पर एक-दूसरे से सलाह-मशविरा करते हैं। उन्हें इस बात का डर नहीं रहता कि अगर वे अपने दिल की बात कहेंगे, तो दोस्त इसके लिए उन्हें ज़लील करेगा या फिर उनके भरोसे को तोड़ देगा। बाइबल कहती है: “मित्र सब समयों में प्रेम रखता है, और विपत्ति के दिन भाई बन जाता है।”—नीतिवचन 17:17.

हमारे दोस्तों का हमारी सोच पर, हमारी भावनाओं और हमारे कामों पर गहरा असर होता है। इसलिए हमें ऐसे लोगों के साथ दोस्ती करनी चाहिए जिनके जीने का तरीका, हमारे जीने की तरीके से मेल खाता हो। मिसाल के लिए, किसी से भी दोस्ती करते वक्‍त इन बातों का ध्यान रखिए: उसके और आपके विश्‍वास एक होने चाहिए, नैतिक मामलों में उसका नज़रिया आपके जैसा होना चाहिए और सही-गलत के मामले में उसके स्तर भी वही होने चाहिए जो आपके हैं। ऐसे दोस्त आपको अपने लक्ष्य तक पहुँचने में ज़रूर मदद देंगे। और फिर, जिस इंसान के उसूल और आदर्श आपसे मेल नहीं खाते, उसे आप हरगिज़ अपना दोस्त नहीं बनाना चाहेंगे, है ना? सही किस्म के दोस्तों का चुनाव करना कितना ज़रूरी है, यह समझाते हुए बाइबल कहती है: “बुद्धिमानों की संगति कर, तब तू भी बुद्धिमान हो जाएगा, परन्तु मूर्खों का साथी नाश हो जाएगा।”—नीतिवचन 13:20.

आप वफादारी निभाना सीख सकते हैं

अगर एक बच्चा किसी के कपड़े पर कंटीले बीज लगाना सीख जाए, तो ज़ाहिर है कि वह ऐसी शरारत बार-बार करना चाहेगा। यही बात एक वफादार इंसान पर भी लागू होती है। वह कैसे? हम जितना ज़्यादा वफादारी निभाएँगे, यह गुण दिखाना हमारे लिए उतना ही आसान हो जाएगा। अगर एक इंसान बचपन से परिवार के लोगों के साथ वफादारी निभाना सीखेगा, तो बड़ा होकर वह एक वफादार दोस्त बनेगा और बदले में उसे भी वफादार दोस्त मिलेंगे। और जब वह दोस्ती में वफादारी निभाता है, तो शादी करने के बाद जीवन-साथी के संग भी वफादारी निभाएगा। ऐसा करने से, वह एक ऐसे दोस्त से भी वफादारी निभाएगा जो दुनिया की सबसे महान हस्ती है। वह कौन है?

यहोवा परमेश्‍वर। यीशु ने कहा था कि सबसे बड़ी आज्ञा यह है कि हम यहोवा से अपने सारे मन, प्राण, बुद्धि और शक्‍ति से प्रेम करें। (मरकुस 12:30) इसका मतलब है कि परमेश्‍वर का पूरी तरह वफादार रहना, हमारा फर्ज़ बनता है। यहोवा परमेश्‍वर के वफादार बने रहने के कई बढ़िया प्रतिफल हैं। वह हमें कभी निराश नहीं करेगा, क्योंकि उसने खुद के बारे में कहा है: “मैं वफादार हूँ।” (यिर्मयाह 3:12, NW) वाकई, यहोवा के वफादार बने रहने से हमें सदा की आशीषें मिलेंगी।—1 यूहन्‍ना 2:17.

[पेज 6 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]

एक अच्छे दोस्त की वफादारी आपकी ज़िंदगी में खुशियों के रंग भर सकती है

[पेज 5 पर तसवीर]

परिवार में वफादार सदस्य एक-दूसरे की ज़रूरतों का खयाल रखते हैं