सच्ची कामयाबी—आप इसे कैसे आँकते हैं?
सच्ची कामयाबी—आप इसे कैसे आँकते हैं?
जेसी लिवरमोर, वह शख्स था जिसे कुछ लोग आज तक के अमरीकी शेयर बाज़ार का सबसे कामयाब बिज़नेसमैन मानते हैं। वह कारोबार के मामलों में सोच-समझकर फैसले करने के लिए मशहूर था। इस वजह से उसने खूब दौलत कमाई थी। वह बढ़िया-से-बढ़िया, दामी सूट पहनता था। वह 29 कमरोंवाले एक आलीशान बँगले में रहता था। उसके पास ‘रोल्स-रॉय्स’ नाम की एक महँगी और शानदार कार थी।
डेविड * नाम का एक और आदमी, मिस्टर लिवरमोर की तरह कामयाबी की बुलंदियाँ छूना चाहता था। वह चित्र-तसवीरें बनानेवाली एक बड़ी कंपनी का प्रेसिडेंट और जनरल मैनेजर था। यही नहीं, उसे बहुत जल्द कंपनी के विभागीय प्रेसिडेंट का ऊँचा पद भी मिलनेवाला था। दौलत और शोहरत, दोनों अपनी बाहें फैलाए उसे बुला रही थीं। तभी अचानक डेविड ने अपनी नौकरी से इस्तीफा देने का फैसला किया। उसने कहा: “मुझे मालूम है कि मैं दोबारा नौकरी-पेशे की दुनिया में, कामयाबी के इस मुकाम तक नहीं पहुँच पाऊँगा।” क्या आपको लगता है कि डेविड ने नौकरी छोड़कर बड़ी भूल की है?
बहुत-से लोगों का मानना है कि एक कामयाब इंसान वह होता है जिसके पास बेशुमार दौलत और नामो-शोहरत होती है। लेकिन हकीकत यह है कि रईस लोग अपने अंदर एक खालीपन महसूस करते हैं और उन्हें अपनी ज़िंदगी में कोई मकसद नज़र नहीं आता। मिस्टर लिवरमोर का भी यही हाल था। उसके पास दुनिया-जहान की दौलत थी, मगर उसे ज़िंदगी-भर दुःख, गम और मुसीबतों के सिवा कुछ भी नहीं मिला। वह घोर निराशा का शिकार हो गया। उसने कई शादियाँ कीं, मगर हर बार टूट गयी। यहाँ तक कि उसके बेटे भी उससे कोई नाता नहीं रखते थे।
धीरे-धीरे उसकी ज़्यादातर धन-संपत्ति लुट गयी। फिर एक दिन वह एक बड़े, आलीशान होटल के बार (शराब-खाना) में गया और अपनी ज़िंदगी पर अफसोस करने लगा। उसने शराब का एक जाम मँगाया, फिर चमड़े की जिल्दवाली एक डायरी निकाली और अपनी पत्नी को अलविदा कहने के लिए एक छोटा-सा नोट लिखा। शराब पीने के बाद, वह क्लोकरूम (कोट, छाता वगैरह रखने का कमरा) में गया और उसने गोली मारकर अपनी जान ले ली। वाकई, मिस्टर लिवरमोर का क्या ही बुरा अंत हुआ!यह सच है कि उसने खुदकुशी सिर्फ इसलिए नहीं की क्योंकि वह एक कामयाब बिज़नेसमैन था, बल्कि इसके पीछे और भी कई कारण थे। फिर भी, उसकी कहानी साफ दिखाती है कि बाइबल की यह बात सोलह आने सच है: “जो धनी होना चाहते हैं, वे . . . अपने आप को नाना प्रकार के दुखों से छलनी बना” लेते हैं।—1 तीमुथियुस 6:9,10.
जो लोग एक इंसान की कामयाबी उसकी दौलत, ओहदे और शोहरत से आँकते हैं, क्या उनकी कसौटी गलत होती है? क्या आप खुद को एक कामयाब इंसान कहेंगे? अगर हाँ, तो आप किस बिना पर ऐसा कहते हैं? कामयाबी आँकने की आपकी कसौटी क्या है? कौन-सी बातें, कामयाबी के बारे में आपके नज़रिए को ढालती हैं? अगले लेख में एक ऐसी सलाह के बारे में चर्चा की गयी है, जो सदियों से असरदार साबित हुई है और जिसे लागू करने से आज, लाखों लोगों को कामयाबी मिली है। आइए देखें कि आप भी उनकी तरह कामयाब कैसे हो सकते हैं। (w07 1/1)
[फुटनोट]
^ नाम बदल दिया गया है।