आज की बेरहम दुनिया
आज की बेरहम दुनिया
चौसठ साल की एक बुज़ुर्ग महिला, मारीया अकेली रहती थी। एक दिन वह अपने घर पर मरी हुई पायी गयी। उसे बुरी तरह पीटा गया था और एक तार से उसका गला घोंट दिया गया था।
गुस्से से पागल एक भीड़, तीन पुलिसवालों पर टूट पड़ी और उन्हें बड़ी बेहरमी से मारने लगी। भीड़ का कहना था कि उन्होंने दो बच्चों का अपहरण किया है। फिर भीड़ ने दो पुलिसवालों पर पेट्रोल डालकर उन्हें ज़िंदा जला दिया। जबकि तीसरा पुलिसवाला किसी तरह बच निकला।
एक गुमनाम आदमी से मिले फोन कॉल पर, पुलिसवाले एक बाग में पहुँचे और उन्हें ज़मीन में दफन चार आदमियों की लाशें मिलीं, जो वहाँ छुट्टियाँ मनाने आए थे। उन आदमियों की आँखों पर पट्टी बंधी हुई थी और उनके हाथ भी बंधे हुए थे। पोस्त मार्टम की रिपोर्ट से पता चला कि उन्हें जिंदा ही ज़मीन में गाड़ दिया गया था। यह हादसा क्या ही दिल-दहलानेवाला था!
ये खौफनाक वारदातें, खून-खराबेवाली या डरावनी फिल्मों के सीन नहीं हैं बल्कि सच्ची घटनाएँ हैं। कुछ ही साल पहले, लैटिन अमरीका में ये वारदातें सुर्खियों में थीं। लेकिन आज की दुनिया में, सिर्फ लैटिन अमरीका में ही नहीं बल्कि और भी बहुत-से देशों में ऐसी वारदातें हो रही हैं।
आजकल क्रूरता के काम बहुत आम हो गए हैं। इनमें से कुछ हैं: बमबारी, आतंकवादी हमले, कत्ल, लूटमार, गोलाबारी और बलात्कार। टी.वी. और अखबारों में लगातार, वहशियाना ढंग से ढाए गए ज़ुल्मों की इतनी खुलकर रिपोर्ट दी जाती है कि अब कई लोग ऐसी खबरें देखकर या सुनकर नहीं चौंकते।
आप शायद सोचें: ‘क्या हो गया है इस दुनिया को? क्या किसी को दूसरों की भावनाओं की कोई कदर नहीं? क्या ज़िंदगी के लिए आदर हमेशा के लिए खत्म हो गया है?’ भला ऐसी दुनिया में जीने की कोई वजह है?
आइए कुछ पल के लिए 69 साल के एक बुज़ुर्ग, हैरी की मिसाल पर गौर करें, जो कैनडा में रहता है। उसे काफी समय से कैंसर है और उसकी पत्नी को ‘मल्टीपल स्क्लेरोसिस’ नाम की बीमारी है, जिससे आम तौर पर शरीर के कुछ अंगों को लकवा मार जाता है। ऐसे में, उनके पड़ोसियों और दोस्तों ने खुशी-खुशी उनकी मदद की है। हैरी कहता है: “अगर इन लोगों ने हमारी मदद न की होती, तो न जाने हमारा क्या होता।” कैनडा में ही चलाए गए एक अध्ययन से पता चला है कि आधी से ज़्यादा आबादी, ऐसे बुज़ुर्गों की देखभाल करती है जिनके साथ उनका कोई रिश्ता नहीं। बेशक, आप भी ऐसे लोगों को जानते होंगे, जो अकसर इनसानियत दिखाते और लोगों की मदद करते हैं। जी हाँ, इंसान में करुणा और दया दिखाने की काबिलीयत है।
तो फिर, दुनिया में इतनी बेरहमी क्यों है? क्या बात है जो लोगों को इतनी बर्बरता करने के लिए भड़काती है? क्या दूसरों पर सितम करनेवाले लोग कभी बदल सकते हैं? क्या वह दिन आएगा जब बेरहमी का नामो-निशान मिटा दिया जाएगा? अगर हाँ, तो कब और कैसे? (w07 4/15)
[पेज 3 पर चित्र का श्रेय]
ट्रेन: CORDON PRESS