यहोवा एक कदरदान परमेश्वर है
यहोवा एक कदरदान परमेश्वर है
“परमेश्वर अन्यायी नहीं, कि तुम्हारे काम, और उस प्रेम को भूल जाए, जो तुम ने उसके नाम के लिये . . . दिखाया।”—इब्रानियों 6:10.
1. यहोवा ने मोआबी रूत के लिए अपनी कदरदानी कैसे दिखायी?
यहोवा उन लोगों की मेहनत की गहरी कदर करता है, जो सच्चे दिल से उसकी मरज़ी पूरी करने की कोशिश करते हैं। यही नहीं, वह उन्हें बेशुमार आशीषें भी देता है। (इब्रानियों 11:6) बोअज़ नाम का एक वफादार आदमी, परमेश्वर की शख्सियत के इस खूबसूरत पहलू से अच्छी तरह वाकिफ था। इसलिए उसने मोआबी रूत से, जो अपनी विधवा सास की प्यार से देखभाल करती थी, कहा: “प्रभु तुम्हारे कार्य का पुरस्कार तुम्हें दे। . . . [परमेश्वर] तुम्हें पूर्ण प्रतिफल दे।” (रूत 2:12, नयी हिन्दी बाइबिल) क्या परमेश्वर ने रूत को आशीष दी? बिलकुल! उसने उसकी कहानी बाइबल में दर्ज़ करवायी। इसके अलावा, उसकी शादी बोअज़ से हुई और वह राजा दाऊद और यीशु मसीह की पुरखिन बनी। (रूत 4:13, 17; मत्ती 1:5, 6, 16) रूत की मिसाल बाइबल में दी उन ढेरों मिसालों में से एक है, जो दिखाती हैं कि परमेश्वर अपने सेवकों की कदर करता है।
2, 3. (क) यहोवा ने अपने सेवकों की कदर करने के लिए जो कहा, उसे क्या बात लाजवाब बना देती है? (ख) यहोवा सच्ची कदर क्यों ज़ाहिर कर पाता है? मिसाल दीजिए।
2 अगर यहोवा अपने सेवकों की कदर न करे तो वह इसे अपना अधर्म समझेगा। इब्रानियों 6:10 कहता है: “परमेश्वर अन्यायी नहीं, कि तुम्हारे काम, और उस प्रेम को भूल जाए, जो तुम ने उसके नाम के लिये इस रीति से दिखाया, कि पवित्र लोगों की सेवा की, और कर भी रहे हो।” इस आयत को लाजवाब बना देनेवाली बात तो यह है कि परमेश्वर अपनी भक्ति करनेवाले सभी लोगों की कदर करता है, इसके बावजूद कि वे पापी हैं और उसकी महिमा से रहित हैं।—रोमियों 3:23.
3 असिद्ध होने की वजह से शायद हमें लगे कि हमारे भक्ति के काम बहुत ही मामूली हैं और इनके लिए हम परमेश्वर से आशीष पाने के बिलकुल लायक नहीं। मगर यहोवा हमारे इरादों और हालात को बखूबी समझता है और तन-मन से की गयी हमारी सेवा की सच्ची कदर करता है। (मत्ती 22:37) इस बात को अच्छी तरह समझने के लिए यह मिसाल लीजिए: एक माँ को मेज़ पर रखा एक तोहफा मिलता है। वह उस तोहफे को खोलती है और देखती है कि उसमें एक सस्ता-सा हार है। पहले तो वह उस हार को मामूली समझकर एक तरफ रख देती है। मगर फिर जब वह तोहफे के साथ रखे कार्ड को पढ़ती है तो उसे पता चलता है कि यह हार उसकी नन्ही बिटिया की तरफ से है, जिसने अपने गुल्लक में जमा किए सारे पैसों से इसे खरीदा है। अब तोहफे के लिए माँ का नज़रिया बिलकुल बदल जाता है। शायद डबडबाई आँखों से वह अपनी बिटिया को गले लगाकर कहे कि उसे वह तोहफा कितना पसंद आया है और वह उसकी कितनी कदर करती है।
4, 5. दूसरों के लिए कदरदानी दिखाने में, यीशु किस तरह यहोवा जैसा था?
4 यहोवा हमारे इरादों और हमारी हदों को अच्छी तरह जानता है। इसलिए चाहे हम उसकी सेवा में कम करें या ज़्यादा, अगर यही हमारा सर्वोत्तम है, तो वह उसकी कदर करता है। दूसरों के लिए कदर दिखाने में यीशु हू-ब-हू अपने पिता जैसा था। ज़रा उस विधवा की कहानी को याद कीजिए, जिसने दो दमड़ी दान में दी थीं। बाइबल कहती है: “[यीशु] ने आंख उठाकर धनवानों को अपना अपना दान भण्डार में डालते देखा। और उस ने एक कंगाल बिधवा को भी उस में दो दमड़ियां डालते देखा। तब उस ने कहा; मैं तुम से सच कहता हूं कि इस कंगाल बिधवा ने सब से बढ़कर डाला है। क्योंकि उन सब ने अपनी अपनी बढ़ती में से दान में कुछ डाला है, परन्तु इस ने अपनी घटी में से अपनी सारी जीविका डाल दी है।”—लूका 21:1-4.
5 जी हाँ, यीशु उस औरत के हालात जानता था कि वह एक विधवा है और बहुत गरीब है। इसलिए उसने उसके दान की असली कीमत को समझा और उसकी दिल से कदर की। यही बात यहोवा के बारे में भी सच है। (यूहन्ना 14:9) क्या यह जानकर आपको हिम्मत नहीं मिलती है कि आपके हालात जैसे भी हों, आप कदरदान परमेश्वर और उसके बेटे यीशु की मंजूरी पा सकते हैं?
यहोवा उसका भय माननेवाले कूशी को इनाम देता है
6, 7. यहोवा ने एबेदमेलेक के लिए क्यों और कैसे कदरदानी दिखायी?
6 बाइबल में बार-बार यह बताया गया है कि यहोवा उसकी मरज़ी पूरी करनेवालों की कदर करता है और उन्हें इनाम देता है। गौर कीजिए कि परमेश्वर, उसका भय माननेवाले एबेदमेलेक कूशी के साथ कैसे पेश आता है। एबेदमेलेक, यिर्मयाह नबी के समय में जीया था और यहूदा के विश्वासघाती राजा, सिदकिय्याह के घराने का सेवक था। एबेदमेलेक को खबर मिलती है कि यहूदा के हाकिमों ने यिर्मयाह पर देशद्रोही होने का झूठा इलज़ाम लगाकर उसे गड्ढे में फिकवा दिया ताकि वह भूखा मर जाए। (यिर्मयाह 38:1-7) एबेदमेलेक जानता था कि लोग यिर्मयाह के संदेश की वजह से उससे सख्त नफरत करते हैं, फिर भी वह अपनी जान खतरे में डालकर यिर्मयाह के लिए राजा से दरखास्त करता है। वह बड़ी हिम्मत के साथ कहता है: “हे मेरे स्वामी, हे राजा, उन लोगों ने यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता से जो कुछ किया है वह बुरा किया है, क्योंकि उन्हों ने उसको गड़हे में डाल दिया है; वहां वह भूख से मर जाएगा।” फिर राजा के हुक्म पर एबेदमेलेक 30 आदमियों को लेकर परमेश्वर के नबी, यिर्मयाह को बचाता है।—यिर्मयाह 38:8-13.
7 यहोवा ने देखा कि एबेदमेलेक को उस पर विश्वास है और इस वजह से वह अपने डर पर काबू कर पाया है। इस बात के लिए यहोवा ने उसकी कदर की और यिर्मयाह के ज़रिए उससे कहा: “देख, मैं अपने वे वचन जो मैं ने इस नगर के विषय में कहे हैं इस प्रकार पूरा करूंगा कि इसका कुशल न होगा, हानि ही होगी, . . . उस समय मैं तुझे बचाऊंगा, और जिन मनुष्यों से तू भय खाता है, तू उनके वश में नहीं किया जाएगा। क्योंकि मैं तुझे निश्चय बचाऊंगा, . . . तेरा प्राण बचा रहेगा, . . . यह इस कारण होगा, कि तू ने मुझ पर भरोसा रखा है।” (यिर्मयाह 39:16-18) जी हाँ, यहोवा ने एबेदमेलेक, साथ ही यिर्मयाह को भी यहूदा के हाकिमों के हाथों से बचाया था। और बाद में, उन बाबुलियों से भी उनकी हिफाज़त की जिन्होंने यरूशलेम को खाक में मिला दिया था। भजन 97:10 कहता है: “[यहोवा] अपने भक्तों के प्राणों की रक्षा करता, और उन्हें दुष्टों के हाथ से बचाता है।”
“तेरा पिता जो गुप्त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा”
8, 9. जैसे यीशु की मिसाल दिखाती है, यहोवा किस तरह की प्रार्थनाओं की कदर करता है?
8 बाइबल प्रार्थना के बारे में जो कहती है, उससे इस बात का एक और सबूत मिलता है कि यहोवा हमारी भक्ति के कामों की कदर करता है और उन्हें बहुत अनमोल समझता है। एक बुद्धिमान पुरुष ने लिखा: “[परमेश्वर] सीधे लोगों की प्रार्थना से प्रसन्न होता है।” (नीतिवचन 15:8) यीशु के ज़माने में बहुत-से धर्म-गुरु सरेआम प्रार्थना करते थे। लेकिन उनमें परमेश्वर के लिए सच्ची श्रद्धा नहीं होती थी बल्कि वे लोगों की वाह-वाही पाने के लिए ऐसा करते थे। यीशु ने उनके बारे में कहा: “वे अपना प्रतिफल पा चुके।” फिर उसने अपने चेलों को यह हिदायत दी: “जब तू प्रार्थना करे, तो अपनी कोठरी में जा; और द्वार बन्द कर के अपने पिता से जो गुप्त में है प्रार्थना कर; और तब तेरा पिता जो गुप्त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा।”—मत्ती 6:5, 6.
9 बेशक, यीशु लोगों के सामने प्रार्थना करने की निंदा नहीं कर रहा था, क्योंकि कुछ मौकों पर खुद उसने भी ऐसा किया था। (लूका 9:16) इसके बजाय, वह यह बता रहा था कि जब हम यहोवा से सच्चे दिल से प्रार्थना करते हैं, न कि लोगों पर अपनी धाक जमाने के लिए, तो यहोवा हमारी प्रार्थनाओं की बहुत कदर करता है। दरअसल, जब हम अकेले में प्रार्थना करते हैं तो यह इस बात को ज़ाहिर करने का एक बढ़िया तरीका है कि हमें परमेश्वर से कितना प्यार है और हम उस पर कितना भरोसा रखते हैं। इसलिए इसमें कोई ताज्जुब की बात नहीं कि यीशु अकसर एक सुनसान जगह पर जाकर, अकेले में प्रार्थना करता था। एक बार, वह “भोर को दिन निकलने से बहुत पहिले” प्रार्थना के लिए एकांत जगह में चला गया था। दूसरे मौके पर, वह “पर्वत पर अकेले प्रार्थना करने के लिए चला गया” (NHT) था। इसके अलावा, उसने अपने 12 प्रेरितों को चुनने से पहले, पूरी रात अकेले में प्रार्थना की थी।—मरकुस 1:35; मत्ती 14:23; लूका 6:12, 13.
10. जब हम सच्चे मन से और गहरी भावना के साथ प्रार्थना करते हैं, तो हम किस बात का यकीन रख सकते हैं?
10 ज़रा सोचिए कि यहोवा ने अपने बेटे की दिल से की गयी प्रार्थनाओं को कितना ध्यान लगाकर सुना होगा! कुछ मौकों पर तो यीशु ने “ऊंचे शब्द से पुकार पुकारकर, और आंसू बहा बहाकर . . . बिनती की और भक्ति के कारण उस की सुनी गई।” (इब्रानियों 5:7; लूका 22:41-44) जब हम भी सच्चे मन से और गहरी भावना के साथ प्रार्थना करते हैं, तो हम पूरा यकीन रख सकते हैं कि स्वर्ग में रहनेवाला हमारा पिता कदरदानी की भावना दिखाते हुए, बड़े ध्यान से हमारी सुनता है। जी हाँ, “जितने [यहोवा को] सच्चाई से पुकारते हैं, उन सभों के वह निकट रहता है।”—भजन 145:18.
11. हम अकेले में जो भी करते हैं, उसके बारे यहोवा कैसा महसूस करता है?
11 अगर यहोवा गुप्त में की गयी हमारी प्रार्थनाओं की इतनी कदर करता है, तो ज़रा सोचिए, जब हम गुप्त में उसकी आज्ञा मानते हैं, तब वह हमारी कितनी कदर करता होगा! जी हाँ, हम अकेले में जो भी करते हैं, यहोवा उसे देखता है। (1 पतरस 3:12) जब किसी की नज़र हम पर नहीं होती उस वक्त भी अगर हम वफादार और आज्ञाकारी बने रहें, तो हम दिखाते हैं कि यहोवा के लिए हमारा ‘मन खरा’ है। यानी, हमारे इरादे नेक हैं और हमने ठान लिया है कि हम वही करेंगे जो सही है। (1 इतिहास 28:9) वाकई, ऐसे चालचलन से यहोवा का मन कितना आनंदित होता होगा!—नीतिवचन 27:11; 1 यूहन्ना 3:22.
12, 13. अपने दिलो-दिमाग की रक्षा करने और वफादार चेले नतनएल की तरह बनने के लिए, हमें क्या करना चाहिए?
12 इसलिए वफादार मसीही चोरी-छिपे ऐसा कोई भी पाप करने से सावधान रहते हैं, जो दिलो-दिमाग को भ्रष्ट कर देता है। जैसे पोर्नोग्राफी देखना और ऐसे मनोरंजन का मज़ा लेना जिसमें खून-खराबा दिखाया जाता है। हालाँकि कुछ पापों को इंसानों से छिपाया जा सकता है, मगर हम जानते हैं कि “सृष्टि की कोई वस्तु उससे छिपी नहीं है। जिसको हमें लेखा देना है, उसकी आंखों के सामने सब वस्तुएं खुली और बेपरदा हैं।” (इब्रानियों 4:13, आर.ओ.वी.; लूका 8:17) जो काम परमेश्वर को नापसंद हैं, उनसे दूर रहने की जी-तोड़ कोशिश करने से हम शुद्ध विवेक बनाए रख पाते हैं। साथ ही, हमें यह जानकर खुशी होती है कि हम पर परमेश्वर का अनुग्रह है। जी हाँ, इसमें कोई शक नहीं कि यहोवा ऐसे इंसान की सच्ची कदर करता है, “जो खराई से चलता और धर्म [या धार्मिकता] के काम करता है, और हृदय से सच बोलता है।”—भजन 15:1, 2.
13 मगर हम बुराई से भरी इस दुनिया में अपने दिलो-दिमाग की रक्षा कैसे कर सकते हैं? (नीतिवचन 4:23; इफिसियों 2:2) सभी आध्यात्मिक इंतज़ामों से फायदा उठाने के अलावा, हमें बुराई से दूर रहने और भलाई करने की अपनी भरसक कोशिश करनी चाहिए। इससे पहले की कोई गलत इच्छा हमारे मन में पनपे और हम पाप कर बैठें, हमें उसे तुरंत निकाल फेंकना चाहिए। (याकूब 1:14, 15) ज़रा सोचिए, आपको कितनी खुशी होगी अगर यीशु आपके बारे में भी वही कहे जो उसने नतनएल के बारे में कहा था: ‘देखो, इस इंसान में कोई कपट नहीं।’ (यूहन्ना 1:47) नतनएल को, जिसका दूसरा नाम बरतुलमै था, आगे चलकर यीशु के 12 प्रेरितों में से एक होने का अनोखा सम्मान मिला।—मरकुस 3:16-19.
“एक दयालु और विश्वासयोग्य महायाजक”
14. यीशु ने मरियम के काम के लिए कैसा अलग नज़रिया दिखाया?
14 यीशु “अदृश्य परमेश्वर [यहोवा] का प्रतिरूप” है। (कुलुस्सियों 1:15) इसलिए वह हमेशा से हू-ब-हू अपने पिता की तरह उन लोगों के लिए कदर दिखाता आया है, जो साफ दिल से परमेश्वर की सेवा करते हैं। उदाहरण के लिए, धरती पर अपनी जान कुरबान करने से पाँच दिन पहले, यीशु और उसके कुछ चेले एक शाम बैतनिय्याह में शमौन के घर पर मेहमान बनकर आए थे। वहीं लाजर और मार्था की बहन, मरियम ने “जटामांसी का आधा किलो बहुमूल्य” (जिसकी कीमत साल-भर की कमाई के बराबर थी) “और असली इत्र लेकर” यीशु के सिर और पाँवों पर डाला। (यूहन्ना 12:3, NHT) इस पर कुछ लोगों ने कहा: “इसको क्यों बरबाद किया गया?” (आर.ओ.वी.) मगर यीशु ने मरियम के इस काम को बहुत ही अलग नज़रिए से देखा। उसने इसे मरियम की बड़ी दरियादिली का सबूत माना और इसके पीछे छिपे गहरे अर्थ को भी समझा कि कुछ दिनों बाद होनेवाली उसकी मौत और दफनाए जाने के लिए मरियम उसे तैयार कर रही थी। इसलिए यीशु ने मरियम की नुक्ताचीनी नहीं की, बल्कि उसका आदर किया। उसने कहा: “सारे जगत में जहां कहीं यह सुसमाचार प्रचार किया जाएगा, वहां [इस स्त्री के] काम का वर्णन भी उसके स्मरण में किया जाएगा।”—मत्ती 26:6-13.
15, 16. यीशु धरती पर इंसान के तौर पर जीया और उसने परमेश्वर की सेवा की, इससे हमें क्या फायदा होता है?
15 हमारे लिए यह बड़े सम्मान की बात है कि यीशु जैसा कदरदान शख्स, हमारा अगुवा है! यही नहीं, धरती पर एक इंसान के तौर पर जीने के बाद यीशु, यहोवा के उस काम को पूरा करने के काबिल बना जो उसने उसके लिए ठहराया था। परमेश्वर का मकसद था कि यीशु, महायाजक और राजा बनकर सबसे पहले अभिषिक्त जनों को और फिर दुनिया के बाकी लोगों को फायदा पहुँचाए।—कुलुस्सियों 1:13; इब्रानियों 7:26; प्रकाशितवाक्य 11:15.
16 दरअसल, धरती पर आने से पहले ही यीशु को इंसानों में गहरी दिलचस्पी थी और उनसे खास लगाव था। (नीतिवचन 8:31) मगर जब वह खुद इंसान बनकर इस धरती पर जीया, तो वह और भी अच्छी तरह से समझ सका कि परमेश्वर की सेवा में हम इंसान किन आज़माइशों से गुज़रते हैं। प्रेरित पौलुस ने लिखा: “[यीशु] को चाहिए था, कि सब बातों में अपने भाइयों के समान बने; जिस से वह . . . एक दयालु और विश्वासयोग्य महायाजक बने . . . क्योंकि जब उस ने परीक्षा की दशा में दुख उठाया, तो वह उन की भी सहायता कर सकता है, जिन की परीक्षा होती है।” यीशु “हमारी निर्बलताओं में हमसे सहानुभूति” (NHT) रख सकता है, क्योंकि वह “सब बातों में हमारी नाईं परखा तो गया, तौभी निष्पाप निकला।”—इब्रानियों 2:17, 18; 4:15, 16.
17, 18. (क) एशिया मानइर की सात कलीसियाओं को लिखे खतों से यीशु की गहरी कदर कैसे ज़ाहिर होती है? (ख) उन अभिषिक्त मसीहियों को किस बात के लिए तैयार किया जा रहा था?
17 यीशु अपने चेलों की आज़माइशों को अच्छी तरह समझता है, यह बात उसके पुनरुत्थान के बाद खुलकर सामने आयी। ध्यान दीजिए उसने एशिया माइनर की सात कलीसियाओं को लिखे गए खतों में क्या कहा। इन खतों को प्रेरित यूहन्ना ने दर्ज़ किया था। यीशु ने स्मुरना की कलीसिया से कहा: “मैं तेरे क्लेश और दरिद्रता को जानता हूं।” दूसरे शब्दों में यीशु यह कह रहा था, ‘मैं तुम्हारी तकलीफों को अच्छी तरह समझता हूँ; मैं जानता हूँ कि तुम पर क्या बीत रही है।’ यीशु ने खुद आखिरी साँस तक तकलीफें झेली थीं, इसलिए उसने बड़ी करुणा के साथ पक्का यकीन दिलाते हुए कहा: “प्राण देने तक विश्वासी रह; तो मैं तुझे जीवन का मुकुट दूंगा।”—प्रकाशितवाक्य 2:8-10.
18 सातों कलीसियाओं को लिखे खतों में ऐसी बहुत-सी बातें दर्ज़ हैं, जो दिखाती हैं कि यीशु अपने चेलों की मुश्किलों से अच्छी तरह वाकिफ था। और वे जिस तरह खराई की ज़िंदगी जी रहे थे, वह उसकी सच्ची कदर भी करता था। (प्रकाशितवाक्य 2:1–3:22) ध्यान दीजिए कि यीशु, अभिषिक्त मसीहियों से बात कर रहा था जिन्हें उसके साथ स्वर्ग में हुकूमत करने की आशा थी। उन्हें भी प्रभु यीशु की तरह एक अहम भूमिका निभाने के लिए तैयार किया जा रहा था। वह भूमिका है, भविष्य में बड़ी करुणा के साथ मानवजाति पर मसीह के छुड़ौती बलिदान के फायदे लागू करना, जो सबसे बड़ी बीमारी पाप और मौत की शिकार है।—प्रकाशितवाक्य 5:9, 10; 22:1-5.
19, 20. “बड़ी भीड़” के लोग, यहोवा और उसके बेटे के लिए अपनी एहसानमंदी कैसे दिखाते हैं?
19 बेशक यीशु, सिर्फ अभिषिक्त जनों से ही नहीं बल्कि ‘अन्य भेड़’ के वफादार लोगों से भी प्यार करता है। (यूहन्ना 10:16, NW) आज जीनेवाले अन्य भेड़ के लाखों लोग बहुत जल्द उस “बड़ी भीड़” के सदस्य बनेंगे, जो ‘हरेक जाति में से’ निकली है और आनेवाले “बड़े क्लेश” से ज़िंदा बचेगी। (प्रकाशितवाक्य 7:9, 14) बड़ी तादाद में ये लोग, यीशु की तरफ इसलिए इकट्ठा हो रहे हैं क्योंकि वे उसके छुड़ौती बलिदान और हमेशा जीने की आशा के लिए एहसानमंद हैं। वे अपनी एहसानमंदी कैसे दिखाते हैं? वे “दिन रात [परमेश्वर] की सेवा” करने के ज़रिए ऐसा करते हैं।—प्रकाशितवाक्य 7:15-17.
20 सन् 2006 के सेवा साल के दौरान, दुनिया-भर में जो काम किया गया, उसकी रिर्पोट साफ दिखाती है कि ये वफादार सेवक वाकई “दिन रात” यहोवा की पवित्र “सेवा” कर रहे हैं। दरअसल इन्होंने पिछले एक साल के दौरान, धरती पर बचे हुए चंद अभिषिक्त जनों के साथ मिलकर कुल 1,33,39,66,199 घंटे प्रचार में बिताए हैं। ये घंटे 1,50,000 से भी ज़्यादा सालों के बराबर हैं!
एहसानमंदी की भावना दिखाते रहिए!
21, 22. (क) खासकर आज, मसीहियों को एहसानमंदी दिखाने के मामले में क्यों सावधान रहना चाहिए? (ख) अगले लेख में किस बात पर चर्चा की जाएगी?
21 यहोवा और उसका बेटा असिद्ध इंसानों की कदर करते हैं, यह बात वाकई हमारे दिल को छू जाती है! मगर अफसोस, दुनिया के ज़्यादातर लोग परमेश्वर के बारे में बिलकुल नहीं सोचते बल्कि अपनी ही ख्वाहिशों को पूरा करने में डूबे रहते हैं। पौलुस ने “अन्तिम दिनों” में जीनेवाले लोगों के बारे में लिखा था कि वे “ख़ुदग़र्ज़, लालची . . . नाशुक्र” (हिन्दुस्तानी बाइबल) होंगे। (2 तीमुथियुस 3:1-5) लेकिन सच्चे मसीही दुनिया के लोगों जैसे बिलकुल नहीं हैं। इसके बजाय, परमेश्वर ने उनकी खातिर जो कुछ किया है, उसके लिए वे शुक्रगुज़ार हैं। और वे दिल से प्रार्थना करने, अपनी मरज़ी से उसकी आज्ञा मानने और तन-मन से उसकी सेवा करने के ज़रिए अपनी एहसानमंदी दिखाते हैं।—भजन 62:8; मरकुस 12:30; 1 यूहन्ना 5:3.
22 यहोवा ने प्यार से हमारे लिए बहुत-से आध्यात्मिक इंतज़ाम किए हैं, इनमें से कुछ पर हम अगले लेख में चर्चा करेंगे। जब हम इन ‘अच्छे वरदानों’ पर मनन करेंगे तो इनके लिए हमारी कदरदानी और भी गहरी होगी।—याकूब 1:17. (w07 2/1)
आप क्या जवाब देंगे?
• यहोवा ने कैसे दिखाया है कि वह एक कदरदान परमेश्वर है?
• हम अकेले में परमेश्वर का मन कैसे आनंदित कर सकते हैं?
• यीशु ने किन तरीकों से कदरदानी दिखायी थी?
• धरती पर इंसान के तौर पर जीने से, यीशु को करुणा और कदर दिखानेवाला शासक बनने में कैसे मदद मिली?
[अध्ययन के लिए सवाल]
[पेज 22 पर तसवीर]
जैसे एक माँ अपनी बिटिया के दिए मामूली तोहफे की कदर करती है, वैसे ही जब हम यहोवा को अपना सर्वोत्तम देते हैं तो वह उसकी कदर करता है