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अपने आपको परमेश्‍वर के प्रेम में बनाए रखिए

अपने आपको परमेश्‍वर के प्रेम में बनाए रखिए

अपने आपको परमेश्‍वर के प्रेम में बनाए रखिए

‘हे प्रियो, अनन्त जीवन के लिये अपने आपको परमेश्‍वर के प्रेम में बनाए रखो।’—यहूदा 20, 21.

1, 2. आप परमेश्‍वर के प्रेम में कैसे बने रह सकते हैं?

 यहोवा सभी इंसानों से बेइंतिहा प्यार करता है। इतना कि उसने अपने एकलौते बेटे को उनकी खातिर कुरबान कर दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्‍वास करे उसे हमेशा की ज़िंदगी मिले। (यूहन्‍ना 3:16) परमेश्‍वर के इस प्यार को महसूस करना, क्या ही लाजवाब बात है, है ना! अगर आप यहोवा के एक सेवक हैं, तो आप ज़रूर यही चाहेंगे कि वह आपको हमेशा-हमेशा के लिए इसी तरह प्यार करता रहे।

2 लेकिन आप परमेश्‍वर के प्रेम में कैसे बने रह सकते हैं? शिष्य यहूदा ने इसका राज़ बताते हुए लिखा: “तुम अपने अति पवित्र विश्‍वास में अपनी उन्‍नति करते हुए और पवित्र आत्मा में प्रार्थना करते हुए। अपने आप को परमेश्‍वर के प्रेम में बनाए रखो; और अनन्त जीवन के लिये हमारे प्रभु यीशु मसीह की दया की आशा देखते रहो।” (यहूदा 20, 21) जी हाँ, परमेश्‍वर के प्रेम में बने रहने के लिए आपको “अति पवित्र विश्‍वास,” यानी मसीही शिक्षाओं के ज्ञान में उन्‍नति करते जाना है। ऐसा आप परमेश्‍वर के वचन का अध्ययन करने और सुसमाचार सुनाने के ज़रिए कर सकते हैं। इसके अलावा, परमेश्‍वर के प्रेम में बने रहने के लिए आपको “पवित्र आत्मा में” यानी उसके निर्देशन के मुताबिक प्रार्थना करने की भी ज़रूरत है। और हमेशा की ज़िंदगी का इनाम पाने के लिए ज़रूरी है कि आप यीशु मसीह के छुड़ौती बलिदान पर विश्‍वास करें।—1 यूहन्‍ना 4:10.

3. कुछ लोग जो पहले सच्चाई में थे, वे अब यहोवा के साक्षी क्यों नहीं हैं?

3 कुछ लोग जो पहले सच्चाई में थे, वे परमेश्‍वर के प्रेम में नहीं बने रहे। क्यों? क्योंकि उन्होंने पाप का रास्ता इख्तियार किया और इसलिए अब वे यहोवा के साक्षी नहीं हैं। आपकी ज़िंदगी में ऐसी नौबत न आए, इसके लिए आप क्या कर सकते हैं? आगे दिए गए मुद्दों पर मनन करने से, आपको पाप से दूर रहने में और अपने आपको परमेश्‍वर के प्रेम में बनाए रखने में मदद मिल सकती है।

परमेश्‍वर के लिए अपना प्यार दिखाइए

4. परमेश्‍वर की आज्ञा मानना क्यों ज़रूरी है?

4 परमेश्‍वर की आज्ञाओं को मानकर उसके लिए अपना प्यार दिखाइए। (मत्ती 22:37) प्रेरित यूहन्‍ना ने लिखा: “परमेश्‍वर का प्रेम यह है, कि हम उस की आज्ञाओं को मानें; और उस की आज्ञाएं कठिन नहीं।” (1 यूहन्‍ना 5:3) अगर आप परमेश्‍वर की आज्ञा मानना अपनी आदत बना लें, तो आपका विश्‍वास मज़बूत होगा और आप गलत काम करने के लिए लुभाए जाने पर उसका विरोध कर पाएँगे। साथ ही, इससे आपको खुशी भी मिलेगी। भजनहार ने कहा था: “क्या ही धन्य [“खुश,” NW] है वह पुरुष जो दुष्टों की युक्‍ति पर नहीं चलता, . . . परन्तु वह तो यहोवा की व्यवस्था से प्रसन्‍न रहता [है]।”—भजन 1:1, 2.

5. यहोवा के लिए प्यार आपको क्या करने के लिए उभारेगा?

5 अगर आप यहोवा से प्यार करते हैं, तो आप गंभीर पाप करने से दूर रहेंगे ताकि उसके नाम पर कोई कलंक न लगे। आगूर ने अपनी प्रार्थना में कहा: “मुझे न तो निर्धन कर और न धनी बना; प्रति दिन की रोटी मुझे खिलाया कर। ऐसा न हो, कि जब मेरा पेट भर जाए, तब मैं इन्कार करके कहूं कि यहोवा कौन है? वा अपना भाग खोकर चोरी करूं, और अपने परमेश्‍वर का नाम अनुचित रीति से लूं [“कलंकित करूं,” NHT]।” (नीतिवचन 30:1, 8, 9) आगूर की तरह ठान लीजिए कि आप कभी ‘परमेश्‍वर का नाम कलंकित’ नहीं करेंगे। इसके बजाय, हमेशा सही काम करने के ज़रिए उसकी महिमा करेंगे।—भजन 86:12.

6. अगर आप जानबूझकर पाप करते हैं तो इसका क्या अंजाम हो सकता है?

6 स्वर्ग में रहनेवाले अपने प्यारे पिता से रोज़ प्रार्थना में मदद माँगिए ताकि पाप करने के लिए लुभाए जाने पर आप उसका विरोध कर सकें। (मत्ती 6:13; रोमियों 12:12) परमेश्‍वर से मिलनेवाली सलाह को हमेशा मानिए ताकि आपकी प्रार्थनाएँ रुक न जाएँ। (1 पतरस 3:7) अगर आप जानबूझकर पाप करेंगे तो इसके अंजाम बुरे हो सकते हैं। क्योंकि यहोवा बागियों की प्रार्थनाओं को नहीं सुनता। वह मानो खुद को बादलों से घेर लेता है ताकि उनकी प्रार्थना उस तक न पहुँच सके। (विलापगीत 3:42-44) इसलिए नम्रता दिखाइए और परमेश्‍वर से बिनती कीजिए कि आप ऐसा कोई भी काम न करें जिससे प्रार्थना में उसके पास आने का मौका खो दें।—2 कुरिन्थियों 13:7.

परमेश्‍वर के बेटे के लिए प्यार दिखाइए

7, 8. एक इंसान यीशु की सलाह मानकर कैसे पाप के रास्ते पर जाने से दूर रह सकता है?

7 यीशु मसीह की आज्ञाओं को मानकर उसके लिए प्यार दिखाइए। ऐसा करने से आप पाप के रास्ते पर नहीं जाएँगे। यीशु ने कहा: “यदि तुम मेरी आज्ञाओं को मानोगे, तो मेरे प्रेम में बने रहोगे: जैसा कि मैं ने अपने पिता की आज्ञाओं को माना है, और उसके प्रेम में बना रहता हूं।” (यूहन्‍ना 15:10) इन शब्दों पर अमल करने से आपको कैसे परमेश्‍वर के प्रेम में बने रहने में मदद मिलेगी?

8 यीशु के शब्दों पर ध्यान देने से आप नैतिक उसूलों पर चल पाएँगे। इस्राएलियों को दी परमेश्‍वर की कानून-व्यवस्था में लिखा था: “तू व्यभिचार न करना।” (निर्गमन 20:14) लेकिन यीशु ने इस नियम के पीछे छिपे सिद्धांत को बताया: “जो कोई किसी स्त्री पर कुदृष्टि डाले वह अपने मन में उस से व्यभिचार कर चुका।” (मत्ती 5:27, 28) प्रेरित पतरस ने कहा था कि पहली सदी की कलीसिया में कुछ लोगों की “आंखें व्यभिचार से भरी” थीं (NHT) और वे ‘चंचल मनवालों को फुसलाते थे।’ (2 पतरस 2:14) लेकिन आप लैंगिक अनैतिकता के पापों से दूर रह सकते हैं, बशर्ते आप परमेश्‍वर और यीशु से प्यार करें और उनकी आज्ञाओं को मानें। साथ ही, यह ठान लें कि आप उनके साथ अपने रिश्‍ते को कभी बिगड़ने नहीं देंगे।

यहोवा की आत्मा के निर्देशन में चलिए

9. लगातार पाप करने से क्या हो सकता है?

9 परमेश्‍वर की पवित्र आत्मा के लिए प्रार्थना कीजिए और उसके निर्देशन में चलिए। (लूका 11:13; गलतियों 5:19-25) अगर आप लगातार पाप करते रहें तो परमेश्‍वर आप पर से अपनी आत्मा हटा सकता है। दाऊद ने बतशेबा के साथ व्यभिचार करने के बाद, परमेश्‍वर से गिड़गिड़ाकर कहा: “मुझे अपने साम्हने से निकाल न दे, और अपने पवित्र आत्मा को मुझ से अलग न कर।” (भजन 51:11) राजा शाऊल की मिसाल लीजिए, जिसने परमेश्‍वर की आत्मा खो दी थी। इसकी वजह यह थी कि वह बिना पछतावा दिखाए पाप करता रहा। जैसे, उसने परमेश्‍वर की आज्ञा तोड़कर खुद होमबलि चढ़ायी और दूसरे मौके पर, उसने अमालेकियों के राजा की जान बख्श दी, साथ ही उनकी भेड़-बकरियों और गाय-बैलों को पूरी तरह नाश नहीं किया। इसलिए यहोवा ने शाऊल पर से अपनी आत्मा हटा ली।—1 शमूएल 13:1-14; 15:1-35; 16:14-23.

10. आपको क्यों पाप करने के खयाल तक को अपने मन में पनपने नहीं देना चाहिए?

10 पाप करने के खयाल तक को अपने मन में पनपने मत दीजिए। प्रेरित पौलुस ने लिखा: “सच्चाई की पहिचान प्राप्त करने के बाद यदि हम जान बूझकर पाप करते रहें, तो पापों के लिये फिर कोई बलिदान बाकी नहीं।” (इब्रानियों 10:26-31) ज़रा सोचिए, अगर आप जानबूझकर पाप करते रहें, तो इसका क्या ही भयानक अंजाम होगा!

दूसरों के लिए सच्चा प्यार दिखाइए

11, 12. दूसरों के लिए प्यार और आदर, किस तरह एक इंसान को बदचलनी से दूर रहने में मदद देता है?

11 दूसरों के लिए सच्चा प्यार आपको बदचलनी से दूर रहने में मदद देगा। (मत्ती 22:39) यह प्यार आपको अपने मन की रक्षा करने के लिए उकसाएगा ताकि आप दूसरों के जीवन-साथी के प्यार पर डाका न डालें। वरना, आप पराए स्त्री या पुरुष से नाजायज़ संबंध रखने के फँदे में फँस सकते हैं। (नीतिवचन 4:23; यिर्मयाह 4:14; 17:9, 10) इस मामले में धर्मी अय्यूब की मिसाल पर चलिए, जिसने कभी किसी परायी स्त्री पर आँखें नहीं लगायीं।—अय्यूब 31:1.

12 शादी के पवित्र बंधन के लिए आदर दिखाने से आपको गंभीर पाप से दूर रहने में मदद मिलेगी। परमेश्‍वर ने शादी और पति-पत्नी के बीच लैंगिक संबंध की शुरूआत इसलिए की ताकि वे संतान पैदा कर सकें। (उत्पत्ति 1:26-28) ध्यान रखिए कि इंसान के जननांग इसलिए बनाए गए थे ताकि उनके ज़रिए संतान तक जीवन पहुँचाया जा सके, जो बहुत पवित्र है। इसलिए व्यभिचार करनेवाले और अपने जीवन-साथी से बेवफाई करनेवाले, परमेश्‍वर की आज्ञा तोड़ते हैं। वे लैंगिक संबंध की तौहीन करते हैं, शादी के पवित्र बंधन को तुच्छ समझते हैं और अपने ही शरीर के खिलाफ पाप करते हैं। (1 कुरिन्थियों 6:18) लेकिन अगर एक इंसान परमेश्‍वर और पड़ोसी से प्यार करता है, साथ ही परमेश्‍वर की आज्ञा मानता है, तो वह ऐसे किसी भी अनैतिक काम से दूर रहेगा जिसके लिए उसे मसीही कलीसिया से बहिष्कृत किया जा सकता है।

13. एक बदचलन इंसान कैसे अपने “धन को उड़ा देता है”?

13 हमें अपनी पापी इच्छाओं पर काबू पाना चाहिए ताकि हम कुछ ऐसा काम न कर बैठें जिससे हमारे अपनों को बेहद दुःख पहुँचे। नीतिवचन 29:3 कहता है: “वेश्‍याओं की संगति करनेवाला धन को उड़ा देता है।” जब एक पति किसी परायी स्त्री के साथ संबंध रखता है और पश्‍चाताप नहीं करता, तो वह अपना सबसे अनमोल धन खो देता है, यानी वह परमेश्‍वर के साथ अपना रिश्‍ता बिगाड़ लेता है और अपने ही परिवार को उजाड़ देता है। ऐसे में, उसकी पत्नी चाहे तो उसे तलाक दे सकती है। (मत्ती 19:9) मगर गुनहगार चाहे पति हो या पत्नी, शादी का बंधन टूटने से बेकसूर साथी को, बच्चों को और दूसरों को भी काफी दुःख-दर्द सहने पड़ सकते हैं। बदचलनी के इन दर्दनाक अंजामों के बारे में जानकर, क्या आपको नहीं लगता कि जब हमें ऐसे कामों के लिए लुभाया जाता है, तो हमें उसका विरोध करना चाहिए?

14. अपने जीवन-साथी से बेवफाई करने के बारे में हम नीतिवचन 6:30-35 से क्या सबक सीख सकते हैं?

14 यह एक हकीकत है कि परायी स्त्री या पुरुष के साथ संबंध रखने से जो नुकसान होते हैं, उनकी भरपाई नहीं की जा सकती। यही बात एक इंसान को इस घिनौने काम से दूर रहने के लिए उकसानी चाहिए जो वह अपना स्वार्थ पूरा करने के लिए करता है। नीतिवचन 6:30-35 दिखाता है कि लोग शायद यह सोचकर एक चोर के साथ हमदर्दी जताएँ कि उसने अपना पेट भरने के लिए चोरी की है। जबकि वे ऐसे इंसान से, जो अपने जीवन-साथी से बेवफाई करता है, नफरत करते हैं क्योंकि उसके इरादे बुरे होते हैं। इस तरह पाप करके वह खुद ‘अपने ही प्राण [या जीवन] को नाश’ कर लेता है। मूसा की कानून व्यवस्था में, ऐसे लोगों को मौत की सज़ा दी जाती थी। (लैव्यव्यवस्था 20:10) ऐसे शख्स को सिर्फ अपनी लैंगिक प्यास बुझाने की पड़ी रहती है, लेकिन उसके इस काम से दूसरों को बहुत ठेस पहुँचती है। ऐसा इंसान, अगर पश्‍चाताप नहीं करता तो वह परमेश्‍वर के प्रेम में नहीं बना रहता और उसे शुद्ध मसीही कलीसिया से बहिष्कृत किया जाता है।

शुद्ध विवेक बनाए रखिए

15. ‘जलते हुए लोहे से दागे गए’ विवेक की हालत क्या होती है?

15 परमेश्‍वर के प्रेम में बने रहने के लिए, हमें अपने विवेक को सख्त होने नहीं देना चाहिए, वरना यह हमें खबरदार करना बंद कर देगा। बेशक, हमें दुनिया के गिरे हुए नैतिक स्तरों को कभी कबूल नहीं करना चाहिए। लेकिन हम किन्हें अपना दोस्त चुनते हैं, क्या पढ़ते हैं और किस तरह के मनोरंजन का मज़ा लेते हैं, इन मामलों में भी हमें एहतियात बरतने की ज़रूरत है। पौलुस ने चिताया था: “आनेवाले समयों में कितने लोग भरमानेवाली आत्माओं, और दुष्टात्माओं की शिक्षाओं पर मन लगाकर विश्‍वास से बहक जाएंगे। यह उन झूठे मनुष्यों के कपट के कारण होगा, जिन का विवेक मानो जलते हुए लोहे से दागा गया है।” (1 तीमुथियुस 4:1, 2) जिस तरह दागी हुई त्वचा सुन्‍न पड़ जाती है और उस जगह कुछ भी महसूस नहीं होता, उसी तरह “जलते हुए लोहे से दागा गया” विवेक भी सुन्‍न पड़ जाता है। ऐसा विवेक हमें धर्मत्यागियों से बचे रहने और उन हालात से दूर रहने की चेतावनी देना बंद कर देता है जिनमें फँसकर हम विश्‍वास से बहक सकते हैं।

16. विवेक को शुद्ध बनाए रखना क्यों ज़रूरी है?

16 हमारा उद्धार इस बात पर निर्भर करता है कि हम अपने विवेक को शुद्ध बनाए रखें। (1 पतरस 3:21) यीशु के बहाए गए लहू पर विश्‍वास करने के ज़रिए हमने अपने विवेक को मरे हुए कामों से शुद्ध किया है, ताकि हम “जीवते परमेश्‍वर की सेवा” कर सकें। (इब्रानियों 9:13, 14) इसके बाद, अगर हम जानबूझकर पाप करें तो हमारा विवेक भ्रष्ट हो जाएगा, हम अशुद्ध हो जाएँगे और परमेश्‍वर की सेवा के काबिल नहीं रहेंगे। (तीतुस 1:15) लेकिन यहोवा की मदद की बदौलत, हम अपना विवेक शुद्ध बनाए रख सकते हैं।

बुरे चालचलन से दूर रहने के दूसरे तरीके

17. ‘पूरी रीति से यहोवा के पीछे हो लेने’ का क्या फायदा है?

17 प्राचीन इस्राएल के कालेब की तरह, ‘पूरी रीति से यहोवा के पीछे हो लीजिए।’ (व्यवस्थाविवरण 1:34-36) परमेश्‍वर की माँगों को पूरा कीजिए और “दुष्टात्माओं की मेज” से भोजन करने की सोचिए भी मत। (1 कुरिन्थियों 10:21) धर्मत्याग को ठुकराइए। सिर्फ यहोवा की मेज से आध्यात्मिक भोजन लीजिए और उसके लिए कदरदानी दिखाइए। ऐसा करने से आप कभी झूठे शिक्षकों के या दुष्ट आत्मिक सेनाओं के बहकावे में नहीं आएँगे। (इफिसियों 6:12; यहूदा 3, 4) आध्यात्मिक कामों पर मन लगाइए, जैसे बाइबल अध्ययन करना, सभाओं में हाज़िर होना और प्रचार में हिस्सा लेना। अगर आप पूरी रीति से यहोवा के पीछे हो लेंगे और प्रभु के काम में सर्वदा बढ़ते जाएँगे, तो बेशक आपको खुशी मिलेगी।—1 कुरिन्थियों 15:58.

18. परमेश्‍वर का भय कैसे आपके चालचलन पर असर करेगा?

18 ठान लीजिए कि आप ‘भक्‍ति और भय सहित, परमेश्‍वर की आराधना करेंगे।’ (इब्रानियों 12:28) यहोवा के लिए श्रद्धा और भय आपको गलत रास्ते पर जाने से रोकेगा। यह आपको अभिषिक्‍त मसीहियों को दी पतरस की सलाह पर चलने में मदद देगा कि आपका चालचलन कैसा होना चाहिए। उसने कहा: “जब कि तुम, हे पिता, कहकर उस से प्रार्थना करते हो, जो बिना पक्षपात हर एक के काम के अनुसार न्याय करता है, तो अपने परदेशी होने का समय भय से बिताओ।”—1 पतरस 1:17.

19. परमेश्‍वर के वचन से आप जो सीखते हैं, उस पर लगातार अमल करना क्यों ज़रूरी है?

19 परमेश्‍वर के वचन से आप जो भी सीखते हैं, उस पर लगातार अमल कीजिए। इस तरह आप उन लोगों की तरह बन जाएँगे जिनकी ‘ज्ञानेन्द्रिय अभ्यास करते करते, भले बुरे में भेद करने के लिये पक्की हो गयी हैं।’ (इब्रानियों 5:14) और यह आपको गंभीर पापों से दूर रहने में मदद देगा। अपनी बातचीत और चालचलन में लापरवाह होने के बजाय चौकन्‍ना रहिए, ताकि आप बुद्धिमान इंसान की तरह चलें और इन बुरे दिनों में ‘अवसर को बहुमोल समझकर’ उसे मोल लें। ‘जानिए कि प्रभु की इच्छा क्या है’ (NHT) और उसे करते रहिए।—इफिसियों 5:15-17; 2 पतरस 3:17.

20. हमें क्यों दूसरों की चीज़ों का लालच नहीं करना चाहिए?

20 दूसरों की चीज़ों का लालच मत कीजिए। दस आज्ञाओं में एक आज्ञा यह थी: “तू किसी के घर का लालच न करना; न तो किसी की स्त्री का लालच करना, और न किसी के दास-दासी, वा बैल गदहे का, न किसी की किसी वस्तु का लालच करना।” (निर्गमन 20:17) यह नियम एक इंसान के घर, उसकी पत्नी, दास-दासियों, जानवरों वगैरह की सुरक्षा के लिए था। लेकिन इससे भी बढ़कर एक ज़रूरी बात यीशु ने बतायी थी कि दूसरों की चीज़ों का लालच करना, एक इंसान को अशुद्ध कर देता है।—मरकुस 7:20-23.

21, 22. एक मसीही को पाप से दूर रहने के लिए क्या एहतियात बरतनी चाहिए?

21 एहतियात बरतिए ताकि गलत इच्छा आप पर हावी न हो जाए, वरना आप पाप में पड़ सकते हैं। शिष्य याकूब ने लिखा: “प्रत्येक व्यक्‍ति अपनी ही अभिलाषा से खिंचकर, और फंसकर परीक्षा में पड़ता है। फिर अभिलाषा गर्भवती होकर पाप को जनता है और पाप जब बढ़ जाता है तो मृत्यु को उत्पन्‍न करता है।” (याकूब 1:14, 15) मिसाल के लिए, अगर एक इंसान को पहले हद-से-ज़्यादा शराब पीने की समस्या थी, तो वह एहतियात के तौर पर शायद घर पर शराब न रखने का फैसला करे। एक मसीही को काम की जगह पर विपरीत लिंग का व्यक्‍ति बार-बार गलत काम करने के लिए लुभा सकता है। इससे बचने के लिए, उसे शायद अपने काम करने की जगह या फिर अपनी नौकरी बदलनी पड़े।—नीतिवचन 6:23-28.

22 पाप की तरफ पहला कदम भी मत उठाइए। इश्‍कबाज़ी करने और गंदे खयालों से अपने मन को भरने से, एक इंसान व्यभिचार में या अगर वह शादीशुदा है, तो किसी पराए के साथ संबंध रखकर पाप में पड़ सकता है। छोटे-छोटे झूठ बोलने से एक शख्स बड़े झूठ बोलने लग सकता है और यह उसकी आदत बन सकती है। छोटी-मोटी चीज़ें चुराने से एक इंसान का विवेक उसे कचोटना बंद कर सकता है और वह बड़ी चीज़ें चुराने की जुर्रत कर सकता है। धर्मत्याग में ज़रा-सी दिलचस्पी लेने से एक व्यक्‍ति आखिरकार धर्मत्यागी बन सकता है।—नीतिवचन 11:9; प्रकाशितवाक्य 21:8.

अगर आपने पाप किया है, तब क्या?

23, 24. दूसरा इतिहास 6:29, 30 और नीतिवचन 28:13 से हम क्या दिलासा पा सकते हैं?

23 सभी इंसान असिद्ध हैं और पाप करते हैं। (सभोपदेशक 7:20) लेकिन अगर आपने कोई गंभीर पाप किया है, तो आप राजा सुलैमान की प्रार्थना से दिलासा पा सकते हैं, जो उसने यहोवा के मंदिर के उद्‌घाटन के वक्‍त की थी। सुलैमान ने परमेश्‍वर से कहा: “यदि कोई मनुष्य वा तेरी सारी प्रजा इस्राएल जो अपना अपना दुःख और अपना अपना खेद जान कर और गिड़गिड़ाहट के साथ प्रार्थना करके अपने हाथ इस भवन की ओर फैलाए; तो तू अपने स्वर्गीय निवासस्थान से सुनकर क्षमा करना, और एक एक के मन की जानकर उसकी चाल के अनुसार उसे फल देना; (तू ही तो आदमियों के मन का जाननेवाला है)।”—2 इतिहास 6:29, 30.

24 जी हाँ, परमेश्‍वर इंसानों के मन को जानता है और वह उन्हें माफ भी करता है। नीतिवचन 28:13 कहता है: “जो अपने अपराध छिपा रखता है, उसका कार्य सुफल नहीं होता, परन्तु जो उनको मान लेता और छोड़ भी देता है, उस पर दया की जायेगी।” अपने पापों का पश्‍चाताप करके उन्हें मान लेने और छोड़ देने से एक इंसान परमेश्‍वर की दया पा सकता है। लेकिन अगर आप आध्यात्मिक तौर पर कमज़ोर हो गए हैं, तो परमेश्‍वर के प्रेम में बने रहने के लिए और कौन-सी बातें आपकी मदद कर सकती हैं? (w06 11/15)

आप क्या जवाब देंगे?

• हम अपने आपको परमेश्‍वर के प्रेम में कैसे बनाए रख सकते हैं?

• परमेश्‍वर और मसीह के लिए प्यार कैसे हमें पाप के रास्ते पर जाने से रोकता है?

• दूसरों के लिए सच्चा प्यार कैसे हमें बदचलनी से दूर रहने में मदद देता है?

• बुरे चालचलन से बचे रहने के कुछ तरीके क्या हैं?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 7 पर तसवीर]

यहूदा बताता है कि हम अपने आपको परमेश्‍वर के प्रेम में कैसे बनाए रख सकते हैं

[पेज 9 पर तसवीर]

शादी का बंधन टूटने से बेकसूर साथी और बच्चों को काफी दुःख-दर्द सहने पड़ते हैं

[पेज 10 पर तसवीर]

क्या आपने कालेब की तरह ‘पूरी रीति से यहोवा के पीछे हो लेने’ की ठान ली है?

[पेज 11 पर तसवीर]

रोज़ प्रार्थना में मदद माँगिए ताकि लुभाए जाने पर आप उसका विरोध कर सकें