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15 मई, 2008

अध्ययन के लिए

दिए गए हफ्तों के लिए अध्ययन लेख:

30 जून, 2008–6 जुलाई, 2008

हमें दूसरों के साथ कैसा बर्ताव करना चाहिए?

पेज 3

गीत नं. 23 (200), 22 (130)

7-13 जुलाई, 2008

भलाई करते रहिए

पेज 7

गीत नं. 28 (224), 13 (124)

14-20 जुलाई, 2008

परमेश्‍वर के राज्य के ज़रिए छुटकारा निकट है!

पेज 12

गीत नं. 17 (187), 22 (130)

21-27 जुलाई, 2008

जवानो, यहोवा की सेवा करने का फैसला कीजिए

पेज 17

गीत नं. 6 (45), 27 (221)

28 जुलाई, 2008–3 अगस्त, 2008

पौलुस की मिसाल पर चलकर सच्चाई में तरक्की कीजिए

पेज 21

गीत नं. 4 (43), 18 (162)

अध्ययन लेखों का मकसद

अध्ययन लेख 1, 2 पेज 3-11

यीशु ने अपने मशहूर पहाड़ी उपदेश में नर्मदिल बनने, दयालु होने और दूसरों के साथ शांति कायम करने पर ज़ोर दिया। उसने अपने चेलों को ‘अपना उजियाला चमकाने’ को उकसाया। उसने यह भी सिखाया कि उन्हें अपने दुश्‍मनों और दूसरों के साथ कैसा बर्ताव करना चाहिए।

अध्ययन लेख 3 पेज 12-16

ध्यान दीजिए कि आप लोगों को कैसे समझाएँगे: आज हमें पहले से कहीं ज़्यादा छुटकारे की ज़रूरत क्यों है? सिर्फ यहोवा ही महान छुड़ानेवाला क्यों है? और वह कैसे अपने राज्य के ज़रिए बहुत जल्द इंसानों को छुटकारा दिलाएगा?

अध्ययन लेख 4, 5 पेज 17-25

जवानों को परमेश्‍वर की सेवा क्यों करनी चाहिए? चाहे दूसरे उनके बारे में कुछ भी सोचें, वे यहोवा को अपनी ज़िंदगी समर्पित करके उसे कैसे कामयाब बना सकते हैं? उनके आगे सेवा के कौन-से बढ़िया मौके हैं? सच्चाई में तरक्की करते रहने के लिए कलीसिया के सभी सदस्य प्रेरित पौलुस की मिसाल से क्या सीख सकते हैं? इन अहम सवालों के जवाब इन दोनों लेखों में दिए गए हैं।

इस अंक में ये लेख भी हैं:

“परमेश्‍वर का भय रखते हुए पवित्रता” बनाए रखिए

पेज 26

शासी निकाय कैसे संगठित है

पेज 29

यहोवा का वचन जीवित है—प्रेरितों किताब की झलकियाँ

पेज 30