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यहोवा ज़रूर ‘न्याय चुकाएगा’

यहोवा ज़रूर ‘न्याय चुकाएगा’

यहोवा ज़रूर ‘न्याय चुकाएगा’

“क्या परमेश्‍वर अपने चुने हुओं का न्याय न चुकाएगा, जो रात-दिन उस की दुहाई देते रहते [हैं]?”—लूका 18:7.

1. किन लोगों से आपका हौसला बढ़ता है, और क्यों?

 दुनिया-भर में यहोवा के साक्षियों के बीच ऐसे कई मसीही भाई-बहन हैं जो लंबे समय से, पूरी वफादारी के साथ परमेश्‍वर की सेवा कर रहे हैं। क्या आप इन प्यारे भाई-बहनों में से कुछ को जानते हैं? आपको शायद एक बुज़ुर्ग बहन की याद आए जिसने सालों पहले बपतिस्मा लिया था, मगर आज भी वह किसी भी सभा में आने से नहीं चूकती। या फिर आपको किसी ऐसे उम्रदराज़ भाई का खयाल आए जो बरसों से कलीसिया के प्रचार काम में पूरी वफादारी से हफ्ते-दर-हफ्ते हिस्सा लेता आया है। माना कि इनमें से कइयों का सोचना था कि अब तक हरमगिदोन आ जाना चाहिए था। मगर फिर भी, यह देखकर कि अन्याय से भरी दुनिया अभी-भी टिकी हुई है, यहोवा के वादों पर उनका भरोसा कम नहीं हुआ है और ना ही ‘अन्त तक धीरज धरने’ का उनका इरादा कमज़ोर पड़ा है। (मत्ती 24:13) वाकई, यहोवा के इन वफादार सेवकों का मज़बूत विश्‍वास देखकर पूरी कलीसिया का कितना हौसला बढ़ता है।—भजन 147:11.

2. किन हालात को देखकर हमें दुःख होता है?

2 लेकिन कभी-कभार, हमें कलीसिया में बहुत ही अलग रवैया देखने को मिलता है। जैसे, कुछ साक्षी कई सालों से प्रचार कर रहे थे, मगर वक्‍त के गुज़रते यहोवा पर उनका विश्‍वास कमज़ोर हो गया और आखिरकार, उन्होंने मसीही कलीसिया से पूरी तरह नाता तोड़ लिया। यह देखकर हमें बड़ा दुःख होता है कि हमारे इन पुराने साथियों ने यहोवा को छोड़ दिया है। हमारी यह दिली तमन्‍ना है कि हम ऐसी हरेक “खोई हुई भेड़” को झुंड में वापस आने में मदद दें। (भजन 119:176; रोमियों 15:1) जहाँ एक तरफ कुछ मसीही अपने विश्‍वास में मज़बूत बने रहते हैं, वहीं दूसरी तरफ कुछ अपना विश्‍वास खो देते हैं। इससे चंद अहम सवाल उठते हैं। बहुत-से साक्षियों को यहोवा के वादों पर अपना विश्‍वास बनाए रखने में, कौन-सी बात मदद देती है? हममें से हरेक जन ऐसा क्या कर सकता है जिससे ‘यहोवा के भयानक दिन’ के जल्द आने के बारे में हमारा यकीन बना रहे? (सपन्याह 1:14) इन सवालों के जवाब पाने के लिए, आइए हम सुसमाचार की किताब, लूका में दिए एक दृष्टांत पर गौर करें।

उस दौर में जीनेवालों के लिए चेतावनी ‘जब मनुष्य का पुत्र आएगा’

3. खासकर किन लोगों पर विधवा और न्यायी का दृष्टांत लागू होता है, और क्यों?

3 लूका के अध्याय 18 में, यीशु ने एक विधवा और न्यायी का दृष्टांत बताया था। यह दृष्टांत, पिछले लेख में बताए उस दृष्टांत से मिलता-जुलता है जिसमें एक मेज़बान अपने दोस्त से बेझिझक माँगते रहता है। (लूका 11:5-13) लेकिन विधवा और न्यायी के दृष्टांत के आस-पास की आयतों की जाँच करने पर पता चलता है कि यह दृष्टांत खासकर उस दौर में जीनेवालों पर लागू होता है, ‘जब मनुष्य का पुत्र’ राज्य अधिकार में ‘आता’ है। यह दौर सन्‌ 1914 से शुरू हो चुका है।—लूका 18:8. *

4. लूका अध्याय 18 में दर्ज़ विधवा और न्यायी का दृष्टांत देने से पहले, यीशु ने क्या बताया था?

4 विधवा और न्यायी का दृष्टांत देने से पहले, यीशु ने बताया था कि राजा की हैसियत से उसकी उपस्थिति का सबूत बड़े पैमाने पर दिखायी देगा, ठीक “जैसे बिजली आकाश की एक ओर से कौन्धकर आकाश की दूसरी ओर चमकती है।” (लूका 17:24; 21:10, 29-33) इसके बावजूद, “अन्त समय” में जीनेवाले ज़्यादातर लोग इस सबूत पर ध्यान नहीं देंगे। (दानिय्येल 12:4) क्यों नहीं? क्योंकि नूह और लूत के दिनों के लोगों की तरह, वे भी यहोवा की चेतावनियों को अनसुना कर देंगे। उस ज़माने के लोग ‘उस दिन तक खाने-पीने, लेन-देन करने, पेड़ लगाने और घर बनाने में लगे रहे, जिस दिन तक उनका नाश न किया गया।’ (लूका 17:26-29) उन्हें अपनी जान से हाथ धोना पड़ा, क्योंकि वे रोज़मर्रा के कामों में इतने डूब गए थे कि उन्होंने परमेश्‍वर की मरज़ी पर ज़रा भी ध्यान नहीं दिया। (मत्ती 24:39) आज भी लोग अपने रोज़ के कामकाज में इस कदर खोए हुए हैं कि वे इस सबूत पर ध्यान नहीं देते कि इस अधर्मी संसार का अंत आ पहुँचा है।—लूका 17:30.

5. (क) यीशु ने किन्हें चेतावनी दी, और क्यों? (ख) कुछ लोगों का विश्‍वास क्यों कमज़ोर पड़ गया?

5 ज़ाहिर है कि यीशु को यह फिक्र थी कि कहीं उसके चेलों का ध्यान भी शैतान की दुनिया की चमक-दमक से भटक न जाए। यहाँ तक कि वे उन चीज़ों की तरफ ‘न लौट’ जाएँ जिन्हें वे “पीछे” छोड़ आए थे। (लूका 17:22, 31) दरअसल, कुछ मसीहियों के साथ ठीक ऐसा ही हुआ था। वे लंबे समय से यहोवा के उस दिन की आस लगाए हुए थे, जब वह दुष्ट संसार का अन्त करता। मगर जब हरमगिदोन उस वक्‍त नहीं आया जिसकी उन्होंने उम्मीद बाँध रखी थी, तो वे निराश हो गए। फिर उनका यह विश्‍वास कमज़ोर पड़ने लगा कि यहोवा के न्याय का दिन जल्द आनेवाला है। वे प्रचार में ढीले पड़ गए और फिर आहिस्ता-आहिस्ता आए दिन के कामों में इतने उलझ गए कि आध्यात्मिक बातों के लिए उनके पास वक्‍त ही नहीं बचा। (लूका 8:11, 13, 14) और एक दिन ऐसा आया जब वे ‘पीछे लौट गए।’ यह वाकई बड़े दुःख की बात है!

“नित्य प्रार्थना करना” ज़रूरी है

6-8. (क) विधवा और न्यायी का दृष्टांत बताइए। (ख) यीशु ने इस कहानी का क्या सबक बताया?

6 हमें पक्का विश्‍वास है कि यहोवा के वादे ज़रूर पूरे होंगे। मगर हमारा यह विश्‍वास कमज़ोर न पड़ जाए, इसके लिए हम क्या कर सकते हैं? (इब्रानियों 3:14) यीशु ने अपने चेलों को शैतान की दुष्ट दुनिया में वापस न लौटने की चेतावनी देने के बाद, इस सवाल का जवाब दिया।

7 लूका बताता है कि यीशु ने “इस के विषय में कि नित्य प्रार्थना करना और हियाव न छोड़ना चाहिए उन से यह दृष्टान्त कहा। कि किसी नगर में एक न्यायी रहता था; जो न परमेश्‍वर से डरता था और न किसी मनुष्य की परवाह करता था। और उसी नगर में एक बिधवा भी रहती थी: जो उसके पास आ आकर कहा करती थी, कि मेरा न्याय चुकाकर मुझे मुद्दई से बचा। उस ने कितने समय तक तो न माना परन्तु अन्त में मन में बिचारकर कहा, यद्यपि मैं न परमेश्‍वर से डरता, और न मनुष्यों की कुछ परवाह करता हूं। तौभी यह बिधवा मुझे सताती रहती है, इसलिये मैं उसका न्याय चुकाऊंगा कहीं ऐसा न हो कि घड़ी घड़ी आकर अन्त को मेरा नाक में दम करे।”

8 यह कहानी सुनाने के बाद, यीशु ने इसका सबक बताया: “सुनो, कि यह अधर्मी न्यायी क्या कहता है? सो क्या परमेश्‍वर अपने चुने हुओं का न्याय न चुकाएगा, जो रात-दिन उस की दुहाई देते रहते; और क्या वह उन के विषय में देर करेगा? मैं तुम से कहता हूं; वह तुरन्त उन का न्याय चुकाएगा; तौभी मनुष्य का पुत्र जब आएगा, तो क्या वह पृथ्वी पर विश्‍वास पाएगा?”—लूका 18:1-8.

‘मेरा न्याय चुका’

9. विधवा और न्यायी के दृष्टांत में किस खास विषय पर ज़ोर दिया गया?

9 इस दृष्टांत का खास विषय एकदम साफ है। उस विषय के बारे में विधवा, न्यायी, यहाँ तक कि यीशु ने भी बताया था। विधवा ने बिनती की: ‘मेरा न्याय चुका।’ न्यायी ने कहा: “मैं उसका न्याय चुकाऊंगा।” यीशु ने पूछा: ‘क्या परमेश्‍वर न्याय न चुकाएगा?’ फिर उसने यहोवा के बारे में कहा: “वह तुरन्त उन का न्याय चुकाएगा।” (लूका 18:3, 5, 7, 8) इन सारी बातों से साफ पता चलता है कि इस दृष्टांत का खास विषय है, परमेश्‍वर ज़रूर “न्याय चुकाएगा।” मगर कब?

10. (क) पहली सदी में न्याय कब चुकाया गया? (ख) हमारे समय में जीनेवाले परमेश्‍वर के सेवकों का न्याय कब और कैसे चुकाया जाएगा?

10 पहली सदी में, ‘पलटा लेने के दिन’ (या, “न्याय चुकाने के दिन,” NW) सा.यु. 70 में आए। उस साल यरूशलेम और उसके मंदिर को नाश कर दिया गया। (लूका 21:22) हमारे समय में परमेश्‍वर के सेवकों का न्याय, ‘यहोवा के भयानक दिन’ पर चुकाया जाएगा। (सपन्याह 1:14; मत्ती 24:21) उस वक्‍त, यहोवा उन लोगों को “बदले में क्लेश” देगा जो उसके सेवकों को “क्लेश देते हैं।” साथ ही, यीशु मसीह उन सभी से ‘पलटा लेगा, जो परमेश्‍वर को नहीं पहचानते, और हमारे प्रभु यीशु के सुसमाचार को नहीं मानते।’—2 थिस्सलुनीकियों 1:6-8; रोमियों 12:19.

11. किस मायने में न्याय “तुरन्त” चुकाया जाएगा?

11 यीशु ने यह भरोसा दिलाया कि यहोवा “तुरन्त” न्याय चुकाएगा। इससे हम क्या समझ सकते हैं? परमेश्‍वर का वचन बताता है कि हालाँकि यहोवा ‘धैर्य रखता है’ (NHT, फुटनोट), मगर सही वक्‍त आने पर वह फौरन न्याय करेगा। (लूका 18:7, 8; 2 पतरस 3:9, 10) नूह के दिनों में जलप्रलय आया और फुर्ती से दुष्टों का नाश किया गया। उसी तरह, लूत के दिनों में जब आसमान से आग बरसी तो देखते-ही-देखते दुष्टों का सफाया हो गया। यीशु ने कहा: “मनुष्य के पुत्र के प्रगट होने के दिन भी ऐसा ही होगा।” (लूका 17:27-30) एक बार फिर, दुष्टों का “एकाएक विनाश” किया जाएगा। (1 थिस्सलुनीकियों 5:2, 3) जी हाँ, हम पक्का यकीन रख सकते हैं कि जिस दिन इंसाफ यह माँग करेगा कि शैतान की दुनिया का अंत हो, उसी दिन इसका अंत कर दिया जाएगा। यहोवा इसे एक भी दिन ज़्यादा टिके रहने की मोहलत नहीं देगा।

‘वह न्याय चुकाएगा’

12, 13. (क) विधवा और न्यायी के दृष्टांत से हमें क्या सबक मिलता है? (ख) हम क्यों पक्का यकीन रख सकते हैं कि यहोवा हमारी प्रार्थनाओं को सुनकर हमारा न्याय चुकाएगा?

12 यीशु ने विधवा और न्यायी का जो दृष्टांत बताया था, उससे और भी कई ज़रूरी सच्चाइयाँ जानने को मिलती हैं। दृष्टांत को समझाते हुए यीशु ने कहा: “सुनो, कि यह अधर्मी न्यायी क्या कहता है? सो क्या परमेश्‍वर अपने चुने हुओं का न्याय न चुकाएगा?” बेशक यीशु, यहोवा की तुलना न्यायी से करके यह नहीं बता रहा था कि वह भी अपने सेवकों के साथ उसी तरह पेश आता है। इसके बजाय, यीशु उस न्यायी और परमेश्‍वर में फर्क बताकर अपने चेलों को यहोवा के बारे में एक सबक दे रहा था। उस न्यायी और यहोवा में क्या फर्क है?

13 यीशु के दृष्टांत का न्यायी “अधर्मी” था, मगर ‘परमेश्‍वर एक धर्मी न्यायी है।’ (भजन 7:11; 33:5) न्यायी को उस विधवा की ज़रा भी परवाह नहीं थी जबकि यहोवा हरेक इंसान की परवाह करता है। (2 इतिहास 6:29, 30) न्यायी, विधवा की मदद करने में आनाकानी कर रहा था मगर यहोवा अपने सेवकों की मदद करने के लिए हरदम तैयार रहता है, तैयार ही नहीं बल्कि बेताब रहता है। (यशायाह 30:18, 19) इससे हम क्या सीख सकते हैं? जब एक अधर्मी न्यायी, विधवा की गुज़ारिश सुनकर उसका न्याय चुका सकता है, तो क्या यहोवा अपने लोगों की प्रार्थनाओं को सुनकर उनका न्याय नहीं चुकाएगा? बेशक, वह इससे कहीं ज़्यादा करेगा।—नीतिवचन 15:29.

14. हमें ‘यहोवा के भयानक दिन’ के आने के बारे में अपना विश्‍वास क्यों नहीं छोड़ना चाहिए?

14 इसलिए जो लोग ‘यहोवा के भयानक दिन’ के आने के बारे में अपना विश्‍वास छोड़ देते हैं, वे बड़ी भूल करते हैं। क्यों? क्योंकि वे एक तरह से यहोवा के विश्‍वासयोग्य होने पर शक करते हैं। वे सोचते हैं कि पता नहीं यहोवा अपने वादों को पूरा करेगा भी कि नहीं। लेकिन याद रखिए कि किसी भी इंसान को यह हक नहीं कि वह उसके विश्‍वासयोग्य होने पर उँगली उठाए। (अय्यूब 9:12) इसलिए हमें खुद से पूछना चाहिए कि क्या मैं अपने विश्‍वास में बना रहूँगा? यीशु ने विधवा और न्यायी के दृष्टांत के आखिर में यही सवाल उठाया था।

‘क्या वह पृथ्वी पर यह विश्‍वास पाएगा?’

15. (क) यीशु ने क्या सवाल पूछा, और क्यों? (ख) हमें अपने आप से क्या पूछना चाहिए?

15 यीशु ने एक बहुत ही दिलचस्प सवाल पूछा था: “मनुष्य का पुत्र जब आएगा, तो क्या वह पृथ्वी पर विश्‍वास [“यह विश्‍वास,” NW] पाएगा?” (लूका 18:8) शब्द “यह विश्‍वास” दिखाते हैं कि यीशु किसी आम विश्‍वास की नहीं बल्कि एक खास किस्म के विश्‍वास की बात कह रहा था, जो उस विधवा में था। यीशु ने अपने सवाल का कोई जवाब नहीं दिया। क्योंकि वह चाहता था कि उसके चेले अपने विश्‍वास को परखकर देखें कि क्या उनका विश्‍वास उस विधवा के जैसा है या नहीं। या क्या उनका विश्‍वास धीरे-धीरे कमज़ोर पड़ रहा है और वे उन चीज़ों की तरफ लौट रहे हैं जिन्हें वे पीछे छोड़ आए थे? आज हमें भी अपने आप से पूछना चाहिए, ‘“मनुष्य का पुत्र” जब मेरे मन को जाँचेगा तो वह किस तरह का विश्‍वास पाएगा?’

16. विधवा में कैसा विश्‍वास था?

16 अगर हम उन लोगों में होना चाहते हैं जिनका यहोवा न्याय चुकाएगा, तो हमारा विश्‍वास भी विधवा की तरह होना चाहिए। उसमें कैसा विश्‍वास था? उसे पक्का विश्‍वास था कि उसे न्याय मिलेगा, इसलिए वह बार-बार न्यायी के ‘पास आकर कहती रही कि मेरा न्याय चुका।’ वह विधवा बिना हार माने उस अधर्मी न्यायी से इंसाफ की मिन्‍नत करती रही। उसी तरह, आज परमेश्‍वर के सेवक भी यकीन रख सकते हैं कि उन्हें यहोवा से इंसाफ ज़रूर मिलेगा, फिर चाहे उन्हें यह क्यों न लगे कि इसमें देर हो रही है। इसके अलावा, वे प्रार्थना में लगे रहने के ज़रिए, जी हाँ, ‘रात-दिन यहोवा की दुहाई देकर’ दिखा सकते हैं कि उन्हें परमेश्‍वर के वादों पर पूरा भरोसा है। (लूका 18:7) सचमुच, अगर एक मसीही न्याय के लिए प्रार्थना करना बंद कर दे तो वह यह दिखाएगा कि उसे अब यकीन नहीं रहा कि यहोवा अपने सेवकों की खातिर कार्रवाई करेगा।

17. प्रार्थना में लगे रहने और यह विश्‍वास करने की हमारे पास क्या वजह हैं कि यहोवा के न्याय का दिन ज़रूर आएगा?

17 विधवा के हालात पर गौर करने से पता चलता है कि हमारे पास प्रार्थना में लगे रहने की और भी कई वजह हैं। आइए देखें कि उसके और हमारे हालात में क्या फर्क है। उस विधवा को किसी ने न्यायी से बार-बार फरियाद करने की सलाह नहीं दी थी, मगर फिर भी वह ऐसा करती रही। लेकिन हमें परमेश्‍वर का वचन हमेशा यह बढ़ावा देता है कि हम “प्रार्थना में नित्य लगे” रहें। (रोमियों 12:12) विधवा को इस बात की कोई गारंटी नहीं थी कि उसकी फरियाद सुनी जाएगी, मगर यहोवा ने हमें यकीन दिलाया है कि वह हमारा न्याय ज़रूर चुकाएगा। उसने अपने एक भविष्यवक्‍ता के ज़रिए कहा: “चाहे इस में विलम्ब भी हो, तौभी उसकी बाट जोहते रहना; क्योंकि वह निश्‍चय पूरी होगी और उस में देर न होगी।” (हबक्कूक 2:3; भजन 97:10) विधवा का ऐसा कोई मददगार नहीं था जो न्यायी से उसकी सिफारिश करता, मगर हमारा सामर्थी सहायक, यीशु “परमेश्‍वर की दहिनी ओर है, और हमारे लिये निवेदन भी करता है।” (रोमियों 8:34; इब्रानियों 7:25) इसलिए अगर विधवा इतनी मुश्‍किलों के बावजूद इस उम्मीद के साथ बिनती करती रही कि न्यायी उसकी सुनेगा और इंसाफ करेगा, तो हममें और भी कितना ज़्यादा विश्‍वास होना चाहिए कि यहोवा के न्याय का दिन ज़रूर आएगा!

18. प्रार्थना कैसे हमारे विश्‍वास को मज़बूत करने और न्याय पाने में मदद करेगी?

18 विधवा का दृष्टांत सिखाता है कि प्रार्थना और विश्‍वास के बीच गहरा नाता है। साथ ही प्रार्थना में लगे रहने से हम ऐसे बुरे असर से बचे रहते हैं जो हमारे विश्‍वास को कमज़ोर कर सकते हैं। मगर इसका यह मतलब हरगिज़ नहीं कि सिर्फ दिखावे के लिए प्रार्थना करने से विश्‍वास की कमी की भरपाई की जा सकती है। (मत्ती 6:7, 8) जब हम इस एहसास के साथ परमेश्‍वर से प्रार्थना करते हैं कि हम उस पर पूरी तरह निर्भर हैं, तो प्रार्थना हमें उसके और भी करीब लाती है और हमारे विश्‍वास को मज़बूत करती है। विश्‍वास के बिना उद्धार पाना नामुमकिन है, इसलिए यीशु ने अपने चेलों को यह बढ़ावा देना ज़रूरी समझा: “नित्य प्रार्थना करना और हियाव न छोड़ना।” (लूका 18:1; 2 थिस्सलुनीकियों 3:13) यह सच है कि ‘यहोवा के भयानक दिन’ का आना हमारी प्रार्थनाओं पर निर्भर नहीं करता। चाहे हम इसके लिए प्रार्थना करें या ना करें, वह दिन ज़रूर आएगा। लेकिन हाँ, हमें न्याय मिलेगा या नहीं और हम परमेश्‍वर के युद्ध में बचेंगे या नहीं, यह बात ज़रूर हमारे विश्‍वास, हमारी प्रार्थनाओं और हमारे धार्मिकता के कामों पर निर्भर करती है।

19. हम कैसे दिखा सकते हैं कि हमें पूरा विश्‍वास है कि परमेश्‍वर “न्याय चुकाएगा”?

19 याद कीजिए कि यीशु ने पूछा था: ‘मनुष्य का पुत्र जब आएगा, तो क्या वह पृथ्वी पर यह विश्‍वास पाएगा?’ इस दिलचस्प सवाल का जवाब क्या है? हमें यह कहते हुए बेहद खुशी हो रही है कि दुनिया-भर में परमेश्‍वर के लाखों वफादार सेवक अपनी प्रार्थनाओं से, धीरज धरकर और पूरी लगन से यह दिखा रहे हैं कि उनमें यह विश्‍वास है! इस तरह वे यीशु के इस सवाल का जवाब ‘हाँ’ में दे रहे हैं। वाकई, शैतान की दुनिया हम पर चाहे कितना ही अन्याय क्यों न करे, मगर हमें पूरा विश्‍वास है कि यहोवा ‘अपने चुने हुओं का न्याय [ज़रूर] चुकाएगा।’ (w06 12/15)

[फुटनोट]

^ इस दृष्टांत को अच्छी तरह समझने के लिए, लूका 17:22-33 पढ़िए। ध्यान दीजिए कि लूका 17:22, 24, 30 में ‘मनुष्य के पुत्र’ का ज़िक्र कैसे किया गया है, क्योंकि यह जानकारी हमें लूका 18:8 में पूछे गए सवाल का जवाब जानने में मदद देगी।

क्या आपको याद है?

• किस वजह से कुछ मसीहियों ने अपना विश्‍वास खो दिया?

• हम क्यों पूरा विश्‍वास रख सकते हैं कि यहोवा के न्याय का दिन जल्द आनेवाला है?

• हमारे पास प्रार्थना में लगे रहने की क्या वजह हैं?

• प्रार्थना में लगे रहने से कैसे हम अपने विश्‍वास को बचाए रख सकते हैं?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 18 पर तसवीर]

विधवा और न्यायी के दृष्टांत में किस बात पर ज़ोर दिया गया है?

[पेज 21 पर तसवीरें]

आज लाखों लोगों को पूरा विश्‍वास है कि परमेश्‍वर ज़रूर “न्याय चुकाएगा”