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जीवन जल के पास ले जाए जाने के योग्य ठहराए गए

जीवन जल के पास ले जाए जाने के योग्य ठहराए गए

जीवन जल के पास ले जाए जाने के योग्य ठहराए गए

‘मेम्ना उन की रखवाली करेगा; और उन्हें जीवन रूपी जल के सोतों के पास ले जाएगा।’—प्रका. 7:17.

1. परमेश्‍वर के वचन में अभिषिक्‍त मसीहियों को क्या कहा गया है और यीशु ने उन्हें क्या ज़िम्मेदारी दी?

 परमेश्‍वर के वचन में अभिषिक्‍त मसीहियों को “विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास” कहा गया है, जो धरती पर मसीह के अधीन सभी कलीसियाओं और उनसे जुड़े कामों की देखरेख करता है। सन्‌ 1918 में, जब मसीह ने आकर अपने “दास” को जाँचा, तो उसने पाया कि धरती पर अभिषिक्‍त जन ‘समय पर भोजन देने’ में विश्‍वासयोग्य साबित हुए। इसलिए उनके स्वामी, यीशु ने खुश होकर उन्हें “अपनी सारी संपत्ति पर” सरदार ठहराया। (मत्ती 24:45-47 पढ़िए।) इस तरह, अभिषिक्‍त मसीहियों को स्वर्ग में इनाम मिलने से पहले, धरती पर यहोवा के दूसरे उपासकों की सेवा करने की ज़िम्मेदारी मिली।

2. यीशु की संपत्ति के बारे में बताइए।

2 एक स्वामी को अपनी संपत्ति या माल-मत्ता पर पूरा अधिकार होता है और वह उसका जैसा चाहे इस्तेमाल कर सकता है। यहोवा के राजा, यीशु मसीह की संपत्ति में क्या-क्या शामिल है? राज्य और उसकी प्रजा से जुड़े वे सभी काम जो धरती पर किए जाते हैं। इसमें “बड़ी भीड़” भी शामिल है, जिसे यूहन्‍ना ने दर्शन में देखा था। उस बड़ी भीड़ के बारे में यूहन्‍ना यह ब्यौरा देता है: “देखो, हर एक जाति, और कुल, और लोग और भाषा में से एक ऐसी बड़ी भीड़, जिसे कोई गिन नहीं सकता था श्‍वेत वस्त्र पहिने, और अपने हाथों में खजूर की डालियां लिए हुए सिंहासन के साम्हने और मेम्ने के साम्हने खड़ी है।”—प्रका. 7:9.

3, 4. बड़ी भीड़ के लोगों को क्या बढ़िया सुअवसर मिले हैं?

3 बड़ी भीड़ के सदस्य उन लोगों में से हैं जिन्हें यीशु ने अपनी “अन्य भेड़ें” कहा था। (यूह. 10:16, NW) उनकी आशा इसी धरती पर फिरदौस में हमेशा तक जीने की है। उन्हें पूरा भरोसा है कि यीशु “उन्हें जीवन रूपी जल के सोतों के पास ले [जाएगा]” और यह भी कि “परमेश्‍वर उन की आंखों से सब आंसू पोंछ डालेगा।” इसी आशा में उन्होंने “अपने अपने वस्त्र मेम्ने के लोहू में धोकर श्‍वेत किए हैं।” (प्रका. 7:14, 17) दूसरे शब्दों में कहें तो वे यीशु के बलिदान पर विश्‍वास करते हैं और इसलिए परमेश्‍वर की नज़रों में उनके ‘वस्त्र श्‍वेत’ हैं। वे इब्राहीम की तरह, धर्मी ठहराए जाते हैं और परमेश्‍वर के मित्र बनते हैं।

4 यही नहीं, परमेश्‍वर की नज़र में धर्मी ठहरने के कारण अन्य भेड़ों की दिनों-दिन बढ़ती भीड़, “बड़े क्लेश” के वक्‍त इस संसार के विनाश से बचने की उम्मीद कर सकती है। (याकू. 2:23-26) वे परमेश्‍वर के करीब आ सकते हैं। और एक समूह के तौर पर उनके पास हरमगिदोन से बचने की शानदार आशा है। (याकू. 4:8; प्रका. 7:15) बड़ी भीड़ के लोग अपनी मन-मरज़ी से नहीं चलते, बल्कि अपने स्वर्गीय राजा, यीशु और धरती पर उसके अभिषिक्‍त भाइयों के निर्देशन को खुशी-खुशी मानते हैं।

5. बड़ी भीड़ के लोग मसीह के अभिषिक्‍त भाइयों को किस तरह सहयोग देते हैं?

5 अभिषिक्‍त मसीहियों को शैतान के संसार से कड़े विरोध का सामना करना पड़ा है और आगे भी करना पड़ेगा। ऐसे में भी वे यकीन रख सकते हैं कि बड़ी भीड़ के उनके साथी उनको सहयोग देंगे। आज, जहाँ एक तरफ अभिषिक्‍त मसीहियों की गिनती बहुत कम हो गयी है, वहीं दूसरी तरफ बड़ी भीड़ की गिनती हर साल सैकड़ों-हज़ारों की तादाद में बढ़ रही है। दुनिया-भर में करीब 1, 00, 000 मसीही कलीसियाएँ हैं और अभिषिक्‍त जनों के लिए हर कलीसिया की देखरेख करना मुश्‍किल है। इसलिए बड़ी भीड़ के काबिल भाई, प्राचीनों के नाते इन कलीसियाओं में सेवा करते हैं और इस तरह अपने अभिषिक्‍त भाइयों को सहयोग देते हैं। आज वे उन लाखों मसीहियों की देखभाल करते हैं, जिनका ज़िम्मा “विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास” को सौंपा गया है।

6. अन्य भेड़ों का अभिषिक्‍त मसीहियों को सहयोग देने के बारे में क्या भविष्यवाणी की गयी थी?

6 अभिषिक्‍त मसीहियों को अन्य भेड़ के लोग खुशी-खुशी सहयोग देंगे, इसकी भविष्यवाणी यशायाह ने की थी। उसने लिखा: “यहोवा यों कहता है: ‘मिस्र के बेगार मज़दूर और कूश के व्यापारी और सबाई लोग जो ऊँचे कदवाले हैं, तेरे पास अपने आप चले आएँगे, और तेरे ही हो जाएँगे। वे तेरे पीछे पीछे चलेंगे।’” (यशा. 45:14, NW) धरती पर जीने की आशा रखनेवाले मसीही, अभिषिक्‍त दास वर्ग और उसके शासी निकाय की अगुवाई को मानकर आध्यात्मिक मायने में उनके पीछे-पीछे चलते हैं। यही नहीं, वे “बेगार मज़दूर” की तरह खुशी-खुशी और तहेदिल से अपनी ताकत और अपना साधन प्रचार काम में लगाते हैं। इस तरह वे उस काम में हाथ बँटाते हैं जिसकी ज़िम्मेदारी मसीह ने धरती पर अपने अभिषिक्‍त चेलों को दी थी।—प्रेरि. 1:8; प्रका. 12:17.

7. बड़ी भीड़ को आज किस लिए तालीम मिल रही है?

7 जब बड़ी भीड़ के लोग अपने अभिषिक्‍त भाइयों को सहयोग देते हैं, तो उन्हें इन भाइयों से नए समाज की बुनियाद बनने की तालीम मिलती है। यह वही समाज है जो हरमगिदोन के बाद कायम होगा। इसकी बुनियाद को टिकाऊ और मज़बूत होना चाहिए और इसके सदस्यों को अपने स्वामी की हिदायतों को मानने के लिए तैयार और काबिल होना चाहिए। आज हर सदस्य को यह साबित करने का मौका दिया जा रहा है कि उसका राजा, मसीह यीशु जिस तरह उसे इस्तेमाल करना चाहे, वह उसके लिए तैयार है। अपने विश्‍वास और वफादारी का सबूत देकर वह दिखा सकता है कि नयी दुनिया में भी जब उसका राजा उसे हिदायतें देगा, वह उसे खुशी-खुशी मानेगा।

बड़ी भीड़ अपने विश्‍वास का सबूत देती है

8, 9. बड़ी भीड़ के लोग किन तरीकों से अपने विश्‍वास का सबूत देते हैं?

8 अभिषिक्‍त मसीहियों की कलीसिया में उनके अन्य भेड़ के साथी कई तरीकों से अपने विश्‍वास का सबूत देते हैं। पहला तरीका है, वे परमेश्‍वर के राज्य की खुशखबरी सुनाने में अभिषिक्‍त जनों को सहयोग देते हैं। (मत्ती 24:14; 28:19, 20) दूसरा, वे शासी निकाय से मिलनेवाले निर्देशनों का खुशी-खुशी पालन करते हैं।—इब्रा. 13:17. जकर्याह 8:23 पढ़िए।

9 तीसरा, वे अपनी ज़िंदगी में यहोवा के धर्मी सिद्धांतों पर चलने के ज़रिए अपने अभिषिक्‍त भाइयों को सहयोग देते हैं। वे अपने अंदर “प्रेम, आनन्द, मेल, धीरज, कृपा, भलाई, विश्‍वास, नम्रता, और संयम” जैसे गुण पैदा करने की कोशिश करते हैं। (गल. 5:22, 23) आज की दुनिया में, ‘शरीर के कामों’ का पीछा करने के बजाय इस तरह के गुण पैदा करना शायद कोई मायने न रखे। फिर भी, बड़ी भीड़ के लोगों ने ठान लिया है कि वे ‘व्यभिचार, गन्दे काम, लुचपन, मूर्त्ति पूजा, टोना, बैर, झगड़ा, ईर्ष्या, क्रोध, विरोध, फूट, विधर्म, डाह, मतवालपन, लीलाक्रीड़ा, और इन के ऐसे और और कामों’ से दूर रहेंगे।—गल. 5:19-21.

10. बड़ी भीड़ के सदस्यों ने क्या ठान लिया है?

10 असिद्ध होने की वजह से आत्मा के फल पैदा करना, शरीर के कामों से दूर रहना और शैतान की दुनिया से आनेवाले दबावों का सामना करना हमारे लिए मुश्‍किल हो सकता है। लेकिन हमने ठान लिया है कि हम अपनी कमज़ोरियों, नाकामियों या खराब सेहत की वजह से निराश होकर अपने विश्‍वास को कमज़ोर नहीं पड़ने देंगे और ना ही यहोवा के लिए अपने प्यार को कम होने देंगे। हम जानते हैं कि यहोवा बड़ी भीड़ को बड़े क्लेश से बचाकर अपना वादा ज़रूर निभाएगा।

11. मसीहियों का विश्‍वास कमज़ोर करने के लिए शैतान ने कौन-सी चालें चली हैं?

11 फिर भी, हमें लगातार सतर्क रहने की ज़रूरत है। क्योंकि हम जानते हैं कि हमारा असली दुश्‍मन इब्‌लीस है और वह इतनी आसानी से हार माननेवाला नहीं। (1 पतरस 5:8 पढ़िए।) उसने धर्मत्यागियों और दूसरे लोगों को अपना मोहरा बनाकर हमें यह यकीन दिलाना चाहा है कि हम जिन शिक्षाओं को मानते हैं, वे गलत हैं। मगर मोटे तौर पर उसकी यह चाल नाकाम रही है। यही बात ज़ुल्मों के बारे में भी सच है। हालाँकि इसकी वजह से कभी-कभी प्रचार का काम धीमा पड़ गया, मगर अकसर देखा गया है कि ज़ुल्म सहने से भाइयों का विश्‍वास और भी मज़बूत हुआ है। इसलिए शैतान एक ऐसे दाँवपेंच का इस्तेमाल कर रहा है, जिससे उसे लगता है कि वह हमारे विश्‍वास को कमज़ोर करने में ज़्यादा कामयाब होगा। और वह है, हमारे मन में उठनेवाली निराशा की भावनाओं का फायदा उठाना। पहली सदी के मसीहियों को इसी खतरे से खबरदार किया गया था। उनसे कहा गया था: “[मसीह] पर ध्यान करो, जिस ने अपने विरोध में पापियों का इतना वाद-विवाद सह लिया।” आखिर क्यों? “[ता]कि तुम निराश होकर हियाव न छोड़ दो।”—इब्रा. 12:3.

12. बाइबल की सलाह निराश लोगों की हिम्मत कैसे बँधाती है?

12 क्या कभी आपका मन किया है कि आप यहोवा की सेवा छोड़ दें? क्या आपको कभी-कभार लगता है कि आप यहोवा की सेवा में नाकाम हो गए हैं? अगर ऐसी बात है, तो शैतान को मौका मत दीजिए कि वह इन भावनाओं का फायदा उठाकर आपको यहोवा की सेवा करने से रोक दे। बाइबल का गहरा अध्ययन करने, दिल लगाकर प्रार्थना करने, लगातार सभाओं में हाज़िर होने और मसीही भाई-बहनों के साथ मेलजोल रखने से आपको हिम्मत मिलेगी। और ‘आप हियाव भी नहीं छोड़ेंगे।’ यहोवा ने वादा किया है कि वह अपने सेवकों को नया बल देगा और उसका वादा पत्थर की लकीर है। (यशायाह 40:30, 31 पढ़िए।) इसलिए अपना पूरा ध्यान राज्य के कामों पर लगाइए। उन बातों और कामों से दूर रहिए जो हमारा बहुत वक्‍त खा सकते हैं। इसके बजाय, दूसरों की मदद करने में पूरा ध्यान लगाइए। ऐसा करने से आप निराशा के बावजूद भी हिम्मत नहीं हारेंगे।—गल. 6:1, 2.

बड़े क्लेश से बचकर नयी दुनिया में कदम रखना

13. हरमगिदोन से बच निकलनेवालों के पास क्या कुछ करने को होगा?

13 हरमगिदोन के बाद, जब लाखों अधर्मी लोगों का पुनरुत्थान होगा, तो उन्हें यहोवा के मार्गों के बारे में सिखाए जाने की ज़रूरत होगी। (प्रेरि. 24:15) उन्हें यीशु के छुड़ौती बलिदान के बारे में सीखना होगा। मगर उससे बढ़कर उन्हें उस बलिदान पर विश्‍वास करना सीखना होगा ताकि वे उससे फायदा पा सकें। उन्हें झूठे धर्म की उन धारणाओं को ठुकराना होगा, जिन्हें वे पहले मानते थे। उन्हें अपने पुराने तौर-तरीकों को छोड़ना होगा और बदले में नए मनुष्यत्व को पहनना होगा, जो सच्चे मसीहियों की पहचान है। (इफि. 4:22-24; कुलु. 3:9, 10) वाकई, अन्य भेड़ों में से जो लोग हरमगिदोन से बच निकलेंगे, उनके पास करने को बहुत कुछ होगा। लेकिन यहोवा के लिए यह काम करने से उन्हें बेइंतिहा खुशी मिलेगी, क्योंकि तब उन पर दबाव डालने और उनका ध्यान भटकाने के लिए शैतान का दुष्ट संसार रहेगा ही नहीं।

14, 15. बड़े क्लेश से बच निकलनेवाले और पुनरुत्थान पानेवाले धर्मी लोग एक-दूसरे से क्या सीखेंगे?

14 यीशु के ज़माने से पहले जीनेवाले यहोवा के वफादार सेवकों को भी नयी दुनिया में बहुत कुछ सीखना होगा। वे सीखेंगे कि वादा किया मसीहा कौन था, जिसकी वे आस तो लगाए थे मगर उसे देख नहीं पाए। इन वफादार सेवकों ने जीते-जी साबित किया था कि वे यहोवा से सिखलाए जाने को तैयार हैं। ज़रा सोचिए, उन लोगों की मदद करना हमारे लिए क्या ही खुशी और सम्मान की बात होगी! मिसाल के लिए, हम दानिय्येल को उन भविष्वाणियों की पूर्ति के बारे में समझाएँगे, जिन्हें उसने लिखा तो था, पर समझ न पाया था।—दानि. 12:8, 9.

15 यह सच है कि पुनरुत्थान पानेवालों को हमसे बहुत कुछ सीखना होगा। मगर हमारे पास भी उनसे पूछने को ढेरों सवाल होंगे। मिसाल के लिए, बाइबल में कुछ वाकयों के बारे में बारीकी से नहीं बताया गया है। ऐसे में वे हमें इनकी बारीकियों के बारे में बता सकेंगे। सोचिए तो सही, हम यीशु के मौसेरे भाई यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाले से यीशु के बारे में कितनी सारी बातें जानेंगे! इन वफादार गवाहों से कई बातें जानकर परमेश्‍वर के वचन के लिए हमारी कदर दुगुनी हो जाएगी। मौत की नींद सो रहे ये वफादार सेवक और अंत के इस समय के दौरान, बड़ी भीड़ में से मरनेवाले भी “उत्तम पुनरुत्थान” पाएँगे। तब उनकी खुशी का कोई ठिकाना न रहेगा, जब वे नयी दुनिया के अच्छे हालात में यहोवा के लिए अपनी सेवा जारी रख पाएँगे, जो सेवा उन्होंने शैतान की दुनिया में शुरू की थी।—इब्रा. 11:35; 1 यूह. 5:19.

16. भविष्यवाणी के मुताबिक न्याय के दिन के दौरान क्या होगा?

16 न्याय के दिन के दौरान एक समय ऐसा आएगा, जब पुस्तकें खोली जाएँगी। इन पुस्तकों और बाइबल के आधार पर उस वक्‍त ज़िंदा रहनेवाले सभी का न्याय किया जाएगा कि वे हमेशा की ज़िंदगी पाने के लायक हैं या नहीं। (प्रकाशितवाक्य 20:12, 13 पढ़िए।) न्याय के दिन के अंत तक हरेक को यह साबित करने का भरपूर मौका मिल चुका होगा कि विश्‍व की हुकूमत के मसले में वह किसके पक्ष में है। क्या वह परमेश्‍वर की हुकूमत के अधीन होगा और मेम्ने को यह मौका देगा कि वह उसे “जीवन रूपी जल के सोतों” के पास ले जाए? या क्या वह परमेश्‍वर के राज्य के अधीन होने से इनकार करेगा? (प्रका. 7:17; यशा. 65:20) उस समय तक, धरती के सभी लोगों को निजी फैसला लेने का मौका मिलेगा और यह फैसला लेते वक्‍त उन पर न तो विरासत में मिले पाप का और ना ही दुष्ट माहौल का बुरा असर होगा। इसके बाद, यहोवा के आखरी फैसले पर कोई भी उँगली नहीं उठा पाएगा। सिर्फ दुष्टों का हमेशा-हमेशा के लिए नाश किया जाएगा।—प्रका. 20:14, 15.

17, 18. न्याय के दिन से जुड़ी किस खुशी का अभिषिक्‍त मसीहियों और अन्य भेड़ के लोगों को बेसब्री से इंतज़ार है?

17 राज्य पाने के योग्य ठहराए गए अभिषिक्‍त मसीही आज बड़ी बेसब्री से उस घड़ी का इंतज़ार कर रहे हैं, जब वे न्याय के दिन के दौरान हुकूमत करेंगे। वाह, उन्हें क्या ही शानदार मौका मिलेगा! यही उम्मीद उन्हें उकसाती है कि वे पतरस की उस सलाह को मानें, जो उसने पहली सदी के भाइयों को दी थी। उसने कहा: “अपने बुलाए जाने, और चुन लिये जाने को सिद्ध करने का भली भांति यत्न करते जाओ, क्योंकि यदि ऐसा करोगे, तो कभी भी ठोकर न खाओगे। बरन इस रीति से तुम हमारे प्रभु और उद्धारकर्त्ता यीशु मसीह के अनन्त राज्य में बड़े आदर के साथ प्रवेश करने पाओगे।”—2 पत. 1:10, 11.

18 अन्य भेड़ के लोगों को इस बात की खुशी है कि उनके अभिषिक्‍त भाइयों को ऐसा शानदार मौका मिलेगा। उन्होंने इन भाइयों को सहयोग देने की ठान ली है। आज परमेश्‍वर के मित्र होने के नाते, उनका दिल उन्हें उकसाता है कि वे तन-मन से परमेश्‍वर की सेवा करें। न्याय के दिन के दौरान, उन्हें परमेश्‍वर के इंतज़ामों का पूरा-पूरा साथ देने में अपार खुशी होगी। उस वक्‍त यीशु उन्हें जीवन रूपी जल के सोतों के पास ले जाएगा। तब आखिरकार, वे धरती पर हमेशा-हमेशा के लिए यहोवा के सेवक होने के योग्य ठहरेंगे!—रोमि. 8:20, 21; प्रका. 21:1-7.

क्या आपको याद है?

• यीशु की संपत्ति में क्या शामिल है?

• बड़ी भीड़ के लोग अपने अभिषिक्‍त भाइयों को किस तरह सहयोग देते हैं?

• बड़ी भीड़ के लोग किन सुअवसरों का लुत्फ उठाते हैं और उनके आगे क्या शानदार आशा है?

• न्याय के दिन को आप किस नज़र से देखते हैं?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 25 पर तसवीर]

बड़ी भीड़ के लोगों ने अपने वस्त्र मेम्ने के लहू में धोकर श्‍वेत किए हैं

[पेज 27 पर तसवीर]

पुनरुत्थान पाए वफादार जनों से आप क्या सीखने की उम्मीद करते हैं?