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बाइबल के संग्रह का बहुत पुराना सबूत

बाइबल के संग्रह का बहुत पुराना सबूत

बाइबल के संग्रह का बहुत पुराना सबूत

“ऐसा लगता है, इसकी हर लाइन खास तौर से उन लोगों की उत्सुकता बढ़ाने के लिए लिखी गयी हो, जो मसीहियत के प्राचीन इतिहास में दिलचस्पी रखते हैं।” यह बात एक पुराने दस्तावेज़ के बारे में कही गयी थी। क्या आप जानते हैं कि यह कौन-सा दस्तावेज़ है?

यह है मूराटोरी खंड। हो सकता है आपने यह नाम सुना हो या पहली बार सुन रहे हों। बात चाहे जो भी हो, आप शायद सोचें: ‘मूराटोरी खंड में ऐसी क्या खास बात है?’ यह अब तक का मौजूद सबसे पुराना संग्रह है, यानी इसमें मसीही यूनानी शास्त्र की उन किताबों की सूची दी गयी है जिन्हें सच्चा माना जाता है।

आप शायद बिना सवाल किए कुछ किताबों को बाइबल का हिस्सा मान लें। लेकिन, यह जानकर आपको ताज्जुब होगा कि एक वक्‍त ऐसा था जब कुछ लोग सवाल उठाते थे कि फलाँ किताब, बाइबल का हिस्सा होना चाहिए या नहीं। मूराटोरी खंड या संग्रह में उन किताबों के नाम दिए गए हैं जिन्हें ईश्‍वर-प्रेरित माना जाता है। इसलिए, यह जानना ज़रूरी है कि ठीक कौन-सी किताबें बाइबल का हिस्सा हैं। तो फिर, मूराटोरी दस्तावेज़ उन किताबों के बारे में क्या बताता है, जो आज मसीही यूनानी शास्त्र का हिस्सा हैं? सबसे पहले आइए इस दस्तावेज़ के बारे में कुछ जान लें।

इसकी खोज

मूराटोरी खंड, किताबों के आकार (कोडेक्स) की हस्तलिपि का एक हिस्सा है। यह कोडेक्स, चमड़े के 76 पन्‍नों से बना है और इसके हर पन्‍ने की लंबाई 27 सेंटीमीटर और चौड़ाई 17 सेंटीमीटर है। एक जाने-माने इतालवी इतिहासकार, लूडोवीको आन्टॉनयो मूराटोरी (सन्‌ 1672-1750) ने पहली बार इस खंड को मिलान, इटली के एम्ब्रोसियन लाइब्रेरी से खोज निकाला था। मूराटोरी ने सन्‌ 1740 में अपनी इस खोज के बारे में सारी दुनिया को बताया, इसलिए इस खंड का नाम ‘मूराटोरी खंड’ पड़ा। ऐसा मालूम होता है कि कोडेक्स को आठवीं सदी में उत्तर इटली, पियासेनज़ा के पास, बॉबीओ के प्राचीन मठ में तैयार किया गया था। फिर, 17वीं सदी की शुरूआत में इसे एम्ब्रोसियन लाइब्रेरी लाया गया।

मूराटोरी खंड, 85 लाइनों से मिलकर बना लेख है और यह वह हिस्सा है जो कोडेक्स के पेज 10 और 11 में आता है। ऐसा लगता है कि इसे एक शास्त्री ने लातिनी भाषा में नकल की थी और वह थोड़ा लापरवाह था। मगर 11वीं और 12वीं सदी के उसी लेख की चार हस्तलिपियों में इन्हीं लाइनों की जाँच करने पर उसकी कुछ गलतियों का पता चला है।

इसे कब लिखा गया था?

शायद आप यह सोच रहे होंगे कि मूराटोरी खंड को सबसे पहले कब लिखा गया था। ऐसा मालूम होता है कि इसका मूल पाठ यूनानी में, मूराटोरी खंड के लातिनी अनुवाद से सदियों पहले लिखा गया था। इसे ठीक कब लिखा गया था, यह जानने के लिए आइए एक सुराग पर गौर करें। यह खंड शेपहर्ड नाम की एक किताब का ज़िक्र करता है जो बाइबल का हिस्सा नहीं है। और कहता है कि उस किताब को हेरमस नाम के एक आदमी ने “हाल ही में, हमारे समय में रोम के शहर में” लिखा था। विद्वानों का कहना है कि हेरमस ने सा.यु. 140 और 155 के बीच अपनी किताब, शेपहर्ड को लिखना पूरा किया था। इसलिए, यह कहा जा सकता है कि मूराटोरी खंड को सबसे पहले यूनानी में सा.यु. 170 और 200 के बीच लिखा गया था।

मूराटोरी खंड में रोम के बारे में सीधे-सीधे या दूसरे तरीकों से इशारा करनेवाले हवाले दिखाते हैं कि शायद यह खंड उसी शहर में तैयार किया गया होगा। मगर इसका लेखक कौन है, इस पर बहस चल रही है। कुछ लोग कहते हैं कि इसे सिकंदरिया के क्लैमेंट ने लिखा तो कुछ, सरदीस के मेलटो या इफिसुस के पॉलिक्रेटज़ का नाम लेते हैं। मगर ज़्यादातर विद्वानों का मानना है कि इसे हिप्पॉलिटस ने लिखा था। वह एक लेखक था जिसने यूनानी में ढेर सारी किताबें लिखी थीं और वह रोम में उस समय जीया था जब शायद मूराटोरी खंड की रचना की गयी थी। मूराटोरी खंड का लेखक कौन है, इससे ज़्यादा आपको शायद यह जानने में दिलचस्पी हो कि इसमें क्या लिखा गया है जिसकी वजह से यह इतना अनमोल है।

इसमें दी जानकारी

मूराटोरी खंड, मसीही यूनानी शास्त्र की किताबों की सिर्फ एक सूची नहीं है। इसमें उन किताबों के और उनके लेखकों के बारे में जानकारी भी दी गयी है। इसे पढ़ने पर आप पाएँगे कि इसकी पहली लाइनें गायब हैं और आखिरी भी अचानक खत्म हो जाती हैं। पहली लाइनों के बाद यह खंड, लूका की सुसमाचार की किताब का ज़िक्र करता है और कहता है कि बाइबल की इस किताब का लेखक एक वैद्य था। (कुलुस्सियों 4:14) यह कहता है कि लूका की किताब, सुसमाचार की तीसरी किताब है। इससे आप समझ सकते हैं कि पहली लाइनें जो गायब हैं, उसमें शायद मत्ती और मरकुस की सुसमाचार की किताबों का ज़िक्र होगा। अगर आप इस नतीजे पर पहुँचते हैं, तो आप पाएँगे कि मूराटोरी खंड भी यही मानता है क्योंकि वह कहता है कि यूहन्‍ना, सुसमाचार की चौथी किताब है।

मूराटोरी खंड इस बात की हामी भरता है कि ‘प्रेरितों के काम’ नाम की किताब, लूका ने “श्रीमान्‌ थियुफिलुस” को लिखी थी। (लूका 1:3; प्रेरितों 1:1) फिर इसमें एक-के-बाद-एक उन पत्रियों के नाम गिनाए गए हैं जो प्रेरित पौलुस ने लिखी थीं: कुरिन्थियों (दो पत्रियाँ), इफिसियों, फिलिप्पियों, कुलुस्सियों, गलतियों, थिस्सलुनीकियों (दो पत्रियाँ), रोमियों, फिलेमोन, तीतुस और तीमुथियुस (दो पत्रियाँ)। यहूदा की पत्री और यूहन्‍ना की दो पत्रियों को भी ईश्‍वर-प्रेरित किताबें कहा गया है। प्रेरित यूहन्‍ना की पहली पत्री का ज़िक्र उसकी सुसमाचार की किताब के साथ पहले ही किया गया है। प्रकाशितवाक्य को ईश्‍वर-प्रेरित किताबों की सूची की आखिरी किताब बताया गया है।

गौरतलब है कि यह खंड ‘एपोकलिप्स ऑफ पीटर’ नाम की किताब का ज़िक्र करने के साथ-साथ यह भी कहता है कि कुछ लोगों का मानना है कि मसीहियों को यह किताब नहीं पढ़नी चाहिए। इस खंड का लेखक खबरदार करता है कि उसके दिनों में इसकी बहुत-सी नकली किताबें बाँटी गयी थीं। मूराटोरी खंड कहता है कि इन किताबों को सच्चा मानकर स्वीकार नहीं करना चाहिए “क्योंकि शहद के साथ पित्त मिलाना सही नहीं।” यह दस्तावेज़ और भी कई लेखों का ज़िक्र करता है जिन्हें पवित्र शास्त्र में शामिल नहीं किया जाना था। इसकी वजह यह थी कि हेरमस की शेपहर्ड किताब की तरह इन्हें प्रेरितों के ज़माने के बाद लिखा गया था या इसलिए कि इन लेखों ने धर्मत्याग का बढ़ावा दिया था।

बाइबल की ईश्‍वर-प्रेरित किताबों की जो सूची ऊपर दी गयी है, उसमें आपने गौर किया होगा कि इब्रानियों को लिखी पत्री, पतरस की दो पत्रियाँ और याकूब की पत्री का कोई ज़िक्र नहीं मिलता। मगर डॉ. जेफरी मार्क हाननमान ने इस हस्तलिपि के शास्त्री के काम को देखते हुए कहा कि “इससे तो यही उम्मीद की जा सकती है कि कुछ किताबों का हवाला छूट गया होगा और याकूब और इब्रानियों (और पहले पतरस) की पत्रियाँ उनमें से होंगी।”—मूराटोरी खंड और बाइबल के संग्रह का विकास, अँग्रेज़ी।

इस तरह हम देखते हैं कि मूराटोरी खंड पुख्ता करता है कि आज मसीही यूनानी शास्त्र में पायी जानेवाली ज़्यादातर किताबों को बहुत पहले यानी सा.यु. दूसरी सदी में पवित्र शास्त्र का भाग माना गया था। लेकिन, बाइबल की किताबों के सच्चा और बाइबल का हिस्सा होने का दारोमदार इस बात पर नहीं है कि उनके नाम किसी प्राचीन सूची में पाए जाते हैं कि नहीं। बल्कि उन किताबों में जो जानकारी दी गयी है, उससे पता चलता है कि ये किताबें, सचमुच परमेश्‍वर की पवित्र आत्मा से लिखी गयी हैं या नहीं। बाइबल की सारी किताबें यही पुख्ता करती हैं कि इसका लेखक, यहोवा परमेश्‍वर है और ये किताबें एक-दूसरे से पूरी तरह मेल खाती हैं। इसकी 66 ईश्‍वर-प्रेरित किताबों में जो गहरा ताल-मेल और एक-जैसे विचार पाए जाते हैं, वे उसकी एकता और पूर्णता का सबूत देते हैं। इसलिए इन किताबों के बारे में जो सच है, उसे मानने से आपको ही फायदा होगा। और सच यह है कि बाइबल, यहोवा का दिया सत्य वचन है जिसे हमारे दिनों तक महफूज़ रखा गया है।—1 थिस्सलुनीकियों 2:13; 2 तीमुथियुस 3:16, 17.

[पेज 13 पर तसवीर]

लूडोवीको आन्टॉनयो मूराटोरी

[पेज 14 पर तसवीर]

एम्ब्रोसियन लाइब्रेरी

[पेज 15 पर तसवीर]

मूराटोरी खंड

[चित्र का श्रेय]

Diritti Biblioteca Ambrosiana. Vietata la riproduzione. Aut. No. F 157 / 05

[पेज 13 पर चित्रों का श्रेय]

खंड: Diritti Biblioteca Ambrosiana. Vietata la riproduzione. Aut. No. F 157 / 05; लाइन आर्ट पर आधारित मूराटोरी: © 2005 Brown Brothers