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त्योहारों का मौसम—क्या यह आपकी सारी उम्मीदें पूरी करेगा?

त्योहारों का मौसम—क्या यह आपकी सारी उम्मीदें पूरी करेगा?

त्योहारों का मौसम—क्या यह आपकी सारी उम्मीदें पूरी करेगा?

“सम्राट पीटर [महान] का आदेश है कि जनवरी 1 को नए साल के मौके पर सभी चर्चों में खास सभाएँ रखी जाएँ। उन्होंने यह भी कहा है कि हर घर के अंदर की चौखटें सदाबहार पेड़ों की डालियों से सजायी जाएँ। और उनका हुक्म है कि मॉस्को के सभी नागरिक नए साल के मौके पर ‘अपनी खुशी का इज़हार करने के लिए ज़ोर-ज़ोर से एक-दूसरे को मुबारकबाद दें।’”—पीटर महान—उनकी ज़िंदगी और दुनिया, अँग्रेज़ी।

लोग जिसे त्योहारों का मौसम कहते हैं, उससे आप क्या-क्या उम्मीदें लगाए हुए हैं? दुनिया के ज़्यादातर लोगों का मानना है कि इस मौसम का सबसे खास त्योहार क्रिसमस है, जो परंपरा के मुताबिक यीशु का जन्मदिन है। इस मौसम में नए साल का जश्‍न भी शामिल है। इसलिए क्रिसमस से लेकर नए साल तक यह छुट्टियों का मौसम होता है। इन त्योहारों के लिए माता-पिताओं को नौकरी से और बच्चों को स्कूल से छुट्टियाँ मिलती हैं, इसलिए परिवार के सदस्यों को साथ मिलकर वक्‍त बिताने का अच्छा मौका मिलता है। लेकिन दूसरे ऐसे लोग हैं जो इस मौसम को “क्रिसमस का मौसम” कहना ज़्यादा पसंद करते हैं क्योंकि वे साल के इस वक्‍त में मसीह का आदर करना चाहते हैं। शायद आपको भी लगे कि इस मौसम का सबसे अहम पहलू है, मसीह को आदर देना।

चाहे यह मौसम मसीह को आदर देने का हो या परिवार के साथ हँसी-खुशी वक्‍त बिताने का या दोनों काम करने का, पूरी दुनिया में करोड़ों पति-पत्नी और बच्चे हर साल इस वक्‍त का बेसब्री से इंतज़ार करते हैं। इस साल के बारे में क्या? क्या यह समय वाकई आपकी उम्मीदों के हिसाब से खास होगा? और क्या यह परमेश्‍वर के लिए खास मायने रखता है? अगर परिवार के सारे लोग इकट्ठे होंगे, तो क्या यह जश्‍न वैसा ही होगा जैसा आप चाहते हैं? या आपकी उम्मीदों पर पानी फेर देगा?

कई लोग उम्मीद करते हैं कि इस समय के दौरान वे धार्मिक बातों पर गहराई से सोचेंगे, मगर वे देखते हैं कि क्रिसमस और नया साल मनानेवालों में अकसर मसीह की भावना नहीं होती। इसके उलटे, यह मौसम तोहफे पाने का वक्‍त होता है या ऐसी पार्टियाँ रखने का बहाना बनकर रह जाता है जिनमें लोगों के व्यवहार से यीशु का अनादर होता है या फिर यह मौका ज़्यादातर सारे परिवार के मिलने-जुलने के लिए होता है। कई बार ऐसी दावतों में एक-दो लोग कुछ ज़्यादा ही खा या पी लेते हैं जिसकी वजह से परिवारवालों के बीच बहस छिड़ जाती है और कभी-कभी तो हाथापाई तक नौबत आ जाती है। इस तरह पार्टी का सारा मज़ा किरकिरा हो जाता है। शायद आपने भी यह बात गौर की होगी या आपके साथ भी ऐसा हुआ होगा।

अगर ऐसा है, तो शायद आपको लगे कि आज हमारा ज़माना, रूस के उस सम्राट पीटर महान के ज़माने से कोई खास अलग नहीं है जिसका ज़िक्र लेख की शुरूआत में किया गया था। हाल के सालों का चलन देखकर काफी लोग परेशान हैं और वे यही कहते हैं कि काश! त्योहारों का समय सिर्फ धार्मिक बातों पर गंभीरता से मनन करने और परिवार के रिश्‍तों को मज़बूत करने का हो। कुछ लोग तो ऐसा बदलाव लाने की पुरज़ोर कोशिश भी करते हैं। वे ऐसे नारे लगाते हैं: इस साल के क्रिसमस पर, आइए अपना पूरा ध्यान लगाएँ ईसा पर। लेकिन, क्या ऐसा बदलाव लाना मुमकिन है? और क्या इससे सचमुच यीशु का आदर होगा? क्या त्योहारों के मौसम के बारे में एक अलग नज़रिया पैदा करने की वजह हैं?

इन सवालों का सही-सही जवाब जानने के लिए आइए हम एक ऐसे देश के लोगों की नज़र से हालात का मुआयना करें जिनके पास इस मौके के लिए कदरदानी दिखाने की खास वजह होनी चाहिए।