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“यहोवा के मार्ग सीधे हैं”

“यहोवा के मार्ग सीधे हैं”

“यहोवा के मार्ग सीधे हैं”

“यहोवा के मार्ग सीधे हैं, और धर्मी उन में चलते रहेंगे।”होशे 14:9.

1, 2. यहोवा ने इस्राएलियों को कैसी शुरूआत दी थी, मगर उन्होंने क्या किया?

 भविष्यवक्‍ता मूसा के दिनों में यहोवा ने इस्राएलियों को सीधा मार्ग दिखाकर उन्हें अच्छी शुरूआत दी थी। लेकिन सा.यु.पू. आठवीं सदी तक आते-आते, वे बुराई में इस कदर डूब चुके थे कि परमेश्‍वर की नज़रों में घोर पापी बन गए। इसका सबूत हमें होशे के अध्याय 10 से 14 में साफ दिखाई देता है।

2 दस गोत्रवाली इस्राएल जाति के लोग कपटी हो गए थे। उन्होंने “दुष्टता के लिए हल जोता था” और अधर्म का फल काटा। (होशे 10:1, 13) यहोवा ने कहा: “जब इस्राएल बालक था, तब मैं ने उस से प्रेम किया, और अपने पुत्र को मिस्र से बुलाया।” (होशे 11:1) परमेश्‍वर ने इस्राएलियों को मिस्र की गुलामी से छुड़ाया था, मगर बदले में उन्होंने झूठ और छल से काम लिया। (होशे 11:12) इसलिए यहोवा ने उन्हें यह सलाह दी: “तू अपने परमेश्‍वर की ओर फिर; कृपा और न्याय के काम करता रह।”—होशे 12:6.

3. विद्रोही सामरिया का क्या हश्र होनेवाला था, मगर इस्राएलियों को दया पाने के लिए क्या करना था?

3 विद्रोही सामरिया और उसके राजा का भयानक अंत होनेवाला था। (होशे 13:11, 16) मगर होशे की भविष्यवाणी के आखिरी अध्याय की शुरूआत इस गुज़ारिश से होती है: “हे इस्राएल, अपने परमेश्‍वर यहोवा के पास लौट आ।” अगर इस्राएली अपने पापों से पश्‍चाताप करते और परमेश्‍वर से माफी माँगते, तो वह उन पर रहम करता। बेशक उन्हें यह कबूल करना पड़ता कि “यहोवा के मार्ग सीधे हैं” और फिर उन मार्गों पर चलना था।—होशे 14:1-6, 9.

4. होशे की भविष्यवाणी के किन सिद्धांतों पर हम चर्चा करेंगे?

4 होशे की भविष्यवाणी के इस भाग में ऐसे कई सिद्धांत दिए गए हैं जो परमेश्‍वर के साथ-साथ चलने में हमारी मदद कर सकते हैं। हम इन सिद्धांतों पर चर्चा करेंगे: (1) यहोवा माँग करता है कि उसकी उपासना बिना किसी कपट के की जाए, (2) परमेश्‍वर अपने लोगों के लिए सच्चा प्यार दिखाता है, (3) हमें यहोवा पर हमेशा आस लगाए रखनी चाहिए, (4) यहोवा के मार्ग हमेशा सीधे होते हैं और (5) पापी, यहोवा के पास लौट सकते हैं।

यहोवा माँग करता है कि उसकी उपासना बिना किसी कपट के की जाए

5. यहोवा हमसे किस तरह की सेवा चाहता है?

5 यहोवा माँग करता है कि हम उसकी पवित्र सेवा, शुद्धता और बिना किसी कपट के करें। मगर इस्राएल, एक ऐसी “लहलहाती हुई [“जंगली,” NW] दाखलता” बन गया था, जिस पर निकम्मे फल लगते थे। इस्राएल देश के लोगों ने झूठी उपासना के लिए “अधिक वेदियां” बना ली थीं। इन धर्मत्यागियों ने लाठें भी बना ली थीं। ये लाठें शायद चौकोर खंभे थे जो घिनौनी किस्म की उपासना में इस्तेमाल किए जाते थे। यहोवा अब इन वेदियों को ढानेवाला था और खंभों को नाश करनेवाला था।—होशे 10:1, 2.

6. अगर हम परमेश्‍वर के साथ-साथ चलना चाहते हैं, तो हमें किस अवगुण से दूर रहना चाहिए?

6 यहोवा के सेवकों के दिल में कपट के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। लेकिन इस्राएलियों को क्या हो गया था? “उनका मन बटा हुआ” था यानी कपट से भरा हुआ था! कहने को तो उनकी पूरी जाति यहोवा को समर्पित थी, मगर यहोवा की नज़र में यह एक फरेब था। हम इससे क्या सबक सीख सकते हैं? अगर हमने अपनी ज़िंदगी यहोवा को समर्पित की है तो हमें कपटी नहीं होना चाहिए। नीतिवचन 3:32 हमें खबरदार करता है: “यहोवा कुटिल से घृणा करता है, परन्तु वह अपना भेद सीधे लोगों पर खोलता है।” अगर हम परमेश्‍वर के साथ-साथ चलना चाहते हैं, तो हमें “शुद्ध मन और अच्छे विवेक, और कपटरहित विश्‍वास से” उसके लिए प्रेम ज़ाहिर करना होगा।—1 तीमुथियुस 1:5.

परमेश्‍वर अपने लोगों को सच्चा प्यार दिखाता है

7, 8. (क) परमेश्‍वर का सच्चा प्यार हमेशा पाने के लिए हमें क्या करना होगा? (ख) अगर हमने कोई गंभीर पाप किया है तो हमें क्या करना चाहिए?

7 अगर हम यहोवा की उपासना बिना किसी कपट से और खराई के साथ करें, तो हम उसकी निरंतर प्रेम-कृपा या सच्चा प्यार पाएँगे। भटके हुए इस्राएलियों से कहा गया था: “अपने लिये धर्म का बीज बोओ, तब करुणा के अनुसार खेत काटने पाओगे; अपनी पड़ती भूमि को जोतो; देखो, अभी यहोवा के पीछे हो लेने का समय है, कि वह आए और तुम्हारे ऊपर उद्धार बरसाए।”—होशे 10:12.

8 काश, इस्राएली पश्‍चाताप करके यहोवा की खोज करते! तब वह खुशी-खुशी ‘उन पर उद्धार बरसाता’ या जैसे न्यू वर्ल्ड ट्रांस्लेशन में कहा गया है, वह ‘उन्हें धार्मिकता का उपदेश देता।’ अगर हमने कोई गंभीर पाप किया है, तो आइए हम यहोवा की खोज करें, उससे प्रार्थना करके माफी की भीख माँगें और मसीही प्राचीनों से आध्यात्मिक मदद लें। (याकूब 5:13-16) हमें परमेश्‍वर की पवित्र आत्मा का मार्गदर्शन भी लेना चाहिए, क्योंकि बाइबल कहती है कि “जो अपने शरीर के लिये बोता है, वह शरीर के द्वारा विनाश की कटनी काटेगा; और जो आत्मा के लिये बोता है, वह आत्मा के द्वारा अनन्त जीवन की कटनी काटेगा।” (गलतियों 6:8) अगर हम ‘आत्मा के लिए बोएँगे,’ तो परमेश्‍वर का सच्चा प्यार हमेशा पाते रहेंगे।

9, 10. होशे 11:1-4 इस्राएलियों पर कैसे लागू होता है?

9 हम पूरा भरोसा रख सकते हैं कि यहोवा अपने लोगों के साथ हमेशा प्यार से पेश आता है। इस बात का सबूत होशे 11:1-4 में दिया गया है। यहाँ हम पढ़ते हैं: “जब इस्राएल बालक था, तब मैं ने उस से प्रेम किया, और अपने पुत्र को मिस्र से बुलाया। . . . वे बाल देवताओं के लिये बलिदान करते, और खुदी हुई मूरतों के लिये धूप जलाते गए। मैं ही एप्रैम [यानी इस्राएलियों] को पांव-पांव चलाता था, और उनको गोद में लिए फिरता था; परन्तु वे न जानते थे कि उनका चंगा करनेवाला मैं हूं। मैं उनको मनुष्य जानकर प्रेम की डोरी से खींचता था, और जैसा कोई बैल के गले की जोत खोलकर उसके साम्हने आहार रख दे, वैसा ही मैं ने उन से किया।”

10 इन आयतों में यहोवा, इस्राएल की तुलना एक छोटे बच्चे से करता है। उसने बड़े प्यार से इस्राएलियों को चलना सिखाया और वह उन्हें गोद में लिए फिरा। वह “प्रेम की डोरी” से उन्हें अपनी तरफ खींचता रहा। यहोवा के प्यार की यह मिसाल हमारे दिल को कैसे छू जाती है! कल्पना कीजिए कि आपका एक छोटा बच्चा है और आप उसे चलना सिखा रहे हैं। जब वह नन्हे-नन्हे कदम रखकर आगे बढ़ता है तो शायद आप उसके सामने अपनी बाहें फैलाएँ। या हो सकता है आप एक डोरी के दोनों सिरे कहीं बाँध दें, और इस डोरी का सहारा लेकर वह चले और ना गिरे। यहोवा के दिल में भी आपके लिए ऐसी ही कोमल भावना है। आपको “प्रेम की डोरी” से ले चलने में उसे बहुत खुशी होती है।

11. परमेश्‍वर किस मायने में ‘जोत खोलनेवाला’ बना?

11 इस्राएलियों के साथ यहोवा इस तरह पेश आया जैसे “कोई बैल के गले की जोत खोलकर उसके साम्हने आहार रख दे।” एक व्यक्‍ति अपने जानवर को चारा देने के लिए उसका जूआ खोल देता है या जूए को पीछे की तरफ कर देता है ताकि जानवर आराम से चारा खा सके। ठीक इसी तरह यहोवा परमेश्‍वर ने इस्राएलियों के साथ किया। दरअसल, इस्राएलियों को अपने दुश्‍मनों के ज़ुल्मों का जूआ उठाना पड़ा और उनके ज़ुल्म सहने पड़े क्योंकि यहोवा के अधीन रहने के जूए को उन्होंने तोड़ दिया था। (व्यवस्थाविवरण 28:45, 48; यिर्मयाह 28:14) हम उनके जैसे कभी न बनें और अपने सबसे बड़े दुश्‍मन, शैतान के चंगुल में न फँसें, वरना हमें उसका जूआ ढोकर ज़ुल्म और दुःख-दर्द सहने पड़ेंगे। इसके बजाय, आइए हम अपने प्यारे परमेश्‍वर यहोवा के वफादार रहें और उसके साथ चलते रहें।

यहोवा पर आस लगाए रहिए

12. होशे 12:6 के मुताबिक, अगर हम परमेश्‍वर के साथ-साथ चलते रहना चाहते हैं तो हमें क्या करना होगा?

12 परमेश्‍वर के साथ-साथ चलते रहने के लिए, हमें लगातार यहोवा पर आस लगाए रखनी चाहिए। इस्राएलियों को बताया गया था: “तू अपने परमेश्‍वर की ओर फिर; कृपा और न्याय के काम करता रह, और अपने परमेश्‍वर की बाट निरन्तर जोहता रह।” (होशे 12:6) इस्राएल के लोगों को चाहिए था कि वे कृपा दिखाएँ, न्याय के काम करें और ‘निरन्तर यहोवा की बाट जोहते रहें,’ यानी उस पर आस लगाए रहें। ऐसा करके वे साबित कर सकते थे कि वे पश्‍चाताप करके यहोवा के पास लौट आए हैं। आज हमें यहोवा के साथ-साथ चलते हुए चाहे थोड़ा ही वक्‍त हुआ हो या बरसों बीत गए हों, मगर हमारा यही इरादा होना चाहिए कि हम कृपा और न्याय के काम करते रहेंगे और परमेश्‍वर पर आस लगाए रखेंगे।—भजन 27:14.

13, 14. पौलुस, होशे 13:14 को कैसे लागू करता है, और इससे हमें यहोवा पर आस लगाए रहने के लिए क्या कारण मिलता है?

13 होशे ने इस्राएलियों के बारे में जो भविष्यवाणी की थी, उससे हमें परमेश्‍वर पर आस लगाए रहने की एक खास वजह मिलती है। यहोवा ने कहा: “मैं उसको अधोलोक के वश से छुड़ा लूंगा और मृत्यु से उसको छुटकारा दूंगा। हे मृत्यु, तेरी मारने की शक्‍ति कहां रही? हे अधोलोक, तेरी नाश करने की शक्‍ति कहां रही?” (होशे 13:14) यहोवा का यह इरादा नहीं था कि वह उस वक्‍त इस्राएलियों को मौत के चंगुल से छुड़ाए। मगर हाँ, भविष्य में वह मृत्यु को हमेशा के लिए मिटा देगा। आज तक मौत जीत हासिल करती आयी है, लेकिन भविष्य में उसकी हार होगी।

14 पौलुस ने होशे की भविष्यवाणी का हवाला देकर अपने अभिषिक्‍त मसीही साथियों को लिखा: “जब यह नाशमान अविनाश को पहिन लेगा, और यह मरनहार अमरता को पहिन लेगा, तब वह वचन जो लिखा है, पूरा हो जाएगा, कि जय ने मृत्यु को निगल लिया। हे मृत्यु तेरी जय कहां रही? हे मृत्यु तेरा डंक कहां रहा? मृत्यु का डंक पाप है; और पाप का बल व्यवस्था है। परन्तु परमेश्‍वर का धन्यवाद हो, जो हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा हमें जयवन्त करता है।” (1 कुरिन्थियों 15:54-57) यहोवा ने यीशु का पुनरुत्थान करके यह गारंटी दी है कि जो मरे हुए उसकी याद में बसे हैं, वे दोबारा ज़िंदा किए जाएँगे। उसका यह वादा हमें कितना दिलासा देता है! (यूहन्‍ना 5:28, 29) वाकई, यहोवा पर आस लगाए रहने का यह क्या ही बढ़िया कारण है! लेकिन पुनरुत्थान की आशा के अलावा, परमेश्‍वर के साथ-साथ चलने के लिए हमारे पास एक और ठोस कारण है।

यहोवा के मार्ग हमेशा सीधे होते हैं

15, 16. सामरिया के बारे में क्या भविष्यवाणी की गयी थी, और यह भविष्यवाणी कैसे पूरी हुई?

15 हमारा यह पक्का यकीन कि “यहोवा के मार्ग सीधे हैं,” हमें उसके साथ-साथ चलने में मदद देता है। सामरिया के निवासी, परमेश्‍वर के धर्मी मार्गों पर नहीं चले थे। इसलिए, उन्हें परमेश्‍वर पर विश्‍वास न दिखाने और पाप करने की वजह से भारी कीमत चुकानी पड़ी। उनके बारे में यह भविष्यवाणी की गयी थी: “सामरिया दोषी ठहरेगा, क्योंकि उस ने अपने परमेश्‍वर से बलवा किया है; वे तलवार से मारे जाएंगे, उनके बच्चे पटके जाएंगे, और उनकी गर्भवती स्त्रियां चीर डाली जाएंगी।” (होशे 13:16) इतिहास दिखाता है कि अश्‍शूरी, जिन्होंने सामरिया को हराया था वे ऐसे भयानक ज़ुल्म ढाने के लिए जाने जाते थे।

16 सामरिया शहर, दस गोत्रवाले इस्राएल राज्य की राजधानी था। लेकिन इस वाकये में पूरे इस्राएल राज्य को सामरिया कहा गया है। (1 राजा 21:1) अश्‍शूरी राजा, शल्मनेसेर पंचम ने सा.यु.पू. 742 में सामरिया शहर को घेर लिया था। आखिरकार, सा.यु.पू. 740 में अश्‍शूर ने सामरिया को हरा दिया और यहाँ की कई महान हस्तियों को बंदी बनाकर मेसोपोटामिया और मादै देश ले गया। यह बात पक्की नहीं है कि सामरिया पर शल्मनेसेर पंचम ने कब्ज़ा किया था या उसके बाद गद्दी पर बैठनेवाले, सर्गोन द्वितीय ने। (2 राजा 17:1-6, 22, 23; 18:9-12) सामरिया को चाहे जिसने भी हराया हो, मगर सर्गोन का ऐतिहासिक रिकॉर्ड कहता है कि 27,290 इस्राएलियों को बंदी बनाकर ऊपरी फरात के इलाके और मादै देश ले जाया गया था।

17. परमेश्‍वर के धर्मी स्तरों को तुच्छ जानने के बजाय हमें क्या करना चाहिए?

17 यहोवा के सीधे मार्गों पर न चलने की सामरिया के लोगों ने भारी कीमत चुकायी। समर्पित मसीही होने के नाते, अगर हम भी पाप करने के आदी हो जाएँ और परमेश्‍वर के धर्मी स्तरों को तुच्छ जानें, तो हमें भी बुरे अंजाम भुगतने पड़ेंगे। हम दुष्टता का ऐसा रास्ता कभी इख्तियार न करें! इसके बजाय, आइए हममें से हरेक जन प्रेरित पतरस की इस सलाह को माने: “तुम में से कोई व्यक्‍ति हत्यारा या चोर, या कुकर्मी होने, या पराए काम में हाथ डालने के कारण दुख न पाए। पर यदि मसीही होने के कारण दुख पाए, तो लज्जित न हो, पर इस बात के लिये परमेश्‍वर की महिमा करे।”—1 पतरस 4:15,16.

18. हम कैसे ‘परमेश्‍वर की महिमा करते रह’ सकते हैं?

18 अपनी मरज़ी से चलने के बजाय, हम परमेश्‍वर के सीधे मार्गों पर चलते रहकर ‘उसकी महिमा करते’ हैं। कैन ने अपनी मरज़ी पर चलकर अपने भाई का कत्ल कर दिया और उसने यहोवा की इस चेतावनी को अनसुना कर दिया कि पाप बहुत जल्द उस पर हावी होनेवाला था। (उत्पत्ति 4:1-8) बिलाम ने मोआब के राजा से इनाम पाने के लालच में इस्राएल को शाप देने की कोशिश की, मगर वह नाकाम रहा। (गिनती 24:10) और जब लेवी कोरह और दूसरों ने मूसा और हारून के अधिकार के खिलाफ बगावत की, तो परमेश्‍वर ने उन्हें मौत की सज़ा दी। (गिनती 16:1-3, 31-33) बेशक, हम नहीं चाहेंगे कि हम ‘कैन के पथ पर चलें, तुच्छ लाभ के लिये बिलाम की नाईं पथभ्रष्ट हो जाएँ’ या ‘कोरह के समान विद्रोह में नष्ट हो जाएँ’! (यहू. 11, नयी हिन्दी बाइबिल) फिर भी, अगर हममें से किसी से कोई गलती हो जाती है, तो उसे होशे की भविष्यवाणी सांत्वना देती है।

पापी यहोवा के पास लौट सकते हैं

19, 20. पश्‍चातापी इस्राएली परमेश्‍वर को कौन-से बलिदान चढ़ा पाए थे?

19 जिन लोगों ने गंभीर पाप करके ठोकर खायी है, वे भी यहोवा के पास लौट सकते हैं। होशे 14:1, 2 में यह गुज़ारिश की गयी है: “हे इस्राएल, अपने परमेश्‍वर यहोवा के पास लौट आ, क्योंकि तू ने अपने अधर्म के कारण ठोकर खाई है। बातें सीखकर और यहोवा की ओर फिरकर, उस से कह, सब अधर्म दूर कर; अनुग्रह से हम को ग्रहण कर; तब हम धन्यवाद रूपी बलि चढ़ाएंगे।”

20 जिन इस्राएलियों ने पश्‍चाताप किया था, वे परमेश्‍वर को “धन्यवाद रूपी बलि” चढ़ा पाए। ये सच्चे दिल से की जानेवाली स्तुति के बलिदान थे। पौलुस ने इसी भविष्यवाणी की तरफ इशारा करके मसीहियों को उकसाया कि वे “स्तुतिरूपी बलिदान, अर्थात्‌ उन होठों का फल जो उसके नाम का अंगीकार करते हैं, परमेश्‍वर के लिये सर्वदा चढ़ाया करें।” (इब्रानियों 13:15) आज हमें परमेश्‍वर के साथ-साथ चलने और इस तरह के बलिदान उसे अर्पित करने का क्या ही खास सम्मान मिला है!

21, 22. पश्‍चातापी इस्राएली किस तरह की बहाली का अनुभव करते?

21 जो इस्राएली बगावत का रास्ता छोड़कर परमेश्‍वर के पास लौट आए, उन्होंने उसे “धन्यवाद रूपी बलि” चढ़ायी। इस तरह वे आध्यात्मिक मायनों में बहाल किए गए, ठीक जैसा परमेश्‍वर ने वादा किया था। होशे 14:4-7 कहता है: “मैं [यहोवा] उनकी भटक जाने की आदत को दूर करूंगा; मैं सेंतमेंत उन से प्रेम करूंगा, क्योंकि मेरा क्रोध उन पर से उतर गया है। मैं इस्राएल के लिये ओस के समान हूंगा; वह सोसन की नाईं फूले-फलेगा, और लबानोन की नाईं जड़ फैलाएगा। उसकी जड़ से पौधे फूटकर निकलेंगे; उसकी शोभा जलपाई की सी, और उसकी सुगन्ध लबानोन की सी होगी। जो उसकी छाया में बैठेंगे, वे अन्‍न की नाईं बढ़ेंगे, वे दाखलता की नाईं फूले-फलेंगे; और उसकी कीर्त्ति लबानोन के दाखमधु की सी होगी।”

22 पश्‍चाताप करनेवाले इस्राएली, आध्यात्मिक तरीके से चंगे किए जाते और दोबारा यहोवा का प्यार पाते। यहोवा उन्हें ढेरों आशीषें देता और इस मायने में उनके लिए ताज़गी देनेवाले ओस के समान होता। जब उसके लोग बहाल किए जाते तो उनकी शोभा जैतून या ‘जलपाई की सी’ होती और वे परमेश्‍वर के मार्गों पर चलते। आज जब हमने यहोवा परमेश्‍वर के साथ-साथ चलने की ठान ली है, तो हमसे क्या माँग की जाती है?

परमेश्‍वर के सीधे मार्गों पर चलते रहिए

23, 24. होशे की किताब कौन-सी हौसला बढ़ानेवाली भविष्यवाणी के साथ खत्म होती है, और इसका हम पर कैसा असर पड़ता है?

23 अगर हम लगातार परमेश्‍वर के साथ चलना चाहते हैं तो यह ज़रूरी है कि हम ‘ऊपर से आनेवाली बुद्धि’ का इस्तेमाल करें और हमेशा यहोवा के सीधे मार्गों के मुताबिक काम करें। (याकूब 3:17, 18, NW) होशे की भविष्यवाणी की आखिरी आयत कहती है: “जो बुद्धिमान हो, वही इन बातों को समझेगा; जो प्रवीण हो, वही इन्हें बूझ सकेगा; क्योंकि यहोवा के मार्ग सीधे हैं, और धर्मी उन में चलते रहेंगे, परन्तु अपराधी उन में ठोकर खाकर गिरेंगे।”—होशे 14:9.

24 दुनिया के ज्ञान और स्तरों के मुताबिक चलने के बजाय, आइए हम परमेश्‍वर के सीधे मार्गों पर चलने का पक्का फैसला करें। (व्यवस्थाविवरण 32:4) होशे, 59 या उससे ज़्यादा सालों तक परमेश्‍वर के सीधे मार्गों पर चलता रहा। उसने लोगों को परमेश्‍वर का संदेश सुनाने का काम वफादारी से पूरा किया, क्योंकि वह जानता था कि जो बुद्धिमान और समझदार हैं, वे इन बातों को समझेंगे। हमारे बारे में क्या? जब तक यहोवा हमें गवाही देने का काम करने की इजाज़त देता है, तब तक हम ऐसे लोगों को ढूँढ़ते रहेंगे जो बुद्धिमान हैं और उसके अनुग्रह को कबूल करेंगे। और हमें इस बात से बेहद खुशी होती है कि हम “विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास” को पूरा-पूरा सहयोग देते हुए उनकी हिदायतों के मुताबिक ये काम कर रहे हैं।—मत्ती 24:45-47.

25. होशे की भविष्यवाणी से हमने जो सीखा, उससे हमें क्या करने के लिए मदद मिलनी चाहिए?

25 होशे की भविष्यवाणी से हमने जो सीखा, उससे हमें आनेवाली दुनिया में मिलनेवाली हमेशा की ज़िंदगी को मन में रखते हुए परमेश्‍वर के साथ-साथ चलते रहने में मदद मिलनी चाहिए। (2 पतरस 3:13; यहूदा 20, 21) वाकई, हमारे सामने क्या ही शानदार आशा है! लेकिन हममें से हरेक के मामले में यह आशा तभी पूरी होगी जब हम न सिर्फ अपनी बातों से बल्कि अपने कामों से भी यह दिखाएँगे कि “यहोवा के मार्ग सीधे हैं।”

आप क्या जवाब देंगे?

• अगर हम परमेश्‍वर की शुद्ध उपासना करेंगे, तो वह हमारे साथ कैसे पेश आएगा?

• हमें क्यों परमेश्‍वर पर लगातार आस लगाए रखनी चाहिए?

• यहोवा के मार्ग सीधे हैं, इस बात पर आपको क्यों यकीन है?

• हम लगातार यहोवा के सीधे मार्गों पर कैसे चलते रह सकते हैं?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 28 पर तसवीर]

मसीही प्राचीनों से आध्यात्मिक मदद लीजिए

[पेज 29 पर तसवीर]

होशे की भविष्यवाणी हमें पुनरुत्थान के बारे में यहोवा के वादे पर भरोसा रखने की वजह देती है

[पेज 31 पर तसवीरें]

हमेशा की ज़िंदगी की आस देखते हुए परमेश्‍वर के साथ-साथ चलते रहिए