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“तुम्हारा पिता दयावन्त है”

“तुम्हारा पिता दयावन्त है”

“तुम्हारा पिता दयावन्त है”

“जैसा तुम्हारा पिता दयावन्त है, वैसे ही तुम भी दयावन्त बनो।”—लूका 6:36.

1, 2. यीशु ने शास्त्रियों और फरीसियों, साथ ही अपने चेलों से जो कहा, उससे कैसे ज़ाहिर होता है कि दया एक मनभावना गुण है?

 मूसा के ज़रिए इस्राएलियों को दी व्यवस्था में तकरीबन 600 नियम-कानून थे। हालाँकि इस कानून-व्यवस्था को मानना उनके लिए ज़रूरी था, मगर यह भी ज़रूरी था कि वे दयालु हों। गौर कीजिए कि यीशु ने उन फरीसियों से क्या कहा, जिनके दिल में दूसरों के लिए ज़रा-भी दया नहीं थी। दो मौकों पर उसने उन्हें फटकारा और उन्हें परमेश्‍वर के ये शब्द याद दिलाए: “मैं बलिदान नहीं परन्तु दया चाहता हूं।” (मत्ती 9:10-13; 12:1-7; होशे 6:6) अपनी सेवा के आखिर में यीशु ने कहा: “हे कपटी शास्त्रियो, और फरीसियो, तुम पर हाय; तुम पोदीने और सौंफ और जीरे का दसवां अंश [तो] देते हो, परन्तु तुम ने व्यवस्था की गम्भीर बातों को अर्थात्‌ न्याय, और दया, और विश्‍वास को छोड़ दिया है।”—मत्ती 23:23.

2 इसमें कोई दो राय नहीं कि यीशु दया को एक बेहद ज़रूरी गुण मानता था। उसने अपने चेलों से कहा: “जैसा तुम्हारा पिता दयावन्त है, वैसे ही तुम भी दयावन्त बनो।” (लूका 6:36) इस मामले में ‘परमेश्‍वर के सदृश्‍य बनने’ के लिए, पहले हमें यह जानना होगा कि दया का असल मतलब क्या है। (इफिसियों 5:1) इसके अलावा, दया दिखाने के फायदों को समझने से हम अपनी ज़िंदगी में यह गुण और भी अच्छी तरह दिखा पाएँगे।

दीन-दुखियों पर दया करना

3. दया का असल मतलब जानने के लिए हमें यहोवा की मदद क्यों लेनी चाहिए?

3 भजनहार ने अपने गीत में लिखा: “यहोवा अनुग्रहकारी और दयालु, विलम्ब से क्रोध करनेवाला और अति करुणामय है। यहोवा सभों के लिये भला है, और उसकी दया उसकी सारी सृष्टि पर है।” (भजन 145:8, 9) यहोवा “दया का पिता, और सब प्रकार की शान्ति का परमेश्‍वर है।” (2 कुरिन्थियों 1:3) जो दयालु होता है, वह दूसरों के साथ करुणा से पेश आता है। दया परमेश्‍वर की शख्सियत का एक अहम पहलू है। उसकी मिसाल और उसकी दी हिदायतों से हम सीख सकते हैं कि दया का असल मतलब क्या है।

4. यशायाह 49:15 से हम दया के बारे में क्या सीखते हैं?

4 जैसा कि यशायाह 49:15 में लिखा है, यहोवा कहता है: “क्या यह हो सकता है कि कोई माता अपने दूधपिउवे बच्चे को भूल जाए और अपने जन्माए हुए लड़के पर दया न करे?” जो भावना यहोवा को दया दिखाने के लिए उकसाती है, उसकी तुलना माँ की ममता से की गयी है। जब एक माँ अपने बच्चे को भूख से या किसी और वजह से बिलखते देखती है, तो उसकी ममता या करुणा फौरन उसे अपने बच्चे की ज़रूरत पूरी करने के लिए उकसाती है। यहोवा जिनको दया दिखाता है, उनके लिए उसके दिल में भी ऐसी ही कोमल भावनाएँ हैं।

5. इस्राएलियों के मामले में यहोवा ने किस तरह दिखाया कि वह “दया का धनी” है?

5 किसी दुखियारे के लिए करुणा महसूस करना अच्छी बात है। मगर करुणा महसूस करके उसकी मदद के लिए आगे आना उससे भी अच्छी बात है। गौर कीजिए कि आज से करीब 3,500 साल पहले जब यहोवा के उपासक मिस्र की गुलामी में थे, तब यहोवा ने क्या किया। उसने मूसा से कहा: “मैं ने अपनी प्रजा के लोग जो मिस्र में हैं उनके दुःख को निश्‍चय देखा है, और उनकी जो चिल्लाहट परिश्रम करानेवालों के कारण होती है उसको भी मैं ने सुना है, और उनकी पीड़ा पर मैं ने चित्त लगाया है; इसलिये अब मैं उतर आया हूं कि उन्हें मिस्रियों के वश से छुड़ाऊं, और उस देश से निकालकर एक अच्छे और बड़े देश में जिस में दूध और मधु की धारा बहती है . . . पहुंचाऊं।” (निर्गमन 3:7, 8) इस्राएलियों को मिस्र से आज़ाद कराने के करीब 500 साल बाद, यहोवा ने उन्हें याद दिलाया: “मैं [ही] तो इस्राएल को मिस्र देश से निकाल लाया, और तुम को मिस्रियों के हाथ से, और उन सब राज्यों के हाथ से जो तुम पर अन्धेर करते थे छुड़ाया है।” (1 शमूएल 10:18) इस्राएलियों ने बार-बार परमेश्‍वर के धर्मी उसूलों को दरकिनार किया। इसलिए उन्हें मुसीबतों की मार सहनी पड़ी। फिर भी, यहोवा ने उन पर तरस खाया और उन्हें हर बार मुसीबतों से छुड़ाया। (न्यायियों 2:11-16; 2 इतिहास 36:15) इससे पता चलता है कि प्यार करनेवाला परमेश्‍वर यहोवा किस तरह उन लोगों को दया दिखाता है, जो लाचार हैं या किसी खतरे या मुसीबत में हैं। सचमुच, यहोवा “दया का धनी” है।—इफिसियों 2:4.

6. यीशु ने कैसे हू-ब-हू अपने पिता की तरह दया दिखायी थी?

6 धरती पर रहते वक्‍त यीशु ने हू-ब-हू अपने पिता की तरह दया दिखायी थी। एक मौके पर दो अंधों ने यीशु से मिन्‍नत की: “हे प्रभु, दाऊद के संतान, हम पर दया कर।” वे चाहते थे कि यीशु चमत्कार करके उनकी आँखों की रोशनी लौटा दे। यीशु ने क्या किया? वही जो वे चाहते थे। लेकिन ऐसा उसने बिना हमदर्दी जताए नहीं किया। बाइबल कहती है: “यीशु ने तरस खाकर उन की आंखें छूईं, और वे तुरन्त देखने लगे।” (मत्ती 20:30-34) वाकई, तरस या दया के गुण की वजह से ही यीशु ने कई चमत्कार किए। और इन चमत्कारों के ज़रिए उसने अंधों, दुष्टात्माओं से पीड़ित लोगों, कोढ़ियों और उन माता-पिताओं को राहत पहुँचायी, जिनके बच्चे बीमार या किसी पीड़ा में थे।—मत्ती 9:27; 15:22; 17:15; मरकुस 5:18, 19; लूका 17:12, 13.

7. यहोवा और उसके बेटे की मिसालों से हम दया के बारे में क्या सीखते हैं?

7 यहोवा परमेश्‍वर और यीशु मसीह की मिसालें दिखाती हैं कि दया के दो पहलू हैं। एक है, दीन-दुखियों के लिए करुणा या हमदर्दी महसूस करना या उन पर तरस खाना। और दूसरा है, उन्हें अपने दुःखों से राहत पहुँचाने के लिए कोई कदम उठाना। दया दिखाने में इन दोनों पहलुओं का होना ज़रूरी है। बाइबल की ज़्यादातर आयतों में दया दिखाने का मतलब है, ज़रूरतमंदों के लिए भलाई के काम करना। मगर न्याय के मामले में दया कैसे दिखायी जाती है? क्या इस मामले में दया दिखाने का यह मतलब है कि कोई कदम न उठाना, जैसे गुनहगारों को सज़ा न देना?

गुनहगारों पर दया करना

8, 9. बतशेबा के साथ पाप करने के बाद दाऊद को जो दया दिखायी गयी थी, उसमें क्या शामिल था?

8 गौर कीजिए कि जब प्राचीन इस्राएल के राजा दाऊद ने बतशेबा के साथ नाजायज़ संबंध रखे और नातान नबी ने दाऊद के मुँह पर उसके इस पाप का खुलासा किया, तो क्या हुआ। दाऊद को अपने पाप का गहरा अफसोस हुआ और उसने यहोवा से गिड़गिड़ाकर कहा: “हे परमेश्‍वर, अपनी करुणा के अनुसार मुझ पर अनुग्रह कर; अपनी बड़ी दया के अनुसार मेरे अपराधों को मिटा दे। मुझे भली भांति धोकर मेरा अधर्म दूर कर, और मेरा पाप छुड़ाकर मुझे शुद्ध कर! मैं तो अपने अपराधों को जानता हूं, और मेरा पाप निरन्तर मेरी दृष्टि में रहता है। मैं ने केवल तेरे ही विरुद्ध पाप किया, और जो तेरी दृष्टि में बुरा है, वही किया है।”—भजन 51:1-4.

9 दाऊद को अपने किए पर बहुत पछतावा हुआ। इसलिए यहोवा ने उसके पाप को माफ कर दिया, और उसे और बतशेबा को जो सज़ा मिलनी चाहिए थी, वह कम कर दी। वह कैसे? मूसा की कानून-व्यवस्था के मुताबिक उन दोनों को मौत की सज़ा मिलनी चाहिए थी। (व्यवस्थाविवरण 22:22) मगर यहोवा ने उनकी जान बख्श दी। (2 शमूएल 12:13) फिर भी, वे अपने पाप के सभी अंजामों से बच नहीं पाए। इससे पता चलता है कि परमेश्‍वर के दया दिखाने में गुनाहों को माफ करना शामिल है। मगर साथ ही, वह गुनहगारों को मुनासिब सज़ा देने से पीछे नहीं हटता।

10. हालाँकि यहोवा न्याय करते वक्‍त दया दिखाता है, फिर भी हमें उसकी दया का नाजायज़ फायदा क्यों नहीं उठाना चाहिए?

10 “एक मनुष्य [आदम] के द्वारा पाप जगत में आया” और “पाप की मजदूरी तो मृत्यु है।” इसका मतलब है कि सभी इंसान मौत के लायक हैं। (रोमियों 5:12; 6:23) तो फिर हम यहोवा के कितने एहसानमंद हो सकते हैं कि वह हमारा न्याय करते वक्‍त हमें दया दिखाता है! मगर हमें सावधान रहना चाहिए कि हम यहोवा की दया का नाजायज़ फायदा न उठाएँ। व्यवस्थाविवरण 32:4 कहता है: “[यहोवा की] सारी गति न्याय की है।” इसका मतलब है कि दया दिखाते वक्‍त यहोवा अपने न्याय के ऊँचे स्तरों से कभी समझौता नहीं करता।

11. दाऊद के पाप का मामला निपटाते वक्‍त, यहोवा ने किस तरह न्याय को नज़रअंदाज़ नहीं किया?

11 दाऊद और बतशेबा के मामले में, उनकी मौत की सज़ा को कम करने से पहले उनके पाप को माफ किया जाना था। मगर इस्राएली न्यायियों के पास उनके पाप को माफ करने का अधिकार नहीं था। इसलिए अगर यह मामला उनके हाथों में सौंपा जाता, तो मौत की सज़ा सुनाने के सिवा उनके पास और कोई चारा नहीं होता, क्योंकि व्यवस्था के मुताबिक इस पाप की यही सज़ा थी। मगर दाऊद के साथ बाँधी अपनी वाचा का लिहाज़ करते हुए यहोवा यह देखना चाहता था कि क्या दाऊद के पाप को माफ करने की कोई ठोस वजह है। (2 शमूएल 7:12-16) इसलिए ‘सारी पृथ्वी के न्यायी’ और ‘मन को जांचनेवाले’ यहोवा ने खुद इस मामले को निपटाने का चुनाव किया। (उत्पत्ति 18:25; 1 इतिहास 29:17) सिर्फ यहोवा ही दाऊद का दिल पढ़ सकता था और यह परख सकता था कि उसका पश्‍चाताप सच्चा है कि नहीं। और फिर उस बिनाह पर वह उसे माफ कर सकता था।

12. पापी इंसान परमेश्‍वर की दया से कैसे फायदा पा सकते हैं?

12 हमें विरासत में मिले पाप की सज़ा, यानी मौत से बरी करने के लिए यहोवा ने जो दया दिखायी, वह उसके न्याय के मुताबिक है। अपने न्याय के स्तरों से समझौता किए बगैर, यहोवा ने हमारे पापों को माफ करना मुमकिन किया है। उसने दया का सबसे बड़ा सबूत देते हुए अपने बेटे यीशु मसीह का छुड़ौती बलिदान दिया है। (मत्ती 20:28; रोमियों 6:22, 23) अगर हम यहोवा की दया से फायदा पाना चाहते हैं, जो हमें विरासत में मिले पाप की सज़ा से बचा सकती है, तो हमें ‘पुत्र पर विश्‍वास करना’ चाहिए।—यूहन्‍ना 3:16, 36.

दया और न्याय का परमेश्‍वर

13, 14. क्या परमेश्‍वर की दया उसके न्याय को हलका करती है? समझाइए।

13 हालाँकि यहोवा की दया उसके न्याय के स्तरों के खिलाफ नहीं जाती, मगर क्या यह उसके न्याय पर किसी तरह से असर करती है? क्या दया यहोवा के न्याय को हलका करती है, मानो उसका न्याय कठोर हो? ऐसा बिलकुल नहीं है।

14 यहोवा ने भविष्यवक्‍ता होशे के ज़रिए इस्राएलियों से कहा: “मैं सदा के लिये तुझे अपनी स्त्री करने की प्रतिज्ञा करूंगा, और यह प्रतिज्ञा धर्म, और न्याय, और करुणा, और दया के साथ करूंगा।” (होशे 2:19) इन शब्दों से साफ ज़ाहिर है कि यहोवा जब भी दया दिखाता है, तो यह उसके दूसरे गुणों से मेल खाती है, जिनमें न्याय भी शामिल है। यहोवा “दयालु और अनुग्रहकारी, . . . अधर्म और अपराध और पाप का क्षमा करनेवाला है, परन्तु दोषी को वह किसी प्रकार निर्दोष न ठहराएगा।” (निर्गमन 34:6, 7) यहोवा दया और न्याय का परमेश्‍वर है। उसके बारे में बाइबल कहती है: “वह चट्टान है, उसका काम खरा है; और उसकी सारी गति न्याय की है।” (व्यवस्थाविवरण 32:4) परमेश्‍वर का न्याय उतना ही खरा है, जितनी कि उसकी दया। इनमें से कोई भी गुण न तो एक-दूसरे से बढ़कर है, और ना ही इन्हें एक-दूसरे के असर को हलका करने की ज़रूरत है। इसके बजाय, दोनों गुणों में बढ़िया तालमेल है।

15, 16. (क) क्या बात दिखाती है कि यहोवा का न्याय कठोर नहीं है? (ख) जब यहोवा इस दुष्ट संसार पर न्यायदंड लाएगा, तो उसके उपासक किस बात का यकीन रख सकते हैं?

15 यहोवा का न्याय कठोर नहीं है। न्याय में अकसर कानूनी कार्रवाई शामिल होती है और ऐसे में आम तौर पर गुनहगारों को सज़ा देना ज़रूरी होता है। लेकिन परमेश्‍वर के न्याय में न सिर्फ गुनहगारों को सज़ा देना, बल्कि नेकदिल लोगों का उद्धार करना भी शामिल है। मिसाल के तौर पर, जब यहोवा ने सदोम और अमोरा में दुष्टों का नाश किया था, तब उसने कुलपिता लूत और उसकी दो बेटियों को बचाया था।—उत्पत्ति 19:12-26.

16 आज हम इस बात का पूरा यकीन रख सकते हैं कि जब यहोवा इस दुष्ट संसार पर न्यायदंड लाएगा, तब सच्चे उपासकों की “बड़ी भीड़” को नाश नहीं किया जाएगा। इस तरह, जिन लोगों ने “अपने अपने वस्त्र मेम्ने के लोहू में धोकर श्‍वेत किए हैं,” वे ‘बड़े क्लेश से निकल’ आएँगे।—प्रकाशितवाक्य 7:9-14.

हमें दयालु क्यों होना चाहिए?

17. दयालु होने की सबसे बड़ी वजह क्या है?

17 वाकई, यहोवा और यीशु मसीह की मिसाल से हम सीखते हैं कि दया का असल मतलब क्या है। दयालु होने की सबसे बड़ी वजह बताते हुए नीतिवचन 19:17 कहता है: “जो कंगाल पर अनुग्रह करता है, वह यहोवा को उधार देता है, और वह अपने इस काम का प्रतिफल पाएगा।” जब हम यहोवा और उसके बेटे की मिसाल पर चलते हुए, एक-दूसरे को दया दिखाते हैं, तो इससे यहोवा खुश होता है। (1 कुरिन्थियों 11:1) साथ ही, जब हम लोगों को दया दिखाते हैं, तो वे भी हमें दया दिखाने के लिए उकसाए जाते हैं।—लूका 6:38.

18. हमें दया दिखाने में अपना भरसक क्यों करना चाहिए?

18 दया में कई बढ़िया गुण शामिल हैं। जैसे कि अनुग्रह, प्यार, कृपा और भलाई। इसके अलावा, करुणा या हमदर्दी की कोमल भावनाएँ एक इंसान को दया दिखाने के लिए उकसाती हैं। हालाँकि यहोवा की दया उसके न्याय को किसी तरह कमज़ोर नहीं करती, मगर यहोवा क्रोध करने में धीमा है और सब्र रखते हुए गुनहगारों को पश्‍चाताप करने की मोहलत देता है। (2 पतरस 3:9, 10) इससे पता चलता है कि दया में सब्र रखना और धीरज धरना भी शामिल है। जब दया में इतने सारे मनभावने गुण और आत्मा के फल शामिल हैं, तो इसका मतलब है कि दया दिखाने के ज़रिए हम अपने अंदर ये गुण बढ़ा सकते हैं। (गलतियों 5:22, 23) इसलिए यह कितना ज़रूरी है कि हम दया दिखाने में अपना भरसक करें!

“धन्य हैं वे, जो दयावन्त हैं”

19, 20. दया किस तरह न्याय पर जयवंत होती है?

19 शिष्य याकूब ने बताया कि क्यों हमें दया को अपनी ज़िंदगी का एक अहम हिस्सा बना लेना चाहिए। उसने लिखा: “दया न्याय पर जयवन्त होती है।” (याकूब 2:13ख) यहाँ याकूब उस दया की बात कर रहा था, जो यहोवा का एक उपासक दूसरों को दिखाता है। दया किस तरह न्याय पर जयवंत होती है? जब एक इंसान को ‘परमेश्‍वर को अपना लेखा देना होता है,’ तब परमेश्‍वर गौर करता है कि वह दूसरों के साथ कैसे दया से पेश आया और फिर अपने बेटे के छुड़ौती बलिदान के आधार पर उसे माफ कर देता है। इस तरह दया न्याय पर जयवंत होती है। (रोमियों 14:12) इसमें कोई शक नहीं कि जब दाऊद ने बतशेबा के साथ पाप किया, तो उस पर दया करने की एक वजह यह थी कि वह खुद एक दयालु इंसान था। (1 शमूएल 24:4-7) इसके उलट, “जिस ने दया नहीं की, उसका न्याय बिना दया के होगा।” (याकूब 2:13क) यही वजह है कि परमेश्‍वर उन लोगों को भी “मृत्यु के दण्ड के योग्य” समझता है, जो ‘निर्दयी’ हैं।—रोमियों 1:31, 32.

20 अपने पहाड़ी उपदेश में यीशु ने कहा: “धन्य हैं वे, जो दयावन्त हैं, क्योंकि उन पर दया की जाएगी।” (मत्ती 5:7) ये शब्द क्या ही ज़बरदस्त तरीके से ज़ाहिर करते हैं कि जो परमेश्‍वर की दया पाना चाहते हैं, उन्हें भी दयालु होना चाहिए! अगले लेख में चर्चा की जाएगी कि हम अपनी रोज़मर्रा ज़िंदगी में दया कैसे दिखा सकते हैं। (w07 9/15)

आपने क्या सीखा?

• दया क्या है?

• दया किन तरीकों से दिखायी जाती है?

• किस मायने में यहोवा, दया और न्याय का परमेश्‍वर है?

• हमें दयालु क्यों होना चाहिए?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 9 पर तसवीर]

दीन-दुखियों के लिए यहोवा के अंदर वैसी ही कोमल भावना है, जैसे एक माँ के अंदर अपने बच्चे के लिए होती है

[पेज 12 पर तसवीर]

दाऊद पर दया करके, क्या यहोवा अपने न्याय के स्तरों के खिलाफ गया?