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“हमें और बताओ!”

“हमें और बताओ!”

“हमें और बताओ!”

रूस के निज़्लॉबनाया शहर के एक हाई स्कूल में, साहित्य की क्लास चल रही थी। क्लास में एक रूसी लेखक, म्यिखायल बूलगाकफ की रचनाओं पर चर्चा जारी थी। इन रचनाओं में एक उपन्यास ऐसा था जिसमें यीशु मसीह की बुराई की गयी है, जबकि शैतान को हीरो बताया गया है। चर्चा खत्म होने के बाद, टीचर ने इस उपन्यास के बारे में क्लास को कुछ सवाल दिए जिनके जवाब उन्हें लिखने थे और जिसके लिए उन्हें नंबर मिलते। लेकिन 16 साल का एक विद्यार्थी, आन्ड्रे जो यहोवा का एक साक्षी है, उसने अदब के साथ टीचर से कहा कि मैं यह इम्तहान नहीं दे सकता क्योंकि मेरा विवेक मुझे इस तरह के साहित्य की जाँच-परख करने की इजाज़त नहीं देता। इसके बजाय, आन्ड्रे ने इस विषय पर निबंध लिखने की इजाज़त माँगी कि यीशु मसीह के बारे में उसका क्या नज़रिया है। टीचर मान गयी।

अपने निबंध में आन्ड्रे ने समझाया कि हालाँकि वह दूसरों की राय की इज़्ज़त करता है, फिर भी उसने पाया है कि यीशु के बारे में सीखने का सबसे बढ़िया तरीका है, बाइबल की सुसमाचार की चार किताबों में से कोई एक पढ़ना। उसने लिखा कि ऐसा करने से “आप चश्‍मदीद गवाहों की लिखी हुई बातों से यीशु की ज़िंदगी और शिक्षाओं के बारे में सीख पाएँगे।” आन्ड्रे ने आगे लिखा: “मेरे लिए एक और चिंता की बात यह थी कि इस उपन्यास में शैतान को एक हीरो बताया गया है। शायद कुछ लोगों को यह पढ़कर हँसी आए, मगर मेरे लिए यह कोई मज़ाक की बात नहीं है।” उसने समझाया कि शैतान असल में एक ताकतवर और दुष्ट आत्मिक प्राणी है जिसने परमेश्‍वर से मुँह फेर लिया, दुष्टता की शुरूआत की और इंसानों को दुःख-तकलीफों की खाई में धकेल दिया है। आन्ड्रे ने अपने निबंध के आखिर में लिखा: “मैं नहीं मानता कि यह उपन्यास पढ़ने से मुझे कोई फायदा होगा। बेशक, मैं इसके लेखक बूलगाकफ के खिलाफ नहीं हूँ। लेकिन अगर आप मुझसे पूछें तो यीशु मसीह के बारे में सच्चाई सीखने के लिए मैं बाइबल पढ़ना पसंद करूँगा।”

आन्ड्रे की टीचर को उसका निबंध इतना अच्छा लगा कि उसने उसे यीशु मसीह पर एक रिपोर्ट तैयार करने को कहा जो उसे क्लास के सामने पढ़कर सुनानी थी। आन्ड्रे ने फौरन हामी भर दी। साहित्य की अगली क्लास में आन्ड्रे ने पूरी क्लास के सामने अपनी रिपोर्ट पढ़कर सुनायी। उसने समझाया कि वह क्यों मानता है कि यीशु जैसा महापुरुष आज तक इस धरती पर पैदा नहीं हुआ है। फिर उसने बाइबल की मत्ती किताब का एक अध्याय पढ़ा जिसमें यीशु की मौत के बारे में लिखा था। रिपोर्ट पढ़कर सुनाने का जो समय आन्ड्रे को दिया गया था, वह पूरा होनेवाला था। इसलिए जैसे ही वह अपनी रिपोर्ट खत्म करने लगा तो क्लास के साथियों ने गुज़ारिश की: “हमें और बताओ! आगे क्या हुआ?” इसलिए उसने मत्ती किताब से यीशु के पुनरुत्थान के बारे में पढ़ना जारी रखा।

जब आन्ड्रे ने अपनी बात खत्म की, तो उसके साथियों ने यीशु और यहोवा के बारे में ढेर सारे सवाल पूछे। आन्ड्रे कहता है: “उसी वक्‍त मैंने यहोवा से प्रार्थना की कि मुझे बुद्धि दे और उसने मेरी सुन ली। मैं उनके सभी सवालों के सही जवाब दे पाया!” क्लास के बाद, आन्ड्रे ने अपनी टीचर को वह सर्वश्रेष्ठ मनुष्य जो कभी जीवित रहा * किताब पेश की और टीचर ने उसे खुशी-खुशी कबूल किया। आन्ड्रे आगे कहता है: “टीचर ने मुझे रिपोर्ट के लिए बहुत अच्छे नंबर दिए और इस बात के लिए मेरी तारीफ की कि भले ही मेरे विश्‍वास दूसरों से अलग है, फिर भी मैं इन पर यकीन करता हूँ और इन्हें बताने में शर्मिंदा महसूस नहीं करता। टीचर ने यह भी कहा कि मेरे कई विश्‍वासों को वह खुद भी मानती है।”

आन्ड्रे इस बात से बेहद खुश है कि उसने बाइबल से तालीम पाए अपने विवेक की बात मानने का फैसला किया और ऐसा साहित्य नहीं पढ़ा जिसमें यहोवा और उसके बेटे, यीशु मसीह की तौहीन की गयी है। इस अटल इरादे की वजह से आन्ड्रे न सिर्फ ऐसे विचारों के असर से दूर रह सका जो बाइबल के खिलाफ हैं, बल्कि उसे दूसरों के साथ बाइबल की सच्चाई बाँटने का सुनहरा मौका भी मिला।

[फुटनोट]

^ इसे यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है।