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‘वृद्धावस्था में फलना’

‘वृद्धावस्था में फलना’

‘वृद्धावस्था में फलना’

भूमध्य सागर के आस-पास के देशों में, बहुत-से लोग अपने आँगनों में खजूर के पेड़ लगाते हैं। ये पेड़ अपनी खूबसूरती और स्वादिष्ट फलों के लिए मशहूर हैं। इतना ही नहीं, ये पेड़ सौ से भी ज़्यादा सालों तक फल देते हैं।

प्राचीन इस्राएल के राजा, सुलैमान ने अपनी एक कविता में खूबसूरत शूलेम्मिन लड़की के डील-डौल को खजूर के पेड़ की तरह बताया था। (श्रेष्ठगीत 7:7) बाइबल के ज़माने के पेड़-पौधे (अँग्रेज़ी) किताब कहती है: “खजूर के पेड़ के लिए जो इब्रानी शब्द इस्तेमाल किया जाता है, वह है तामार। . . . यह पेड़ यहूदियों में, खूबसूरती और मनोहरता का प्रतीक बन गया था। और अकसर लड़कियों के नाम तामार रखे जाते थे।” मिसाल के लिए, सुलैमान की सौतेली बहन का नाम तामार था। (2 शमूएल 13:1) आज भी, कुछ यहूदी लोग अपनी बेटियों का नाम तामार रखते हैं।

लेकिन सिर्फ खूबसूरत लड़कियों की ही नहीं, बल्कि परमेश्‍वर के बुज़ुर्ग सेवकों की तुलना भी खजूर के पेड़ के साथ की गयी है। भजनहार ने अपने गीत में गाया: “धार्मिक व्यक्‍ति खजूर वृक्ष के समान फलते-फूलते हैं; वे लबानोन प्रदेश के देवदार-जैसे बढ़ते हैं। वे प्रभु के गृह में रोपे गए हैं; वे हमारे परमेश्‍वर के आंगनों में फलते-फूलते हैं। वे वृद्धावस्था में भी फलते हैं; वे सदा रसमय और हरे-भरे रहते हैं।”—भजन 92:12-14, नयी हिन्दी बाइबिल।

लाक्षणिक तौर पर देखा जाए, तो जो लोग ढलती उम्र में भी पूरी वफादारी से परमेश्‍वर की सेवा करते हैं, वे कई मायनों में खजूर के खूबसूरत पेड़ की तरह होते हैं। बाइबल कहती है: “पक्के बाल शोभायमान मुकुट ठहरते हैं; वे धर्म के मार्ग पर चलने से प्राप्त होते हैं।” (नीतिवचन 16:31) हालाँकि उम्र बढ़ने के साथ-साथ इंसान का दमखम खत्म होता जाता है, फिर भी वे अपनी आध्यात्मिक ताकत बरकरार रख सकते हैं। वह कैसे? नियमित तौर पर परमेश्‍वर के वचन, बाइबल का अध्ययन करने के ज़रिए। (भजन 1:1-3; यिर्मयाह 17:7, 8) हम इन वफादार बुज़ुर्गों के कितने एहसानमंद हैं, क्योंकि उनके मनोहर शब्द सुनकर और उनकी बढ़िया मिसाल देखकर हमारा हौसला बढ़ता है। साथ ही, वे सालों-साल तक फलते रहते हैं। (तीतुस 2:2-5; इब्रानियों 13:15, 16) जी हाँ, खजूर के पेड़ की तरह बुज़ुर्ग मसीही भी अपनी ढलती उम्र में फलते-फूलते रह सकते हैं। (w07 9/15)