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“पूरे गलील का रत्न”

“पूरे गलील का रत्न”

“पूरे गलील का रत्न”

जिस नासरत कसबे में यीशु पला-बड़ा, वहाँ से 6.5 किलोमीटर दूर, उत्तर-पश्‍चिम की तरफ एक पुराना शहर था जिसका सुसमाचार की किताबों में कोई ज़िक्र नहीं मिलता। फिर भी, पहली सदी के जाने-माने यहूदी इतिहासकार, फ्लेवियस जोसीफस ने इस शहर को “पूरे गलील का रत्न” कहा। यह शहर था, सॆफोरस। हम इस शहर के बारे में क्या जानते हैं?

हेरोदेस महान की मौत (जो शायद सा.यु.पू. 1 में हुई थी) के बाद, सॆफोरस के नागरिकों ने रोम के खिलाफ बगावत कर दी। नतीजा, उनके शहर को पूरी तरह तबाह कर दिया गया। फिर जब हेरोदेस के बेटे, अन्तिपास को विरासत में गलील और पेरिया के इलाके मिले, तो उसने उजाड़ पड़े सॆफोरस को अपनी नयी राजधानी बनाने का फैसला किया। इस शहर को फिर से बनाया गया और इसमें यूनानी-रोमी शैली की इमारतें खड़ी की गयीं। मगर यहाँ के रहनेवाले ज़्यादातर लोग, यहूदी थे। प्रोफेसर रिचर्ड ए. बेटी के मुताबिक, “सॆफोरस से ही सरकार, पूरे गलील और पेरिया की बागडोर सँभालने लगी।” फिर लगभग सा.यु. 21 में अन्तिपास ने तिबिरियास शहर का निर्माण किया और सॆफोरस के बदले उसे अपनी राजधानी बना लिया। इस दौरान, यीशु सॆफोरस शहर के पास नासरत में रहता था।

सॆफोरस की खुदाई करनेवाले प्रोफेसर जेम्स्‌ स्ट्रेन्ज का मानना है कि एक ज़माने में इस शहर में क्या-कुछ नहीं था। जैसे, सरकारी दस्तावेज़ों और पुराने कागज़ातों को रखने की इमारतें, भंडार घर, हथियार रखने की जगह, बैंक और कई सार्वजनिक भवन। वहाँ बाज़ार लगते थे जहाँ चीनी मिट्टी और धातु के बने बर्तन, काँच, गहने-जवाहरात और तरह-तरह के खाने के सामान बेचे जाते थे। कपड़ों की बुनाई करनेवाले और कपड़ों के व्यापारी भी होते थे। इसके अलावा, ऐसी दुकानें भी थीं जहाँ से टोकरियाँ, साज-सज्जा के सामान, इत्र और दूसरे माल-असबाब खरीदे जा सकते थे। अनुमान लगाया गया है कि उस दौरान शहर की आबादी 8,000 से 12,000 के बीच थी।

क्या यीशु ने कभी इस चहल-पहलवाले महानगर का दौरा किया, जहाँ नासरत से पैदल आने में सिर्फ एक घंटा लगता था? सुसमाचार की किताबें इस बारे में कुछ नहीं कहती हैं। मगर दी ऐंकर बाइबल डिक्शनरी कहता है कि “नासरत से गलील के काना जाने का एक रास्ता, सॆफोरस से गुज़रता था।” (यूहन्‍ना 2:1; 4:46) सॆफोरस दरअसल एक पहाड़ पर बसा था, जो घाटी से करीब 400 फुट ऊँचा है। नासरत से यह पहाड़ दिखायी देता है। कुछ लोगों का मानना है कि यीशु ने जब यह दृष्टांत दिया कि “जो नगर पहाड़ पर बसा हुआ है वह छिप नहीं सकता,” तो मुमकिन है कि उसे इसी शहर का खयाल आया होगा।—मत्ती 5:14.

सामान्य युग 70 में यरूशलेम के विनाश के बाद, सॆफोरस पूरे गलील में यहूदियों का खास शहर बन गया और बाद में, यहूदियों की बड़ी अदालत, महासभा को यहीं पर स्थापित किया गया। कुछ समय तक यह शहर एक ऐसा केंद्र बनकर फलता-फूलता रहा जहाँ यहूदी विद्वान आकर अध्ययन करते थे और सिखाते भी थे।

[पेज 32 पर नक्शा/तसवीर]

(भाग को असल रूप में देखने के लिए प्रकाशन देखिए)

गलील सागर

गलील

काना

तिबिरियास

सॆफोरस

नासरत

पेरिया

[पेज 32 पर चित्र का श्रेय]

मिट्टी के बर्तन: Excavated by Wohl Archaeological Museum, Herodian Quarter, Jewish Quarter. Owned by Company for the Reconstruction of the Jewish Quarter in the Old City of Jerusalem, Ltd