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यहोवा न्याय से प्रीति रखनेवाला है

यहोवा न्याय से प्रीति रखनेवाला है

यहोवा न्याय से प्रीति रखनेवाला है

“मैं यहोवा न्याय से प्रीति रखता हूं।”—यशायाह 61:8.

1, 2. (क) शब्द, “न्याय” और “अन्याय” का क्या मतलब है? (ख) यहोवा और उसके न्याय के गुण के बारे में बाइबल क्या कहती है?

 न्याय का मतलब है, ‘निष्पक्ष होना, और वही करना जो नैतिक रूप से सही है।’ दूसरी तरफ, अन्याय का मतलब है, पक्षपाती होना, भेदभाव और बुरे काम करना, और बेवजह दूसरों को चोट पहुँचाना।

2 आज से तकरीबन 3,500 साल पहले, मूसा ने सारे जहान के महाराजाधिराज, यहोवा के बारे में लिखा: “उसकी सारी गति न्याय की है। वह सच्चा ईश्‍वर है, उस में कुटिलता [“अन्याय,” बुल्के बाइबिल] नहीं।” (व्यवस्थाविवरण 32:4) इसके सात सौ साल बाद, यशायाह ने ईश्‍वर-प्रेरणा से ये शब्द लिखे: “मैं यहोवा न्याय से प्रीति रखता हूं।” (यशायाह 61:8) फिर, पहली सदी में पौलुस ने कहा: “क्या परमेश्‍वर के यहां अन्याय है? कदापि नहीं!” (रोमियों 9:14) उसी सदी में पतरस ने ऐलान किया: “परमेश्‍वर किसी का पक्ष नहीं करता, बरन हर जाति में जो उस से डरता और धर्म के काम करता है, वह उसे भाता है।” (प्रेरितों 10:35) जी हाँ, ‘यहोवा न्याय से प्रीति रखनेवाला’ है।—भजन 37:28; मलाकी 3:6.

अन्याय का बोलबाला

3. धरती पर अन्याय की शुरूआत कैसे हुई?

3 आज, न्याय चिराग लेकर ढूँढ़ने से भी नहीं मिलता। क्योंकि समाज में हर कहीं अन्याय का बोलबाला है। हम नौकरी की जगह पर, स्कूल में, अधिकारियों के हाथों, यहाँ तक कि परिवार में भी अन्याय के शिकार हो सकते हैं। मगर यह नाइंसाफी कोई नयी बात नहीं है। इसकी शुरूआत तो तभी से हो गयी थी, जब हमारे पहले माता-पिता ने एक बागी स्वर्गदूत की बातों में आकर परमेश्‍वर की आज्ञा को तोड़ा और उसके खिलाफ बगावत की। वह स्वर्गदूत आगे चलकर शैतान इब्‌लीस बना। आदम, हव्वा और शैतान को यहोवा ने आज़ाद मरज़ी का बढ़िया वरदान दिया था। लेकिन उन्होंने इसका गलत इस्तेमाल करके पूरे इंसानी परिवार के साथ सरासर नाइंसाफी की। उनके इस गलत काम की वजह से इंसानों पर दुःख-तकलीफों का कहर टूट पड़ा और वे मौत के मुँह में जाने लगे।—उत्पत्ति 3:1-6; रोमियों 5:12; इब्रानियों 2:14.

4. इंसानी समाज में अन्याय कब से होता आया है?

4 अदन में हुई बगावत के समय से लेकर आज तक, यानी करीब 6,000 सालों से इंसानी समाज में अन्याय होता आया है। और यह तो होना ही था, क्योंकि शैतान इस संसार का ईश्‍वर जो है। (2 कुरिन्थियों 4:4) शैतान झूठा है और झूठ का पिता है। वह यहोवा की निंदा और विरोध करनेवाला है। (यूहन्‍ना 8:44) उसने हमेशा घोर अन्याय किया है। मिसाल के लिए, जलप्रलय से पहले नूह के ज़माने के लोगों पर कुछ हद तक शैतान का बुरा असर था। इसलिए परमेश्‍वर ने देखा कि “मनुष्यों की बुराई पृथ्वी पर बढ़ गई है, और उनके मन के विचार में जो कुछ उत्पन्‍न होता है सो निरन्तर बुरा ही होता है।” (उत्पत्ति 6:5) यीशु के ज़माने में भी वैसे ही हालात थे। उसने कहा: “आज के लिए आज ही की बुराई बहुत है,” यानी एक-एक दिन अपने साथ अन्याय जैसी दर्दनाक समस्याएँ लेकर आता है। (मत्ती 6:34, NW) बाइबल कितना सही कहती है: “सम्पूर्ण सृष्टि मिलकर प्रसव-पीड़ा से अभी तक कराहती और तड़पती है।”—रोमियों 8:22, NHT.

5. आज अन्याय पहले से ज़्यादा क्यों हो रहा है?

5 इसलिए इंसान के पूरे इतिहास में बुरे काम हुए हैं और इसके साथ-साथ घोर अन्याय भी हुआ है। मगर आज हालात पहले से कहीं ज़्यादा बदतर हैं। वह क्यों? क्योंकि कई दशकों से इस अधर्मी संसार के ‘अन्तिम दिन’ चल रहे हैं। और जैसे-जैसे यह संसार अपने विनाश की ओर बढ़ रहा है, अंतिम दिनों का यह दौर और भी “कठिन” होता जा रहा है। बाइबल में भविष्यवाणी की गयी थी कि इस दौर में जीनेवाले लोग “अपस्वार्थी, लोभी, डींगमार, अभिमानी, निन्दक, . . . कृतघ्न, अपवित्र। मयारहित, क्षमारहित, दोष लगानेवाले, असंयमी, कठोर, भले के बैरी। विश्‍वासघाती, ढीठ, [और] घमण्डी” होंगे। (2 तीमुथियुस 3:1-5) लोगों में ऐसी बुराइयाँ होने की वजह से ही हर तरह का अन्याय होता है।

6, 7. हमारे समय में, इंसानों के साथ किस तरह के बड़े-बड़े अन्याय हुए हैं?

6 बीते सौ सालों में जिस पैमाने पर अन्याय हुआ है, उस पैमाने पर पहले कभी नहीं हुआ था। इसकी एक वजह यह है कि उन सालों के दौरान सबसे ज़्यादा युद्ध लड़े गए थे। मिसाल के लिए, कुछ इतिहासकारों का अनुमान है कि सिर्फ दूसरे विश्‍वयुद्ध में ही 5 से 6 करोड़ लोग मारे गए थे, जिनमें ज़्यादातर बेकसूर लोग और मासूम बच्चे शामिल थे। उस युद्ध के बाद, लाखों और लोग तरह-तरह की लड़ाइयों में मारे गए हैं और इनमें भी ज़्यादातर आम लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है। शैतान इस तरह के अंधेर को इसलिए बढ़ावा देता है, क्योंकि वह बहुत भड़का हुआ है और जानता है कि जल्द ही उसे यहोवा के हाथों शिकस्त खानी पड़ेगी। उसके बारे में बाइबल की एक भविष्यवाणी कहती है: “शैतान बड़े क्रोध के साथ तुम्हारे पास उतर आया है; क्योंकि जानता है, कि उसका थोड़ा ही समय और बाकी है।”—प्रकाशितवाक्य 12:12.

7 हर साल दुनिया-भर में, फौजों पर तकरीबन 41 करोड़ खरब रुपए खर्च किए जा रहे हैं। जबकि करोड़ों लोगों के पास ज़रूरत की चीज़ें तक नहीं हैं। ज़रा सोचिए, अगर उन खरबों रुपयों को इन लोगों की मदद करने में लगाया जाए, तो कितना अच्छा होगा! दुनिया में एक अरब लोग दाने-दाने को मोहताज हैं, जबकि दूसरों के पास खाने का अंबार लगा हुआ है। संयुक्‍त राष्ट्र संघ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हर साल करीब 50 लाख बच्चे भुखमरी के बुरे असर से मरते हैं। है ना यह घोर अन्याय? इसके अलावा, उन बहुत-से मासूमों के बारे में सोचिए, जिनकी गर्भ में ही जान ले ली जाती है। आँकड़े दिखाते हैं कि दुनिया-भर में हर साल 4 से 6 करोड़ बच्चों को इस दुनिया में आने से पहले ही मार डाला जाता है! कितना घिनौना अन्याय!

8. इंसानों के लिए सिर्फ कौन सच्चा न्याय ला सकता है?

8 इंसानी सरकारें उन ढेरों समस्याओं का हल नहीं कर पा रही हैं, जो आज पूरी मानवजाति पर कहर ढा रही हैं। और ना ही इंसानों की कोशिशों से हालात कभी सुधर पाएँगे। परमेश्‍वर के वचन में भविष्यवाणी की गयी थी कि हमारे समय में “दुष्ट, और बहकानेवाले धोखा देते हुए, और धोखा खाते हुए, बिगड़ते चले जाएंगे।” (2 तीमुथियुस 3:13) हम आए दिन इस हद तक अन्याय होते देखते हैं कि उसे मिटाना इंसान के बस की बात नहीं है। इसे सिर्फ न्याय का परमेश्‍वर, यहोवा ही मिटा सकता है। और सिर्फ यहोवा ही, शैतान, उसकी दुष्टात्माओं और दुष्ट लोगों का सफाया कर सकता है।—यिर्मयाह 10:23, 24.

चिंता जो जायज़ है

9, 10. आसाप क्यों निराश हो गया था?

9 बीते ज़माने में, बाइबल के कुछ लेखक भी इस बात से परेशान थे कि आखिर परमेश्‍वर, इंसानी मामलों में दखल देकर सच्चा न्याय और धार्मिकता क्यों नहीं लाया है। आइए ऐसे ही एक लेखक की मिसाल पर गौर करें। भजन 73 का उपरिलेख बताता है कि उसका नाम आसाप था। यह नाम या तो राजा दाऊद की हुकूमत के दौरान जीनेवाले एक नामी लेवी संगीतकार का था या संगीतकारों के उस घराने का, जिसका मूलपुरुष आसाप था। आसाप और उसके वंशजों ने कई भजन लिखे, जो उपासना के लिए गाए जाते थे। लेकिन आसाप की ज़िंदगी में एक वक्‍त ऐसा आया, जब वह आध्यात्मिक मायने में निराश हो गया था। क्यों? क्योंकि उसने दुष्ट लोगों को फलता-फूलता देखा और उसे ऐसा लगा, जैसे वे अपनी ज़िंदगी से खुश हैं और उन्हें कोई दुःख नहीं।

10 भजनहार ने अपनी भावनाएँ यूँ ज़ाहिर कीं: “जब मैंने दुष्टों को फूलते-फलते देखा तब अहंकारियों के प्रति ईर्ष्यालु हो उठा। क्योंकि उनकी मृत्यु में वेदनाएं नहीं होतीं, उनकी देह तो मोटी-ताज़ी है। अन्य मनुष्यों के समान उन्हें कष्ट नहीं होता, न मानव-जाति के समान उन पर विपत्ति पड़ती है।” (भजन 73:2-8, NHT) लेकिन कुछ समय बाद, बाइबल के उस लेखक को एहसास हुआ कि इस तरह की सोच रखना गलत है। (भजन 73:15, 16) इसलिए उसने अपनी सोच दुरुस्त करने की कोशिश की। फिर भी, वह यह बात पूरी तरह से समझ नहीं पाया कि क्यों दुष्ट लोग गलत काम करके सज़ा से बच जाते हैं, जबकि यहोवा के वफादार सेवक सही काम करके भी अकसर तकलीफें झेलते हैं।

11. भजनहार आसाप को क्या समझ में आ गया था?

11 आखिरकार, उस वफादार पुरुष को यह समझ में आ गया कि दुष्टों का क्या अंजाम होगा। यही कि यहोवा उन्हें हमेशा तक बरदाश्‍त नहीं करेगा, बल्कि एक समय ऐसा आएगा, जब वह उनसे लेखा लेगा। (भजन 73:17-19) दाऊद ने लिखा: “यहोवा की बाट जोहता रह, और उसके मार्ग पर बना रह, और वह तुझे बढ़ाकर पृथ्वी का अधिकारी कर देगा; जब दुष्ट काट डाले जाएंगे, तब तू देखेगा।”—भजन 37:9, 11, 34.

12. (क) दुष्टता और अन्याय के बारे में यहोवा ने क्या करने की ठान ली है? (ख) अन्याय को मिटाने का यहोवा ने जो हल निकाला है, उसके बारे में आप कैसा महसूस करते हैं?

12 इसमें कोई शक नहीं कि यहोवा ने अपने ठहराए वक्‍त पर धरती पर से दुष्टता और अन्याय को मिटाने की ठान ली है। और यह बात वफादार मसीहियों को भी समय-समय पर खुद को याद दिलाते रहना चाहिए। यहोवा उसकी मरज़ी के खिलाफ जानेवालों का नाश करेगा, मगर जो उसकी मरज़ी पर चलते हैं, उन्हें वह प्रतिफल देगा। “उसकी आंखें मनुष्य की सन्तान को नित देखती रहती हैं और उसकी पलकें उनको जांचती हैं। यहोवा धर्मी को परखता है, परन्तु वह उन से जो दुष्ट हैं और उपद्रव से प्रीति रखते हैं अपनी आत्मा में घृणा करता है। वह दुष्टों पर फन्दे बरसाएगा; आग और गन्धक और प्रचण्ड लूह उनके कटोरों में बांट दी जाएंगी। क्योंकि यहोवा धर्मी है, वह धर्म के ही कामों से प्रसन्‍न रहता है।”—भजन 11:4-7.

न्याय से सराबोर एक नयी दुनिया

13, 14. नयी दुनिया में धार्मिकता और न्याय का बोलबाला क्यों होगा?

13 जब यहोवा शैतान के इशारों पर नाचनेवाली इस दुनिया और उसमें फैली नाइंसाफी का नामो-निशान मिटा देगा, तब उसके बाद वह एक शानदार नयी दुनिया लाएगा। उस दुनिया पर परमेश्‍वर के स्वर्गीय राज्य की हुकूमत होगी। इसी राज्य के लिए यीशु ने अपने चेलों को यह प्रार्थना करना सिखाया था: “तेरा राज्य आए; तेरी इच्छा जैसी स्वर्ग में पूरी होती है, वैसे पृथ्वी पर भी हो।” (मत्ती 6:10) यह प्रार्थना सही मायनों में तब पूरी होगी, जब नयी दुनिया में दुष्टता और अन्याय की जगह धार्मिकता और न्याय का बोलबाला होगा।

14 बाइबल बताती है कि नयी दुनिया में हम किस तरह की हुकूमत की उम्मीद कर सकते हैं। वह एक ऐसी हुकूमत होगी जिसकी तमन्‍ना आज सभी नेकदिल लोग करते हैं। उस वक्‍त भजन 145:16 (NHT) के ये शब्द पूरी तरह सच साबित होंगे: “तू [यहोवा परमेश्‍वर] अपनी मुट्ठी खोलता है और प्रत्येक प्राणी की इच्छा को सन्तुष्ट करता है।” इसके अलावा, यशायाह 32:1 कहता है: “देखो, एक राजा [स्वर्ग में मसीह यीशु] धर्म से राज्य करेगा, और राजकुमार [धरती पर मसीह के नुमाइंदे] न्याय से हुकूमत करेंगे।” राजा यीशु मसीह के बारे में यशायाह 9:7 भविष्यवाणी करता है: “उसकी प्रभुता सर्वदा बढ़ती रहेगी, और उसकी शान्ति का अन्त न होगा, इसलिये वह उसको दाऊद की राजगद्दी पर इस समय से लेकर सर्वदा के लिये न्याय और धर्म के द्वारा स्थिर किए और संभाले रहेगा। सेनाओं के यहोवा की धुन के द्वारा यह हो जाएगा।” क्या आप खुद को उस हुकूमत के अधीन रहते देख सकते हैं, जो न्याय से सराबोर होगी?

15. यहोवा इंसानों की खातिर नयी दुनिया में क्या करेगा?

15 परमेश्‍वर की नयी दुनिया में, हम सभोपदेशक 4:1 के ये शब्द अपनी ज़बान पर फिर कभी नहीं लाएँगे: “मैं ने वह सब अन्धेर देखा जो संसार में होता है। और क्या देखा, कि अन्धेर सहनेवालों के आंसू बह रहे हैं, और उनको कोई शान्ति देनेवाला नहीं! अन्धेर करनेवालों के हाथ में शक्‍ति थी, परन्तु उनको कोई शान्ति देनेवाला नहीं था।” माना कि असिद्ध होने की वजह से, हमें यह कल्पना करना शायद मुश्‍किल लगे कि धार्मिकता की वह नयी दुनिया कितनी लाजवाब होगी। फिर भी, हम यकीन रख सकते हैं कि उस वक्‍त बुराई रहेगी ही नहीं, बल्कि हर दिन अच्छा-ही-अच्छा होगा। जी हाँ, यहोवा हर अन्याय का निपटारा करेगा और वह हमारी उम्मीदों से कहीं बढ़कर ऐसा करेगा। इसलिए ये शब्द कितने मुनासिब हैं, जिन्हें लिखने की प्रेरणा यहोवा ने पतरस को दी थी: “उस की प्रतिज्ञा के अनुसार हम एक नए आकाश और नई पृथ्वी की आस देखते हैं जिन में धार्मिकता बास करेगी।”—2 पतरस 3:13.

16. किस मायने में “नए आकाश” स्थापित हो चुके हैं, और “नई पृथ्वी” को आज कैसे तैयार किया जा रहा है?

16 जी हाँ, “नए आकाश” यानी परमेश्‍वर की स्वर्गीय सरकार, जिसकी बागडोर मसीह के हाथों में है, स्थापित हो चुकी है। और जो लोग “नई पृथ्वी” यानी वफादार लोगों के नए समाज की बुनियाद बनेंगे, उन्हें इन अंतिम दिनों में इकट्ठा किया जा रहा है। इन लोगों की गिनती करीब 70 लाख तक पहुँच चुकी है। ये लोग तकरीबन 235 देशों में फैली लगभग 1,00,000 कलीसियाओं का हिस्सा हैं। वे यहोवा की धार्मिकता और न्याय के मार्ग पर चलना सीख रहे हैं। इसका नतीजा यह हुआ है कि दुनिया-भर में वे मसीही प्रेम की डोर से एकता में बाँधे गए हैं। दुनिया के इतिहास में, उनकी यह एकता लोगों से छिपी नहीं है और मुसीबतों का तूफान भी उनकी इस एकता को तोड़ नहीं पाया है। यह एकता शैतान के लोगों में रही-सही एकता से कहीं बढ़कर है। परमेश्‍वर के लोगों में ऐसा प्यार और एकता उस मुबारक घड़ी की एक झलक है जो हम उसकी नयी दुनिया में देखेंगे। वह ऐसी दुनिया होगी जिसकी हुकूमत धार्मिकता और न्याय से की जाएगी।—यशायाह 2:2-4; यूहन्‍ना 13:34, 35; कुलुस्सियों 3:14.

शैतान का वार खाली जाएगा

17. यहोवा के लोगों पर शैतान का आखिरी वार खाली क्यों जाएगा?

17 बहुत जल्द, शैतान और उसकी जी-हुज़ूरी करनेवाले, यहोवा के उपासकों को मिटाने की गरज़ से उन पर हमला करेंगे। (यहेजकेल 38:14-23) यह हमला उस घटना का एक हिस्सा होगा जो यीशु के मुताबिक “ऐसा भारी क्लेश होगा, जैसा जगत के आरम्भ से न अब तक हुआ, और न कभी होगा।” (मत्ती 24:21) क्या शैतान अपने हमले में कामयाब होगा? हरगिज़ नहीं। परमेश्‍वर का वचन हमें ढाढ़स देता है: “यहोवा न्याय से प्रीति रखता; और अपने भक्‍तों को न तजेगा। उनकी तो रक्षा सदा होती है, परन्तु दुष्टों का वंश काट डाला जाएगा। धर्मी लोग पृथ्वी के अधिकारी होंगे, और उस में सदा बसे रहेंगे।”—भजन 37:28, 29.

18. (क) आनेवाले समय में जब शैतान, परमेश्‍वर के लोगों पर हमला करेगा, तब परमेश्‍वर क्या करेगा? (ख) न्याय की जीत के बारे में हमने बाइबल से जिस जानकारी पर चर्चा की है, वह क्यों फायदेमंद रही है?

18 यहोवा के सेवकों पर शैतान और उसकी सेना का हमला, उनका आखिरी घिनौना काम होगा। यहोवा ने सपन्याह के ज़रिए भविष्यवाणी की: “जो तुम को छूता है, वह मेरी आंख की पुतली ही को छूता है।” (जकर्याह 2:8) वह हमला ऐसा होगा मानो कोई यहोवा की आँख की पुतली में अपनी उँगली घुसेड़ रहा हो। यहोवा तुरंत कदम उठाएगा। वह धरती पर उसके लोगों के दुश्‍मनों को खाक में मिला देगा, और शैतान और उसकी दुष्टात्माओं को अथाह कुंड में डाल देगा। धरती पर औरों के मुकाबले, यहोवा के सेवक सबसे अमन-पसंद लोग हैं, वे प्यार और एकता से रहनेवाले और कानून को माननेवाले हैं। इसलिए उन पर होनेवाला यह हमला सरासर अन्याय होगा। ‘न्याय से प्रीति रखनेवाला’ महान परमेश्‍वर, यहोवा इस अन्याय को कतई बरदाश्‍त नहीं करेगा। इसलिए वह अपने सेवकों की खातिर कार्रवाई करेगा। इसका नतीजा यह होगा कि उसके सेवकों के दुश्‍मनों का खात्मा होगा, न्याय की जीत होगी और एकमात्र सच्चे परमेश्‍वर की उपासना करनेवालों का उद्धार होगा। सचमुच, आनेवाले समयों में हम क्या ही हैरतअँगेज़ और रोमांचक घटनाएँ देखेंगे!—नीतिवचन 2:21, 22. (w07 8/15)

आप क्या जवाब देंगे?

• आज अन्याय का इतना बोलबाला क्यों है?

• यहोवा इस धरती पर से अन्याय को कैसे मिटाएगा?

• इस अध्ययन में, न्याय की जीत के बारे में बतायी कौन-सी बात आपके दिल को छू गयी है?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 9 पर तसवीर]

जलप्रलय से पहले, पृथ्वी बुराई से भर गयी थी और आज के “अन्तिम दिनों” में भी दुनिया का वही हाल है

[पेज 10 पर तसवीरें]

परमेश्‍वर की नयी दुनिया में, दुष्टता की जगह न्याय और धार्मिकता का बोलबाला होगा