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पूरी तरह ‘सचेत रहो’

पूरी तरह ‘सचेत रहो’

पूरी तरह ‘सचेत रहो’

“भोला तो हर एक बात को सच मानता है, परन्तु चतुर मनुष्य समझ बूझकर चलता है।”—नीतिवचन 14:15.

1, 2. (क) सदोम में लूत के साथ जो हुआ, उससे हम क्या सबक सीखते हैं? (ख) ‘सचेत रहो’ शब्दों का क्या मतलब है?

 जब इब्राहीम ने इलाका चुनने का मौका पहले लूत को दिया, तो लूत का ध्यान एक ऐसे हरे-भरे इलाके पर गया जो ‘यहोवा की बाटिका समान’ दिख रहा था। इसे देखते ही लूत ने सोचा होगा कि अपने परिवार को बसाने के लिए यह एकदम बढ़िया जगह है। तभी उसने “अपने लिये यरदन की सारी तराई को चुन” लिया और सदोम के पास डेरा डाला। लेकिन यह जगह देखने में जितनी खूबसूरत थी असल में उससे कहीं ज़्यादा बुरी थी, क्योंकि पास रहनेवाले “सदोम के लोग यहोवा के लेखे में बड़े दुष्ट और पापी थे।” (उत्पत्ति 13:7-13) वक्‍त के गुज़रते, लूत और उसके परिवार को भारी नुकसान उठाना पड़ा। नौबत यहाँ तक आयी कि उसे अपनी बेटियों के संग गुफा में रहना पड़ा। (उत्पत्ति 19:17, 23-26, 30) जो जगह शुरू-शुरू में लूत को इतनी बढ़िया लगी, वही जगह उसकी उम्मीद से बिलकुल उलट निकली।

2 लूत के साथ जो हुआ, उससे आज परमेश्‍वर के सेवक एक सबक सीख सकते हैं। ज़िंदगी में कोई भी फैसला लेते वक्‍त, हमें चौकस रहना चाहिए कि इससे क्या-क्या खतरे आ सकते हैं और पहली दफा हमें जो सही लगता है, उसी को सच मानकर धोखा खाने से बचना चाहिए। इसलिए परमेश्‍वर के वचन की यह सलाह बिलकुल सही है कि हम पूरी तरह ‘सचेत रहें।’ (1 पतरस 1:13) जिस यूनानी शब्द का अनुवाद ‘सचेत रहो’ किया गया है, उसका शाब्दिक अर्थ है, “गंभीर होना।” बाइबल विद्वान आर.सी.एच. लेनस्की के मुताबिक, गंभीरता का मतलब है “दिमाग से शांत और स्थिर रहना ताकि हर मामले की सही तरह से जाँच-परख कर सकें और इस तरह सही फैसला करने के काबिल बन सकें।” आइए कुछ हालात देखें जिनमें हमें गंभीरता से सोचने की ज़रूरत है।

कारोबार शुरू करने के मौकों की जाँच-परख

3. अगर कोई हमारे सामने नया कारोबार शुरू करने की पेशकश रखता है, तो हमें क्यों सावधान रहने की ज़रूरत है?

3 मान लीजिए कि कोई इज़्ज़तदार शख्स, आपके सामने नया कारोबार शुरू करने की पेशकश रखता है और शायद वह यहोवा का एक उपासक भी है। वह बड़े जोश से आपको बताता है कि इस बिज़नेस में आपकी चाँदी-ही-चाँदी होगी और आपको बढ़ावा देता है कि ऐसे मौके को हाथ से निकलने मत दो। यह सुनकर हो सकता है, आप अपने और अपने परिवार के लिए सुख-चैन की ज़िंदगी पाने का सपना देखने लगें, यहाँ तक कि खुद को शायद यह समझाने लगें कि इससे आप आध्यात्मिक कामों के लिए और भी वक्‍त दे पाएँगे। लेकिन नीतिवचन 14:15 खबरदार करता है: “भोला तो हर एक बात को सच मानता है, परन्तु चतुर मनुष्य समझ बूझकर चलता है।” नया कारोबार शुरू करने की खुशी में अकसर एक इंसान यह नहीं देख पाता कि इसमें लगाए पैसे के डूबने का खतरा कितना है, इसमें कौन-सी मुश्‍किलें आ सकती हैं, या यह कारोबार चलेगा भी या नहीं। (याकूब 4:13, 14) ऐसे में पूरी तरह सचेत रहना कितना ज़रूरी हो जाता है!

4. कारोबार की किसी पेशकश की जाँच करते वक्‍त हम कैसे ‘समझ बूझकर चल’ सकते हैं?

4 एक समझदार इंसान कारोबार की पेशकश कबूल करने से पहले इसकी जाँच करता है। (नीतिवचन 21:5) कई बार इस तरह जाँच करने से छिपे हुए खतरे खुलकर सामने आते हैं। कल्पना कीजिए कि आपके साथ ऐसा हो: एक इंसान अपने बिज़नेस के लिए आपसे उधार माँगता है और बदले में आपको मुनाफे का एक बड़ा हिस्सा देने की पेशकश रखता है। यह सुनकर आपका मन ललचा सकता है और आप शायद फौरन पैसा देने के लिए राज़ी हो जाएँ, लेकिन ज़रा रुककर सोचिए कि इसमें क्या-क्या खतरे हो सकते हैं। उधार लेनेवाला क्या इस बात के लिए राज़ी होता है कि चाहे उसका कारोबार चले या न चले, वह फिर भी आपके पैसे लौटाएगा, या क्या वह सिर्फ कामयाब होने पर ही आपका पैसा लौटाएगा? दूसरे शब्दों में कहें, अगर आपका पैसा डूब जाए तो क्या आप इसके लिए तैयार हैं? आप यह भी पूछ सकते हैं: “वह अलग-अलग लोगों से कर्ज़ क्यों ले रहा है, बैंक से क्यों नहीं लेता? कहीं बैंकवालों ने इस वजह से इनकार तो नहीं कर दिया है कि वह जो कारोबार शुरू करने की सोच रहा है, वह जोखिम-भरा है?” वक्‍त निकालकर खतरों की जाँच करने से आप कारोबार की पेशकश की सही-सही तसवीर हासिल कर पाएँगे।—नीतिवचन 13:16; 22:3.

5. (क) जब यिर्मयाह ने एक खेत खरीदा तो उसने समझदारी दिखाते हुए क्या किया? (ख) बिज़नेस के सिलसिले में जो भी बातें तय की जाती हैं, उसका लिखित इकरारनामा बनवाना क्यों फायदेमंद है?

5 जब भविष्यवक्‍ता यिर्मयाह ने अपने चचेरे भाई से एक खेत खरीदा तो उसने गवाहों के सामने इस लेन-देन का एक लिखित दस्तावेज़ बनाया, हालाँकि उसका भाई भी यहोवा का एक उपासक था। (यिर्मयाह 32:9-12) उसी तरह, आज एक समझदार इंसान इस बात का पूरा ध्यान रखेगा कि किसी के भी साथ, चाहे वह रिश्‍तेदार हो या कलीसिया का भाई-बहन, कोई भी कारोबार करते वक्‍त एक लिखित इकरारनामा या एग्रीमेंट बनाए। * अगर अच्छी तरह से तैयार किया गया इकरारनामा हो जिसमें सारी शर्तें साफ-साफ लिखी हों, तो गलतफहमियों से बचा जा सकता है, साथ ही रिश्‍तों में दरार भी नहीं पड़ेगी। दूसरी तरफ, अगर कोई लिखित इकरारनामा न हो तो अकसर इस वजह से यहोवा के सेवकों के बीच कारोबार को लेकर समस्याएँ खड़ी होती हैं। और अफसोस, ऐसी समस्याओं का अंजाम होता है कि कई लोगों का दिल टूट जाता है, रिश्‍तों में कड़वाहट आ जाती है, यहाँ तक कि एक इंसान आध्यात्मिक मायने में कमज़ोर हो जाता है।

6. हमें लालच से क्यों दूर रहना चाहिए?

6 हमें लालच से भी दूर रहना चाहिए। (लूका 12:15) बहुत बड़ा मुनाफा कमाने की बात सुनकर हम शायद उस कारोबार से जुड़े खतरों को न देख पाएँ जिसके कामयाब होने का कोई ठोस आधार नहीं है। कुछ लोग जिन्हें यहोवा की सेवा में बढ़िया ज़िम्मेदारियाँ मिली हैं, वे भी इस फंदे में जा फँसे हैं। परमेश्‍वर का वचन हमें चेतावनी देता है: “तुम्हारा स्वभाव लोभरहित हो, और जो तुम्हारे पास है, उसी पर सन्तोष करो।” (इब्रानियों 13:5) बिज़नेस करने के बारे में सोचते वक्‍त, एक मसीही को खुद से पूछना चाहिए, ‘क्या मेरे लिए यह कारोबार करना वाकई ज़रूरी है?’ अगर हम एक सादी ज़िंदगी जीएँ और यहोवा की उपासना को सबसे ज़्यादा अहमियत दें, तो हम “सब प्रकार की बुराइयों” से बचे रहेंगे।—1 तीमुथियुस 6:6-10.

कुँवारे मसीहियों की चुनौतियाँ

7. (क) बहुत-से कुँवारे मसीही किन चुनौतियों का सामना करते हैं? (ख) जीवन-साथी चुनने का, यहोवा के वफादार रहने से क्या ताल्लुक है?

7 यहोवा के बहुत-से सेवक शादी करने के लिए तरसते हैं, मगर अब तक उन्हें एक सही जीवन-साथी नहीं मिला है। कई देशों में समाज या बिरादरी के लोग शादी करने का दबाव डालते हैं। मगर संगी मसीहियों में से साथी मिलने की गुंजाइश शायद बहुत कम हो। (नीतिवचन 13:12) इन हालात में भी मसीही जानते हैं कि बाइबल की यह आज्ञा मानने से कि “केवल प्रभु में” शादी करो, हम यहोवा के वफादार बने रहते हैं। (1 कुरिन्थियों 7:39) ऐसे में कुँवारे मसीहियों पर जो दबाव या परीक्षाएँ आती हैं, उनका डटकर सामना करने के लिए उन्हें पूरी तरह सचेत रहने की सख्त ज़रूरत है।

8. शूलेम्मिन लड़की ने किस दबाव का सामना किया, और आज मसीही स्त्रियाँ ऐसी चुनौती का सामना किस तरह कर सकती हैं?

8 श्रेष्ठगीत की किताब में, गाँव की एक आम लड़की के बारे में बताया गया है जिसे शूलेम्मिन कहा गया है। इस लड़की पर राजा सुलैमान फिदा हो गया था। मगर शूलेम्मिन किसी और नौजवान से मुहब्बत करती थी। यह जानते हुए भी, राजा ने उसका दिल जीतने के लिए अपनी दौलत, शोहरत और अपना बाँकापन दिखाया। (श्रेष्ठगीत 1:9-11; 3:7-10; 6:8-10, 13) अगर आप एक मसीही स्त्री हैं, तो हो सकता है कि आपके न चाहते हुए भी कोई आप पर कुछ ज़्यादा ही ध्यान दे रहा है। मसलन, नौकरी की जगह पर कोई शख्स, जैसे ऊँचे ओहदे पर काम करनेवाला शायद कोई आपकी तारीफ करे, आप पर मेहरबान हो और आपके साथ वक्‍त बिताने के मौके तलाशे। ऐसी झूठी तारीफ और मेहरबानी से सावधान! हमेशा न सही, मगर ज़्यादातर ऐसे इंसान का इरादा रोमांस करने या नाजायज़ संबंध रखने का होता है। इसलिए शूलेम्मिन लड़की की तरह “दीवार” (NHT) बनकर अटल रहिए। (श्रेष्ठगीत 8:4, 10) अगर कोई आपके नज़दीक आने की कोशिश करता है, तो शक की गुंजाइश छोड़े बिना साफ-साफ उसे मना कीजिए। शुरू से ही अपने साथ काम करनेवालों को बताइए कि आप यहोवा की एक साक्षी हैं, और फिर हर मौके का फायदा उठाकर उन्हें गवाही दीजिए। इससे आप ही की हिफाज़त होगी।

9. इंटरनेट के ज़रिए किसी अजनबी के साथ रिश्‍ता जोड़ने में कुछ खतरे क्या हैं? (पेज 25 पर दिया बक्स भी देखिए।)

9 आजकल इंटरनेट पर ऐसे वेब साइट बहुत ही मशहूर होते जा रहे हैं जो खासकर कुँवारे लड़के-लड़कियों के लिए बनाए गए हैं ताकि वे अपना जीवन-साथी ढूँढ़ सकें। कुछ को लगता है कि इंटरनेट के ये वेब साइट, उन लोगों को जानने का एक बेहतरीन तरीका है जिनके साथ शायद ही उनकी कभी मुलाकात हो। लेकिन आँख मूँदकर किसी अजनबी के साथ रिश्‍ता जोड़ना, मुसीबतों को दावत देना है। इंटरनेट पर यह पता लगाना बेहद मुश्‍किल हो जाता है कि सच क्या है और झूठ क्या। (भजन 26:4) ज़रूरी नहीं कि यहोवा का सेवक होने का दावा करनेवाला हर शख्स सच कह रहा हो। इसके अलावा, इंटरनेट के ज़रिए किसी के साथ डेटिंग करने से गहरा लगाव पैदा हो सकता है और जब ऐसा होता है तो एक इंसान सोच-समझकर सही फैसला नहीं कर पाता। (नीतिवचन 28:26) चाहे इंटरनेट हो या कोई और ज़रिया, एक ऐसे इंसान के करीब आना बेवकूफी होगी जिसके बारे में हमें कुछ खास मालूम नहीं।—1 कुरिन्थियों 15:33.

10. कलीसिया के भाई-बहन, कुँवारे मसीहियों का हौसला कैसे बढ़ा सकते हैं?

10 यहोवा अपने सेवकों को “अत्यन्त करुणा” दिखाता है। (याकूब 5:11) वह जानता है कि जो मसीही अपनी मरज़ी से नहीं बल्कि हालात की वजह से अब तक कुँवारे हैं, वे चुनौतियों का सामना करते-करते कितने मायूस हो जाते होंगे। यहोवा ऐसे मसीहियों की वफादारी को अनमोल समझता है। कलीसिया के दूसरे भाई-बहन उनका हौसला कैसे बढ़ा सकते हैं? हमें इस बात के लिए लगातार उनकी तारीफ करनी चाहिए कि वे परमेश्‍वर की आज्ञा मान रहे हैं और त्याग की भावना दिखा रहे हैं। (न्यायियों 11:39, 40) जब हम मनोरंजन के ज़रिए एक-दूसरे का हौसला बढ़ाने के लिए इकट्ठा होते हैं, तब हम ऐसे भाई-बहनों को भी बुला सकते हैं। क्या आपने हाल में ऐसा किया है? इसके अलावा, हम उनकी खातिर प्रार्थना भी कर सकते हैं और यहोवा से गुज़ारिश कर सकते हैं कि वह उन्हें अपनी सेवा में बने रहने और इससे खुशी पाने में मदद दे। इस तरह उनमें सच्ची दिलचस्पी लेकर, आइए हम दिखाएँ कि यहोवा की तरह हम भी इन वफादार जनों की कदर करते हैं।—भजन 37:28.

सेहत से जुड़ी समस्याओं से निपटना

11. गंभीर बीमारियों की वजह से कौन-सी चुनौतियाँ सामने आती हैं?

11 जब हमें या हमारे किसी अज़ीज़ को कोई गंभीर बीमारी हो जाती है, तब ज़िंदगी में कैसी मायूसी छा जाती है! (यशायाह 38:1-3) जब हम सही इलाज ढूँढ़ने की कोशिश करते हैं, तब इस मामले में बाइबल के सिद्धांतों पर चलना बेहद ज़रूरी है। मिसाल के लिए मसीही, बाइबल की इस आज्ञा को मानने का पूरा ध्यान रखते हैं कि वे लहू से परे रहें। साथ ही, वे बीमारी का पता लगाने और इलाज कराने के ऐसे तरीकों से भी दूर रहते हैं जिनमें भूतविद्या शामिल हो। (प्रेरितों 15:28, 29; गलतियों 5:19-21) लेकिन जिन्हें चिकित्सा के बारे में कोई खास तालीम नहीं मिली, उनके लिए इलाज के अलग-अलग तरीकों की जाँच-परख करके सही चुनाव करना, काफी मुश्‍किल और उलझानेवाला काम हो सकता है। ऐसे में पूरी तरह सचेत रहने के लिए हम क्या कर सकते हैं?

12. इलाज का चुनाव करते वक्‍त, एक मसीही कैसे समझ से काम ले सकता है?

12 “चतुर मनुष्य” बाइबल और मसीही साहित्य में खोजबीन करने के ज़रिए “समझ बूझकर चलता है।” (नीतिवचन 14:15) दुनिया के कुछ हिस्सों में जहाँ डॉक्टर और अस्पताल बहुत कम हैं, वहाँ शायद इलाज का सिर्फ एक ही तरीका मौजूद हो, यानी पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलनेवाले इलाज के तरीके जिनमें जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है। अगर हम भी ऐसा इलाज कराने की सोच रहे हैं, तो अप्रैल 15, 1987 की प्रहरीदुर्ग (अँग्रेज़ी), पेज 26-9 पर दी जानकारी से हमें मदद मिल सकती है। यह लेख हमें खबरदार करता है कि इस तरह के इलाज के कुछ खतरे क्या हैं। मिसाल के लिए, हमें शायद इन बातों का पता लगाने की ज़रूरत पड़े: क्या यह हकीम प्रेतात्मवाद के लिए भी जाना जाता है? क्या इस इलाज का आधार यह विश्‍वास है कि देवताओं (या बाप-दादों की आत्माओं) के नाराज़ होने पर या फिर किसी दुश्‍मन के मंत्र फूँकने पर, एक इंसान बीमार पड़ता है या मर जाता है? क्या दवाओं को तैयार या इस्तेमाल करते वक्‍त बलियाँ चढ़ायी जाती हैं, मंत्र पढ़े जाते हैं, या फिर प्रेतात्मवाद से जुड़े दूसरे रिवाज़ पूरे किए जाते हैं? (व्यवस्थाविवरण 18:10-12) इस तरह जाँच-पड़ताल करने से हमें परमेश्‍वर की प्रेरणा से लिखी यह सलाह मानने में मदद मिलेगी: “सब बातों को परखो: जो अच्छी है उसे पकड़े रहो।” * (1 थिस्सलुनीकियों 5:21) इससे हम किसी भी किस्म के इलाज की न तो बुराई करेंगे, ना ही उसकी पैरवी करेंगे।

13, 14. (क) अपनी सेहत की देखभाल करने में हम कैसे समझ दिखा सकते हैं? (ख) स्वास्थ्य और इलाज के बारे में दूसरों के साथ चर्चा करते वक्‍त, हमें क्यों समझ से काम लेना चाहिए?

13 ज़िंदगी के हर दायरे में, यहाँ तक कि अपनी सेहत के मामले में भी हमें समझ से काम लेना चाहिए और कभी हद पार नहीं करनी चाहिए। (फिलिप्पियों 4:5, NW) अपनी सेहत का मुनासिब हद तक खयाल रखने से हम जीवन के अनमोल वरदान के लिए कदरदानी दिखाएँगे। इसलिए जब हमारी तबियत खराब होती है, तो बेशक इस पर ध्यान देना सही होगा। लेकिन साथ ही याद रखिए कि “जाति जाति की चंगाई” करने का परमेश्‍वर का समय आने पर ही, हम एकदम चुस्त-दुरुस्त और सेहतमंद होने की उम्मीद कर सकते हैं, उससे पहले नहीं। (प्रकाशितवाक्य 22:1, 2) इसलिए हमें एहतियात बरतनी चाहिए कि अपनी सेहत का खयाल रखने में हम इतने न खो जाएँ कि हमें अपनी आध्यात्मिक ज़रूरत को पूरा करने का वक्‍त ही न मिले, जो हमारी ज़िंदगी के लिए ज़्यादा ज़रूरी है।—मत्ती 5:3, NW; फिलिप्पियों 1:10.

14 स्वास्थ्य और इलाज के बारे में दूसरों के साथ चर्चा करते वक्‍त भी, हमें ध्यान रखना है कि हम हद-से-ज़्यादा इन बातों पर ज़ोर न दें और समझ से काम लें। मसीही सभाओं और सम्मेलनों में दूसरे भाई-बहनों से मिलते वक्‍त, हमें सिर्फ इन्हीं विषयों पर बात नहीं करनी चाहिए। इसके अलावा, इलाज के मामले में कोई भी फैसला करते वक्‍त यह देखना ज़रूरी होता है कि यह बाइबल के सिद्धांतों के मुताबिक हो, और इससे मरीज़ के विवेक और यहोवा के साथ उसके रिश्‍ते पर बुरा असर न पड़े। इसलिए किसी मसीही भाई-बहन पर अपनी राय थोपना या उस पर दबाव डालना कि वे अपने विवेक की आवाज़ न सुनें, ठीक नहीं होगा। हालाँकि कलीसिया के प्रौढ़ जनों से सलाह-मशविरा किया जा सकता है, फिर भी याद रखिए कि हर मसीही को “अपना ही बोझ उठा[ना]” है यानी अपने फैसले खुद करने हैं और इन फैसलों के लिए “हम में से हर एक परमेश्‍वर को अपना अपना लेखा देगा।”—गलतियों 6:5; रोमियों 14:12, 22, 23.

जब हम तनाव से गुज़रते हैं

15. तनाव भरे हालात का यहोवा के सेवकों पर क्या असर हो सकता है?

15 यहोवा के वफादार सेवक जब तनाव से गुज़रते हैं, तो वे भी नासमझी की बातें या काम कर बैठते हैं। (सभोपदेशक 7:7) अय्यूब को ही लीजिए। जब वह बड़ी आज़माइशों से गुज़रा, तो कुछ हद तक अपनी समझ-बूझ खो बैठा, और उसकी सोच को सुधारने की ज़रूरत आ पड़ी। (अय्यूब 35:2, 3; 40:6-8) “मूसा तो पृथ्वी भर के रहने वाले सब मनुष्यों से बहुत अधिक नम्र स्वभाव का था,” फिर भी एक मौके पर वह इस कदर भड़क उठा कि उसने बिना सोचे-समझे गलत बात कही। (गिनती 12:3; 20:7-12; भजन 106:32, 33) दाऊद ने मौका मिलने पर भी राजा शाऊल का कत्ल नहीं किया और इस तरह अपना संयम दिखाया, और यह वाकई बहुत बढ़िया बात थी। लेकिन जब नाबाल ने उसकी बेइज़्ज़ती की और उसके आदमियों को गाली दी, तो दाऊद आग-बबूला हो उठा और अपनी सूझ-बूझ खो बैठा। जब अबीगैल ने उसे रोका, तब दाऊद सचेत हुआ और एक बड़ी भूल करने से बाल-बाल बचा।—1 शमूएल 24:2-7; 25:9-13, 32, 33.

16. क्या बात हमें बिना सोचे-समझे कोई भी कदम उठाने से रोक सकती है?

16 हम भी तनाव भरे हालात से गुज़र सकते हैं जिसमें शायद हम अपनी सूझ-बूझ खो बैठें। ऐसे में अगर हम दाऊद की तरह, दूसरों की राय सुनें और समझें, तो बिना सोचे-समझे कोई भी काम करने और इस तरह पाप में पड़ने से बचेंगे। (नीतिवचन 19:2) और-तो-और, परमेश्‍वर का वचन हमें सलाह देता है: “क्रोध तो करो, पर पाप मत करो। अपने बिछौनों पर पड़े हुए मनन करो और शान्त रहो।” (भजन 4:4, NHT) अक्लमंदी इसी में है कि जहाँ तक हो सके, हम पहले शांत हो जाएँ और उसके बाद ही कोई कदम उठाएँ या फैसला करें। (नीतिवचन 14:17, 29) हम यहोवा से दिल से बिनती कर सकते हैं और “तब परमेश्‍वर की शान्ति, जो समझ से बिलकुल परे है, [हमारे] हृदय और [हमारे] विचारों को मसीह यीशु में सुरक्षित रखेगी।” (फिलिप्पियों 4:6, 7) परमेश्‍वर से मिली शांति हमें मज़बूत और स्थिर करेगी और पूरी तरह सचेत रहने में मदद देगी।

17. पूरी तरह सचेत रहने के लिए हमें यहोवा पर भरोसा क्यों रखना चाहिए?

17 खतरों से बचने और बुद्धिमानी से काम करने की लाख कोशिशों के बावजूद, हम सबसे गलती हो ही जाती है। (याकूब 3:2) ऐसा हो सकता है कि हम कोई गलत काम करने जा रहे हैं और हमें इस बात का एहसास तक नहीं है। (भजन 19:12, 13) यही नहीं, हम अदना इंसान, यहोवा से अलग होकर न तो अपने कदमों को सही राह पर ले जाने के काबिल हैं, ना ही इसका हमें अधिकार है। (यिर्मयाह 10:23) इसलिए हम कितने एहसानमंद हैं कि यहोवा हमें यकीन दिलाता है: “मैं तुझे बुद्धि दूंगा, और जिस मार्ग में तुझे चलना होगा उस में तेरी अगुवाई करूंगा; मैं तुझ पर कृपादृष्टि रखूंगा और सम्मति दिया करूंगा।” (भजन 32:8) जी हाँ, यहोवा की मदद से हम पूरी तरह सचेत रह सकते हैं।

[फुटनोट]

^ लिखित बिज़नेस इकरारनामों के बारे में ज़्यादा जानने के लिए प्रहरीदुर्ग के ये अंक देखिए: अगस्त 1, 1997, पेज 30-1; नवंबर 15, 1986 (अँग्रेज़ी), पेज 16-17. सजग होइए! (अँग्रेज़ी), फरवरी 8, 1983, पेज 13-15 भी देखिए। इन्हें यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है।

^ जो लोग किसी बीमारी का इलाज कराने के ऐसे तरीके अपनाने की सोच रहे हैं जिनके बारे में पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता कि ये सही हैं, उनके लिए भी इस तरह की जाँच-पड़ताल फायदेमंद होगी।

आप क्या जवाब देंगे?

हम इन मामलों में पूरी तरह सचेत कैसे रह सकते हैं:

• जब कारोबार की पेशकश हमारे सामने रखी जाती है?

• जब हम एक जीवन-साथी की तलाश करते हैं?

• जब हम बीमार होते हैं?

• जब हम तनाव से गुज़रते हैं?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 25 पर बक्स]

क्या आप इस पर भरोसा कर सकते हैं?

कुँवारे लड़के-लड़कियों के लिए बने वेब साइटों में यह पैगाम बार-बार लिखा होता है:

“हर एहतियात बरतने के बावजूद, इस बात की कोई गारंटी नहीं कि हर शख्स के बारे में जो लिखा है, वही उसकी सच्ची पहचान है।”

“हम पूरे यकीन के साथ नहीं कह सकते कि यहाँ जो जानकारी दी गयी है, वह सही है, पूरी है या फायदेमंद है।”

“इस सेवा के ज़रिए दी गयी राय, सलाह, बयान, पेशकश या दूसरी जानकारी अलग-अलग लेखकों की है . . . और ज़रूरी नहीं कि ये बातें सौ-फीसदी भरोसे के लायक हैं।”

[पेज 23 पर तसवीर]

“चतुर मनुष्य समझ बूझकर चलता है”

[पेज 24, 25 पर तसवीरें]

मसीही स्त्रियाँ, शूलेम्मिन लड़की की मिसाल पर कैसे चल सकती हैं?

[पेज 26 पर तसवीर]

“सब बातों को परखो: जो अच्छी है उसे पकड़े रहो”