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व्यावहारिक सलाहें!

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व्यावहारिक सलाहें!

आजकल ऐसी किताबों का अंबार लगा हुआ है, जो लोगों को अपनी समस्याएँ खुद सुलझाने में मदद देने का दावा करती हैं। मगर इनमें दी ज़्यादातर सलाहें, सिर्फ ऐसे लोगों के लिए होती हैं जो मुसीबत में फँसे होते हैं। लेकिन बाइबल इन सभी किताबों से एकदम अलग है। इसकी सलाहों से न सिर्फ समस्याओं से घिरे लोगों को फायदा होता है, बल्कि दूसरों को भी मदद मिलती है। यह एक इंसान को ऐसी गलती करने से दूर रहने में मदद देती है, जिससे उसकी ज़िंदगी बेवजह की परेशानियों में उलझ सकती है।

बाइबल “भोलों को चतुराई, और जवान को ज्ञान और विवेक” दे सकती है। (नीतिवचन 1:4) अगर आप बाइबल में दी सलाह पर अमल करें, तो ‘विवेक आपको सुरक्षित रखेगा और समझ आपकी रक्षक होगी, ताकि आपको बुराई के मार्ग से बचाए।’ (नीतिवचन 2:11, 12) अब आइए ऐसी कुछ खास मिसालों पर गौर करें और यह देखें कि बाइबल की सलाहों को मानने से आप कैसे अपनी सेहत की देखभाल कर सकते हैं, अपने परिवार को सुखी बना सकते हैं और एक अच्छे कर्मचारी या मालिक बन सकते हैं।

हद-से-ज़्यादा शराब पीने से दूर रहिए

बाइबल, सही मात्रा में शराब पीने को गलत नहीं बताती। प्रेरित पौलुस ने जब जवान तीमुथियुस को थोड़ा दाखमधु लेने की सलाह दी, तो उसने बताया था कि यह दवा के तौर पर काम करती है। उसने कहा: “अपने पेट के और अपने बार बार बीमार होने के कारण थोड़ा थोड़ा दाखरस भी काम में लाया कर।” (1 तीमुथियुस 5:23) बाइबल की दूसरी आयतें दिखाती हैं कि परमेश्‍वर ने दाखमधु का इंतज़ाम सिर्फ इसलिए नहीं किया कि यह बस दवा के तौर पर लिया जाए। इसके बजाय, बाइबल कहती है कि इससे “मनुष्य का मन आनन्दित” होता है। (भजन 104:15) फिर भी, यह “पियक्कड़” बनने से खबरदार करती है। (तीतुस 2:3) यह कहती है: “दाखमधु के पीनेवालों में न होना, न मांस के अधिक खानेवालों की संगति करना; क्योंकि पियक्कड़ और खाऊ अपना भाग खोते हैं।” (नीतिवचन 23:20, 21) जब इस तरह की अच्छी सलाह को नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है, तो इसका क्या अंजाम होता है? यह जानने के लिए, आइए कुछ देशों से मिली रिपोर्ट पर एक नज़र डालें।

विश्‍व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट, ग्लोबल स्टेटस रिपोर्ट ऑन एलकहॉल 2004 कहती है: ‘आयरलैंड के रहनेवालों को शराब से होनेवाली समस्याओं को हल करने में, हर साल लगभग 132 अरब रुपए खर्च करने पड़ते हैं।’ रिपोर्ट आगे कहती है कि इतने भारी खर्चे में यह सब भी शामिल है: ‘इलाज का खर्चा (करीब 15.4 अरब रुपए), सड़क दुर्घटनाओं से हुआ नुकसान (करीब 16.7 अरब रुपए), शराब के नशे में किए अपराधों से हुआ नुकसान (करीब 5.5 अरब रुपए) और शराब की वजह से काम पर न आने से हुआ घाटा (करीब 57.2 अरब रुपए)।’

लेकिन हद-से-ज़्यादा शराब पीने की वजह से न सिर्फ आर्थिक नुकसान होता है, बल्कि उससे भी बढ़कर इंसानों को बहुत-सी तकलीफें झेलनी पड़ती हैं। वह कैसे? मिसाल के लिए, ऑस्ट्रेलिया में 1 साल के अंदर करीब 50 करोड़ से भी ज़्यादा लोगों ने पियक्कड़ों के हाथों मार खायी थी। फ्रांस में जितने भी घरों में लड़ाई-झगड़े होते हैं, उनमें से 30 प्रतिशत घरों में ऐसा, शराब के गलत इस्तेमाल की वजह से होता है। इन सारी बातों के चलते, क्या आपको नहीं लगता कि शराब के बारे में बाइबल की सलाह एकदम सही है?

ऐसी आदतों से बचिए जो शरीर को दूषित करती हैं

सन्‌ 1942 में जब सिगरेट पीना एक चलन था, तब इस पत्रिका ने अपने पाठकों को यह समझने में मदद दी कि तंबाकू का इस्तेमाल करना, बाइबल के सिद्धांतों के खिलाफ है। इसलिए हमें ऐसी चीज़ों से दूर रहना चाहिए। उसी साल छपे एक लेख में यह दलील दी गयी कि जो परमेश्‍वर को खुश करना चाहते हैं, उन्हें बाइबल की इस आज्ञा को मानना होगा: “अपने आप को शरीर और आत्मा की सब मलिनता से शुद्ध करें।” (2 कुरिन्थियों 7:1) आज उस लेख को छपे करीब 65 साल बीत चुके हैं, मगर क्या उसमें दी बाइबल की सलाह बुद्धि-भरी साबित नहीं हुई है?

सन्‌ 2006 में, विश्‍व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि तंबाकू का इस्तेमाल करना, “दुनिया में होनेवाली मौत की दूसरी सबसे बड़ी वजह है।” हर साल लगभग 50 लाख लोग तंबाकू लेने की वजह से मौत के मुँह में चले जाते हैं। जबकि एच.आई.वी./एड्‌स से सालाना करीब 30 लाख लोग मरते हैं। बीसवीं सदी के दौरान, अनुमान लगाया गया कि धूम्रपान की वजह से 10 करोड़ लोगों की मौत हुई है। यह संख्या उसी सदी में सभी युद्धों में मारे गए लोगों के बराबर है। इसलिए आज दुनिया में ज़्यादातर लोग तंबाकू से दूर रहने की सलाह को मानते हैं।

“व्यभिचार से भागो”

लैंगिक मामलों के बारे में बाइबल जो कहती है, उसे बहुत-से लोग फौरन कबूल नहीं करते। कई लोगों को यह सिखाया गया है कि हर तरह की लैंगिक इच्छाएँ गलत हैं। मगर बाइबल हर तरह की लैंगिक इच्छाओं को गलत नहीं बताती। फिर भी, यह इस बारे में बेहतरीन सलाह ज़रूर देती है कि एक इंसान को अपने मन में उठनेवाली लैंगिक इच्छाओं के बारे में क्या करना चाहिए। बाइबल सिखाती है कि लैंगिक संबंध सिर्फ पति-पत्नी के बीच होना चाहिए। (उत्पत्ति 2:24; मत्ती 19:4-6; इब्रानियों 13:4) इस संबंध के ज़रिए, वे एक-दूसरे के लिए अपना प्यार और कोमल स्नेह दिखा पाते हैं। (1 कुरिन्थियों 7:1-5) और जब उनकी कोई संतान होती है, तो उसे ऐसे माँ-बाप का लाड़-प्यार मिलता है जो एक-दूसरे की बहुत परवाह करते हैं।—कुलुस्सियों 3:18-21.

लैंगिक अनैतिकता के बारे में बाइबल आज्ञा देती है: “व्यभिचार से भागो।” (1 कुरिन्थियों 6:18, NHT) बाइबल यह आज्ञा क्यों देती है? इसकी एक वजह बताते हुए वही आयत आगे कहती है: “अन्य सारे पाप जो मनुष्य करता है देह के बाहर होते हैं, परन्तु व्यभिचारी तो अपनी देह के विरुद्ध पाप करता है।” जब लैंगिक मामलों के बारे में दी बाइबल की सलाह को ताक पर रख दिया जाता है, तो इसके क्या अंजाम होते हैं?

गौर कीजिए कि अमरीका में क्या हो रहा है, जो दुनिया के सबसे अमीर देशों में से एक है। इस देश में 13-19 साल की लड़कियों के गर्भवती होने की दर सबसे ऊँची है। यहाँ हर साल तकरीबन 8,50,000 लड़कियाँ गर्भवती होती हैं। ऐसे में जो लड़कियाँ गर्भपात नहीं करातीं, वे कुँवारी माएँ बन जाती हैं। इसमें कोई शक नहीं कि इनमें से कई माएँ अपने बच्चों को प्यार और अनुशासन के साथ पाल-पोसकर बड़ा करने में अपनी भरसक कोशिश करती हैं और कुछ इसमें कामयाब भी होती हैं। मगर फिर भी, कड़वा सच तो यह है कि ज़्यादातर मामलों में किशोर माँओं के बेटे आखिरकार सलाखों के पीछे पहुँच जाते हैं और उनकी बेटियाँ भी कमसिन उम्र में कुँवारी माएँ बन जाती हैं। पिछले कई दशकों के आँकड़ों का अध्ययन करने के बाद, खोजकर्ता रॉबर्ट लरमन लिखते हैं: “आज ऐसे परिवारों की गिनती बढ़ती जा रही है, जिनमें अकेली माँ या अकेला पिता घर चलाता है। और ऐसे परिवारों की वजह से समाज में दूसरी समस्याएँ भी बढ़ती जा रही हैं। जैसे, पढ़ाई छोड़ देनेवाले बच्चों की गिनती बढ़ रही है, ज़्यादा-से-ज़्यादा जवान ड्रग्स और शराब का इस्तेमाल कर रहे हैं, कच्ची उम्र की लड़कियाँ माँ बन रही हैं, और जहाँ देखो वहाँ किशोर खून-खराबा कर रहे हैं।”

जो लोग बदचलन ज़िंदगी जीते हैं, उनकी शारीरिक और मानसिक सेहत को कई बड़े-बड़े खतरे हो सकते हैं। मिसाल के लिए, पेडियाट्रिक्स पत्रिका कहती है: “आँकड़े दिखाते हैं कि जो किशोर लैंगिक कामों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं, उनमें निराशा होने और खुदकुशी करने का ज़्यादा खतरा रहता है।” सेहत से जुड़े दूसरे खतरों के बारे में, अमरीकी समाज स्वास्थ्य संघ का कहना है: “[अमरीका में] आधे से ज़्यादा लोग एक-न-एक-दिन नाजायज़ संबंध से फैलनेवाली किसी एक बीमारी के शिकार होंगे।” ज़रा सोचिए, अगर लोग लैंगिक मामलों के बारे में बाइबल में दी व्यावहारिक सलाह को मानें, तो वे कितने दुःख-दर्द और परेशानियों से बच सकते हैं!

परिवार के बंधन को मज़बूत कीजिए

बाइबल सिर्फ ऐसी आदतों से दूर रहने के बारे में खबरदार नहीं करती, जिनसे एक इंसान को भारी नुकसान पहुँच सकता है। इसके बजाय, यह पारिवारिक ज़िंदगी को बेहतर बनाने के बारे में व्यावहारिक सलाहें भी देती हैं। आइए इनमें से कुछ सलाहों पर गौर करें।

परमेश्‍वर का वचन कहता है: “पति अपनी अपनी पत्नी से अपनी देह के समान प्रेम रखे।” (इफिसियों 5:28) पतियों को सलाह दी गयी है कि वे अपनी-अपनी पत्नी को तुच्छ न समझें, बल्कि ‘बुद्धिमानी से उनके साथ जीवन निर्वाह करें और स्त्री को निर्बल पात्र जानकर उसका आदर करें।’ (1 पतरस 3:7) जब पति-पत्नी में झगड़ा हो जाता है तो ऐसे में पति को क्या करना चाहिए, इस बारे में बाइबल सलाह देती है: ‘अपनी पत्नी से प्रेम रखो, और उससे कठोरता न करो [‘उसके ख़िलाफ़ अपने दिल में कड़वाहट न रखो,’ हिन्दुस्तानी बाइबल]।’ (कुलुस्सियों 3:19) क्या आप इस बात से सहमत नहीं कि अगर एक पति इस सलाह को लागू करे, तो वह अपनी पत्नी का प्यार और आदर जीत पाएगा?

बाइबल, पत्नियों को यह हिदायत देती है: “हे पत्नियो, अपने अपने पति के ऐसे आधीन रहो, जैसे प्रभु के। क्योंकि पति पत्नी का सिर है जैसे कि मसीह कलीसिया का सिर है।” बाइबल यह भी कहती है: “पत्नी . . . अपने पति का आदर करे।” (आर.ओ.वी.) (इफिसियों 5:22, 23, 33) क्या आपको नहीं लगता कि अगर एक पत्नी अपने पति से बात करते वक्‍त या उसके बारे में दूसरों को बताते वक्‍त इस सलाह को माने, तो उसका पति उसे दिलो-जान से प्यार करेगा?

माता-पिता, आप अपने बच्चों को तालीम कैसे दे सकते हैं? इस सिलसिले में बाइबल यह सलाह देती है कि आप “घर में बैठे, मार्ग पर चलते, लेटते, उठते” वक्‍त अपने बच्चों के साथ खुलकर बातें कीजिए। (व्यवस्थाविवरण 6:7) खासकर पिताओं को यह हिदायत दी गयी है कि वे अपने बच्चों को ऊँचे नैतिक आदर्श सिखाएँ और प्यार से अनुशासन दें। परमेश्‍वर का वचन कहता है: “पिताओ, अपने बच्चों को क्रोध न दिलाओ, वरन्‌ प्रभु की शिक्षा और अनुशासन में उनका पालन-पोषण करो।” (इफिसियों 6:4, NHT) दूसरी तरफ, बच्चों से यह कहा गया है: “अपने माता-पिता के आज्ञाकारी बनो” और “अपनी माता और पिता का आदर क[रो]।” *इफिसियों 6:1, 2.

क्या आपको लगता है कि बाइबल में दी सलाहों को मानने से परिवार सुखी हो सकते हैं? आप शायद कहें: ‘ये सलाहें सुनने में तो अच्छी लगती हैं, मगर क्या ये वाकई फायदेमंद हैं?’ हम आपको न्यौता देते हैं कि आप अपने इलाके में यहोवा के साक्षियों के राज्य घर में जाएँ। वहाँ आप ऐसे परिवारों से मिल पाएँगे जो बाइबल की बुद्धि-भरी सलाहों पर चलने की कोशिश कर रहे हैं। उनसे बात कीजिए। गौर से देखिए कि परिवार के सदस्य एक-दूसरे के साथ कैसे पेश आते हैं। आप पाएँगे कि बाइबल के सिद्धांतों पर चलने से वाकई परिवार सुखी हो सकते हैं!

एक मेहनती कर्मचारी और एक अच्छा मालिक

अपनी नौकरी को बरकरार रखने के लिए एक इंसान को जो जद्दोजेहद करनी पड़ती है, उसके बारे में बाइबल क्या कहती है? बाइबल कहती है कि जो कर्मचारी अपने काम में निपुण होता है, ज़ाहिर है कि उसकी कदर की जाएगी और उसे इनाम भी दिया जाएगा। बुद्धिमान राजा सुलैमान ने कहा: “यदि तू ऐसा पुरुष देखे जो कामकाज में निपुण हो, तो वह राजाओं के सम्मुख खड़ा होगा।” (नीतिवचन 22:29) दूसरी तरफ, एक “आलसी” इंसान से उसके मालिक को वैसी ही चिढ़ होती है, जैसी ‘धुएं से आंखों’ को जलन होती है। (नीतिवचन 10:26) बाइबल, कर्मचारियों को ईमानदार और मेहनती होने का बढ़ावा देती है। वह कहती है: “चोरी करनेवाला फिर चोरी न करे; बरन भले काम करने में अपने हाथों से परिश्रम करे।” (इफिसियों 4:28) यह सलाह उस वक्‍त भी लागू होती है, जब मालिक नहीं देख रहा होता है। “जो शरीर के अनुसार तुम्हारे स्वामी हैं, सब बातों में उन की आज्ञा का पालन करो, मनुष्यों को प्रसन्‍न करनेवालों की नाईं दिखाने के लिये नहीं, परन्तु मन की सीधाई और परमेश्‍वर के भय से।” (कुलुस्सियों 3:22) अगर आप एक मालिक हैं, तो क्या आप एक ऐसे कर्मचारी की कदर नहीं करेंगे जो इस सलाह पर चलता हो?

बाइबल, मालिकों को याद दिलाती है: “मजदूर अपनी मजदूरी का हक्कदार है।” (1 तीमुथियुस 5:18) इस्राएलियों को दी परमेश्‍वर की कानून-व्यवस्था में यह हिदायत दी गयी थी कि मालिक अपने कर्मचारियों को वक्‍त पर, सही मज़दूरी दें। मूसा ने लिखा: “एक दूसरे पर अन्धेर न करना, और न एक दूसरे को लूट लेना। और मज़दूर की मज़दूरी तेरे पास सारी रात बिहान तक न रहने पाए।” (लैव्यव्यवस्था 19:13) क्या आप ऐसे मालिक के लिए काम करना पसंद नहीं करेंगे, जो बाइबल की इस सलाह के मुताबिक आपको ठीक समय पर और सही तनख्वाह देता हो?

बुद्धि का सबसे महान स्रोत

क्या आपको इस बात से हैरानी होती है कि दुनिया की सबसे पुरानी किताब, बाइबल में ऐसी सलाहें दी गयी हैं जो आज भी व्यावहारिक हैं? क्या वजह है कि बाइबल की अहमियत अब भी नहीं घटी है, जबकि बहुत-सी दूसरी किताबों में लिखी बातें पुरानी और बेमाने हो गयी हैं? इसकी एक वजह यह है कि बाइबल, इंसानों की किताब नहीं बल्कि यह “परमेश्‍वर का वचन” है।—1 थिस्सलुनीकियों 2:13.

हम आपको बढ़ावा देते हैं कि आप वक्‍त निकालकर परमेश्‍वर के वचन के बारे में और जानें। अगर आप ऐसा करें, तो आपके दिल में बाइबल के रचयिता, यहोवा परमेश्‍वर से लगाव पैदा होगा। वह जो सलाह देता है, उसे लागू कीजिए और फिर देखिए कि कैसे आप खतरों से बच पाएँगे और आपकी ज़िंदगी खुशनुमा बन जाएगी। यही नहीं, आप ‘परमेश्‍वर के निकट आएँगे और वह भी आपके निकट आएगा।’ (याकूब 4:8) जी हाँ, बाइबल जैसी और कोई किताब नहीं जो आपको इस तरह मदद दे सके! (w07 4/1)

[फुटनोट]

^ बाइबल के जो सिद्धांत आपके परिवार की मदद कर सकते हैं, उनके बारे में ज़्यादा जानने के लिए किताब पारिवारिक सुख का रहस्य देखिए। इसे यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है।

[पेज 4 पर तसवीर]

क्या आपको लगता है कि शराब पीने के बारे में बाइबल जो सलाह देती है, वह फायदेमंद है?

[पेज 5 पर तसवीर]

क्या आप तंबाकू से दूर रहने की बाइबल की सलाह से सहमत हैं?

[पेज 7 पर तसवीरें]

बाइबल की सलाह मानने से परिवार सुखी होता है

[पेज 5 पर चित्र का श्रेय]

पृथ्वी: Based on NASA Photo