अपनी कदरदानी बढ़ाते रहिए
अपनी कदरदानी बढ़ाते रहिए
“मेरे लिये तो हे ईश्वर, तेरे विचार क्या ही बहुमूल्य हैं! उनकी संख्या का जोड़ कैसा बड़ा है!”—भजन 139:17.
1, 2. हमें परमेश्वर के वचन की कदर क्यों करनी चाहिए, और भजनहार ने अपना एहसान कैसे ज़ाहिर किया?
जब यरूशलेम में यहोवा के मंदिर की मरम्मत की जा रही थी, तब महायाजक हिल्किय्याह को एक कमाल की चीज़ मिली। वह चीज़ क्या थी? “मूसा के द्वारा दी हुई यहोवा की व्यवस्था की पुस्तक।” जी हाँ, यह वही पुस्तक थी जिसे मूसा ने करीब 800 साल पहले खुद अपने हाथों से लिखा था! क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि जब परमेश्वर के भय माननेवाले, राजा योशिय्याह के सामने यह पुस्तक पेश की गयी तो उसने कैसा महसूस किया होगा? उसके लिए यह पुस्तक किसी खज़ाने से कम नहीं थी। उसने फौरन अपने मंत्री, शापान को यह पुस्तक ज़ोर से पढ़कर सुनाने का हुक्म दिया।—2 इतिहास 34:14-18.
2 आज लाखों लोगों के पास, परमेश्वर का पूरा वचन, बाइबल या उसके कुछ हिस्से मौजूद हैं जिन्हें वे पढ़ सकते हैं। तो क्या इससे इसकी अहमियत घट गयी है? हरगिज़ नहीं! आखिर, इसमें सर्वशक्तिमान परमेश्वर के विचार जो दर्ज़ हैं और उसने ये विचार हमारे फायदे के लिए लिखवाए हैं। (2 तीमुथियुस 3:16) भजनहार दाऊद ने परमेश्वर के वचन के लिए अपना एहसान ज़ाहिर करते हुए लिखा: “मेरे लिये तो हे ईश्वर, तेरे विचार क्या ही बहुमूल्य हैं! उनकी संख्या का जोड़ कैसा बड़ा है!”—भजन 139:17.
3. क्या बात दिखाती है कि दाऊद को आध्यात्मिक बातों की गहरी समझ थी?
3 दाऊद के मन में यहोवा, उसके वचन और सच्ची उपासना के इंतज़ाम के लिए जो कदर थी, वह कभी कम नहीं हुई। यह बात उसके लिखे कई भजनों से साफ झलकती है, जिनमें उसने बड़े खूबसूरत अंदाज़ में अपनी भावनाओं का इज़हार किया था। मिसाल के लिए, उसने भजन 27:4 में लिखा: “एक वर मैं ने यहोवा से मांगा है, उसी के यत्न में लगा रहूंगा; कि मैं जीवन भर यहोवा के भवन में रहने पाऊं, जिस से यहोवा की मनोहरता पर दृष्टि लगाए रहूं, और उसके मन्दिर में ध्यान किया करूं।” मूल इब्रानी भाषा में, “ध्यान किया करूं” शब्दों का मतलब है, गहराई से सोचने में काफी वक्त बिताना, जाँचना, और खुशी, आनंद और श्रद्धा के साथ गौर करना। इससे साफ पता चलता है कि दाऊद को आध्यात्मिक बातों की गहरी समझ थी। साथ ही, वह यहोवा के सभी आध्यात्मिक इंतज़ामों की कदर करता था और आध्यात्मिक भोजन का एक-एक निवाला मानो चटकारे भरकर खाता था। हमें भी अपने अंदर उसके जैसी एहसानमंदी की भावना पैदा करनी चाहिए।—भजन 19:7-11.
बाइबल की सच्चाई जानने के सुनहरे मौके के लिए शुक्रगुज़ार रहिए
4. यीशु क्यों “पवित्र आत्मा में होकर आनन्द से भर गया” था?
4 परमेश्वर के वचन की समझ पाने के लिए ज़रूरी नहीं कि आप बहुत ज्ञानी हों या आपने दुनिया में ऊँची शिक्षा हासिल की हो। दरअसल, यही बातें एक इंसान को घमंडी बना देती हैं। इसके बजाय, बाइबल की समझ पाने के लिए आपको यहोवा की अपार कृपा की ज़रूरत है। और वह अपनी यह कृपा ऐसे नम्र और नेकदिल लोगों पर दिखाता है, जो अपनी आध्यात्मिक ज़रूरत के प्रति सचेत रहते हैं। (मत्ती 5:3, NW; 1 यूहन्ना 5:20) जब यीशु ने इस सच्चाई पर मनन किया कि परमेश्वर ने कैसे कुछ असिद्ध लोगों को स्वर्ग में अपना नाम लिखवाने का मौका दिया है, तो “वह पवित्र आत्मा में होकर आनन्द से भर गया, और कहा; हे पिता, स्वर्ग और पृथ्वी के प्रभु, मैं तेरा धन्यवाद करता हूं, कि तू ने इन बातों को ज्ञानियों और समझदारों से छिपा रखा, और बालकों पर प्रगट किया।”—लूका 10:17-21.
5. यीशु के चेलों को राज्य की अनमोल सच्चाइयों को मामूली बात क्यों नहीं समझना था?
5 यीशु ने दिल से यह प्रार्थना करने के बाद, अपने चेलों से कहा: “धन्य हैं वे आंखें, जो ये बातें जो तुम देखते हो देखती हैं। क्योंकि मैं तुम से कहता हूं, कि बहुत से भविष्यद्वक्ताओं और राजाओं ने चाहा, कि जो बातें तुम देखते हो, देखें; पर न देखीं और जो बातें तुम सुनते हो सुनें, पर न सुनीं।” जी हाँ, यीशु ने अपने वफादार चेलों को बढ़ावा दिया कि उन्हें बतायी गयी राज्य की अनमोल सच्चाइयों को वे कभी-भी मामूली बात न समझें। क्यों? क्योंकि ये सच्चाइयाँ उनसे पहले के ज़माने में जीनेवाले परमेश्वर के सेवकों पर ज़ाहिर नहीं की गयी थीं। और-तो-और, यीशु के दिनों के “ज्ञानियों और समझदारों” को ये सच्चाइयाँ देना तो बहुत दूर की बात थी!—लूका 10:23, 24.
6, 7. (क) परमेश्वर से मिली सच्चाई की कदर करने की हमारे पास क्या वजह हैं? (ख) आज, सच्चे और झूठे धर्म के बीच क्या फर्क नज़र आ रहा है?
6 आज, परमेश्वर से मिली सच्चाई की कदर करने की हमारे पास पहले से कहीं ज़्यादा वजह मौजूद हैं। यहोवा ने “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” के ज़रिए अपने लोगों को बाइबल की और भी गहरी समझ दी है। (मत्ती 24:45; दानिय्येल 12:10) भविष्यवक्ता दानिय्येल ने अंत समय के बारे में लिखा था: “बहुत लोग पूछ-पाछ और ढूंढ़-ढांढ़ करेंगे, और इस से ज्ञान बढ़ भी जाएगा।” (दानिय्येल 12:4) क्या आपको नहीं लगता कि आज, परमेश्वर का ज्ञान वाकई “बढ़” गया है और यहोवा के सेवकों को भरपूर आध्यात्मिक भोजन मिल रहा है?
7 जहाँ एक तरफ परमेश्वर के लोगों के बीच आध्यात्मिक खुशहाली है, वहीं दूसरी तरफ हम देख सकते हैं कि बड़े बाबुल के लोग, धर्म को लेकर उलझन में पड़े हुए हैं। नतीजा, कई लोगों का झूठे धर्म पर से भरोसा उठ गया है, या उन्हें उससे सख्त नफरत हो गयी है। इसलिए अब, वे सच्ची उपासना की तरफ मुड़ रहे हैं। वे ‘बड़े बाबुल के पापों में भागी नहीं होना चाहते’ और ना ही यह चाहते हैं कि ‘उसकी विपत्तियों में से कोई उन पर आ पड़े।’ यहोवा और उसके सेवक, इन भेड़ सरीखे लोगों को सच्ची मसीही कलीसिया में आने का न्यौता देते हैं।—प्रकाशितवाक्य 18:2-4; 22:17.
एहसानमंद लोग, परमेश्वर के पास आ रहे हैं
8, 9. आज हाग्गै 2:7 की भविष्यवाणी कैसे पूरी हो रही है?
8 यहोवा ने अपने आत्मिक मंदिर के बारे में भविष्यवाणी की: “मैं सारी जातियों को कम्पकपाऊंगा, और सारी जातियों की मनभावनी वस्तुएं आएंगी; और मैं इस भवन को अपनी महिमा के तेज से भर दूंगा।” (हाग्गै 2:7) यह हैरतअंगेज़ भविष्यवाणी पहली बार हाग्गै के दिनों में पूरी हुई थी। उस वक्त, बाबुल की बंधुआई से लौटे परमेश्वर के लोगों ने यरूशलेम के मंदिर को दोबारा खड़ा किया था। मगर आज, यह भविष्यवाणी और भी बड़े पैमाने पर यहोवा के महान आत्मिक मंदिर में पूरी हो रही है।
9 इस आत्मिक मंदिर में पहले से लाखों लोग आ चुके हैं, ताकि वे “आत्मा और सच्चाई” से परमेश्वर की उपासना कर सकें। (यूहन्ना 4:23, 24) इतना ही नहीं, हर साल 2 लाख से भी ज़्यादा लोग, जो “सारी जातियों की मनभावनी वस्तुएं” हैं, इस मंदिर में धारा की तरह लगातार चले आ रहे हैं। मिसाल के लिए, सन् 2006 के सेवा साल के दौरान संसार-भर में जो काम किया गया था, उसकी रिपोर्ट दिखाती है कि 2,48,327 लोगों ने पानी में बपतिस्मा लेकर यहोवा को किए अपने समर्पण का सबूत दिया। यानी, हर दिन औसतन 680 नए लोग परमेश्वर के आत्मिक मंदिर में आए हैं! सच्चाई के लिए उनका प्यार और राज्य के प्रचारक बनकर यहोवा की सेवा करने की उनकी ख्वाहिश, इस बात का सबूत देती है कि यहोवा ने उन्हें अपनी तरफ खींचा है।—यूहन्ना 6:44, 65.
10, 11. एक अनुभव बताइए जो दिखाता है कि लोग बाइबल की सच्चाई की कैसे कदर करने लगते हैं।
10 बहुत-से नेकदिल लोग सच्चाई की तरफ इसलिए खिंचे चले आए हैं, क्योंकि उन्हें “धर्मी और दुष्ट का भेद, अर्थात् जो परमेश्वर की सेवा करता है, और जो उसकी सेवा नहीं करता, उन दोनों का भेद” साफ नज़र आया है। (मलाकी 3:18) वेन और वर्जिन्या नाम के एक शादीशुदा जोड़े को ही लीजिए। वे दोनों प्रोटेस्टेंट चर्च के सदस्य थे, मगर उन्हें धर्म के बारे में अपने कई सवालों का सही-सही जवाब नहीं मिला था। उन्हें युद्ध से घृणा थी, इसलिए जब उन्होंने अपने पादरी को सैनिकों और हथियारों पर आशीष देते देखा, तो वे कशमकश में पड़ गए और परेशान भी हो गए। जैसे-जैसे इस जोड़े की उम्र ढलती गयी, उन्होंने महसूस किया कि चर्च में किसी को उनकी परवाह नहीं, इसके बावजूद कि वर्जिन्या ने कई साल संडे स्कूल में पढ़ाया था। वे कहते हैं: “कोई हमसे मिलने तक नहीं आता था और ना ही किसी को हमारी आध्यात्मिक हालत की फिक्र थी। चर्च को सिर्फ हमारे पैसों से मतलब था। हम पूरी तरह निराश हो चुके थे।” और-तो-और, जब उन्होंने देखा कि चर्च ने समलैंगिकता को खुली छूट दे दी, तो चर्च पर से उनका भरोसा ही उठ गया।
11 इस बीच, वेन और वर्जिन्या की नातिन और फिर उनकी बेटी यहोवा की साक्षी बन गईं। पहले-पहल तो वेन और वर्जिन्या इस बात से बहुत नाराज़ थे। मगर बाद में, उन्होंने अपना मन बदला और बाइबल अध्ययन के लिए राज़ी हो गए। वेन कहता है: “हमने तीन महीने के अंदर बाइबल के बारे में जितना कुछ सीखा, उतना हमने पिछले 70 सालों में नहीं सीखा था! हमें मालूम ही नहीं था कि परमेश्वर का नाम यहोवा है। यही नहीं, परमेश्वर के राज्य और धरती के फिरदौस बनाए जाने के बारे में तो हम बिलकुल बेखबर थे।” कुछ ही समय बाद, यह नेकदिल जोड़ा मसीही सभाओं में आने लगा और प्रचार में भी हिस्सा लेने लगा। वर्जिन्या कहती है: “हम हर किसी को सच्चाई के बारे में बताना चाहते हैं।” वेन और वर्जिन्या ने सन् 2005 में बपतिस्मा लिया, जब उनकी उम्र 80 के ऊपर थी। वे कहते हैं: “हमें सच्चे मसीहियों की बिरादरी मिल गयी है, जहाँ हम अपनापन महसूस करते हैं।”
‘हर एक भले काम के लिये तैयार’ किए जाने का एहसान मानिए
12. यहोवा हमेशा अपने सेवकों को क्या देता है, और इससे फायदा पाने के लिए हमें क्या करना चाहिए?
12 यहोवा हमेशा अपने सेवकों को मदद देता है ताकि वे उसकी मरज़ी पूरी कर सकें। मिसाल के लिए, उसने नूह को साफ-साफ हिदायतें दी थीं कि उसे जहाज़ कैसे बनाना है। यह एक ऐसा काम था जिसे पहली दफे में ही ठीक-ठीक किया जाना था। और ऐसा ही हुआ। क्यों? क्योंकि नूह ने ‘परमेश्वर की आज्ञा के अनुसार काम किया।’ “उसने सबकुछ वैसा ही किया।” (उत्पत्ति 6:14-22; NHT) आज भी, यहोवा अपने सेवकों को पूरी तरह तैयार करता है जिससे वे उसकी मरज़ी के मुताबिक काम कर सकें। हमारा खास काम है, परमेश्वर के स्थापित राज्य का सुसमाचार सुनाना और सही मन रखनेवालों को यीशु का चेला बनने में मदद देना। अगर हम भी नूह की तरह अपनी सेवा में कामयाब होना चाहते हैं, तो हमारे लिए परमेश्वर की आज्ञा मानना बेहद ज़रूरी है। जी हाँ, यहोवा अपने वचन और संगठन के ज़रिए जो भी निर्देशन देता है, हमें उस पर चलना चाहिए।—मत्ती 24:14; 28:19, 20.
13. यहोवा ने हमें तालीम देने के लिए क्या इंतज़ाम किए हैं?
13 प्रचार के काम को पूरा करने के लिए ज़रूरी है कि हम सिखाने के अपने सबसे ज़रूरी औज़ार, यानी परमेश्वर के वचन को ‘ठीक रीति से काम में लाएँ।’ बाइबल “उपदेश, और समझाने, और सुधारने, और धर्म की शिक्षा के लिये लाभदायक है। ताकि परमेश्वर का जन सिद्ध बने, और हर एक भले काम के लिये तत्पर [“तैयार,” हिन्दुस्तानी बाइबल] हो जाए।” (2 तीमुथियुस 2:15; 3:16, 17) ठीक पहली सदी की तरह, आज यहोवा हमें मसीही कलीसिया के ज़रिए फायदेमंद तालीम दे रहा है। दुनिया-भर की 99,770 कलीसियाओं में हर हफ्ते परमेश्वर की सेवा स्कूल और सेवा सभा चलायी जाती हैं। ये सभाएँ हमें प्रचार में कुशल बनने में मदद देती हैं। क्या आप इन ज़रूरी सभाओं में बिना नागा हाज़िर होकर और इनमें सिखायी बातों पर अमल करके अपनी कदरदानी दिखाते हैं?—इब्रानियों 10:24, 25.
14. यहोवा के लाखों लोग उससे मिली तालीम के लिए अपना एहसान कैसे ज़ाहिर कर रहे हैं?
14 संसार-भर में, परमेश्वर के लाखों लोग उससे मिली तालीम के लिए अपना एहसान ज़ाहिर कर रहे हैं। कैसे? पूरी लगन के साथ प्रचार में हिस्सा लेकर। मिसाल के लिए, सन् 2006 के सेवा साल के दौरान 67,41,444 राज्य प्रचारकों ने कुल मिलाकर 1,33,39,66,199 घंटे, प्रचार के अलग-अलग पहलुओं में बिताए थे। इनमें 62,86,618 बाइबल अध्ययन चलाना भी शामिल था। संसार-भर से मिली रिपोर्ट में इस तरह की और भी कई हौसला बढ़ानेवाली बातें हैं। इसलिए हम आपको न्यौता देते हैं कि आप इस रिपोर्ट की गहराई से जाँच करें जिससे आपका हौसला बुलंद होगा। पहली सदी के भाइयों की भी इसी तरह हौसला-अफज़ाई होती थी जब उन्हें प्रचार काम में होनेवाली बढ़ोतरी की खबर दी जाती थी।—प्रेरितों 1:15; 2:5-11, 41, 47; 4:4; 6:7.
15. तन-मन से यहोवा की सेवा करनेवाले को क्यों मायूस नहीं होना चाहिए?
15 हर साल स्तुति की ज़ोरदार पुकार, यहोवा तक पहुँच रही है। यह इस बात का सबूत है कि परमेश्वर के सेवक, उसे जानने और उसके बारे में गवाही देने के मौके के लिए तहेदिल से एहसानमंद हैं। (यशायाह 43:10) यह सच है कि हमारे कुछ बुज़ुर्ग, बीमार और शारीरिक रूप से असमर्थ भाई-बहनों के स्तुतिरूपी बलिदान, विधवा के दान के बराबर होते हैं। लेकिन हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि यहोवा और उसका बेटा, उन सभी लोगों की कदर करता है जो तन-मन से परमेश्वर की सेवा करते हैं। और तन-मन से सेवा करने का मतलब है कि अपने हालात के मुताबिक उनसे जितना भी बन पड़ता है, उतना करने में वे अपनी पूरी ताकत लगा देते हैं।—लूका 21:1-4; गलतियों 6:4.
16. परमेश्वर ने हमें पिछले कई सालों के दौरान, सिखाने के कौन-से औज़ार दिए हैं?
16 यहोवा अपने संगठन के ज़रिए हमें न सिर्फ प्रचार करने की तालीम देता है, बल्कि दूसरों को सिखाने के बढ़िया औज़ार यानी किताबें-पत्रिकाएँ भी देता है। पिछले कई सालों के दौरान, हमें ये किताबें मिली हैं: सत्य जो अनन्त जीवन की ओर ले जाता है, आप पृथ्वी पर परादीस में सर्वदा जीवित रह सकते हैं, ज्ञान जो अनन्त जीवन की ओर ले जाता है और फिलहाल इस्तेमाल की जानेवाली किताब, बाइबल असल में क्या सिखाती है? जो लोग इन किताबों के लिए सचमुच एहसानमंद हैं, वे प्रचार में इनका अच्छा इस्तेमाल करते हैं।
बाइबल सिखाती है किताब का अच्छा इस्तेमाल कीजिए
17, 18. (क) आप प्रचार में बाइबल सिखाती है किताब से कौन-सा भाग दिखाना पसंद करते हैं? (ख) एक सर्किट अध्यक्ष ने बाइबल सिखाती है किताब के बारे में क्या रिपोर्ट दी?
17 बाइबल असल में क्या सिखाती है? किताब में 19 अध्याय और एक अतिरिक्त लेख है जिसमें अलग-अलग विषयों पर ब्यौरेदार जानकारी दी गयी है। इस किताब को बहुत ही सरल और साफ शब्दों में लिखा गया है। यह प्रचार में एक वरदान साबित हो रही है। मिसाल के तौर पर अध्याय 12 को ही लीजिए जिसका शीर्षक है, “ऐसी ज़िंदगी जीना जिससे परमेश्वर खुश हो।” यह अध्याय समझाता है कि एक बाइबल विद्यार्थी, परमेश्वर का मित्र कैसे बन सकता है। यह बात शायद बहुतों के लिए एकदम नयी हो, या फिर उन्हें लगे यह नामुमकिन है। (याकूब 2:23) बाइबल अध्ययन की इस किताब के बारे में लोगों का क्या रवैया रहा है?
18 ऑस्ट्रेलिया के एक सर्किट अध्यक्ष ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि बाइबल सिखाती है किताब में “एक ऐसी कशिश है कि घर-मालिक इस पर एक नज़र डालते ही खुद-ब-खुद बातचीत में शरीक हो जाते हैं।” उसने यह भी लिखा कि इसे पेश करना इतना आसान है कि “बहुत-से राज्य प्रचारकों में दोबारा आत्म-विश्वास भर आया है और वे फिर से खुशी-खुशी प्रचार में हिस्सा ले रहे हैं। इसलिए यह कोई ताज्जुब की बात नहीं कि कुछ लोग इसे सोने का डला कहते हैं (और यह नाम प्यार से इसलिए भी दिया गया है, क्योंकि इसकी जिल्द सुनहरे रंग की है)!”
19-21. कुछ अनुभव बताइए जो दिखाते हैं कि बाइबल सिखाती है किताब, सिखाने का एक बढ़िया औज़ार है।
19 गयाना में, एक स्त्री ने अपनी दुकान पर आए एक पायनियर भाई से कहा: “ज़रूर, परमेश्वर ने ही आपको मेरे पास भेजा है।” यह स्त्री जिस आदमी के साथ बगैर शादी किए रह रही थी, वह हाल ही में उसे और उनके दो छोटे-छोटे बच्चों को छोड़कर चला गया था। उस पायनियर ने बाइबल सिखाती है किताब का पहला अध्याय खोला और “हमारे साथ होनेवाली नाइंसाफी के बारे में परमेश्वर कैसा महसूस करता है?” उपशीर्षक के तहत, पैराग्राफ 11 पढ़कर उसे सुनाया। पायनियर कहता है: “पैराग्राफ में दिए मुद्दे उसे दिल की गहराई तक छू गए। वह खुद को रोक न सकी और अपनी दुकान के पिछवाड़े जाकर फूट-फूटकर रोने लगी।” यह स्त्री इलाके की एक बहन के साथ नियमित तौर पर बाइबल अध्ययन करने के लिए राज़ी हो गयी और आज, वह अच्छी तरक्की कर रही है।
20 होसा नाम का एक आदमी, स्पेन का रहनेवाला है। उसकी पत्नी की मौत एक सड़क दुर्घटना में हुई थी। इस गम को भुलाने के लिए वह ड्रग्स का सहारा लेने लगा। वह कई मनोवैज्ञानिकों के पास भी गया। लेकिन वे उसके इस सवाल का जवाब नहीं दे पाए जो उसे दिन-रात खाए जा रहा था: “परमेश्वर ने आखिर मेरी पत्नी को क्यों मरने दिया?” होसा जिस कंपनी में नौकरी करता था, उसी में फ्रानचेस्का नाम का एक आदमी भी था। एक दिन जब दोनों की मुलाकात हुई, तब होसा ने फ्रानचेस्का से भी वही सवाल पूछा जिसे लेकर वह परेशान था। इस पर फ्रानचेस्का ने उसके साथ बाइबल सिखाती है किताब के 11वें अध्याय पर चर्चा की, जिसका शीर्षक है, “परमेश्वर ने दुःख-तकलीफें क्यों रहने दी हैं?” इस अध्याय में बाइबल से दिए जवाब, साथ ही टीचर और विद्यार्थी का उदाहरण उसके मन में घर कर गया। फिर क्या था, उसने पूरी लगन से बाइबल का अध्ययन करना शुरू कर दिया। वह एक सर्किट सम्मेलन में हाज़िर हुआ और आजकल, इलाके के राज्य घर में सभाओं के लिए भी आता है।
21 चालीस साल का रोमेन, पोलैंड का एक बिज़नेसमैन है और उसके दिल में हमेशा से परमेश्वर के वचन के लिए आदर रहा है। लेकिन वह अपने काम में इस कदर उलझ गया था कि उसने सिर्फ कुछ हद तक तरक्की की थी। फिर एक बार, वह एक ज़िला अधिवेशन में हाज़िर हुआ और उसे बाइबल सिखाती है किताब की एक कॉपी दी गयी। इस किताब को पढ़ने के बाद, उसने अपनी ज़िंदगी में काफी सुधार किए। वह कहता है: “इस किताब को पढ़ने पर ऐसा लगता है कि बाइबल की सभी मूल शिक्षाएँ जुड़कर एक पूरी तसवीर बनाती हैं।” रोमेन आज नियमित तौर पर बाइबल अध्ययन करने के साथ-साथ, बढ़िया तरक्की भी कर रहा है।
अपनी कदरदानी बढ़ाते रहिए
22, 23. हमें भविष्य की जो आशा मिली है, उसके लिए हम कैसे अपनी कदरदानी लगातार बढ़ा सकते हैं?
22 “छुटकारा निकट है!” ज़िला अधिवेशन से हमारे रोम-रोम में सिहरन-सी दौड़ गयी थी। इसमें समझाया गया था कि सच्चे मसीही उस ‘अनन्त छुटकारे’ के लिए तरस रहे हैं, जिसका वादा परमेश्वर ने किया है और जिसका इंतज़ाम यीशु मसीह के बहाए गए लहू के ज़रिए किया गया है। अनंत छुटकारे की इस अनमोल आशा के लिए कदरदानी दिखाने का सबसे बढ़िया तरीका है कि हम खुद को लगातार ‘मरे हुए कामों से शुद्ध करते रहें, ताकि हम जीवते परमेश्वर की सेवा कर सकें।’—इब्रानियों 9:12, 14.
23 जी हाँ, आज साठ लाख से भी ज़्यादा राज्य प्रचारक पूरी वफादारी के साथ परमेश्वर की सेवा कर रहे हैं। वह भी ऐसी दुनिया में जहाँ पहले से कहीं ज़्यादा आज, लोगों पर स्वार्थी बनने का दबाव डाला जा रहा है। है ना, यह एक चमत्कार! इसके अलावा, यह इस बात का भी सबूत है कि यहोवा के लोगों को उसकी सेवा करने का जो बड़ा सम्मान मिला है, उसका वे दिल से एहसान मानते हैं। साथ ही, वे यह भी जानते हैं कि उनका “परिश्रम प्रभु में व्यर्थ नहीं है।” इसलिए आइए हम अपनी कदरदानी बढ़ाते रहें।—1 कुरिन्थियों 15:58; भजन 110:3. (w07 2/1)
आप क्या जवाब देंगे?
• भजनहार हमें, परमेश्वर और उसके आध्यात्मिक इंतज़ामों के लिए कदरदानी दिखाने के बारे में क्या सिखाता है?
• आज हाग्गै 2:7 की भविष्यवाणी कैसे पूरी हो रही है?
• यहोवा ने कैसे हमें पूरी तरह तैयार किया है ताकि हम बढ़िया तरीके से उसकी सेवा कर सकें?
• यहोवा की भलाई के लिए आप अपनी एहसानमंदी कैसे दिखा सकते हैं?
[अध्ययन के लिए सवाल]
[पेज 27-30 पर चार्ट]
संसार-भर में यहोवा के साक्षियों की 2006 सेवा साल रिपोर्ट
(पत्रिका देखिए)
[पेज 29 पर तसवीरें]
यहोवा हमें पूरी तरह तैयार करता है ताकि हम उसकी मरज़ी के मुताबिक काम कर सकें