प्रहरीदुर्ग—अध्ययन संस्करण 1 नवंबर, 2007 क्या आपको सिर्फ आज के लिए जीना चाहिए? आनेवाले कल को ध्यान में रखकर जीओ अपने अंदर की आवाज़ सुनिए अपने विवेक के मुताबिक काम कीजिए ओबद्याह, योना और मीका किताबों की झलकियाँ “चान्दी तो मेरी है, और सोना भी मेरा ही है” परमेश्वर का वचन बिना पूरा हुए नहीं रहता ‘परमेश्वर की गूढ़ बातों’ की खोज करना “वह इरादे का बड़ा पक्का था” प्रिंट करें दूसरों को भेजें दूसरों को भेजें प्रहरीदुर्ग—अध्ययन संस्करण 1 नवंबर, 2007 प्रहरीदुर्ग—अध्ययन संस्करण 1 नवंबर, 2007 हिंदी प्रहरीदुर्ग—अध्ययन संस्करण 1 नवंबर, 2007 https://assetsnffrgf-a.akamaihd.net/assets/ct/f62df3bf2a/images/cvr_placeholder.jpg