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बुराई के लिए ज़िम्मेदार शख्स का परदाफाश!

बुराई के लिए ज़िम्मेदार शख्स का परदाफाश!

बुराई के लिए ज़िम्मेदार शख्स का परदाफाश!

पहली सदी में, बहुत-से यहूदी वादा किए गए मसीहा के आने का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे। (यूहन्‍ना 6:14) उसी दौरान, यीशु प्रकट हुआ और उसने कई लोगों को दिलासा दिया, साथ ही उन्हें परमेश्‍वर के वचन की गहरी समझ दी। उसने बीमारों को चंगा किया, भूखों को खाना खिलाया, आँधी-तूफानों को शांत किया, यहाँ तक कि मरे हुओं को ज़िंदा किया। (मत्ती 8:26; 14:14-21; 15:30, 31; मरकुस 5:38-43) इसके अलावा, उसने यहोवा परमेश्‍वर की बातें कहीं और हमेशा की ज़िंदगी के वादे के बारे में बताया। (यूहन्‍ना 3:34) इस तरह यीशु ने अपनी बातों और कामों से साफ ज़ाहिर किया कि वही मसीहा है, जो इंसानों को पाप और उसके सभी बुरे अंजामों से छुटकारा दिलाएगा।

ज़ाहिर-सी बात है कि यहूदी धर्म-गुरुओं को, यीशु का स्वागत करने, उसकी बात सुनने और उसकी हिदायतों को खुशी-खुशी मानने में सबसे आगे रहना चाहिए था। मगर उन्होंने ऐसा नहीं किया। इसके बजाय, उन्होंने उससे नफरत की, उस पर ज़ुल्म ढाए और उसे मार डालने की साज़िश रची!—मरकुस 14:1; 15:1-3, 10-15.

इसलिए यीशु ने उन दुष्टों की निंदा करके बिलकुल ठीक किया। (मत्ती 23:33-35) मगर वह यह भी जानता था कि उनकी बुरी सोच और बुरे कामों के पीछे किसी और का हाथ है। उसने उनसे कहा: “तुम अपने पिता शैतान से हो, और अपने पिता की लालसाओं को पूरा करना चाहते हो। वह तो आरम्भ से हत्यारा है, और सत्य पर स्थिर न रहा, क्योंकि सत्य उस में है ही नहीं: जब वह झूठ बोलता, तो अपने स्वभाव ही से बोलता है; क्योंकि वह झूठा है, बरन झूठ का पिता है।” (यूहन्‍ना 8:44) हालाँकि यीशु ने कबूल किया कि इंसान दुष्ट काम करने के काबिल है, मगर उसने साफ-साफ यह भी बताया कि बुराई की असली जड़, शैतान इब्‌लीस है।

यीशु ने यह कहकर कि शैतान “सत्य पर स्थिर न रहा,” ज़ाहिर किया कि यह आत्मिक प्राणी एक वक्‍त पर परमेश्‍वर का वफादार सेवक था, मगर बाद में वह सही राह से भटक गया। आखिर, शैतान ने यहोवा के खिलाफ बगावत क्यों की? क्योंकि वह खुद को इतना बड़ा समझने लगा कि उसके मन में वह उपासना पाने का लालच पैदा हुआ जिसका हकदार सिर्फ परमेश्‍वर है। *मत्ती 4:8, 9.

शैतान ने बगावत की शुरूआत अदन के बाग में की, जब उसने हव्वा को मना किया हुआ फल खाने के लिए फुसलाया। उस वक्‍त उसने दुनिया का सबसे पहला झूठ बोला और यहोवा की निंदा भी की। इस तरह, उसने खुद को “झूठ का पिता” बना लिया। इसके अलावा, जब आदम और हव्वा ने शैतान के बहकावे में आकर परमेश्‍वर की आज्ञा तोड़ दी, तो पाप उन पर राजा की तरह हुकूमत करने लगा। नतीजा, वे धीरे-धीरे मौत की तरफ बढ़ने लगे। साथ ही, उनकी होनेवाली संतानों की भी मौत तय हो गयी। इस तरह, शैतान ने खुद को “हत्यारा,” जी हाँ आज तक का सबसे बड़ा खूनी बना लिया!—उत्पत्ति 3:1-6; रोमियों 5:12.

शैतान, आत्मिक लोक में भी अपना बुरा असर फैलाने लगा। उसने दूसरे स्वर्गदूतों को भरमाकर उन्हें अपनी बगावत में शामिल कर लिया। (2 पतरस 2:4) शैतान की तरह, उन दुष्ट आत्मिक प्राणियों ने भी गलत इरादे से इंसानों में दिलचस्पी ली। मगर फर्क इतना था कि उन्होंने अपनी लैंगिक इच्छाओं को पूरा करने के लिए ऐसा किया था, जबकि ऐसी इच्छाएँ रखना उनके लिए सरासर गलत था। और इसका अंजाम बहुत ही भयानक साबित हुआ।

धरती, बुराई से भर गयी

बाइबल हमें बताती है: “जब मनुष्य . . . बहुत बढ़ने लगे, और उनके बेटियां उत्पन्‍न हुईं, तब परमेश्‍वर के पुत्रों ने मनुष्य की पुत्रियों को देखा, कि वे सुन्दर हैं; सो उन्हों ने जिस जिसको चाहा उन से ब्याह कर लिया।” (उत्पत्ति 6:1, 2) ‘परमेश्‍वर के पुत्र’ कौन थे? वे इंसान नहीं बल्कि आत्मिक प्राणी थे। (अय्यूब 1:6; 2:1) यह हम कैसे जानते हैं? एक बात यह है कि उस वक्‍त तक, इंसानों के बीच शादी-ब्याह करीब 1,500 साल से होते आ रहे थे, इसलिए बाइबल में इस बारे में खास ज़िक्र करने की कोई ज़रूरत नहीं पड़ी। मगर जब बाइबल इस बात पर ध्यान खींचती है कि “परमेश्‍वर के पुत्रों” ने इंसानी शरीर धारण करके “मनुष्य की पुत्रियों” से ब्याह किया और उनके साथ लैंगिक संबंध रखे, तो यह साफ दिखाता है कि इस तरह की घटना पहले कभी नहीं हुई थी। और-तो-और, आत्मिक प्राणियों का ऐसा करना, परमेश्‍वर के मकसद के खिलाफ था क्योंकि उन्हें इसके लिए नहीं बनाया गया था।

दुष्ट स्वर्गदूतों का शादी-ब्याह करना परमेश्‍वर के मकसद के खिलाफ था, इस बात का एक और सबूत यह है कि उनकी दोगली संतान पैदा हुई। वे बड़े होकर दानव बने और नेफिलीम कहलाए। वे बड़ी बेरहमी से दूसरों को मारते-पीटते थे। दरअसल, शब्द “नेफिलीम” का मतलब है, “गिरानेवाले” यानी “वे जो दूसरों को गिराते हैं।” उन ज़ालिमों के बारे में कहा गया है कि वे “प्राचीन काल के शूरवीर और सुप्रसिद्ध मनुष्य थे।”—उत्पत्ति 6:4, NHT.

नेफिलीम और उनके पिताओं ने बुराई की सारी हदें पार कर दी। उत्पत्ति 6:11 कहता है: “उस समय पृथ्वी परमेश्‍वर की दृष्टि में बिगड़ गई थी, और उपद्रव से भर गई थी।” जी हाँ, उनकी देखा-देखी दूसरे इंसान भी खून-खराबा और नीच काम करने लगे।

लेकिन नेफिलीम और उनके पिताओं ने इंसानों पर इतना ज़बरदस्त असर कैसे डाला? उनके पापी स्वभाव और उनकी गलत इच्छाओं को भड़काकर। इसका नतीजा यह हुआ कि “सब प्राणियों ने पृथ्वी पर अपनी अपनी चाल चलन बिगाड़ ली।” आखिरकार, यहोवा ने जलप्रलय लाकर पूरे संसार को नाश कर दिया और सिर्फ धर्मी नूह और उसके परिवार की जान बख्श दी। (उत्पत्ति 6:5, 12-22) मगर जो स्वर्गदूत इंसानी शरीर धारण करके धरती पर आए थे, वे आत्मिक लोक लौट गए। वहाँ पहुँचने पर, उन्हें उनका पद वापस नहीं मिला और वे दुष्टात्माएँ कहलाए जाने लगे। उसके बाद से वे परमेश्‍वर का और वफादार स्वर्गदूतों से बने उसके धर्मी परिवार का विरोध करने लगीं। देखने में आया है कि उस वक्‍त से परमेश्‍वर ने दुष्टात्माओं से इंसानी शरीर धारण करने की शक्‍ति छीन ली है। (यहूदा 6) मगर फिर भी, इंसानी मामलों में उनका काफी दबदबा रहा है।

बुराई के लिए ज़िम्मेदार शख्स—पूरी तरह बेनकाब!

शैतान का बुरा असर किस हद तक दुनिया में फैल गया है, यह बात हमें 1 यूहन्‍ना 5:19 से पता चलती है, जहाँ लिखा है: “सारा संसार उस दुष्ट के वश में पड़ा है।” जी हाँ, इब्‌लीस ही इंसानों को विपत्तियों के भयानक तूफान की तरफ धकेल रहा है। वाकई, उसने आज पहले से कहीं ज़्यादा, लोगों को बरबाद करने की ठान ली है। क्यों? क्योंकि सन्‌ 1914 में जब परमेश्‍वर का राज्य स्वर्ग में स्थापित हुआ, तो उसके बाद, शैतान और उसकी दुष्टात्माओं को वहाँ से खदेड़ दिया गया। इसकी भविष्यवाणी बाइबल में पहले से की गयी थी: “हे पृथ्वी . . . तुम पर हाय! क्योंकि शैतान बड़े क्रोध के साथ तुम्हारे पास उतर आया है; क्योंकि जानता है, कि उसका थोड़ा ही समय और बाकी है।” (प्रकाशितवाक्य 12:7-12) मगर शैतान आज इंसानों पर अपना असर कैसे डालता है?

वह खासकर दुनिया में एक ऐसे रवैए को बढ़ावा देता है, जो लोगों की सोच पर हावी हो जाता है और वे उसके मुताबिक काम करने लगते हैं। इफिसियों 2:2 के मुताबिक, इब्‌लीस ‘आकाश [“हवा,” हिन्दुस्तानी बाइबल] के अधिकार का हाकिम है, अर्थात्‌ उस आत्मा [या स्वभाव] का, जो अब आज्ञा न माननेवालों में कार्य्य करती है।’ इब्‌लीस की यह “हवा” परमेश्‍वर का भय मानने और भलाई करने का बढ़ावा देने के बजाय, परमेश्‍वर के खिलाफ बगावत करने और उसके स्तरों को ठुकराने का बढ़ावा देती है। इस तरह, शैतान और उसकी दुष्टात्माएँ न सिर्फ इंसानों को बुरे काम करने, बल्कि बढ़-चढ़कर बुराई करने के लिए भी भड़काती है।

‘अपने हृदय की रक्षा कर’

इस “हवा” का असर कई चीज़ों में देखा जा सकता है। एक है, पोर्नोग्राफी की महामारी में। पोर्नोग्राफी लोगों में गलत किस्म की लैंगिक इच्छाएँ जगाती है और गंदी हरकतों को इस तरह पेश करती है मानो वे बहुत ही मज़ेदार हों। (1 थिस्सलुनीकियों 4:3-5) जैसे, इसमें बलात्कार, सेक्स करते वक्‍त वहशियाना तरीकों से तड़पाने, सामूहिक बलात्कार, पशुगमन और मासूम बच्चों के साथ लैंगिक दुर्व्यवहार को मनोरंजन के तौर पर पेश किया जाता है। हालाँकि कुछ किस्म की पोर्नोग्राफी को कम नुकसानदेह बताया जाता है, लेकिन अगर एक इंसान उसे एक बार भी देख ले, तो उसे उसकी लत लग सकती है और उसे भारी नुकसान पहुँच सकता है। यही नहीं, वह धीरे-धीरे और भी घिनौने किस्म की पोर्नोग्राफी देखने लग सकता है। * पोर्नोग्राफी एक ऐसी बुराई है, जिससे एक इंसान का न सिर्फ दूसरों के साथ बल्कि परमेश्‍वर के साथ भी रिश्‍ता टूट जाता है। पोर्नोग्राफी से इसका बढ़ावा देनेवाली दुष्टात्माओं की गिरी हुई सोच झलकती है। ये वही बागी स्वर्गदूत हैं जिनके अंदर गलत लैंगिक इच्छाएँ, नूह के दिनों में आए जलप्रलय से पहले पनपनी शुरू हो गयी थी।

इसलिए बुद्धिमान पुरुष, सुलैमान ने यह सलाह दी: “सब से अधिक अपने मन [“हृदय,” NHT] की रक्षा कर; क्योंकि जीवन का मूल स्रोत वही है।” (नीतिवचन 4:23) आप अपने हृदय की रक्षा कैसे कर सकते हैं जिससे कि यह पोर्नोग्राफी के फंदे में न फँस जाए? इसके लिए आपको कारगर कदम उठाने की ज़रूरत है। जैसे, जब टी.वी. या कंप्यूटर पर अचानक कोई अश्‍लील सीन दिखाया जाता है, तब आपको टी.वी. का चैनल बदल देना चाहिए या फिर कंप्यूटर बंद कर देना चाहिए। ऐसा आपको पक्के इरादे के साथ फौरन करना चाहिए! कल्पना कीजिए कि आप एक सैनिक हैं। दुश्‍मन ने आपके दिल को निशाना बनाकर एक मिसाइल छोड़ी है और आप उससे बचने की कोशिश कर रहे हैं। उसी तरह, शैतान आपके लाक्षणिक हृदय को निशाना बनाकर उसे भ्रष्ट करने पर तुला हुआ है, जहाँ आपके इरादे और इच्छाएँ पैदा होती हैं।

आपको अपने हृदय को हिंसा के कामों को पसंद करने से भी बचाने की ज़रूरत है। क्योंकि इब्‌लीस जानता है कि “[यहोवा] उन लोगों से घृणा करता है, जो हिंसा से प्रीति रखते हैं।” (भजन 11:5, ईज़ी-टू-रीड वर्शन) आपको परमेश्‍वर का दुश्‍मन बनाने के लिए, शैतान को आपसे हिंसा के काम करवाने की ज़रूरत नहीं, बल्कि उसे सिर्फ आपमें हिंसा के कामों को पसंद करने की भावना बढ़ाने की ज़रूरत है। इसलिए यह कोई इत्तफाक की बात नहीं कि जाने-माने मीडिया (टी.वी., रेडियो, अखबार वगैरह) में, जिसका खास विषय अकसर जादू-टोना से जुड़ा होता है, बढ़-चढ़कर हिंसा के काम दिखाए जाते हैं। हालाँकि नेफिलीमों को मरे सदियाँ बीत चुकी हैं, मगर उनके जैसा गलत रवैया और बुरा व्यवहार आज भी पूरी दुनिया में देखने को मिल रहे हैं! तो फिर, आप जिस तरह का मनोरंजन चुनते हैं, क्या उससे दिखाते हैं कि आप शैतान की धूर्त्त चालों का डटकर मुकाबला कर रहे हैं?—2 कुरिन्थियों 2:11.

शैतान के बुरे असर का विरोध कैसे करें

शैतान के बुरे असर का विरोध करना मुश्‍किल लग सकता है। बाइबल कहती है कि जो लोग परमेश्‍वर को खुश करने की कोशिश करते हैं, उन्हें न सिर्फ अपनी असिद्धता से जूझना है बल्कि ‘दुष्टता की आत्मिक सेनाओं से भी मल्लयुद्ध’ करना है। इसलिए इस जंग को जीतने और परमेश्‍वर का अनुग्रह पाने के लिए, हमें परमेश्‍वर के सारे इंतज़ामों का पूरा-पूरा फायदा उठाना चाहिए।—इफिसियों 6:12; रोमियों 7:21-25.

इन इंतज़ामों में से एक है, परमेश्‍वर की पवित्र आत्मा, जो पूरे जहान की सबसे शक्‍तिशाली ताकत है। प्रेरित पौलुस ने पहली सदी के मसीहियों को लिखा: “हम ने संसार की आत्मा नहीं, परन्तु वह आत्मा पाया है, जो परमेश्‍वर की ओर से है।” (1 कुरिन्थियों 2:12) जो परमेश्‍वर की आत्मा की अगुवाई में चलते हैं, वे उन कामों से प्यार करते हैं जिनसे परमेश्‍वर प्यार करता है और उन कामों से नफरत करते हैं जिनसे परमेश्‍वर को नफरत है। (आमोस 5:15) एक इंसान पवित्र आत्मा कैसे पा सकता है? तीन खास तरीकों से। पहला है, प्रार्थना। दूसरा है, बाइबल अध्ययन क्योंकि बाइबल, पवित्र आत्मा की प्रेरणा से रची गयी है। और तीसरा है, उन लोगों के साथ बढ़िया संगति करना, जो परमेश्‍वर से सच्चा प्यार करते हैं।—लूका 11:13; 2 तीमुथियुस 3:16; इब्रानियों 10:24, 25.

जब आप परमेश्‍वर के इन सारे इंतज़ामों का पूरा-पूरा फायदा उठाते हैं, तो आप “परमेश्‍वर के सम्पूर्ण अस्त्र-शस्त्र धारण” (NHT) करने लगते हैं। और सिर्फ यही अस्त्र-शस्त्र आपको “शैतान की युक्‍तियों” से बचा सकते हैं। (इफिसियों 6:11-18) आज इन इंतज़ामों का पूरा-पूरा फायदा उठाना पहले से कहीं ज़्यादा ज़रूरी हो गया है। क्यों?

बुराई का अंत करीब है!

भजनहार ने कहा: “दुष्ट जो घास की नाईं फूलते-फलते हैं, और सब अनर्थकारी जो प्रफुल्लित होते हैं, यह इसलिये होता है, कि वे सर्वदा के लिये नाश हो जाएं।” (भजन 92:7) जी हाँ, नूह के दिनों की तरह, आज भी बुराई का बढ़ना इस बात का सबूत है कि परमेश्‍वर बहुत जल्द न्याय करेगा। वह न सिर्फ दुष्टों का बल्कि शैतान और उसकी दुष्टात्माओं का भी न्याय करेगा। इसके बाद, शैतान और उसकी दुष्टात्माओं को अथाह कुंड में डाल दिया जाएगा, यानी वे ऐसी हालत में होंगे कि वे इंसानों का कुछ भी नहीं बिगाड़ सकेंगे। और आखिर में, उन्हें नाश कर दिया जाएगा। (2 तीमुथियुस 3:1-5; प्रकाशितवाक्य 20:1-3, 7-10) इस न्याय को कौन अंजाम देगा? यीशु मसीह, जिसके बारे में हम पढ़ते हैं: “परमेश्‍वर का पुत्र इसलिये प्रगट हुआ, कि शैतान के कामों को नाश करे।”—1 यूहन्‍ना 3:8.

क्या आप बुराई के अंत का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं? अगर हाँ, तो आप बाइबल के वादों से दिलासा पा सकते हैं। बाइबल के सिवा और कोई किताब नहीं, जो बुराई के लिए ज़िम्मेदार शख्स यानी शैतान का परदाफाश करती है। इसके अलावा, सिर्फ बाइबल ही यह बताती है कि कैसे शैतान और उसके सारे दुष्ट कामों को हमेशा के लिए मिटा दिया जाएगा। इसलिए हम आप से गुज़ारिश करते हैं कि आप बाइबल का सही-सही ज्ञान लें, ताकि आज आप खुद को शैतान के बुरे असर से बचा सकें। साथ ही, इस ज्ञान से आपको भविष्य में ऐसी दुनिया में जीने की आशा भी मिलेगी, जिसमें बुराई का नामो-निशान तक नहीं रहेगा।—भजन 37:9, 10. (w07 6/1)

[फुटनोट]

^ बाइबल यह नहीं बताती कि जो स्वर्गदूत शैतान इब्‌लीस बना, उसका असली नाम क्या है। शब्द “शैतान” का मतलब है, “विरोधी” और “इब्‌लीस” का मतलब है, “निंदा करनेवाला।” शैतान कुछ मायनों में, प्राचीन समय के सोर के राजा की तरह है। (यहेजकेल 28:12-19) शुरू-शुरू में दोनों अपने चालचलन में निर्दोष थे, मगर बाद में वे अपने ही घमंड के शिकार हो गए।

^ अक्टूबर-दिसंबर 2003 की सजग होइए! के श्रृंखला लेख, “पोर्नोग्राफी—नुकसानदेह है या नहीं?” देखिए। इसे यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है।

[पेज 6 पर बक्स/तसवीर]

कथा-कहानियाँ, जिनमें है राई भर सच्चाई

नरदेवों, दानवों और जलप्रलय के ज़रिए नाश के बारे में कहानियाँ, दुनिया-भर की कई प्राचीन सभ्यताओं की पौराणिक कथाओं में पायी जाती हैं। मिसाल के लिए, अक्कादी सभ्यता के वक्‍त की गिलगामेश की वीर-गाथा में जहाज़, जलप्रलय और उससे बचनेवालों का ज़िक्र किया गया है। खुद गिलगामेश के बारे में यह बताया गया है कि वह एक कामुक और हिंसक नरदेव था, यानी आधा देवता, आधा इंसान। एज़टेक जाति की पौराणिक कथाएँ, प्राचीन समय की एक ऐसी दुनिया के बारे में बताती हैं जिसमें दानव रहा करते थे। ये कथाएँ एक महा-जलप्रलय के बारे में भी बताती हैं। नोर्स की कथाओं में दानवों की एक जाति और एक बुद्धिमान आदमी, बारगेलमिर के बारे में बताया गया है, जिसने एक बड़ी-सी नाव बनाकर अपनी और अपनी पत्नी की जान बचायी थी। इस तरह की सारी कथाएँ, बाइबल की इस बात को पुख्ता करती हैं कि सभी इंसान उस महा-जलप्रलय से बचे लोगों की संतान हैं, जिसके ज़रिए प्राचीन समय के दुष्ट संसार का नाश किया गया था।

[तसवीर]

पटिया जिसमें गिलगामेश की वीर-गाथा खुदी हुई है

[चित्र का श्रेय]

The University Museum, University of Pennsylvania (neg. # 22065)

[पेज 5 पर तसवीर]

आज, लोगों में नेफिलीमों के जैसा रवैया दिखायी देता है

[पेज 7 पर तसवीर]

सही ज्ञान हमें मज़बूत करता है ताकि हम बुरे असर से बच सकें