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‘हमें मसीह मिल गया है’

‘हमें मसीह मिल गया है’

‘हमें मसीह मिल गया है’

‘हमें मसीह मिल गया है।’ “जिसके विषय में मूसा ने व्यवस्था में, और नबियों ने भी लिखा है, वह हमें मिल गया है।” पहली सदी के दो जोशीले यहूदियों ने ये चौंका देनेवाली घोषणाएँ कीं। जिस मसीहा का उन्हें इंतज़ार था, आखिर वह आ ही गया। उन्हें इस बात का पूरा यकीन था!—यूहन्‍ना 1:35-45, NHT.

अगर आप उस समय के हालात और धार्मिक माहौल के बारे में सोचें, तो इन यहूदियों का विश्‍वास आपको और भी गौरतलब लगेगा। इससे पहले बहुत-से लोग बड़ी धूमधाम से आए थे और उन्होंने रोम की गुलामी से आज़ादी दिलाने के कई वादे किए थे। मगर जब इनमें से कोई भी, रोमियों के हाथों से यहूदियों को छुड़ा न सका, तो उनसे लगी सारी उम्मीदें चकनाचूर हो गयीं।—प्रेरितों 5:34-37.

लेकिन अन्द्रियास और फिलिप्पुस नाम के उन दो यहूदियों का यह विश्‍वास पल भर के लिए भी नहीं डगमगाया कि उन्हें सच्चा मसीहा मिल गया है। इसके उलट, जैसे-जैसे साल बीतते गए और उन्होंने खुद अपनी आँखों से देखा कि कैसे यह शख्स शक्‍तिशाली काम कर रहा था और मसीहा के बारे में भविष्यवाणियाँ पूरी कर रहा था, तो उनका भरोसा और भी मज़बूत हो गया कि हो न हो, यही मसीहा है।

इन दोनों ने और दूसरे कई लोगों ने उस शख्स पर क्यों विश्‍वास रखा और उन्हें क्यों इतना यकीन था कि वह एक और झूठा मसीहा या मक्कार नहीं है जो उनकी उम्मीदों पर पानी फेर देगा? किन सबूतों की बिना पर यह पुख्ता किया जाता है कि वही सच्चा मसीहा है?

बाइबल में दिए किस्से के मुताबिक, अन्द्रियास और फिलिप्पुस ने नासरत के रहनेवाले बढ़ई, यीशु को वह मसीहा कहा जिसके आने का वादा किया गया था और जिसका यहूदियों को बरसों से इंतज़ार था। (यूहन्‍ना 1:45) उस ज़माने में, बारीकियों पर ध्यान देनेवाले एक इतिहासकार लूका ने कहा कि यह मसीहा “तिबिरियुस कैसर के राज्य के पंद्रहवें वर्ष में” आया। (लूका 3:1-3) तिबिरियुस के राज्य का पंद्रहवाँ साल सा.यु. 28 के सितंबर के महीने से शुरू हुआ था और सा.यु. 29 के सितंबर में खत्म हुआ। लूका ने आगे यह भी कहा कि उस समय यहूदी, मसीहा के आने की “आस लगाए हुए थे।” (लूका 3:15) उसके आने का इंतज़ार उस दौरान ही क्यों किया जा रहा था? इसका जवाब हम आगे देखेंगे।

मसीहा होने के सबूत

मसीहा को एक अहम भूमिका निभानी थी, इसलिए लाज़िमी है कि सिरजनहार यहोवा ज़रूर कुछ सबूत देता ताकि उसके वफादार और सतर्क लोग मसीहा को पहचान सकें। क्यों? इसलिए कि जो सतर्क हैं, वे धोखेबाज़ों के झाँसे में नहीं आते, जैसे कई लोग आ गए थे।

जब एक राजदूत किसी दूसरे देश की सरकार के सामने खुद को पेश करता है, तो सबसे पहले वह ज़रूरी कागज़ात दिखाकर यह साबित करता है कि उसकी सरकार ने उसे राजदूत बनाकर भेजा है। उसी तरह, यहोवा ने बहुत पहले से दर्ज़ कर रखा था कि मसीहा क्या-क्या माँगें पूरी करेगा। इसलिए जब ‘विश्‍वास का कर्त्ता’ प्रकट हुआ तो मानो वह अपने साथ ज़रूरी कागज़ात या सबूत लेकर आया ताकि लोग पहचान सकें कि वही यहोवा का भेजा हुआ मसीहा है।—इब्रानियों 12:2.

मसीहा को जो माँगें पूरी करनी थीं, वे सदियों पहले बाइबल की बहुत-सी भविष्यवाणियों में दर्ज़ की गयी थीं। उन भविष्यवाणियों में हर छोटी-बड़ी बात बतायी गयी थी जैसे, मसीहा किस तरह आएगा, उसकी सेवा कैसी होगी, वह दूसरों के हाथों दुःख झेलेगा और उसे कैसी मौत मिलेगी। आपको शायद यह जानने में दिलचस्पी होगी कि उन भरोसेमंद भविष्यवाणियों में उसके पुनरुत्थान, उसके महान किए जाने और परमेश्‍वर के दाहिने हाथ बैठने, और भविष्य में उसकी हुकूमत से मिलनेवाली आशीषों के बारे में भी बताया गया है। ठीक जैसे एक इंसान के अँगूठे या उँगलियों के निशान किसी और से नहीं मिलते, उसी तरह इन तमाम भविष्यवाणियों की पूर्ति सिर्फ एक ही आदमी पर हो सकती थी यानी सच्चे मसीहा पर।

बेशक, जब सा.यु. 29 में यीशु प्रकट हुआ तो उस पर मसीहा के बारे में की गयीं सभी भविष्यवाणियाँ उसी वक्‍त पूरी नहीं हुईं। जैसे, उस वक्‍त तक उसे मार नहीं डाला गया था और ना ही उसका पुनरुत्थान हुआ था। फिर भी, यीशु की शिक्षाएँ सुनकर और उसके कामों को देखकर अन्द्रियास, फिलिप्पुस और बहुतों ने उस पर विश्‍वास किया। उन्हें ढेरों सबूत मिले कि यीशु ही मसीहा है। अगर आप उस ज़माने में होते और आप खुले दिमाग से सबूतों की जाँच करते, तो शायद आपको भी यकीन हो जाता कि यीशु ही मसीहा है।

अलग-अलग सबूतों से बनी पूरी तसवीर

इस नतीजे पर पहुँचने में क्या बात आपकी मदद करती? सदियों के दौरान, बाइबल के भविष्यवक्‍ताओं ने कुछ खास माँगें बतायी थीं जिन्हें मसीहा पूरा करता और जिनसे उसे पहचानने में कोई चूक नहीं होती। इन सदियों के दौरान, भविष्यवक्‍ताओं ने जो-जो जानकारी दी उससे मसीहा की एक तसवीर धीरे-धीरे उभरकर आयी। हेनरी एच. हैली कहता है: “मान लीजिए, अलग-अलग देशों से आए कई आदमी, जिन्होंने कभी एक-दूसरे को नहीं देखा, ना ही कभी एक-दूसरे से बात की है, एक कमरे में इकट्ठा होते हैं और हर आदमी संगमरमर का तराशा हुआ एक टुकड़ा निकालता है, जिन्हें जोड़कर एक बहुत खूबसूरत मूर्ति बनती है तो क्या आप इसे इत्तफाक कहेंगे? नहीं, आप तो यही नतीजा निकालेंगे कि किसी एक व्यक्‍ति ने उस मूर्ति को आकार दिया है और उसके टुकड़े इन अलग-अलग लोगों को भेजे हैं।” वह आगे कहता है: “अलग-अलग सदियों के रहनेवाले अलग-अलग लेखकों ने यीशु के आने के कई युगों पहले उसकी ज़िंदगी और उसके कामों के बारे में एकदम सही-सही जानकारी दी थी। इसे इत्तफाक कैसे कहा जा सकता है? क्या यह कहना सही नहीं होगा कि एक ऐसी हस्ती ने इस तमाम जानकारी को लिखवाया जो इंसान से कहीं ज़्यादा बुद्धिमान है?” हैली आखिर में कहता है कि यह सचमुच “अब तक का सबसे बड़ा अजूबा है!”

यह “अजूबा” बाइबल की पहली किताब से शुरू हुआ। उत्पत्ति किताब के लेखक ने मसीहा की भूमिका के बारे में बताते हुए बाइबल की पहली भविष्यवाणी दर्ज़ की। इसके अलावा, उसने यह भी लिखा कि मसीहा, इब्राहीम के वंश से आएगा। (उत्पत्ति 3:15; 22:15-18) एक और सुराग से पता चला कि मसीहा, यहूदा के गोत्र का होगा। (उत्पत्ति 49:10) परमेश्‍वर ने मूसा के ज़रिए इस्राएलियों से कहा कि मसीहा, मूसा से भी बड़ा प्रवक्‍ता और उद्धारकर्त्ता होगा।—व्यवस्थाविवरण 18:18.

राजा दाऊद की हुकूमत के दौरान, भविष्यवाणी ने प्रकट किया कि मसीहा, दाऊद की राजगद्दी का वारिस होगा और उसका राज्य ‘सदैव बना रहेगा।’ (2 शमूएल 7:13-16) मीका की किताब ने इस बात पर रोशनी डाली कि मसीहा, दाऊद के नगर बेतलेहेम में पैदा होगा। (मीका 5:2) यशायाह ने भविष्यवाणी की थी कि वह एक कुँवारी के गर्भ से जन्म लेगा। (यशायाह 7:14) भविष्यवक्‍ता मलाकी ने कहा कि एल्लियाह जैसा कोई शख्स मसीहा के आने का पहले से ऐलान करेगा।—मलाकी 4:5, 6.

मसीहा के बारे में एक और खास जानकारी दानिय्येल की किताब में दी गयी थी। वह यह थी कि मसीहा ठीक किस साल प्रकट होगा। भविष्यवाणी कहती है: “यह जान और समझ ले, कि यरूशलेम के फिर बसाने की आज्ञा के निकलने से लेकर अभिषिक्‍त प्रधान के समय तक सात सप्ताह बीतेंगे। फिर बासठ सप्ताहों के बीतने पर चौक और खाई समेत वह नगर कष्ट के समय में फिर बसाया जाएगा।”—दानिय्येल 9:25.

फारस के राजा अर्तक्षत्र ने अपनी हुकूमत के 20वें साल में यरूशलेम को दोबारा बसाने की “आज्ञा” दी थी। उसने सा.यु.पू. 474 में अपना राज शुरू किया था। इस हिसाब से उसके राज का 20वाँ साल सा.यु.पू. 455 हुआ। (नहेमायाह 2:1-8) भविष्यवाणी के मुताबिक, यरूशलेम को फिर से बसाने की आज्ञा से लेकर मसीहा के प्रकट होने तक 69 सप्ताहों को (7 और 62 सप्ताहों को जोड़कर) बीतना था। अगर हम उनहत्तर हफ्तों का हिसाब लगाएँ तो वे सिर्फ 483 दिन होते हैं या दो साल से भी कम समय। लेकिन अगर हम बाइबल में बताए “एक वर्ष की सन्ती एक दिन” का नियम लागू करें, तो उससे पता चलता है कि मसीहा को 483 साल बाद यानी सा.यु. 29 को प्रकट होना था।—यहेजकेल 4:6. *

मसीहा होने का दावा करनेवाले बहुत-से लोग अलग-अलग सालों के दौरान प्रकट हुए, मगर सिर्फ नासरत का रहनेवाला यीशु, सा.यु. 29 को दुनिया के सामने प्रकट हुआ। (लूका 3:1, 2) इसी साल यीशु ने यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाले के पास आकर पानी में बपतिस्मा लिया। उस वक्‍त, पवित्र आत्मा से मसीहा के तौर पर उसका अभिषेक किया गया। इसके बाद यूहन्‍ना ने, जो भविष्यवाणी के मुताबिक एलिय्याह जैसा काम करता और यीशु के लिए रास्ता तैयार करता, अन्द्रियास और एक दूसरे चेले को यीशु का परिचय देते हुए कहा कि “यह परमेश्‍वर का मेम्ना है, जो जगत का पाप उठा ले जाता है।”—यूहन्‍ना 1:29; लूका 1:13-17; 3:21-23.

वंशावली और मसीहा की पहचान

परमेश्‍वर की प्रेरणा से दर्ज़ भविष्यवाणियों ने बताया कि मसीहा चुने हुए यहूदी खानदान से आएगा। तो वाजिब है कि सिरजनहार जो सबकुछ जानता है, मसीहा को एक ऐसे समय पर धरती पर भेजता जब वंशावली के रिकॉर्ड उपलब्ध थे और यह साबित कर सकते थे कि यीशु उसी वंश से आया है।

मैकक्लिंटॉक और स्ट्रॉन्ग की साइक्लोपीडिया कहती है: “इसमें कोई शक नहीं कि [सा.यु. 70 में] यरूशलेम के विनाश के वक्‍त सारे यहूदी गोत्रों और परिवारों की वंशावली के रिकॉर्ड नष्ट हो गए थे, मगर उससे पहले नहीं।” इस बात के साफ सबूत हैं कि मत्ती और लूका ने सुसमाचार की अपनी किताबें सा.यु. 70 से पहले लिखी थीं। इसलिए यीशु की वंशावली लिखते वक्‍त उन्होंने वंशावली के इन रिकॉर्डों की मदद ली होगी। (मत्ती 1:1-16; लूका 3:23-38) और क्योंकि यह बहुत ही अहम विषय था, इसलिए उनके समय के बाकी लोग शायद खुद यीशु की वंशावली की जाँच करना चाहते होंगे।

भविष्यवाणियों का यीशु में पूरा होना—एक इत्तफाक?

लेकिन क्या ऐसा हो सकता है कि मसीहा के बारे में की गयी भविष्यवाणियों का यीशु में पूरा होना महज़ एक इत्तफाक था? एक विद्वान ने एक इंटरव्यू में इस सवाल का जवाब दिया: “यह इत्तफाक हो ही नहीं सकता। इसे एक हकीकत साबित करने के लिए सबूत इतने अनगिनत हैं कि इसे महज़ एक इत्तफाक कहने की गुंजाइश ही नहीं रहती। किसी ने हिसाब लगाया कि दस करोड़ अरब में से एक गुंजाइश ऐसी होगी कि किसी इंसान पर महज़ आठ भविष्यवाणियाँ पूरी हों।” इसे अच्छी तरह समझाने के लिए उसने एक मिसाल दी: “अगर आपके पास दस करोड़ अरब चाँदी के सिक्के हों, तो वे सिक्के टेक्सस के पूरे राज्य को [6,90,000 वर्ग किलोमीटर का इलाका] 2 फुट की गहराई तक भर सकते हैं। अगर उन सिक्कों में से आप एक पर निशान लगा दें और एक आदमी की आँखों पर पट्टी बाँधकर उसे पूरा राज्य घुमाएँ और फिर उसे एक सिक्का उठाने के लिए कहें, तो इसमें कितनी गुंजाइश होगी कि वह निशान लगे सिक्के को ही उठाएगा?” उसने आगे कहा कि “उतनी ही गुंजाइश इस बात में होगी कि इतिहास में कोई शख्स [मसीहा के बारे में] सिर्फ आठ भविष्यवाणियों को पूरा करे।”

फिर भी, अपनी साढ़े तीन साल की सेवा में यीशु ने आठ नहीं बल्कि बाइबल की ढेरों भविष्यवाणियाँ पूरी कीं। इतने सारे सबूतों को मद्देनज़र रखते हुए उस विद्वान ने कहा: “पूरे इतिहास में सिर्फ यीशु ही ऐसा कर सका, और कोई नहीं।”

मसीहा का ‘आना’

तो यह साफ है कि नासरत का रहनेवाला यीशु, सा.यु. 29 में मसीहा बनकर दुनिया के सामने आया। तब, वह नम्रता से हमारे लिए दुःख झेलकर एक मुक्‍तिदाता बना। वह यहूदियों को रोमियों के ज़ुल्म से छुड़ाने के लिए एक राजा बनकर नहीं आया, जैसा कि ज़्यादातर यहूदियों ने और उसके चेलों ने भी उम्मीद की थी। (यशायाह, अध्याय 53; जकर्याह 9:9; प्रेरितों 1:6-8) लेकिन यह बताया गया था कि भविष्य में वह सामर्थ और अधिकार के साथ आएगा।—दानिय्येल 2:44; 7:13, 14.

बाइबल की भविष्यवाणियों का गहरा अध्ययन करने पर दुनिया-भर में कई लोगों को यकीन हो चला है कि पहली सदी में मसीहा आया था और वह दोबारा आनेवाला है। सबूत शहादत देते हैं कि भविष्यवाणी के मुताबिक उसका दोबारा आना यानी उसकी “उपस्थिति” (NW) सन्‌ 1914 से शुरू हो चुकी है। * (मत्ती 24:3-14) इसी साल यीशु को स्वर्ग में परमेश्‍वर के राज्य का राजा बनाया गया था। बहुत जल्द वह धरती पर से उस बगावत के बुरे अंजामों को मिटाने के लिए कार्रवाई करेगा जो अदन में शुरू हुआ था। इसके बाद, उसके हज़ार साल की हुकूमत के दौरान वह उन सभी को आशीषें देगा जो विश्‍वास करते हैं कि वही वादा किया गया वंश और मसीहा है जो “जगत का पाप उठा ले जाता है।”—यूहन्‍ना 1:29; प्रकाशितवाक्य 21:3, 4.

यहोवा के साक्षियों को आपके साथ इस बारे में चर्चा करने में खुशी होगी कि वे सबूत क्या हैं और मसीहा का राज, आपके और आपके अज़ीज़ों के लिए क्या मायने रखता है।

[फुटनोट]

^ दानिय्येल 9:25 पर ज़्यादा जानकारी के लिए, इंसाइट ऑन द स्क्रिप्चर्स्‌, भाग 2 के पेज 899-904 देखिए। इसे यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है।

^ इस बारे में ज़्यादा जानकारी के लिए, ज्ञान जो अनन्त जीवन की ओर ले जाता है के अध्याय 10 और 11 देखिए। इसे यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है।

[पेज 6, 7 पर रेखाचित्र/तसवीरें]

सा.यु.पू. 455, ‘यरूशलेम को फिर से बसाने की आज्ञा’

सा.यु. 29, मसीहा प्रकट होता है

483 साल (भविष्यवाणी के 69 सप्ताह)—दानिय्येल 9:25

सन्‌ 1914, मसीहा स्वर्ग में राजा बना

मसीहा बहुत जल्द बुराई का अंत करके धरती को एक फिरदौस बनाएगा