शासी निकाय कैसे संगठित है
शासी निकाय कैसे संगठित है
यहोवा के साक्षियों का शासी निकाय ऐसे समर्पित भाइयों से बना है, जो परमेश्वर के अभिषिक्त सेवक हैं। वे विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास के नुमाइंदों के तौर पर सेवा करते हैं। और इस दास वर्ग को यह ज़िम्मेदारी सौंपी गयी है कि वह आध्यात्मिक भोजन मुहैया कराए, दुनिया-भर में हो रहे प्रचार काम के बारे में निर्देशन दे और इस काम को आगे बढ़ाए।—मत्ती 24:14, 45-47.
शासी निकाय की बैठक आम तौर पर हर हफ्ते बुधवार के दिन रखी जाती है। इससे शासी निकाय के भाई एक-जुट होकर काम कर पाते हैं। (भज. 133:1) इसके अलावा, वे अलग-अलग समितियों में भी सेवा करते हैं। और हर समिति, राज्य के कामों से जुड़ी अलग-अलग ज़िम्मेदारियों की देखरेख करती है। आइए एक-एक करके इन समितियों के बारे में जानें।
◼ प्रबंधक समिति: यह समिति, शासी निकाय की अलग-अलग समितियों के प्रबंधकों से मिलकर बनी होती है। इसमें एक सचिव भी होता है, जो शासी निकाय का ही सदस्य होता है। यह समिति इस बात का ध्यान रखती है कि सभी समितियाँ बढ़िया ढंग से और बिना किसी रुकावट के काम करती रहें। इसके अलावा, जब दुनिया के किसी हिस्से में यहोवा के साक्षियों पर कोई बड़ी मुसीबत आती है, वे कुदरती आफतों के शिकार होते हैं, उन्हें सताया जाता है या कोई और ज़रूरी मामला उठता है, तो ऐसे में यह समिति उनकी मदद करती है।
◼ बेथेल स्वयंसेवक समिति: इस समिति के भाइयों की ज़िम्मेदारी बनती है कि वे दुनिया-भर में मौजूद बेथेल सेवकों की आध्यात्मिक और शारीरिक ज़रूरतों का खयाल रखें। साथ ही, उन्हें दूसरे तरीके से मदद दें। इस समिति की निगरानी में बेथेल परिवार के नए सदस्यों को चुना जाता है और उन्हें बेथेल आने का न्यौता दिया जाता है। इसके अलावा, वह बेथेल के सदस्यों की सेवा से जुड़े सवालों के जवाब भी देती है।
◼ प्रकाशन समिति: यह समिति, बाइबल की समझ देनेवाली किताबों-पत्रिकाओं की छपाई और उन्हें जगह-जगह भेजने का इंतज़ाम करती है। यह उन छपाईखानों और संपत्ति की देखरेख करती है, जो यहोवा के साक्षियों के अलग-अलग निगमों के नाम पर हैं और जिनका ये निगम इस्तेमाल करते हैं। प्रकाशन समिति यह भी तय करती है कि राज्य के काम के लिए मिलनेवाले दान का अच्छा इस्तेमाल कैसे किया जाना चाहिए।
◼ सेवा समिति: इस समिति के भाई, प्रचार काम की निगरानी करते हैं। साथ ही, ये कलीसियाओं, पायनियरों, प्राचीनों और सफरी अध्यक्षों से जुड़े मामलों की देखरेख करते हैं। यह समिति हमारी राज्य सेवकाई में दिए लेखों को तैयार करती है। यह प्रचारकों को गिलियड स्कूल और कलीसिया सेवक प्रशिक्षण स्कूल में हाज़िर होने का न्यौता भी देती है। उनकी तालीम पूरी होने के बाद, यह समिति उन्हें बताती है कि उन्हें कहाँ जाकर सेवा करना है।
◼ शिक्षा समिति: यह समिति तय करती है कि कलीसिया की सभाओं, सम्मेलनों और अधिवेशनों में क्या-क्या हिदायतें दी जानी चाहिए। यह बेथेल परिवार के सदस्यों के लिए आध्यात्मिक कार्यक्रम तैयार करती है और अलग-अलग स्कूलों का इंतज़ाम करती है। जैसे, गिलियड स्कूल और पायनियर सेवा स्कूल। यही नहीं, यह ऑडियो और वीडियो कार्यक्रम तैयार करने की ज़िम्मेदारी भी निभाती है।
◼ लेखन समिति: यह समिति, भाई-बहनों और आम जनता को किताबों-पत्रिकाओं के ज़रिए आध्यात्मिक भोजन देती है। लेखन समिति बाइबल सवालों के जवाब देती है और नाटकों के स्क्रिप्ट और भाषण के आउटलाइन पढ़कर उन्हें मंज़ूरी देती है। यह समिति, दुनिया-भर में किए जानेवाले अनुवाद के काम की भी निगरानी करती है।
प्रेरित पौलुस ने अभिषिक्त मसीहियों की कलीसिया की तुलना एक इंसान के शरीर से की। इस तरह, उसने ज़ोर देकर बताया कि कलीसिया में सभी सदस्यों की एक अहम भूमिका है। उसने यह भी बताया कि परमेश्वर से मिले काम को पूरा करने के लिए उन्हें एक-दूसरे के प्यार, सहयोग और साथ की ज़रूरत है। (रोमि. 12:4, 5; 1 कुरि. 12:12-31) कलीसिया का मुखिया, यीशु मसीह इन अभिषिक्त जनों को अच्छा सहयोग देने, मिलकर काम करने और आध्यात्मिक रूप से मज़बूत करने के लिए ज़रूरी हिदायतें देता है। (इफि. 4:15, 16; कुलु. 2:19) नतीजा, शासी निकाय को अगुवाई करने के लिए अलग-अलग समितियों में संगठित किया गया है और यहोवा की पवित्र शक्ति उन्हें अपनी ज़िम्मेदारी निभाने के लिए मार्गदर्शन दे रही है।