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स्वर्गदूतों का इंसानों पर क्या असर होता है

स्वर्गदूतों का इंसानों पर क्या असर होता है

स्वर्गदूतों का इंसानों पर क्या असर होता है

“इस के बाद मैं ने एक स्वर्गदूत को स्वर्ग से उतरते देखा, जिस का बड़ा अधिकार था। . . . उस ने ऊंचे शब्द से पुकारकर कहा, कि गिर गया बड़ा बाबुल गिर गया है।”—प्रकाशितवाक्य 18:1,2.

1, 2. क्या बात दिखाती है कि यहोवा अपनी मरज़ी पूरी करने के लिए स्वर्गदूतों का इस्तेमाल करता है?

 बुज़ुर्ग प्रेरित यूहन्‍ना को जब देशनिकाला देकर पतमुस के द्वीप में कैद किया गया था, तब उसे दर्शन के ज़रिए कई भविष्यवाणियाँ दी गयी थीं। वह ‘आत्मा में प्रभु के दिन में आया’ और उसने उस दौरान होनेवाली कई हैरतअँगेज़ घटनाएँ देखीं। प्रभु का यह दिन, सन्‌ 1914 में शुरू हुआ जब यीशु मसीह राजा बना और यह उस वक्‍त खत्म होगा जब उसके हज़ार साल के राज्य का अंत होगा।—प्रकाशितवाक्य 1:10.

2 यहोवा परमेश्‍वर ने यहून्‍ना को ये दर्शन सीधे-सीधे नहीं दिए। प्रकाशितवाक्य 1:1 कहता है: “यीशु मसीह का प्रकाशितवाक्य जो उसे परमेश्‍वर ने इसलिये दिया, कि अपने दासों को वे बातें, जिन का शीघ्र होना अवश्‍य है, दिखाए: और उस ने अपने स्वर्गदूत को भेजकर उसके द्वारा अपने दास यूहन्‍ना को बताया।” यहोवा ने “प्रभु के दिन” की शानदार बातें यीशु को बतायीं और यीशु ने एक स्वर्गदूत के ज़रिए उन बातों को यूहन्‍ना तक पहुँचाया। इसके अलावा, यहून्‍ना ने एक दर्शन में “एक स्वर्गदूत को स्वर्ग से उतरते देखा, जिस का बड़ा अधिकार था।” इस स्वर्गदूत को क्या ज़िम्मेदारी दी गयी थी? बाइबल कहती है: “उसने ऊंचे शब्द से पुकारकर कहा, कि गिर गया बड़ा बाबुल गिर गया है”! (प्रकाशितवाक्य 18:1,2) इस शक्‍तिशाली स्वर्गदूत को यह सुअवसर दिया गया था कि वह बड़े बाबुल यानी दुनिया-भर में फैले झूठे धर्मों के साम्राज्य के गिरने की घोषणा करे। इससे साफ पता चलता है कि यहोवा अपनी मरज़ी को पूरा करने के लिए स्वर्गदूतों को एक अहम तरीके से इस्तेमाल करता है। परमेश्‍वर के मकसद में स्वर्गदूतों की क्या भूमिका है और उनका हम पर क्या असर होता है, इस बारे में गहराई से जाँचने से पहले आइए देखें कि ये आत्मिक प्राणी कैसे वजूद में आए।

स्वर्गदूत कैसे वजूद में आए?

3. स्वर्गदूतों के बारे में बहुत-से लोग क्या गलत धारणाएँ रखते हैं?

3 आज लाखों लोग यह मानते हैं कि स्वर्गदूत होते हैं। मगर वे असल में कौन हैं और उनकी शुरूआत कैसे हुई, इस बारे में बहुत-से लोग गलत धारणाएँ रखते हैं। मिसाल के लिए, कुछ धर्म के लोग सोचते हैं कि जब उनके किसी अज़ीज़ की मौत हो जाती है, तो उसे परमेश्‍वर अपने पास स्वर्ग में बुला लेता है और वह एक स्वर्गदूत बन जाता है। मगर क्या परमेश्‍वर का वचन भी यही सिखाता है? आइए देखें कि बाइबल, स्वर्गदूतों की सृष्टि, उनके वजूद और मकसद के बारे में क्या सिखाती है।

4. बाइबल, स्वर्गदूतों की शुरूआत के बारे में क्या बताती है?

4 स्वर्गदूतों में सबसे ऊँचा ओहदा रखनेवाला और सबसे ज़्यादा ताकतवर, प्रधान स्वर्गदूत मीकाएल है। (यहूदा 9) यह कोई और नहीं बल्कि यीशु मसीह है। (1 थिस्सलुनीकियों 4:16) अनगिनत युगों पहले जब यहोवा ने सृष्टि का काम शुरू किया, तो उसने सबसे पहले अपने पुत्र यीशु को बनाया। (प्रकाशितवाक्य 3:14) बाद में, उसने अपने इसी पहिलौठे पुत्र के ज़रिए दूसरे आत्मिक प्राणियों की रचना की। (कुलुस्सियों 1:15-17) इन आत्मिक प्राणियों को अपना पुत्र बताते हुए, यहोवा ने कुलपिता अय्यूब से पूछा: “जब मैं ने पृथ्वी की नेव डाली, तब तू कहां था? यदि तू समझदार हो तो उत्तर दे। . . . किस ने उसके कोने का पत्थर बिठाया, जब कि भोर के तारे एक संग आनन्द से गाते थे और परमेश्‍वर के सब पुत्र जयजयकार करते थे?” (अय्यूब 38:4,6,7) इससे साफ ज़ाहिर है कि स्वर्गदूत, परमेश्‍वर के हाथों की सृष्टि हैं और वे इंसानों के बनाए जाने से मुद्दतों पहले वजूद में आ गए थे।

5. स्वर्गदूतों को कैसे संगठित किया गया है?

5 पहला कुरिन्थियों 14:33 कहता है: “परमेश्‍वर गड़बड़ी का नहीं, परन्तु शान्ति का कर्त्ता है।” इसलिए यहोवा ने अपने आत्मिक पुत्रों को ओहदे के हिसाब से तीन समूहों में संगठित किया है। (1) साराप, जो परमेश्‍वर के सिंहासन के पास उसकी सेवा के लिए तैयार खड़े रहते हैं, परमेश्‍वर की पवित्रता का ऐलान करते हैं और उसके लोगों को आध्यात्मिक तरीके से शुद्ध बनाए रखते हैं। (2) करूब, जो परमेश्‍वर के वैभव और उसकी महानता की पैरवी करते हैं। (3) बाकी स्वर्गदूत, जो परमेश्‍वर की मरज़ी पूरी करते हैं। (भजन 103:20; यशायाह 6:1-3; यहेजकेल 10:3-5; दानिय्येल 7:10, किताब-ए-मुकद्दस) ये आत्मिक प्राणी किन तरीकों से इंसानों पर असर करते हैं?—प्रकाशितवाक्य 5:11.

स्वर्गदूत क्या भूमिका निभाते हैं?

6. अदन के बाग में यहोवा ने करूबों को क्या काम दिया?

6 आत्मिक प्राणियों का सबसे पहला और सीधे-सीधे ज़िक्र उत्पत्ति 3:24 में मिलता है। वहाँ हम पढ़ते हैं: ‘यहोवा ने आदम को अदन की बाटिका से निकाल दिया और जीवन के वृक्ष के मार्ग का पहरा देने के लिये बाटिका के पूर्व की ओर करूबों को, और चारों ओर घूमनेवाली ज्वालामय तलवार को भी नियुक्‍त कर दिया।’ अदन के बाग पर तैनात इन करूबों की वजह से, अब आदम और हव्वा के लिए दोबारा अपने घर यानी उस बाग में घुसना नामुमकिन था। यह घटना इंसान के इतिहास की शुरूआत में घटी थी। तब से स्वर्गदूत क्या भूमिका निभा रहे हैं?

7. बाइबल की मूल भाषाओं में जिन शब्दों का अनुवाद “स्वर्गदूत” किया गया है, उनसे स्वर्गदूतों की भूमिका के बारे में क्या पता चलता है?

7 बाइबल में स्वर्गदूतों का ज़िक्र करीब 400 बार किया गया है। जिन इब्रानी और यूनानी शब्दों का अनुवाद “स्वर्गदूत” किया गया है, उनका मतलब है, “संदेश पहुँचानेवाला।” इससे पता चलता है कि परमेश्‍वर, स्वर्गदूतों के ज़रिए इंसानों से बात करता था। जैसे इस लेख के पहले दो पैराग्राफों में बताया गया है, यहोवा ने अपना संदेश प्रेरित यहून्‍ना तक पहुँचाने के लिए एक स्वर्गदूत का इस्तेमाल किया था।

8, 9. (क) जब एक स्वर्गदूत ने आकर मानोह और उसकी पत्नी से बात की, तो इसका उन पर क्या असर हुआ? (ख) मानोह की मिसाल से माता-पिता क्या सबक सीख सकते हैं?

8 परमेश्‍वर, स्वर्गदूतों का इस्तेमाल धरती पर अपने लोगों की मदद करने और उनकी हिम्मत बँधाने के लिए भी करता है। मिसाल के लिए, इस्राएल में न्यायियों के ज़माने में, मानोह और उसकी बाँझ पत्नी एक बच्चे के लिए तरस रहे थे। इस पर यहोवा ने मानोह की पत्नी के पास अपना एक स्वर्गदूत भेजा, जिसने उससे कहा: “तू गर्भवती होगी और तेरे एक बेटा उत्पन्‍न होगा। और उसके सिर पर छुरा न फिरे, क्योंकि वह जन्म ही से परमेश्‍वर का नाज़ीर रहेगा; और इस्राएलियों को पलिश्‍तियों के हाथ से छुड़ाने में वही हाथ लगाएगा।”—न्यायियों 13:1-5.

9 कुछ समय बाद, मानोह की पत्नी ने एक बेटे को जन्म दिया जिसका नाम शिमशोन रखा गया और वह आगे चलकर बाइबल के इतिहास में मशहूर हो गया। (न्यायियों 13:24) शिमशोन के जन्म से पहले, उसके पिता मानोह ने यहोवा से बिनती की कि वह उसी स्वर्गदूत को दोबारा उनके पास भेजे ताकि वह उन्हें बच्चे की परवरिश के बारे में हिदायतें दे सके। जब वह स्वर्गदूत, मानोह के पास आया, तो मानोह ने उससे पूछा: “वह लड़का कैसा जीवन बिताएगा? वह क्या करेगा?” (ईज़ी-टू-रीड वर्शन) तो स्वर्गदूत ने वही हिदायतें दोहरायीं जो उसने मानोह की पत्नी को दी थीं। (न्यायियों 13:6-14) इससे मानोह को कितनी हिम्मत मिली होगी! हालाँकि आज, स्वर्गदूत इस तरह इंसानों के सामने प्रकट नहीं होते, मगर फिर भी माता-पिता मानोह की मिसाल से एक सबक सीख सकते हैं। वह यह कि उन्हें अपने बच्चों को तालीम देने के लिए, यहोवा से मार्गदर्शन माँगना चाहिए।—इफिसियों 6:4.

10, 11. (क) अराम की सेना को देखकर एलीशा और उसके सेवक पर क्या असर हुआ? (ख) इस वाकया पर गहराई से सोचने से हमें क्या फायदा हो सकता है?

10 स्वर्गदूतों के ज़रिए मिलनेवाली मदद की एक और बेहतरीन मिसाल, भविष्यवक्‍ता एलीशा के दिनों में देखने को मिलती है। एलीशा, इस्राएल के दोतान नगर में ठहरा हुआ था। एक दिन जब सुबह-सुबह उसका सेवक जागा, तो उसने बाहर आकर देखा कि नगर घोड़ों और रथों से घिरा हुआ है। अराम के राजा ने एलीशा को पकड़वाने के लिए अपनी ताकतवर फौज भेजी थी। यह देखकर एलीशा के सेवक पर क्या असर हुआ? वह बहुत डर गया और उसने कहा: “हाय! मेरे स्वामी, हम क्या करें?” उसे लगा कि अब बचने का कोई रास्ता नहीं। मगर एलीशा ने उससे कहा: “मत डर; क्योंकि जो हमारी ओर हैं, वह उन से अधिक हैं, जो उनकी ओर हैं।” एलीशा के कहने का क्या मतलब था?—2 राजा 6:11-16.

11 एलीशा अच्छी तरह जानता था कि उसकी मदद के लिए स्वर्गदूतों की बड़ी सेना मौजूद है। मगर उसका सेवक यह नहीं देख पा रहा था। इसलिए “एलीशा ने यह प्रार्थना की, हे यहोवा, इसकी आंखें खोल दे कि यह देख सके। तब यहोवा ने सेवक की आंखें खोल दीं, और जब वह देख सका, तब क्या देखा, कि एलीशा के चारों ओर का पहाड़ अग्निमय घोड़ों और रथों से भरा हुआ है।” (2 राजा 6:17) जी हाँ, एलीशा का सेवक अब स्वर्गदूतों की बड़ी सेना को देख सकता था। उसी तरह, अगर हममें आध्यात्मिक बातों की गहरी समझ होगी तो हम भी विश्‍वास की आँखों से स्वर्गदूतों को देख सकेंगे, जो यहोवा और यीशु की निगरानी में परमेश्‍वर के लोगों की मदद और हिफाज़त करते हैं।

मसीह के ज़माने में, स्वर्गदूतों से मिली मदद

12. मरियम को स्वर्गदूत जिब्राईल ने कैसे मदद दी?

12 अब गौर कीजिए कि मरियम नाम की एक कुँवारी यहूदिन को परमेश्‍वर के एक स्वर्गदूत ने कैसे मदद दी। स्वर्गदूत जिब्राईल ने उसे यह खबर सुनायी: “तू गर्भवती होगी, और तेरे एक पुत्र उत्पन्‍न होगा; तू उसका नाम यीशु रखना।” मगर चौंका देनेवाली यह खबर सुनाने से पहले स्वर्गदूत ने उससे कहा: “हे मरियम; भयभीत न हो, क्योंकि परमेश्‍वर का अनुग्रह तुझ पर हुआ है।” (लूका 1:26,27,30,31) इस तरह जब स्वर्गदूत ने मरियम को यकीन दिलाया कि परमेश्‍वर का अनुग्रह उस पर है, तो बेशक उसे बड़ी हिम्मत मिली होगी और वह मज़बूत हुई होगी!

13. स्वर्गदूतों ने यीशु की कैसे मदद की?

13 स्वर्गदूतों की मदद की एक और मिसाल लीजिए। जब यीशु को जंगल में शैतान ने तीन बार लुभाने की कोशिश की, तो यीशु ने उसका कड़ा विरोध किया। बाइबल बताती है कि उस परीक्षा के बाद “शैतान उसके पास से चला गया; और देखो, स्वर्गदूत आकर उस की सेवा करने लगे।” (मत्ती 4:1-11) यीशु की मौत से पहले की रात में भी कुछ ऐसा ही हुआ था। वह बड़ी वेदना से गुज़र रहा था, इसलिए उसने घुटने टेककर प्रार्थना की: “हे पिता यदि तू चाहे तो इस कटोरे को मेरे पास से हटा ले, तौभी मेरी नहीं परन्तु तेरी ही इच्छा पूरी हो। तब स्वर्ग से एक दूत उस को दिखाई दिया जो उसे सामर्थ देता था।” (लूका 22:42,43) लेकिन आज हमारे ज़माने में, स्वर्गदूत हमें कैसे मदद देते हैं?

हमारे ज़माने में, स्वर्गदूतों से मिलनेवाली मदद

14. हमारे ज़माने के यहोवा के साक्षियों को किस तरह के ज़ुल्म सहने पड़े, और इसका क्या नतीजा निकला?

14 हमारे ज़माने के यहोवा के साक्षियों के प्रचार काम के इतिहास पर गौर करने से, क्या हमें स्वर्गदूतों की मदद के ढेरों सबूत देखने को नहीं मिलते? उदाहरण के लिए, दूसरे विश्‍वयुद्ध (1939-45) से पहले और उसके दौरान, जर्मनी और पश्‍चिमी यूरोप में यहोवा के लोगों को नात्ज़ियों के हाथों कई ज़ुल्म सहने पड़े। मगर उनसे भी लंबे समय तक इटली, स्पेन और पुर्तगाल के यहोवा के साक्षियों को कैथोलिक फासिस्ट सरकार के अत्याचार झेलने पड़े। इतना ही नहीं, भूतपूर्व सोवियत संघ और उसके अधीन रहनेवाले दूसरे देशों में साक्षियों को दशकों तक सताया गया। अफ्रीका के कुछ देशों में भी साक्षियों पर कई ज़ुल्मो-सितम किए गए। * और-तो-और, हाल में जॉर्जिया देश में परमेश्‍वर के सेवकों पर वहशियाना हमले किए गए। यहोवा के साक्षियों के कामों को रोकने के लिए, शैतान ने एड़ी-चोटी का ज़ोर लगाया। मगर एक संगठन के तौर पर वे हरेक विरोध का सामना करने में कामयाब रहे और उनमें तरक्की भी हुई। कुछ हद तक यह इसलिए मुमकिन हुआ क्योंकि स्वर्गदूतों ने उनकी हिफाज़त की।—भजन 34:7; दानिय्येल 3:28; 6:22.

15, 16. दुनिया-भर में हो रहे प्रचार काम में, स्वर्गदूत यहोवा के साक्षियों की कैसे मदद कर रहे हैं?

15 यहोवा के साक्षी दुनिया-भर में परमेश्‍वर के राज्य का सुसमाचार सुनाने और दिलचस्पी दिखानेवालों को बाइबल की सच्चाई सिखाकर, चेला बनाने के काम को बड़ी गंभीरता से लेते हैं। (मत्ती 28:19,20) मगर वे यह भी जानते हैं कि स्वर्गदूतों की मदद के बगैर वे इस काम को पूरा नहीं कर सकते। इसलिए प्रकाशितवाक्य 14:6,7 में जो लिखा है, उससे उन्हें लगातार हौसला मिलता है। वहाँ हम पढ़ते हैं: “मैं [प्रेरित यूहन्‍ना] ने एक और स्वर्गदूत को आकाश के बीच में उड़ते हुए देखा, जिस के पास पृथ्वी पर के रहनेवालों की हर एक जाति, और कुल, और भाषा, और लोगों को सुनाने के लिये सनातन सुसमाचार था। और उस ने बड़े शब्द से कहा; परमेश्‍वर से डरो; और उस की महिमा करो; क्योंकि उसके न्याय करने का समय आ पहुंचा है, और उसका भजन करो, जिस ने स्वर्ग और पृथ्वी और समुद्र और जल के सोते बनाए।”

16 ये शब्द साफ दिखाते हैं कि बड़े पैमाने पर पूरी दुनिया में हो रहे यहोवा के साक्षियों का प्रचार काम, स्वर्गदूतों की अगुवाई में किया जा रहा है। साथ ही इस काम में स्वर्गदूत, साक्षियों की मदद भी कर रहे हैं। यहोवा, स्वर्गदूतों के ज़रिए सच्चे मन के लोगों को अपने साक्षियों के पास खींच रहा है। इतना ही नहीं, ये स्वर्गदूत योग्य लोगों को ढूँढ़ने में साक्षियों का भी मार्गदर्शन कर रहे हैं। इसलिए हमें ऐसे कई अनुभव सुनने को मिलते हैं कि यहोवा का एक साक्षी ऐन वक्‍त पर एक इंसान से मिलता है, जब वह मुश्‍किल में होता है या उसे आध्यात्मिक मदद की ज़रूरत होती है। इस तरह के अनुभव इतने ढेरों हैं कि इन्हें महज़ इत्तफाक समझकर नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।

भविष्य में, स्वर्गदूतों की एक अनोखी भूमिका

17. एक ही स्वर्गदूत ने अश्‍शूरी सेना का क्या हश्र किया?

17 स्वर्गदूत, यहोवा के उपासकों तक संदेश पहुँचाने और उनकी हिम्मत बँधाने के अलावा, एक और काम करते हैं। वह है परमेश्‍वर की तरफ से दुष्टों को सज़ा देना, जैसा उन्होंने बीते ज़माने में किया था। मिसाल के लिए, सा.यु.पू. आठवीं सदी में, अश्‍शूरियों की एक बड़ी सेना ने यरूशलेम पर धावा बोलने के लिए उसे चारों तरफ से घेर लिया था। ऐसे में यहोवा ने क्या किया? उसने कहा: “मैं अपने निमित्त और अपने दास दाऊद के निमित्त इस नगर की रक्षा करके इसे बचाऊंगा।” फिर आगे क्या हुआ, इस बारे में बाइबल कहती है: “उसी रात . . . यहोवा के दूत ने निकलकर अश्‍शूरियों की छावनी में एक लाख पचासी हजार पुरुषों को मारा, और भोर को जब लोग सबेरे उठे, तब देखा, कि लोथ ही लोथ पड़ी है।” (2 राजा 19:34,35) वाकई, परमेश्‍वर के सिर्फ एक स्वर्गदूत के सामने इंसानों की सेना कुछ भी नहीं है!

18, 19. बहुत जल्द भविष्य में स्वर्गदूत क्या भूमिका निभाएँगे, और इसका इंसानों पर क्या असर होगा?

18 आनेवाले समय में, स्वर्गदूतों की सेना परमेश्‍वर की तरफ से दुष्टों को दंड देगी। बहुत जल्द, यीशु “अपने सामर्थी दूतों के साथ, धधकती हुई आग में” प्रकट होगा। उनका मकसद होगा, ‘उन लोगों से पलटा लेना, जो परमेश्‍वर को नहीं पहचानते और हमारे प्रभु यीशु के सुसमाचार को नहीं मानते।’ (2 थिस्सलुनीकियों 1:7,8) ज़रा सोचिए, इस कार्रवाई का पूरी मानवजाति पर क्या ही गहरा असर होगा! जो लोग परमेश्‍वर के राज्य के सुसमाचार को, जिसका प्रचार आज पूरी दुनिया में किया जा रहा है, कबूल नहीं करते उन्हें नाश कर दिया जाएगा। दूसरी तरफ, जो लोग यहोवा, उसकी धार्मिकता और नम्रता को ढूँढ़ते हैं, सिर्फ वे ही “यहोवा के क्रोध के दिन में शरण” पाएँगे और उनका बाल भी बाँका नहीं होगा।—सपन्याह 2:3.

19 हम यहोवा के कितने एहसानमंद हो सकते हैं कि वह अपने शक्‍तिशाली स्वर्गदूतों के ज़रिए धरती पर अपने उपासकों की मदद करता है और उनकी हिम्मत बँधाता है। यही नहीं, जब हम परमेश्‍वर के मकसद में स्वर्गदूतों की भूमिका के बारे में समझते हैं, तो इससे हमें खास तौर से दिलासा मिलता है। क्यों? क्योंकि अच्छे स्वर्गदूतों के अलावा, कुछ स्वर्गदूत ऐसे भी हैं जिन्होंने यहोवा के खिलाफ बगावत की और शैतान के अधीन हो गए। अगले लेख में यह चर्चा की जाएगी कि सच्चे मसीही, शैतान और उसकी दुष्टात्माओं के ज़बरदस्त असर से बचने के लिए क्या कदम उठा सकते हैं। (w07 3/15)

[फुटनोट]

^ परमेश्‍वर के सेवकों पर एक-के-बाद-एक कैसे अत्याचार किए गए, इस बारे में ज़्यादा जानकारी के लिए, इन सालों की यहोवा के साक्षियों की इयरबुक देखिए: 1983 (अंगोला), 1982 (इटली), 1992 (इथियोपिया), 2000 (चेक रिपब्लिक), 1972 (चेकोस्लोवाकिया), 1974 और 1999 (जर्मनी), 2006 (ज़ाम्बिया), 1983 (पुर्तगाल), 1994 (पोलैंड), 1999 (मलावी), 1996 (मोज़म्बिक), 2004 (मौलदोवा), 2002 (यूक्रेन) और 1978 (स्पेन)।

आपने क्या सीखा?

• स्वर्गदूत कैसे वजूद में आए?

• बाइबल के ज़माने में स्वर्गदूतों को कैसे इस्तेमाल किया गया था?

प्रकाशितवाक्य 14:6,7 के मुताबिक, आज स्वर्गदूत क्या काम कर रहे हैं?

• बहुत जल्द भविष्य में स्वर्गदूत क्या अनोखी भूमिका निभाएँगे?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 14 पर तसवीर]

एक स्वर्गदूत ने मानोह और उसकी पत्नी की हिम्मत बँधायी

[पेज 15 पर तसवीर]

“जो हमारी ओर हैं, वह उनसे अधिक हैं, जो उनकी ओर हैं”