यहोवा की उपासना करने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती है
“मुझे सहायता यहोवा की ओर से मिलती है”
यहोवा की उपासना करने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती है
बाइबल में हमारे दिनों के बारे में भविष्यवाणी की गयी थी कि यहोवा की शुद्ध उपासना करने के लिए सभी जातियों से लोगों का झुंड उमड़ आएगा। मिसाल के लिए, हाग्गै नबी के ज़रिए यहोवा परमेश्वर ने यह ऐलान किया: “मैं सारी जातियों को कम्पकपाऊंगा, और सारी जातियों की मनभावनी वस्तुएं आएंगी; और मैं इस भवन को अपनी महिमा के तेज से भर दूंगा।” (हाग्गै 2:7) यशायाह और मीका दोनों ने भविष्यवाणी की थी कि “अन्त के दिनों में” यानी हमारे समय में जाति-जाति और देश-देश के लोग यहोवा के बताए तरीके से उसकी उपासना करेंगे।—यशायाह 2:2-4; मीका 4:1-4.
क्या ये भविष्यवाणियाँ आज सचमुच पूरी हो रही हैं? क्यों न हम सबूतों पर एक नज़र डालें? पिछले दस सालों की ही बात लीजिए। उस दौरान 230 से भी अधिक देशों में 31,10,000 से ज़्यादा नए लोगों ने यहोवा को अपना समर्पण किया था। देखा जाए तो संसार भर में फिलहाल यहोवा की सेवा करनेवाले हर 10 साक्षियों में से 6 का बपतिस्मा पिछले दशक के दौरान ही हुआ था। सन् 2004 में औसतन हर दो मिनट में एक नया व्यक्ति परमेश्वर का समर्पित सेवक और मसीही कलीसिया का हिस्सा बना था! *
जैसे पहली सदी में हुआ था, आज भी ‘बड़ी संख्या में लोग विश्वास करके प्रभु की ओर फिर रहे हैं।’ हालाँकि सिर्फ गिनती में बढ़ोतरी यहोवा की आशीष का सबूत नहीं है, मगर इससे यह ज़रूर पता चलता है कि “[यहोवा] का हाथ” उन पर है। (प्रेरितों 11:21, NHT) ऐसी क्या वजह है कि लाखों लोग यहोवा की उपासना करने के लिए उसकी ओर खिंचे चले आ रहे हैं? और इस बात का खुद आप पर क्या असर पड़ना चाहिए?
नेकदिल इंसान खिंचे चले आते हैं
यीशु ने साफ शब्दों में कहा था: “कोई मेरे पास नहीं आ सकता, जब तक पिता, जिस ने मुझे भेजा है, उसे खींच न ले।” (यूहन्ना 6:44) जी हाँ, आखिरकार यहोवा ही है जो ‘अनंत जीवन के लिए सही मन रखनेवालों’ को अपने पास खींचता है। (प्रेरितों 13:48, NW) उसकी आत्मा लोगों को अपनी आध्यात्मिक ज़रूरत का एहसास दिला सकती है। (मत्ती 5:3) कुछ लोग शायद इसलिए परमेश्वर को जानने की कोशिश करें क्योंकि गलत काम करने की वजह से उनका ज़मीर उन्हें कचोटता है, या वे एक अच्छा भविष्य पाने को तरसते हैं, या उनके साथ कोई भयानक हादसा होता है। इस तरह वे सीख पाते हैं कि इंसान के बारे में परमेश्वर का मकसद क्या है।—मरकुस 7:26-30; लूका 19:2-10.
कई लोगों ने पाया है कि मसीही कलीसिया में बाइबल सिखाने के कार्यक्रम से उन्हें ऐसे सवालों के जवाब मिले हैं जिन्हें लेकर वे पहले बहुत परेशान थे। इसलिए वे यहोवा की उपासना करने के लिए खिंचे चले आए हैं।
इटली में ड्रग्स का धंधा करनेवाले डावीडे को ऐसा ही एक सवाल परेशान कर रहा था। उसका सवाल था, “अगर परमेश्वर है, तो लोगों के साथ अन्याय क्यों हो रहा है?” यह सवाल उसने एक साक्षी से किया मगर इसलिए नहीं कि वह उसका जवाब जानना चाहता था क्योंकि उसे धर्म में कोई खास दिलचस्पी नहीं थी। वह तो सिर्फ उस साक्षी के साथ बहसबाज़ी करना चाहता था। डावीडे कहता है: “मैंने सोचा वह साक्षी मुझे सही-सही जवाब देकर कायल नहीं कर सकता। मगर उसने बड़े धीरज के साथ मेरे सवाल का जवाब दिया और अपनी हर बात को बाइबल से पुख्ता किया। उस बातचीत ने मुझ पर गहरा असर किया।” इसके बाद, डावीडे ने अपनी ज़िंदगी सुधारनी शुरू की और आज वह यहोवा की सेवा कर रहा है।
कुछ लोग ज़िंदगी का मकसद जानने की तलाश करते हैं और यही बात उन्हें यहोवा के संगठन की तरफ खींच लाती है। क्रोएशिया के ज़ाग्रेब शहर में एक मनोरोगविज्ञानी खुद हताशा की शिकार थी। अपने इलाज के लिए वह एक मशहूर मनोरोगविज्ञानी के पास गयी। उसे बड़ा ताज्जुब हुआ जब उस डॉक्टर ने उसे ज़ाग्रेब में यहोवा के साक्षियों के शाखा दफ्तर का फोन नंबर दिया और अपने जान-पहचानवाले एक साक्षी का नाम भी। डॉक्टर ने उससे कहा: “मुझे लगता है कि ये लोग आपकी मदद कर सकते हैं। अगर मैं आपको चर्च जाने के लिए कहूँ तो वहाँ आपको सिर्फ बेजान मूर्तियाँ ही मिलेंगी—बोलने-सुननेवाला कोई नहीं है और हर तरफ मातम-सा छाया रहता है। मुझे नहीं लगता कि चर्च आपकी मदद कर सकता है। मैंने पहले भी कई मरीज़ों को यहोवा के साक्षियों के पास भेजा है और मेरी राय में यही आपके लिए सबसे बढ़िया इलाज होगा।” एक साक्षी जोड़े ने खुशी-खुशी इस स्त्री से मुलाकात की और बहुत जल्द उसके साथ बाइबल अध्ययन शुरू किया। कुछ ही हफ्तों में उस मनोरोज्ञविज्ञानी ने खुशी-खुशी कहा कि परमेश्वर के उद्देश्य के बारे में जानने से उसकी ज़िंदगी को एक मकसद मिल गया है।—कई लोगों ने पाया है कि जब उनके साथ कोई भयानक हादसा होता है, तो ऐसे में सिर्फ बाइबल की सच्चाई सही मायनों में दिलासा देती है। यूनान में सात साल के एक लड़के की स्कूल की छत से गिरने की वजह से मौत हो गयी। कुछ महीनों बाद, उस लड़के की माँ की मुलाकात दो साक्षियों से हुई और उन्होंने पुनरुत्थान की आशा के बारे में बताकर उसे दिलासा दिया। (यूहन्ना 5:28, 29) इस पर उस लड़के की माँ फूट-फूटकर रोने लगी। बहनों ने उससे पूछा: “अगर आप बाइबल के बारे में और जानना चाहते हैं तो हम आपसे कब मिल सकते हैं?” माँ ने जवाब दिया: “अभी इसी वक्त।” और उन्हें अपने घर ले गयी और एक बाइबल अध्ययन शुरू हुआ। आज वह स्त्री और उसका पूरा परिवार यहोवा की सेवा कर रहा है।
क्या आप हिस्सा ले रहे हैं?
ये अनुभव तो बस एक झलक हैं कि दुनिया-भर में क्या हो रहा है। यहोवा अलग-अलग देशों से सच्चे उपासकों की एक बड़ी भीड़ को इकट्ठा कर रहा है और उन्हें सिखा रहा है। इस अंतर्राष्ट्रीय समूह के आगे क्या ही बढ़िया आशा है। वे इस दुष्ट संसार के अंत से बच निकलने और धार्मिकता की एक नयी दुनिया में जीने की उम्मीद रखते हैं।—2 पतरस 3:13.
बड़े पैमाने पर इकट्ठा किए जाने का यह काम यहोवा की आशीष की बदौलत ज़ोर-शोर से आगे बढ़ रहा है और बहुत जल्द पूरा होनेवाला है। (यशायाह 55:10, 11; मत्ती 24:3, 14) क्या आप जोश के साथ राज्य के प्रचार काम में हिस्सा ले रहे हैं? अगर आप ऐसा कर रहे हैं, तो यकीन रखिए कि परमेश्वर आपके साथ है और आप भी भजनहार की तरह यह कह सकेंगे: “मुझे सहायता यहोवा की ओर से मिलती है।”—भजन 121:2.
[फुटनोट]
^ 2005 यहोवा के साक्षियों का कैलेंडर, सितंबर/अक्टूबर देखिए।
[पेज 9 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]
“कोई मेरे पास नहीं आ सकता, जब तक पिता, जिस ने मुझे भेजा है, उसे खींच न ले।”—यूहन्ना 6:44
[पेज 8 पर बक्स]
इस बढ़ोतरी के पीछे किसका हाथ है?
“यदि घर को यहोवा न बनाए, तो उसके बनानेवालों का परिश्रम व्यर्थ होगा।”—भजन 127:1.
“परमेश्वर ने बढ़ाया। इसलिये न तो लगानेवाला कुछ है, और न सींचनेवाला, परन्तु परमेश्वर जो बढ़ानेवाला है।”—1 कुरिन्थियों 3:6, 7.