परमेश्वर के राज्य के ज़रिए छुटकारा निकट है!
परमेश्वर के राज्य के ज़रिए छुटकारा निकट है!
“तेरा राज्य आए; तेरी इच्छा जैसी स्वर्ग में पूरी होती है, वैसे पृथ्वी पर भी हो।”—मत्ती 6:10.
1. यीशु की अहम शिक्षा क्या थी?
यीशु मसीह ने अपने पहाड़ी उपदेश में अपने चेलों को एक आदर्श प्रार्थना सिखायी। इस प्रार्थना में उसने अपनी अहम शिक्षा का निचोड़ बताया। उसने कहा: “तेरा राज्य आए; तेरी इच्छा जैसी स्वर्ग में पूरी होती है, वैसे पृथ्वी पर भी हो।” (मत्ती 6:9-13) यीशु ने न सिर्फ यह प्रार्थना सिखायी, बल्कि वह खुद ‘नगर नगर और गांव गांव प्रचार करता हुआ, और परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार सुनाता हुआ, फिरता रहा।’ (लूका 8:1) इतना ही नहीं, उसने अपने चेलों को भी उकसाया: “तुम पहले परमेश्वर के राज्य और उसकी धार्मिकता की खोज में लगे रहो।” (मत्ती 6:33, NHT) जब आप इस लेख का अध्ययन करते हैं, तब ध्यान दीजिए कि आप इसकी जानकारी को प्रचार में कैसे इस्तेमाल कर सकते हैं। मिसाल के लिए, आप इन सवालों का क्या जवाब देंगे: राज्य का संदेश कितनी अहमियत रखता है? इंसानों को किससे छुटकारे की ज़रूरत है? और परमेश्वर का राज्य छुटकारा कैसे दिलाएगा?
2. राज्य का संदेश कितनी अहमियत रखता है?
2 यीशु ने भविष्यवाणी की थी: “राज्य का यह सुसमाचार सारे जगत में प्रचार किया जाएगा, कि सब जातियों पर गवाही हो, तब अन्त आ जाएगा।” (मत्ती 24:14) परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार ही सबसे ज़रूरी संदेश है। पूरी दुनिया में इससे ज़रूरी संदेश और कोई नहीं! आज 1,00, 000 से भी ज़्यादा कलीसियाओं में करीब 70 लाख यहोवा के साक्षी प्रचार काम में जुटे हुए हैं। यह काम पहली बार इतने बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। परमेश्वर के ये सेवक लोगों को बताते हैं कि इस राज्य या सरकार की हुकूमत स्वर्ग में शुरू हो चुकी है। यह वाकई एक खुशखबरी है, क्योंकि यह सरकार बहुत जल्द पृथ्वी की बागडोर सँभालनेवाली है। उस वक्त यहोवा की इच्छा जैसे स्वर्ग में पूरी होती है, वैसे पृथ्वी पर भी पूरी होगी।
3, 4. जब पृथ्वी परमेश्वर की इच्छा पूरी होगी, तब क्या होगा?
3 जब परमेश्वर की इच्छा पृथ्वी पर पूरी होगी, तब इंसानों को क्या फायदा होगा? यहोवा “उन की आंखों से सब आंसू पोंछ डालेगा; और इस के बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी।” (प्रका. 21:4) लोग, असिद्धता और विरासत में मिले पाप की वजह से बीमार नहीं होंगे और ना ही वे मरेंगे। दूसरी तरफ, जो लोग मर गए हैं और परमेश्वर की याद में हैं, उन्हें हमेशा की ज़िंदगी पाने का मौका मिलेगा। वह कैसे? बाइबल वादा करती है: “धर्मी और अधर्मी दोनों का जी उठना होगा।” (प्रेरि. 24:15) इसके अलावा, युद्ध, बीमारी या भुखमरी नहीं होगी और धरती को एक फिरदौस में तबदील किया जाएगा। यहाँ तक कि खूँखार जानवर भी इंसानों और दूसरे जानवरों के लिए खतरा नहीं होंगे।—भज. 46:9; 72:16; यशा. 11:6-9; 33:24; लूका 23:43, किताब-ए-मुकद्दस।
4 सच, परमेश्वर के राज्य से मिलनेवाली ये आशीषें क्या ही लाजवाब हैं! इसलिए यह कोई ताज्जुब की बात नहीं कि बाइबल उस समय की ज़िंदगी के बारे में यह भविष्यवाणी करती है: “नम्र लोग पृथ्वी के अधिकारी होंगे, और बड़ी शान्ति के कारण आनन्द मनाएंगे।” इन शब्दों से हमें कितना ढाढ़स मिलता है। लेकिन बुरे लोगों का क्या होगा? बाइबल बताती है: “थोड़े दिन के बीतने पर दुष्ट रहेगा ही नहीं।” मगर “जो यहोवा की बाट जोहते हैं, वे पृथ्वी के अधिकारी होंगे।”—भज. 37:9-11.
5. इस मौजूदा दुनिया का क्या होनेवाला है?
5 मगर यह सब होने से पहले ज़रूरी है कि इस दुनिया की अलग-अलग सरकारों, धर्मों और व्यापार जगत को मिटाया जाए। और यह काम परमेश्वर की स्वर्गीय सरकार करेगी। भविष्यवक्ता दानिय्येल ने ईश्वर-प्रेरणा से कहा: “उन [यानी हमारे समय के] राजाओं के दिनों में स्वर्ग का परमेश्वर, [स्वर्ग में] एक ऐसा राज्य उदय करेगा जो अनन्तकाल तक न टूटेगा, और न वह किसी दूसरी जाति के हाथ में किया जाएगा। वरन वह [आज के] उन सब राज्यों को चूर चूर करेगा, और उनका अन्त कर डालेगा; और वह सदा स्थिर रहेगा।” (दानि. 2:44) इसके बाद, परमेश्वर का राज्य यानी एक नयी स्वर्गीय सरकार, इंसानों के एक नए समाज पर हुकूमत करेगी। तब ‘एक नया आकाश और नई पृथ्वी होगी और इनमें धार्मिकता बास करेगी।’—2 पत. 3:13.
आज, पहले से कहीं ज़्यादा छुटकारे की ज़रूरत है
6. बाइबल इस दुष्ट दुनिया में बढ़ती बुराई के बारे में क्या बताती है?
6 जब शैतान, आदम और हव्वा ने अपने अच्छे-बुरे का फैसला करने की गरज़ से परमेश्वर के खिलाफ बगावत की, तो इसका बहुत ही भयानक अंजाम हुआ। इसके 1,600 साल बाद ‘मनुष्यों की बुराई पृथ्वी पर बढ़ गई और उनके मन के विचार में जो कुछ उत्पन्न होता सो निरन्तर बुरा ही होता था।’ (उत्प. 6:5) इसके कुछ दिनों के बीतने पर पूरी दुनिया में जलप्रलय आया। फिर इसके 1,300 साल बाद, सुलैमान के दिनों में हालात इतने बुरे हो गए कि उसने लिखा: “मैंने मृत व्यक्तियों को उन से श्रेष्ठ माना, जो जीवित हैं। परन्तु मृत और जीवित व्यक्तियों से श्रेष्ठ है वह व्यक्ति जिसका जन्म नहीं हुआ है, जिसने सूर्य के नीचे धरती पर किए जानेवाले दुष्कर्मों को नहीं देखा है।” (सभो. 4:2, 3, नयी हिन्दी बाइबिल) आज इस बात को 3,000 साल हो चुके हैं। मगर बुराई रुकने का नाम नहीं ले रही है, बल्कि दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही है।
7. आज हमें पहले से कहीं ज़्यादा छुटकारे की ज़रूरत क्यों है?
7 यह सच है कि दुनिया में बुराई सदियों से रही है। मगर आज हमें पहले से कहीं ज़्यादा छुटकारे की ज़रूरत है, जो हमें परमेश्वर के राज्य के ज़रिए मिलेगा। पिछले 100 सालों के दौरान हालात बद से बदतर हो गए हैं और आज भी बिगड़ते ही चले जा रहे हैं। मिसाल के लिए, दुनिया की घटनाओं का अध्ययन करनेवाले संगठन, वर्ल्डवॉच इंस्टिट्यूट की एक रिपोर्ट कहती है: “पहली सदी से लेकर सन् 1899 तक हुए युद्धों में कुल मिलाकर जितने लोग मारे गए, उससे तीन गुना ज़्यादा लोग सिर्फ [20वीं] सदी के युद्धों में मारे गए हैं।” युद्धों की वजह से सन् 1914 से लेकर अब तक 10 करोड़ से ज़्यादा लोगों ने अपनी जानें गँवायी हैं। एक इनसाइक्लोपीडिया का अनुमान है कि दूसरे विश्वयुद्ध में 6 करोड़ लोग मारे गए थे। आज कई देशों के पास ऐसे परमाणु हथियार हैं जो बड़े पैमाने पर तबाही मचा सकते हैं। और हालाँकि विज्ञान और चिकित्सा-क्षेत्र में काफी तरक्की हुई है, फिर भी हर साल करीब 50 लाख बच्चे भुखमरी की चपेट में आते हैं।—बाइबल सिखाती है किताब का अध्याय 9 देखिए।
8. इंसान की हज़ारों साल की हुकूमत ने क्या बात साबित की है?
8 बुराई को रोकने में इंसान पूरी तरह नाकाम रहा है। इस दुनिया की राजनीति, व्यापार और धर्मों ने शांति, खुशहाली और अच्छी सेहत जैसी इंसान की बुनियादी ज़रूरतें पूरी नहीं की हैं। उन्होंने इंसान की बड़ी-बड़ी समस्याओं को सुलझाने के बजाय उन्हें और भी बढ़ा दिया है। इसमें कोई शक नहीं कि इंसान की हज़ारों साल की हुकूमत ने इस बात को सच साबित किया है: “मनुष्य का मार्ग उसके वश में नहीं है, मनुष्य चलता तो है, परन्तु उसके डग उसके अधीन नहीं हैं।” (यिर्म. 10:23) जी हाँ, “एक मनुष्य दूसरे मनुष्य पर अधिकारी होकर अपने ऊपर हानि लाता है।” (सभो. 8:9) इसके अलावा, ‘सारी सृष्टि अब तक मिलकर कराहती और पीड़ाओं में पड़ी तड़पती है।’—रोमि. 8:22.
9. “अन्तिम दिनों” के हालात देखकर सच्चे मसीही क्यों हैरान नहीं होते?
9 हमारे समय के बारे में बाइबल की एक भविष्यवाणी कहती है: “अन्तिम दिनों में कठिन समय आएंगे।” इन अंतिम दिनों के हालात का ब्यौरा देने के बाद यह भविष्यवाणी आगे कहती है: ‘दुष्ट, और बहकानेवाले बिगड़ते चले जाएंगे।’ (2 तीमुथियुस 3:1-5, 13 पढ़िए।) मसीही ऐसे हालात देखकर हैरान नहीं होते, क्योंकि वे अच्छी तरह जानते हैं कि “सारा संसार उस दुष्ट [शैतान] के वश में पड़ा है।” (1 यूह. 5:19) लेकिन खुशी की खबर यह है कि परमेश्वर बहुत जल्द उन लोगों को छुटकारा दिलाएगा, जो उससे प्यार करते हैं। और उन्हें हमेशा के लिए शैतान की दुनिया से छुड़ाया जाएगा, जो बुराई के दलदल में धँसती जा रही है।
सिर्फ यहोवा ही छुटकारा दिला सकता है
10. सिर्फ यहोवा ही हमें छुटकारा क्यों दिला सकता है?
10 सुसमाचार का प्रचार करते वक्त अपने सुननेवालों को समझाइए कि सिर्फ यहोवा ही छुटकारा दिला सकता है। और वही अपने सेवकों को बुरे हालात से निकालने की ताकत और इच्छा भी रखता है। (प्रेरि. 4:24, 31; प्रका. 4:11) हम इस बात का पूरा यकीन रख सकते हैं कि जब कभी उसके सेवकों पर मुसीबतें आएँगी, वह उन्हें ज़रूर छुटकारा दिलाएगा और अपने मकसदों को पूरा करेगा। यहोवा ने खुद वादा किया है: “नि:सन्देह जैसा मैं ने ठाना है, वैसा ही हो[गा]।” उसका वचन “व्यर्थ ठहरकर [उसके] पास न लौटेगा।”—यशायाह 14:24, 25; 55:10, 11 पढ़िए।
11, 12. परमेश्वर अपने सेवकों को क्या गारंटी देता है?
11 यहोवा इस बात की गारंटी देता है कि जब वह दुष्टों पर न्यायदंड लाएगा, तो वह अपने सेवकों को बचाएगा। जब उसने यिर्मयाह भविष्यवक्ता को घोर पापियों के पास न्यायदंड सुनाने के लिए भेजा, तो उसने कहा: “तू उनके मुख को देखकर मत डर।” क्यों? क्योंकि यहोवा ने कहा: “तुझे छुड़ाने के लिये मैं तेरे साथ हूं।” (यिर्म. 1:8) उसी तरह, सदोम और अमोरा के नाश से पहले, यहोवा ने अपने दो स्वर्गदूतों को भेजा, ताकि वे लूत और उसके परिवार को एक महफूज़ जगह पर ले जा सकें। इसके बाद, ‘यहोवा ने सदोम और अमोरा पर गन्धक और आग बरसाई।’—उत्प. 19:15, 24, 25.
12 यहोवा सिर्फ छोटे पैमाने पर ही नहीं, बल्कि जब वह बड़े पैमाने पर नाश लाता है, तब भी अपने लोगों को बचाता है। प्राचीन समय में जब उसने पूरी दुनिया में जलप्रलय लाकर दुष्टों का नाश किया था, तब उसने ‘धार्मिकता के प्रचारक नूह समेत आठ व्यक्तियों को बचा लिया।’ (2 पत. 2:5) आज हमारे समय में यहोवा एक बार फिर इस दुनिया का नाश करनेवाला है। उस वक्त वह धर्मी लोगों को छुटकारा दिलाएगा। इसलिए उसका वचन कहता है: ‘हे पृथ्वी के सब नम्र लोगो, यहोवा को ढूंढ़ते रहो; धर्म को ढूंढ़ो, नम्रता को ढूंढ़ो; सम्भव है तुम यहोवा के क्रोध के दिन में शरण पाओ।’ (सप. 2:3) दुनिया-भर में आनेवाले इस विनाश का नतीजा यह होगा कि ‘धर्मी लोग देश में बसे रहेंगे, और दुष्ट लोग नाश होंगे।’—नीति. 2:21, 22.
13. यहोवा के सेवकों को छुटकारा कैसे मिलेगा जो मौत की नींद सो रहे हैं?
13 लेकिन आज परमेश्वर के कई सेवक बीमारी, ज़ुल्मों और दूसरी वजहों से मौत की नींद सो रहे हैं। (मत्ती 24:9) तो फिर, उन्हें छुटकारा कैसे मिलेगा? जैसा इस लेख की शुरूआत में बताया गया था, ‘धर्मियों का जी उठना होगा।’ (प्रेरि. 24:15) इससे हमें कितनी तसल्ली मिलती है कि इस जहान की कोई भी ताकत यहोवा को अपने सेवकों को छुड़ाने से नहीं रोक सकती।
धार्मिकता से हुकूमत करनेवाली एक सरकार
14. हम क्यों भरोसा रख सकते हैं कि परमेश्वर का राज्य, धार्मिकता से हुकूमत करनेवाली सरकार है?
14 प्रचार में आप लोगों को बता सकते हैं कि यहोवा का स्वर्गीय राज्य, धार्मिकता से हुकूमत करनेवाली सरकार है। क्योंकि इस सरकार में हमें यहोवा के न्याय, धार्मिकता और प्रेम जैसे बेमिसाल गुणों की साफ झलक मिलती है। (व्यव. 32:4; 1 यूह. 4:8) परमेश्वर ने इस राज्य का राजा यीशु मसीह को बनाया है, क्योंकि धरती पर हुकूमत करने के लिए वही सबसे काबिल है। इसके अलावा, यहोवा ने 1,44, 000 अभिषिक्त मसीहियों को चुना है ताकि वे मसीह के साथ स्वर्ग से धरती पर हुकूमत कर सकें।—प्रका. 14:1-5.
15. परमेश्वर के राज्य और इंसानों की हुकूमत में फर्क बताइए।
15 यीशु के साथ 1,44, 000 जनों की हुकूमत और असिद्ध इंसानों की हुकूमत में ज़मीन-आसमान का फर्क है! इस संसार के ज़्यादातर शासक बेरहम हैं और उन्होंने युद्ध के नाम पर लाखों लोगों की बलि चढ़ायी है। तभी बाइबल हमें सलाह देती है कि हम इंसान पर भरोसा न रखें, “क्योंकि उस में उद्धार करने की भी शक्ति नहीं” है। (भज. 146:3) इसके बिलकुल उलट, मसीह प्यार से हुकूमत करेगा, ठीक जैसा उसने कहा: “हे सब परिश्रम करनेवालो और बोझ से दबे हुए लोगो, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूंगा। मेरा जूआ अपने ऊपर उठा लो; और मुझ से सीखो; क्योंकि मैं नम्र और मन में दीन हूं: और तुम अपने मन में विश्राम पाओगे। क्योंकि मेरा जूआ सहज और मेरा बोझ हलका है।”—मत्ती 11:28-30.
बहुत जल्द अंतिम दिन खत्म होनेवाले हैं!
16. अंतिम दिनों के आखिर में क्या होगा?
16 सन् 1914 से इस दुनिया के अंतिम दिन शुरू हो चुके हैं, यानी इस “दुनिया की व्यवस्था का अन्त” करीब है। (मत्ती 24:3, NW) यीशु ने जिस “भारी क्लेश” के बारे में बताया, वह बहुत जल्द शुरू होनेवाला है। (मत्ती 24:21 पढ़िए।) यह एक ऐसा क्लेश होगा, जो न तो पहले कभी हुआ है और ना ही इसके बाद कभी होगा। इसमें शैतान की पूरी दुनिया को खाक में मिलाया जाएगा। लेकिन भारी क्लेश की शुरूआत कैसे होगी? और इसके अंत में क्या होगा?
17. भारी क्लेश की शुरूआत के बारे में बाइबल क्या बताती है?
17 भारी क्लेश की शुरूआत अचानक होगी। ‘जब लोग कह रहे होंगे कि कुशल है और कुछ भय नहीं,’ तभी यहोवा का दिन उन पर आ पड़ेगा। (1 थिस्सलुनीकियों 5:2, 3 पढ़िए।) जब राष्ट्रों को लगेगा कि उन्हें अपनी बड़ी-से-बड़ी समस्याओं का हल मिलने ही वाला है, उसी वक्त ‘बड़े बाबुल’ यानी दुनिया में साम्राज्य की तरह फैले झूठे धर्मों का नाश होगा। यही भारी क्लेश की शुरूआत होगी। बड़े बाबुल के एकाएक विनाश से पूरी दुनिया हैरान रह जाएगी। यहाँ तक कि राजा और दूसरे लोग भी ताज्जुब करेंगे।—प्रका. 17:1-6, 18; 18:9, 10, 15, 16, 19.
18. जब शैतान यहोवा के सेवकों पर हमला बोलेगा, तब यहोवा क्या करेगा?
18 उस नाज़ुक घड़ी में “सूरज और चान्द और तारों में चिन्ह दिखाई देंगे” और “मनुष्य के पुत्र का चिन्ह आकाश में दिखाई देगा।” तब हम ‘सीधे होकर अपना सिर ऊपर उठाएँगे क्योंकि हमारा छुटकारा निकट होगा।’ (लूका 21:25-28; मत्ती 24:29, 30) शैतान या गोग अपनी सेनाओं के साथ परमेश्वर के लोगों पर हमला बोलेगा। इन हमलावरों के बारे में यहोवा अपने वफादार सेवकों से कहता है: “जो तुम को छूता है, वह मेरी आंख की पुतली ही को छूता है।” (जक. 2:8) इस पर सारे जहान का महाराजाधिराज यहोवा अपने सेवकों को बचाने के लिए फौरन कार्रवाई करेगा। और शैतान की कोशिश धरी-की-धरी रह जाएगी।—यहे. 38:9, 18.
19. हम क्यों यकीन कर सकते हैं कि न्यायदंड लानेवाली परमेश्वर की सेना, शैतान की व्यवस्था का खात्मा कर देगी?
19 जब परमेश्वर सारे राष्ट्रों के खिलाफ कार्रवाई करेगा, तब ‘वे जान लेंगे कि वह यहोवा है।’ (यहे. 36:23) वह धरती पर शैतान के बाकी हिस्सों को मिटाने के लिए न्यायदंड लानेवाली अपनी सेना को भेजेगा। इसमें लाखों आत्मिक प्राणी शामिल हैं और उनका अगुवा मसीह यीशु होगा। (प्रका. 19:11-19) याद कीजिए कि एक मौके पर एक अकेले स्वर्गदूत ने परमेश्वर के “एक लाख पचासी हजार” दुश्मनों को एक ही रात में ‘मार गिराया’ था। इससे हमारा यकीन बढ़ता है कि यहोवा की स्वर्गीय सेना के लिए, शैतान की व्यवस्था का नामो-निशान मिटाना कोई मुश्किल काम नहीं। और यहोवा की सेना यह काम हरमगिदोन में करेगी और इसके साथ ही भारी क्लेश का अंत होगा। (2 राजा 19:35; प्रका. 16:14, 16) फिर शैतान और उसके दुष्ट स्वर्गदूतों को हज़ार साल के लिए अथाह कुंड में डाल दिया जाएगा। उसके बाद उनका नाश किया जाएगा।—प्रका. 20:1-3.
20. यहोवा अपने राज्य के ज़रिए क्या करेगा?
20 इस तरह धरती पर से बुराई को जड़ से मिटाया जाएगा और इसमें धर्मी लोग हमेशा के लिए रहेंगे। उस समय यहोवा साबित कर देगा कि वही महान छुड़ानेवाला है। (भज. 145:20) यहोवा अपने राज्य के ज़रिए अपनी हुकूमत को बुलंद करेगा, अपने नाम को पवित्र करेगा और धरती के लिए अपने महान मकसद को पूरा करेगा। हमारी दुआ है कि आप खुशी-खुशी लोगों को यह सुसमाचार सुनाएँ। साथ ही, ‘अनंत जीवन के लिए सही मन रखनेवालों’ को यह समझने में मदद दें कि परमेश्वर के राज्य के ज़रिए छुटकारा निकट है।—प्रेरि. 13:48, NW.
क्या आपको याद है?
• यीशु ने राज्य की अहमियत पर कैसे ज़ोर दिया?
• आज हमें पहले से कहीं ज़्यादा छुटकारे की ज़रूरत क्यों है?
• भारी क्लेश के दौरान क्या-क्या घटनाएँ घटेंगी?
• यहोवा खुद को महान छुड़ानेवाला कैसे साबित करेगा?
[अध्ययन के लिए सवाल]
[पेज 12, 13 पर तसवीरें]
परमेश्वर के वचन में यह बताया गया है कि हमारे समय में पहली बार बड़े पैमाने पर प्रचार किया जाएगा
[पेज 15 पर तसवीर]
यहोवा ने जैसे नूह और उसके परिवार को बचाया था, वैसे ही वह हमें भी बचाएगा
[पेज 16 पर तसवीर]
यहोवा “उन की आंखों से सब आंसू पोंछ डालेगा; और . . . मृत्यु न रहेगी।”—प्रका. 21:4