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बढ़िया मनोरंजन जो तरो-ताज़ा करे

बढ़िया मनोरंजन जो तरो-ताज़ा करे

बढ़िया मनोरंजन जो तरो-ताज़ा करे

“तुम चाहे खाओ, चाहे पीओ, चाहे जो कुछ करो, सब कुछ परमेश्‍वर की महिमा के लिये करो।”—1 कुरिन्थियों 10:31.

1, 2. मन बहलानेवाले कामों को “परमेश्‍वर का दान” क्यों कहा जा सकता है, फिर भी बाइबल साफ-साफ क्या चेतावनी देती है?

 हर कोई अपना मन बहलाने के लिए ऐसा काम करना चाहता है, जो उसे अच्छा लगता है और उसे खुशी देता है। हमारा आनंदित परमेश्‍वर यहोवा भी यही चाहता है कि हम ज़िंदगी का लुत्फ उठाएँ और इसके लिए उसने हमें बहुत कुछ दिया है। (1 तीमुथियुस 1:11, NW; 6:17) बुद्धिमान राजा, सुलैमान ने लिखा: “मैं ने जान लिया है कि . . . आनन्द करने . . . के सिवाय, और कुछ भी अच्छा नहीं; और यह भी परमेश्‍वर का दान है कि मनुष्य खाए-पीए और अपने सब परिश्रम में सुखी रहे।”—सभोपदेशक 3:12, 13.

2 अपनी मेहनत के अच्छे फल के लिए खुशियाँ मनाने से वाकई हम तरो-ताज़ा महसूस करते हैं। और खासकर जब हम यह खुशी अपने परिवार या दोस्तों के साथ बाँटते हैं, तो हमारी खुशी दुगुनी हो जाती है। इस तरह खुशियाँ मनाने को “परमेश्‍वर का दान” कहना बिलकुल सही होगा। सिरजनहार ने हमारी खुशी के लिए बहुत कुछ दिया है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि हम रंग-रलियों में पूरी तरह डूब जाएँ। बाइबल पियक्कड़पन, पेटूपन और लुचपन की निंदा करती है, साथ ही यह चेतावनी देती है कि जो इन कामों में लगे रहते हैं, वे “परमेश्‍वर के राज्य के वारिस न होंगे।”—1 कुरिन्थियों 6:9, 10; नीतिवचन 23:20, 21; 1 पतरस 4:1-4.

3. आध्यात्मिक मायने में जागते रहने और यहोवा के महान दिन को हमेशा ध्यान में रखने में क्या बात हमारी मदद करेगी?

3 इन अंतिम दिनों के कठिन समय के दौरान, मसीहियों के लिए इस दुनिया में जीना पहले से कहीं ज़्यादा मुश्‍किल हो गया है। क्योंकि उन्हें न सिर्फ इस भ्रष्ट संसार में सूझ-बूझ से जीना है, बल्कि इसकी बुराइयों से भी दूर रहना है। (यूहन्‍ना 17:15, 16) बाइबल की भविष्यवाणी के मुताबिक, आज के ज़माने के लोग “परमेश्‍वर के नहीं” बल्कि इस हद तक “सुखविलास ही के चाहनेवाले” हो गए हैं कि वे जल्द आनेवाले “भारी क्लेश” के सबूतों पर “कोई ध्यान नहीं” (NW) देते। (2 तीमुथियुस 3:4, 5; मत्ती 24:21, 37-39) यीशु ने अपने चेलों को पहले से खबरदार किया था: “सावधान रहो, ऐसा न हो कि तुम्हारे मन खुमार और मतवालेपन, और इस जीवन की चिन्ताओं से सुस्त हो जाएं, और वह दिन तुम पर फन्दे की नाईं अचानक आ पड़े।” (लूका 21:34) परमेश्‍वर के सेवक होने के नाते, हमने यीशु की इस चेतावनी को मानने की ठान ली है। हम इस अधर्मी संसार जैसे नहीं हैं, क्योंकि हम आध्यात्मिक मायने में जागते रहने और यहोवा के महान दिन को हमेशा ध्यान में रखने की पूरी कोशिश करते हैं।—सपन्याह 3:8; लूका 21:36.

4. (क) सही किस्म का मनोरंजन ढूँढ़ना मुश्‍किल क्यों हो गया है? (ख) इफिसियों 5:15,16 में दी कौन-सी सलाह को हम अमल में लाना चाहते हैं?

4 दुनिया की बुराइयों से दूर रहना आसान नहीं, क्योंकि इब्‌लीस ने इन्हें बड़ा लुभावना रूप दिया है और ये हर कहीं मौजूद हैं। यह मुश्‍किल खासकर मनोरंजन के मामले में आती है। मनोरंजन के नाम पर दुनिया हमारे आगे जो रखती है, वह ज़्यादातर “सांसारिक अभिलाषाओं” को पूरा करने के लिए होता है। (1 पतरस 2:11) मनोरंजन जिससे हमें नुकसान पहुँच सकता है, सार्वजनिक जगहों पर मौजूद तो है ही, मगर किताब-पत्रिकाओं, टी.वी., इंटरनेट और वीडियो के ज़रिए हमारे घर में भी घुस सकता है। इसलिए परमेश्‍वर का वचन, मसीहियों को यह बुद्धि-भरी सलाह देता है: “ध्यान से देखो, कि कैसी चाल चलते हो; निर्बुद्धियों की नाईं नहीं पर बुद्धिमानों की नाईं चलो। और अवसर को बहुमोल समझो, क्योंकि दिन बुरे हैं।” (इफिसियों 5:15, 16) अगर हम इस सलाह पर सख्ती से चलें, तो हम इस बात का ध्यान रख पाएँगे कि नुकसान पहुँचानेवाले मनोरंजन के फंदे में न फँसें, इसमें अपना वक्‍त ज़ाया न करें और इसे यहोवा और हमारे बीच के रिश्‍ते को हरगिज़ तोड़ने न दें। क्योंकि अगर हमने ऐसा होने दिया तो इसका आखिरी अंजाम होगा, हमारा विनाश!—याकूब 1:14, 15.

5. हमें सबसे ज़्यादा ताज़गी किस बात से मिलती है?

5 मसीहियों को ज़िंदगी में काफी दौड़-धूप करनी पड़ती है, इसलिए लाज़िमी है कि कभी-कभी मन बहलाने के लिए वे मौज-मस्ती करें। दरअसल, सभोपदेशक 3:4 कहता है कि “हंसने का भी समय” है और “नाचने का भी।” इससे ज़ाहिर है कि बाइबल, मनोरंजन और मन बहलाने को वक्‍त की बरबादी नहीं कहती। मगर मनोरंजन से हमें ताज़गी मिलनी चाहिए, ना कि इसकी वजह से हमारी आध्यात्मिकता खतरे में पड़ जाए या आध्यात्मिक कामों में बाधा आए। प्रौढ़ मसीहियों का यही तजुरबा रहा है कि देने से ज़्यादा खुशी मिलती है। वे अपनी ज़िंदगी में सबसे पहले यहोवा की मरज़ी पूरी करने पर ज़ोर देते हैं और यीशु का सहज जूआ उठाते हैं। नतीजा, वे “अपने मन में विश्राम” यानी सच्ची ताज़गी पाते हैं।—मत्ती 11:29, 30; प्रेरितों 20:35.

सही किस्म के मनोरंजन का चुनाव करना

6, 7. कौन-से किस्म का मनोरंजन सही है और कौन-सा गलत, इस मामले में सही चुनाव करने में क्या बात हमारी मदद कर सकती है?

6 हम कैसे पता लगा सकते हैं कि फलाँ किस्म का मनोरंजन मसीहियों के लिए सही है या नहीं? इस मामले में, माता-पिता अपने बच्चों को सही राह दिखाएँगे और ज़रूरत पड़ने पर, प्राचीन भी मदद करेंगे। लेकिन हकीकत में देखा जाए, तो यह नौबत ही नहीं आनी चाहिए कि दूसरे हमें बताएँ कि फलाँ किताब, फिल्म, खेल या नाच-गाना, मसीहियों के लिए ठीक नहीं है। पौलुस ने कहा था कि “सयानों . . . के ज्ञानेन्द्रिय अभ्यास करते करते, भले बुरे में भेद करने के लिये पक्के हो गए हैं।” (इब्रानियों 5:14; 1 कुरिन्थियों 14:20) परमेश्‍वर के वचन, बाइबल में बहुत-से सिद्धांत दिए गए हैं जो हमें सही राह दिखा सकते हैं। इसलिए अगर आप बाइबल से तालीम पाए अपने विवेक की सुनेंगे, तो यह आपको सही चुनाव करने में मदद दे सकता है।—1 तीमुथियुस 1:19.

7 यीशु ने कहा था कि “पेड़ फल ही से पहचाना जाता है।” (मत्ती 12:33) अगर किसी किस्म के मनोरंजन से सड़ा हुआ फल निकलता है, यानी जिसका हम पर ऐसा असर होता है कि हम हिंसा, अनैतिकता या प्रेतात्मवाद को पसंद करने लगें, तो हमें ऐसे मनोरंजन को ठुकरा देना चाहिए। ऐसा मनोरंजन भी ठीक नहीं है जिसमें एक इंसान की जान या सेहत जोखिम में पड़ सकती है, या जिससे उसका दिवाला पिट सकता है, वह निराश हो सकता है या फिर दूसरे ठोकर खा सकते हैं। प्रेरित पौलुस ने चिताया था कि कलीसिया के किसी भाई के विवेक को चोट पहुँचाना पाप है। पौलुस ने लिखा: “इस प्रकार भाइयों के विरुद्ध अपराध करने और उनके निर्बल विवेक को ठेस पहुंचाने के कारण, तुम मसीह के विरुद्ध पाप करते हो। इसलिए यदि भोजन मेरे भाई को ठोकर खिलाता है तो मैं फिर कभी मांस नहीं खाऊंगा, जिस से मैं अपने भाई के लिए ठोकर का कारण न बनूं।”—1 कुरिन्थियों 8:12, 13, NHT.

8. कंप्यूटर या वीडियो गेम खेलने और फिल्मी वीडियो देखने के क्या खतरे हैं?

8 आजकल बाज़ार में कंप्यूटर और वीडियो गेमों, साथ ही वीडियो पर फिल्मों की भरमार है। माना कि कुछ गेमों और फिल्मों से कोई नुकसान नहीं पहुँचता बल्कि ये मन बहलाने और मज़े के लिए ठीक हैं, फिर भी ज़्यादातर गेमों और फिल्मों में दिनोंदिन ऐसी बातें दिखायी जा रही हैं जिनकी बाइबल निंदा करती है। जैसे, अगर एक वीडियो या कंप्यूटर गेम ऐसा है जिसमें खिलाड़ी किसी के हाथ-पैर काटकर उसे मार डालते हैं या फिर लुचपन के घिनौने काम करते हैं, तो इसे महज़ एक मज़ेदार खेल नहीं कहा जा सकता! यहोवा, “उपद्रव से प्रीति” रखनेवालों से सख्त नफरत करता है। (भजन 11:5; नीतिवचन 3:31; कुलुस्सियों 3:5, 6) इसके अलावा, अगर कोई गेम आपको लालची या झगड़ालू बनाता है, आपके दिलो-दिमाग को थका देता है या आपका कीमती वक्‍त बरबाद कर देता है, तो यह समझिए कि आध्यात्मिक मायने में आपका कितना नुकसान हो रहा है और आपको जल्द-से-जल्द बदलाव करने की ज़रूरत है।—मत्ती 18:8, 9.

बढ़िया मनोरंजन से मन बहलाने की ज़रूरत पूरी कीजिए

9, 10. समझदार लोग, मन बहलाने की ज़रूरतें पूरी करने के लिए क्या कर सकते हैं?

9 कभी-कभी मसीही पूछते हैं: “मनोरंजन का सही तरीका क्या है? आज दुनिया में मनोरंजन के ज़्यादातर तरीके बाइबल के स्तरों के खिलाफ जाते हैं।” लेकिन यकीन मानिए, आपकी ज़रूरत पूरी करनेवाला मनोरंजन पाया जा सकता है, बशर्ते आप इसे ढूँढ़ने की कोशिश करें। आपको और खासकर माता-पिताओं को पहले से सोचकर योजना बनाने की ज़रूरत है। बहुत-से मसीही अपने परिवार और कलीसिया के दूसरे भाई-बहनों के साथ मिलकर फुरसत के कुछ पल बिताते हैं और यह काफी फायदेमंद साबित हुआ है। जैसे, इत्मीनान से बैठकर खाना खाते वक्‍त दिन-भर में क्या-क्या हुआ यह बताना, या बाइबल के किसी विषय पर चर्चा करना काफी मज़ेदार हो सकता है और इससे सबका भला भी होता है। पिकनिक जाने, सही तरह के खेल खेलने, सैर पर जाने या कैंपिंग जाने का इंतज़ाम किया जा सकता है। इस तरह का बढ़िया मनोरंजन बहुत ही मस्ती भरा और ताज़गी देनेवाले हो सकता है।

10 एक प्राचीन और उसकी पत्नी ने तीन बच्चों को पाल-पोसकर बड़ा किया है। वे कहते हैं: “छुट्टी के लिए कहाँ जाना है, यह तय करने में हम शुरू से बच्चों की भी राय लेते थे। कभी-कभी, हम अपने हर बच्चे को अपने संग एक अच्छे दोस्त को साथ ले चलने की इजाज़त देते थे और इससे छुट्टियाँ काफी मज़ेदार हो जाती थीं। इसके अलावा, हम अपने बच्चों की ज़िंदगी में हुई खास घटनाओं की खुशी मनाने के लिए कोई कार्यक्रम रखते थे। कभी-कभी, हम अपने परिवारवालों और कलीसिया के दोस्तों को अपने घर पर बुलाते थे। या हम कहीं बाहर जाकर खाना बनाते और खाते थे और खेल खेलते थे। यही नहीं, हम कभी गाड़ी से तो कभी पैदल पहाड़ों की सैर करते और ऐसे मौकों पर यहोवा की रचनाओं के बारे में सीखते थे।”

11, 12. (क) कभी-कभी अपने मनोरंजन के कार्यक्रम में दूसरों को शामिल करने के लिए आप क्या कर सकते हैं? (ख) किस तरह के मौके बहुतों के लिए यादगार बन गए हैं?

11 जब आप या आपका परिवार मनोरंजन का कार्यक्रम बनाता है, तब क्या आप दिल खोलकर दूसरों को भी इसमें शामिल कर सकते हैं? जैसे एक विधवा बहन, ऐसे अकेले भाई-बहन जिनका परिवार नहीं है या फिर ऐसा परिवार जिसमें सिर्फ माँ है या सिर्फ पिता। शायद इनका हौसला बढ़ाए जाने की ज़रूरत हो। (लूका 14:12-14) आप ऐसे लोगों को भी बुला सकते हैं जिन्होंने हाल ही में कलीसिया के साथ संगति करना शुरू किया है, मगर ध्यान रहे कि इनकी वजह से दूसरों पर कोई बुरा असर न पड़े। (2 तीमुथियुस 2:20, 21) अगर कोई भाई या बहन बीमार या अपाहिज होने की वजह से घर के बाहर नहीं जा सकते, तो आप उसके घर पर एक वक्‍त का खाना ले जाने और उसके साथ मिलकर इसका मज़ा लेने का बंदोबस्त कर सकते हैं।—इब्रानियों 13:1, 2.

12 कुछ भाई-बहन एक-साथ इकट्ठे होकर, सादे भोजन का मज़ा लेते हैं, एक-दूसरे की आपबीती सुनते हैं कि वे मसीही कैसे बने, और यह भी सीखते हैं कि परमेश्‍वर के वफादार बने रहने में किन बातों ने उनकी मदद की है। इस तरह के मौके बहुतों के लिए यादगार रहे हैं। इन मौकों पर बाइबल के विषयों के बारे में चर्चा शुरू की जा सकती है और सभी को, यहाँ तक कि बच्चों को भी इसमें हिस्सा लेने के लिए कहा जा सकता है। इस तरह की चर्चा से सभी को फायदा होगा, हम एक-दूसरे का हौसला बढ़ा पाएँगे और कोई झिझकेगा नहीं, ना ही उसे यह लगेगा कि वह कम जानता है।

13. यीशु और पौलुस ने मेहमाननवाज़ी दिखाने और कबूल करने में एक अच्छी मिसाल कैसे कायम की?

13 मेहमाननवाज़ी दिखाने और कबूल करने में यीशु एक अच्छी मिसाल था। वह हमेशा ऐसे मौकों पर लोगों को आध्यात्मिक बातें सिखाता था। (लूका 5:27-39; 10:42; 19:1-10; 24:28-32) यीशु के शुरूआती चेले, उसकी मिसाल पर चले। (प्रेरितों 2:46, 47) प्रेरित पौलुस ने लिखा: “मैं तुम से मिलने की लालसा करता हूं, कि मैं तुम्हें कोई आत्मिक बरदान दूं जिस से तुम स्थिर हो जाओ। अर्थात्‌ यह, कि मैं तुम्हारे बीच में होकर तुम्हारे साथ उस विश्‍वास के द्वारा जो मुझ में, और तुम में है, शान्ति पाऊं।” (रोमियों 1:11, 12) उसी तरह, जब हम किसी पार्टी में भाई-बहनों को बुलाते हैं, तब उसमें ऐसा माहौल होना चाहिए जिसमें सब एक-दूसरे की हिम्मत बढ़ाएँ।—रोमियों 12:13; 15:1, 2.

इन बातों का ध्यान रखिए और सावधानी बरतिए

14. बड़ी-बड़ी पार्टियाँ रखना क्यों ठीक नहीं है?

14 बड़ी-बड़ी पार्टियाँ न ही रखी जाएँ तो अच्छा है, क्योंकि इनमें हर चीज़ पर निगरानी रखना मुश्‍किल होता है। इसके बजाय, कुछ परिवार मिलकर पिकनिक जाने या ऐसा खेल खेलने का इंतज़ाम कर सकते हैं जिसमें हर कीमत पर जीतने की भावना को बढ़ावा न मिले। लेकिन ध्यान रहे कि यह कार्यक्रम ऐसे दिन और समय पर रखा जाए जिससे आध्यात्मिक कामों में कोई बाधा पैदा न हो। अगर ऐसे मौकों पर कुछ प्राचीन, सहायक सेवक या दूसरे प्रौढ़ मसीही हाज़िर हों, तो उनकी मौजूदगी का दूसरों पर अच्छा असर होगा और इन मौकों से ज़्यादा ताज़गी मिलेगी।

15. मेज़बान को पार्टी का इंतज़ाम करते वक्‍त, हर चीज़ पर अच्छी निगरानी रखने का भी इंतज़ाम क्यों करना चाहिए?

15 पार्टी का इंतज़ाम करते वक्‍त, मेज़बान को हर चीज़ पर अच्छी निगरानी रखने की ज़रूरत का भी ध्यान रखना चाहिए। माना कि मेहमाननवाज़ी दिखाना शायद आपको अच्छा लगता है, लेकिन अगर आपको पता चले कि आपकी लापरवाही की वजह से आपके घर में जो हुआ उससे एक मेहमान के मसीही विश्‍वास को ठेस पहुँची, तब क्या आपको बुरा नहीं लगेगा? व्यवस्थाविवरण 22:8 में दिए सिद्धांत पर गौर कीजिए। अगर एक इस्राएली नया घर बनाता था, तो उनसे माँग की जाती थी कि वह अपने घर की छत पर मुंडेर बनाए, जहाँ अकसर मेहमानों के मनोरंजन और खातिरदारी का इंतज़ाम किया जाता था। भला ऐसा नियम क्यों दिया गया था? ताकि “ऐसा न हो कि कोई छत पर से गिर पड़े, और तू अपने घराने पर खून का दोष लगाए।” उसी तरह, हद-से-ज़्यादा पाबंदियाँ लगाए बिना आपको पार्टी में आए मेहमानों का ध्यान रखने के लिए ऐसा इंतज़ाम करना चाहिए जिससे आध्यात्मिक तौर पर उनका भला हो।

16. अगर पार्टी में शराब दी जाती है, तो कैसी एहतियात बरतनी चाहिए?

16 अगर पार्टी में शराब दी जाती है, तो इसमें खास एहतियात बरतने की ज़रूरत है। बहुत-से मसीही मेज़बान सिर्फ तभी मेहमानों को शराब देने का फैसला करते हैं, जब वे खुद इस बात पर निगरानी रख सकते हैं कि मेहमानों को कितनी शराब दी जा रही है या वे कितनी पी रहे हैं। ऐसा कोई काम करने की इजाज़त नहीं दी जानी चाहिए जिससे दूसरों को ठेस पहुँचे या कोई पीकर धुत्त हो जाए। (इफिसियों 5:18, 19) हो सकता है कुछ मेहमान अलग-अलग वजहों से शराब पीने से इनकार करें। कई देशों में कानून एक उम्र के बाद ही लोगों को शराब पीने की इजाज़त देता है। ऐसे में मसीहियों को कैसर यानी सरकार के कानून का पालन करना चाहिए, फिर चाहे ये कानून कितना ही सख्त क्यों न लगें।—रोमियों 13:5.

17. (क) अगर पार्टी में संगीत बजाया जा रहा है, तो इसमें मेज़बान को क्यों बड़ी सावधानी के साथ चुनाव करना चाहिए? (ख) अगर पार्टी में नाच होगा, तो इसमें मर्यादा कैसे रखी जा सकती है?

17 मेज़बान को ध्यान रखना चाहिए कि पार्टी में नाच-गाने या मनोरंजन के जो दूसरे कार्यक्रम होते हैं, वे मसीही सिद्धांतों के मुताबिक हों। संगीत की बात लें, तो अलग-अलग लोगों की अलग-अलग पसंद होती है और आज तरह-तरह का संगीत भी मौजूद है। मगर ज़्यादातर संगीत और गाने, बगावत करने, बदचलन बनने और हिंसा करने का बढ़ावा देते हैं। इसलिए इस मामले में बहुत ही सोच-समझकर चुनाव करने की ज़रूरत है। यह ज़रूरी नहीं कि अच्छा संगीत सिर्फ धीमी धुनों का संगीत होता है, मगर यह बेहूदा या ओछा भी नहीं होना चाहिए जिसमें कान खानेवाली तेज़ धुन के साथ बहुत ज़्यादा शोर-शराबा होता है। ध्यान रहे कि आप एक ऐसे इंसान को पार्टी में संगीत चुनने को न कहें जो अभी तक पूरी तरह यह बात नहीं समझ पाया है कि संगीत ज़्यादा ज़ोर से नहीं बजाया जाना चाहिए। ऐसा नाच जिसमें ओछे किस्म के हाव-भाव किए जाते हैं, खास तौर पर कामुकता जगानेवाली लय में कूल्हे और छाती को हिलाया जाता है, बेशक मसीहियों के लिए नहीं है।—1 तीमुथियुस 2:8-10.

18. माँ-बाप अपने बच्चों की हिफाज़त करने के लिए, कैसे उनके मनोरंजन और लोगों से मिलने-जुलने पर निगरानी रख सकते हैं?

18 मसीही माता-पिता को चाहिए कि वे किसी भी पार्टी में अपने बच्चों को भेजने से पहले पता लगाएँ कि पार्टी में क्या-क्या कार्यक्रम होंगे। और ज़्यादातर पार्टियों के लिए अगर आप अपने बच्चों के संग जा सकें तो यह अच्छा होगा। अफसोस की बात है कि कुछ माता-पिता ने अपने बच्चों को ऐसी पार्टियों में जाने दिया है जहाँ निगरानी रखनेवाला कोई न था और अंजाम, पार्टी में हाज़िर ज़्यादातर लोग या तो अनैतिकता के फंदे में जा गिरे या फिर कोई और बेहूदा हरकत कर बैठे हैं। (इफिसियों 6:1-4) जवान चाहे 18-19 साल के क्यों न हों, और उन्होंने खुद को भरोसे लायक भी साबित किया हो, फिर भी “जवानी की अभिलाषाओं से भाग[ने]” के लिए उन्हें अब भी मदद की ज़रूरत है।—2 तीमुथियुस 2:22.

19. ज़िंदगी की कौन-सी हकीकत हमें उन बातों पर ध्यान देने में मदद करेगी जिनकी हमें ‘पहले खोज’ करनी चाहिए?

19 कभी-कभार बढ़िया किस्म के मनोरंजन से ताज़गी मिलती है और हम ज़िंदगी का मज़ा उठा पाते हैं। यहोवा हमें मन बहलाने और सुख पाने से मना तो नहीं करता, फिर भी हकीकत यह है कि इन कामों से हमें स्वर्ग में आध्यात्मिक खज़ाना जमा करने में कोई मदद नहीं मिलती। (मत्ती 6:19-21) यीशु ने अपने चेलों को यह समझने में मदद दी कि ज़िंदगी में जो बात सबसे ज़्यादा अहमियत रखती है, वह है “पहले परमेश्‍वर के राज्य और उसकी धार्मिकता की खोज” (NHT) करना, ना कि यह चिंता करना कि हम क्या खाएँगे, क्या पीएँगे या क्या पहनेंगे। क्योंकि “अन्यजाति इन सब वस्तुओं की खोज में रहते हैं।”—मत्ती 6:31-34.

20. यहोवा के वफादार सेवक आगे चलकर अपने महान अन्‍नदाता से कौन-सी अच्छी चीज़ें पाने की उम्मीद कर सकते हैं?

20 जी हाँ, हम ‘चाहे खाएं, चाहे पीएं, चाहे जो कुछ करें, सब कुछ परमेश्‍वर की महिमा के लिये’ कर सकते हैं। (1 कुरिन्थियों 10:31) साथ ही, हमें जो कुछ मिलता है उसके लिए अपने महान अन्‍नदाता का शुक्रिया अदा कर सकते हैं। परमेश्‍वर की नयी दुनिया यानी बहुत जल्द आनेवाले फिरदौस में, यहोवा की दरियादिली का पूरा मज़ा उठाने के हमें ढेरों मौके मिलेंगे और वह भी ऐसे बढ़िया साथियों के संग जो उसके धर्मी नियमों को पूरा करते हैं।—भजन 145:16; यशायाह 25:6; 2 कुरिन्थियों 7:1.

क्या आपको याद है?

• आज सही किस्म का मनोरंजन ढूँढ़ना मसीहियों के लिए क्यों मुश्‍किल हो गया है?

• किस तरह के मनोरंजन से मसीही परिवारों को संतोष मिलता है?

• अच्छे किस्म के मनोरंजन का मज़ा लेते वक्‍त, हमें किन बातों का ध्यान रखने और सावधानी बरतने की ज़रूरत है?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 18 पर तसवीर]

ऐसा मनोरंजन चुनिए जिसके अच्छे नतीजे निकलें

[पेज 19 पर तसवीरें]

मसीही किस तरह के मनोरंजन से दूर रहते हैं?