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यहोवा के जैसा धीरज दिखाइए

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यहोवा के जैसा धीरज दिखाइए

‘प्रभु अपनी प्रतिज्ञा के विषय में देर नहीं करता, पर धीरज धरता है।’—2 पतरस 3:9.

1. यहोवा हम इंसानों को कौन-सा बेजोड़ तोहफा देना चाहता है?

 यहोवा हमें एक ऐसा तोहफा देना चाहता है, जो इस जहान में दूसरा कोई हमें नहीं दे सकता। यह एक बेहद कीमती तोहफा है जिसे पाने को हमारा जी तरसता है। मगर हम इसे न तो पैसा देकर खरीद सकते हैं, ना ही मेहनत करके कमा सकते हैं। यह तोहफा है, हमेशा की ज़िंदगी। हममें से ज़्यादातर लोगों के लिए हमेशा की ज़िंदगी का मतलब है, इस धरती पर एक खूबसूरत फिरदौस में सदा तक ज़िंदगी का लुत्फ उठाना। (यूहन्‍ना 3:16) ज़रा सोचिए ऐसी ज़िंदगी हमारे लिए खुशियों की कैसी सौगात लाएगी! जिन बातों ने इंसान को इतना दुःख दिया है उन सबको, जी हाँ लड़ाई, खूनखराबा, गरीबी, जुर्म, बीमारी, यहाँ तक कि मौत को भी मिटा दिया जाएगा। परमेश्‍वर के राज्य की हुकूमत से लोगों का भला होगा, उनमें एकता होगी और दुनिया में चारों तरफ शांति होगी। जी हाँ, हम ऐसे ही फिरदौस में जीने के लिए बेताब हैं!—यशायाह 9:6, 7; प्रकाशितवाक्य 21:4, 5.

2. यहोवा ने अब तक शैतान के दुष्ट संसार को नाश क्यों नहीं किया है?

2 यहोवा भी उस घड़ी का बेसब्री से इंतज़ार कर रहा है जब वह इस धरती को फिरदौस बनाएगा। और क्यों न हो, आखिर वह धार्मिकता और न्याय से प्रेम जो करता है! (भजन 33:5) जब वह इस दुनिया को देखता है, तो उसे दुःख होता है कि इंसान न सिर्फ उसके धर्मी सिद्धांतों से मुँह मोड़ चुका है बल्कि उनसे बैर रखता है, उसकी हुकूमत को ठुकरा देता है और उसके लोगों को सताता है। यह सब देखते हुए भी, उसने कई वाजिब कारणों से अब तक शैतान के दुष्ट संसार को नाश नहीं किया है। ये कारण यहोवा के हुकूमत करने का तरीका सही है या गलत, इस बारे में उठे मसलों से जुड़े हुए हैं। इन मसलों को सुलझाने के लिए, यहोवा एक ऐसा गुण दिखाता है जो हमें उसके करीब लाता है। यह गुण ज़्यादातर लोगों में नहीं पाया जाता। यह गुण है, धीरज।

3. (क) बाइबल में “धीरज” के लिए इस्तेमाल किए गए यूनानी और इब्रानी शब्द का क्या मतलब है? (ख) अब हम कौन-से सवालों की जाँच करेंगे?

3 एक यूनानी शब्द है जिसका अनुवाद न्यू वर्ल्ड ट्रांस्लेशन बाइबल में तीन बार “धीरज” किया गया है। इसका शाब्दिक अर्थ है, “आत्मा की दीर्घता।” इसलिए इस शब्द का अनुवाद अकसर “सहनशीलता” और एक बार “सब्र करना” किया गया है। “धीरज” के लिए इस्तेमाल किए गए यूनानी और इब्रानी शब्दों से एक ही विचार मिलता है, वह है बरदाश्‍त करना और जल्दी गुस्सा न होना। यहोवा के धीरज धरने से हमें कैसे फायदा होता है? यहोवा और उसके वफादार सेवकों ने जिस तरह से धीरज धरा, उससे हम क्या सबक सीख सकते हैं? हम कैसे जानते हैं कि यहोवा के धीरज की एक हद है? आइए इन सवालों की जाँच करें।

यहोवा के धीरज पर गौर कीजिए

4. यहोवा के धीरज के बारे में प्रेरित पतरस ने क्या लिखा?

4 यहोवा के धीरज के बारे में प्रेरित पतरस ने लिखा: “हे प्रियो, यह एक बात तुम से छिपी न रहे, कि प्रभु के यहां एक दिन हजार वर्ष के बराबर है, और हजार वर्ष एक दिन के बराबर हैं। प्रभु अपनी प्रतिज्ञा के विषय में देर नहीं करता, जैसी देर कितने लोग समझते हैं; पर तुम्हारे विषय में धीरज धरता है, और नहीं चाहता, कि कोई नाश हो; बरन यह कि सब को मन फिराव का अवसर मिले।” (2 पतरस 3:8, 9) ध्यान दीजिए कि यहाँ दो मुद्दे बताए गए हैं जिनकी मदद से हम यहोवा के धीरज को और भी अच्छी तरह से समझ सकते हैं।

5. वक्‍त के बारे में यहोवा के नज़रिए का उसकी कार्रवाई पर कैसे असर होता है?

5 पहला मुद्दा है, वक्‍त के बारे में यहोवा का नज़रिया हमसे अलग है। वह अनंतकाल तक जीनेवाला परमेश्‍वर है, इसलिए एक हज़ार साल उसके लिए एक दिन के बराबर हैं। यहोवा वक्‍त से बँधा हुआ नहीं है और न ही वक्‍त का दबाव महसूस करता है। मगर इसका मतलब यह नहीं कि वह कार्रवाई करने में देर करता है। अपनी अथाह बुद्धि की वजह से, यहोवा अच्छी तरह जानता है कि कार्रवाई करने का सबसे बढ़िया वक्‍त कौन-सा है जिससे सभी का भला हो और फिर वह धीरज धरते हुए उस वक्‍त के आने का इंतज़ार करता है। इस बीच जब उसके सेवकों पर मुसीबतें आती हैं, तब हमें ऐसा नहीं सोचना चाहिए कि यहोवा पत्थरदिल है और बस चुपचाप बैठा देख रहा है। दरअसल, यहोवा “बड़ी करुणा” का परमेश्‍वर है और प्रेम का साक्षात्‌ रूप है। (लूका 1:78; 1 यूहन्‍ना 4:8) परमेश्‍वर ने जिस थोड़े वक्‍त के लिए दुःख-तकलीफों को रहने दिया है, उस दौरान हमारा जो भी नुकसान होता है उसे वह पूरी तरह से और हमेशा के लिए ठीक करने की काबिलीयत रखता है।—भजन 37:10.

6. परमेश्‍वर के बारे में कैसी सोच हमें नहीं अपनानी चाहिए, और क्यों?

6 जो चीज़ पाने के लिए हम तरसते हैं, उसके लिए इंतज़ार करना बेशक बहुत मुश्‍किल होता है। (नीतिवचन 13:12) इसलिए, जब लोग अपने वादे जल्द-से-जल्द पूरे नहीं करते, तो दूसरों को लगता है कि असल में अपने वादे पूरे करने का उनका कोई इरादा ही नहीं है। परमेश्‍वर के बारे में ऐसा सोचना कितनी बड़ी बेवकूफी होगी! अगर हम परमेश्‍वर के धीरज को उसकी देरी समझने की गलती करें, तो जैसे-जैसे वक्‍त गुज़रेगा हमारे मन में शक पैदा होगा और हम निराश हो जाएँगे। ऐसे में यह खतरा रहता है कि हम आध्यात्मिक मायने में सुस्त हो जाएँ। इससे भी बुरा यह हो सकता है कि हम ठट्ठा करनेवालों यानी जिनमें विश्‍वास नहीं है, उनकी बातों में आकर सच्चाई से बहक जाएँ। इन लोगों से दूर रहने की चेतावनी पतरस ने दी थी। ये लोग मज़ाक उड़ाते हुए कहते हैं: “उसके आने की प्रतिज्ञा कहां गई? क्योंकि जब से बाप-दादे सो गए हैं, सब कुछ वैसा ही है, जैसा सृष्टि के आरम्भ से था?”—2 पतरस 3:4.

7. यहोवा के धीरज का उसकी इस इच्छा से क्या ताल्लुक है कि लोग पश्‍चाताप करें?

7 पतरस के शब्दों से हमें यहोवा के धीरज धरने की दूसरी वजह मिलती है। वह यह कि परमेश्‍वर चाहता है कि सभी को पश्‍चाताप करने का मौका मिले। जो लोग ढीठ होकर बुराई के मार्ग पर चलते रहते हैं, वे यहोवा के हाथों मारे जाएँगे। मगर परमेश्‍वर, दुष्टों को नाश करने से खुश नहीं होता। उसे खुशी तो इस बात से मिलती है कि लोग पश्‍चाताप करें, बुरा मार्ग छोड़कर सही मार्ग पर चलें और जीते रहें। (यहेजकेल 33:11) यही वजह है कि क्यों यहोवा आज तक धीरज धरे हुए है और सारी दुनिया में खुशखबरी का ऐलान करवा रहा है ताकि लोगों को जीने का पूरा-पूरा मौका मिल सके।

8. परमेश्‍वर ने इस्राएल जाति के साथ जिस तरह व्यवहार किया, उससे उसका धीरज कैसे दिखायी देता है?

8 परमेश्‍वर का धीरज, प्राचीन इस्राएल जाति के साथ उसके व्यवहार में भी साफ दिखायी देता है। सदियों तक यहोवा ने इस्राएल के आज्ञा न मानने की आदत को बरदाश्‍त किया। उसने बार-बार अपने नबियों के ज़रिए उनसे मिन्‍नतें कीं: “अपनी बुरी चाल छोड़कर उस सारी व्यवस्था के अनुसार जो मैं ने तुम्हारे पुरखाओं को दी थी, और अपने दास भविष्यद्वक्‍ताओं के हाथ तुम्हारे पास पहुंचाई है, मेरी आज्ञाओं और विधियों को माना करो।” इस पर इस्राएलियों ने क्या किया? अफसोस, “उन्हों ने न माना।”—2 राजा 17:13, 14.

9. यीशु ने बिलकुल अपने पिता जैसा धीरज कैसा दिखाया?

9 आखिरकार, यहोवा ने अपने बेटे को भेजा जिसने लगातार यहूदियों से आग्रह किया कि वे परमेश्‍वर के साथ मेल-मिलाप कर लें। ऐसा करने में यीशु ने बिलकुल अपने पिता जैसा धीरज दिखाया। यह जानते हुए कि कुछ ही समय के अंदर उसे मार डाला जाएगा, उसने दुःखी होकर कहा: “हे यरूशलेम, हे यरूशलेम; तू जो भविष्यद्वक्‍ताओं को मार डालता है, और जो तेरे पास भेजे गए, उन्हें पत्थरवाह करता है, कितनी ही बार मैं ने चाहा कि जैसे मुर्ग़ी अपने बच्चों को अपने पंखों के नीचे इकट्ठे करती है, वैसे ही मैं भी तेरे बालकों को इकट्ठे कर लूं, परन्तु तुम ने न चाहा।” (मत्ती 23:37) ये दर्द-भरे शब्द, किसी कठोर न्यायी के नहीं हैं जो सिर्फ सज़ा देने की ताक में रहता है, बल्कि एक प्यारे दोस्त के हैं जो लोगों के साथ धीरज से पेश आता है। यीशु स्वर्ग में रहनेवाले अपने पिता की तरह यही चाहता था कि लोग पश्‍चाताप करें और कड़े न्यायदंड से बचें। कुछ यहूदियों ने यीशु की चेतावनियों को माना और सा.यु. 70 में यरूशलेम पर आए भयानक विनाश से बच गए।—लूका 21:20-22.

10. परमेश्‍वर के धीरज से हमें किस तरह फायदा हुआ है?

10 यहोवा का धीरज देखकर क्या हमें हैरानी नहीं होती? इंसान ने परमेश्‍वर की आज्ञा को तोड़कर कैसे-कैसे संगीन जुर्म किए हैं, फिर भी यहोवा ने हममें से हरेक को, साथ ही लाखों और लोगों को उसे जानने और उद्धार की आशा कबूल करने का मौका दिया है। पतरस ने अपने संगी मसीहियों को लिखा: “हमारे प्रभु के धीरज को उद्धार समझो।” (2 पतरस 3:15) क्या हमें यहोवा का शुक्रगुज़ार नहीं होना चाहिए कि उसके धीरज धरने से हमारे सामने उद्धार का रास्ता खुल गया है? क्या हम हर दिन यहोवा की सेवा करते हुए उससे प्रार्थना नहीं करते कि वह हमारी तरफ धीरज से पेश आए?—मत्ती 6:12.

11. यहोवा क्यों धीरज धरता है, यह समझने से हमें क्या करने की प्रेरणा मिलेगी?

11 यहोवा क्यों धीरज धरता है, यह समझने से हमें उस दिन की आस लगाए रखने में मदद मिलती है जब वह अपने लोगों का उद्धार करेगा। और हम कभी यह नहीं सोचेंगे कि परमेश्‍वर अपने वादे पूरे करने में देर कर रहा है। (विलापगीत 3:26) हम परमेश्‍वर के राज्य के आने की प्रार्थना करते रहेंगे और यह भरोसा रखेंगे कि यहोवा जानता है कि हमारी इस प्रार्थना का जवाब देने का सबसे सही वक्‍त कौन-सा है। इसके अलावा, हमें इस बात की भी प्रेरणा मिलती है कि हम कलीसिया में भाई-बहनों से और प्रचार में लोगों से पेश आते वक्‍त, परमेश्‍वर की तरह धीरज दिखाएँ। हम भी यह नहीं चाहते कि कोई नाश हो बल्कि यह कि लोग पश्‍चाताप करें और हमारी तरह उन्हें भी हमेशा की ज़िंदगी की आशा मिले।—1 तीमुथियुस 2:3, 4.

नबियों के धीरज पर गौर कीजिए

12, 13. याकूब 5:10 को सच ठहराते हुए, यशायाह नबी धीरज धरने में कैसे कामयाब रहा?

12 यहोवा के धीरज पर गौर करने से, हमें इस गुण की अहमियत समझने और उसे अपने अंदर बढ़ाने में मदद मिलती है। माना कि हम पापी इंसानों के लिए धीरज का गुण बढ़ाना इतना आसान नहीं, मगर यह मुमकिन ज़रूर है। इस मामले में, हम परमेश्‍वर के प्राचीन सेवकों की मिसाल से सीख सकते हैं। चेले याकूब ने लिखा था: “हे भाइयो, जिन भविष्यद्वक्‍ताओं ने प्रभु के नाम से बातें कीं, उन्हें दुख उठाने और धीरज धरने का एक आदर्श समझो।” (याकूब 5:10) हमें इस बात से कितनी हिम्मत और तसल्ली मिलती है कि आज हम जिन मुश्‍किलों का सामना कर रहे हैं, दूसरे उन्हें पार करने में कामयाब रहे हैं।

13 यशायाह नबी को लीजिए, जिसे अपना काम पूरा करने के लिए बेशक धीरज धरने की ज़रूरत पड़ी होगी। इस बात का इशारा यहोवा ने उसी वक्‍त कर दिया था जब उसने यह कहा: “जा, और इन लोगों से कह, सुनते ही रहो, परन्तु न समझो; देखते ही रहो, परन्तु न बूझो। तू इन लोगों के मन को मोटे और उनके कानों को भारी कर, और उनकी आंखों को बन्द कर; ऐसा न हो कि वे आंखों से देखें, और कानों से सुनें, और मन से बूझें, और मन फिरावें और चंगे हो जाएं।” (यशायाह 6:9, 10) हालाँकि लोगों ने बार-बार यशायाह की बातों को अनसुना कर दिया, मगर फिर भी वह धीरज के साथ यहोवा की चेतावनी का संदेश कम-से-कम 46 साल तक सुनाता रहा! उसी तरह, अगर हममें धीरज का गुण होगा, तो हम खुशखबरी सुनाने से कभी पीछे नहीं हटेंगे, फिर चाहे लोग अपने कान बंद क्यों न कर लें।

14, 15. ज़ुल्म सहने और निराशा की भावनाओं का सामना करने में, किस बात ने यिर्मयाह की मदद की?

14 नबियों को अपनी सेवा के दौरान न सिर्फ लोगों की बेरुखी सहनी पड़ी, बल्कि उन पर ज़ुल्म भी ढाए गए। जैसे, यिर्मयाह को काठ पर ठोंका गया था, उसे “घर में बन्दी” बनाया गया और बाद में उसे एक दलदल में फेंक दिया गया था। (यिर्मयाह 20:2; 37:15; 38:6) उसने ये सारे ज़ुल्म उन्हीं लोगों के हाथ सहे जिनकी वह मदद करना चाहता था। फिर भी, यिर्मयाह के दिल में कड़वाहट नहीं थी और ना ही उसने बदला लेने की सोची। इसके बजाय, वह सालों-साल धीरज धरता रहा।

15 किसी भी तरह का ज़ुल्म या हँसी-ठट्ठा न तो यिर्मयाह को भविष्यवाणी करने से रोक पाया था और ना ही आज हमारा मुँह बंद कर सकता है। मगर हाँ, ऐसे हालात में हम कभी-कभी शायद निराश हो जाएँ, ठीक जैसे यिर्मयाह निराश हो गया था। उसने लिखा: “यहोवा का वचन दिन भर मेरे लिये निन्दा और ठट्ठा का कारण होता रहता है। . . . मैं उसकी चर्चा न करूंगा न उसके नाम से बोलूंगा।” फिर क्या हुआ? क्या यिर्मयाह ने प्रचार करना बंद कर दिया? वह खुद आगे कहता है: ‘मेरे हृदय की ऐसी दशा हो जाती है मानो [परमेश्‍वर का वचन] मेरी हड्डियों में धधकती हुई आग हो, और मैं अपने को रोकते रोकते थक गया पर मुझ से रहा नहीं जाता।’ (यिर्मयाह 20:8, 9) गौर कीजिए कि जब यिर्मयाह ने ठट्ठा करनेवालों के बारे में सोचा तो वह निराश हो गया। मगर जब उसने उस पैगाम पर ध्यान दिया कि वह कितनी अहमियत रखता है और कितना शानदार है तो उसकी खुशी लौट आयी। इतना ही नहीं, यहोवा एक “भयंकर वीर के समान” यिर्मयाह के साथ रहकर उसे लगातार ताकत देता रहा ताकि वह पूरे जोश और हिम्मत के साथ परमेश्‍वर के वचन का ऐलान कर सके।—यिर्मयाह 20:11.

16. खुशखबरी सुनाने के काम में हम अपनी खुशी कैसे बरकरार रख सकते हैं?

16 क्या यिर्मयाह नबी अपने काम से खुश था? बिलकुल! उसने यहोवा से कहा: ‘जब तेरे वचन मेरे पास पहुंचे, तब मैं ने उन्हें मानो खा लिया, और तेरे वचन मेरे मन के हर्ष और आनन्द का कारण हुए; क्योंकि, हे यहोवा, मैं तेरा कहलाता हूं।’ (यिर्मयाह 15:16) यिर्मयाह इस बात से बेहद खुश था कि उसे सच्चे परमेश्‍वर की तरफ से बोलने और उसके वचन का ऐलान करने का सम्मान मिला है। उसकी तरह आज हम भी खुश हो सकते हैं कि हमें खुशखबरी सुनाने का बड़ा सम्मान मिला है। इसके अलावा, स्वर्गदूतों की तरह हमें भी इस बात की खुशी है कि दुनिया-भर में बहुत-से लोग राज्य संदेश को कबूल कर रहे हैं और पश्‍चाताप करके ऐसे रास्ते पर निकल पड़े हैं जो उन्हें हमेशा की ज़िंदगी की ओर ले जाएगा।—लूका 15:10.

‘अय्यूब का धीरज’

17, 18. अय्यूब ने किस तरह धीरज धरा, और इसका क्या नतीजा हुआ?

17 प्राचीन समय के नबियों के बारे में बताने के बाद, चेले याकूब ने लिखा: “तुम ने ऐयूब के धीरज के विषय में तो सुना ही है, और प्रभु की ओर से जो उसका प्रतिफल हुआ उसे भी जान लिया है, जिस से प्रभु की अत्यन्त करुणा और दया प्रगट होती है।” (याकूब 5:11) यहाँ जिस मूल यूनानी शब्द का अनुवाद “धीरज” किया गया है, उसमें और आयत 10 में “धीरज धरने” के लिए इस्तेमाल किए गए यूनानी शब्द में हलका फर्क है। इस फर्क के बारे में एक विद्वान लिखते हैं: “[आयत 10] का धीरज हम तब दिखाते हैं जब लोग हमारे साथ बुरा सलूक करते हैं, जबकि [आयत 11] में धीरज का मतलब है मुश्‍किल-से-मुश्‍किल हालात में भी हिम्मत न हारना।”

18 अय्यूब ने पहाड़ जैसी मुश्‍किलों का सामना किया था। उसकी सारी संपत्ति लुट गयी, उसके सभी बच्चे एक-साथ मारे गए और वह खुद एक दर्दनाक बीमारी का शिकार हो गया। ऊपर से उस पर यह झूठा इलज़ाम लगाया गया कि यहोवा उसे उसके किए की सज़ा दे रहा है। अय्यूब ने ये सारे गम अपने सीने में दबाए नहीं रखे, बल्कि उसने अपना दर्द खुलकर बताया, और अपनी बातों से यह भी इशारा किया कि वह परमेश्‍वर से ज़्यादा धर्मी है। (अय्यूब 35:2) मगर इतना कुछ होने के बाद भी उसने न तो अपना विश्‍वास खोया, ना ही अपनी खराई टूटने दी। शैतान ने दावा किया था कि अय्यूब परमेश्‍वर की निंदा करेगा, मगर उसने ऐसा नहीं किया। (अय्यूब 1:11, 21) इसका अंत क्या रहा? “यहोवा ने अय्यूब के पिछले दिनों में उसको अगले दिनों से अधिक आशीष दी।” (अय्यूब 42:12) जी हाँ, यहोवा ने अय्यूब की सेहत लौटा दी, उसे दुगुनी दौलत दी और उसके घर को दोबारा आबाद किया जिससे उसकी बाकी ज़िंदगी अपने बीवी-बच्चों के संग खुशी से कट गयी। इसके अलावा, अय्यूब अपनी वफादारी और धीरज की वजह से यहोवा की शख्सियत को और अच्छी तरह जान पाया।

19. अय्यूब के धीरज से हम क्या सीखते हैं?

19 अय्यूब के धीरज से हम क्या सीखते हैं? अय्यूब की तरह हम भी किसी बीमारी या दूसरी मुसीबत का शिकार हो सकते हैं। ऐसे में हम शायद समझ न पाएँ कि यहोवा हमें ऐसी परीक्षा से क्यों गुज़रने दे रहा है। लेकिन हम एक बात का यकीन ज़रूर रख सकते हैं: अगर हम वफादार रहेंगे, तो वह हमें ज़रूर आशीष देगा। यहोवा अपने खोजनेवालों को इनाम देने से कभी नहीं चूकता। (इब्रानियों 11:6) यीशु ने कहा था: “जो अन्त तक धीरज धरे रहेगा, उसी का उद्धार होगा।”—मत्ती 10:22; 24:13.

‘प्रभु का दिन आएगा’

20. हम इस बात का पक्का यकीन क्यों रख सकते हैं कि यहोवा का दिन ज़रूर आएगा?

20 यहोवा धीरज धरने के साथ-साथ न्याय करनेवाला परमेश्‍वर भी है। इसलिए वह हमेशा के लिए दुष्टता को बरदाश्‍त नहीं करेगा। उसके धीरज की एक सीमा है। पतरस ने लिखा: “[परमेश्‍वर ने] प्रथम युग के संसार को भी न छोड़ा।” एक तरफ जहाँ नूह और उसका परिवार बच गया, वहीं दूसरी तरफ उस वक्‍त का भक्‍तिहीन संसार जल-प्रलय में डूबकर खत्म हो गया था। उसके बाद, यहोवा ने सदोम और अमोरा पर भी न्यायदंड लाया था और उसे भस्म करके राख में मिला दिया था। ये दोनों न्यायदंड, “आने वाले भक्‍तिहीनों के लिए एक उदाहरण” ठहरे। (NHT) जी हाँ, हम इस बात का पक्का यकीन रख सकते हैं: ‘प्रभु का दिन ज़रूर आएगा।’—2 पतरस 2:5, 6; 3:10.

21. हम धीरज कैसे दिखा सकते हैं, और अगले लेख में हम किस विषय पर चर्चा करेंगे?

21 तो आइए हम यहोवा के जैसा धीरज दिखाते हुए लोगों को पश्‍चाताप करने में मदद दें ताकि वे बच सकें। आइए हम नबियों की मिसाल पर भी चलें और धीरज के साथ खुशखबरी सुनाने के काम में लगे रहें, फिर चाहे लोग सुनें या ना सुनें। इसके अलावा, अगर हम अय्यूब की तरह आज़माइशों से गुज़रकर अपनी खराई बनाए रखते हैं, तो हम यहोवा से भरपूर आशीषें पाने का पक्का यकीन रख सकते हैं। अपनी सेवा से खुशी पाने की हमारे पास हर वजह मौजूद है, खासकर जब हम देखते हैं कि परमेश्‍वर के लोगों ने सारी दुनिया में खुशखबरी फैलाने में जो मेहनत की है, उस पर परमेश्‍वर ने कैसे आशीषें बरसायी हैं। यह बात हम अगले लेख में देखेंगे।

क्या आपको याद है?

• यहोवा धीरज क्यों दिखाता है?

• भविष्यवक्‍ताओं के धीरज से हम क्या सबक सीख सकते हैं?

• अय्यूब ने कैसे धीरज दिखाया, और इसका अंत क्या हुआ?

• हम कैसे जानते हैं कि यहोवा के धीरज की एक सीमा है?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 18 पर तसवीर]

यीशु ने बिलकुल अपने पिता जैसा धीरज दिखाया

[पेज 20 पर तसवीरें]

यहोवा ने यिर्मयाह को उसके धीरज के लिए क्या इनाम दिया?

[पेज 21 पर तसवीरें]

यहोवा ने अय्यूब को उसके धीरज के लिए क्या इनाम दिया?