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“सब जातियों पर गवाही”

“सब जातियों पर गवाही”

“सब जातियों पर गवाही”

“[तुम] पृथ्वी की छोर तक मेरे गवाह होगे।”—प्रेरितों 1:8.

1. यीशु के चेलों ने मत्ती 24:14 की भविष्यवाणी पहली बार कब और कहाँ सुनी?

 हममें से ज़्यादातर लोग मत्ती 24:14 में दर्ज़ यीशु के शब्दों को इतनी अच्छी तरह जानते हैं कि ये हमें मुँह-ज़बानी याद हैं। और क्यों न हो, आखिर यह एक गज़ब की भविष्यवाणी जो है! ज़रा सोचिए, पहली बार यह भविष्यवाणी सुनकर यीशु के चेलों के मन में क्या ख्याल आया होगा। वह साल था, सा.यु. 33. चेले यीशु के साथ यरूशलेम आए हुए थे। अब तक उन्हें यीशु के संग रहे करीब तीन साल हो चुके थे। इस दौरान, उन्होंने यीशु को बहुत-से चमत्कार करते देखा, साथ ही उसकी शिक्षाएँ भी सुनीं। यीशु से अनमोल सच्चाइयाँ सीखने के बाद वे बेहद खुश थे, मगर वे यह भी जानते थे कि सभी उनकी तरह खुश नहीं हैं। यीशु के बहुत-से दुश्‍मन थे जिनका समाज में ऊँचा ओहदा और काफी दबदबा था।

2. चेले आगे चलकर कौन-से खतरों और चुनौतियों का सामना करनेवाले थे?

2 जैतून पहाड़ पर चार चेले, यीशु के पास बैठकर बड़े ध्यान से उसकी बात सुन रहे थे। वह उन्हें बता रहा था कि भविष्य में उन्हें किन खतरों और चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। इससे पहले, यीशु ने उन्हें बताया था कि वह मार डाला जाएगा। (मत्ती 16:21) और अब, वह उन्हें साफ-साफ बता रहा था कि उन पर भी वहशियाना ज़ुल्म ढाए जाएँगे। यीशु ने कहा: “वे क्लेश दिलाने के लिये तुम्हें पकड़वाएंगे, और तुम्हें मार डालेंगे और मेरे नाम के कारण सब जातियों के लोग तुम से बैर रखेंगे।” उसने उन्हें यह भी बताया कि कलीसिया के अंदर झूठे भविष्यवक्‍ता उठेंगे और बहुतों को भरमाएँगे। कुछ ठोकर खाएँगे, एक-दूसरे से नफरत और गद्दारी करेंगे। यहाँ तक कि परमेश्‍वर और उसके वचन के लिए कइयों का, दरअसल “बहुतों” का प्रेम ठंडा हो जाएगा।—मत्ती 24:9-12.

3. मत्ती 24:14 में दर्ज़ यीशु के शब्द क्यों हैरान कर देनेवाले हैं?

3 यह सब सुनकर चेले बहुत निराश हुए होंगे। मगर तभी यीशु ने उन्हें एक ऐसी बात बतायी जिससे वे ज़रूर हक्के-बक्के रह गए होंगे। उसने कहा: “राज्य का यह सुसमाचार सारे जगत में प्रचार किया जाएगा, कि सब जातियों पर गवाही हो, तब अन्त आ जाएगा।” (मत्ती 24:14) जी हाँ, “सत्य पर गवाही” देने का जो काम यीशु ने इस्राएल में शुरू किया था, वह आगे भी जारी रहता और पूरी दुनिया में फैल जाता। (यूहन्‍ना 18:37) वाकई, यह एक कमाल की भविष्यवाणी थी! चेलों के लिए “सब जातियों” को प्रचार करना अपने आप में एक बड़ी चुनौती होती; और उस पर ‘सब जातियों के लोगों के बैर’ का सामना करते हुए प्रचार करना यकीनन किसी चमत्कार से कम न होता। इस बड़े काम के पूरा होने से न सिर्फ यह साबित हो जाता कि यहोवा ही पूरे जहान का मालिक है और वही सबसे शक्‍तिशाली है, बल्कि यह भी कि वह प्यार करनेवाला, दया दिखानेवाला और धीरज धरनेवाला परमेश्‍वर भी है। इसके अलावा, प्रचार का काम उसके सेवकों को अपना विश्‍वास और अपनी भक्‍ति ज़ाहिर करने का भी बढ़िया मौका देता।

4. गवाही देने का काम किसे सौंपा गया, और यीशु ने उनकी हिम्मत बढ़ाने के लिए क्या कहा?

4 यीशु ने अपने चेलों को साफ-साफ जता दिया था कि उन्हें एक बहुत ही ज़रूरी काम करना है। स्वर्ग लौटने से पहले, उसने अपने चेलों के सामने प्रकट होकर कहा: “जब पवित्र आत्मा तुम पर आएगा तब तुम सामर्थ पाओगे; और यरूशलेम और सारे यहूदिया और सामरिया में, और पृथ्वी की छोर तक मेरे गवाह होगे।” (प्रेरितों 1:8) बेशक आगे चलकर और भी लोग इस काम में उनका साथ देते, फिर भी चेलों की गिनती कम होती। इसलिए जब उन्हें बताया गया कि परमेश्‍वर से मिले इस काम को पूरा करने के लिए यहोवा की शक्‍तिशाली पवित्र आत्मा उन्हें ताकत देगी, तो इससे उन्हें कितनी हिम्मत मिली होगी!

5. चेले गवाही देने के काम के बारे में क्या नहीं जानते थे?

5 चेले जानते थे कि उन्हें खुशखबरी का प्रचार करना था और “सब जातियों के लोगों को चेला बना[ना]” था। (मत्ती 28:19, 20) मगर उन्हें यह नहीं मालूम था कि किस हद तक गवाही दी जाएगी और अंत कब आएगा। इस बारे में आज हम भी कुछ नहीं जानते। ये बातें सिर्फ यहोवा तय कर सकता है। (मत्ती 24:36) जब उसे लगेगा कि हाँ, काफी अच्छी तरह से गवाही दी जा चुकी है, तब वह इस संसार पर अंत लाएगा। और तभी मसीही समझ पाएँगे कि जिस हद तक यहोवा का मकसद था, उस हद तक प्रचार काम पूरा हो चुका है। अंत के इस समय में कितने बड़े पैमाने पर गवाही दी जाती, इसका अंदाज़ा शायद ही शुरू के उन चेलों को रहा होगा।

पहली सदी में गवाही

6. सामान्य युग 33 के पिन्तेकुस्त में क्या घटना घटी, और उसके ठीक बाद क्या हुआ?

6 पहली सदी में, राज्य के प्रचार और चेले बनाने के काम से काफी बढ़िया नतीजे निकले थे। सामान्य युग 33 के पिन्तेकुस्त के दिन, करीब 120 चेले यरूशलेम की ऊपरी कोठरी में जमा हुए थे। तब उन पर परमेश्‍वर की पवित्र आत्मा उँडेली गयी। फिर प्रेरित पतरस ने एक जोशीला भाषण दिया जिसमें उसने समझाया कि इस चमत्कार का क्या मतलब है। इस भाषण को सुनने के बाद, करीब 3,000 लोग विश्‍वासी बन गए और उन्होंने बपतिस्मा लिया। यह तो बस शुरूआत थी। धर्म-गुरुओं ने सुसमाचार का प्रचार रोकने के लिए एड़ी-चोटी का ज़ोर लगाया, फिर भी “जो उद्धार पाते थे, उनको प्रभु प्रति दिन [चेलों] में मिला देता था।” देखते-ही-देखते, “उन की गिनती पांच हजार पुरुषों के लगभग हो गई।” उसके बाद, “प्रभु पर विश्‍वास करने वाले पुरुषों और स्त्रियों की भीड़ की भीड़ उनमें निरन्तर मिलती जा रही थी।” (NHT)—प्रेरितों 2:1-4, 8, 14, 41, 47; 4:4; 5:14.

7. कुरनेलियुस का मसीही बनना क्यों एक खास घटना थी?

7 सामान्य युग 36 में एक और खास घटना घटी। अन्यजाति के एक पुरुष, कुरनेलियुस ने अपनी ज़िंदगी में बदलाव किया और बपतिस्मा लेकर मसीही बन गया। यहोवा ने ही प्रेरित पतरस को परमेश्‍वर का भय माननेवाले इस आदमी के पास भेजा और इस तरह ज़ाहिर किया कि यीशु ने ‘सब जाति के लोगों को चेला बनाने’ की जो आज्ञा दी थी, यह सिर्फ अलग-अलग देशों में रहनेवाले यहूदियों के बारे में नहीं थी। (प्रेरितों 10:44, 45) यह जानकर मसीही अगुवों ने क्या किया? जब यहूदिया के प्रेरितों और पुरनियों ने यह समझा कि दूसरी जातियों यानी गैर-यहूदियों को भी खुशखबरी सुनायी जानी है, तो उन्होंने परमेश्‍वर की बड़ाई की। (प्रेरितों 11:1, 18) इस दौरान, यहूदियों के बीच प्रचार के अच्छे नतीजे मिलते रहे। कुछ साल बाद यानी शायद सा.यु. 58 के आस-पास, अन्यजाति के विश्‍वासी लोगों के अलावा “यहूदियों में से कई हजार” लोगों ने भी “विश्‍वास” दिखाया था।—प्रेरितों 21:20.

8. राज्य की खुशखबरी का लोगों पर क्या असर होता है?

8 पहली सदी के मसीहियों की गिनती बढ़ना वाकई काबिले-तारीफ था, मगर गौरतलब बात तो यह है कि उन मसीहियों में अलग-अलग शख्सियत रखनेवाले लोग थे। उन्होंने बाइबल का जो संदेश सुना, वह बहुत ही शक्‍तिशाली था। (इब्रानियों 4:12) उसे कबूल करने के बाद, उनकी ज़िंदगी की ही कायापलट हो गयी। उन्होंने अपनी ज़िंदगी से अशुद्ध कामों को दूर किया, नया मनुष्यत्व धारण किया और परमेश्‍वर के साथ एक रिश्‍ता कायम किया। (इफिसियों 4:22, 23) इन मसीहियों की तरह आज भी कई लोग सच्चाई को अपनाकर अपनी ज़िंदगी में ज़रूरी बदलाव कर रहे हैं। इस तरह के बदलाव करनेवाले सभी लोगों के सामने हमेशा की ज़िंदगी की बढ़िया आशा है।—यूहन्‍ना 3:16.

परमेश्‍वर के सहकर्मी

9. शुरू के मसीही, अपने किस सम्मान और ज़िम्मेदारी के बारे में जानते थे?

9 शुरू के मसीहियों ने जो भी कामयाबी हासिल की, उसका श्रेय उन्होंने खुद नहीं लिया। वे अच्छी तरह जानते थे कि “पवित्र आत्मा की सामर्थ” से ही वे प्रचार का काम कर पाए हैं। (रोमियों 15:13, 19) इसलिए आध्यात्मिक बढ़ोतरी का श्रेय सिर्फ यहोवा को जाना था। मगर साथ ही, वे मसीही यह भी जानते थे कि उन्हें “परमेश्‍वर के सहकर्मी” होने का बड़ा सम्मान और ज़िम्मेदारी मिली है। (1 कुरिन्थियों 3:6-9) इसलिए, यीशु की सलाह मानते हुए उन्होंने प्रचार काम को करने के लिए जी-तोड़ मेहनत की।—लूका 13:24.

10. सब जाति के लोगों को गवाही देने में, शुरू के कुछ मसीहियों ने कैसे मेहनत की?

10 पौलुस ने “अन्यजातियों के लिये प्रेरित” होने के नाते, समुद्र और ज़मीन पर हज़ारों किलोमीटर की दूरियाँ तय कीं और उसने यूनान और एशिया के रोमी प्रांत में कई कलीसियाओं की शुरूआत की। (रोमियों 11:13) वह रोम और शायद स्पेन तक भी गया था। इसी दरमियान प्रेरित पतरस, जिसे “खतना किए हुए लोगों के लिये सुसमाचार का काम” सौंपा गया था, दूसरी दिशा में बाबुल में प्रचार करने को गया। बाबुल में उस वक्‍त यहूदी लोगों की एक बड़ी आबादी बसी हुई थी। (गलतियों 2:7-9; 1 पतरस 5:13) इसके अलावा, प्रभु के काम में मेहनत करनेवाले बहुत-से लोगों में त्रूफैना और त्रूफोसा जैसी स्त्रियाँ भी थीं। पिरसिस नाम की एक और स्त्री के बारे में कहा गया है कि उसने “प्रभु में बहुत परिश्रम किया।”—रोमियों 16:12.

11. यहोवा ने चेलों की मेहनत पर कैसे आशीष दी?

11 यहोवा ने इन सभी सेवकों और दूसरे जोशीले प्रचारकों की मेहनत पर भरपूर आशीषें दीं। यीशु को यह भविष्यवाणी किए कि सब जातियों के लोगों को गवाही दी जाएगी, तीस साल भी नहीं गुज़रे थे कि पौलुस ने लिखा, “सुसमाचार” का “प्रचार आकाश के नीचे की सारी सृष्टि में किया” जा चुका था। (कुलुस्सियों 1:23) तो फिर, मत्ती 24:14 के मुताबिक क्या उस वक्‍त अंत आया? एक मायने में अंत ज़रूर आया था। यह अंत सा.यु. 70 में यहूदियों की पूरी व्यवस्था पर आया था, जब रोमी सेना ने आकर यरूशलेम और उसके मंदिर को खाक में मिला दिया। मगर यहोवा ने तय किया था कि शैतान के दुष्ट संसार का अंत लाने से पहले, सारे जगत में और भी बड़े पैमाने पर प्रचार किया जाना था।

आज जो गवाही दी जा रही है

12. शुरू के बाइबल विद्यार्थियों ने प्रचार करने की आज्ञा का क्या मतलब निकाला?

12 धर्मत्याग के एक लंबे दौर के बाद, 19वीं सदी के आखिर में सच्ची उपासना फिर से बहाल हुई। उस वक्‍त के बाइबल विद्यार्थी, जिन्हें आज यहोवा के साक्षी नाम से जाना जाता है, इस आज्ञा को अच्छी तरह समझ चुके थे कि उन्हें पूरी दुनिया में चेले बनाने का काम करना है। (मत्ती 28:19, 20) सन्‌ 1914 तक, लगभग 5,100 प्रचारक ज़ोर-शोर से प्रचार कर रहे थे, और करीब 68 देशों तक खुशखबरी पहुँच चुकी थी। मगर ये बाइबल विद्यार्थी मत्ती 24:14 के मतलब को पूरी तरह नहीं समझे थे। उन्‍नीसवीं सदी के आखिर में बहुत-सी बाइबल संस्थाओं ने बाइबल का, जिसमें सुसमाचार की किताबें भी शामिल हैं, अनुवाद करवाया और उसे छापकर दुनिया के कोने-कोने में बँटवाया। इसलिए कई सालों तक बाइबल विद्यार्थियों का मानना था कि बाइबल के इस तरह बाँटे जाने का मतलब है, सब जातियों के लोगों को गवाही दी जा चुकी है।

13, 14. परमेश्‍वर की इच्छा और मकसद के बारे में कौन-सी साफ समझ द वॉच टावर के 1928 के एक अंक में पेश की गयी थी?

13 यहोवा ने धीरे-धीरे अपने लोगों को अपनी मरज़ी और अपने मकसदों के बारे में और भी साफ समझ दी। (नीतिवचन 4:18) दिसंबर 1, 1928 की द वॉच टावर पत्रिका कहती है: “क्या हम कह सकते हैं कि बाइबल के बाँटे जाने का मतलब है कि राज्य के सुसमाचार का प्रचार करने की जो भविष्यवाणी की गयी थी, वह पूरी हो चुकी है? जी नहीं! माना कि बाइबलें बाँटी गयी हैं, फिर भी धरती पर परमेश्‍वर के साक्षियों के छोटे समूह के लिए यह ज़रूरी है कि वे ऐसा साहित्य छापें जिसमें परमेश्‍वर के [मकसद] के बारे में समझाया गया हो और फिर जिन घरों में बाइबल बाँटी गयी हैं, उन तक ये साहित्य पहुँचाएँ। वरना लोगों को मालूम नहीं होगा कि मसीहाई राज्य हमारे दिनों में स्थापित हो चुका है।”

14 द वॉच टावर का यही अंक आगे कहता है: “सन्‌ 1920 में . . . बाइबल विद्यार्थियों को मत्ती 24:14 में दर्ज़ हमारे प्रभु की भविष्यवाणी की सही समझ मिली। तब जाकर उन्हें एहसास हुआ कि ‘यह सुसमाचार’ जिसकी गवाही अन्यजातियों में यानी सभी देशों में दी जानी थी, वह आनेवाले राज्य का सुसमाचार नहीं था, बल्कि उस मसीहाई राजा का सुसमाचार था जिसने इस धरती पर हुकूमत करना शुरू कर दिया है।”

15. सन्‌ 1920 के दशक से लेकर अब तक, गवाही देने के काम में कैसे तेज़ी आयी है?

15 सन्‌ 1920 के दशक में ‘साक्षियों का छोटा समूह,’ छोटा नहीं रहा। इसके बाद के सालों में, ‘अन्य भेड़ों’ की एक “बड़ी भीड़” की पहचान की गयी और उन्हें भी इकट्ठा किया जाने लगा। (यूहन्‍ना 10:16, NW; प्रकाशितवाक्य 7:9) आज 66,13,829 प्रचारक 235 देशों में खुशखबरी सुनाने का काम कर रहे हैं। वाकई, आज यीशु की भविष्यवाणी क्या ही शानदार तरीके से पूरी हो रही है! इससे पहले “राज्य का यह सुसमाचार” कभी इतने बड़े पैमाने पर प्रचार नहीं किया गया। ना ही इससे पहले दुनिया में कभी यहोवा के वफादार सेवकों की इतनी बड़ी तादाद रही है।

16. पिछले सेवा साल के दौरान क्या-क्या काम किए गए थे? (पेज 27-30 में दिया चार्ट देखिए।)

16 सन्‌ 2005 के सेवा साल के दौरान, साक्षियों की यह बड़ी भीड़ प्रचार काम में काफी मसरूफ थी। एक अरब से भी ज़्यादा घंटे 235 देशों में खुशखबरी सुनाने में बिताए गए। करोड़ों वापसी भेंट की गयीं और लाखों बाइबल अध्ययन चलाए गए। यह काम कोई और नहीं बल्कि यहोवा के साक्षी पूरा कर रहे हैं, जो मुफ्त में दूसरों को परमेश्‍वर के वचन के बारे में बताने के लिए अपना समय और अपने साधन लगा रहे हैं। (मत्ती 10:8) यहोवा अपनी ज़बरदस्त शक्‍ति यानी पवित्र आत्मा के ज़रिए अपने सेवकों को लगातार ताकत दे रहा है ताकि वे उसकी मरज़ी पूरी कर सकें।—जकर्याह 4:6.

पूरी लगन के साथ गवाही देना

17. यीशु ने सुसमाचार का प्रचार करने की जो आज्ञा दी थी, उसे आज यहोवा के लोग कैसे पूरा कर रहे हैं?

17 यीशु ने सुसमाचार के प्रचार करने की बात करीब 2,000 साल पहले कही थी, फिर भी आज परमेश्‍वर के लोगों में इस काम को करने का जोश कम नहीं हुआ है। क्यों? क्योंकि हम जानते हैं, अगर हम धीरज धरते हुए भले काम करते रहें तो हम दरअसल यहोवा के जैसा प्यार, दया और धीरज दिखाते हैं। उसकी तरह, हम भी नहीं चाहते कि किसी का नाश हो, बल्कि यह कि लोग पश्‍चाताप करें और यहोवा के साथ मेल-मिलाप करें। (2 कुरिन्थियों 5:18-20; 2 पतरस 3:9) परमेश्‍वर की आत्मा, यहोवा के साक्षियों में नया जोश भरती है, इसलिए वे बड़े उत्साह के साथ धरती के कोने-कोने तक खुशखबरी का ऐलान कर रहे हैं। (रोमियों 12:11) नतीजा, हर कहीं लोग सच्चाई को अपना रहे हैं और यहोवा की प्यार-भरी हिदायतों के मुताबिक अपनी ज़िंदगी को बदल रहे हैं। आइए ऐसे कुछ लोगों की मिसाल पर गौर करें।

18, 19. क्या आप कुछ लोगों के अनुभव बता सकते हैं जिन्होंने खुशखबरी को कबूल किया है?

18 चार्ल्स, पश्‍चिम केन्या में एक किसान था। वह तंबाकू की खेती करता था। सन्‌ 1998 में, उसने 8,000 किलो से भी ज़्यादा तंबाकू बेचा और उसे एक सर्टिफिकेट मिला जिसमें उसे ‘तंबाकू का अव्वल दर्जे का किसान’ खिताब दिया गया था। उसी दौरान, वह बाइबल का अध्ययन करने लगा। कुछ ही समय बाद, उसे एहसास हुआ कि तंबाकू की पैदावार करनेवाला, यीशु की इस आज्ञा को तोड़ता है कि अपने पड़ोसियों से प्रेम रखो। (मत्ती 22:39) जब वह इस नतीजे पर पहुँचा कि “तंबाकू का अव्वल दर्जे का किसान” दरअसल ‘अव्वल दर्जे का कातिल’ है, तो उसने अपने खेत में ज़हर छिड़क दिया और तंबाकू की सारी फसल नाश कर दी। इसके बाद, उसने सच्चाई में तरक्की की और अपनी ज़िंदगी यहोवा को समर्पित करके बपतिस्मा ले लिया। आज, वह एक पायनियर और सहायक सेवक है।

19 इसमें कोई शक नहीं कि यहोवा दुनिया-भर में गवाही के काम के ज़रिए सारी जातियों को कंपकंपा रहा है और मनभावनी वस्तुएँ यानी लोग उसके संगठन में आ रहे हैं। (हाग्गै 2:7) इसकी एक मिसाल है, पुर्तगाल का रहनेवाला पेद्रू। वह 13 बरस का था जब उसने पादरी बनने के लिए एक सेमिनरी में दाखिला लिया। उसका अरमान था, एक मिशनरी बनकर लोगों को बाइबल सिखाना। मगर क्लास में बाइबल पर ज़्यादा चर्चा नहीं की जाती थी, इसलिए कुछ ही समय बाद पेद्रू ने सेमिनरी छोड़ दी। छः साल बाद, वह लिस्बन की एक यूनिवर्सिटी में मनोविज्ञान की पढ़ाई कर रहा था। लिस्बन में वह अपनी मौसी के यहाँ रहता था जो यहोवा की एक साक्षी थी। मौसी ने उसे बाइबल का अध्ययन करने का बढ़ावा दिया। मगर इस मुकाम पर, पेद्रू परमेश्‍वर के वजूद पर शक करने लगा था और वह यह तय नहीं कर पा रहा था कि उसे बाइबल अध्ययन के लिए हाँ कहना चाहिए या नहीं। उसने अपने मनोविज्ञान के प्रोफेसर से फैसला न कर पाने के बारे में बात की। प्रोफेसर ने उसे बताया कि मनोविज्ञान में एक उसूल है कि जो इंसान फैसला नहीं कर पाता, वह खुद को तबाह कर लेता है। फिर क्या था, पेद्रू ने बाइबल अध्ययन करने की ठान ली। उसने हाल ही में बपतिस्मा लिया है और अब खुद दूसरों के साथ बाइबल अध्ययन चला रहा है।

20. हम इस बात से क्यों खुश हो सकते हैं कि सब जातियों के लोगों को इतने बड़े पैमाने पर गवाही दी जा रही है?

20 हम अब भी यह नहीं जानते कि किस हद तक सब जातियों के लोगों को गवाही दी जाएगी और किस दिन या घड़ी इस संसार का अंत आएगा। हमें बस इतना पता है कि अंत बहुत ही करीब है। हमें इस बात की बड़ी खुशी है कि बड़े पैमाने पर खुशखबरी प्रचार करने का काम उन निशानियों में से एक है जो दिखाती हैं कि वह दिन दूर नहीं जब परमेश्‍वर का राज्य, इंसानी सरकारों की जगह ले लेगा। (दानिय्येल 2:44) हर साल, प्रचार के ज़रिए करोड़ों लोगों को मौका दिया जा रहा है कि वे सुसमाचार को कबूल करें, और इससे हमारे परमेश्‍वर, यहोवा की महिमा होती है। इसलिए आइए हम यह ठान लें कि यहोवा के वफादार बने रहें और दुनिया-भर के अपने भाइयों के साथ मिलकर सब जातियों के लोगों को गवाही देने में लगे रहें। ऐसा करने से हम न सिर्फ अपनी, बल्कि अपने सुननेवालों की भी जान बचा पाएँगे।—1 तीमुथियुस 4:16.

क्या आपको याद है?

मत्ती 24:14 क्यों एक गज़ब की भविष्यवाणी है?

• शुरू के मसीहियों ने प्रचार करने में कैसे मेहनत की, और इसका क्या नतीजा निकला?

• बाइबल विद्यार्थियों ने कैसे सब जातियों के लोगों को गवाही देने के बारे में सही समझ हासिल की?

• पिछले सेवा साल के दौरान यहोवा के लोगों ने जो काम किए, उसके बारे में कौन-सी बात आपको सबसे ज़्यादा अच्छी लगी?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 27-30 पर चार्ट]

संसार-भर में यहोवा के साक्षियों की 2005 सेवा साल रिपोर्ट

(पत्रिका देखिए)

[पेज 25 पर नक्शा/तसवीरें]

पौलुस ने खुशखबरी सुनाने के लिए समुद्र और ज़मीन पर हज़ारों किलोमीटर का सफर तय किया

[पेज 24 पर तसवीर]

यहोवा ने पतरस को भेजा था कि कुरनेलियुस और उसके परिवार को जाकर गवाही दे