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अपनी भावनाओं को काबू में रखने के लिए मदद

अपनी भावनाओं को काबू में रखने के लिए मदद

अपनी भावनाओं को काबू में रखने के लिए मदद

क्या कभी-कभी आपको अपनी भावनाओं पर काबू पाना मुश्‍किल लगता है? मिसाल के लिए, क्या आप ज़रा-ज़रा सी बात पर बुरा मान जाते, भड़क उठते या निराश हो जाते हैं? क्या ज़िंदगी की चिंताएँ आप पर इस कदर हावी हो जाती हैं कि आप बिलकुल लाचार महसूस करते हैं? ऐसे में क्या बात आपकी मदद करेगी?

रूठना-भड़कना, निराश होना, ये हम इंसानों के जीवन का एक हिस्सा हैं। अगर इन भावनाओं को काबू में रखा जाए, तो ये ज़िंदगी को मज़ेदार बना सकती हैं। लेकिन बाइबल इस हकीकत को कबूल करती है कि “अन्धेर से बुद्धिमान बावला हो जाता है।” (सभोपदेशक 7:7) आज दुनिया में जहाँ हिंसा और दुर्घटनाएँ रोज़ की खबरें बन चुकी हैं, तो भला कौन इन बातों से दुःखी नहीं होगा? मगर ध्यान दीजिए कि बाइबल यह भी कहती है: “इस से अधिक कुछ अच्छा नहीं कि मनुष्य अपने कामों में आनन्दित रहे।” (सभोपदेशक 3:22) तो फिर, अपनी ज़िंदगी को हसीन बनाने के लिए ज़रूरी है कि हम खुश रहना सीखें और यह तभी मुमकिन होगा जब हम मन में अच्छी भावनाएँ पैदा करेंगे। हम अपने मन में अच्छी भावनाएँ कैसे पैदा कर सकते हैं और दुःख और निराशा जैसी भावनाओं को काबू में कैसे रख सकते हैं?

जब हमारे मन में निराश करनेवाली भावनाएँ उठती हैं तो उन्हें काबू में करने के लिए हम कुछ कदम उठा सकते हैं। मिसाल के लिए, अगर हम किसी ऐसी समस्या को लेकर बहुत परेशान हैं जिसे हल करना हमारे बस में नहीं है, तो रात-दिन उसी के बारे में चिंता करने के बजाय क्या यह अच्छा नहीं होगा कि हम अपना माहौल बदलें या रोज़मर्रा के कामों से हटकर कुछ करें? जैसे, टहलना, मन को सुकून देनेवाला संगीत सुनना, अच्छी कसरत करना, या किसी की खातिर भले काम करना। ये काम हमें चिंता से थोड़ी-बहुत राहत दिला सकते हैं और खुशी दे सकते हैं।—प्रेरितों 20:35.

लेकिन निराश करनेवाली भावनाओं को दूर करने का सबसे बेहतरीन तरीका है, सिरजनहार पर भरोसा रखना। जब हमारी लाख कोशिशों के बावजूद मन से ऐसी भावनाएँ नहीं निकलतीं तो हमें प्रार्थना करके ‘अपनी सारी चिन्ता परमेश्‍वर पर डाल’ देनी चाहिए। (1 पतरस 5:6, 7) बाइबल हमें यकीन दिलाती है: “यहोवा टूटे मनवालों के समीप रहता है . . . धर्मी पर बहुत सी विपत्तियां पड़ती तो हैं, परन्तु यहोवा उसको उन सब से मुक्‍त करता है।” (भजन 34:18, 19) हम कैसे भरोसा रख सकते हैं कि परमेश्‍वर हमारा “सहायक और छुड़ानेवाला” हो सकता है? (भजन 40:17) इसके लिए हमें बाइबल का अध्ययन करना होगा और उन सच्ची घटनाओं पर मनन करना होगा जो दिखाती हैं कि परमेश्‍वर अपने हरेक सेवक में दिलचस्पी लेता है और उसकी खैरियत की चिंता करता है।