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बोलिविया के अलग-थलग कसबों में पहुँचा सुसमाचार

बोलिविया के अलग-थलग कसबों में पहुँचा सुसमाचार

बोलिविया के अलग-थलग कसबों में पहुँचा सुसमाचार

हममें से करीब 20 लोग नदी के किनारे इकट्ठे हुए हैं। हम एक दिन के लिए नदी के ऊपर की ओर बसे कुछ गाँवों में जा रहे हैं। इस दिन का हमें बेसब्री से इंतज़ार था। हम ऐंडीज़ पर्वत के निचले हिस्से में खड़े हैं, जहाँ दूर-दूर तक का इलाका सपाट है और जहाँ पर बेनी नदी, ऐमज़ॉन झील से जा मिलती है। इस जगह की खूबसूरती देखने लायक है!

लेकिन हम सैर करने नहीं निकले हैं। हममें से कुछ तो यहीं रूरनबाकी कसबे के रहनेवाले हैं और कई ऐसे हैं जो दूर, शहरों से आकर यहाँ बस गए हैं। रूरनबाकी एक छोटा-सा खूबसूरत कसबा है जहाँ आपको फूलों से खिले पेड़ और फूस के छप्परवाले घर नज़र आएँगे। यहाँ के मोहल्ले काफी शांत हैं, बस कभी-कभार मोटरसाइकल-टैक्सी की आवाज़ इसकी खामोशी तोड़ देती है। लेकिन आप सोच रहे होंगे कि हम यह सफर क्यों तय कर रहे हैं?

दरअसल इस तरह का सफर बोलिविया के बाकी हिस्सों में भी किया जा रहा है। शहरों और दूसरे देशों से आए यहोवा के साक्षी, छोटे-छोटे कसबों में जाकर परमेश्‍वर के राज्य का सुसमाचार सुना रहे हैं।—मत्ती 24:14.

बोलिविया, दक्षिण अमरीका के बीचों-बीच बसा है। इस देश की ज़मीन, फ्रांस से दुगुनी है। मगर फ्रांस की जितनी आबादी है, उसकी सिर्फ 10 प्रतिशत आबादी बोलिविया में पायी जाती है। बोलिविया के ज़्यादातर लोग या तो शहरों में या आसमान की ऊँचाइयों पर बसे उन कसबों में रहते हैं, जहाँ खदानें होती हैं। या फिर वे वादियों के बीचों-बीच बसे खेतों के पास रहते हैं। मगर बोलिविया के गरम निचले हिस्सों में एक कसबे से दूसरे कसबे के बीच दूर-दूर तक जंगल फैला हुआ है।

सन्‌ 1950 और 1960 के दशकों में, बॆटी जैक्सन, एलसी मायनबर्ग, पैमला मोज़ली और शार्लट टॉमाशाफस्की जैसी दिलेर मिशनरियों ने इस देश के बहुत-से अलग-थलग कसबों में प्रचार का काम शुरू किया था। उन्होंने नेकदिल लोगों को बाइबल की सच्चाई सिखायी थी और छोटी-छोटी कलीसियाएँ शुरू करने में मदद दी थी। सन्‌ 1980 और 1990 के दशकों के दौरान, खासकर शहरों में यहोवा के साक्षियों की गिनती में छः गुना बढ़ोतरी हुई। आज, शहर के हर हिस्से में कलीसियाएँ पायी जाती हैं। आप ऐसे ज़िलों में कलीसियाएँ पाएँगे जहाँ के लोग ऊँची-ऊँची बिल्डिंगों में नौकरी करते हैं, आलीशान बँगलों में रहते हैं और सुपर-मार्केटों में खरीदारी करते हैं। मगर शहर से दूर ऐसे इलाकों में भी कलीसियाएँ हैं, जहाँ के लोग कच्ची ईंटों से बनी झुग्गियों में रहते हैं, रास्तों पर लगे बाज़ारों में खरीदारी करते हैं और रंग-बिरंगी आदिवासी पोशाक पहनते हैं। लेकिन अलग-थलग जगहों में रहनेवाले ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों को यहोवा के बारे में बताने के लिए क्या किया जा सकता है?

शहरी ज़िंदगी का आराम छोड़ना

पिछले 20 सालों के दौरान, बोलिविया में भारी तादाद में लोग खदानोंवाले कसबे और गाँव छोड़कर शहर आ गए हैं। ऐसा तो बहुत कम होता है कि लोग उलटी दिशा में, यानी शहरों को छोड़कर गाँवों में जा बसें। कई गाँवों की हालत तो ऐसी है कि पूरे गाँव में सिर्फ एक ही टेलिफोन है और बिजली दिन में सिर्फ कुछ घंटों के लिए ही रहती है। इन छोटे-मोटे कसबों में रहनेवाले साक्षी सिर्फ सालाना अधिवेशनों में अपने विश्‍वासी भाइयों से मिलते हैं। अधिवेशन की जगह तक पहुँचना ही उनके लिए महँगा, खतरनाक और थकाऊ होता है। गाँव के स्कूलों में सिर्फ बुनियादी शिक्षा दी जाती है। तो फिर, किस बात ने बहुत-से यहोवा के साक्षियों को प्रेरणा दी कि वे शहर छोड़कर ऐसे गाँवों में आएँ?

हाल ही में इस तरह का फैसला करनेवाले एक भाई, लूईस ने कहा: “मेरे आगे ला पाज़ शहर में एक करियर शुरू करने का सुनहरा मौका था। मगर मेरे माता-पिता हमेशा कहते थे कि चेला बनाने के काम से बेहतर कोई करियर नहीं हो सकता। इसलिए मैंने एक कोर्स किया जिसमें मैंने निर्माण के तरीके सीखे। एक बार, जब मैं छुट्टियों के लिए रूरनबाकी आया, तो मैंने देखा कि यहाँ के लोग सुसमाचार सुनने के लिए कितने बेताब हैं। और जब मैंने देखा कि यहाँ सिर्फ चंद भाई हैं, तो मुझे लगा जैसे मुझे यहाँ आकर मदद करनी ही चाहिए। फिलहाल मैं 12 बाइबल अध्ययन चला रहा हूँ। मिसाल के लिए, मैं एक नौजवान, उसकी पत्नी और उनके चार बच्चों के साथ अध्ययन कर रहा हूँ। यह आदमी पहले बहुत शराब पीता और जुआ खेलता था। मगर उसने ये सारी चीज़ें छोड़ दी हैं और अब वह यहोवा के बारे में जो भी सीख रहा है, वह अपने दोस्तों को बताता है। वह हमेशा अध्ययन के लिए पहले से तैयारी करता है। जब उसे तीन-चार दिन तक जंगलों में पेड़ काटने के लिए जाना पड़ता है, तो वह उदास हो जाता है क्योंकि वह अध्ययन करने या सभा में जाने का कोई भी मौका गँवाना नहीं चाहता। जब भी मैं उन्हें मसीही सभाओं में हाज़िर देखता हूँ, तो मुझे लगता है कि शहर की ज़िंदगी छोड़कर यहाँ आने का मेरा फैसला गलत नहीं था।”

ह्वाना एक साक्षी बहन है जो अकेली अपने बेटे की परवरिश करती है। वह कहती है: “मैं ला पाज़ में दूसरों के घरों में नौकरानी का काम करती थी। जब मेरा बेटा छोटा था, तब मैंने पूरे समय की सेवा शुरू की। एक मौके पर जब मैं रूरनबाकी आयी, तो मुझे एहसास हुआ कि यहाँ आकर मैं प्रचार में और भी लोगों की मदद कर सकती हूँ। इसलिए हम यहाँ आ गए और मुझे नौकरानी का काम मिल गया। पहले-पहल तो यहाँ की गर्मी और कीड़े-मकोड़ों को बरदाश्‍त करना मुश्‍किल लगा। लेकिन अब हमें यहाँ रहे सात बरस बीत चुके हैं। मैं हर हफ्ते कई बाइबल अध्ययन चला पाती हूँ। और कई विद्यार्थी अपनी कदर ज़ाहिर करने के लिए सभाओं में आते हैं।” ह्वाना और उसका बेटा उन लोगों में शामिल हैं जो बोट में बैठकर नदी के ऊपर की ओर बसे गाँवों में जा रहे हैं। क्यों न आप भी हमारे साथ चलें?

नदी के ऊपर की ओर का सफर

हम पहाड़ों के बीच तंग दरारों से होते हुए गुज़रते हैं और बोट के पीछे की तरफ इंजन बहुत ज़ोर-ज़ोर से आवाज़ करता है। तभी तोतों का एक झुंड चिचियाना शुरू कर देता है, मानो उन्हें हमारा आना पसंद न हो। पहाड़ों से मटीला पानी बड़ी तेज़ी से हमारी तरफ आता है, मगर बोट चलानेवाला बड़ी कुशलता से हमें उस प्रवाह से पार ले जाता है। दोपहर तक हम एक छोटे-से गाँव में पहुँच जाते हैं। वहाँ हमारी मुलाकात रूरनबाकी कलीसिया के एक प्राचीन से होती है जो बताता है कि हमें कहाँ प्रचार करना है।

गाँववाले बड़े प्यार से हमारा स्वागत करते हैं। वे हमें या तो पेड़ की छाँव तले बैठने को कहते हैं या अपने घर के अंदर बुलाते हैं, जिसकी दीवारें बाँस से और छत खजूर की डालियों से बनी हैं। फिर हमारी मुलाकात एक जवान जोड़े से होती है जो लकड़ी के एक कोल्हू में गन्‍ने का रस निकालने में लगे हुए हैं। रस निकलकर ताँबे के एक पतीले में जमा हो जाता है। बाद में वे इस रस को उबालकर शीरा बनाते हैं और कसबे में बेच आते हैं। यह जोड़ा हमें अपने घर में बुलाता है और बाइबल से बहुत-से सवाल पूछता है।

हम नदी के थोड़ा और ऊपर जाकर गाँव-गाँव में प्रचार करते हैं। कई लोग यह सुनकर बहुत खुश होते हैं कि बाइबल कहती है कि बीमारियों और मौत का नामो-निशान मिट जाएगा। (यशायाह 25:8; 33:24) इन गाँवों में इलाज की सुविधा ना के बराबर है, इसलिए ज़्यादातर परिवार अपने बच्चे को खोने के दर्दनाक हादसे से गुज़र चुके हैं। मछली पकड़ने या खेती-बाड़ी करने के लिए कमरतोड़ मेहनत करनी पड़ती है और इसके बावजूद कभी-कभी गाँववालों को दो वक्‍त की रोटी तक नहीं मिलती। इसी वजह से बहुतों को भजन 72 में दर्ज़ परमेश्‍वर के इस वादे में गहरी दिलचस्पी है जो बताता है कि एक सरकार आएगी जो गरीबी को हटा देगी। लेकिन क्या आपको लगता है कि इन दूर-दराज़ इलाकों में रहनेवाले लोग मसीही सभाओं में हाज़िर होने के लिए मेहनत करेंगे? यही बात एरिक और विकी को परेशान कर रही थी। वे सांता रोसा में पूरे समय के प्रचारक हैं। यह जगह ऐमज़ॉन झील के अंदर की तरफ तीन घंटे का रास्ता है।

क्या दिलचस्पी दिखानेवाले लोग आएँगे?

एरिक और विकी 12 साल पहले अमरीका के कैलिफोर्निया राज्य से बोलिविया आए थे। एक सफरी अध्यक्ष के कहने पर वे सांता रोसा आए। विकी कहती है: “पूरे कसबे में सिर्फ दो टेलिफोन हैं और यहाँ इंटरनेट की कोई सुविधा नहीं है। मगर हाँ, यहाँ जंगली जानवर भारी तादाद में पाए जाते हैं। जब हम अपनी मोटरसाइकल पर दूर-दराज़ इलाकों में प्रचार करने जाते हैं, तो हमें अकसर घड़ियाल, शुतुरमुर्ग और बड़े-बड़े साँप नज़र आते हैं। लेकिन जानवरों से ज़्यादा हमें लोगों में दिलचस्पी है। हम वाका दंपत्ति के साथ बाइबल अध्ययन करते हैं जिनके चार छोटे बच्चे हैं। वे सांता रोसा से करीब 26 किलोमीटर दूर रहते हैं। बच्चों का पिता पहले एक शराबी था मगर अब वह बदल गया है। हर हफ्ते वह अपने पूरे परिवार को और अपनी छोटी बहन को राज्य घर लाता है। वह अपनी पत्नी और नन्ही बच्ची को अपनी साइकल के पीछे बिठाकर लाता है। उनका नौ साल का बेटा अपनी छोटी बहन को एक दूसरी साइकल पर लाता है और उनका आठ साल का लड़का खुद साइकल चलाता है। उन्हें राज्य घर पहुँचने में तीन घंटे लगते हैं।” यह परिवार यहोवा से बहुत प्यार करता है और कलीसिया के साथ संगति करने की पूरी कोशिश करता है।

सिर्फ अठारह महीनों के अंदर, तीन लोग बपतिस्मे के योग्य हो गए हैं और करीब 25 लोग सांता रोसा के नए राज्य घर में आते हैं। हालाँकि बहुत-से लोग बाइबल का अध्ययन करना चाहते हैं, मगर यहोवा की सेवा करने के लिए कइयों को पहाड़ जैसी मुश्‍किलों को पार करना पड़ा है।

कानूनी तौर पर शादी करने की चुनौती

बोलिविया और ब्राज़ील की सरहद के पास एक अलग-थलग कसबे में मरीना और ऑस्नी नाम का मिशनरी जोड़ा सेवा कर रहा है। वे कहते हैं कि यहाँ रहनेवाले कई लोग शादी को एक अटूट बंधन नहीं मानते। इसलिए वे एक-के-बाद-एक साथी बदलते रहते हैं। ऑस्नी कहता है: “यह एक ऐसी समस्या है जो लोगों को आध्यात्मिक तरक्की करने से रोकती है। जब वे सच्चे मसीही बनना चाहते हैं, तो उनके लिए यह बड़ा पेचीदा और महँगा मसौदा होता है। क्योंकि कुछ लोगों को अपने पहले साथियों से पूरी तरह नाता तोड़कर कानूनी तौर पर शादी करनी होती है। फिर भी, कुछ लोगों ने समझा है कि कानूनी तौर पर शादी रजिस्टर करवाना बाइबल की एक माँग है, इसलिए रजिस्ट्रेशन की कानूनी फीस का बंदोबस्त करने के लिए उन्होंने बड़ी मेहनत की है।”—रोमियों 13:1, 2; इब्रानियों 13:4.

मरीना, नॉरबेरटो नाम के एक आदमी का अनुभव बताती है। “वह कई औरतों के साथ रह चुका था और अब एक बेकरी चलानेवाली के साथ रह रहा है। वह औरत उम्र में उससे 35 साल छोटी थी और उसका एक बेटा था जिसे नॉरबेरटो ने गोद लिया था। जैसे-जैसे वह लड़का बड़ा होता गया, नॉरबेरटो एक अच्छा पिता साबित होना चाहता था। इसलिए जब एक साक्षी ने बेकरी पर आकर उससे मुफ्त में बाइबल अध्ययन करने की पेशकश की, तो नॉरबेरटो ने हाँ कह दिया। उस वक्‍त तक उसे पढ़ना-लिखना नहीं आता था और उसकी उम्र 70 पार हो चुकी थी। जब नॉरबेरटो और उसकी साथी ने यहोवा की माँगों के बारे में सीखा, तो उन्होंने कानूनी तौर पर शादी कर ली और बाद में बपतिस्मा ले लिया। उस छोटे लड़के का क्या हुआ? आज वह एक ज़िम्मेदार मसीही जवान है, ठीक जैसे उसके सौतेले पिता ने चाहा था। नॉरबेरटो ने पढ़ना सीख लिया है और अब तो वह कलीसिया की सभाओं में भाषण भी देता है। भले ही बुढ़ापे की वजह से उसमें उतना दमखम नहीं है, मगर आज भी वह सुसमाचार का एक जोशीला प्रचारक है।”

यहोवा की आत्मा ताकत दे रही है

यीशु ने पहली सदी के अपने चेलों से कहा: “जब पवित्र आत्मा तुम पर आएगा तब तुम सामर्थ पाओगे; और . . . पृथ्वी की छोर तक मेरे गवाह होगे।” (प्रेरितों 1:8) यह देखकर हमें कितना हौसला मिलता है कि परमेश्‍वर की आत्मा मसीही स्त्री-पुरुषों को उभार रही है कि वे पृथ्वी की छोर तक उसकी गवाही दें! मिसाल के लिए, सन्‌ 2004 में बोलिविया में करीब 30 जोशीले मसीहियों ने खास पायनियर के नाते दूर-दराज़ इलाकों में कुछ समय के लिए प्रचार करने का न्यौता स्वीकार किया। वे विदेश से आए उन 180 भाई-बहनों की मिसाल के लिए शुक्रगुज़ार हैं जो बोलिविया में पायनियरों, सफरी अध्यक्षों, बेथेल स्वयंसेवकों या मिशनरियों की हैसियत से सेवा कर रहे हैं। बोलिविया में 17,000 राज्य प्रचारक हैं, जो दिलचस्पी रखनेवालों के घरों में करीब 22,000 बाइबल अध्ययन चला रहे हैं।

इन सभी भाइयों को यह जानकर कितनी खुशी मिलती है कि इस काम में यहोवा की आत्मा उन्हें मार्गदर्शन दे रही है। मिसाल के लिए, रॉबर्ट और केथी, मिशनरी बनकर कामीरी नाम की एक जगह जाने के लिए तैयार हो गए। यह कसबा हरे-भरे छोटे पहाड़ों के बीच बसा है और उसकी एक तरफ नदी बहती है। यह हमेशा से एक अलग-थलग जगह रही है। रॉबर्ट कहता है: “ऐसा लगता है कि हम बिलकुल सही समय पर आए थे। दो साल में करीब 40 लोग सुसमाचार के प्रचारक बने हैं।”

एक शराबी और जुआरी सुसमाचार सुनता है

बाइबल का अध्ययन करनेवालों में बदलाव देखकर कसबे के बहुत-से लोगों पर अच्छा असर पड़ा है। एरीएल ऐसा ही एक शख्स था जिसने अपनी ज़िंदगी में बदलाव किए। करीब 4 साल पहले की बात है। एक दिन वह बिस्तर पर से उठ नहीं पाया क्योंकि पिछली रात उसने कुछ ज़्यादा ही शराब पी ली थी। हालाँकि वह जुआ खेल-खेलकर बहुत मशहूर हो गया था, मगर उसे कई चिंताएँ खायी जा रही थीं, जैसे कि बढ़ता कर्ज़, शादीशुदा ज़िंदगी में तनाव और अपनी बेटियों पर ध्यान न दे पाना। वह यह सोच ही रहा था कि तभी यहोवा का एक साक्षी उसके घर आया। उस भाई ने बाइबल से जो कुछ समझाया, उसे एरीएल ने ध्यान से सुना। उसके जाने के बाद, एरीएल एक बार फिर बिस्तर से लग गया मगर शराब की वजह से नहीं बल्कि इस बार वह एक किताब पढ़ रहा था जिसमें सुखी परिवार, फिरदौस और परमेश्‍वर की सेवा के बारे में बताया गया था। बाद में, वह बाइबल का अध्ययन करने को राज़ी हो गया।

जब कामीरी में मिशनरी आए, उस वक्‍त तक एरीएल की पत्नी, आरमिन्डा भी अध्ययन कर रही थी मगर उसमें उतनी उमंग नहीं थी। उसने कहा: “एरीएल पीना छोड़ दे, इसके लिए मैं कुछ भी करने को तैयार हूँ। मगर मुझे नहीं लगता कि यह अध्ययन उसकी मदद कर पाएगा। उसका कुछ नहीं हो सकता।” लेकिन आरमिन्डा को धीरे-धीरे बाइबल अध्ययन अच्छा लगने लगा। एक साल के अंदर उसने बपतिस्मा ले लिया और अपने परिवार को भी गवाही देना शुरू कर दिया। जल्द ही, उसके कई नाते-रिश्‍तेदारों ने यहोवा को अपना जीवन समर्पित कर दिया।

एरीएल का क्या हुआ? शराब, सिगरेट और जुए की लत छोड़ने के लिए उसे बड़ी जद्दोजेहद करनी पड़ी। मगर फिर, उसकी ज़िंदगी ने एक नया मोड़ लिया जब उसने अपने सारे दोस्तों और जान-पहचानवालों को यीशु की मौत के स्मारक पर बुलाया। उसने फैसला कर लिया था: “जो स्मारक पर नहीं आएँगे, उनसे मैं मिलना-जुलना छोड़ दूँगा। जो आएँगे, उनके साथ मैं बाइबल का अध्ययन करूँगा।” इस तरह उसने तीन बाइबल अध्ययन शुरू किए। एरीएल, कलीसिया का सदस्य बना भी नहीं था जब उसने अपने एक रिश्‍तेदार के साथ बाइबल अध्ययन किया। उस रिश्‍तेदार ने तरक्की की और एरीएल के साथ एक ही दिन बपतिस्मा लिया। आरमिन्डा, एरीएल के बारे में कहती है: “अब जब मैं एरीएल को देखती हूँ, तो मुझे यकीन ही नहीं होता कि यह वही एरीएल है।”

रॉबर्ट कहता है: “अब तक उसके परिवार के 24 सदस्य लगातार सभाओं में आ रहे हैं। दस सदस्यों का बपतिस्मा हो चुका है और आठ, बपतिस्मा-रहित प्रचारक हैं। कुछ लोगों ने उनके चालचलन में आए बदलाव को देखकर बाइबल का अध्ययन करना शुरू कर दिया है और सभाओं में भी आ रहे हैं। सभा की हाज़िरी 100 से बढ़कर 190 हो गयी है। मैं और केथी करीब 30 बाइबल अध्ययन चाल रहे हैं और वे सभी, सभाओं में आते हैं। हम यहाँ सेवा करते हुए बहुत खुश हैं।”

बोलिविया के अलग-थलग कसबों में जो हो रहा है, वह इस बात की एक झलक है कि बड़े पैमाने पर पूरी दुनिया में क्या हो रहा है। प्रकाशितवाक्य अध्याय 7 में दी भविष्यवाणी कहती है कि “प्रभु के दिन” में उन लोगों को इकट्ठा किया जाएगा जो बड़े क्लेश से बच निकलेंगे। (प्रकाशितवाक्य 1:10; 7:9-14) इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि सभी देशों से आए लाखों लोग एकता में रहकर एकमात्र सच्चे परमेश्‍वर की उपासना कर रहे हैं। इससे बड़ा सबूत और क्या हो सकता है कि परमेश्‍वर के वादे बहुत जल्द पूरे होंगे!

[पेज 9 पर तसवीर]

बॆटी जैक्सन

[पेज 9 पर तसवीर]

एलसी मायनबर्ग

[पेज 9 पर तसवीर]

पैमला मोज़ली

[पेज 9 पर तसवीर]

एकदम दायीं तरफ, शार्लट टॉमाशाफस्की

[पेज 10 पर तसवीर]

एरिक और विकी वहाँ सेवा करने आए जहाँ राज्य प्रचारकों की ज़्यादा ज़रूरत है

[पेज 10 पर तसवीर]

हर हफ्ते वाका परिवार राज्य घर जाने के लिए तीन घंटे साइकल चलाता है

[पेज 11 पर तसवीर]

बेनी नदी के पासवाले गाँवों में लोग पूरा ध्यान लगाकर सुसमाचार सुनते हैं

[पेज 12 पर तसवीर]

रॉबर्ट और केथी, मिशनरी के तौर पर कामीरी में सेवा कर रहे हैं