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‘परमेश्‍वर की गूढ़ बातों’ की खोज करना

‘परमेश्‍वर की गूढ़ बातों’ की खोज करना

‘परमेश्‍वर की गूढ़ बातों’ की खोज करना

“आत्मा सब बातें, बरन परमेश्‍वर की गूढ़ बातें भी जांच[ती] है।”—1 कुरिन्थियों 2:10.

1. बाइबल की ऐसी कुछ सच्चाइयाँ क्या हैं जिन्हें जानकर नए बाइबल विद्यार्थी फूले नहीं समाते?

 हममें से ज़्यादातर मसीहियों को वह वक्‍त याद होगा जब हमने पहली बार सच्चाई सीखी थी। उस वक्‍त हम फूले नहीं समाए थे। हमने जाना कि यहोवा का नाम क्या मायने रखता है, क्यों वह दुःख-तकलीफों को रहने देता है, क्यों कुछ लोग स्वर्ग जाते हैं और बाकी वफादार लोगों के लिए क्या शानदार आशा है। शायद हमने बाइबल पहले भी पढ़ी हो, मगर ये बातें हमसे छिपी-की-छिपी ही रहीं, ठीक जैसे ये दुनिया के ज़्यादातर लोगों से छिपी हैं। हम एक ऐसे शख्स की तरह थे जो पानी के अंदर मूंगे की चट्टानों को देखने की कोशिश करता है। मगर बिना किसी यंत्र के उसे पानी के अंदर की खूबसूरती नज़र नहीं आती। लेकिन जब वह गोताखोर के चश्‍मे से या एक ऐसी नाव से, जिसमें काँच की सतह होती है, पानी के अंदर देखता है, तो उसे उसकी खूबसूरती उभरती नज़र आती है। वह खुशी के मारे उछल पड़ता है, क्योंकि वह पहली बार रंग-बिरंगे मूंगों, मछलियों और तरह-तरह के जीवों को देखता है। उसी तरह, जब किसी ने हमें बाइबल को समझने में मदद दी, तब जाकर हमें पहली बार ‘परमेश्‍वर की गूढ़ बातों’ की एक झलक मिली।—1 कुरिन्थियों 2:8-10.

2. परमेश्‍वर के वचन से सीखने की खुशी क्यों कभी खत्म नहीं हो सकती?

2 क्या हमें बाइबल की सच्चाइयों की सिर्फ एक झलक पाकर उसी में खुश रहना चाहिए? ‘परमेश्‍वर की गूढ़ बातों’ में परमेश्‍वर के ज्ञान, या बुद्धि को समझना शामिल है, जिसे वह पवित्र आत्मा के ज़रिए मसीहियों पर प्रकट करता है, मगर जो दूसरों से छिपी रहती है। (1 कुरिन्थियों 2:7) परमेश्‍वर की बुद्धि अथाह है। ज़रा सोचिए, उस बुद्धि के बारे में खोजबीन करके हम कितनी खुशी पा सकते हैं! मगर हाँ, हम परमेश्‍वर की बुद्धि को कभी पूरी तरह नहीं जान पाएँगे। फिर भी, पहली बार बाइबल की बुनियादी शिक्षाएँ हासिल करने पर हमें जो खुशी मिली थी, उसे हम बरकरार रख सकते हैं, बशर्ते हम ‘परमेश्‍वर की गूढ़ बातों’ की लगातार खोज करते रहें।

3. बाइबल की शिक्षाओं की बुनियाद को गहराई से समझना क्यों ज़रूरी है?

3 ‘गूढ़ बातों’ को समझना हमारे लिए क्यों ज़रूरी है? क्योंकि हम क्या मानते हैं सिर्फ यह जानने से हमारा विश्‍वास और भरोसा मज़बूत नहीं होता, बल्कि हम क्यों मानते हैं, यानी हमारी शिक्षाओं की बुनियाद क्या है, यह जानने से भी हमारा विश्‍वास मज़बूत होता है। बाइबल हमें अपनी “तर्क-शक्‍ति” का इस्तेमाल करने का बढ़ावा देती है, ताकि हम ‘खुद को साबित कर सकें कि परमेश्‍वर की भली, उसे भानेवाली और सिद्ध इच्छा क्या है।’ (रोमियों 12:1, 2, NW) अगर हम यह समझने की कोशिश करें कि यहोवा क्यों हमसे माँग करता है कि हम फलाँ तरीके से ज़िंदगी जीएँ, तो उसकी आज्ञा मानने का हमारा इरादा और भी बुलंद हो जाएगा। इसलिए ‘गूढ़ बातों’ की समझ हमें ऐसी ताकत दे सकती है जिससे हम लुभाए जाने पर बुरे काम करने से इनकार करेंगे। इसके अलावा, यह समझ हमें “भले कामों में सरगर्म” होने का बढ़ावा भी दे सकती है।—तीतुस 2:14.

4. बाइबल अध्ययन में क्या-क्या शामिल है?

4 गूढ़ बातों को समझने के लिए अध्ययन करना ज़रूरी है। मगर अध्ययन का मतलब सिर्फ सरसरी तौर पर पढ़ना नहीं है। तो फिर इसमें क्या-क्या शामिल है? इसमें यह शामिल है कि आप जो पढ़ रहे हैं, उसकी जाँच-परख करें और आप जो पहले से जानते हैं उसके साथ नयी जानकारी की तुलना करें। (2 तीमुथियुस 1:13) साथ ही, जो कहा गया है उसके लिए दी गयी दलीलों या कारणों को समझने की कोशिश करें। बाइबल अध्ययन में इस बात पर मनन करना भी शामिल है कि कैसे हम सीखी हुई बातों का इस्तेमाल करके बुद्धि-भरे फैसले कर सकते हैं और दूसरों की मदद कर सकते हैं। इतना ही नहीं, “हर एक पवित्रशास्त्र परमेश्‍वर की प्रेरणा से रचा गया है” और “लाभदायक है।” इसलिए हमें बाइबल के सिर्फ कुछेक वचनों का नहीं, बल्कि ‘परमेश्‍वर के मुख से निकलनेवाले हर एक वचन’ का अध्ययन करना चाहिए। (2 तीमुथियुस 3:16, 17; मत्ती 4:4) बाइबल का अध्ययन करने में बहुत मेहनत लगती है! मगर ऐसा करने से हमें खुशी भी मिल सकती है और देखा जाए तो ‘परमेश्‍वर की गूढ़ बातों’ को समझना इतना मुश्‍किल नहीं है।

यहोवा नम्र लोगों को समझ हासिल करने में मदद देता है

5. ‘परमेश्‍वर की गूढ़ बातों’ को कौन समझ सकता है?

5 भले ही आप स्कूल में अव्वल न रहे हों और अध्ययन करने के शौकीन न हों, फिर भी यह मत सोचिए कि गूढ़ बातों को समझना आपके बस के बाहर है। धरती पर यीशु की सेवा के दौरान, यहोवा ने अपना मकसद ज्ञानियों और समझदारों पर नहीं, बल्कि अनपढ़ और साधारण मनुष्यों पर ज़ाहिर किया था। ये लोग नम्र थे और परमेश्‍वर के सेवक, यीशु से सीखने के लिए तैयार थे। वे रब्बियों के स्कूलों में शिक्षा पाए लोगों की तुलना में मानो बालक ही थे। (मत्ती 11:25; प्रेरितों 4:13) “जो बातें . . . परमेश्‍वर ने अपने प्रेम रखनेवालों के लिये तैयार की हैं,” उनके बारे में प्रेरित पौलुस ने अपने मसीही भाइयों को लिखा: “परमेश्‍वर ने उन को अपने आत्मा के द्वारा हम पर प्रगट किया; क्योंकि आत्मा सब बातें, बरन परमेश्‍वर की गूढ़ बातें भी जांच[ती] है।”—1 कुरिन्थियों 2:9, 10.

6. पहला कुरिन्थियों 2:10 में दर्ज़ शब्दों का क्या मतलब है?

6 परमेश्‍वर की आत्मा किस तरह “सब बातें, बरन परमेश्‍वर की गूढ़ बातें भी जांच[ती] है?” यहोवा हर मसीही को अलग से सच्चाई की समझ नहीं देता, बल्कि यह समझ अपनी आत्मा के ज़रिए चलाए जानेवाले संगठन को देता है। और यह संगठन, उन लोगों को यह समझ मुहैया कराता है जो एकता में परमेश्‍वर की सेवा कर रहे हैं। (प्रेरितों 20:28; इफिसियों 4:3-6) दुनिया-भर की सभी कलीसियाओं में बाइबल अध्ययन का एक-जैसा कार्यक्रम चलाया जाता है। सालों के दौरान, इन कलीसियाओं में बाइबल की तमाम शिक्षाओं का अध्ययन किया जाता है। इन कलीसियाओं के ज़रिए पवित्र आत्मा लोगों की मदद करती है, ताकि वे ‘परमेश्‍वर की गूढ़ बातों’ को समझने के लिए अपने रवैये में ज़रूरी फेरबदल कर सकें।—प्रेरितों 5:32.

‘परमेश्‍वर की गूढ़ बातों’ में क्या-क्या शामिल है

7. ज़्यादातर लोग ‘परमेश्‍वर की गूढ़ बातों’ को क्यों नहीं समझ पाते?

7 हमें इस गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए कि ‘गूढ़ बातों’ का मतलब ऐसी बातें हैं जिन्हें समझना मुश्‍किल है। ‘परमेश्‍वर की गूढ़ बातों’ का ज्ञान ज़्यादातर लोगों से इसलिए नहीं छिपा है कि परमेश्‍वर की बुद्धि हासिल करना बहुत मुश्‍किल है। इसके बजाय, यह इसलिए छिपा है क्योंकि शैतान लोगों को बहका रहा है, ताकि वे यहोवा के संगठन से मिलनेवाली मदद को ठुकरा दें।—2 कुरिन्थियों 4:3, 4.

8. पौलुस ने इफिसियों को लिखी अपनी पत्री के तीसरे अध्याय में किन गूढ़ बातों का ज़िक्र किया?

8 इफिसियों को लिखी पौलुस की पत्री के तीसरे अध्याय से पता चलता है कि ‘परमेश्‍वर की गूढ़ बातों’ में ऐसी बहुत-सी सच्चाइयाँ शामिल हैं, जिन्हें यहोवा के ज़्यादातर सेवक अच्छी तरह समझते हैं। जैसे, वादा किए गए वंश की पहचान, स्वर्ग में राज करने के लिए इंसानों में से कुछ लोगों का चुना जाना और मसीहाई राज्य। पौलुस ने लिखा: “जो और और समयों में मनुष्यों की सन्तानों को ऐसा नहीं बताया गया था, जैसा कि आत्मा के द्वारा अब उसके पवित्र प्रेरितों और भविष्यद्वक्‍ताओं पर प्रगट किया गया है। अर्थात्‌ यह, कि मसीह यीशु में . . . अन्यजातीय लोग मीरास में साझी, और एक ही देह के और प्रतिज्ञा के भागी हैं।” पौलुस ने कहा कि उसे यह ज़िम्मेदारी दी गयी है कि वह “सब पर यह बात प्रकाशित क[रे], कि उस [पवित्र] भेद का प्रबन्ध क्या है, जो . . . परमेश्‍वर में आदि से गुप्त था।”—इफिसियों 3:5-9.

9. ‘परमेश्‍वर की गूढ़ बातों’ को समझना क्यों बड़े सम्मान की बात है?

9 इतना ही नहीं, पौलुस ने आगे बताया कि परमेश्‍वर की मरज़ी यह भी थी कि “कलीसिया के द्वारा, परमेश्‍वर का नाना प्रकार का ज्ञान, उन . . . पर, जो स्वर्गीय स्थानों में हैं प्रगट किया जाए।” (इफिसियों 3:10) परमेश्‍वर जिस ज्ञान या बुद्धि के साथ मसीही कलीसिया के संग पेश आता है, उसे देखकर और समझकर स्वर्गदूत भी बहुत कुछ सीखते हैं। जिन बातों में स्वर्गदूत भी दिलचस्पी लेते हैं, उन बातों को समझना हमारे लिए कितने बड़े सम्मान की बात है! (1 पतरस 1:10-12) पौलुस आगे कहता है कि हमें ‘पवित्र लोगों के साथ यह समझने की’ कोशिश करनी चाहिए कि मसीही विश्‍वास की ‘चौड़ाई, लम्बाई, ऊंचाई, और गहराई कितनी है।’ (इफिसियों 3:11, 18) अब आइए हम गूढ़ बातों की कुछ मिसालों पर गौर करें, जिन पर शायद हमने पहले कभी ध्यान न दिया हो।

गूढ़ बातों की मिसालें

10, 11. बाइबल के मुताबिक, यीशु कब परमेश्‍वर की स्वर्गीय “स्त्री” के “वंश” का मुख्य भाग बना?

10 हम जानते हैं कि यीशु ही परमेश्‍वर की स्वर्गीय “स्त्री” के “वंश” का मुख्य भाग है। और इस “वंश” का ज़िक्र उत्पत्ति 3:15 में किया गया है। मगर अपनी समझ बढ़ाने के लिए हम खुद से यह सवाल पूछ सकते हैं: ‘यीशु, वादा किया गया वंश कब बना? धरती पर आने से पहले? इंसान के रूप में जन्म लेने पर? बपतिस्मे के वक्‍त? या तब, जब उसका पुनरुत्थान हुआ?’

11 परमेश्‍वर ने वादा किया था कि उसके संगठन का स्वर्गीय हिस्सा, जिसे भविष्यवाणी में “स्त्री” बताया गया है, एक वंश उत्पन्‍न करेगा, जो सर्प के सिर को कुचल डालेगा। हज़ारों साल बीत गए, मगर परमेश्‍वर की स्त्री ने ऐसा कोई वंश उत्पन्‍न नहीं किया, जो शैतान और उसके कामों को नाश कर सकता। इसलिए यशायाह की भविष्यवाणी में उसे “बांझ” और “मन की दुखिया” कहा गया है। (यशायाह 54:1, 5, 6) आखिरकार, यीशु बेतलेहेम में पैदा हुआ। मगर जब उसके बपतिस्मे के बाद, आत्मा से उसका अभिषेक हुआ और वह परमेश्‍वर का आत्मिक बेटा बना, तब जाकर यहोवा ने ऐलान किया: ‘यह मेरा पुत्र है।’ (मत्ती 3:17; यूहन्‍ना 3:3) स्त्री के “वंश” का मुख्य भाग आखिर प्रकट हुआ। बाद में यीशु के चेलों का भी पवित्र आत्मा से अभिषेक हुआ और वे भी परमेश्‍वर के पुत्र बने। यहोवा की “स्त्री,” जो इतने लंबे अरसे से “पुत्रहीन” थी, आखिरकार खुशी के मारे “जयजयकार” कर सकी।—यशायाह 54:1; गलतियों 3:29.

12, 13. बाइबल की कौन-सी आयतें दिखाती हैं कि धरती पर जीनेवाले सभी अभिषिक्‍त मसीही मिलकर “विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास” बनते हैं?

12 गूढ़ बातों की दूसरी मिसाल है, इंसानों में से 1,44,000 जनों को चुनने का परमेश्‍वर का मकसद। (प्रकाशितवाक्य 14:1, 4) हम मानते हैं कि किसी भी समय के दौरान, धरती पर जीनेवाले अभिषिक्‍त मसीहियों के पूरे समूह को “विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास” कहा जाता है। इस दास के बारे में यीशु ने कहा था कि वह अपने नौकर चाकरों को समय पर “भोजन” देगा। (मत्ती 24:45) लेकिन बाइबल की कौन-सी आयतें साबित करती हैं कि इस दास के बारे में हमारी समझ सही है? क्या यीशु के कहने का यह मतलब था कि यह दास ऐसा कोई भी मसीही हो सकता है, जो अपने भाइयों को आध्यात्मिक खुराक देकर उनका विश्‍वास मज़बूत करता है?

13 परमेश्‍वर ने पूरी इस्राएल जाति से कहा था: “तुम ही लोग तो मेरे साक्षी हो। तू मेरा वह सेवक है जिसे मैंने चुना है।” (यशायाह 43:10, ईज़ी-टू-रीड वर्शन) मगर सा.यु. 33 के निसान 11 को यीशु ने इस्राएल के अगुवों से कहा कि परमेश्‍वर ने उनकी जाति को अपने सेवक के तौर पर ठुकरा दिया है। उसने कहा: “परमेश्‍वर का राज्य तुम से ले लिया जाएगा; और ऐसी जाति को जो उसका फल लाए, दिया जाएगा।” यीशु ने उन इस्राएलियों से कहा: “देखो, तुम्हारा घर तुम्हारे लिये उजाड़ छोड़ा जाता है।” (मत्ती 21:43; 23:38) यहोवा के दास होने के नाते, इस्राएल न तो विश्‍वासयोग्य साबित हुआ, ना ही बुद्धिमान। (यशायाह 29:13, 14) उसी दिन, जब यीशु ने पूछा: “वह विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास कौन है?” तो वह दरअसल पूछ रहा था कि ‘कौन-सी बुद्धिमान जाति परमेश्‍वर का विश्‍वासयोग्य दास बनने के लिए इस्राएल की जगह लेगी?’ प्रेरित पतरस ने इस सवाल का जवाब देते हुए अभिषिक्‍त मसीहियों की कलीसिया से कहा: “तुम . . . पवित्र राष्ट्र हो, परमेश्‍वर की अपनी प्रजा हो।” (1 पतरस 1:4; 2:9, नयी हिन्दी बाइबिल) वह आत्मिक राष्ट्र, यानी ‘परमेश्‍वर का इस्राएल’ यहोवा का नया दास बना। (गलतियों 6:16) जिस तरह प्राचीन इस्राएल के सभी सदस्य मिलकर एक “सेवक” बने, उसी तरह किसी भी समय के दौरान, धरती पर जीनेवाले सभी अभिषिक्‍त मसीही मिलकर एक “विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास” बनते हैं। परमेश्‍वर के इस दास से “भोजन” पाना हमारे लिए कितने बड़े सम्मान की बात है!

आप निजी अध्ययन का लुत्फ उठा सकते हैं

14. बाइबल पढ़ने से ज़्यादा उसका अध्ययन करने से हमें खुशी क्यों मिलती है?

14 जब हमें बाइबल आयतों की नयी समझ मिलती है, तो क्या यह देखकर हमें खुशी नहीं होती कि इससे हमारा विश्‍वास मज़बूत हुआ है? यही वजह है कि हमें बाइबल पढ़ने से ज़्यादा उसका अध्ययन करने से खुशी मिलती है। इसलिए, मसीही साहित्य पढ़ते वक्‍त खुद से पूछिए: ‘इस विषय पर मुझे पहले से जो जानकारी है, उसका इस जानकारी के साथ क्या संबंध है? इस लेख में जो बताया गया है, उसे पुख्ता करने के लिए क्या मैं बाइबल की कुछ दूसरी आयतें या दलीलें सोच सकता हूँ?’ अगर किसी सवाल पर ज़्यादा खोजबीन करने की ज़रूरत पड़े, तो उस सवाल को लिख लीजिए और निजी अध्ययन के दौरान उसका जवाब ढूँढ़ने की योजना बनाइए।

15. किन विषयों का गहरा अध्ययन करने से आपको खुशी मिल सकती है, और उनसे आप लंबे समय तक कैसे फायदा पा सकते हैं?

15 आप किन विषयों का अध्ययन कर सकते हैं, जिससे आपको उनकी गहरी समझ हासिल करने की खुशी मिले? आप उन अलग-अलग वाचाओं का अध्ययन कर सकते हैं जो परमेश्‍वर ने इंसानों की भलाई के लिए बाँधी हैं। या फिर आप यीशु मसीह से जुड़ी भविष्यवाणियों का अध्ययन करके या बाइबल की भविष्यवाणी की किसी किताब की आयत-दर-आयत जाँच करके अपना विश्‍वास मज़बूत कर सकते हैं। और हमारे मसीही साहित्य में दिया यहोवा के साक्षियों का आधुनिक इतिहास पढ़कर भी आपका विश्‍वास मज़बूत हो सकता है। * इसके अलावा, प्रहरीदुर्ग के पिछले अंकों में छपे “पाठकों के प्रश्‍न” को दोबारा पढ़कर आप ज़रूर बाइबल की कुछ आयतों की बेहतर समझ हासिल कर सकते हैं। गौर कीजिए कि इन लेखों में किसी नतीजे पर पहुँचने के लिए बाइबल से क्या तर्क पेश किया गया है। इससे आप अपनी ‘ज्ञानेन्द्रियों’ को पक्का कर पाएँगे और अपनी परख-शक्‍ति को बढ़ाना सीखेंगे। (इब्रानियों 5:14) अध्ययन करते वक्‍त मुद्दों को अपनी बाइबल में या एक कागज़ पर लिख लीजिए, ताकि आपको और आप जिसकी मदद करते हैं उन्हें लंबे समय तक इसका फायदा होता रहे।

बच्चों के लिए बाइबल अध्ययन मज़ेदार बनाइए

16. बच्चों के लिए बाइबल अध्ययन मज़ेदार बनाने के लिए आप क्या कर सकते हैं?

16 माता-पिता अपने बच्चों में आध्यात्मिक बातों की ललक पैदा करने के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं। यह मत सोचिए कि गूढ़ बातों को समझना बच्चों के बस की बात नहीं। आप बच्चों को पारिवारिक अध्ययन के लिए किसी विषय पर खोजबीन करने को कह सकते हैं। फिर अध्ययन के दौरान उनसे पूछ सकते हैं कि उन्होंने अपनी खोजबीन से क्या सीखा है। पारिवारिक अध्ययन के दौरान, बच्चों के साथ इस बात का रिहर्सल भी किया जा सकता है कि वे दूसरों के सामने अपने विश्‍वास की पैरवी कैसे करेंगे और कैसे यह साबित करेंगे कि उन्हें जो सिखाया गया है, वह बिलकुल सही है। इसके अलावा, आप उन्हें बाइबल के अलग-अलग देशों के बारे में सिखाने और हफ्ते की बाइबल पढ़ाई को और भी अच्छी तरह समझाने के लिए ‘उत्तम देश को देख’ * ब्रोशर का इस्तेमाल कर सकते हैं।

17. निजी तौर पर बाइबल के विषयों का अध्ययन करते वक्‍त किस बात का ध्यान रखना ज़रूरी है?

17 निजी तौर पर बाइबल के विषयों पर अध्ययन करना दिलचस्प हो सकता है और इससे हमारा विश्‍वास भी मज़बूत हो सकता है। मगर ध्यान रहे कि आप उसमें इस कदर न डूब जाएँ कि आपके पास सभाओं की तैयारी करने के लिए समय ही न बचे। सभाएँ एक और तरीका है जिससे यहोवा “विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास” के ज़रिए हमें हिदायतें देता है। लेकिन हाँ, खोजबीन करने से आप सभाओं में, जैसे कि कलीसिया पुस्तक अध्ययन में या परमेश्‍वर की सेवा स्कूल के दौरान बाइबल झलकियों के भाग में बढ़िया जवाब दे सकते हैं।

18. ‘परमेश्‍वर की गूढ़ बातों’ का अध्ययन करने के लिए की गयी मेहनत क्यों बेकार नहीं जाती?

18 परमेश्‍वर के वचन का गहरा अध्ययन करने से आपको यहोवा के करीब आने में मदद मिल सकती है। बाइबल बताती है कि इस तरह का अध्ययन कितनी अहमियत रखता है। वह कहती है: “बुद्धि की आड़ रुपये की आड़ का काम देता है; परन्तु ज्ञान की श्रेष्ठता यह है कि बुद्धि से उसके रखनेवालों के प्राण की रक्षा होती है।” (सभोपदेशक 7:12) इसलिए आध्यात्मिक बातों की गहरी समझ हासिल करने के लिए आप जो मेहनत करते हैं, वह कभी बेकार नहीं जाएगी। गूढ़ बातों की खोज करनेवालों से बाइबल वादा करती है: ‘परमेश्‍वर का ज्ञान आपको प्राप्त होगा।’—नीतिवचन 2:4, 5.  (w07 11/1)

[फुटनोट]

^ जो अँग्रेज़ी जानते हैं, वे जेहोवाज़ विट्‌नेसेस—प्रोक्लेमर्स ऑफ गॉड्‌स्‌ किंगडम किताब में यहोवा के साक्षियों के आधुनिक इतिहास के बारे में पढ़ सकते हैं।

^ इसे यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है।

क्या आप समझा सकते हैं?

• “परमेश्‍वर की गूढ़ बातें” क्या हैं?

• हमें गूढ़ बातों का अध्ययन करना क्यों कभी बंद नहीं करना चाहिए?

• सभी मसीहियों के लिए वह खुशी पाना क्यों मुमकिन है, जो ‘परमेश्‍वर की गूढ़ बातों’ को समझने से मिलती है?

• ‘परमेश्‍वर की गूढ़ बातों’ से आप और भी ज़्यादा फायदा कैसे पा सकते हैं?

[अध्ययन के लिए सवाल]