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‘पहला पुनरुत्थान’—आज जारी है!

‘पहला पुनरुत्थान’—आज जारी है!

‘पहला पुनरुत्थान’—आज जारी है!

“जो मसीह में मरे हैं, वे पहिले जी उठेंगे।”—1 थिस्सलुनीकियों 4:16.

1, 2. (क) मरे हुओं के लिए क्या आशा है? (ख) आप किस बिना पर पुनरुत्थान की आशा पर विश्‍वास करते हैं? (फुटनोट देखिए।)

 “जीवते तो इतना जानते हैं कि वे मरेंगे।” यह बात, आदम के पाप करने के बाद से सच साबित हुई है। उस वक्‍त से लेकर आज तक, इस धरती पर पैदा हुए सभी इंसानों को यह एहसास रहा है कि उन्हें एक-न-एक-दिन मौत के मुँह में जाना ही होगा। इसलिए बहुत-से लोग सोचते हैं: ‘मरने पर एक इंसान का क्या होता है? मरे हुए किस दशा में हैं?’ बाइबल इसका जवाब देती है: “मरे हुए कुछ भी नहीं जानते।”—सभोपदेशक 9:5.

2 तो फिर, उनके लिए क्या कोई आशा है? बेशक है। दरअसल, परमेश्‍वर ने शुरू में इंसानों के लिए जो मकसद ठहराया था, अगर उसे पूरा होना है तो मरे हुओं के लिए आशा होनी ज़रूरी है। सदियों से यहोवा के वफादार सेवक, उसके इस वादे पर विश्‍वास करते आए हैं कि एक वंश आएगा जो आखिरकार शैतान को नाश कर देगा और उसके किए सारे नुकसान की भरपाई करेगा। (उत्पत्ति 3:15) आज, उन वफादार सेवकों में से कितनों की मौत हो चुकी है। इसलिए अगर उन्हें परमेश्‍वर के इस वादे और दूसरे कई वादों को पूरा होते देखना है, तो उन्हें दोबारा ज़िंदा किया जाना ज़रूरी है। (इब्रानियों 11:13) लेकिन क्या ऐसा होगा? ज़रूर होगा। प्रेरित पौलुस ने लिखा: “धर्मी और अधर्मी दोनों का जी उठना होगा।” (प्रेरितों 24:15) पौलुस ने खुद एक बार, यूतुखुस नाम के एक नौजवान को जिलाया था, जो तीसरी मंज़िल की खिड़की से गिर गया था और उसे “मरा हुआ उठाया गया” था। यह किस्सा, बाइबल में दिए पुनरुत्थान के नौ किस्सों में से आखिरी है।—प्रेरितों 20:7-12. *

3. यूहन्‍ना 5:28, 29 में दर्ज़ यीशु की बात से आपको क्या दिलासा मिलता है, और क्यों?

3 पुनरुत्थान के इन नौ किस्सों की बिना पर हम पौलुस की लिखी बात पर विश्‍वास कर सकते हैं। इसके अलावा, ये किस्से यीशु के इस वादे पर हमारा भरोसा भी बढ़ाते हैं: “वह समय आता है, कि जितने कब्रों में हैं, [यीशु का] शब्द सुनकर निकलेंगे।” (यूहन्‍ना 5:28, 29) इस बात से हमें क्या ही सुकून और खुशी मिलती है! यही नहीं, इससे उन लाखों लोगों को भी दिलासा मिलता है, जिनके अपनों की मौत हो चुकी है।

4, 5. बाइबल किन अलग-अलग किस्म के पुनरुत्थान के बारे में बताती है, और इस लेख में किस पुनरुत्थान की चर्चा की गयी है?

4 मरे हुओं में से ज़्यादातर का पुनरुत्थान, एक ऐसी धरती पर होगा जो परमेश्‍वर के राज्य के अधीन होगी और जहाँ हर कहीं शांति का आलम होगा। (भजन 37:10, 11, 29; यशायाह 11:6-9; 35:5, 6; 65:21-23) लेकिन इससे पहले दूसरे किस्म के पुनरुत्थान होने ज़रूरी हैं। पहला है, यीशु मसीह का पुनरुत्थान ताकि वह परमेश्‍वर के सामने हमारी खातिर अपने बलिदान की कीमत अदा कर सके। ऐसा सा.यु. 33 में हुआ था, जब उसे मार डाला गया और फिर कुछ ही दिनों बाद उसे दोबारा ज़िंदा किया गया।

5 दूसरा है, “परमेश्‍वर के इस्राएल” के अभिषिक्‍त जनों का पुनरुत्थान। उन्हें प्रभु यीशु मसीह के साथ स्वर्गीय महिमा का भागीदार होना है, जिसके बाद वे ‘सदा उसके साथ रहेंगे।’ (गलतियों 6:16; 1 थिस्सलुनीकियों 4:17) इसे ‘पहला पुनरुत्थान’ कहा गया है। (प्रकाशितवाक्य 20:6) इस पुनरुत्थान के खत्म होने के बाद ही, धरती पर उन लाखों मरे हुओं का पुनरुत्थान शुरू होगा जिन्हें फिरदौस में हमेशा की ज़िंदगी पाने का मौका दिया जाएगा। इसलिए हमारी आशा चाहे स्वर्ग में जीने की हो या इसी धरती पर, हम सभी को ‘पहले पुनरुत्थान’ में गहरी दिलचस्पी है। मगर यह किस तरह का पुनरुत्थान है? और यह कब होता है?

“कैसी देह के साथ?”

6, 7. (क) स्वर्ग में अपना इनाम पाने से पहले, अभिषिक्‍त मसीहियों के साथ क्या होना ज़रूरी है? (ख) उन्हें कैसी देह देकर जिलाया जाता है?

6 पौलुस, कुरिन्थुस के मसीहियों को लिखी अपनी पहली पत्री में पहले पुनरुत्थान के बारे में एक सवाल पूछता है: “मुर्दे किस रीति से जी उठते हैं, और कैसी देह के साथ आते हैं?” फिर वह खुद इसका जवाब देता है: “जो कुछ तू बोता है, जब तक वह न मरे जिलाया नहीं जाता। . . . परन्तु परमेश्‍वर अपनी इच्छा के अनुसार उस को देह देता है; . . . स्वर्गीय देहों का तेज और है, और पार्थिव का और।”—1 कुरिन्थियों 15:35-40.

7 पौलुस के ये शब्द दिखाते हैं कि पवित्र आत्मा से अभिषेक किए गए मसीहियों का मरना ज़रूरी है, तभी वे स्वर्ग में अपना इनाम पा सकते हैं। मरने के बाद, उनका शरीर वापस मिट्टी में मिल जाता है। (उत्पत्ति 3:19) फिर परमेश्‍वर के ठहराए वक्‍त पर, उन्हें ऐसी देह देकर जिलाया जाता है जिससे उनके लिए स्वर्ग में जीना मुमकिन होता है। (1 यूहन्‍ना 3:2) इसके अलावा, परमेश्‍वर उन्हें अमर जीवन भी देता है। गौर कीजिए कि उन्हें यह जीवन जन्म से नहीं मिलता। पौलुस कहता है: “मरणशील का अमरता को पहिनना अवश्‍य है।” (NHT) अमर जीवन, परमेश्‍वर का दिया एक नायाब तोहफा है और इसे सिर्फ वे लोग ‘पहिनते’ हैं जिन्हें पहला पुनरुत्थान मिलता है।—1 कुरिन्थियों 15:50, 53; उत्पत्ति 2:7; 2 कुरिन्थियों 5:1, 2, 8.

8. हम कैसे जानते हैं कि परमेश्‍वर ने 1,44,000 जनों को अलग-अलग धर्मों से नहीं चुना है?

8 पहला पुनरुत्थान सिर्फ 1,44,000 जनों को मिलता है। यहोवा ने इनका चुनाव सा.यु. 33 के पिन्तेकुस्त से शुरू किया था, यानी यीशु के पुनरुत्थान के कुछ समय बाद से। इन सभी के “माथे पर [यीशु का] और उसके पिता का नाम लिखा हुआ है।” (प्रकाशितवाक्य 14:1, 3) यह दिखाता है कि उन्हें अलग-अलग धर्मों से नहीं चुना गया। इसके बजाय, वे सभी मसीही हैं और बड़े गर्व के साथ पिता यहोवा का नाम धारण करते हैं। जब स्वर्ग में उनका पुनरुत्थान होता है तो हरेक को एक काम सौंपा जाता है। धरती पर बचे हुए अभिषिक्‍त मसीही जब स्वर्ग में परमेश्‍वर के सामने रहकर उसकी सेवा करने की बात सोचते हैं, तो उनमें एक सिहरन-सी दौड़ जाती है।

क्या पहला पुनरुत्थान आज जारी है?

9. प्रकाशितवाक्य 12:7 और 17:14 के मुताबिक, पहला पुनरुत्थान लगभग कब होता है?

9 पहला पुनरुत्थान कब होता है? ठोस सबूत दिखाते हैं कि इसकी शुरूआत हो चुकी है और यह आज जारी है। मिसाल के लिए, प्रकाशितवाक्य के अध्याय 12 और 17 की तुलना कीजिए। पहले हम प्रकाशितवाक्य अध्याय 12 पर एक नज़र डालेंगे। यह अध्याय बताता है कि यीशु मसीह, राजा बनाए जाने के फौरन बाद अपने पवित्र स्वर्गदूतों के साथ मिलकर, शैतान और उसकी दुष्टात्माओं के खिलाफ लड़ाई करता है। (प्रकाशितवाक्य 12:7-9) जैसे कि यह पत्रिका अकसर बताती आयी है, यह लड़ाई सन्‌ 1914 में हुई थी। * मगर गौर कीजिए, इस अध्याय में यह नहीं बताया गया है कि इस स्वर्गीय जंग में मसीह का कोई अभिषिक्‍त चेला उसके साथ था। अब आइए हम प्रकाशितवाक्य का अध्याय 17 देखें। वहाँ हम पढ़ते हैं कि ‘बड़े बाबुल’ के नाश होने के बाद, मेम्ना यानी यीशु अलग-अलग जातियों पर जीत हासिल करेगा। इसमें यह भी बताया गया है: “जो बुलाए हुए, और चुने हुए, और विश्‍वासी उसके साथ हैं, वे भी जय पाएंगे।” (प्रकाशितवाक्य 17:5, 14) अगर ये अभिषिक्‍त मसीही, यीशु के साथ उस वक्‍त होंगे जब वह शैतान की दुनिया को हमेशा के लिए हरा देगा, तो यह ज़ाहिर-सी बात है कि तब तक स्वर्ग में उनका पुनरुत्थान हो चुका होगा। इसलिए प्रकाशितवाक्य के अध्याय 12 और 17 की तुलना से हमारा इस नतीजे पर पहुँचना सही होगा कि हरमगिदोन से पहले जितने भी अभिषिक्‍त मसीहियों की मौत होती है, उनका पुनरुत्थान सन्‌ 1914 और हरमगिदोन के बीच में होता है।

10, 11. (क) चौबीस प्राचीन किन्हें दर्शाते हैं, और उनमें से एक ने यूहन्‍ना को क्या बताया? (ख) हम इस बात से क्या नतीजा निकाल सकते हैं?

10 क्या हम पहले पुनरुत्थान का और भी ठीक-ठीक समय बता सकते हैं? इसका एक दिलचस्प सुराग हमें प्रकाशितवाक्य 7:9-15 में मिलता है। ये आयतें बताती हैं कि प्रेरित यूहन्‍ना, दर्शन में “एक ऐसी बड़ी भीड़” देखता है “जिसे कोई गिन नहीं सकता था।” फिर 24 प्राचीनों में से एक उसको बड़ी भीड़ की पहचान बताता है। दर्शन के ये प्राचीन, स्वर्गीय महिमा पानेवाले मसीह के 1,44,000 संगी वारिसों को दर्शाते हैं। * (लूका 22:28-30; प्रकाशितवाक्य 4:4) दरअसल, खुद यूहन्‍ना को भी स्वर्ग में जीने की आशा थी। लेकिन जब यूहन्‍ना से उस प्राचीन ने बात की तब वह धरती पर ज़िंदा था। इसलिए दर्शन में, यूहन्‍ना उन अभिषिक्‍त मसीहियों को दर्शाता है जिन्हें अपना स्वर्गीय इनाम मिलना अभी बाकी है।

11 चौबीस प्राचीनों में से एक यूहन्‍ना को बड़ी भीड़ की पहचान बताता है, इस बात से हम क्या नतीजा निकाल सकते हैं? ऐसा मालूम होता है कि 24 प्राचीनों के समूह में जिन लोगों का पुनरुत्थान हो चुका है, वे शायद आज परमेश्‍वर की सच्चाइयाँ पहुँचाने के काम में शामिल हैं। यह बात हमारे लिए बहुत अहमियत रखती हैं। क्यों? क्योंकि सन्‌ 1935 में धरती पर परमेश्‍वर के अभिषिक्‍त जनों पर बड़ी भीड़ की सही पहचान ज़ाहिर की गयी थी। अगर इस अहम सच्चाई को पहुँचाने में 24 प्राचीनों में से एक का हाथ था, तो इसका मतलब यह हुआ कि उसका पुनरुत्थान सन्‌ 1935 तक हो चुका था। यह बात दिखाती है कि पहला पुनरुत्थान लगभग सन्‌ 1914 और 1935 के बीच शुरू हो गया था। क्या हम इससे भी ज़्यादा ठीक समय का पता लगा सकते हैं?

12. समझाइए कि यह कहना क्यों सही हो सकता है कि सन्‌ 1918 के बहार में, पहला पुनरुत्थान शुरू हो गया था।

12 पहले पुनरुत्थान के ठीक समय का पता लगाने के लिए, बाइबल की एक बात पर गौर करना अच्छा होगा जिसके साथ इस घटना की समानता की जा सकती है। सामान्य युग 29 के पतझड़ में, यीशु मसीह का परमेश्‍वर के राज्य के होनेवाले राजा के तौर पर अभिषेक किया गया था। फिर साढ़े तीन साल बाद यानी सा.यु. 33 के बहार में, उसे एक महान आत्मिक हस्ती के तौर पर स्वर्ग में जिलाया गया था। तो क्या यह कहना सही होगा कि क्योंकि यीशु को सन्‌ 1914 के पतझड़ में राजा बनाया गया था, इसलिए उसके वफादार अभिषिक्‍त चेलों का पुनरुत्थान भी साढ़े तीन साल बाद यानी सन्‌ 1918 के बहार में शुरू हुआ होगा? यह एक दिलचस्प बात है, जो सच हो सकती है। हालाँकि इस बात को सीधे-सीधे बाइबल से पुख्ता नहीं किया जा सकता, मगर यह दूसरी आयतों से ज़रूर मेल खाती है। ये आयतें इस बात की तरफ इशारा करती हैं कि मसीह की उपस्थिति के शुरू होने के कुछ समय बाद जाकर पहला पुनरुत्थान शुरू हुआ था।

13. पहला थिस्सलुनीकियों 4:15-17 कैसे दिखाता है कि मसीह की उपस्थिति के शुरू होने के कुछ समय बाद पहला पुनरुत्थान शुरू हुआ था?

13 मिसाल के लिए, पौलुस ने लिखा: “हम जो जीवित हैं, और प्रभु के आने तक [ना कि उसकी उपस्थिति के अंत तक] बचे रहेंगे तो सोए हुओं से कभी आगे न बढ़ेंगे। क्योंकि प्रभु आप ही स्वर्ग से उतरेगा; उस समय ललकार, और प्रधान दूत का शब्द सुनाई देगा, और परमेश्‍वर की तुरही फूंकी जाएगी, और जो मसीह में मरे हैं, वे पहिले जी उठेंगे। तब हम जो जीवित और बचे रहेंगे, उन के साथ बादलों पर उठा लिए जाएंगे, कि हवा में प्रभु से मिलें, और इस रीति से हम सदा प्रभु के साथ रहेंगे।” (1 थिस्सलुनीकियों 4:15-17) ये आयतें दिखाती हैं कि जिन अभिषिक्‍त जनों की मौत मसीह की उपस्थिति से पहले हुई थी, उनका पुनरुत्थान सबसे पहले हुआ। इसके बाद, मसीह की उपस्थिति के दौरान जीनेवाले बाकी अभिषिक्‍त जनों का पुनरुत्थान होने लगा जो धरती पर अपना जीवन पूरा कर लेते हैं। इसका मतलब यह हुआ कि मसीह की उपस्थिति के शुरू होने के कुछ ही समय बाद, पहला पुनरुत्थान शुरू हो चुका था और “उसकी उपस्थिति के दौरान” जारी है। (1 कुरिन्थियों 15:23, NW) इससे साफ है कि सभी अभिषिक्‍त मसीहियों का पुनरुत्थान एक-साथ नहीं होता बल्कि एक समय के दौरान होता है।

“उन में से हर एक को श्‍वेत वस्त्र दिया गया”

14. (क) प्रकाशितवाक्य अध्याय 6 में दिया दर्शन कब पूरा होता है? (ख) प्रकाशितवाक्य 6:9 में लिखी बात का क्या मतलब है?

14 प्रकाशितवाक्य अध्याय 6 में दिए सबूतों की भी जाँच कीजिए। इसमें एक दर्शन बताया गया है कि राजा यीशु घोड़े पर सवार, जीत हासिल करता हुआ आगे बढ़ता जा रहा है। (प्रकाशितवाक्य 6:2) सभी राष्ट्र, बड़े पैमाने पर युद्ध करने में लगे हुए हैं। (प्रकाशितवाक्य 6:4) दुनिया-भर में अकाल फैला हुआ है। (प्रकाशितवाक्य 6:5, 6) जानलेवा बीमारियाँ इंसानों को अपनी चपेट में लिए हुए हैं। (प्रकाशितवाक्य 6:8) दर्शन की ये सारी भविष्यवाणियाँ सन्‌ 1914 से पूरी हो रही हैं। लेकिन इसके अलावा, एक और घटना घट रही है। दर्शन में हमारा ध्यान बलिदान की वेदी पर दिलाया जाता है। उसके नीचे ‘उन लोगों के प्राण’ हैं जिन्हें “परमेश्‍वर के वचन के कारण, और उस गवाही के कारण जो उन्हों ने दी थी, बध किए गए” हैं। (प्रकाशितवाक्य 6:9) क्योंकि “शरीर का प्राण [या जीवन] लोहू में रहता है,” इसलिए वेदी के नीचे प्राण, यीशु के वफादार सेवकों के लहू को दर्शाता है। (लैव्यव्यवस्था 17:11) इन वफादार सेवकों का लहू इसलिए बहाया गया था, क्योंकि उन्होंने निडर होकर और जोश के साथ गवाही देने का काम किया था।

15, 16. समझाइए कि प्रकाशितवाक्य 6:10, 11 में लिखे शब्द पहले पुनरुत्थान पर क्यों लागू होता है।

15 हाबिल के लहू की तरह, इन शहीद मसीहियों का लहू भी इंसाफ की दुहाई दे रहा है। (उत्पत्ति 4:10) “उन्हों ने बड़े शब्द से पुकारकर कहा; हे स्वामी, हे पवित्र, और सत्य; तू कब तक न्याय न करेगा? और पृथ्वी के रहनेवालों से हमारे लोहू का पलटा कब तक न लेगा?” इसके बाद क्या हुआ? “उन में से हर एक को श्‍वेत वस्त्र दिया गया, और उन से कहा गया, कि और थोड़ी देर तक विश्राम करो, जब तक कि तुम्हारे संगी दास, और भाई, जो तुम्हारी नाईं बध होनेवाले हैं, उन की भी गिनती पूरी न हो ले।”—प्रकाशितवाक्य 6:10, 11.

16 क्या श्‍वेत वस्त्र, वेदी के नीचे पड़े लहू को दिए गए थे? बिलकुल नहीं। इसके बजाय, ये वस्त्र उन लोगों को दिए गए जिनका मानो वेदी पर लहू बहाया गया था। उन्होंने यीशु के नाम पर अपनी जान की कुरबानी दी थी और अब उन्हें आत्मिक प्राणियों के तौर पर जिलाया गया है। यह हम कैसे जानते हैं? प्रकाशितवाक्य किताब के शुरू का एक अध्याय बताता है: “जो जय पाए, उसे इसी प्रकार श्‍वेत वस्त्र पहिनाया जाएगा, और मैं उसका नाम जीवन की पुस्तक में से किसी रीति से न काटूंगा।” यह भी याद कीजिए कि 24 प्राचीन “श्‍वेत वस्त्र पहिने हुए” थे, “और उन के सिरों पर सोने के मुकुट” थे। (प्रकाशितवाक्य 3:5; 4:4) तो फिर, प्रकाशितवाक्य अध्याय 6 का दर्शन दिखाता है कि जब से युद्ध, अकाल और महामारियाँ दुनिया को तबाह करने लगीं, तब से मरे हुए अभिषिक्‍त मसीहियों का पुनरुत्थान शुरू हो चुका है। इन मरनेवालों को वेदी के नीचे पड़े लहू से दर्शाया गया है और पुनरुत्थान पाने के बाद, उन्हें लाक्षणिक श्‍वेत वस्त्र दिया गया है।

17. जिन लोगों को श्‍वेत वस्त्र मिला है, उन्हें किस मायने में “विश्राम” करना है?

17 पुनरुत्थान पाए इन लोगों को “विश्राम” करना है। इसका मतलब है कि उन्हें धीरज धरते हुए, यहोवा के बदला लेने के दिन के आने तक इंतज़ार करना है। इसी बीच उनके “संगी दास,” यानी धरती पर बचे हुए अभिषिक्‍त मसीहियों को भी परीक्षा से गुज़रकर अपनी खराई का सबूत देना है। जब परमेश्‍वर का न्याय करने का दिन आएगा, तब पुनरुत्थान पाए अभिषिक्‍त जनों के “विश्राम” का समय भी खत्म हो जाएगा। (प्रकाशितवाक्य 7:3) उस वक्‍त, वे प्रभु यीशु मसीह के साथ मिलकर दुष्टों, यहाँ तक कि उन लोगों का भी नाश करेंगे, जो निर्दोष मसीहियों का खून बहाते हैं।—2 थिस्सलुनीकियों 1:7-10.

पहला पुनरुत्थान हमारे लिए क्या मायने रखता है

18, 19. (क) आप क्यों कह सकते हैं कि पहला पुनरुत्थान आज जारी है? (ख) पहले पुनरुत्थान की समझ हासिल करने के बाद, आप कैसा महसूस करते हैं?

18 परमेश्‍वर के वचन में यह ठीक-ठीक नहीं बताया गया है कि पहला पुनरुत्थान कब से लेकर कब तक होता है। लेकिन हाँ, इसमें इतना ज़रूर बताया गया है कि यह पुनरुत्थान, मसीह की उपस्थिति के दौरान होता है। जिन अभिषिक्‍त मसीहियों की मौत उसकी उपस्थिति से पहले हुई थी, उन्हीं का पुनरुत्थान सबसे पहले हुआ। फिर उसकी उपस्थिति के दौरान, जो वफादार अभिषिक्‍त जन धरती पर अपना जीवन पूरा करते हैं, उन्हें “क्षण भर में, पलक मारते ही” स्वर्ग में शक्‍तिशाली आत्मिक प्राणियों में बदल दिया जाता है। (1 कुरिन्थियों 15:52) क्या सभी अभिषिक्‍त मसीहियों को हरमगिदोन के युद्ध से पहले अपना स्वर्गीय इनाम मिल जाएगा? यह हम नहीं जानते। मगर हम इतना ज़रूर जानते हैं कि जब परमेश्‍वर का ठहराया हुआ वक्‍त आएगा, तब पूरे 1,44,000 जन स्वर्ग के सिय्योन पर्वत पर खड़े होंगे।

19 इसके अलावा, हम यह भी जानते हैं कि ज़्यादातर अभिषिक्‍त जन मसीह के साथ एक हो चुके हैं। आज, धरती पर सिर्फ कुछ ही अभिषिक्‍त जन बाकी रह गए हैं। यह क्या ही ज़बरदस्त सबूत है कि परमेश्‍वर के न्याय का दिन बड़ी तेज़ी से पास आ रहा है! जल्द ही, शैतान की पूरी दुनिया को खाक में मिला दिया जाएगा और शैतान को अथाह कुंड में डाल दिया जाएगा। इसके बाद, धरती पर मरे हुओं का पुनरुत्थान शुरू होगा। फिर यीशु के छुड़ौती बलिदान की बिना पर, सभी वफादार लोगों को धीरे-धीरे सिद्ध किया जाएगा। जी हाँ, उन्हें वही सिद्ध जीवन दिया जाएगा जो आदम ने खो दिया था। सचमुच, आज उत्पत्ति 3:15 में दर्ज़ यहोवा की भविष्यवाणी कितने ही शानदार तरीके से पूरी हो रही है। इसलिए इस दौर में जीना, वाकई हमारे लिए बड़े सम्मान की बात है! (w07 1/1)

[फुटनोट]

^ पुनरुत्थान के दूसरे आठ किस्सों के बारे में जानने के लिए, इन आयतों को पढ़िए: 1 राजा 17:21-23; 2 राजा 4:32-37; 13:21; मरकुस 5:35, 41-43; लूका 7:11-17; 24:34; यूहन्‍ना 11:43-45; प्रेरितों 9:36-42.

^ मसीह की उपस्थिति सन्‌ 1914 से शुरू हो चुकी है, बाइबल में दिए इसके सबूतों की जाँच करने के लिए बाइबल असल में क्या सिखाती है? किताब के पेज 215-18 देखिए। इसे यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है।

^ हम कैसे जानते हैं कि 24 प्राचीन, स्वर्ग में अपने पदों पर काम कर रहे अभिषिक्‍त मसीहियों को दर्शाते हैं, इस बारे में जानने के लिए रॆवलेशन—इट्‌स ग्रैंड क्लाइमैक्स एट हैंड! किताब का पेज 77 देखिए। इसे यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है।

क्या आप समझा सकते हैं?

आगे दी गयी आयतें कैसे हमें ‘पहले पुनरुत्थान’ के समय के बारे में पता लगाने में मदद देती हैं?

प्रकाशितवाक्य 12:7; 17:14

प्रकाशितवाक्य 7:13, 14

1 कुरिन्थियों 15:23, NW; 1 थिस्सलुनीकियों 4:15-17

प्रकाशितवाक्य 6:2, 9-11

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 28 पर तसवीरें]

धरती पर मरे हुओं का पुनरुत्थान शुरू होने से पहले, कौन-से दूसरे किस्म के पुनरुत्थान होने ज़रूरी हैं?