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जवानो, यहोवा की सेवा करना चुन लो

जवानो, यहोवा की सेवा करना चुन लो

जवानो, यहोवा की सेवा करना चुन लो

“आज चुन लो कि तुम किस की सेवा करोगे।”—यहोशू 24:15.

1, 2. ईसाईजगत में किन गलत तरीकों से बपतिस्मे दिए गए हैं?

 टर्टलियन नाम के एक लेखक ने सा.यु. दूसरी सदी के आखिर में लिखा: “[बच्चों को] मसीही तब बनने दीजिए जब वे मसीह को जानने के काबिल हो जाते हैं।” टर्टलियन के ज़माने में धर्मत्यागी मसीहियों में शिशुओं को बपतिस्मा देने का चलन जड़ पकड़ रहा था, इसलिए उसने इसके खिलाफ आवाज़ उठाने के लिए ये शब्द लिखे। लेकिन धर्मविज्ञानी ऑगस्टिन, न तो टर्टलियन से और ना ही बाइबल से सहमत था। उसका दावा था कि बपतिस्मे से आदम के पाप का दाग मिटाया जा सकता है और जो शिशु बगैर बपतिस्मा लिए मर जाता है, वह नरक में जाएगा। इसी शिक्षा की वजह से शिशुओं को जल्द-से-जल्द बपतिस्मा देने का चलन बड़े पैमाने पर फैलने लगा।

2 आज भी, ईसाईजगत के बड़े-बड़े गिरजों में शिशुओं को बपतिस्मा दिया जाता है। इसके अलावा, इतिहास इस बात का गवाह है कि ईसाई देश के शासक और धर्म के अगुवे, “दूसरे धर्म के लोगों” पर जीत हासिल करने के बाद उनको जबरन बपतिस्मा देते थे। मगर बाइबल में कहीं भी शिशुओं को बपतिस्मा देने या किसी को ज़बरदस्ती बपतिस्मा देने का बढ़ावा नहीं दिया गया है।

अपनी मरज़ी से समर्पण करना

3, 4. अपनी मरज़ी से यहोवा को जीवन समर्पित करने के लिए, मसीही माता-पिताओं के बच्चों को क्या बात मदद कर सकती है?

3 बाइबल बताती है कि अगर माता-पिता में से कोई एक मसीही हो, तो भी परमेश्‍वर उनके बच्चों को पवित्र मानता है। (1 कुरिन्थियों 7:14) लेकिन माता-पिता के मसीही होने से, क्या उनके बच्चे भी यहोवा के समर्पित सेवक बन जाते हैं? जी नहीं। मगर हाँ, अपने माता-पिता से मिलनेवाली तालीम की मदद से ऐसे बच्चे, खुद अपनी मरज़ी से यहोवा के समर्पित सेवक बन सकते हैं। बुद्धिमान राजा सुलैमान ने लिखा: “हे मेरे पुत्र, मेरी आज्ञा को मान, और अपनी माता की शिक्षा को न तज। . . . वह तेरे चलने में तेरी अगुवाई, और सोते समय तेरी रक्षा, और जागते समय तुझ से बातें करेगी। आज्ञा तो दीपक है और शिक्षा ज्योति, और सिखानेवाले की डांट जीवन का मार्ग है।”—नीतिवचन 6:20-23.

4 अगर बच्चे अपने मसीही माता-पिता की राह पर चलने को तैयार हों, तो उनकी हिफाज़त हो सकती है। सुलैमान ने यह भी कहा: “बुद्धिमान पुत्र से पिता आनन्दित होता है, परन्तु मूर्ख पुत्र के कारण माता उदास रहती है।” “हे मेरे पुत्र, तू सुनकर बुद्धिमान हो, और अपना मन सुमार्ग में सीधा चला।” (नीतिवचन 10:1; 23:19) जवानो, अगर आप सचमुच अपने माता-पिता की तालीम से फायदा पाना चाहते हैं, तो उनकी सलाह, उनके सुझाव और अनुशासन को खुशी-खुशी मानिए। हालाँकि आप बुद्धिमान तो पैदा नहीं हुए थे, मगर “बुद्धिमान हो” सकते हैं और ‘जीवन के मार्ग’ पर चलने का खुद फैसला कर सकते हैं।

मन को ढालने का मतलब क्या है?

5. पौलुस ने बच्चों और पिताओं को क्या सलाह दी?

5 प्रेरित पौलुस ने लिखा: “हे बालको, प्रभु में अपने माता-पिता के आज्ञाकारी बनो, क्योंकि यह उचित है। अपनी माता और पिता का आदर कर (यह पहिली आज्ञा है, जिस के साथ प्रतिज्ञा भी है)। कि तेरा भला हो, और तू धरती पर बहुत दिन जीवित रहे। और हे बच्चेवालो अपने बच्चों को रिस न दिलाओ परन्तु प्रभु की शिक्षा, और चितावनी देते हुए [या, ‘मन को ढालते हुए,’ NW], उन का पालन-पोषण करो।”—इफिसियों 6:1-4.

6, 7. बच्चों का पालन-पोषण करते वक्‍त उनके ‘मन को यहोवा की सोच के मुताबिक ढालने’ का क्या मतलब है, और इसका यह मतलब क्यों नहीं कि माता-पिता अपने बच्चों को बरगलाते हैं?

6 जब मसीही माता-पिता, अपने बच्चों को ‘यहोवा की शिक्षा देते हैं और उसकी सोच के मुताबिक उनके मन को ढालते’ हैं, तो क्या वे उनको बरगलाते हैं? बिलकुल नहीं। क्या कोई कह सकता है कि माता-पिता अपने बच्चों को ऐसी शिक्षा देकर गलत कर रहे हैं जो उनके लिए सही और फायदेमंद है? नास्तिक, जब अपने बच्चों को सिखाते हैं कि भगवान्‌ है ही नहीं, तो उन्हें कोई कुछ नहीं कहता। उसी तरह, जब रोमन कैथोलिक अपना फर्ज़ समझकर अपने बच्चों को कैथोलिक बनने की तालीम देते हैं, तो उन पर भी कोई उँगली नहीं उठाता। लेकिन जब यहोवा के साक्षी अपने बच्चों को बुनियादी सच्चाइयों और नैतिक सिद्धांतों के बारे में यहोवा की सोच अपनाना सिखाते हैं, तो फिर उन पर यह इलज़ाम क्यों लगाया जाता है कि वे अपने बच्चों को पट्टी पढ़ाते हैं? यह तो सरासर नाइंसाफी है।

7 थियोलॉजिकल डिक्शनरी ऑफ द न्यू टेस्टामेंट के मुताबिक इफिसियों 6:4 में जिस मूल यूनानी शब्द के लिए ‘मन को ढालना’ इस्तेमाल किया गया है, उसका मतलब है, एक ऐसा तरीका जिससे “सोच को दुरुस्त किया जाता है, गलतियों को सुधारा जाता है, और परमेश्‍वर की तरफ नज़रिए को ठीक किया जाता है।” तब क्या अगर एक जवान, अपने माता-पिता की तालीम को कबूल न करे और अपने हमउम्र साथियों की देखा-देखी करे? ऐसे में उस पर गलत किस्म का दबाव डालने के लिए कौन दोषी ठहरेंगे—उसके माता-पिता या हमउम्र साथी? अगर एक जवान के साथी उस पर ड्रग्स लेने, बहुत ज़्यादा शराब पीने, या अनैतिक काम करने का दबाव डालते हैं, तो क्या उसकी सोच को दुरुस्त करने और उसे ऐसे कामों के खतरनाक अंजामों से खबरदार करने के लिए, उसके माता-पिता की निंदा की जानी चाहिए?

8. तीमुथियुस, “यकीन करने के लिए कायल” कैसे हुआ था?

8 प्रेरित पौलुस ने जवान तीमुथियुस को लिखा: “तू इन बातों पर जो तू ने सीखीं हैं और प्रतीति की थी [या, “यकीन करने के लिए कायल किया गया था,” NW], यह जानकर दृढ़ बना रह; कि तू ने उन्हें किन लोगों से सीखा था? और बालकपन से पवित्र शास्त्र तेरा जाना हुआ है, जो तुझे मसीह पर विश्‍वास करने से उद्धार प्राप्त करने के लिये बुद्धिमान बना सकता है।” (2 तीमुथियुस 3:14,15) तीमुथियुस को बचपन से उसकी यहूदी माँ और नानी ने पवित्र शास्त्र से सिखाकर, परमेश्‍वर पर उसके विश्‍वास की पक्की नींव डाली थी। (प्रेरितों 16:1; 2 तीमुथियुस 1:5) बाद में, जब उसकी माँ और नानी मसीही बनीं, तो उन्होंने तीमुथियुस पर अपने विश्‍वास थोपने की कोशिश नहीं की, बल्कि शास्त्र के आधार पर दलील देकर उसे ‘यकीन करने के लिए कायल किया।’

यहोवा आपको चुनाव करने का न्यौता देता है

9. (क) यहोवा ने कैसे अपने सेवकों को सम्मान दिया है और किस लिए? (ख) परमेश्‍वर के एकलौते बेटे ने अपनी आज़ाद मरज़ी का इस्तेमाल कैसे किया?

9 यहोवा चाहता तो इंसान को जीव-जंतुओं की तरह बना सकता था, जो सहज-बुद्धि या स्वभाव से सिर्फ वही करते हैं जिसके लिए उन्हें बनाया गया है। मगर उसने ऐसा नहीं किया। उसने इंसान को आज़ाद मरज़ी का मालिक बनाकर उन्हें सम्मान दिया है। हमारा परमेश्‍वर चाहता है कि उसकी प्रजा, अपनी मरज़ी और खुशी से उसकी सेवा करे। वह यह देखकर फूला नहीं समाता कि उसके जवान और बूढ़े सेवक, इसलिए उसकी सेवा करते हैं क्योंकि उन्हें उससे प्यार है। परमेश्‍वर की मरज़ी के अधीन रहने की सबसे बेहतरीन मिसाल है, उसका एकलौता बेटा, जिसके बारे में यहोवा ने कहा: “यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिस से मैं अत्यन्त प्रसन्‍न हूं।” (मत्ती 3:17) इस पहिलौठे बेटे ने अपने पिता से कहा: “हे मेरे परमेश्‍वर मैं तेरी इच्छा पूरी करने से प्रसन्‍न हूं; और तेरी व्यवस्था मेरे अन्त:करण में बसी है।”—भजन 40:8; इब्रानियों 10:9, 10.

10. यहोवा को हमारी सेवा मंज़ूर हो, इसके लिए क्या करना ज़रूरी है?

10 यहोवा अपने सेवकों से भी यही माँग करता है कि वे यीशु की तरह खुशी-खुशी उसकी मरज़ी के अधीन रहें। भजनहार ने अपने गीत में यह भविष्यवाणी की: “तेरी प्रजा के लोग तेरे पराक्रम के दिन स्वेच्छाबलि बनते हैं; तेरे जवान लोग पवित्रता से शोभायमान, और भोर के गर्भ से जन्मी हुई ओस के समान तेरे पास हैं।” (भजन 110:3) जी हाँ, यहोवा का संपूर्ण संगठन इसी बात पर टिका हुआ है कि स्वर्ग में और धरती पर रहनेवाले उसके सेवक उससे प्यार करते हैं और उसकी मरज़ी के अधीन रहते हैं।

11. समर्पित माता-पिता के बच्चों के आगे क्या चुनाव रखा गया है?

11 इसलिए जवानो, यह बात आपको समझ लेनी चाहिए कि बपतिस्मा लेने के लिए न तो आपके माता-पिता और ना ही कलीसिया के प्राचीन आपसे ज़बरदस्ती करेंगे। यहोवा की सेवा करने की इच्छा आपके अंदर से आनी चाहिए। यहोशू ने इस्राएलियों से कहा था: “[यहोवा की] सेवा खराई और सच्चाई से करो . . . आज चुन लो कि तुम किस की सेवा करोगे।” (यहोशू 24:14-22) उसी तरह, यहोवा को अपना जीवन समर्पित करने और ज़िंदगी-भर उसकी मरज़ी पूरी करने का फैसला, आपका खुद का फैसला होना चाहिए।

अपनी ज़िम्मेदारी कबूल कीजिए

12. (क) हालाँकि माता-पिता अपने बच्चों को तालीम दे सकते हैं, मगर वे उनके लिए क्या नहीं कर सकते? (ख) एक नौजवान कब अपने फैसलों के लिए यहोवा के आगे जवाबदेह ठहरता है?

12 जवान लोग हमेशा के लिए अपने माता-पिता के विश्‍वास के सहारे नहीं जी सकते। एक वक्‍त आता है जब उन्हें अपने विश्‍वास का सबूत देना होता है। (1 कुरिन्थियों 7:14) शिष्य याकूब ने लिखा: “जो कोई भलाई करना जानता है और नहीं करता, उसके लिये यह पाप है।” (याकूब 4:17) ना तो माता-पिता अपने बच्चों के लिए परमेश्‍वर की सेवा कर सकते हैं और ना ही बच्चे अपने माता-पिता के लिए। (यहेजकेल 18:20) क्या आपने यहोवा और उसके उद्देश्‍यों के बारे में सीखा है? क्या आप सीखी हुई बातों को समझने के काबिल हैं, और क्या आपने यहोवा के साथ एक रिश्‍ता कायम किया है? अगर हाँ, तो क्या यहोवा का यह उम्मीद करना जायज़ नहीं होगा कि आप उसकी सेवा करने का फैसला करने के काबिल हैं?

13. जिन नौजवानों का अभी बपतिस्मा नहीं हुआ है, उन्हें अपने आपसे क्या सवाल पूछने चाहिए?

13 क्या आप एक ऐसे नौजवान हैं जिसका बपतिस्मा नहीं हुआ है, मगर आपके माता-पिता यहोवा की उपासना करते हैं? क्या आप मसीही सभाओं में जाते हैं और राज्य का सुसमाचार भी प्रचार करते हैं? अगर हाँ, तो अपने दिल से पूछिए: ‘ये सब मैं किस लिए कर रहा हूँ? क्या मैं इसलिए सभाओं और प्रचार में जाता हूँ क्योंकि मेरे माता-पिता मुझे ऐसा करने को कहते हैं, या इसलिए कि मैं यहोवा को खुश करना चाहता हूँ?’ क्या आपने खुद जाँच की है कि “परमेश्‍वर की भली, और भावती, और सिद्ध इच्छा” क्या है?—रोमियों 12:2.

बपतिस्मा लेने में देर क्यों नहीं करनी चाहिए?

14. बाइबल की कौन-सी मिसालें दिखाती हैं कि हमें बेवजह बपतिस्मा लेने में देर नहीं करनी चाहिए?

14 जब कूश देश के एक आदमी ने प्रचारक फिलिप्पुस से सीखा कि यीशु ही मसीहा है, तो उसने तुरंत उससे पूछा: “बपतिस्मा लेने में मेरे लिए क्या रुकावट है?” (NHT) इस कूशी के पास शास्त्र का जो थोड़ा-बहुत ज्ञान था, उससे वह समझ गया कि अब से उसे मसीही कलीसिया का हिस्सा बनकर यहोवा की सेवा करनी चाहिए। और यह भी कि यह फैसला जग-ज़ाहिर करने के लिए उसे बपतिस्मा लेने में देर नहीं करनी चाहिए। इस फैसले से उसे बड़ी खुशी मिली। (प्रेरितों 8:26-39) उसी तरह, जब लुदिया नाम की एक स्त्री का हृदय ‘खोला गया ताकि वह पौलुस की बातों पर चित्त लगाए,’ तो उसके तुरंत बाद उसने अपने घराने समेत “बपतिस्मा लिया।” (प्रेरितों 16:14, 15) और जब पौलुस और सीलास ने फिलिप्पी के दारोगे को “प्रभु का वचन सुनाया,” तो “उस ने अपने सब लोगों समेत तुरन्त बपतिस्मा लिया।” (प्रेरितों 16:25-34) तो अगर आपको यहोवा और उसके उद्देश्‍यों के बारे में बुनियादी समझ है, आप दिल से उसकी मरज़ी पूरी करना चाहते हैं, कलीसिया में आपका अच्छा नाम है और आप बिना नागा सभाओं में जाते हैं और राज्य का सुसमाचार सुनाते हैं, तो क्या बात आपको बपतिस्मा लेने से रोक रही है?—मत्ती 28:19, 20.

15, 16. (क) कुछ जवानों की कौन-सी गलत सोच उन्हें बपतिस्मा लेने से रोक सकती है? (ख) समर्पण और बपतिस्मा कैसे नौजवानों के लिए एक हिफाज़त साबित हो सकते हैं?

15 यह अहम कदम उठाने में क्या आप इसलिए हिचकिचा रहे हैं कि कुछ गलत काम करने पर आपको जवाबदेह ठहराया जाएगा? अगर ऐसी बात है, तो इस उदाहरण के बारे में सोचिए: क्या आप ऐक्सीडेंट के डर से मोटरबाइक चलाना नहीं सीखेंगे और ड्राइविंग लाइसेंस नहीं लेंगे? नहीं, आप ऐसा नहीं करेंगे। तो फिर, अगर आप बपतिस्मे के लिए योग्य ठहरते हैं, तो आपको यह कदम उठाने से पीछे नहीं हटना चाहिए। दरअसल, अगर आप यहोवा को अपना जीवन समर्पित करेंगे और उसकी मरज़ी पूरी करने का वादा करेंगे, तो आपको गलत काम का विरोध करने की ज़बरदस्त प्रेरणा मिलेगी। (फिलिप्पियों 4:13) नौजवानो, यह मत सोचिए कि बपतिस्मा लेने के फैसले को टालने से आप जवाबदारी से बच जाएँगे। चाहे आपने बपतिस्मा लिया हो या नहीं, बालिग होने पर आप अपने कामों के लिए यहोवा के आगे जवाबदेह ठहरेंगे।—रोमियों 14:11, 12.

16 दुनिया-भर के कई साक्षियों का कहना है कि जवानी में बपतिस्मा लेने का फैसला करने की वजह से उन्हें बहुत मदद मिली है। वह कैसे? पश्‍चिम यूरोप के एक 23 साल के साक्षी भाई की मिसाल लीजिए, जिसने 13 साल की उम्र में बपतिस्मा लिया था। यह भाई याद करता है कि बपतिस्मा लेने से उसे “जवानी की अभिलाषाओं” पर काबू पाने में मदद मिली। (2 तीमुथियुस 2:22) बचपन में ही उसने फैसला कर लिया था कि वह बड़ा होकर पूरे समय का सेवक बनेगा। आज वह यहोवा के साक्षियों के शाखा दफ्तर में सेवा करता है और बहुत खुश है। जो जवान यहोवा की सेवा करने का चुनाव करते हैं, उन सभी को ढेरों आशीषें मिलेंगी। आप भी इन आशीषों के हकदार बन सकते हैं।

17. किन पहलुओं में ‘यहोवा की इच्छा’ समझना ज़रूरी है?

17 समर्पण और बपतिस्मा एक ऐसी ज़िंदगी की शुरूआत है जहाँ हम कोई भी काम करने से पहले, यहोवा की मरज़ी जानने की कोशिश करते हैं। अपने समर्पण के वादे को निभाने के लिए हमें ‘समय मोल लेना चाहिए।’ (NW) यह हम कैसे कर सकते हैं? पहले हम जिन गैर-ज़रूरी कामों में वक्‍त बिताते थे, उनमें समय बिताने के बजाय हमें बाइबल का गहरा अध्ययन करने, बिना नागा मसीही सभाओं में हाज़िर होने और ‘राज्य का सुसमाचार’ सुनाने के काम में ज़्यादा-से-ज़्यादा वक्‍त बिताना चाहिए। (इफिसियों 5:15, 16; मत्ती 24:14) यहोवा को किए हमारे समर्पण का और उसकी मरज़ी पूरी करने की हमारी तमन्‍ना का अच्छा असर, ज़िंदगी के हर पहलू में नज़र आएगा। जैसे, हम अपने फुरसत का समय कैसे बिताते हैं, हमारे खाने-पीने की आदतें क्या हैं और हम किस तरह के संगीत सुनते हैं। क्यों न आप मन बहलाने का ऐसा तरीका चुनें जिसका मज़ा आप हमेशा के लिए उठा पाएँगे? ऐसे हज़ारों जवान साक्षी हैं जो बता सकते हैं कि ‘यहोवा की इच्छा’ के खिलाफ गए बगैर भी मज़े करने के कई अच्छे तरीके हैं।—इफिसियों 5:17-19.

“हम तुम्हारे संग चलेंगे”

18. नौजवानों को खुद से क्या सवाल पूछने चाहिए?

18 सामान्य युग पूर्व 1513 से लेकर सा.यु. 33 के पिन्तेकुस्त तक, यहोवा ने धरती पर एक ऐसी जाति संगठित की थी जो उसकी उपासना करती और उसकी साक्षी ठहरती। वह जाति थी, इस्राएल जाति। (यशायाह 43:12) इस्राएली बच्चे पैदाइश से इस जाति के समर्पित सदस्य बने। मगर पिन्तेकुस्त से यहोवा ने धरती पर “अपने नाम के लिये एक लोग,” यानी एक नया “राष्ट्र” तैयार किया है जिसे आध्यात्मिक इस्राएल कहा जाता है। (1 पतरस 2:9,10, नयी हिन्दी बाइबिल; प्रेरितों 15:14; गलतियों 6:16) प्रेरित पौलुस ने कहा कि मसीह ने अपने लिए “एक ऐसी जाति” को शुद्ध किया है “जो भले भले कामों में सरगर्म” है। (तीतुस 2:14) वह जाति कहाँ पायी जाती है, यह आप नौजवान खुद तय कर सकते हैं। आज किन लोगों से “सच्चाई का पालन करनेवाली एक धर्मी जाति” बनती है? कौन हैं जो बाइबल सिद्धांतों को मानकर चलते हैं और जो यहोवा के वफादार साक्षी साबित होते हैं? कौन यह ऐलान करते हैं कि सभी इंसानों के लिए एक ही आशा है और वह है परमेश्‍वर का राज्य? (यशायाह 26:2-4) ईसाईजगत और बाकी धर्मों के कामों का मुआयना कीजिए और देखिए कि क्या उनका व्यवहार बाइबल में बताए सच्चे सेवकों के व्यवहार से मेल खाता है कि नहीं।

19. दुनिया-भर के लाखों लोगों को किस बात का यकीन हो गया है?

19 दुनिया-भर में लाखों लोगों को और बहुत-से नौजवानों को भी यकीन हो गया है कि यहोवा के साक्षियों के बचे हुए अभिषिक्‍त जनों से ही वह “धर्मी जाति” बनती है। ये लोग इन आध्यात्मिक इस्राएलियों से कहते हैं: “हम तुम्हारे संग चलेंगे, क्योंकि हम ने सुना है कि परमेश्‍वर तुम्हारे साथ है।” (जकर्याह 8:23) नौजवानो, हम दिल से दुआ और यह उम्मीद करते हैं कि आप, परमेश्‍वर के लोगों के संग रहने का फैसला करेंगे और इस तरह उस ‘जीवन को चुन लेंगे,’ जो यहोवा की नयी दुनिया में हमेशा की ज़िंदगी होगी।—व्यवस्थाविवरण 30:15-20; 2 पतरस 3:11-13. (w06 7/1)

दोहराने के लिए

• मन को ढालने का क्या मतलब है?

• यहोवा को कैसी सेवा मंज़ूर है?

• यहोवा के समर्पित सेवकों के बच्चों के आगे क्या चुनाव रखा गया है?

• बपतिस्मा लेने में बेवजह देर क्यों नहीं करनी चाहिए?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 28 पर तसवीरें]

आप किसकी बात मानेंगे?

[पेज 29 पर तसवीर]

समर्पण करने और बपतिस्मा लेने से आपकी हिफाज़त कैसे होती है?

[पेज 30 पर तसवीर]

बपतिस्मा लेने से क्या बात आपको रोक रही है?