“जागते रहो”—न्याय करने का समय आ पहुँचा है!
“जागते रहो”—न्याय करने का समय आ पहुँचा है!
इस अध्ययन लेख में दी गयी जानकारी जागते रहो! ब्रोशर से ली गयी है। इसे पूरी दुनिया में, 2004/05 के ज़िला अधिवेशन के दौरान रिलीज़ किया गया था।
“जागते रहो, क्योंकि तुम नहीं जानते कि तुम्हारा प्रभु किस दिन आएगा।”—मत्ती 24:42.
1, 2. यीशु ने अपने आने को किसके जैसा बताया?
आप क्या करेंगे अगर आपको मालूम पड़ता है कि एक चोर आपके पड़ोस के कई घरों में चोरी कर चुका है? बेशक, आप अपने अज़ीज़ों को और अपने कीमती सामान को बचाने के लिए चौकन्ना रहेंगे। क्योंकि आप जानते हैं कि चोर आने से पहले खत लिखकर नहीं बताता कि वह कब आ रहा है। इसके बजाय, वह चुपचाप और अचानक आता है।
2 यीशु ने अपने कई दृष्टांतों में बताया था कि चोर के काम करने का तरीका क्या है। (लूका 10:30; यूहन्ना 10:10) यीशु ने अन्त के समय के दौरान और न्याय करने के लिए उसके आने से पहले जो घटनाएँ घटेंगी, उसके बारे में यह चेतावनी दी: “इसलिये जागते रहो, क्योंकि तुम नहीं जानते कि तुम्हारा प्रभु किस दिन आएगा। परन्तु यह जान लो कि यदि घर का स्वामी जानता होता कि चोर किस पहर आएगा, तो जागता रहता; और अपने घर में सेंध लगने न देता।” (मत्ती 24:42, 43) जी हाँ, यीशु ने बताया था कि उसका आना चोर के आने की तरह होगा, जो अचानक आता है।
3, 4. (क) यीशु ने अपने आने के बारे में जो चेतावनी दी उसे मानने में क्या शामिल है? (ख) क्या सवाल खड़े होते हैं?
3 यह दृष्टांत बिलकुल सही था क्योंकि यह कोई नहीं जानता कि यीशु ठीक किस तारीख को आएगा। इसी भविष्यवाणी में पहले यीशु ने कहा था: “उस दिन और उस घड़ी के विषय में कोई नहीं जानता; न स्वर्ग के दूत, और न पुत्र, परन्तु केवल पिता।” (मत्ती 24:36) इसलिए यीशु ने अपने सुननेवालों से दरख्वास्त की: ‘तुम तैयार रहो।’ (मत्ती 24:44) जो यीशु की इन चेतावनियों को मानते हैं वे हमेशा तैयार रहेंगे और अच्छा चालचलन बनाए रखेंगे, फिर चाहे यहोवा की तरफ से दुष्टों को दंड देने के लिए यीशु कभी-भी आए।
4 तो फिर कुछ ज़रूरी सवाल खड़े होते हैं: क्या यीशु की चेतावनी सिर्फ दुनिया के लोगों के लिए है? या क्या सच्चे मसीहियों को भी ‘जागते रहने’ की ज़रूरत है? ‘जागते रहना’ इतना ज़रूरी क्यों है और हम ऐसा कैसे कर सकते हैं?
चेतावनी, किसके लिए?
5. हम कैसे जानते हैं कि ‘जागते रहने’ की चेतावनी सच्चे मसीहियों पर लागू होती है?
5 इसमें शक नहीं कि हमारे प्रभु का आना, दुनियावालों के लिए चोर के आने जैसा होगा, क्योंकि आज वे इस चेतावनी को अनसुना कर रहे हैं कि बहुत जल्द इस दुनिया पर एक बड़ी विपत्ति आनेवाली है। (2 पतरस 3:3-7) लेकिन सच्चे मसीहियों के बारे में क्या? प्रेरित पौलुस ने अपने साथी मसीहियों को लिखा: “तुम आप ठीक जानते हो कि जैसा रात को चोर आता है, वैसा ही प्रभु [यहोवा] का दिन आनेवाला है।” (1 थिस्सलुनीकियों 5:2) जी हाँ, हमें इस बात का पक्का यकीन है कि ‘यहोवा का दिन आनेवाला है।’ लेकिन क्या इसका मतलब यह है कि हमें जागते रहने की खास ज़रूरत नहीं है? गौर कीजिए कि यीशु ने अपने चेलों से क्या कहा था: “जिस घड़ी के विषय में तुम सोचते भी नहीं हो, उसी घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जाएगा।” (मत्ती 24:44) कुछ समय पहले, जब यीशु ने अपने चेलों को परमेश्वर के राज्य की खोज करते रहने का बढ़ावा दिया था, तब भी उसने उन्हें सावधान किया: “तुम . . . तैयार रहो, जिस घड़ी तुम सोचते भी नहीं, उस घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जाएगा।” (लूका 12:31, 40) तो क्या इससे यह साफ नहीं हो जाता कि यीशु ने खासकर अपने चेलों को ध्यान में रखकर यह चेतावनी दी थी कि “जागते रहो”?
6. हमें ‘जागते रहने’ की ज़रूरत क्यों है?
6 हमें “जागते” और “तैयार” रहने की ज़रूरत क्यों है? यीशु ने समझाया: “उस समय दो जन खेत में होंगे, एक ले लिया जाएगा और दूसरा छोड़ दिया जाएगा। दो स्त्रियां चक्की पीसती रहेंगी, एक ले ली जाएगी, और दूसरी छोड़ दी जाएगी।” (मत्ती 24:40, 41) इस दुष्ट संसार के नाश के वक्त सिर्फ उन लोगों को “ले लिया जाएगा” या उनका उद्धार होगा जो पहले से तैयार हैं। मगर वे लोग नाश होने के लिए “छोड़” दिए जाएँगे जो परमेश्वर के बताए तरीके से जीने के बजाय अपनी मन-मरज़ी करते हैं। इसमें वे लोग भी शामिल होंगे जो एक वक्त पर सच्चाई में थे तो सही, मगर जागते नहीं रहे।
7. अंत की सही तारीख न मालूम होने से हमें क्या करने का मौका मिलता है?
7 इस पुरानी दुनिया का अंत ठीक किस दिन आएगा, यह न मालूम होने की वजह से हमें यह दिखाने का मौका मिलता है कि हम परमेश्वर की सेवा नेक इरादे से करते हैं। वह कैसे? हमें लग सकता है कि अंत आने में बहुत देर हो रही है। दुःख की बात है कि ऐसी सोच रखने की वजह से यहोवा की सेवा में कुछ मसीहियों का जोश ठंडा पड़ गया है। लेकिन याद कीजिए कि जब हमने अपनी ज़िंदगी यहोवा को समर्पित की थी, तो हमने उसकी सेवा करने के लिए कोई शर्त नहीं रखी थी। जो लोग यहोवा को जानते हैं, उन्हें पता है कि अंत आने के बस थोड़े समय पहले जोश दिखाने से परमेश्वर को खुश नहीं किया जा सकता। यहोवा इंसान के दिल के इरादों को पढ़ सकता है।—1 शमूएल 16:7.
8. यहोवा के लिए प्यार कैसे हमें जागते रहने के लिए उकसाएगा?
8 हम यहोवा से सच्चा प्यार करते हैं, इसलिए हमें उसकी मरज़ी पूरी करने से सबसे ज़्यादा खुशी मिलती है। (भजन 40:8; मत्ती 26:39) हम सब यही चाहते हैं कि यहोवा की सेवा हमेशा-हमेशा करते रहें। हमारी आशा की अहमियत इसलिए नहीं घट जानी चाहिए क्योंकि हमने जितनी जल्दी इसके पूरा होने की उम्मीद की थी, वैसा नहीं हुआ है। और-तो-और, हमारे जागते रहने की सबसे बड़ी वजह यह है कि हम देखना चाहते हैं कि यहोवा का दिन आने से उसका मकसद कैसे पूरा होगा। यहोवा को खुश करने की हमारी दिली तमन्ना हमें उकसाती है कि हम ज़िंदगी के हर पहलू में उसके वचन को लागू करें और उसके राज्य को पहला स्थान दें। (मत्ती 6:33; 1 यूहन्ना 5:3) आइए देखें कि जागते रहने की चेतावनी का हमारे फैसलों पर और हमारे रोज़ के जीने के तरीके पर कैसा असर होना चाहिए।
किधर जा रही है आपकी ज़िंदगी?
9. आज क्यों लोगों के लिए होश में आने और यह समझने का वक्त है कि वे नाज़ुक दौर में जी रहे हैं?
9 आज बहुत-से लोगों को एहसास है कि कैसे बड़ी-बड़ी समस्याएँ और दिल-दहलानेवाली घटनाएँ रोज़ की खबरें बन गयी हैं। और हो सकता है, उनकी ज़िंदगी जिस दिशा में जा रही है, उससे वे खुश न हों। मगर क्या वे जानते हैं कि दुनिया की इन घटनाओं का असल में मतलब क्या है? क्या उन्हें मालूम है कि हम “जगत के अन्त” में जी रहे हैं? (मत्ती 24:3) क्या वे समझते हैं कि आज स्वार्थ और हिंसा का बढ़ना, यहाँ तक कि परमेश्वर के उसूलों के खिलाफ जाने का रवैया “अन्तिम दिनों” की निशानी है? (2 तीमुथियुस 3:1-5) उन्हें जल्द-से-जल्द होश में आने और यह समझने की ज़रूरत है कि आज वे एक नाज़ुक दौर में जी रहे हैं और यह ध्यान देने की ज़रूरत है कि उनकी ज़िंदगी किधर जा रही है।
10. यह पक्का करने के लिए कि हम जाग रहे हैं, हमें क्या करना चाहिए?
10 हमारे बारे में क्या, हमारी ज़िंदगी किस तरफ जा रही है? रोज़ाना हमें अपनी नौकरी, सेहत, परिवार और उपासना से जुड़े कई फैसले करने की ज़रूरत होती है। हमें मालूम है कि बाइबल इन मामलों के बारे में क्या कहती है और हमारी पूरी कोशिश होती है कि उसकी सलाह पर चलें। इसलिए हमें खुद से पूछना चाहिए: ‘क्या मैं ज़िंदगी की चिंताओं को अपने ऊपर इस कदर हावी होने देता हूँ कि मैं सही राह से भटकने लगा हूँ? क्या मैं दुनिया के तत्त्वज्ञान और उसके सोच-विचार के मुताबिक फैसले करने लगा हूँ?’ (लूका 21:34-36; कुलुस्सियों 2:8) हमें हर वक्त यह दिखाने की ज़रूरत है कि हम सम्पूर्ण मन से यहोवा पर भरोसा रखते हैं और अपनी समझ का सहारा नहीं लेते। (नीतिवचन 3:5) ऐसा करने पर ही हम “सत्य जीवन को” यानी परमेश्वर की नयी दुनिया में मिलनेवाली हमेशा की ज़िंदगी को वश में कर सकेंगे।—1 तीमुथियुस 6:12, 19.
11-13. (क) नूह के दिनों में और (ख) लूत के दिनों में जो हुआ, उससे हम क्या सीख सकते हैं?
11 बाइबल में ऐसी कई मिसालें हैं जो हमारे लिए एक चेतावनी है और जो जागते रहने में हमारी मदद करती हैं। आइए एक नज़र नूह के दिनों पर डालें। उस वक्त, परमेश्वर ने इस बात का ध्यान रखा कि जलप्रलय के आने की चेतावनी काफी समय पहले दी जाए। मगर नूह और उसके परिवार को छोड़ किसी ने भी इस चेतावनी पर कान नहीं लगाए। (2 पतरस 2:5) इस बारे में यीशु ने कहा: “जैसे नूह के दिन थे, वैसा ही मनुष्य के पुत्र का आना भी होगा। क्योंकि जैसे जल-प्रलय से पहिले के दिनों में, जिस दिन तक कि नूह जहाज पर न चढ़ा, उस दिन तक लोग खाते-पीते थे, और उन में ब्याह शादी होती थी। और जब तक जल-प्रलय आकर उन सब को बहा न ले गया, तब तक उन को कुछ भी मालूम न पड़ा; [‘उन्होंने तब तक कोई ध्यान न दिया,’ NW] वैसे ही मनुष्य के पुत्र का आना भी होगा।” (मत्ती 24:37-39) हम इससे क्या सबक सीख सकते हैं? अगर आज हममें से कोई ज़िंदगी की छोटी-मोटी चिंताओं में, यहाँ तक कि रोज़मर्रा के कामों में बहुत ज़्यादा समय बिताने लगा है और इसलिए वह परमेश्वर की सलाह के मुताबिक आध्यात्मिक कामों को पहली जगह नहीं देता, तो उसे अपना जीने का तरीका जाँचने की सख्त ज़रूरत है।—रोमियों 14:17.
12 ज़रा लूत के दिनों के बारे में भी सोचिए। लूत अपने परिवार के साथ सदोम शहर में रहता था, जहाँ दौलत की भरमार थी। मगर इस शहर में नैतिकता और अच्छाई का नामो-निशान मिट चुका था। इसलिए यहोवा ने उसका नाश करने के लिए अपने स्वर्गदूत भेजे। स्वर्गदूतों ने सदोम का नाश करने से पहले, लूत और उसके परिवार से कहा कि वे फौरन उस शहर को छोड़कर भाग जाएँ और पीछे मुड़कर न देखें। स्वर्गदूतों के उकसाने पर उन्होंने शहर छोड़ा तो सही, मगर ऐसा लगता है कि लूत की पत्नी का मन अब भी वहीं सदोम में अपने घर-बार और चीज़ों पर लगा हुआ था। उसने स्वर्गदूतों की बात नहीं मानी और पीछे मुड़कर देख लिया। इसकी उसे भारी कीमत चुकानी पड़ी—वह अपनी जान गँवा बैठी। (उत्पत्ति 19:15-26) यीशु ने भविष्यवाणी में यह चेतावनी दी: “लूत की पत्नी को स्मरण रखो।” क्या आज हम इस चेतावनी को मान रहे हैं?—लूका 17:32.
13 बीते ज़माने में, सिर्फ वे लोग ज़िंदा बचे जिन्होंने परमेश्वर की चेतावनी को माना था। जैसे नूह और उसका परिवार, और लूत और उसकी बेटियाँ। (2 पतरस 2:9) अब तक हमने जिन मिसालों को देखा उनसे चेतावनी के साथ-साथ धार्मिकता से प्यार करनेवालों के लिए एक छुटकारे की खुशखबरी भी मिलती है। यह खुशखबरी हमें एक पक्की आशा देती है कि “नए आकाश और नई पृथ्वी” के बारे में यहोवा का वादा ज़रूर पूरा होगा जिसमें “धार्मिकता बास करेगी।”—2 पतरस 3:13.
“न्याय करने का समय आ पहुंचा है”!
14, 15. (क) न्याय के “समय” या घड़ी में क्या शामिल है? (ख) ‘परमेश्वर से डरने और उस की महिमा’ करने में क्या शामिल है?
14 जागते रहने के साथ-साथ हम क्या उम्मीद कर सकते हैं? प्रकाशितवाक्य की किताब में उन घटनाओं का सिलसिला बताया है जिनके घटने से परमेश्वर का मकसद पूरा होगा। अगर हम तैयार रहना चाहते हैं, तो हमें इस किताब में दी गयी बातों के मुताबिक काम करना ज़रूरी है। भविष्यवाणी साफ-साफ बताती है कि ये घटनाएँ “प्रभु के दिन” में घटेंगी जो सन् 1914 से शुरू हुआ जब यीशु स्वर्ग में राजा बना। (प्रकाशितवाक्य 1:10) प्रकाशितवाक्य की किताब बताती है कि बीच आकाश में उड़ते एक स्वर्गदूत को “सनातन सुसमाचार” सुनाने का काम सौंपा गया है। यह स्वर्गदूत बुलंद आवाज़ में ऐलान करता है: “परमेश्वर से डरो; और उस की महिमा करो; क्योंकि उसके न्याय करने का समय आ पहुंचा है।” (प्रकाशितवाक्य 14:6, 7) न्याय करने का यह “समय” बहुत लंबा नहीं होगा। भविष्यवाणी बताती है कि इस समय या घड़ी में न्यायदंड का न सिर्फ ऐलान किया जाएगा बल्कि दुष्टों को सज़ा भी दी जाएगी। आज हम उसी समय में जी रहे हैं।
15 इससे पहले कि न्याय की वह घड़ी खत्म हो, आज हमसे यह गुज़ारिश की जा रही है: “परमेश्वर से डरो; और उस की महिमा करो।” इसमें क्या शामिल है? परमेश्वर के लिए सही किस्म का भय हमें बुराई के रास्ते से फिरने के लिए उकसाएगा। (नीतिवचन 8:13) अगर हम परमेश्वर की महिमा करते हैं, तो हम गहरे आदर के साथ उसकी बात सुनेंगे। हम दूसरे कामों में इतने डूब नहीं जाएँगे कि उसके वचन, बाइबल को हर दिन पढ़ने के लिए हमें समय न मिले। और न ही हम मसीही सभाओं में हाज़िर होने की सलाह को कम आँकेंगे। (इब्रानियों 10:24, 25) यहोवा का मसीहाई राजा, आज स्वर्ग से शासन कर रहा है, इस संदेश को पूरे जोश के साथ सुनाने की ज़िम्मेदारी को हम बड़े सम्मान की बात समझेंगे। हम हर घड़ी, हर वक्त और पूरे दिल से यहोवा पर भरोसा रखेंगे। (भजन 62:8) हम मानते हैं कि यहोवा परमेश्वर पूरे जहान का मालिक है, इसलिए सारे विश्व पर हुकूमत करने का हक उसी का है। हम खुशी-खुशी उसकी हुकूमत को कबूल करके उसका सम्मान करते हैं। क्या आप सच में यहोवा का भय मानते हैं और इन सब तरीकों से उसकी महिमा करते हैं?
16. हम ऐसा क्यों कह सकते हैं कि प्रकाशितवाक्य 14:8 में बताया दंड, बड़े बाबुल को मिल चुका है?
16 प्रकाशितवाक्य का 14वाँ अध्याय, न्याय के समय में घटनेवाली कई और अहम घटनाओं की तरफ हमारा ध्यान खींचता है। इस अध्याय में सबसे पहले बड़े बाबुल यानी दुनिया-भर में फैले झूठे धर्म का ज़िक्र है। यह बताता है: “इस के बाद एक और दूसरा स्वर्गदूत यह कहता हुआ आया, कि गिर पड़ा, वह बड़ा बाबुल गिर पड़ा।” (प्रकाशितवाक्य 14:8) जी हाँ, परमेश्वर की नज़र में बड़ा बाबुल गिर चुका है। सन् 1919 में, यहोवा के अभिषिक्त सेवकों को बड़े बाबुल की शिक्षाओं और रीति-रिवाज़ों की बेड़ियों से आज़ाद किया गया था। इन शिक्षाओं ने हज़ारों सालों से देशों और लोगों को अपनी गिरफ्त में रखा है। (प्रकाशितवाक्य 17:1, 15) उसके बाद से, ये अभिषिक्त सेवक सच्ची उपासना को बढ़ाने के काम में ज़ोर-शोर से लग गए। तब से सारी दुनिया में यहोवा के राज्य के बारे में खुशखबरी सुनायी जा रही है।—मत्ती 24:14.
17. बड़े बाबुल से बाहर निकलने के लिए क्या करना ज़रूरी है?
17 परमेश्वर, बड़े बाबुल को सिर्फ इतना ही दंड नहीं देता। बहुत जल्द उसका पूरी तरह नाश होनेवाला है। (प्रकाशितवाक्य 18:21) इसलिए बाइबल सभी लोगों से गुज़ारिश करती है: “उस [बड़े बाबुल] में से निकल आओ; कि तुम उसके पापों में भागी न हो।” (प्रकाशितवाक्य 18:4, 5) हम बड़े बाबुल से कैसे निकल सकते हैं? ऐसा करने में सिर्फ बड़े बाबुल से पूरी तरह नाता तोड़ लेना ही काफी नहीं है। आज कई जाने-माने त्योहारों और रस्मो-रिवाज़ों में भी बड़े बाबुल का असर देखने को मिलता है। साथ ही, इसका असर लैंगिकता के मामले में खुली छूट देने में, और मनोरंजन में प्रेतात्मवाद को बढ़ावा देने वगैरह में नज़र आता है। इसलिए जागते रहने के लिए ज़रूरी है कि हम अपने कामों और अपनी इच्छाओं से साबित करें कि हम हर तरीके से और सचमुच बड़े बाबुल से नाता तोड़ चुके हैं।
18. प्रकाशितवाक्य 14:9, 10 को ध्यान में रखकर वफादार मसीही किस बात की सावधानी बरतते हैं?
18 प्रकाशितवाक्य 14:9, 10 में ‘न्याय के समय’ के बारे में कुछ और भी बताया गया है। एक और स्वर्गदूत कहता है: ‘जो कोई उस पशु और उस की मूरत की पूजा करे, और अपने माथे या अपने हाथ पर उस की छाप ले, तो वह परमेश्वर के प्रकोप की मदिरा पीएगा।’ क्यों? क्योंकि “पशु और उस की मूरत” इंसानी सरकारों को दर्शाती हैं जो यहोवा की हुकूमत को नहीं मानतीं। वफादार मसीही सावधानी बरतते हैं कि सच्चे परमेश्वर की सबसे बड़ी हुकूमत का विरोध करनेवालों की छाप या उनका असर उन पर न पड़े। वे अपने सोच-विचार या कामों से यह नहीं दिखाना चाहते कि वे ऐसे लोगों के गुलाम हैं। मसीही जानते हैं कि यहोवा स्वर्ग में अपना राज्य स्थापित कर चुका है और यह राज्य सभी इंसानी सरकारों को चूर-चूर करेगा और सदा कायम रहेगा।—दानिय्येल 2:44.
वक्त की नज़ाकत को न भूलें!
19, 20. (क) जैसे-जैसे ये अंतिम दिन खत्म होनेवाले हैं, शैतान क्या करने की कोशिश करेगा? (ख) हमें क्या करने की ठान लेनी चाहिए?
19 जैसे-जैसे ये अंतिम दिन खत्म होने को आ रहे हैं, हर तरह के दबाव और परीक्षाएँ बढ़ती ही जाएँगी। जब तक हम इस पुराने संसार में हैं, हमारी अपनी असिद्धता की वजह से हम पर कई तकलीफें आती रहेंगी, जैसे सेहत बिगड़ना, बुढ़ापा, अपने किसी अज़ीज़ की मौत, प्रचार काम में अच्छे नतीजे न मिलना, दूसरों की बातों या कामों से चोट पहुँचना और दूसरे कई कारण। मगर याद रखिए कि हम जिन आज़माइशों का सामना कर रहे हैं, शैतान उनका इस्तेमाल करता है ताकि हम हार मान लें और सुसमाचार का प्रचार करना और परमेश्वर के स्तरों के मुताबिक जीना छोड़ दें। (इफिसियों 6:11-13) यह समय धीमा पड़ने का नहीं है, ना ही वक्त की नज़ाकत को भूलने का है!
20 यीशु जानता था कि हम पर भारी दबाव आएँगे ताकि हम हार मान जाएँ। इसलिए उसने हमें यह सलाह दी: “जागते रहो, क्योंकि तुम नहीं जानते कि तुम्हारा प्रभु किस दिन आएगा।” (मत्ती 24:42) इसलिए, आइए हम हमेशा ‘जागते रहें’ और ध्यान दें कि हम समय की धारा में कहाँ हैं। आइए हम शैतान की चालों से खबरदार रहें, जिनकी वजह से हम सच्चाई में धीमे पड़ सकते हैं या इसे छोड़ सकते हैं। आइए हम ठान लें कि हम और भी जोश से और पक्के इरादे के साथ परमेश्वर के राज्य की खुशखबरी फैलाते रहेंगे। इसलिए यह समझते हुए कि हम किस दौर में जी रहे हैं, आइए हम यीशु की इस चेतावनी को मानें: “जागते रहो।” ऐसा करने से हम यहोवा की महिमा करेंगे और उन लोगों में से एक होंगे जिन्हें हमेशा की ज़िंदगी मिलने की आशा है।
आप कैसे जवाब देंगे?
• हम कैसे जानते हैं कि ‘जागते रहने’ की यीशु की चेतावनी, सच्चे मसीहियों पर लागू होती है?
• बाइबल में हमारी चेतावनी के लिए दी गयी कौन-सी मिसालें ‘जागते रहने’ में हमारी मदद कर सकती हैं?
• न्याय करने का समय क्या है, और इस समय के खत्म होने से पहले हमसे क्या करने की गुज़ारिश की गयी है?
[अध्ययन के लिए सवाल]
[पेज 23 पर तसवीर]
यीशु ने बताया था कि उसका आना चोर के आने की तरह होगा
[पेज 24 पर तसवीर]
बड़े बाबुल का अंत बहुत जल्द होनेवाला है
[पेज 25 पर तसवीरें]
आइए हम ठान लें कि हम पहले से और भी ज़्यादा जोश और पक्के इरादे के साथ प्रचार करेंगे