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“मैं तुम्हारे संग हूं”

“मैं तुम्हारे संग हूं”

“मैं तुम्हारे संग हूं”

‘यहोवा के दूत ने यह कहा, यहोवा की यह वाणी है, मैं तुम्हारे संग हूं।’—हाग्गै 1:13.

1. यीशु ने भविष्यवाणी करते वक्‍त हमारे दिनों को किसके बराबर बताया था?

 हमारे इस वक्‍त में ऐसी-ऐसी सनसनीखेज़ घटनाएँ घट रही हैं जो दुनिया का इतिहास बदलकर रख देंगी। बाइबल की भविष्यवाणियाँ इस बात का सबूत देती हैं कि सन्‌ 1914 से हम “प्रभु के दिन” में जी रहे हैं। (प्रकाशितवाक्य 1:10) इस दिन से जुड़ी भविष्यवाणियों को आपने अच्छी तरह जाँचा-परखा होगा, इसलिए आप यह भी जानते होंगे कि यीशु ने राज्य अधिकार में आनेवाले “मनुष्य के पुत्र के दिनों” को “नूह के दिनों” और “लूत के दिनों” के बराबर बताया था। (लूका 17:26, 28) इस तरह बाइबल की भविष्यवाणी बताती है कि हमारे दिन कई मायनों में नूह और लूत के दिनों जैसे हैं। लेकिन आइए, बाइबल के इतिहास के एक और दौर पर ध्यान दें क्योंकि उस वक्‍त जो घटनाएँ घटीं वैसी आज हमारे ज़माने में घट रही हैं।

2. यहोवा ने हाग्गै और जकर्याह को क्या काम सौंपा था?

2 वह दौर था, इब्री भविष्यवक्‍ताओं हाग्गै और जकर्याह का। ये दो वफादार भविष्यवक्‍ता अपने ज़माने के लोगों को कौन-सा संदेश सुना रहे थे और हम क्यों कह सकते हैं कि उनका यह संदेश हमारे ज़माने में यहोवा के लोगों पर खास तौर से लागू होता है? हाग्गै और जकर्याह “यहोवा के दूत” थे और उन्हें उन यहूदियों के पास भेजा गया जो बाबुल की बंधुआई से छूटकर अपने वतन लौट आए थे। उनका काम था, इस्राएलियों को यह यकीन दिलाना कि यहोवा मंदिर को दोबारा बनाने में उनका साथ देगा। (हाग्गै 1:13; जकर्याह 4:8, 9) हाग्गै और जकर्याह का संदेश बाइबल में उन्हीं के नाम से लिखी किताबों में दर्ज़ है। हालाँकि ये किताबें छोटी हैं, फिर भी वे उस “सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र” का हिस्सा हैं जो “परमेश्‍वर की प्रेरणा से रचा गया है और शिक्षा, ताड़ना, सुधार और धार्मिकता की शिक्षा के लिए उपयोगी है।”—2 तीमुथियुस 3:16, NHT.

उन पर ध्यान देना ज़रूरी है

3, 4. हाग्गै और जकर्याह के संदेश पर हमें क्यों ध्यान देना चाहिए?

3 हाग्गै और जकर्याह के संदेश से उस वक्‍त के यहूदियों को बेशक बहुत फायदा हुआ और उस ज़माने में ये भविष्यवाणियाँ पूरी भी हुईं। मगर आज हमें क्यों इन दोनों किताबों पर ध्यान देना चाहिए? क्या इनका संदेश हमारे लिए भी कुछ मायने रखता है? इब्रानियों 12:26-29 हमें जवाब पाने में मदद देता है। इन आयतों में प्रेरित पौलुस ने हाग्गै 2:6 का हवाला दिया जिसमें कहा गया है कि परमेश्‍वर ‘आकाश और पृथ्वी को कंपकंपाएगा’ या हिलाएगा। इस तरह हिलाए जाने का नतीजा यह होगा कि ‘राज्य-राज्य की गद्दी उलट दी जाएगी; और अन्यजातियों के राज्य-राज्य का बल तोड़ा जाएगा।’—हाग्गै 2:22.

4 हाग्गै के शब्दों का हवाला देकर पौलुस बता रहा था कि ‘अन्यजातियों के राज्यों’ का क्या हश्र किया जाएगा। इसके बाद उसने कहा कि अभिषिक्‍त मसीहियों को ऐसा राज्य मिलेगा जिसे कोई हिला नहीं सकता और जो दुनिया के तमाम राज्यों से कहीं श्रेष्ठ है। (इब्रानियों 12:28) पौलुस के शब्दों से आप समझ सकते हैं कि जब उसने पहली सदी में इब्रानियों की किताब में यह लिखा तब हाग्गै और जकर्याह की ये भविष्यवाणियाँ आगे पूरी होनी थीं। आज हमारे ज़माने में अभिषिक्‍त मसीहियों में से कुछ लोग अभी-भी इस धरती पर मौजूद हैं जिसका मतलब है कि उन्हें अभी तक वह मसीहाई राज्य नहीं मिला जिसमें वे यीशु के साथ राज करेंगे। इसलिए हम कह सकते हैं कि हाग्गै और जकर्याह की भविष्यवाणियाँ हमारे ज़माने के बारे में भी हैं और हमें इन पर ध्यान देना चाहिए।

5, 6. किन हालात की वजह से हाग्गै और जकर्याह को यहूदियों के पास भेजा गया?

5 एज्रा की किताब बताती है कि यहूदियों के बीच क्या हालात थे जिनकी वजह से हाग्गै और जकर्याह नबियों को उनके पास भेजा गया। यहूदी सा.यु.पू. 537 में बाबुल की बंधुआई से लौट आए थे और सा.यु.पू. 536 में राज्यपाल जरुब्बाबेल और महायाजक यहोशू (या येशू) की निगरानी में उन्होंने नए मंदिर की नींव डाली थी। (एज्रा 3:8-13; 5:1) इस मौके पर यहूदियों ने बड़ा जश्‍न मनाया मगर उनकी खुशी ज़्यादा दिन नहीं चली क्योंकि दुश्‍मनों के विरोध की वजह से उनमें डर समा गया। एज्रा 4:4 कहता है: “उस देश के लोग यहूदियों के हाथ ढीला करने और उन्हें डराकर मन्दिर बनाने में रुकावट डालने लगे।” इन दुश्‍मनों में से खासकर सामरियों ने यहूदियों पर झूठे इलज़ाम लगाकर फारस के राजा को उनके खिलाफ भड़का दिया। इसलिए राजा ने मंदिर बनाने का काम बंद करवा दिया।—एज्रा 4:10-21.

6 यहूदियों ने जिस जोश के साथ मंदिर का काम शुरू किया था, वह धीरे-धीरे ठंडा पड़ने लगा। अब वे अपने आराम पर ज़्यादा ध्यान देने लगे। लेकिन मंदिर की नींव डलने के 16 साल बाद, सा.यु.पू. 520 में यहोवा ने हाग्गै और जकर्याह को यह काम सौंपा कि यहूदियों के पास जाएँ और मंदिर का काम दोबारा शुरू करने का उनमें जोश भरें। (हाग्गै 1:1; जकर्याह 1:1) परमेश्‍वर के इन दूतों ने लोगों में नयी जान भर दी और उन्हें यकीन दिलाया कि यहोवा उनके साथ है। इसलिए यहूदियों ने दोबारा मंदिर का काम शुरू किया और सा.यु.पू. 515 में मंदिर बनकर तैयार हो गया।—एज्रा 6:14, 15.

7. हाग्गै और जकर्याह के ज़माने जैसे हालात हमारे ज़माने में कब देखे जा सकते थे?

7 क्या आप जानते हैं कि इन सारी बातों का हमारे लिए क्या मतलब है? हमने देखा कि प्राचीनकाल के यहूदियों को बाबुल की बंधुआई से आज़ाद किया गया और उन्हें अपने वतन लौटकर परमेश्‍वर के मंदिर को दोबारा बनाने का काम दिया गया था। आज भी परमेश्‍वर ने अपने लोगों को बड़े बाबुल (दुनिया-भर में फैले झूठे धर्म) की गुलामी से छुटकारा दिलाया है और उन्हें एक काम सौंपा है। यह है ‘राज्य का सुसमाचार’ प्रचार करने का काम। (मत्ती 24:14) पहले विश्‍वयुद्ध के बाद से इस काम पर खास ज़ोर दिया गया है। परमेश्‍वर के अभिषिक्‍त जनों ने प्रचार करने, सिखाने और लोगों को सच्ची उपासना की तरफ लाने में जी-जान लगाकर मेहनत की है। यह काम आज और भी बड़े पैमाने पर किया जा रहा है और शायद आप भी इसमें लगे हुए हैं। आज, जी हाँ, अभी वह घड़ी है जब यह काम किया जाना है क्योंकि इस दुष्ट दुनिया के बस कुछ ही दिन बाकी रह गए हैं! यह काम हमें परमेश्‍वर से मिला है और यह तब तक चलता रहेगा जब तक “भारी क्लेश” में यहोवा इंसान की इस दुनिया के खिलाफ कार्रवाई नहीं करता। (मत्ती 24:21) यह कार्रवाई दुनिया की तमाम बुराइयों का अंत करेगी और फिर इस धरती पर सिर्फ सच्ची उपासना फलेगी-फूलेगी।

8. हम क्यों यह यकीन रख सकते हैं कि प्रचार के काम में परमेश्‍वर हमारे साथ है?

8 हाग्गै और जकर्याह की भविष्यवाणियाँ साफ दिखाती हैं कि जब परमेश्‍वर के सेवक जी-जान लगाकर उसका काम करते हैं, तो वह उनके साथ होता है और उन पर आशीष देता है। अगर हम पूरे जोश से प्रचार का काम करें तो यहोवा हमें भी आशीष देगा। मगर आज भी ऐसे लोग हैं जो परमेश्‍वर के सेवकों को डरा-धमकाकर उनका काम रोकने की कोशिश करते हैं, फिर भी ऐसा कोई राजा या सरकार नहीं हुई जो इस प्रचार काम को रोक सके। ज़रा सोचिए, पहले विश्‍वयुद्ध से लेकर आज तक यहोवा ने राज्य के इस प्रचार काम को कितना बढ़ाया है। मगर अभी-भी बहुत कुछ करना बाकी है।

9. प्राचीन समय के किन हालात पर हमें ध्यान देना चाहिए, और क्यों?

9 हाग्गै और जकर्याह के संदेश आज कैसे हमारे अंदर जोश भरते हैं ताकि हम भी परमेश्‍वर की आज्ञा के मुताबिक प्रचार करें और सिखाएँ? आइए देखें कि बाइबल की इन दो किताबों से हम क्या सबक सीख सकते हैं। यहूदी जब अपने वतन लौट आए तो उन्हें मंदिर बनाना था। इसी से जुड़ी कुछ बातों पर आइए गौर करें। जैसा हमने पहले भी बताया था, बाबुल से यरूशलेम लौटनेवाले यहूदियों ने मंदिर का काम जारी नहीं रखा। मंदिर की नींव डालने के बाद, वे इस काम में ढीले पड़ गए। उन यहूदियों में कौन-सी गलत सोच पैदा हो गयी थी? और इससे हम क्या सीख सकते हैं?

सही सोच रखना

10. यहूदियों में कौन-सी गलत सोच पैदा हो गयी थी और इसका नतीजा क्या हुआ?

10 यरूशलेम लौटनेवाले यहूदी कहने लगे थे कि मंदिर बनाने का अभी “समय नहीं आया है।” (हाग्गै 1:2) जब उन्होंने सा.यु.पू. 536 में नींव डालकर मंदिर बनाने का काम शुरू किया था, तब उन्होंने ऐसा नहीं कहा कि “समय नहीं आया है।” लेकिन जब आस-पास की जातियाँ उनका विरोध करने लगीं और सरकार ने उनके काम पर पाबंदी लगा दी, तो कुछ ही समय में उनका जोश ठंडा पड़ गया। अब यहूदी मंदिर के बजाय, अपना-अपना घर बनाने में लग गए और अपने आराम के बारे में सोचने लगे। उनके घर की दीवारें उम्दा किस्म की लकड़ियों से सजायी गयी थीं, जबकि यहोवा का मंदिर अधूरा छोड़ दिया गया था। यह हाल देखकर यहोवा ने उनसे पूछा: “क्या यह तुम्हारे लिए तख्तों से सजाए हुए मकान में रहने का समय है जबकि यहोवा का यह भवन खण्डहर पड़ा है?”—हाग्गै 1:4, NHT, फुटनोट।

11. यहोवा को हाग्गै के समय में रहनेवाले यहूदियों को क्यों ताड़ना देनी पड़ी?

11 जी हाँ, यहूदियों के लिए दूसरी बातें ज़्यादा ज़रूरी बन गयी थीं। यहोवा का मकसद था कि मंदिर दोबारा बनाया जाए, मगर इस काम को सबसे ज़्यादा अहमियत देने के बजाय अब उनका ध्यान खुद पर और अपने घरों को बनाने पर लगा हुआ था। परमेश्‍वर की उपासना के भवन का काम ठप्प पड़ा हुआ था। हाग्गै 1:5 में दर्ज़ यहोवा के शब्दों ने यहूदियों को उकसाया कि वे ‘अपने अपने चालचलन पर ध्यान करें।’ यहोवा उनसे कह रहा था कि वे एक पल के लिए रुककर सोचें कि वे क्या कर रहे हैं और मंदिर बनाने का काम दरकिनार करने का उनकी ज़िंदगी पर क्या असर पड़ रहा है।

12, 13. हाग्गै 1:6 यहूदियों के हालात के बारे में क्या बताता है, और उस आयत का क्या मतलब है?

12 जब यहूदी गैर-ज़रूरी कामों को ज़्यादा ज़रूरी समझने लगे, तो इसका उनकी ज़िंदगी पर गहरा असर पड़ा। ध्यान दीजिए कि परमेश्‍वर हाग्गै 1:6 में उनके बारे में क्या कहता है: “तुम ने बहुत बोया परन्तु थोड़ा काटा; तुम खाते हो, परन्तु पेट नहीं भरता; तुम पीते हो, परन्तु प्यास नहीं बुझती [“पर तुम्हें नशा नहीं होता,” ईज़ी-टू-रीड वर्शन]; तुम कपड़े पहिनते हो, परन्तु गरमाते नहीं; और जो मज़दूरी कमाता है, वह अपनी मज़दूरी की कमाई को छेदवाली थैली में रखता है।”

13 यहूदी जिस देश में रहते थे, वह देश परमेश्‍वर ने उन्हें दिया था, फिर भी ज़मीन से उतनी उपज नहीं होती थी जितनी उन्हें चाहिए थी। यहोवा ने उन्हें पहले से खबरदार किया था कि वह अपनी आशीषें रोक लेगा और अब यही हो रहा था। (व्यवस्थाविवरण 28:38-48) परमेश्‍वर अपने लोगों के साथ नहीं था, इसलिए वे बीज तो बो रहे थे, मगर इतनी भी फसल नहीं काट रहे थे कि उन्हें भरपेट खाने को मिलता। उन पर यहोवा की आशीष नहीं थी, इसलिए ठंड से बचने के लिए वे गरम कपड़े नहीं जुटा पा रहे थे। यहाँ तक कि उनके कमाए पैसे मानो छेदवाली थैली में डाले जा रहे थे क्योंकि उनके हाथ कुछ भी नहीं लगता था। लेकिन इन शब्दों का क्या मतलब है: “तुम पीते हो, पर तुम्हें नशा नहीं होता”? इसका यह मतलब नहीं हो सकता कि नशे में चूर होना यहोवा की आशीष की निशानी है। क्योंकि उसे पियक्कड़पन से सख्त नफरत है। (1 शमूएल 25:36; नीतिवचन 23:29-35) इसके बजाय, इन शब्दों से एक बार फिर वही बात दोहरायी गयी कि यहूदी, परमेश्‍वर की आशीष खो बैठे थे। वे जितना भी दाखमधु बनाते, वह नशा कराने के लिए काफी नहीं था। इसलिए द होली बाइबल हिन्दी—ओ. वी. हाग्गै 1:6 में कहती है: “तुम पीते हो, परन्तु प्यास नहीं बुझती।”

14, 15. हाग्गै 1:6 से हम कौन-सा सबक सीखते हैं?

14 इन घटनाओं का सबक यह नहीं है कि हमारे घर कैसे दिखने चाहिए या उनकी सजावट कैसी होनी चाहिए। बाबुल की बंधुआई में जाने से बहुत पहले, इस्राएल देश के रईसों को आमोस नबी ने फटकारा था जो ‘हाथीदांत के भवनों’ में रहते थे और “हाथी दांत के पलंगों पर लेटते” थे। (आमोस 3:15; 6:4) उनके ये आलीशान घर और कीमती साज़ो-सामान ज़्यादा दिन नहीं चले। जब दुश्‍मनों ने उनके देश पर कब्ज़ा किया तो वे ये सामान लूटकर ले गए। मगर, परमेश्‍वर के लोगों में से कइयों ने बाबुल में 70 साल काटने के बाद भी सबक नहीं सीखा था। हमारे बारे में क्या? हममें से हरेक को खुद से यह पूछना चाहिए: ‘क्या मैं अपने घर को सजाने-सँवारने पर हद-से-ज़्यादा ध्यान दे रहा हूँ? क्या मैं एक अच्छा करियर पाने के लिए आगे और पढ़ने की सोच रहा हूँ? क्या इस पढ़ाई के लिए मुझे कई सालों तक अपना ज़्यादातर वक्‍त देना होगा और इस वजह से प्रचार करने और मसीही सभाओं में हाज़िर होने जैसे ज़रूरी आध्यात्मिक कामों के लिए मेरे पास वक्‍त नहीं रहेगा?’—लूका 12:20, 21; 1 तीमुथियुस 6:17-19.

15 हाग्गै 1:6 को पढ़ने से हमें यह एहसास होना चाहिए कि हमें अपनी ज़िंदगी में परमेश्‍वर की आशीषों की कितनी ज़रूरत है। हाग्गै के ज़माने के यहूदियों ने परमेश्‍वर की आशीष खो दी थी और इसके बुरे अंजाम उन्हें भुगतने पड़े। हमारे पास धन-दौलत और सुख-सुविधा की चीज़ें चाहे हों या न हों, अगर हम यहोवा की आशीष पाने से चूक जाएँगे, तो इससे आध्यात्मिक मायने में हमारा ही नुकसान होगा। (मत्ती 25:34-40; 2 कुरिन्थियों 9:8-12) लेकिन हम उसकी आशीष कैसे पा सकते हैं?

यहोवा अपनी आत्मा के ज़रिए मदद देता है

16-18. प्राचीन समय के यहूदियों के लिए, जकर्याह 4:6 के क्या मायने थे?

16 भविष्यवक्‍ताओं में हाग्गै का साथी था जकर्याह और उसने साफ बताया कि यहोवा ने उस ज़माने में अपने भक्‍तों में जोश भरने और उन्हें आशीषें देने के लिए कौन-सा ज़रिया इस्तेमाल किया। इसी ज़रिए से आज वह आपको भी आशीषें देगा। हम पढ़ते हैं: “न तो बल से, और न शक्‍ति से, परन्तु मेरे आत्मा के द्वारा होगा, मुझ सेनाओं के यहोवा का यही वचन है।” (जकर्याह 4:6) शायद आपने यह आयत कई बार सुनी हो, मगर हाग्गै और जकर्याह के दिनों के यहूदियों के लिए इन शब्दों के क्या मायने थे और आज ये शब्द, आपके लिए क्या मायने रखते हैं?

17 याद कीजिए कि हाग्गै और जकर्याह के संदेश का उनके ज़माने के यहूदियों पर बहुत बढ़िया असर हुआ। इन दोनों भविष्यवक्‍ताओं की बातों ने वफादार यहूदियों में नयी जान डाल दी। हाग्गै ने सा.यु.पू. 520 के छठे महीने में भविष्यवाणी करनी शुरू की थी जबकि जकर्याह ने उसी साल के आठवें महीने में भविष्यवाणी करनी शुरू की थी। (जकर्याह 1:1) जैसा हाग्गै 2:18 दिखाता है, नौंवे महीने में मंदिर की नींव डालने का काम पूरे ज़ोर-शोर से शुरू हो गया। इससे पता चलता है कि भविष्यवक्‍ताओं के संदेश ने यहूदियों में सही काम करने का जोश भरा और उन्होंने इस भरोसे के साथ यहोवा की आज्ञा मानी कि वह उनके साथ है। तो जकर्याह 4:6 के शब्दों ने लोगों को यकीन दिलाया कि परमेश्‍वर उनके साथ है।

18 जब यहूदी सा.यु.पू. 537 में बाबुल से वापस अपने वतन रवाना हुए, तब रास्ते में उनकी हिफाज़त करने के लिए सैनिकों का कोई दल उनके साथ नहीं था। फिर भी यहोवा ने उन्हें हर खतरे से बचाया और सफर में उन्हें सही राह दिखायी। अपने वतन पहुँचने के कुछ ही समय बाद, जब उन्होंने मंदिर का काम शुरू किया तो यहोवा की आत्मा उन्हें बताती रही कि उन्हें क्या करना चाहिए। अब जब वे दोबारा पूरे जी-जान से इस काम में जुट गए, तो यहोवा ने वादा किया कि वह उनके साथ है और उन्हें अपनी पवित्र आत्मा की मदद दी।

19. परमेश्‍वर की आत्मा के सामने किसका ज़ोर नहीं चल सका?

19 यहोवा ने जकर्याह को एक-के-बाद-एक आठ दर्शन दिखाकर यकीन दिलाया कि वह अपने लोगों के साथ है इसलिए वे हर हाल में मंदिर का काम पूरा करेंगे। अध्याय 3 में दर्ज़ चौथा दर्शन दिखाता है कि यहूदियों को रोकने के लिए शैतान ने एड़ी-चोटी का ज़ोर लगाया ताकि मंदिर का काम ठप्प पड़ जाए। (जकर्याह 3:1) शैतान यह हरगिज़ नहीं चाहेगा कि मंदिर बनकर तैयार हो जाए और महायाजक यहोशू, नए मंदिर में लोगों की खातिर सेवा करे। चाहे शैतान ने अपना ज़ोर चलाकर कुछ वक्‍त तक मंदिर बनाने से यहूदियों को रोक दिया, फिर भी यहोवा की आत्मा, हर रुकावट को दूर कर देगी और यहूदियों में इस कदर जोश भर देगी कि मंदिर का काम पूरा होकर ही रहेगा।

20. पवित्र आत्मा ने यहूदियों को परमेश्‍वर की यह आज्ञा पूरी करने में कैसे मदद दी कि मंदिर दोबारा बनाया जाए?

20 जब फारस साम्राज्य के कुछ सरकारी अधिकारियों ने मंदिर के काम पर पाबंदी लगवा दी, तो ऐसा लगा मानो परमेश्‍वर के लोगों के आगे एक पहाड़ जैसी रुकावट खड़ी हो गयी। लेकिन यहोवा ने वादा किया कि इस “पहाड़” को “मैदान” बना दिया जाएगा। (जकर्याह 4:7) और ऐसा ही हुआ! राजा दारा प्रथम ने जब सरकारी दस्तावेज़ों की छानबीन करवायी तो उसे कुस्रू का वह फरमान मिला जिसमें यहूदियों को दोबारा मंदिर बनाने की इजाज़त दी गयी थी। इसलिए, दारा ने पाबंदी हटा दी और यह भी हुक्म दिया कि इस काम के खर्च के लिए शाही खज़ाने से यहूदियों को पैसा दिया जाए। दुश्‍मनों का पासा किस तरह पलट गया! क्या हालात के इस तरह बदलने में परमेश्‍वर की आत्मा का हाथ था? बिलकुल था। इसलिए सा.यु.पू. 515 में, यानी दारा प्रथम की हुकूमत के छठवें साल में मंदिर बनकर तैयार हो गया।—एज्रा 6:1, 15.

21. (क) प्राचीन समय में परमेश्‍वर ने कैसे ‘सारी जातियों को कंपकंपाया’ और “मनभावनी वस्तुएं” किस तरह निकलकर आयी हैं? (ख) आज हमारे ज़माने में यह भविष्यवाणी कैसे पूरी हो रही है?

21 हाग्गै 2:5 में, हाग्गै ने यहूदियों को याद दिलाया कि यहोवा ने सीनै पहाड़ के पास उनके साथ एक वाचा बाँधी थी। उस वक्‍त “समस्त पर्वत बहुत कांप रहा था।” (निर्गमन 19:18) आयत 6 और 7 की लाक्षणिक भाषा के मुताबिक हाग्गै और जकर्याह के दिनों में भी यहोवा इसी तरह जातियों को कंपकंपाने या हिलानेवाला था। फारसी साम्राज्य में उथल-पुथल मच जाएगी, मगर मंदिर का काम बढ़ता जाएगा और मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा। फिर एक वक्‍त ऐसा आएगा कि “सारी जातियों की मनभावनी वस्तुएं” यानी गैर-यहूदी लोग यहूदियों के साथ मिलकर उस मंदिर में परमेश्‍वर की महिमा करेंगे। हमारे समय में भी बहुत बड़े पैमाने पर परमेश्‍वर ने प्रचार काम के ज़रिए ‘जातियों को कंपकंपाया’ है और इस वजह से “सारी जातियों की मनभावनी वस्तुएं” निकलकर आयी हैं और बचे हुए अभिषिक्‍त जनों के साथ परमेश्‍वर की उपासना कर रही हैं। सचमुच, अभिषिक्‍त जन और अन्य भेड़ें साथ मिलकर यहोवा के भवन को महिमा से भर रहे हैं। ये सच्चे उपासक पूरे विश्‍वास के साथ उस दिन का इंतज़ार कर रहे हैं, जब यहोवा एक और मायने में ‘आकाश और पृथ्वी को कंपकंपाएगा।’ इससे दुनिया के तमाम देशों का बल तोड़ा जाएगा और उनका खात्मा किया जाएगा।—हाग्गै 2:22.

22. जातियों को किस तरह ‘कंपकंपाया’ जा रहा है, और इसका क्या नतीजा हुआ है, और आगे क्या होनेवाला है?

22 इससे हमें याद आता है कि आज के ज़माने में भी शैतान की दुनिया के अलग-अलग हिस्सों को दर्शानेवाले “आकाश और पृथ्वी और समुद्र और स्थल” में कैसी उथल-पुथल मची हुई है। मिसाल के लिए, आकाश में उथल-पुथल तब हुई जब शैतान इब्‌लीस और उसकी दुष्टात्माओं को स्वर्ग से खदेड़कर धरती तक सीमित कर दिया गया। (प्रकाशितवाक्य 12:7-12) इसके अलावा, परमेश्‍वर के अभिषिक्‍त जनों के प्रचार काम ने वाकई पृथ्वी को यानी इंसान की व्यवस्था के हिस्सों को हिलाकर रख दिया है। (प्रकाशितवाक्य 11:18) ऐसी उथल-पुथल के बावजूद, जातियों की मनभावनी वस्तुएँ यानी एक “बड़ी भीड़” यहोवा की सेवा करने के लिए आध्यात्मिक इस्राएल के साथ मिल गयी है। (प्रकाशितवाक्य 7:9, 10) आज बड़ी भीड़ के लोग अभिषिक्‍त मसीहियों के साथ-साथ सबको यह खुशखबरी सुना रहे हैं कि परमेश्‍वर बहुत जल्द, हरमगिदोन की लड़ाई में सारी जातियों को जड़ से हिलाएगा और उन्हें उखाड़ फेंकेगा। उसके बाद सारी धरती पर सच्ची उपासना पूरी तरह बुलंद की जाएगी।

क्या आपको याद है?

• हाग्गै और जकर्याह ने कब और किन हालात में भविष्यवाणी का काम किया?

• हाग्गै और जकर्याह के संदेश के हिसाब से आप कैसे चल सकते हैं?

जकर्याह 4:6 से आपको क्यों हिम्मत मिलती है?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 20 पर तसवीरें]

हाग्गै और जकर्याह का संदेश हमें भरोसा दिलाता है कि परमेश्‍वर हमारे साथ है

[पेज 23 पर तसवीर]

“क्या यह तुम्हारे लिए तख्तों से सजाए हुए मकान में रहने का समय है जबकि यहोवा का यह भवन खण्डहर पड़ा है?”

[पेज 24 पर तसवीर]

‘जातियों के मनभावने लोगों’ को ढूँढ़ने में यहोवा के लोग हिस्सा लेते हैं