आप मुसीबतों के तूफान का सामना कर सकते हैं
आप मुसीबतों के तूफान का सामना कर सकते हैं
आज के इस नाज़ुक दौर में, कई लोगों को मुसीबतों के तूफान से गुज़रना पड़ता है। मगर मसीही, परमेश्वर के लिए अपने प्यार और उसके सिद्धांतों को मज़बूती से थामे रहने की वजह से इन मुसीबतों का सामना कर पाते हैं। वह कैसे? इसका जवाब यीशु मसीह के एक दृष्टांत से मिलता है। इस दृष्टांत में यीशु ने आज्ञा माननेवाले अपने चेलों की तुलना “बुद्धिमान मनुष्य” से की “जिस ने अपना घर चटान पर बनाया” था। उसने कहा: “मेंह बरसा और बाढ़ें आईं, और आन्धियां चलीं, और उस घर पर टक्करें लगीं, परन्तु वह नहीं गिरा, क्योंकि उस की नेव चटान पर डाली गई थी।”—मत्ती 7:24, 25.
ध्यान दीजिए कि दृष्टांत में बताया आदमी बुद्धिमान था, मगर फिर भी उसे तेज़ बारिश, बाढ़ और ज़ोरदार आँधी जैसी आफतों का सामना करना पड़ा था। यह बताकर यीशु ने ज़ाहिर किया कि उसके चेले हमेशा सुख-चैन की ज़िंदगी नहीं बिताएँगे बल्कि उन पर कई मुश्किलें आएँगी। (भजन 34:19; याकूब 4:13-15) मगर साथ ही उसने यह भी कहा कि परमेश्वर के वफादार सेवक, इन मुश्किलों और आफतों का सामना करने के लिए पहले से तैयारी कर सकते हैं। नतीजा, वे इसमें कामयाब होंगे।
यीशु ने दृष्टांत की शुरूआत में कहा: “जो कोई मेरी ये बातें सुनकर उन्हें मानता है वह उस बुद्धिमान मनुष्य की नाईं ठहरेगा जिस ने अपना घर चटान पर बनाया।” बेशक, यीशु यहाँ घर बनाने की बात नहीं कर रहा था, बल्कि वह इस बात पर ज़ोर दे रहा था कि हमें अपनी ज़िंदगी मज़बूत बुनियाद पर खड़ी करनी चाहिए। यीशु की बातों पर ध्यान देनेवाले लोग, समझ-बूझ से काम लेते हैं और सही फैसले करते हैं। वे यीशु की शिक्षाओं को मानते हुए मज़बूत चट्टान पर अपनी ज़िंदगी खड़ी करते हैं। दिलचस्पी की बात है कि चट्टान, ज़मीन की सतह पर नहीं मिलती। इसलिए दृष्टांत में बताए आदमी को चट्टान तक पहुँचने के लिए ‘गहराई’ तक खोदना पड़ा था। (लूका 6:48) उसी तरह, मसीही अपने अंदर ऐसे गुण पैदा करने की जी-तोड़ कोशिश करते हैं, जो उन्हें हर किस्म की आज़माइश में अटल बने रहने में मदद देते हैं और परमेश्वर के करीब लाते हैं।—मत्ती 5:5-7; 6:33.
इसके बाद जब मुसीबतों के तूफान में उनकी खराई की परीक्षा होती है, तो क्या उनकी मसीही बुनियाद मज़बूत बनी रहती है? बेशक। मसीह की शिक्षाओं को पूरे दिल से मानने और मसीही गुणों को दिखाने की वजह से, उन्हें मुसीबतों का सामना करने की ताकत मिलती है। यही नहीं, यह बात उन्हें जल्द आनेवाले हरमगिदोन के बड़े तूफान में भी अडिग बने रहने में मदद देगी। (मत्ती 5:10-12; प्रकाशितवाक्य 16:15, 16) जी हाँ, मसीह की शिक्षाओं पर अमल करने से, कई लोग मुसीबतों के तूफान का सामना करने में कामयाब हो रहे हैं। आप भी कामयाब हो सकते हैं।—1 पतरस 2:21-23. (w07 1/1)