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अपनी ज़िंदगी में विश्‍वास का सबूत दीजिए

अपनी ज़िंदगी में विश्‍वास का सबूत दीजिए

अपनी ज़िंदगी में विश्‍वास का सबूत दीजिए

“विश्‍वास . . . यदि कर्म सहित न हो तो अपने स्वभाव में मरा हुआ है।”—याकूब 2:17.

1. शुरू के मसीहियों ने विश्‍वास और कामों, दोनों पर क्यों ध्यान दिया?

 शुरू के मसीहियों ने जिस तरीके से अपनी ज़िंदगी बितायी, उससे उन्होंने अपने विश्‍वास का सबूत दिया था। शिष्य याकूब ने सभी मसीहियों को उकसाते हुए कहा: “वचन पर चलनेवाले बनो, और केवल सुननेवाले ही नहीं।” फिर उसने आगे कहा: “जैसे देह आत्मा बिना मरी हुई है वैसा ही विश्‍वास भी कर्म बिना मरा हुआ है।” (याकूब 1:22; 2:26) उसके ये शब्द लिखने के करीब 35 साल बाद, कई मसीही अपने सही कामों से लगातार अपने विश्‍वास का सबूत दे रहे थे। मगर अफसोस, कुछ मसीही ऐसा नहीं कर रहे थे। जैसे, यीशु ने स्मुरना की कलीसिया की तो तारीफ की, मगर सरदीस की कलीसिया के कई मसीहियों से उसने कहा: “मैं तेरे कामों को जानता हूं, कि तू जीवता तो कहलाता है, पर, है मरा हुआ।”—प्रकाशितवाक्य 2:8-11; 3:1.

2. मसीहियों को खुद से अपने विश्‍वास के बारे में कौन-से सवाल पूछने चाहिए?

2 इसलिए यीशु ने सरदीस के मसीहियों को और उन सभी को भी जो आगे चलकर उसके इन शब्दों को पढ़ते, बढ़ावा दिया कि वे सच्चाई के लिए पहले जैसा प्यार दिखाएँ और आध्यात्मिक मायने में जागते रहें। (प्रकाशितवाक्य 3:2, 3) हममें से हरेक जन खुद से पूछ सकता है: ‘मेरे अपने कामों से क्या ज़ाहिर होता है? क्या ये साफ दिखाते हैं कि मैं अपने विश्‍वास का सबूत देने में अपना भरसक कर रहा हूँ, यहाँ तक कि ज़िंदगी के उन दायरों में भी जिनका प्रचार और कलीसिया की सभाओं के साथ कोई सीधा ताल्लुक नहीं?’ (लूका 16:10) वैसे तो इसमें कई बातें शामिल हैं, लेकिन फिलहाल हम सिर्फ एक पर चर्चा करेंगे। वह है पार्टियाँ, जिनमें शादी की दावतें भी शामिल हैं।

छोटी-मोटी पार्टियाँ

3. पार्टियों में शरीक होने के बारे में बाइबल क्या कहती है?

3 जब हमें मेहमाननवाज़ मसीही पार्टी में बुलाते हैं, तो हमें खुशी होती है। और क्यों न हो, आखिर हमारा परमेश्‍वर, यहोवा “आनंदित परमेश्‍वर” जो है और वह चाहता है कि उसके सेवक आनंद मनाएँ। (1 तीमुथियुस 1:11, NW) उसी ने सुलैमान के ज़रिए बाइबल में यह सच्चाई दर्ज़ करवायी: “मैं ने आनन्द को सराहा, क्योंकि सूर्य के नीचे मनुष्य के लिये खाने-पीने और आनन्द करने को छोड़ और कुछ भी अच्छा नहीं, क्योंकि यही उसके जीवन भर . . . उसके परिश्रम में उसके संग बना रहेगा।” (सभोपदेशक 3:1, 4, 13; 8:15) ऐसा आनंद उस वक्‍त लिया जा सकता है, जब पूरा परिवार साथ बैठकर खाना खाता है या फिर तब जब कुछ सच्चे उपासक मिलकर छोटी-मोटी पार्टियाँ रखते हैं।—अय्यूब 1:4, 5, 18; लूका 10:38-42; 14:12-14.

4. जो शख्स पार्टी का इंतज़ाम करता है, उसे किस बात का ध्यान रखना चाहिए?

4 अगर आप ऐसी पार्टी रखने की सोच रहे हैं और अगर इसकी पूरी ज़िम्मेदारी आप पर है, तो आपको पहले से, बहुत सोच-समझकर योजना बनानी चाहिए। ऐसा करना उस वक्‍त भी ज़रूरी है जब आप सिर्फ कुछ गिने-चुने भाई-बहनों को खाने पर और गप्पे मारने के लिए बुलाते हैं। (रोमियों 12:13) आपको ध्यान रखना चाहिए कि “सारी बातें सभ्यता” से भी हों और ‘ऊपर से आनेवाले ज्ञान’ या बुद्धि के मुताबिक भी। (1 कुरिन्थियों 14:40; याकूब 3:17) प्रेरित पौलुस ने लिखा: “तुम चाहे खाओ, चाहे पीओ, चाहे जो कुछ करो, सब कुछ परमेश्‍वर की महिमा के लिये करो। तुम [किसी] के लिये ठोकर के कारण [न] बनो।” (1 कुरिन्थियों 10:31, 32) पार्टी का इंतज़ाम करते वक्‍त, हमें किन पहलुओं पर खास ध्यान देने की ज़रूरत है? इस सवाल पर पहले से गौर करने से हम यह पक्का कर पाएँगे कि हम और हमारे मेहमान जो कुछ करें, उससे हमारा विश्‍वास ज़ाहिर हो।—रोमियों 12:2.

पार्टी कैसी होगी?

5. पार्टी में शराब रखने और संगीत बजाने के बारे में मेज़बानों को क्यों सोच-समझकर फैसला करना चाहिए?

5 कई मेज़बान खुद को इस उलझन में पाते हैं कि पार्टी में शराब रखें या न रखें। दरअसल, ऐसे मौकों को खुशनुमा बनाने के लिए शराब की ज़रूरत नहीं होती। याद कीजिए कि जब यीशु का उपदेश सुनने के लिए लोगों की एक बड़ी भीड़ आयी थी, तब उसने चमत्कार करके उन्हें रोटी और मछली खिलायी थी। बाइबल यह नहीं कहती कि उसने चमत्कार करके उन्हें दाखमधु भी पिलाया, हालाँकि हम जानते हैं कि वह ऐसा करने की काबिलीयत रखता था। (मत्ती 14:14-21) फिर भी, अगर आप पार्टी में शराब देने का फैसला करते हैं, तो उसे सही मात्रा में दीजिए। साथ ही, जो शराब नहीं पीते, उनके लिए कुछ शरबत वगैरह का इंतज़ाम कीजिए। (1 तीमुथियुस 3:2, 3, 8; 5:23; 1 पतरस 4:3) इसके अलावा, ध्यान रखिए कि किसी पर भी ऐसा शराब पीने का दबाव न डाला जाए, जो उन्हें “सर्प की नाईं” डस सकता है। (नीतिवचन 23:29-32) संगीत या गाने-बजाने के बारे में क्या? अगर आपकी पार्टी में संगीत होगा, तो बेशक आपको ध्यान से ऐसे गाने चुनने चाहिए जिनकी न सिर्फ धुनें अच्छी हों, बल्कि बोल भी अच्छे हों। (कुलुस्सियों 3:8; याकूब 1:21) बहुत-से मसीहियों ने पाया है कि ऐसे मौकों पर किंगडम मेलडीज़ लगाने या फिर मिलकर राज्य गीत गाने से माहौल में रौनक आ जाती है। (इफिसियों 5:19, 20) और हाँ, संगीत की आवाज़ भी धीमी रखिए, ताकि न सिर्फ हाज़िर लोगों को आपस में बातचीत करने में आसानी हो, बल्कि पड़ोसियों को भी तकलीफ न हो।—मत्ती 7:12.

6. पार्टी में होनेवाली बातचीत या दूसरे कामों में मेज़बान कैसे दिखा सकता है कि वह विश्‍वास के मुताबिक जीता है?

6 पार्टियों में मसीही कई तरह के विषयों पर चर्चा कर सकते हैं, कुछ जानकारी पढ़कर सुना सकते हैं, या फिर कुछ दिलचस्प अनुभव बता सकते हैं। लेकिन अगर एक मेज़बान जान जाए कि ऐसे मौके पर बातचीत मसीही स्तरों की हद से बाहर जा रहा है, तो वह बड़ी कुशलता के साथ बातचीत का रुख वापस अच्छे विषयों की तरफ मोड़ सकता है। उसे इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि एक ही इंसान बोलता न रहे, जिससे दूसरों को कुछ कहने का मौका ही न मिले। अगर वह ऐसा होते हुए देखता है, तो वह समझ-बूझ के साथ बीच में टोक सकता है और दूसरों को भी चर्चा में शामिल कर सकता है। यहाँ तक कि मेज़बान, बच्चों और जवानों को अपनी बात कहने के लिए भी बोल सकता है, या फिर एक ऐसा विषय चुन सकता है जिसमें सभी अपनी-अपनी राय ज़ाहिर कर सकें। ऐसा करने से बच्चे-बूढ़े सभी पार्टी का लुत्फ उठा पाएँगे। एक मेज़बान होने के नाते अगर आप पार्टी में बुद्धि और व्यवहार-कुशलता से काम लें, तो आपकी “कोमलता” या समझदारी, सभी मेहमानों पर ‘प्रगट होगी।’ (फिलिप्पियों 4:5) वे भाँप पाएँगे कि आप अपने विश्‍वास के मुताबिक जीते हैं और ज़िंदगी के हर पहलू में इसका आप पर असर है।

शादी का समारोह और दावत

7. शादी के समारोह और दावतों की योजना बनाने में खास मेहनत की ज़रूरत क्यों पड़ती है?

7 खुशियाँ मनाने का एक खास मौका होता है, मसीही शादियाँ। पुराने ज़माने के परमेश्‍वर के सेवक, यहाँ तक कि यीशु और उसके चेले भी ऐसे खुशी के मौकों में शरीक हुए थे और उन्होंने दावत का मज़ा भी उठाया था। (उत्पत्ति 29:21, 22; यूहन्‍ना 2:1, 2) मगर हाल के समय में हुए वाकये दिखाते हैं कि शादी-ब्याह के इंतज़ाम की योजना बनाने में एक मसीही को खास मेहनत करने की ज़रूरत है। तब कहीं जाकर वह ज़ाहिर कर पाएगा कि उसने समझदारी से काम लिया है और मसीही स्तरों के मुताबिक संयम रखा है। फिर भी, शादियाँ ज़िंदगी के आम पहलू हैं, जिनमें एक मसीही को अपने विश्‍वास का सबूत देने का मौका मिलता है।

8, 9. कई शादियों के दस्तूर कैसे दिखाते हैं कि 1 यूहन्‍ना 2:16, 17 में लिखी बात एकदम सच है?

8 बहुत-से लोग, जो परमेश्‍वर के सिद्धांतों को न तो जानते हैं और ना ही इनके मुताबिक चलना चाहते हैं, वे शादी को एक अलग ही नज़रिए से देखते हैं। उन्हें लगता है कि इस मौके पर हद पार करने में कोई हर्ज़ नहीं, या फिर सभी कर रहे हैं तो वे भी ऐसा कर सकते हैं। यूरोप की एक पत्रिका में, एक नयी-नवेली दुलहन ने बताया कि उसकी शादी कैसे “शाही” ठाठ-बाट के साथ हुई थी। उसने कहा: ‘हम एक आलीशान बग्घी में थे, जिन्हें खींचने के लिए चार घोड़े थे। फिर हमारे पीछे और भी कई बग्घियाँ थीं जिन्हें 12 घोड़े खींच रहे थे। एक में बैंड-बाजेवाले भी थे जो पूरे रास्ते संगीत बजा रहे थे। और दावत की तो बस पूछो ही मत! एक-से-बढ़कर-एक लज़ीज़ खाना परोसा गया था और कमाल का संगीत बज रहा था। सारा इंतज़ाम लाजवाब था! मैं एक दिन के लिए रानी बनना चाहती थी और मेरी यह हसरत पूरी हुई।’

9 हालाँकि अलग-अलग जगह पर शादी करने का दस्तूर एक-जैसा नहीं होता, मगर इस स्त्री की भावना साफ दिखाती है कि प्रेरित यूहन्‍ना की लिखी यह बात एकदम सच है: “जो कुछ संसार में है, अर्थात्‌ शरीर की अभिलाषा, और आंखों की अभिलाषा और जीविका का घमण्ड, वह पिता की ओर से नहीं, परन्तु संसार ही की ओर से है।” क्या आप कभी एक ऐसे प्रौढ़ मसीही जोड़े की कल्पना कर सकते हैं जो चाहता हो कि उनकी शादी भी “शाही” ठाठ-बाट से हो, साथ ही जिसमें शानदार दावत हो? नहीं ना। इसके बजाय, उनकी शादी की योजनाओं से साफ झलकना चाहिए कि उन्होंने इस सलाह को माना है: “जो परमेश्‍वर की इच्छा पर चलता है, वह सर्वदा बना रहेगा।”—1 यूहन्‍ना 2:16, 17.

10. (क) बिना ज़्यादा धूमधाम के शादी रखने के लिए, योजना बनाना क्यों ज़रूरी है? (ख) दोस्तों-रिश्‍तेदारों को न्यौता देने के सिलसिले में फैसला कैसे लिया जाना चाहिए?

10 इस मामले में मसीही जोड़ों को न सिर्फ समझ से काम लेना चाहिए, बल्कि कारगर कदम भी उठाने चाहिए। इसमें बाइबल उनकी मदद कर सकती है। यह सच है कि शादी का दिन उनकी ज़िंदगी का एक बेहद खास दिन होता है, मगर वे जानते हैं कि यह तो उनकी शादी-शुदा ज़िंदगी की बस एक शुरूआत है और उनके आगे हमेशा-हमेशा की ज़िंदगी जीने की आशा है। उनके लिए यह ज़रूरी नहीं कि वे अपनी शादी में एक बड़ी और आलीशान दावत रखें। लेकिन अगर वे दावत रखने का चुनाव करते हैं, तो उन्हें पहले से न सिर्फ पार्टी का सारा खर्च जोड़ लेना चाहिए, बल्कि पार्टी कैसी होगी इस बारे में भी सोच लेना चाहिए। (लूका 14:28) बाइबल के मुताबिक, शादी के बाद की उनकी मसीही ज़िंदगी में पति मुखिया होगा। (1 कुरिन्थियों 11:3; इफिसियों 5:22, 23) तो यह लाज़िमी है कि शादी की दावत का पूरा इंतज़ाम करने की खास ज़िम्मेदारी दूल्हे की है। बेशक, वह अपनी होनेवाली पत्नी का लिहाज़ करते हुए उसके साथ कई मामलों पर सलाह-मशविरा करेगा, जैसे वे शादी के लिए कितने मेहमानों को न्यौता दे सकते हैं। हो सकता है, सभी दोस्तों-रिश्‍तेदारों को न्यौता देना उनके लिए मुमकिन न हो, या फिर ऐसा करना कारगर न हो। ऐसे में, उन्हें सोच-समझकर और हद में रहकर फैसले करने चाहिए। जोड़े को इस बात का भरोसा होना चाहिए कि अगर वे कुछ संगी मसीहियों को न्यौता नहीं दे पाते, तो ये मसीही उनके हालात को समझेंगे और बुरा नहीं मानेंगे।—सभोपदेशक 7:9.

‘भोज का प्रधान’

11. शादी में “भोज के प्रधान” की क्या ज़िम्मेदारी बनती है?

11 अगर एक जोड़ा अपनी शादी की खुशी मनाने के लिए दावत रखने का फैसला करता है, तो वे मौके की गरिमा बनाए रखने के लिए क्या कर सकते हैं? यहोवा के साक्षियों ने कई सालों से अपनी शादी में एक पहलू शामिल किया है, क्योंकि उन्होंने पाया है कि ऐसा करना बुद्धिमानी है। इस पहलू का ज़िक्र काना की उस शादी में किया गया था, जिसमें यीशु हाज़िर हुआ था। वह पहलू है, ‘भोज का प्रधान,’ जो बेशक एक ज़िम्मेदार संगी उपासक था। (यूहन्‍ना 2:9, 10) उसी तरह, बुद्धि से काम लेनेवाला दूल्हा, एक आध्यात्मिक रूप से प्रौढ़ मसीही भाई को भोज के प्रधान की ज़िम्मेदारी सौंपेगा। भोज के प्रधान का यह फर्ज़ बनता है कि वह पहले दूल्हे की ख्वाहिशें और पसंद-नापसंद जान ले और फिर उन्हीं के मुताबिक, शादी की दावत से पहले और उसके दौरान सब काम करे।

12. दूल्हे को शराब देने के बारे में किन बातों पर ध्यान देने की ज़रूरत है?

12 जैसे कि हमने पैराग्राफ 5 में चर्चा की, कुछ जोड़े अपनी शादी की दावत में शराब न देने का चुनाव करते हैं। वे ऐसा इसलिए करते हैं ताकि कहीं कोई हद-से-ज़्यादा शराब न पी ले, और ऐसा कोई कदम न उठा ले, जिससे उस मौके की खुशी भंग हो जाए और शादी को कामयाब बनाने की उनकी सारी मेहनत पर पानी फिर जाए। (रोमियों 13:13; 1 कुरिन्थियों 5:11) दूसरी तरफ, अगर एक जोड़ा अपनी शादी की दावत में शराब रखने का चुनाव करता है, तो दूल्हे को इस बात का पूरा ध्यान रखना चाहिए कि शराब ठीक मात्रा में बाँटी जाए। गौर कीजिए कि काना की जिस शादी में यीशु हाज़िर हुआ था, उसमें मेहमानों को दाखरस दिया गया था और यीशु ने भी एकदम बढ़िया किस्म के दाखरस का इंतज़ाम किया था। दिलचस्पी की बात है कि भोज के प्रधान ने दूल्हे से कहा: “हर एक मनुष्य पहिले अच्छा दाखरस देता है और जब लोग पीकर छक जाते हैं, तब मध्यम देता है; परन्तु तू ने अच्छा दाखरस अब तक रख छोड़ा है।” (यूहन्‍ना 2:10) इसमें शक नहीं कि बढ़िया किस्म के दाखरस का इंतज़ाम करके यीशु पियक्कड़पन को बढ़ावा नहीं दे रहा था, क्योंकि वह खुद इसके सख्त खिलाफ था। (लूका 12:45, 46) जब प्रधान ने बढ़िया किस्म के दाखरस पर अपनी हैरानी ज़ाहिर की, तब उसने यह भी कहा कि उसने कई शादियों में मेहमानों को शराब के नशे में धुत्त होते देखा है। (प्रेरितों 2:15; 1 थिस्सलुनीकियों 5:7) इसलिए दूल्हे को और जिस भरोसेमंद मसीही को वह भोज का प्रधान ठहराता है, उसे इस बात का पूरा-पूरा ख्याल रखना चाहिए कि सभी हाज़िर लोग इस साफ हिदायत को मानें: “दाखरस से मतवाले न बनो, क्योंकि इस से लुचपन होता है।”—इफिसियों 5:18; नीतिवचन 20:1; होशे 4:11.

13. अगर एक जोड़ा अपनी शादी की दावत में संगीत बजाने का चुनाव करता है तो उन्हें क्या बात ध्यान में रखनी चाहिए, और क्यों?

13 दूसरी पार्टियों की तरह, अगर शादी की दावत में भी संगीत बजाया जाता है, तो उसकी आवाज़ पर लगातार ध्यान रखा जाना चाहिए। संगीत की आवाज़ इतनी तेज़ नहीं होनी चाहिए कि लोगों को एक-दूसरे की बात सुनने में तकलीफ हो। एक मसीही प्राचीन ने कहा: “जैसे-जैसे शाम ढलती है, लोग और भी जोश के साथ बात करने लगते हैं या नाच-गाना शुरू हो जाता है। ऐसे में, कभी-कभार संगीत की आवाज़ तेज़ हो जाती है। जो संगीत शुरू-शुरू में धीमी आवाज़ से शुरू हुआ था, वही संगीत कुछ वक्‍त बाद इतना तेज़ हो जाता है कि लोगों का आपस में बात करना मुश्‍किल हो जाता है। दरअसल, शादी की दावत अपने भाई-बहनों के साथ मेल-जोल रखने का एक बढ़िया मौका होता है। इसलिए यह बड़े अफसोस की बात होगी, अगर तेज़ संगीत की वजह से भाई-बहन इस मौके का मज़ा न ले पाएँ!” इसलिए ऐसे समय में भी, दूल्हे और भोज के प्रधान को ज़िम्मेदाराना तरीके से पेश आना चाहिए। चाहे गाने-बजानेवाले किराए पर लाए गए हों या नहीं, दूल्हे और प्रधान को उनके हाथों यह ज़िम्मा नहीं सौंप देना चाहिए कि किस तरह के संगीत बजाए जाएँ और उसकी आवाज़ कितनी रखें। पौलुस ने लिखा: “वचन से या काम से जो कुछ भी करो सब प्रभु यीशु के नाम से करो।” (कुलुस्सियों 3:17) शादी खत्म होने के बाद, जब सभी मेहमान अपने-अपने घर लौट जाएँगे, तो क्या वे संगीत के बारे में याद करके यह कह सकेंगे कि हाँ, जोड़े ने शादी के किसी भी पहलू में यीशु के नाम पर आँच नहीं आने दी? उन्हें ऐसा ही महसूस होना चाहिए।

14. मसीहियों के लिए शादी की कौन-सी बातें, मीठी यादें बनकर रह जाती हैं?

14 जी हाँ, जिन शादियों में सारे काम तरतीब से होते हैं, वही शादियाँ हमेशा याद रहती हैं। ऐडम और एडीटा, जिनकी शादी को 30 साल हो गए हैं, वे एक शादी के बारे में याद करके कहते हैं: “मसीहियों की शादी में जैसा समाँ होना चाहिए, वैसा ही समाँ हमने वहाँ महसूस किया था। यहोवा की स्तुति में गीत गाए जा रहे थे। साथ ही, मनोरंजन के दूसरे अच्छे कार्यक्रम भी रखे गए थे। नाच-गाने और संगीत को ज़्यादा अहमियत नहीं दी गयी थी। माहौल काफी खुशनुमा और हौसला बढ़ानेवाला था। सारा इंतज़ाम बाइबल सिद्धांतों के मुताबिक था।” वाकई, दूल्हा-दुलहन जिस तरीके से अपनी शादी की योजना बनाते हैं, उससे वे अपने विश्‍वास का सबूत दे सकते हैं।

शादी के तोहफे

15. शादी का तोहफा देने के सिलसिले में बाइबल की किस सलाह पर अमल किया जा सकता है?

15 कई देशों में, दोस्तों-रिश्‍तेदारों का दूल्हा-दुलहन को शादी के तोहफे देना आम बात है। अगर आप किसी को शादी का तोहफा देने की सोच रहे हैं, तो आपको क्या बात मन में रखनी चाहिए? प्रेरित यूहन्‍ना की बात को याद कीजिए, जिसने ‘जीविका के घमंड’ यानी अपनी धन-संपत्ति का बढ़-चढ़कर दिखावा करने के बारे में लिखा था। उसने यह नहीं कहा कि ऐसा दिखावा वे मसीही करते हैं जो अपने कामों से अपने विश्‍वास का सबूत देते हैं, बल्कि उसने बताया कि ऐसा दिखावा उस “संसार” में पाया जाता है जो ‘मिटता जा रहा है।’ (1 यूहन्‍ना 2:16, 17) ईश्‍वर-प्रेरणा से लिखी यूहन्‍ना की इस बात को ध्यान में रखते हुए, क्या नए शादीशुदा जोड़े को हर तोहफा देनेवाले का नाम ऐलान करना चाहिए? मकिदुनिया और अखाया के मसीहियों ने यरूशलेम के भाइयों की खातिर दान दिया था, मगर बाइबल यह नहीं बताती है कि उनके नाम ऐलान किए गए थे। (रोमियों 15:26) वैसे ही, तोहफा देनेवाले कई मसीही अपनी पहचान नहीं देना चाहते हैं क्योंकि वे बेवजह दूसरों की नज़र में नहीं आना चाहते। इस सिलसिले में, मत्ती 6:1-4 में दी यीशु की सलाह पर गौर कीजिए।

16. नए शादीशुदा जोड़े, शादी के तोहफे कबूल करने के मामले में दूसरों को ठेस पहुँचाने से कैसे दूर रह सकते हैं?

16 तोहफे देनेवालों के नाम ऐलान करने से दूसरों में ‘होड़ लगाने’ की भावना भड़क सकती है कि किसका तोहफा सबसे अच्छा या महँगा है। इसलिए नया शादीशुदा मसीही जोड़ा बुद्धि से काम लेते हुए, तोहफे देनेवालों के नाम ऐलान नहीं करेगा, ताकि ऐसे लोगों को शर्मिंदा महसूस न हो जिनकी शायद कुछ भी देने की हैसियत नहीं। (गलतियों 5:26, NW; 6:10) माना कि दूल्हा-दुलहन का यह जानना गलत नहीं कि फलाँ तोहफा किसने दिया है। यह वे तोहफे के साथ मिलनेवाले कार्ड से जान सकते हैं। मगर उन्हें यह कार्ड सबके सामने पढ़कर नहीं सुनाना चाहिए। जी हाँ, तोहफे खरीदने, देने या कबूल करने जैसे निजी मामलों में भी हम अपने विश्‍वास का सबूत दे सकते हैं। *

17. अपने विश्‍वास और कामों के बारे में मसीहियों का क्या लक्ष्य होना चाहिए?

17 अपने विश्‍वास का सबूत देने में सिर्फ नैतिक रूप से शुद्ध ज़िंदगी जीना, मसीही सभाओं में हाज़िर होना और प्रचार में हिस्सा लेना ही शामिल नहीं। आइए, हम इस बात को भी ध्यान में रखें कि हमारा विश्‍वास ऐसा हो जो हमारी ज़िंदगी के हर पहलू पर असर करे। जी हाँ, हम ज़िंदगी के हर दायरे में, जिसमें ऊपर बताए मौके भी शामिल हैं, अपना हर काम ‘पूरा करके,’ अपना विश्‍वास ज़ाहिर कर सकते हैं।—प्रकाशितवाक्य 3:2.

18. यूहन्‍ना 13:17 में लिखे शब्द मसीही शादियों और दावतों के मामले में कैसे सच साबित हो सकते हैं?

18 यीशु ने अपने वफादार प्रेरितों के पाँव धोकर, जो कि छोटे दर्जे का काम समझा जाता है, उनके लिए एक अच्छी मिसाल कायम की। इसके बाद उसने उनसे कहा: “तुम तो ये बातें जानते हो, और यदि उन पर चलो, तो धन्य हो।” (यूहन्‍ना 13:4-17) आज, हम जहाँ रहते हैं, वहाँ शायद घर आए मेहमानों के पाँव धोने का रिवाज़ न हो और ना ही ऐसा करने की ज़रूरत पड़े। मगर जैसे हमने इस लेख में चर्चा की, ज़िंदगी के ऐसे और भी कई पहलू हैं, जिनमें हम दूसरों के साथ प्यार और लिहाज़ के साथ पेश आकर अपने विश्‍वास का सबूत दे सकते हैं, जैसे कि पार्टियाँ और शादियाँ। जी हाँ, चाहे हम दूल्हा-दुलहन हों या फिर मेहमान, आइए हम शादी के समारोह और उसके बाद होनेवाली दावत में अपने कामों के ज़रिए अपने विश्‍वास का सबूत दें। (w06 10/15)

[फुटनोट]

^ शादी के समारोह और दावत के दूसरे पहलुओं की चर्चा अगले लेख में की गयी है, जिसका शीर्षक है: “अपने शादी के दिन की खुशी और गरिमा बढ़ाइए।”

आप क्या जवाब देंगे?

आप इन मामलों में अपने विश्‍वास का सबूत कैसे दे सकते हैं:

• पार्टी का इंतज़ाम करते वक्‍त।

• शादी या दावत की योजना बनाते वक्‍त।

• शादी का तोहफा देते या कबूल करते वक्‍त।

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 17 पर तसवीर]

सिर्फ गिने-चुने लोगों को न्यौता देते वक्‍त भी, ‘ऊपर से आनेवाले ज्ञान’ या बुद्धि के मुताबिक फैसले कीजिए