बहुत जल्द सारे दुःख क्यों दूर होनेवाले हैं
बहुत जल्द सारे दुःख क्यों दूर होनेवाले हैं
“वह चट्टान है, उसका काम खरा है।”—व्यवस्थाविवरण 32:4.
1, 2. (क) आप हमेशा की ज़िंदगी जीने की आस क्यों लगाते हैं? (ख) भविष्य के लिए शानदार वादे करनेवाले परमेश्वर पर विश्वास करना कई लोगों को मुश्किल क्यों लगता है?
फिरदौस में ज़िंदगी कैसी होगी, क्या इस बारे में कल्पना करना आपको अच्छा लगता है? शायद आप मन की आँखों से खुद को इस अनोखी पृथ्वी और उस पर पाए जानेवाले अलग-अलग किस्म के पेड़-पौधों और जीव-जंतुओं के बारे में जानकारी हासिल करते हुए देखें। या फिर आप कल्पना करें कि दूसरों के साथ मिलकर इस पृथ्वी की देखभाल करने और उसे फिरदौस बनाने में आपको कितनी खुशी मिलेगी। या हो सकता है, आप उस वक्त संगीत या कोई और कला सीखने या दूसरे शौक पूरा करने की सोचें, जिनके लिए आज ज़िंदगी की आपा-धापी में आपको ज़रा-भी वक्त नहीं मिलता। आपकी ख्वाहिश चाहे जो भी हो, मगर आप ऐसी ज़िंदगी जीने की आस लगाते हैं, जिसे बाइबल “सच्ची जिन्दगी” कहती है। जी हाँ, ऐसी ज़िंदगी जिसका कभी कोई अंत नहीं होगा, ठीक जैसे यहोवा ने शुरू में इंसानों के लिए चाहा था।—1 तीमुथियुस 6:19, हिन्दुस्तानी बाइबल।
2 बाइबल में दी इस आशा के बारे में दूसरों को बताना हमारे लिए क्या ही खुशी और सम्मान की बात है, है ना? मगर कई लोग इस आशा को सीधे-सीधे ठुकरा देते हैं। उन्हें लगता है कि यह बस एक ख्वाब है, और इस पर कोई भोला-भाला इंसान ही विश्वास कर सकता है। और-तो-और, उन्हें ऐसे परमेश्वर पर विश्वास करना मुश्किल लग सकता है, जो इंसानों को फिरदौस में हमेशा की ज़िंदगी देने का वादा करता है। क्यों? क्योंकि कुछ लोग दुनिया-भर में फैली बुराई से इस कदर परेशान हैं कि परमेश्वर पर से उनका विश्वास उठ गया है। वे सोचते हैं कि अगर परमेश्वर है, और अगर वह सर्वशक्तिमान होने के साथ-साथ हमसे प्यार करता है, तो फिर दुनिया में इतनी बुराई और दुःख-तकलीफें क्यों हैं? इसलिए वे तर्क करते हैं कि ऐसा कोई परमेश्वर हो ही नहीं सकता, जो बुराई को देखकर भी हाथ-पर-हाथ धरे बैठा रहे। या अगर वह है, तो या तो वह सर्वशक्तिमान नहीं, या फिर उसे हमारी कोई फिक्र नहीं। कुछ लोगों को इस तरह का तर्क सही लगता है। शैतान ने लोगों की बुद्धि को किस कदर अंधा कर दिया है!—2 कुरिन्थियों 4:4.
3. किस मुश्किल सवाल का जवाब जानने में हम लोगों की मदद कर सकते हैं, और क्यों?
3 यहोवा के साक्षी होने के नाते हमें उन लोगों की मदद करने का एक खास सुअवसर मिला है, जिन्हें शैतान और इस संसार का ज्ञान गुमराह कर रहा है। (1 कुरिन्थियों 1:20; 3:19) हम जानते हैं कि क्यों कई लोग बाइबल के वादों पर विश्वास नहीं करते। वह इसलिए क्योंकि वे यहोवा को नहीं जानते। उन्हें शायद उसका नाम या उस नाम के क्या-क्या मायने हैं यह मालूम न हो। इतना ही नहीं, उन्हें शायद इस बारे में बहुत कम या बिलकुल भी जानकारी न हो कि यहोवा के गुण क्या हैं या यह कि वह अपने वादों का पक्का है। मगर हमें इन बातों की समझ हासिल है। इसलिए अच्छा होगा अगर हम समय-समय पर इस बात पर विचार करें कि जिन लोगों की “बुद्धि अन्धेरी हो गयी है” उनकी हम कैसे मदद कर सकते हैं, ताकि उन्हें उनके सबसे मुश्किल सवाल का जवाब मिले। (इफिसियों 4:18) वह सवाल है: “परमेश्वर बुराई और दुःख-तकलीफों को रहने क्यों देता है?” सबसे पहले हम देखेंगे कि इस सवाल का सही और तसल्लीबख्श जवाब देने के लिए हम कैसे एक आधार तैयार कर सकते हैं। फिर हम चर्चा करेंगे कि यहोवा ने बुराई से निपटने के लिए जो कदम उठाया है, उससे उसके गुण कैसे ज़ाहिर होते हैं।
जवाब देने का सही तरीका
4, 5. जब कोई पूछता है कि परमेश्वर क्यों दुःख-तकलीफों को रहने देता है, तो हमें पहले क्या करने की ज़रूरत पड़ सकती है? समझाइए।
4 जब कोई पूछता है कि परमेश्वर क्यों दुःख-तकलीफों को रहने देता है, तो हम क्या जवाब देते हैं? हो सकता है, हम फौरन लंबी-चौड़ी जानकारी देना शुरू कर दें कि अदन के बाग में क्या हुआ था, वगैरह-वगैरह। कुछ मामलों में ऐसा करना शायद ठीक हो। मगर हर बार ऐसा करना मुनासिब न हो। अच्छा होगा अगर हम जवाब देने से पहले एक आधार तैयार करें। (नीतिवचन 25:11; कुलुस्सियों 4:6) आइए ऐसे तीन मुद्दों पर चर्चा करें, जिनकी मदद से हम वह आधार तैयार कर सकते हैं।
5 पहला, अगर सवाल पूछनेवाला व्यक्ति दुनिया में फैली बुराई को लेकर हद-से-ज़्यादा परेशान है, तो मुमकिन है कि वह या उसका कोई अज़ीज़ किसी बुरे हादसे का शिकार हुआ हो। इसलिए अच्छा होगा अगर हम पहले उसके साथ सच्ची हमदर्दी जताएँ। प्रेरित पौलुस ने मसीहियों को सलाह दी: “रोनेवालों के साथ रोओ।” (रोमियों 12:15) अगर हम उसके “हमदर्द” बनकर उसके दुःख-दर्द बाँटेंगे, तो हमारा यह व्यवहार उसके दिल को छू जाएगा। (1 पतरस 3:8, हिन्दुस्तानी बाइबल) और जब उसे लगेगा कि हमें उसकी फिक्र है, तो वह हमारी बात सुनने के लिए राज़ी हो जाएगा।
6, 7. अगर कोई नेकदिल इंसान ऐसा सवाल पूछता है जिससे वह परेशान है, तो उसकी सराहना करना क्यों सही है?
6 दूसरा, हम उस नेकदिल इंसान की सराहना कर सकते हैं कि उसने यह सवाल पूछा। कुछ लोग सोचते हैं कि इस तरह का सवाल पूछने का मतलब होगा कि उन्हें परमेश्वर पर विश्वास नहीं है या फिर वे उसकी इज़्ज़त नहीं करते। यहाँ तक कि उनके पादरी ने उनसे सीधे-सीधे ऐसा कहा हो। मगर ज़रूरी नहीं कि इस तरह के सवाल पूछने का मतलब है कि उनमें विश्वास की कमी है। दरअसल बाइबल के मुताबिक पुराने ज़माने में परमेश्वर पर मज़बूत विश्वास रखनेवालों ने भी कुछ ऐसे ही सवाल किए थे। मिसाल के लिए, भजनहार दाऊद ने पूछा: “हे यहोवा तू क्यों दूर खड़ा रहता है? संकट के समय में क्यों छिपा रहता है?” (भजन 10:1) उसी तरह हबक्कूक नबी ने पूछा: “हे यहोवा मैं कब तक तेरी दोहाई देता रहूंगा, और तू न सुनेगा? मैं कब तक तेरे सम्मुख ‘उपद्रव’, ‘उपद्रव’, चिल्लाता रहूंगा? क्या तू उद्धार नहीं करेगा? तू मुझे अनर्थ काम क्यों दिखाता है? और क्या कारण है कि तू उत्पात को देखता ही रहता है? मेरे साम्हने लूट-पाट और उपद्रव होते रहते हैं; और झगड़ा हुआ करता है और वादविवाद बढ़ता जाता है।”—हबक्कूक 1:2, 3.
7 दाऊद और हबक्कूक जैसे वफादार पुरुष परमेश्वर की गहरी इज़्ज़त करते थे। क्या यहोवा ने उन्हें ऐसे सवाल पूछने के लिए फटकारा? नहीं, उलटा उसने सच्चे दिल से पूछे गए उनके सवालों को अपने वचन, बाइबल में दर्ज़ करवाया। आज जो लोग दुनिया में फैली बुराई को लेकर परेशान हैं, उनमें विश्वास की कमी न हो, पर हो सकता है कि वे आध्यात्मिक तौर पर भूखे हों। दूसरे शब्दों में कहें तो वे इन सवालों के ऐसे जवाब पाने के लिए बेताब हैं, जो सिर्फ बाइबल दे सकती है। याद कीजिए, यीशु ने उन लोगों की तारीफ की, जो आध्यात्मिक तौर पर भूखे हैं, या “अपनी आध्यात्मिक ज़रूरत के प्रति सचेत हैं।” (मत्ती 5:3, NW) उसने वादा किया था कि ऐसे लोगों को खुशी मिलेगी। वह खुशी पाने में उनकी मदद करना हमारे लिए क्या ही सम्मान की बात है!
8. किन शिक्षाओं की वजह से लोग परमेश्वर को दुःख-तकलीफों के लिए ज़िम्मेदार ठहराते हैं, और हम उन लोगों की मदद कैसे कर सकते हैं?
8 तीसरा, हमें यह जानने में शायद उस व्यक्ति की मदद करनी पड़े कि दुनिया में फैली दुष्टता के लिए परमेश्वर ज़िम्मेदार नहीं। कई लोगों को सिखाया जाता है कि इस दुनिया पर परमेश्वर हुकूमत कर रहा है और उसने हमारी तकदीर पहले से लिख रखी है। उन्हें यह भी सिखाया जाता है कि इंसानों पर मुसीबतें लाने के पीछे परमेश्वर की कुछ वजहें हैं, जो हमारी समझ से परे है। ये शिक्षाएँ सरासर गलत हैं। इनसे परमेश्वर का अपमान होता है और इन्हीं की वजह से उसे दुनिया में फैली दुष्टता और दुःख-तकलीफों के लिए कसूरवार ठहराया जाता है। इसलिए यहोवा के नाम पर लगे कलंक को मिटाने के लिए हमें उसके वचन, बाइबल का इस्तेमाल करना पड़े। (2 तीमुथियुस 3:16) इस भ्रष्ट संसार पर यहोवा नहीं, बल्कि शैतान इब्लीस हुकूमत कर रहा है। (1 यूहन्ना 5:19) यहोवा अपने बुद्धिमान प्राणियों का भविष्य पहले से तय नहीं करता; वह हरेक को अच्छे और बुरे, सही और गलत के बीच चुनाव करने की आज़ादी और मौके देता है। (व्यवस्थाविवरण 30:19) और यहोवा दुनिया में फैली बुराई के लिए हरगिज़ ज़िम्मेदार नहीं; वह बुराई से नफरत करता है और उन लोगों की परवाह करता है, जो अन्याय सहते हैं।—अय्यूब 34:10; नीतिवचन 6:16-19; 1 पतरस 5:7.
9. यहोवा ने दुःखों को क्यों रहने दिया है, यह लोगों को समझाने के लिए “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” ने कौन-से प्रकाशन मुहैया कराए हैं?
9 इस तरह जब आप एक आधार तैयार कर लेते हैं, तो आप पाएँगे कि वह व्यक्ति यह जानने के लिए तैयार होगा कि परमेश्वर दुःख-तकलीफों को रहने क्यों देता है। इस मामले में आपकी मदद करने के लिए “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” ने कई फायदेमंद प्रकाशन मुहैया कराए हैं। (मत्ती 24:45-47) उनमें से एक है ट्रैक्ट, बहुत जल्द सारे दुःख दूर होनेवाले हैं!, जिसे सन् 2005/06 के “परमेश्वर की आज्ञा मानना” ज़िला अधिवेशन में रिलीज़ किया गया था। क्यों न आप इस ट्रैक्ट को पढ़कर इसमें दी जानकारी से वाकिफ हों? इसके अलावा, बाइबल असल में क्या सिखाती है? किताब में भी एक पूरा अध्याय उस व्यक्ति के अहम सवाल पर चर्चा करता है। यह किताब अब 157 भाषाओं में मौजूद है। इन प्रकाशनों का अच्छे-से-अच्छा इस्तेमाल कीजिए। ये प्रकाशन बाइबल की मदद से बताते हैं कि किन घटनाओं के चलते अदन में विश्व की हुकूमत का मसला खड़ा हुआ था और उससे निपटने के लिए यहोवा ने जो कदम उठाया, उसके पीछे क्या वजह थी। यह भी याद रखिए कि इस विषय पर चर्चा करते वक्त आप उस व्यक्ति को दुनिया का सबसे अहम ज्ञान दे रहे होंगे। वह ज्ञान है, यहोवा और उसके बेमिसाल गुणों के बारे में।
यहोवा के गुणों की तरफ लोगों का ध्यान खींचिए
10. परमेश्वर ने दुःख-तकलीफों को रहने दिया है इस बारे में कुछ लोगों को क्या समझना मुश्किल लगता है, और कौन-सी जानकारी उनकी मदद कर सकती है?
10 जब आप लोगों को समझाते हैं कि क्यों यहोवा ने इंसानों को शैतान के अधीन रहकर अपनी हुकूमत खुद चलाने की छूट दी है, तो उस दौरान यहोवा के बेहतरीन गुणों की तरफ उनका ध्यान खींचने की कोशिश कीजिए। कई लोग जानते हैं कि परमेश्वर शक्तिशाली है; वे सुनते आए हैं कि वह सर्वशक्तिमान परमेश्वर है। मगर शायद उन्हें यह समझना मुश्किल लगे कि वह अन्याय और तकलीफों को फौरन खत्म करने के लिए अपनी अपार शक्ति का इस्तेमाल क्यों नहीं करता। शायद उन्हें यह बात समझना इसलिए मुश्किल लगे, क्योंकि वे यहोवा के दूसरे गुणों के बारे में नहीं जानते, जैसे उसकी पवित्रता, न्याय, बुद्धि और प्रेम। यहोवा इन गुणों को ज़ाहिर करते वक्त इनमें बढ़िया तालमेल बिठाता है। इसलिए बाइबल कहती है: “उसका काम खरा है।” (व्यवस्थाविवरण 32:4) परमेश्वर की हुकूमत के मसले को लेकर अकसर जो सवाल उठाए जाते हैं, उनका जवाब देते वक्त आप कैसे उसके इन गुणों पर ज़ोर दे सकते हैं? आइए कुछ सवालों पर गौर करें।
11, 12. (क) जब आदम और हव्वा ने पाप किया, तो उन्हें क्यों माफ नहीं किया जा सकता था? (ख) यहोवा पाप को हमेशा तक क्यों बरदाश्त करनेवाला नहीं है?
11 क्या यहोवा आदम और हव्वा को माफ नहीं कर सकता था? आदम और हव्वा सिद्ध थे, मगर उन्होंने जानबूझकर यहोवा की हुकूमत को ठुकरा दिया और शैतान के बताए रास्ते पर चलने का फैसला किया। इन बागियों ने अपने किए पर कोई पछतावा नहीं दिखाया। इसलिए उन्हें किसी भी हाल में माफ नहीं किया जा सकता था। लेकिन जब लोग पूछते हैं कि क्यों परमेश्वर ने उन्हें माफ नहीं किया, तो दरअसल वे यह जानना चाहते हैं कि क्यों परमेश्वर ने अपने स्तरों से समझौता नहीं किया, और क्यों उनके पाप और बगावत को अनदेखा नहीं किया। इस सवाल का जवाब हमें यहोवा के एक गुण से मिलता है, जो उसके स्वभाव में समाया हुआ है। वह है, उसकी पवित्रता।
12 बाइबल सैकड़ों बार यहोवा की पवित्रता पर ज़ोर देती है। मगर अफसोस कि इस भ्रष्ट दुनिया में सिर्फ गिने-चुने लोग ही इस गुण को समझ पाते हैं। यहोवा स्वच्छ, शुद्ध और पाप से कोसों दूर है। (यशायाह 6:3; 59:2) इसलिए वह पाप को हमेशा तक बरदाश्त करनेवाला नहीं। अगर वह बरदाश्त करे, तो हमारे लिए भविष्य की कोई उम्मीद नहीं बचेगी। (नीतिवचन 14:12) यहोवा ने पाप को ढाँपने, यहाँ तक कि उसे जड़ से मिटाने का इंतज़ाम किया है। वह अपने ठहराए वक्त पर पूरी सृष्टि को दोबारा पवित्र करेगा। और ऐसा ज़रूर होगा, क्योंकि यह पवित्र परमेश्वर की मरज़ी है।
13, 14. यहोवा ने बागियों को अदन में ही क्यों खत्म नहीं किया?
13 क्या यहोवा अदन में उन बागियों को खत्म करके एक नयी शुरूआत नहीं कर सकता था? यहोवा के पास ऐसा करने की शक्ति थी और वह जल्द ही इसका इस्तेमाल करके सारे दुष्टों का नाश करेगा। मगर कुछ लोग शायद सोचें, ‘अगर यही बात है, तो जब विश्व में सिर्फ तीन पापी थे, तभी उसने उन्हें क्यों खत्म नहीं किया? क्या ऐसा करने से पाप और दुःखों को बढ़ने से रोका नहीं जा सकता था?’ आखिर यहोवा ने ऐसा कदम क्यों नहीं उठाया? व्यवस्थाविवरण 32:4 जवाब देता है: “उसकी सारी गति न्याय की है।” यहोवा में न्याय का ज़बरदस्त जज़्बा है। दरअसल, “यहोवा न्याय से प्रीति रखता” है। (भजन 37:28) न्याय से प्रीति रखने की वजह से ही यहोवा ने अदन में बागियों को नहीं मिटाया। क्यों?
14 शैतान ने अपनी बगावत से यह सवाल खड़ा किया कि क्या परमेश्वर के हुकूमत करने का तरीका सही है। यहोवा के न्याय के जज़्बे ने उसे उभारा कि वह इस सवाल का जवाब न्याय के मुताबिक दे। भले ही तीनों बागी फौरन नाश किए जाने के लायक थे, मगर यहोवा का ऐसा करना उसके न्याय के मुताबिक सही नहीं होता। इससे उसकी महान शक्ति का सबूत तो मिलता। मगर सवाल उसकी शक्ति को लेकर नहीं, बल्कि उसके हुकूमत करने के तरीके को लेकर उठाया गया था। यह एक वजह थी कि क्यों परमेश्वर ने फौरन उन बागियों को खत्म नहीं किया। दूसरी वजह थी परमेश्वर का मकसद, जो उसने आदम और हव्वा पर ज़ाहिर किया था। उस मकसद के तहत उन्हें बच्चे पैदा करके पूरी पृथ्वी को आबाद करना था, उसे खूबसूरत फिरदौस बनाना था और सभी जीव-जंतुओं की देखभाल करनी थी। (उत्पत्ति 1:28) अगर यहोवा ने आदम और हव्वा को वहीं खत्म कर दिया होता, तो इंसानों के बारे में उसका ठहराया मकसद अधूरा रह जाता। मगर यहोवा के न्याय का गुण ऐसा कभी नहीं होने देगा, क्योंकि उसका मकसद हमेशा पूरा होता है।—यशायाह 55:10, 11.
15, 16. जब लोग अदन में उठे मसले को सुलझाने का अपना “उपाय” बताते हैं, तो हम कैसे उनकी मदद कर सकते हैं?
15 अदन में हुई बगावत को यहोवा ने जिस तरह अपनी बुद्धि से निपटाया, क्या उससे बेहतर तरीके से कोई और निपटा सकता था? कुछ लोग इस बगावत को सुलझाने के लिए शायद अपना “उपाय” बताएँ। लेकिन ऐसा करके क्या वे यह नहीं जता रहे होंगे कि वे इस मसले को सुलझाने का परमेश्वर से बेहतर तरीका जानते हैं? हो सकता है ऐसा करने के पीछे उनका इरादा गलत न हो, मगर वे इसलिए ऐसा करते हैं, क्योंकि उन्हें यहोवा और उसकी विस्मित कर देनेवाली बुद्धि के बारे में समझ नहीं है। रोम के मसीहियों को लिखी प्रेरित पौलुस की पत्री से पता चलता है कि पौलुस ने परमेश्वर की बुद्धि की गहरी खोज की थी। इसके साथ-साथ उसने “पवित्र भेद” (NW) की भी गहरी खोज की थी। यह भेद इस बारे में था कि कैसे यहोवा मसीहाई राज्य के ज़रिए वफादार इंसानों को छुटकारा दिलाएगा और अपने नाम को पवित्र करेगा। जिस परमेश्वर ने इस मकसद को ठहराया है, उसकी बुद्धि के बारे में पौलुस ने कैसा महसूस किया? अपनी पत्री के आखिर में उसने कहा: “उसी अद्वैत बुद्धिमान परमेश्वर की यीशु मसीह के द्वारा युगानुयुग महिमा होती रहे। आमीन।”—रोमियों 11:25; 16:25-27.
16 पौलुस ने इस बात को समझा कि सिर्फ यहोवा ही “अद्वैत बुद्धिमान” है। पूरे जहान में उससे बुद्धिमान और कोई नहीं। जब एक असिद्ध इंसान किसी छोटी-मोटी समस्या पर यहोवा से बेहतर उपाय नहीं बता सकता, तो भला वह हुकूमत के मसले पर यहोवा से बेहतर उपाय कैसे बता सकता है? इसलिए हमें लोगों के दिलों में “बुद्धिमान” परमेश्वर के लिए वही विस्मय की भावना जगाने की ज़रूरत है, जो हमारे दिल में है। (अय्यूब 9:4) परमेश्वर की बुद्धि को हम जितनी अच्छी तरह समझेंगे, उतना ही हमारा इस बात पर भरोसा बढ़ेगा कि मामलों को सुलझाने का उसका तरीका ही सबसे बेहतर है।—नीतिवचन 3:5, 6.
यहोवा के सबसे खास गुण को समझना
17. यहोवा के प्यार की बेहतर समझ हासिल करने से उन लोगों को कैसे मदद मिल सकती है, जो इस बात से परेशान हैं कि परमेश्वर दुःख-तकलीफों को क्यों नहीं मिटाता?
17 “परमेश्वर प्रेम है।” (1 यूहन्ना 4:8) इन ज़बरदस्त शब्दों में बाइबल यहोवा के सबसे खास गुण की पहचान कराती है। यहोवा के बाकी गुणों के मुकाबले यह गुण हमें सबसे ज़्यादा उसकी तरफ खींचता है। और यही गुण उन लोगों को सबसे ज़्यादा दिलासा देता है, जो दुनिया में फैली दुष्टता से परेशान हैं। यहोवा ने पाप के भयानक अंजामों को मिटाने के लिए जो कदम उठाए हैं, उनमें उसका प्यार साफ झलकता है। वह कैसे? प्यार की वजह से ही यहोवा ने आदम और हव्वा की पापी संतानों को एक उम्मीद दी। (उत्पत्ति 3:15) उसने प्रार्थना के ज़रिए उन्हें अपने करीब आने दिया और अपने साथ एक अच्छा रिश्ता कायम करना उनके लिए मुमकिन बनाया। प्यार की वजह से ही यहोवा ने अपने बेटे का छुड़ौती बलिदान दिया, जिससे भविष्य में इंसानों को उनके पापों से पूरी तरह माफ किया जाएगा और वे सिद्ध होकर अनंत जीवन पाएँगे। (यूहन्ना 3:16) और प्यार की वजह से ही परमेश्वर इंसानों के साथ धीरज धरता आया है, ताकि ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों को शैतान की हुकूमत ठुकराकर यहोवा को अपना महाराजा और मालिक कबूल करने का मौका मिल सके।—2 पतरस 3:9.
18. हम किस सवाल का जवाब जानते हैं, और अगले लेख में हम किस विषय पर चर्चा करेंगे?
18 जब एक भयानक आतंकवादी हमले की यादगार मनायी जा रही थी, तब एक पादरी ने लोगों से कहा: “हम नहीं जानते कि क्यों परमेश्वर ने बुराई और दुःख-तकलीफों को अब तक रहने दिया है।” यह कितने अफसोस की बात है! मगर क्या हमारे लिए यह खुशी की बात नहीं कि हम इस सवाल का जवाब जानते हैं? (व्यवस्थाविवरण 29:29) यहोवा बुद्धिमान, न्यायी और प्रेमी परमेश्वर है, इसलिए हम जानते हैं कि वह बहुत जल्द सारे दुःखों को दूर करनेवाला है। दरअसल उसने ऐसा करने का वादा किया है। (प्रकाशितवाक्य 21:3, 4) मगर उन लोगों के बारे में क्या जो सदियों के दौरान मौत की नींद सो चुके हैं? क्या अदन में उठे मसले को सुलझाने के यहोवा के तरीके ने उनके लिए कोई उम्मीद नहीं छोड़ी है? ऐसी बात नहीं है। अपने प्यार की वजह से यहोवा ने उन्हें भी आशा दी है, और वह है पुनरुत्थान की आशा। अगला लेख इसी विषय पर चर्चा करेगा। (w07 5/15)
आप क्या जवाब देंगे?
• जब कोई पूछता है कि क्यों परमेश्वर दुःख-तकलीफों को रहने देता है, तो हम क्या कह सकते हैं?
• यहोवा अदन में बागियों के साथ जिस तरह पेश आया, उससे उसकी पवित्रता और न्याय कैसे ज़ाहिर होते हैं?
• यहोवा के प्यार की बेहतर समझ हासिल करने में लोगों की मदद करना क्यों ज़रूरी है?
[अध्ययन के लिए सवाल]
[पेज 13 पर तसवीर]
जो लोग दुनिया में फैली दुःख-तकलीफों से परेशान हैं, उनकी मदद करने की कोशिश कीजिए
[पेज 15 पर तसवीरें]
दाऊद और हबक्कूक जैसे मज़बूत विश्वास रखनेवालों ने परमेश्वर से सच्चे दिल से सवाल पूछे थे