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पाठकों के प्रश्‍न

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हिंसा को बढ़ावा देनेवाले कंप्यूटर गेम खेलने से क्या यहोवा के साथ हमारा रिश्‍ता बिगड़ सकता है?

प्राचीन इस्राएल के राजा दाऊद ने लिखा: “यहोवा धर्मी को परखता है, परन्तु वह उन से जो दुष्ट हैं और उपद्रव से प्रीति रखते हैं अपनी आत्मा में घृणा करता है।” (भजन 11:5) इब्रानी भाषा के जिस शब्द का अनुवाद यहाँ “घृणा” किया गया है, उसका मतलब “एक दुश्‍मन” हो सकता है। इसलिए जो उपद्रव या हिंसा से प्रीति रखता है वह अपने आप को परमेश्‍वर का दुश्‍मन बना लेता है। अब सवाल यह है कि क्या कुछ कंप्यूटर गेम खेलने से हम हिंसा के कामों को पसंद करने लगेंगे?

मार-धाड़वाले कंप्यूटर गेम यह सिखाते हैं कि बंदूक-पिस्तौल वगैरह चलाकर दूसरों को चोट पहुँचाने में कोई बुराई नहीं है। अकसर इस तरह के खेल, लोगों को युद्ध में माहिर होना सिखाते हैं। दी इकॉनमिस्ट पत्रिका कहती है: “अमरीकी सेना आज पहले से ज़्यादा कंप्यूटर गेम पर उम्मीद लगाए हुए हैं कि ये खेल लोगों को युद्ध की तालीम देंगे। जिन खेलों के ज़रिए फौजियों को ट्रेनिंग दी जाती है, वैसे कुछ खेल कंप्यूटर गेम के रूप में सरेआम बाज़ार में बिक रहे हैं।”

यह सच है कि जो मार-धाड़वाले कंप्यूटर गेम खेलते हैं वे असल ज़िंदगी में लोगों को चोट नहीं पहुँचा रहे हैं। मगर ज़रा सोचिए, इस तरह के मनोरंजन का उनके दिलों पर क्या असर होता होगा? (मत्ती 5:21, 22; लूका 6:45) आप ऐसे इंसान के बारे में क्या सोचेंगे जिसे कंप्यूटर गेम में दिखाए लोगों को छुरा भोंकने, गोली मारने, उनके हाथ-पैर काटने और उन्हें जान से मार डालने में मज़ा आता है? अगर वह ऐसे मार-धाड़वाले खेलों में हर हफ्ते कई घंटे बिताता है, यहाँ तक कि उसे इन खेलों की लत लग जाती है तब आप उसके बारे में क्या सोचेंगे? भले ही आप उसे खूनी न समझें मगर हाँ, इस नतीजे पर ज़रूर पहुँचेंगे कि वह हिंसा के कामों को पसंद करने लगा है, ठीक जैसे अश्‍लील तसवीरें देखनेवाला व्यक्‍ति अनैतिक कामों के लिए दिल में चाहत बढ़ाता है।—मत्ती 5:27-29.

जिस इंसान को हिंसा से लगाव होता है, उससे यहोवा किस हद तक नफरत करता है? मूल इब्रानी भाषा में भजन 11:5 में “घृणा” के लिए जो क्रिया-पद इस्तेमाल किया गया है, उसका अनुवाद यूँ किया जा सकता है: “सख्त नफरत करता है।” नूह के दिनों में यहोवा ने दिखाया कि उसे हिंसा को पसंद करनेवालों से किस कदर नफरत है। यहोवा ने नूह से कहा: “मेरे सामने सब प्राणियों के अन्त करने का प्रश्‍न आ गया है, क्योंकि पृथ्वी उनके कारण हिंसा से भर गई है; और देख, मैं उनको पृथ्वी समेत नाश करने पर हूं।” (उत्पत्ति 6:13, NHT) जी हाँ, सच्चे परमेश्‍वर ने नूह के दिनों में पूरी-की-पूरी दुनिया को इसलिए मिटा दिया था क्योंकि लोग हिंसा पर उतारू हो गए थे। उसने सिर्फ ऐसे आठ लोगों की ज़िंदगी बख्श दी जिन्हें हिंसा से नफरत थी यानी नूह और उसके परिवार को।—2 पतरस 2:5.

आज जो लोग यहोवा के मित्र बनना चाहते हैं, वे “अपनी तलवारें पीटकर हल के फाल और अपने भालों को हंसिया” बनाते हैं। वे ‘युद्ध की विद्या नहीं सीखते’, और हिंसा से कोई लगाव नहीं रखते। (यशायाह 2:4) अगर हम चाहते हैं कि परमेश्‍वर के साथ हमारी मित्रता बनी रहे और हम उसके दुश्‍मन न बनें तो यह ज़रूरी है कि हम ‘बुराई का साथ छोड़ें, और भलाई ही करें।’ हमें चाहिए कि हम ‘मेल मिलाप को ढूंढ़ें और उसके यत्न में रहें।’—1 पतरस 3:11.

लेकिन अगर हमने ऐसे वीडियो गेम खेलने की आदत बना ली है, तो हमें क्या करना चाहिए? हमें यह ठान लेना चाहिए कि हम आइंदा से ऐसे खेल नहीं खेलेंगे जिनसे यहोवा को नफरत है और इस तरह उसे खुश करेंगे। और बेशक हमें परमेश्‍वर की पवित्र आत्मा के लिए प्रार्थना करनी चाहिए ताकि हम ऐसी आदत छोड़ सकें जो हमें आध्यात्मिक रूप से तबाह कर सकती है। अगर हम अपने अंदर शांति, भलाई और संयम जैसे गुण बढ़ाएँगे और परमेश्‍वर के बताए रास्ते के मुताबिक जीएँगे तो मार-धाड़वाले वीडियो गेम खेलने की आदत ज़रूर छोड़ सकते हैं।—लूका 11:13; गलतियों 5:22, 23.