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‘भांति-भांति की भाषा बोलनेवाले’ सुसमाचार सुन रहे हैं

‘भांति-भांति की भाषा बोलनेवाले’ सुसमाचार सुन रहे हैं

‘भांति-भांति की भाषा बोलनेवाले’ सुसमाचार सुन रहे हैं

“भांति भांति की भाषा बोलनेवाली सब जातियों में से दस मनुष्य [कहेंगे, हम तुम्हारे संग चलेंगे, क्योंकि हम ने सुना है कि परमेश्‍वर तुम्हारे साथ है।”जकर्याह 8:23.

1. यहोवा ने अलग-अलग भाषाओं और देशों में मसीहियत का प्रचार करवाने के लिए, बिलकुल सही वक्‍त और हालात कैसे तैयार किए?

 सामान्य युग 33 का पिन्तेकुस्त का दिन था। पूरा यरूशलेम शहर यहूदियों और यहूदी मतधारकों से खचाखच भरा हुआ था, जो दूर-दूर तक फैले रोमी साम्राज्य के कम-से-कम 15 प्रांतों से आए थे। वे सभी कुछ हफ्ते पहले यरूशलेम में फसह का पर्व मनाने आए हुए थे। तो पिन्तेकुस्त का यह दिन एक अनोखे काम की शुरूआत करने के लिए बिलकुल सही वक्‍त था। इस मौके पर, कुछ आम लोगों ने पवित्र आत्मा से भरकर रोमी साम्राज्य में बोली जानेवाली अलग-अलग भाषाओं में सुसमाचार सुनाया। यह घटना प्राचीन बाबुल में हुई भाषा की गड़बड़ी से बिलकुल अलग थी, क्योंकि दूर-दूर से आए हज़ारों लोगों ने जब अपनी-अपनी भाषा में सुसमाचार सुना तो वे उसे अच्छी तरह समझ पा रहे थे। (प्रेरितों 2:1-12) पिन्तेकुस्त के दिन की इसी घटना से मसीही कलीसिया का जन्म हुआ और सारी दुनिया के लोगों को उनकी भाषाओं में सिखाने का एक महान काम शुरू हुआ, जो आज हमारे दिनों में भी जारी है।

2. सामान्य युग 33 के पिन्तेकुस्त के दिन यीशु के चेलों ने अलग-अलग भाषाएँ बोलनेवाली भीड़ को कैसे “चकित” कर दिया?

2 यीशु के चेलों को शायद बोलचाल की यूनानी भाषा आती थी, जो उस ज़माने की आम भाषा थी। वे इब्रानी भी बोलते थे, जो कि मंदिर में बोली जानेवाली भाषा थी। मगर उस पिन्तेकुस्त के दिन, उन्होंने अलग-अलग देशों से आए लोगों की मातृ-भाषाओं में बात करके सबको “चकित” कर दिया। नतीजा क्या हुआ? जब लोगों ने अपनी-अपनी मातृ-भाषा में परमेश्‍वर के बारे में अहम सच्चाइयाँ सुनीं, तो उनके दिलों पर गहरा असर हुआ और वे मसीह के चेले बन गए। उस दिन के खत्म होते-होते, चेलों के छोटे-से झुंड की गिनती बढ़कर 3,000 से ज़्यादा हो गयी!—प्रेरितों 2:37-42.

3, 4. जब मसीह के चेले यरूशलेम, यहूदिया और गलील छोड़कर दूसरी जगहों में बस गए तो प्रचार काम कैसे फैला?

3 इस महान घटना के कुछ ही वक्‍त बाद, यरूशलेम में चेलों पर ज़ुल्मों का दौर शुरू हो गया। तब उनमें से “जो तित्तर बित्तर हुए थे, वे सुसमाचार सुनाते हुए फिरे।” (प्रेरितों 8:1-4) मिसाल के लिए, प्रेरितों की किताब के अध्याय 8 में हम प्रचारक फिलिप्पुस के बारे में पढ़ते हैं जो शायद यूनानी भाषा बोलता था। फिलिप्पुस सामरिया चला गया था और उसने वहाँ के सामरी लोगों को प्रचार किया। उसने एक कूशी अधिकारी को भी प्रचार किया, जिसने मसीह के बारे में संदेश कबूल किया।—प्रेरितों 6:1-5; 8:5-13, 26-40; 21:8, 9.

4 एक वक्‍त था जब मसीही सिर्फ यरूशलेम, यहूदिया और गलील के आस-पास के इलाकों में रहते थे। मगर अब जब वे दूसरी जगहों में जाकर बसने लगे तो अलग-अलग जाति और भाषा के लोगों से उनका वास्ता पड़ा। कुछ मसीहियों ने सिर्फ यहूदियों को गवाही दी होगी। मगर शिष्य लूका यह रिपोर्ट देता है: “उन में से कितने कुप्रुसी और कुरेनी थे, जो अन्ताकिया में आकर यूनानियों को भी प्रभु यीशु के सुसमाचार की बातें सुनाने लगे।”—प्रेरितों 11:19-21.

परमेश्‍वर की नज़रों में सब बराबर—उसका संदेश सबके लिए

5. सुसमाचार के मामले में यह कैसे ज़ाहिर होता है कि यहोवा की नज़रों में सब इंसान एक हैं?

5 इस तरह हर जाति-भाषा के लोगों तक खुशखबरी पहुँचाना यहोवा की मरज़ी थी; वह ऐसा परमेश्‍वर है जो किसी की तरफदारी नहीं करता। जब यहोवा ने गैर-यहूदियों के बारे में प्रेरित पतरस के गलत नज़रिए को सुधारा, तो पतरस का दिल यहोवा के लिए एहसान से इतना भर गया कि उसने कहा: “अब मुझे निश्‍चय हुआ, कि परमेश्‍वर किसी का पक्ष नहीं करता, बरन हर जाति में जो उस से डरता और धर्म के काम करता है, वह उसे भाता है।” (प्रेरितों 10:34, 35; भजन 145:9) प्रेरित पौलुस, जो पहले मसीहियों को सताया करता था, उसने कहा कि परमेश्‍वर “चाहता है, कि सब मनुष्यों का उद्धार हो।” ऐसा कहकर पौलुस ने भी इस सच्चाई को पुख्ता किया कि परमेश्‍वर किसी के साथ भेद-भाव नहीं करता। (1 तीमुथियुस 2:4) सिरजनहार की नज़रों में सब इंसान एक समान हैं, तभी तो उसने राज्य की आशा पाने का मौका हर किसी को दिया है, फिर चाहे वह स्त्री हो या पुरुष, और उसकी जाति, भाषा या देश चाहे जो भी हो।

6, 7. बाइबल की किन भविष्यवाणियों में बताया गया था कि खुशखबरी अलग-अलग देशों और भाषाओं के लोगों को सुनायी जाएगी?

6 इस तरह दुनिया के सभी देशों में खुशखबरी सुनाए जाने के बारे में सदियों पहले से भविष्यवाणी की गयी थी। दानिय्येल की भविष्यवाणी के मुताबिक “[यीशु को] ऐसी प्रभुता, महिमा और राज्य दिया गया, कि देश-देश और जाति-जाति के लोग और भिन्‍न-भिन्‍न भाषा बोलनेवाले सब उसके अधीन हों।” (दानिय्येल 7:14) इस भविष्यवाणी के पूरा होने का एक सबूत यह प्रहरीदुर्ग पत्रिका है। आज इसे 151 भाषाओं में प्रकाशित करके पूरी दुनिया में बाँटा जा रहा है, और इसकी मदद से आप भी यहोवा के राज्य के बारे में सीख पा रहे हैं।

7 बाइबल में भविष्यवाणी की गयी थी कि एक वक्‍त ऐसा आएगा जब इसमें दिया जीवनदायी संदेश अलग-अलग भाषा के लोगों को सुनाया जाएगा। जकर्याह ने अपनी एक भविष्यवाणी में बताया था कि किस तरह लोगों की भीड़ सच्ची उपासना की तरफ खिंची चली आएगी: “उन दिनों में भांति भांति की भाषा बोलनेवाली सब जातियों में से दस मनुष्य, एक यहूदी पुरुष के [आत्मा से अभिषिक्‍त मसीही, जो “परमेश्‍वर के इस्राएल” का हिस्सा है] वस्त्र की छोर को यह कहकर पकड़ लेंगे, कि, हम तुम्हारे संग चलेंगे, क्योंकि हम ने सुना है कि परमेश्‍वर तुम्हारे साथ है।” (जकर्याह 8:23; गलतियों 6:16) और प्रेरित यूहन्‍ना ने भी बताया कि उसने एक दर्शन में क्या देखा था: “देखो, हर एक जाति, और कुल, और लोग और भाषा में से एक ऐसी बड़ी भीड़, जिसे कोई गिन नहीं सकता था . . . सिंहासन के साम्हने और मेम्ने के साम्हने खड़ी है।” (प्रकाशितवाक्य 7:9) हमने खुद अपनी आँखों से ऐसी भविष्यवाणियों को पूरा होते हुए देखा है!

हर तरह के लोगों तक पहुँचना

8. आज किन हालात की वजह से हमें गवाही देने के काम में फेर-बदल करने की ज़रूरत है?

8 आज ज़्यादा-से-ज़्यादा लोग अपने-अपने मुल्क छोड़कर दूसरी जगहों में बस रहे हैं। राष्ट्रों के बीच बढ़ते संबंधों की वजह से लोगों के लिए विदेश में जा बसने का एक नया दौर शुरू हो गया है। इसके अलावा, जो देश युद्ध की चपेट में हैं या जहाँ गरीबी फैली है, वहाँ से भारी तादाद में लोग ऐसी जगहों में आ बसे हैं जहाँ उन्हें पैर जमाने का मौका मिल सकता है, ताकि उन्हें रोज़ी-रोटी की चिंता न हो। इस तरह परदेशियों और शरणार्थियों के आने से कई देशों में अलग-अलग भाषाएँ बोलनेवालों की बिरादरियाँ बन रही हैं। मिसाल के लिए, आज फिनलैंड में 120 से ज़्यादा भाषाएँ बोली जाती हैं, और ऑस्ट्रेलिया में 200 से ज़्यादा। और अमरीका के एक ही शहर सैन डीएगो में आपको 100 से ज़्यादा भाषाएँ सुनने को मिलेंगी!

9. हमारे इलाके में जो अलग-अलग भाषाएँ बोलनेवाले हैं, उनके बारे में हमें कैसा नज़रिया रखना चाहिए?

9 क्या हम मसीही सेवक, इन अलग-अलग भाषाएँ बोलनेवालों को अपनी सेवा के लिए एक रुकावट समझते हैं? हरगिज़ नहीं! उलटा, हमें यह देखकर खुशी होती है कि हमारे प्रचार का इलाका और भी बढ़ रहा है, ‘कटनी के लिए खेत पककर’ तैयार हैं। (यूहन्‍ना 4:35) हम ऐसे लोगों की मदद करने के लिए मेहनत करते हैं जिन्हें अपनी आध्यात्मिक ज़रूरतों का एहसास है, फिर चाहे वे किसी भी देश या भाषा के हों। (मत्ती 5:3, NW) इसीलिए आज ‘हर एक भाषा’ में से भारी तादाद में लोग मसीह के चेले बन रहे हैं और इनकी गिनती साल-दर-साल बढ़ती जा रही है। (प्रकाशितवाक्य 14:6) मिसाल के लिए, अगस्त 2004 तक जर्मनी में प्रचार काम करीब 40 भाषाओं में किया जा रहा था। इसी दौरान, ऑस्ट्रेलिया में सुसमाचार का प्रचार लगभग 30 भाषाओं में हो रहा था, जबकि सिर्फ दस साल पहले यहाँ 18 भाषाओं में यह काम हो रहा था। उसी वक्‍त, यूनान में यहोवा के साक्षी तकरीबन 20 भाषाओं में प्रचार कर रहे थे। आज संसार-भर में 80 प्रतिशत साक्षी ऐसे हैं जो दूसरी भाषाएँ बोलनेवाले हैं, ना कि अंतर्राष्ट्रीय भाषा अँग्रेज़ी।

10. “सब जातियों के लोगों को” चेला बनाने में हर प्रचारक की क्या भूमिका है?

10 जी हाँ, आज यीशु की यह आज्ञा पूरी की जा रही है कि जाकर “सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ”! (मत्ती 28:19) यहोवा के साक्षी 235 देशों में पूरे जोश के साथ यह काम कर रहे हैं और 400 से ज़्यादा भाषाओं में साहित्य बाँट रहे हैं। यह सच है कि यहोवा का संगठन लोगों की मदद करने के लिए ज़रूरी साहित्य मुहैया करा रहा है। मगर यह हर प्रचारक की ज़िम्मेदारी है कि वह बाइबल का संदेश “सब” लोगों तक पहुँचाए, और वह भी उस भाषा में जो उन्हें अच्छी तरह समझ आती है। (यूहन्‍ना 1:7) इस मिली-जुली कोशिश की वजह से, तरह-तरह की भाषाएँ बोलनेवाले करोड़ों लोग सुसमाचार से फायदा पा सकते हैं। (रोमियों 10:14, 15) जी हाँ, हम में से हरेक जन इस काम में एक अहम भूमिका अदा करता है!

चुनौती कबूल करना

11, 12. (क) हमारे सामने कौन-सी चुनौतियाँ हैं, और पवित्र आत्मा कैसे हमारी मदद करती है? (ख) लोगों की मातृ-भाषा में उनको प्रचार करना क्यों बेहतर होगा?

11 आज, ऐसे कई राज्य प्रचारक हैं जो दूसरी भाषा सीखना चाहते हैं, मगर यह मुमकिन नहीं कि परमेश्‍वर की आत्मा उन्हें दूसरी भाषाएँ बोलने का चमत्कारी वरदान दे। (1 कुरिन्थियों 13:8) नयी भाषा सीखना बहुत बड़ा काम है। यहाँ तक कि जिन्होंने दूसरी भाषा सीख ली है, उन्हें भी अपना संदेश लोगों के दिल तक पहुँचाने के लिए अपनी सोच और अपना तरीका बदलने की ज़रूरत पड़ सकती है। यह इसलिए कि दूसरी भाषा के लोगों का रहन-सहन और उनकी संस्कृति अलग होती है। इसके अलावा, ज़्यादातर परदेशियों को हमसे बात करने में संकोच होता है, इसलिए उनके सोचने के तरीके से वाकिफ होने के लिए हमें बहुत मेहनत करनी होगी।

12 मगर आज भी यहोवा के सेवक दूसरी भाषाएँ बोलनेवालों को प्रचार करने में जब मेहनत करते हैं, तो पवित्र आत्मा उन पर काम करती है। (लूका 11:13) पवित्र आत्मा हमें दूसरी भाषाएँ बोलने की चमत्कारी शक्‍ति तो नहीं देगी, मगर यह हमारी इस इच्छा को और बढ़ा सकती है कि हम दूसरी भाषाएँ बोलनेवालों को भी प्रचार करें। (भजन 143:10) अगर हम लोगों को बाइबल का संदेश ऐसी भाषा में प्रचार करें या सिखाएँ जिसे वे ठीक से नहीं समझते, तो शायद हमारी बात सिर्फ उनके दिमाग तक पहुँचे। मगर उनके दिलों तक पहुँचने के लिए अच्छा होगा कि हम उनकी मातृ-भाषा में बात करें। यह इसलिए ज़रूरी है क्योंकि वे अपनी मातृ-भाषा में जो सुनते हैं, वह उनके दिल की गहराइयों तक असर करता है, उनकी ख्वाहिशों, उम्मीदों और उनके इरादों को बदल सकता है।—लूका 24:32.

13, 14. (क) दूसरी भाषा के लोगों को प्रचार करने के लिए क्या बात कुछ साक्षियों को उकसाती है? (ख) साक्षी किस तरह त्याग की भावना दिखा रहे हैं?

13 यह देखकर कि आज दूसरी भाषाएँ बोलनेवाले बहुत-से लोग सच्चाई को अपना रहे हैं, कई प्रचारकों ने विदेशी भाषा बोलनेवाले इन लोगों को प्रचार करना शुरू किया है। और कुछ प्रचारक जब देखते हैं कि प्रचार में उनके सामने नयी-नयी और दिलचस्प चुनौतियाँ सामने आ रही हैं, तो उनका जोश और बढ़ जाता है। दक्षिणी यूरोप के यहोवा के साक्षियों का एक शाखा दफ्तर रिपोर्ट करता है कि “पूर्वी यूरोप से आनेवाले कई लोग सच्चाई जानने के लिए तरस रहे हैं।” वाकई, जो लोग सच्चाई को कबूल करने के लिए तैयार हैं, उनकी मदद करने से कितनी खुशी मिलती है!—यशायाह 55:1,2.

14 लेकिन, इस काम में अच्छे नतीजे पाने के लिए ज़रूरी है कि हमारा इरादा मज़बूत हो और हम ज़िंदगी में कुछ त्याग करें। (भजन 110:3) इसकी कुछ मिसालों पर गौर कीजिए। बहुत-से जापानी साक्षियों ने बड़े-बड़े शहरों में अपने आरामदायक घरों को छोड़ दिया है और अपने परिवारों के साथ उन दूर-दराज़ इलाकों में रहने लगे हैं जहाँ बहुत-से चीनी लोग आ बसे हैं ताकि बाइबल को समझने में वे उनकी मदद कर सकें। अमरीका के पश्‍चिमी तट पर रहनेवाले कुछ प्रचारक, एक-दो घंटे का सफर तय करके फिलिपीनो भाषा बोलनेवालों के यहाँ लगातार जाते हैं ताकि उन्हें बाइबल सिखा सकें। नॉर्वे में एक शादी-शुदा जोड़ा अफगानिस्तान से आए एक परिवार को बाइबल सिखा रहा है। साक्षी जोड़ा अध्ययन के लिए अँग्रेज़ी और नॉर्वेजियन भाषा में परमेश्‍वर हमसे क्या माँग करता है? * ब्रोशर इस्तेमाल करता है। उस परिवार के सदस्य फारसी भाषा में पैराग्राफ पढ़ते हैं, जो उनकी मातृ-भाषा डारी से काफी मिलती-जुलती है। अध्ययन में बातचीत अँग्रेज़ी और नॉर्वेजियन भाषा में होती है। इस तरह जब प्रचारक बहुत-से त्याग करते हैं और हालात के मुताबिक खुद को ढालते हैं, तो उन्हें बढ़िया प्रतिफल मिलता है, क्योंकि कई परदेशी सुसमाचार को अपना रहे हैं। *

15. अलग-अलग भाषाओं के लोगों को प्रचार करने में हम सभी कैसे हिस्सा ले सकते हैं?

15 क्या आप भी दूसरी भाषाएँ बोलनेवालों को प्रचार करने में हिस्सा ले सकते हैं? क्यों न आप पहले पता करें कि आपके इलाके में ज़्यादातर कौन-सी दूसरी भाषाएँ बोली जाती हैं? फिर आप उन भाषाओं में कुछ ट्रैक्ट और ब्रोशर अपने साथ रख सकते हैं। सन्‌ 2004 में रिलीज़ की गयी बुकलेट सब जातियों के लोगों के लिए सुसमाचार में राज्य का संदेश कई भाषाओं में सरल तरीके से पेश किया गया है। यह बुकलेट प्रचार काम में काफी मददगार साबित हुई है।—पेज 32 पर दिया लेख, “सब जातियों के लोगों के लिए सुसमाचार” देखिए।

“परदेशियों से प्रेम भाव रखना”

16. ज़िम्मेदार भाई, दूसरी भाषाएँ बोलनेवालों के लिए किस तरह निःस्वार्थ भाव से परवाह दिखा सकते हैं?

16 चाहे हम दूसरी भाषा सीखें या नहीं, फिर भी हम सब अपने इलाके में रहनेवाले परदेशियों को आध्यात्मिक शिक्षा पाने में मदद दे सकते हैं। यहोवा ने अपने लोगों को आज्ञा दी थी कि वे “परदेशियों से प्रेम” करें। (व्यवस्थाविवरण 10:18, 19) इस तरह का प्रेम दिखाने की एक मिसाल उत्तर अमरीका में देखी जा सकती है। यहाँ के एक बड़े शहर में पाँच कलीसियाएँ एक ही राज्य घर में इकट्ठी होती हैं। जैसे दूसरे कई राज्य घरों में होता है, वैसे यहाँ भी हर साल कलीसियाओं की सभाओं का समय बदला जाता है। मगर इस बदलाव के मुताबिक चीनी भाषा की सभाएँ रविवार की शाम को रखनी पड़तीं, जिससे चीनी लोगों के लिए सभाओं में आना मुश्‍किल हो जाता। वजह यह है कि यहाँ आकर बसे कई चीनी लोग ऐसे रेस्तराँ से ताल्लुक रखनेवाली नौकरियाँ करते हैं जो शाम के वक्‍त ही चलते हैं। इसलिए उनकी मजबूरियों को ध्यान में रखते हुए, दूसरी कलीसियाओं के प्राचीनों ने सभाओं के समय में इस तरह का फेर-बदल किया कि चीनी सभाएँ रविवार को दिन के वक्‍त ही रखी जा सकें।

17. जब कुछ प्रचारक, दूसरी भाषा के लोगों की मदद करने के लिए उनके इलाके में जा बसने का फैसला करते हैं, तो हमें कैसा महसूस करना चाहिए?

17 प्यार करनेवाले अध्यक्ष, उन काबिल और हुनरमंद भाई-बहनों की तारीफ करते हैं जो दूसरी भाषा बोलनेवालों की मदद करने के लिए उनके इलाकों में जाकर बसना चाहते हैं। शायद इन तजुर्बेकार बाइबल शिक्षकों की अपनी कलीसिया में भी ज़रूरत हो, फिर भी अध्यक्ष उन्हें दूसरी जगह जाने से नहीं रोकते। इसके बजाय, वे लुस्त्रा और इकुनियुम के प्राचीनों जैसा नज़रिया दिखाते हैं। तीमुथियुस उनकी कलीसियाओं के लिए एक बड़ी आशीष था, फिर भी उन्होंने तीमुथियुस को पौलुस का सफरी साथी बनने से नहीं रोका। (प्रेरितों 16:1-4) इसके अलावा, प्रचार में अगुवाई करनेवाले भाई, दूसरी भाषा के लोगों की अलग सोच, संस्कृति और उनके रहन-सहन को हमारी सेवा के लिए रुकावट नहीं समझते। इसके बजाय, वे इन अलग-अलग जाति-भाषा के लोगों का दिल खोलकर स्वागत करते हैं और सुसमाचार की खातिर उनके साथ अच्छे संबंध बनाने की कोशिश करते हैं।—1 कुरिन्थियों 9:22, 23.

18. सेवा का कौन-सा बड़ा द्वार सबके लिए खुला है?

18 ठीक जैसे भविष्यवाणी की गयी थी, आज सुसमाचार का प्रचार “भांति भांति की भाषा बोलनेवाली सब जातियों में” हो रहा है। दूसरी भाषाएँ बोलनेवाले इलाकों में अभी भी शानदार तरक्की की गुंजाइश है। अब तक हज़ारों काबिल प्रचारकों ने ‘सेवा के इस बड़े द्वार’ में प्रवेश किया है जिससे कि वे दूसरी भाषा के लोगों की मदद कर सकें। (1 कुरिन्थियों 16:9, NHT) मगर ऐसे लोगों को प्रचार करने और उनकी दिलचस्पी बढ़ाने के लिए और भी कुछ ज़रूरी है। इस बारे में अगले लेख में बताया जाएगा।

[फुटनोट]

^ इसे यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है।

^ इस तरह की और भी मिसालों के लिए प्रहरीदुर्ग अप्रैल 1, 2004, पेज 24-8 पर दिया यह लेख देखिए: “छोटे-छोटे त्याग से हमें बड़ी-बड़ी आशीषें मिलीं।”

क्या आप समझा सकते हैं?

• सभी इंसानों को बराबर समझने में हम यहोवा की मिसाल पर कैसे चल सकते हैं?

• हमारे प्रचार के इलाके में जो दूसरी भाषाएँ बोलनेवाले लोग हैं, उनकी तरफ हमें कैसा नज़रिया रखना चाहिए?

• लोगों को उनकी मातृ-भाषा में प्रचार करना क्यों फायदेमंद है?

• हमारे इलाके में जो परदेशी हैं, उनके लिए हम परवाह कैसे दिखा सकते हैं?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 23 पर नक्शा/तसवीर]

(भाग को असल रूप में देखने के लिए प्रकाशन देखिए)

रोम

क्रेते

एशिया

फ्रूगिया

पमफूलिया

पुन्तुस

कप्पदूकिया

मसोपोटामिया

मादै

पारथिया

एलाम

अरब

लिबूआ (लिबिया)

मिस्र

यहूदिया

यरूशलेम

[सागर/खाड़ी]

भूमध्य सागर

काला सागर

लाल सागर

फारस की खाड़ी

[तसवीर]

सामान्य युग 33 के पिन्तेकुस्त के दिन, रोमी साम्राज्य के 15 इलाकों के लोगों ने अपनी-अपनी मातृ-भाषा में सुसमाचार सुना था

[पेज 24 पर तसवीरें]

बहुत-से परदेशी, बाइबल की सच्चाई को खुशी-खुशी कबूल कर रहे हैं

[पेज 25 पर तसवीर]

इस राज्य घर का बोर्ड पाँच भाषाओं में है