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बाइबल जो सिखाती है, उसे मानने में दूसरों की मदद कीजिए

बाइबल जो सिखाती है, उसे मानने में दूसरों की मदद कीजिए

बाइबल जो सिखाती है, उसे मानने में दूसरों की मदद कीजिए

“अच्छी भूमि में के वे हैं, जो वचन सुनकर भले और उत्तम मन में सम्भाले रहते हैं, और धीरज से फल लाते हैं।”—लूका 8:15.

1, 2. (क) बाइबल असल में क्या सिखाती है? इस किताब को किस मकसद से तैयार किया गया है? (ख) हाल के सालों में यहोवा ने कैसे चेला बनाने के काम में अपने लोगों की मेहनत पर आशीष दी है?

 “यह किताब वाकई लाजवाब है! मुझे और मेरे विद्यार्थियों को यह किताब बेहद पसंद है। इसकी मदद से लोगों के साथ दरवाज़े पर खड़े-खड़े बाइबल अध्ययन शुरू करना बहुत आसान है।” यह बात, यहोवा के साक्षियों के पूरे समय की एक सेवक ने बाइबल असल में क्या सिखाती है? * किताब के बारे में कही थी। इसी किताब के बारे में एक बुज़ुर्ग राज्य प्रचारक ने कहा: “मुझे अपनी सेवा के 50 सालों में बहुत-से लोगों को यहोवा के बारे में सिखाने का सुअवसर मिला है। मगर एक बात तो मुझे माननी पड़ेगी कि यह किताब अध्ययन के लिए सचमुच बेमिसाल है। इसमें दी मिसालें और तसवीरें दिल को छू जाती हैं।” बाइबल सिखाती है किताब के बारे में क्या आप भी ऐसा ही महसूस करते हैं? इस किताब को तैयार करने का मकसद है कि आप इसकी मदद से यीशु की यह आज्ञा मान सकें: “इसलिये तुम जाकर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ . . . और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ।”—मत्ती 28:19, 20.

2 बेशक, यहोवा का मन यह देखकर आनंदित होता है कि उसके करीब 66 लाख साक्षी, यीशु की इस आज्ञा को खुशी-खुशी मान रहे हैं। (नीतिवचन 27:11) और सबूत दिखाते हैं कि यहोवा उनकी इस मेहनत पर आशीष दे रहा है। मिसाल के लिए, सन्‌ 2005 के सेवा साल के दौरान, 235 देशों में सुसमाचार का प्रचार किया गया था और औसतन 60,61,500 से भी ज़्यादा बाइबल अध्ययन चलाए गए थे। इसका नतीजा यह हुआ कि बहुतों ने ‘परमेश्‍वर के सुसमाचार का वचन सुना और उसे मनुष्यों का नहीं, परन्तु परमेश्‍वर का वचन समझकर (और सचमुच यह ऐसा ही है) ग्रहण किया।’ (1 थिस्सलुनीकियों 2:13) पिछले दो सालों के दौरान, पाँच लाख से भी ज़्यादा नए चेलों ने यहोवा के स्तरों के मुताबिक जीने के लिए अपनी ज़िंदगी में फेरबदल किए हैं और यहोवा को अपना जीवन समर्पित किया है।

3. इस लेख में बाइबल सिखाती है किताब के इस्तेमाल के बारे में हम किन सवालों पर गौर करेंगे?

3 क्या आपको हाल ही में वह खुशी मिली है जो किसी के साथ बाइबल अध्ययन करने से मिलती है? दुनिया में अब भी ऐसे लोग हैं जिनका ‘मन भला और उत्तम’ है और जो परमेश्‍वर का वचन सुनकर उसे ‘सम्भाले रहेंगे और धीरज से फल लाएँगे।’ (लूका 8:11-15) आइए देखें कि चेला बनाने के काम में आप, बाइबल सिखाती है किताब का कैसे इस्तेमाल कर सकते हैं। हम अपनी चर्चा में इन तीन सवालों पर गौर करेंगे: (1) आप किसी के साथ बाइबल अध्ययन कैसे शुरू कर सकते हैं? (2) सिखाने के किन तरीकों से सबसे बढ़िया नतीजे मिलते हैं? (3) आप एक व्यक्‍ति की मदद कैसे कर सकते हैं ताकि वह परमेश्‍वर के लिखित वचन, बाइबल का न सिर्फ विद्यार्थी बन सके बल्कि उसका शिक्षक भी?

आप किसी के साथ बाइबल अध्ययन कैसे शुरू कर सकते हैं

4. कुछ लोग बाइबल का अध्ययन करने से क्यों हिचकिचा सकते हैं, और आप उनकी इस झिझक को कैसे दूर कर सकते हैं?

4 अगर कोई आपसे एक चौड़ी नदी को एक ही छलाँग में पार करने के लिए कहे, तो शायद आप ऐसा करने से हिचकिचाएँ। लेकिन अगर उसी नदी में बीच-बीच में पत्थर रखे जाएँ, तब शायद आप नदी पार करने के लिए राज़ी हो जाएँ। उसी तरह, अगर एक व्यस्त घर-मालिक से सीधे-सीधे बाइबल अध्ययन करने के लिए कहा जाए, तो वह हिचकिचा सकता है। वह सोच सकता है कि इसका अध्ययन करने में काफी मेहनत लगेगी और बहुत समय भी देना पड़ेगा और उसके पास इतनी फुरसत कहाँ? आप उसकी झिझक कैसे दूर कर सकते हैं? बाइबल सिखाती है किताब से उसके साथ कई छोटी-छोटी चर्चाएँ करने के ज़रिए। इसका नतीजा यह हो सकता है कि वह नियमित तौर पर बाइबल अध्ययन करने के लिए तैयार हो जाए। अगर आप उन छोटी चर्चाओं के लिए अच्छी तैयारी करें, तो आपकी मुलाकातें नदी में रखे जानेवाले उन पत्थरों की तरह होंगी जिनके सहारे घर-मालिक यहोवा के करीब आएगा।

5. आपको बाइबल सिखाती है किताब क्यों पढ़ना चाहिए?

5 इससे पहले कि बाइबल सिखाती है किताब से फायदा पाने में आप किसी दूसरे की मदद करें, आपको खुद इस किताब से अच्छी तरह वाकिफ होना चाहिए। क्या आपने इसे शुरू से लेकर आखिर तक पढ़ा है? एक पति-पत्नी छुट्टियों पर जाते वक्‍त अपने साथ यह किताब ले गए थे, और वहाँ समुद्र-तट पर आराम करते समय उन्होंने इसे पढ़ना शुरू किया। इतने में एक औरत, जो सैलानियों को सामान बेच रही थी, इस जोड़े के पास आयी और उसकी नज़र किताब के शीर्षक बाइबल असल में क्या सिखाती है? पर पड़ी। उस औरत ने जोड़े को बताया कि कुछ ही घंटों पहले उसने प्रार्थना में परमेश्‍वर से इसी सवाल का जवाब माँगा था। इस पर जोड़े ने खुशी-खुशी उसे इस किताब की एक कॉपी दी। क्या आपने इस किताब को पहली या दूसरी बार पढ़ने के लिए ‘समय मोल लिया’ है, जैसे जब आप डॉक्टर का या किसी और का इंतज़ार कर रहे हों या जब आप नौकरी की जगह पर या स्कूल में लंच-ब्रेक ले रहे हों? (इफिसियों 5:15, 16, NW) अगर आप ऐसा करेंगे, तो आप बाइबल अध्ययन की इस किताब से अच्छी तरह वाकिफ हो जाएँगे और दूसरों को इसके बारे में बताने के लिए मौके भी बना पाएँगे।

6, 7. बाइबल सिखाती है किताब से आप बाइबल अध्ययन कैसे शुरू कर सकते हैं?

6 प्रचार में इस किताब को पेश करते वक्‍त इसके पेज 4, 5 और 6 पर दी तसवीरों, बाइबल की आयतों और सवालों का अच्छा इस्तेमाल कीजिए। मिसाल के लिए, आप यह सवाल पूछकर अपनी बातचीत शुरू कर सकते हैं: “आज जब इंसान कई समस्याओं से घिरा हुआ है, तो आपको क्या लगता है इन समस्याओं को दूर करने में हमें कहाँ से मदद मिल सकती है?” घर-मालिक का जवाब ध्यान से सुनने के बाद, 2 तीमुथियुस 3:16, 17 पढ़िए और समझाइए कि बाइबल बताती है कि इंसान की सारी समस्याओं का हल सही मायनों में कैसे होगा। फिर, घर-मालिक को पेज 4 और 5 दिखाइए और पूछिए: “यहाँ दिखाए बुरे हालात में से आपको सबसे ज़्यादा किस हालात से दुःख होता है?” जब घर-मालिक कोई हालात चुनता है, तो किताब उसके हाथों में दीजिए और उस हालात के साथ दी आयत को बाइबल से पढ़कर बताइए कि इस बारे में बाइबल क्या आशा देती है। फिर पेज 6 पर दी जानकारी को पढ़िए और घर-मालिक से पूछिए: “यहाँ जो छः सवाल दिए हैं, इनमें से आप किस सवाल का जवाब जानना चाहेंगे?” जब घर-मालिक एक सवाल चुनता है, तो उसे वह अध्याय दिखाइए जिसमें उस सवाल का जवाब दिया गया है। इसके बाद उसे यह किताब पेश कीजिए और उस सवाल पर चर्चा करने के लिए दोबारा मिलने का पक्का इंतज़ाम कीजिए।

7 ऊपर बतायी पेशकश का इस्तेमाल करने में आपको सिर्फ पाँच मिनट लगेंगे। लेकिन उन चंद मिनटों में आप बहुत कुछ कर सकते हैं। आप यह जान सकते हैं कि घर-मालिक को क्या चिंता सताती है, बाइबल की दो आयतें पढ़कर उन्हें समझा सकते हैं, और दोबारा मिलने का इंतज़ाम भी कर सकते हैं। उन चंद मिनटों की आपकी बातचीत से घर-मालिक को काफी हिम्मत और दिलासा मिल सकता है, क्योंकि शायद ही किसी ने उसके साथ इतनी अच्छी बातों पर चर्चा की हो। इसलिए जब आप ‘जीवन को पहुंचानेवाले मार्ग’ पर चलने के लिए उसे अगला कदम उठाने, यानी दोबारा मिलने की पेशकश करते हैं, तो वह व्यस्त होने पर भी खुशी-खुशी आपको थोड़ा समय देगा। (मत्ती 7:14) जैसे-जैसे घर-मालिक की दिलचस्पी बढ़ने लगती है, वैसे-वैसे आपको अध्ययन का वक्‍त बढ़ाना चाहिए। इसके लिए आप घर-मालिक से पूछ सकते हैं कि क्या हम अपनी चर्चा का वक्‍त थोड़ा और बढ़ा सकते हैं?

सिखाने के ऐसे तरीके जिनसे बढ़िया नतीजे मिलते हैं

8, 9. (क) आप अपने बाइबल विद्यार्थी को आनेवाली मुश्‍किलों और परीक्षाओं का सामना करने के लिए कैसे तैयार कर सकते हैं? (ख) आग में टिकनेवाले ऐसे गुण कहाँ पाए जाते हैं जिससे मज़बूत विश्‍वास पैदा हो?

8 जब एक विद्यार्थी, बाइबल की शिक्षाओं को मानना शुरू करता है, तो उसकी राह में कई मुश्‍किलें आ सकती हैं, जो उसकी आध्यात्मिक तरक्की में बाधा डालें। इस बारे में प्रेरित पौलुस ने कहा था: “जितने मसीह यीशु में भक्‍ति के साथ जीवन बिताना चाहते हैं वे सब सताए जाएंगे।” (2 तीमुथियुस 3:12) पौलुस ने इन परीक्षाओं को आग के समान बताया जो निर्माण में इस्तेमाल होनेवाली लकड़ी या घास-फूस को तो जलाकर राख कर देती है, मगर सोना, चाँदी और बहुमोल पत्थर जैसी चीज़ों का कुछ नहीं बिगाड़ पाती। (1 कुरिन्थियों 3:10-13; 1 पतरस 1:6, 7) अगर आप चाहते हैं कि आपका बाइबल विद्यार्थी आनेवाली परीक्षाओं का सामना कर सके, तो आपको आग में टिकनेवाले गुण पैदा करने में उसकी मदद करनी होगी।

9 आग में टिकनेवाले ये गुण कहाँ पाए जाते हैं? भजनहार कहता है कि “यहोवा के वचन” उस “चांदी के समान हैं जो भट्ठी में मिट्टी पर ताई जाकर सात बार शुद्ध की गई” है। (भजन 12:6, NHT) जी हाँ, ये गुण बाइबल में पाए जाते हैं जिनकी मदद से आप अपने विद्यार्थी में मज़बूत विश्‍वास पैदा कर सकते हैं। (भजन 19:7-11; नीतिवचन 2:1-6) और बाइबल का कुशल तरीके से इस्तेमाल करने में बाइबल सिखाती है किताब आपकी मदद कर सकती है।

10. आप अपने विद्यार्थी का ध्यान बाइबल की तरफ कैसे खींच सकते हैं?

10 अध्ययन करते वक्‍त, विद्यार्थी का ध्यान अध्याय में दी आयतों की तरफ खींचिए। कैसे? विद्यार्थी से सवाल पूछने के ज़रिए खास आयतों को समझने और उन्हें खुद पर लागू करने में उसकी मदद कीजिए। ऐसा करते वक्‍त, इस बात का खयाल रखिए कि आप विद्यार्थी पर अपनी राय न थोपें कि उसे क्या करना चाहिए और क्या नहीं। इसके बजाय, यीशु की मिसाल पर चलिए। एक मौके पर जब व्यवस्था के एक ज्ञानी ने यीशु से एक सवाल किया तो उसने क्या जवाब दिया? उसने उससे कहा: “व्यवस्था में क्या लिखा है? तू कैसे पढ़ता है?” इस पर ज्ञानी ने शास्त्र का हवाला दिया। तब यीशु ने यह समझने में उसकी मदद की कि वह शास्त्र में दिए सिद्धांत को खुद पर कैसे लागू कर सकता है। इतना ही नहीं, यीशु ने एक दृष्टांत के ज़रिए उस आदमी को एक सबक भी दिया जिससे वह अच्छी तरह समझ गया कि उसे अपनी ज़िंदगी में कैसे बदलाव करने चाहिए। (लूका 10:25-37) बाइबल सिखाती है किताब में ऐसे ढेरों आसान-से उदाहरण हैं, जिनका इस्तेमाल करके आप अपने विद्यार्थी को बाइबल के सिद्धांत खुद पर लागू करना सिखा सकते हैं।

11. आप कैसे तय करेंगे कि हर अध्ययन में कितने पैराग्राफ पर चर्चा की जानी चाहिए?

11 बाइबल सिखाती है किताब परमेश्‍वर के वचन को सीधे और सरल तरीके से समझाती है, ठीक जैसे यीशु मुश्‍किल बातों को बड़े आसान तरीके से समझाता था। (मत्ती 7:28, 29) आपको भी ऐसा ही करना चाहिए। सीधी और सरल भाषा में सही-सही जानकारी दीजिए। अध्ययन के दौरान जानकारी को जल्दी-जल्दी पढ़कर और सवाल पूछकर आगे मत बढ़िए। इसके बजाय, विद्यार्थी की काबिलीयत और हालात को ध्यान में रखकर तय कीजिए कि आप हर अध्ययन में कितने पैराग्राफ पर चर्चा करेंगे। गौर कीजिए, यीशु भी अपने चेलों की सीमाओं को जानता था और इसलिए उन्हें उतनी ही जानकारी देता था जितनी कि वे समझ सकते थे।—यूहन्‍ना 16:12.

12. अतिरिक्‍त लेख का कैसे इस्तेमाल किया जाना चाहिए?

12 बाइबल सिखाती है किताब में एक अतिरिक्‍त लेख भी है जिसमें 14 विषय दिए गए हैं। इस लेख का इस्तेमाल कैसे किया जाना चाहिए? यह आपके विद्यार्थी की ज़रूरतों पर निर्भर करता है और उसके शिक्षक होने के नाते आप ही तय कर सकते हैं कि इस लेख का सबसे अच्छा इस्तेमाल कैसे किया जाना चाहिए। मिसाल के लिए, अगर विद्यार्थी को कोई विषय समझना मुश्‍किल लगता है या अपने पुराने विश्‍वासों को लेकर उसके कुछ सवाल हैं, तो इस बारे में अतिरिक्‍त लेख में उस विषय से जुड़ी जानकारी की तरफ उसका ध्यान खींचना और वह जानकारी उसे खुद पढ़ने देना काफी हो सकता है। लेकिन शायद विद्यार्थी के हालात यह माँग करें कि आप उसके साथ बैठकर उस विषय पर चर्चा करें। इस लेख में बाइबल के कई अहम विषयों पर ब्यौरेदार जानकारी दी गयी है, जैसे “क्या इंसानों के अंदर कोई अमर आत्मा है?” और “‘बड़े बाबुल’ को पहचानना।” आप चाहें तो इन विषयों पर भी अपने विद्यार्थी के साथ चर्चा कर सकते हैं। अतिरिक्‍त लेख में सवाल नहीं दिए गए हैं, इसलिए उसमें दी जानकारी से आपको अच्छी तरह वाकिफ होना चाहिए ताकि आप उस पर कुछ सवाल तैयार कर सकें।

13. प्रार्थना किस तरह विद्यार्थी के विश्‍वास को मज़बूत करती है?

13 भजन 127:1 कहता है: “यदि घर को यहोवा न बनाए, तो उसके बनानेवालों का परिश्रम व्यर्थ होगा।” यह बात बाइबल अध्ययन के बारे में भी सच है। इसलिए अध्ययन शुरू करने से पहले मदद के लिए यहोवा से प्रार्थना कीजिए। अध्ययन के शुरू और आखिर में की गयी आपकी प्रार्थनाओं से विद्यार्थी को यह महसूस होना चाहिए कि यहोवा के साथ आपका बहुत ही प्यारा और गहरा रिश्‍ता है। अपने विद्यार्थी को भी प्रार्थना करने का बढ़ावा दीजिए ताकि उसे यहोवा का वचन समझने की बुद्धि और उसमें दी सलाह को मानने की ताकत मिल सके। (याकूब 1:5) अगर आपका विद्यार्थी ऐसा करे, तो वह परीक्षाओं का सामना कर पाएगा और विश्‍वास में दिनों-दिन मज़बूत होता जाएगा।

विद्यार्थियों को शिक्षक बनना सिखाइए

14. बाइबल विद्यार्थी को क्या तरक्की करने की ज़रूरत है?

14 अगर हम चाहते हैं कि हमारे विद्यार्थी उन ‘सब बातों’ को मानें, जिसकी आज्ञा यीशु ने दी थी, तो उन्हें परमेश्‍वर के वचन के सिर्फ विद्यार्थी ही नहीं बने रहना है बल्कि तरक्की करते हुए उसके शिक्षक भी बनना है। (मत्ती 28:19, 20; प्रेरितों 1:6-8) ऐसी आध्यात्मिक तरक्की करने में आप अपने विद्यार्थी की कैसे मदद कर सकते हैं?

15. अपने विद्यार्थी को मसीही सभाओं में आने का बढ़ावा देना क्यों ज़रूरी है?

15 अपने विद्यार्थी को अध्ययन के पहले दिन से ही कलीसिया की सभाओं में आने का न्यौता दीजिए। उसे समझाइए कि सभाओं में हमें परमेश्‍वर के वचन के शिक्षक बनने की तालीम मिलती है। फिर कुछ हफ्तों के दौरान, हर अध्ययन के बाद थोड़ा समय निकालिए और विद्यार्थी को अलग-अलग सभाओं और सम्मेलनों में मिलनेवाली आध्यात्मिक शिक्षा के बारे में बताइए। इन सभाओं से आपको जो फायदे मिलते हैं, उनके बारे में जोश के साथ बताइए। (इब्रानियों 10:24, 25) जब आपका विद्यार्थी लगातार सभाओं में हाज़िर होने लगेगा, तो हो सकता है वह भी परमेश्‍वर के वचन का सिखानेवाला बने।

16, 17. एक बाइबल विद्यार्थी ऐसे कौन-कौन-से लक्ष्य रख सकता है जिन्हें पाना उसके लिए मुमकिन हो?

16 बाइबल विद्यार्थी को ऐसे लक्ष्य रखने में मदद दीजिए जिन्हें वह हासिल कर सके। मिसाल के लिए, उसे बढ़ावा दीजिए कि वह बाइबल से जो कुछ सीख रहा है, उसके बारे में अपने किसी दोस्त या रिश्‍तेदार से बात करे। साथ ही, उसे उकसाइए कि वह पूरी बाइबल पढ़ने का भी लक्ष्य रखे। अगर आप उसकी मदद करें कि वह हर दिन बाइबल पढ़ने की आदत डाले और उस आदत को बनाए रखे, तो इससे बपतिस्मे के बाद भी उसे फायदा होता रहेगा। इसके अलावा, विद्यार्थी को यह भी सुझाव दीजिए कि वह बाइबल सिखाती है किताब के हर अध्याय से कम-से-कम एक ऐसी आयत याद करे, जो उस अध्याय के मुख्य सवाल का जवाब देती हो। इस तरह आपका विद्यार्थी “ऐसा काम करनेवाला” बनेगा ‘जो लज्जित होने न पाएगा, और जो सत्य के वचन को ठीक रीति से काम में लाएगा।’—2 तीमुथियुस 2:15.

17 अपने विद्यार्थी को सिखाइए कि जब कोई उससे उसके विश्‍वास के बारे में पूछता है, तो वह कैसे जवाब देगा। उसे जवाब में रटी-रटायी आयतें बताने या उनका सार देने के लिए मत कहिए, बल्कि सवाल से जुड़ी आयतों को समझाने का बढ़ावा दीजिए। ऐसा करने के लिए अच्छा होगा अगर आप चंद मिनटों के लिए विद्यार्थी के साथ रिहर्सल करें। रिहर्सल में आप विद्यार्थी के कोई रिश्‍तेदार या सहकर्मी बन सकते हैं, जो उससे उसके विश्‍वास के बारे में जानना चाहता हो। विद्यार्थी की बातों को सुनिए और फिर उसे बताइए कि वह “नम्रता व श्रद्धा” के साथ कैसे जवाब दे सकता है।—1 पतरस 3:15, NHT.

18. जब आपका विद्यार्थी बपतिस्मा-रहित प्रचारक बनने के योग्य ठहरता है, तो आप उसकी और क्या मदद कर सकते हैं?

18 एक वक्‍त ऐसा आ सकता है जब आपका विद्यार्थी प्रचार में हिस्सा लेने के योग्य बनेगा। उसे समझाइए कि इस काम में हिस्सा लेना बड़े सम्मान की बात है। (2 कुरिन्थियों 4:1, 7) एक बार जब प्राचीन तय कर लेते हैं कि आपका विद्यार्थी बपतिस्मा-रहित प्रचारक बनने के योग्य है, तो एक आसान-सी पेशकश तैयार करने में उसकी मदद कीजिए और फिर उसके साथ प्रचार में जाइए। प्रचार के अलग-अलग पहलुओं में उसके साथ नियमित तौर पर काम कीजिए। साथ ही, उसे वापसी भेंट की तैयारी करना और इन भेंटों से अच्छे नतीजे पाना सिखाइए। आपकी अच्छी मिसाल देखकर उसमें भी प्रचार के लिए जोश पैदा हो सकता है।—लूका 6:40.

‘अपने, और अपने सुननेवालों के लिये भी उद्धार का कारण होइए’

19, 20. हमारा लक्ष्य क्या होना चाहिए, और क्यों?

19 इसमें कोई दो राय नहीं कि ‘सत्य को भली भांति पहचानने’ में एक व्यक्‍ति की मदद करने में बहुत मेहनत लगती है। (1 तीमुथियुस 2:4) लेकिन बाइबल की शिक्षाओं को मानने में लोगों की मदद करने से हमें जो खुशी मिलती है, वैसी खुशी हमें बहुत कम बातों से मिलती है। (1 थिस्सलुनीकियों 2:19, 20) वाकई, दुनिया-भर में लोगों को सिखाने का जो काम चल रहा है, उसमें “परमेश्‍वर के सहकर्मी” होना हमारे लिए क्या ही सम्मान की बात है!—1 कुरिन्थियों 3:9.

20 यहोवा बहुत जल्द यीशु मसीह और शक्‍तिशाली स्वर्गदूतों के ज़रिए उन लोगों पर न्यायदंड लानेवाला है, “जो परमेश्‍वर को नहीं पहचानते, और हमारे प्रभु यीशु के सुसमाचार को नहीं मानते।” (2 थिस्सलुनीकियों 1:6-8) इसका मतलब है कि जो लोग परमेश्‍वर के बारे में नहीं जानते, उनकी जान खतरे में है। तो क्या आप यह लक्ष्य बना सकते हैं कि आप कम-से-कम एक व्यक्‍ति के साथ बाइबल असल में क्या सिखाती है? किताब से अध्ययन करेंगे? अगर आप ऐसा करेंगे, तो आप “अपने, और अपने सुननेवालों के लिये भी उद्धार का कारण” होंगे। (1 तीमुथियुस 4:16) जी हाँ, बाइबल जो सिखाती है, उसे मानने में दूसरों की मदद करना आज पहले से कहीं ज़्यादा ज़रूरी हो गया है। (w07 1/15)

[फुटनोट]

^ इसे यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है।

आपने क्या सीखा?

• बाइबल सिखाती है किताब को किस मकसद से तैयार किया गया है?

• बाइबल सिखाती है किताब की मदद से आप बाइबल अध्ययन कैसे शुरू कर सकते हैं?

• सिखाने के किन तरीकों से बढ़िया नतीजे मिलते हैं?

• परमेश्‍वर के वचन का शिक्षक बनने में आप अपने विद्यार्थी की मदद कैसे कर सकते हैं?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 17 पर तसवीर]

क्या आप इस किताब का अच्छा इस्तेमाल कर रहे हैं?

[पेज 18 पर तसवीर]

एक छोटी-सी चर्चा एक इंसान में, बाइबल के बारे में जानने की दिलचस्पी बढ़ा सकती है

[पेज 20 पर तसवीर]

आप विद्यार्थी का ध्यान बाइबल की तरफ कैसे खींच सकते हैं?

[पेज 21 पर तसवीर]

आध्यात्मिक तरक्की करने में अपने बाइबल विद्यार्थी की मदद कीजिए