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घर-घर जाकर प्रचार करना—आज क्यों ज़रूरी है?

घर-घर जाकर प्रचार करना—आज क्यों ज़रूरी है?

घर-घर जाकर प्रचार करना—आज क्यों ज़रूरी है?

“[वे] प्रति दिन मन्दिर में और घर घर में उपदेश करने, और इस बात का सुसमाचार सुनाने से, कि यीशु ही मसीह है न रुके।”—प्रेरि. 5:42.

1, 2. (क) यहोवा के साक्षी प्रचार के किस मुख्य तरीके के लिए जाने जाते हैं? (ख) हम इस लेख में किन बातों पर चर्चा करेंगे?

 दुनिया के लगभग सभी देशों में यह नज़ारा बहुत आम है। दो व्यक्‍ति अच्छे कपड़े पहने एक घर पर आते हैं और चंद शब्दों में घर-मालिक को बाइबल से परमेश्‍वर के राज्य के बारे में बताते हैं। अगर घर-मालिक उनके संदेश में दिलचस्पी दिखाता है, तो वे उसे बाइबल की समझ देनेवाले साहित्य देते हैं और उससे मुफ्त में बाइबल अध्ययन करने के लिए कहते हैं। इसके बाद, वे अगले घर पर जाते हैं। अगर आप इस काम में हिस्सा लेते हैं, तो आप शायद पाएँ कि अकसर आपके बोलने से पहले ही सामनेवाला व्यक्‍ति आपसे पूछता है, ‘क्या आप यहोवा के साक्षी हैं?’ वाकई, घर-घर का प्रचार हम यहोवा के साक्षियों की पहचान बन गयी है।

2 यीशु ने हमें प्रचार करने और चेला बनाने का जो काम सौंपा है, उसे पूरा करने के लिए हम कई तरीके अपनाते हैं। (मत्ती 28:19, 20) जैसे हम बाज़ारों, चौराहों और दूसरी सार्वजनिक जगहों पर लोगों को गवाही देते हैं। (प्रेरि. 17:17) हम टेलिफोन और खत के ज़रिए भी कई लोगों को प्रचार करते हैं। इसके अलावा, रोज़मर्रा के काम निपटाते वक्‍त जब हम अलग-अलग लोगों से मिलते हैं, तब भी हम उन्हें बाइबल की सच्चाइयों के बारे में बताते हैं। यही नहीं, हमारी संस्था की अपनी एक वेब साइट भी है, जो 300 से भी अधिक भाषाओं में बाइबल से जुड़ी जानकारी देती है। * इन सभी तरीकों से अच्छे नतीजे मिलते हैं। लेकिन फिर भी, ज़्यादातर जगहों में सुसमाचार सुनाने का हमारा मुख्य तरीका है, घर-घर जाकर प्रचार करना। हम किस आधार पर प्रचार का यह तरीका अपनाते हैं? हमारे समय में, परमेश्‍वर के लोगों ने कैसे प्रचार के इस तरीके को बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करना शुरू किया है? और आज घर-घर का प्रचार करना क्यों ज़रूरी है?

प्रेरितों का तरीका

3. प्रचार के सिलसिले में यीशु ने अपने प्रेरितों को क्या हिदायतें दीं, और इनसे उनके प्रचार के तरीके के बारे में क्या पता चलता है?

3 हम किस आधार पर घर-घर जाकर प्रचार करते हैं, यह हमें बाइबल से पता चलता है। जब यीशु ने अपने प्रेरितों को प्रचार करने के लिए भेजा, तो उसने हिदायत दी: “जिस किसी नगर या गांव में जाओ, तो पता लगाओ कि वहां कौन योग्य है?” प्रेरित, योग्य लोगों का पता कैसे लगा सकते थे? इसके लिए उन्हें लोगों के घर जाना था, जैसा कि यीशु ने कहा था: “घर में प्रवेश करते हुए उस को आशीष देना। यदि उस घर के लोग योग्य होंगे तो तुम्हारा कल्याण उन पर पहुंचेगा।” क्या प्रेरितों को बिन बुलाए लोगों के घरों में जाना था? गौर कीजिए कि यीशु ने आगे क्या कहा: “जो कोई तुम्हें ग्रहण न करे, और तुम्हारी बातें न सुने, उस घर या उस नगर से निकलते हुए अपने पांवों की धूल झाड़ डालो।” (मत्ती 10:11-14) इन हिदायतों से साफ पता चलता है कि जब प्रेरित “गांव गांव सुसमाचार सुनाते” फिरते, तो उन्हें पहल करके लोगों के घर जाना था।—लूका 9:6.

4. बाइबल में घर-घर के प्रचार के बारे में कहाँ साफ-साफ बताया गया है?

4 बाइबल में साफ-साफ बताया गया है कि प्रेरितों ने घर-घर जाकर प्रचार किया था। मिसाल के लिए, प्रेरितों 5:42 उनके बारे में कहता है: “[वे] प्रति दिन मन्दिर में और घर घर में उपदेश करने, और इस बात का सुसमाचार सुनाने से, कि यीशु ही मसीह है न रुके।” यह तब की बात थी जब मसीही कलीसिया को बने कुछ ही समय हुआ था। इसके कुछ 20 साल बाद, प्रेरित पौलुस ने इफिसुस के प्राचीनों को याद दिलाते हुए कहा: “जो जो बातें तुम्हारे लाभ की थीं, उन को बताने और लोगों के साम्हने और घर घर सिखाने से [मैं] कभी न झिझका।” क्या यहाँ पौलुस उस समय की बात कर रहा था, जब इफिसुस के ये प्राचीन विश्‍वासी नहीं बने थे? शायद, क्योंकि उस दौरान उसने कई बातों के साथ-साथ उन्हें “परमेश्‍वर की ओर मन फिरा[ने], और हमारे प्रभु यीशु मसीह पर विश्‍वास कर[ने]” के बारे में भी सिखाया था। (प्रेरि. 20:20, 21) प्रेरितों 20:20 के बारे में रॉबर्टसन्स वर्ड पिक्चर्स इन द न्यू टेस्टामेंट किताब बताती है: “यह बात गौर करने लायक है कि महान प्रचारकों में से इस प्रचारक ने भी घर-घर जाकर प्रचार किया था।”

हमारे समय में टिड्डियों की एक सेना

5. योएल की भविष्यवाणी में प्रचार काम की तुलना किससे की गयी है?

5 पहली सदी में किया गया प्रचार का काम, इस बात की झलक था कि हमारे समय में इससे भी बड़े पैमाने पर प्रचार किया जाएगा। भविष्यवक्‍ता योएल ने अभिषिक्‍त मसीहियों के प्रचार काम की तुलना टिड्डियों द्वारा लायी गयी विपत्ति से की। (योए. 1:4) ये टिड्डियाँ एक सेना की तरह हर रुकावट को पार कर लेती हैं, घरों में घुस जाती हैं और राह में आनेवाली हर चीज़ को चट कर जाती हैं। (योएल 2:2, 7-9 पढ़िए।) वाकई, यह भविष्यवाणी हमारे समय में परमेश्‍वर के लोगों के बारे में क्या ही जीती-जागती तसवीर पेश करती है कि वे प्रचार में लगे रहेंगे और लोगों तक पहुँचने की हर मुमकिन कोशिश करेंगे। ऐसा करने में अभिषिक्‍त मसीही और उनके साथी यानी ‘अन्य भेड़’ के लोग जो अहम तरीका अपनाते हैं, वह है घर-घर जाकर प्रचार करना। (यूह. 10:16, NW) लेकिन अब सवाल यह है कि यहोवा के साक्षियों ने कैसे प्रेरितों का तरीका इस्तेमाल करना शुरू किया?

6. सन्‌ 1922 में मसीहियों को क्या बढ़ावा दिया गया, लेकिन कुछ लोगों ने कैसा रवैया दिखाया?

6 सन्‌ 1919 से इस बात पर ज़ोर दिया जाने लगा कि हर मसीही को प्रचार काम में हिस्सा लेना चाहिए। उदाहरण के लिए, 15 अगस्त, 1922 की (अँग्रेज़ी) प्रहरीदुर्ग में एक लेख छपा था जिसका शीर्षक था, “प्रचार करना बेहद ज़रूरी है।” इस लेख में अभिषिक्‍त मसीहियों को बढ़ावा दिया गया कि वे “छपा हुआ संदेश लेकर जोश के साथ घर-घर जाएँ, लोगों से बात करें और उन्हें गवाही दें कि स्वर्ग का राज्य निकट है।” बुलेटिन (जिसे आज हमारी राज्य सेवकाई कहा जाता है) में ब्यौरेदार जानकारी दी जाती थी कि लोगों को गवाही देने के लिए क्या कहना चाहिए। इसके बावजूद, शुरू-शुरू में सिर्फ इक्का-दुक्का लोग ही घर-घर जाकर प्रचार करते थे। कुछ लोग इसमें हिस्सा लेने से झिझक रहे थे। वे इसके लिए तरह-तरह की दलीलें दे रहे थे, मगर असल वजह कुछ और ही थी। वे सोचते थे कि घर-घर के प्रचार में जाना, उनकी शान के खिलाफ है। जब प्रचार में हिस्सा लेने पर और भी ज़ोर दिया गया, तो देखते-ही-देखते इनमें से बहुतों ने यहोवा के संगठन से नाता तोड़ लिया।

7. सन्‌ 1950 के दशक में क्या ज़रूरत महसूस हुई?

7 सन्‌ 1922 के बाद के दशकों में राज्य प्रचारकों की गिनती बढ़ने लगी। लेकिन फिर घर-घर के प्रचार के लिए हरेक को तालीम देने की ज़रूरत महसूस हुई। क्यों? अमरीका की मिसाल लीजिए। सन्‌ 1950 के शुरूआती सालों में, 28 प्रतिशत साक्षी सिर्फ हैंडबिल बाँटने या सड़कों पर आने-जानेवाले लोगों को पत्रिकाएँ देने के ज़रिए प्रचार करते थे। 40 प्रतिशत से ज़्यादा लोगों का तो यह हाल था कि महीने गुज़र जाते, मगर वे प्रचार में हिस्सा नहीं लेते थे। तो फिर सभी समर्पित मसीहियों की कैसे मदद की जा सकती थी, जिससे वे घर-घर के प्रचार में हिस्सा लेते?

8, 9. सन्‌ 1953 में क्या ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाया गया था और इसके क्या नतीजे मिले हैं?

8 सन्‌ 1953 में न्यू यॉर्क सिटी में एक अंतर्राष्ट्रीय अधिवेशन हुआ, जिसमें घर-घर के प्रचार पर खास ध्यान दिया गया। भाई नेथन एच. नॉर ने बताया कि सभी मसीही अध्यक्षों का मुख्य काम है, हर साक्षी की मदद करना ताकि वह नियमित तौर पर घर-घर जाकर प्रचार कर सके। उन्होंने कहा: “घर-घर जाकर सुसमाचार सुनाना, हर मसीही को आना चाहिए।” इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए दुनिया-भर में एक ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाया गया था। जिन प्रचारकों ने उस वक्‍त तक घर-घर के प्रचार में हिस्सा नहीं लिया था, उन्हें लोगों से बात करने, बाइबल की मदद से दलीलें देने और लोगों के सवालों के जवाब देने की तालीम दी गयी।

9 इस ट्रेनिंग प्रोग्राम से जो नतीजे मिले, वे वाकई लाजवाब थे। दस साल के अंदर-अंदर दुनिया-भर में प्रचारकों की गिनती 100 प्रतिशत बढ़ गयी। उसी तरह वापसी भेंट में 126 प्रतिशत और बाइबल अध्ययन में 150 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। आज दुनिया-भर में करीब 70 लाख राज्य प्रचारक सुसमाचार का ऐलान कर रहे हैं। यह बेमिसाल तरक्की दिखाती है कि यहोवा ने घर-घर के प्रचार में अपने लोगों की मेहनत पर आशीष दी है।—यशा. 60:22.

विनाश से बचने के लिए चिन्ह लगाना

10, 11. (क) यहेजकेल किताब के अध्याय 9 के मुताबिक यहेजकेल को क्या दर्शन दिया गया था? (ख) यह दर्शन आज हमारे दिनों में कैसे पूरा हो रहा है?

10 घर-घर का प्रचार करना कितना ज़रूरी है, यह हमें भविष्यवक्‍ता यहेजकेल को दिए एक दर्शन से पता चलता है। दर्शन में यहेजकेल छ: पुरुषों को देखता है जिनके हाथ में घात करने के हथियार हैं। वह एक सातवें पुरुष को भी देखता है, जो सन का वस्त्र पहने हुए है और अपनी कमर में लिखने की दवात बाँधे है। इस सातवें पुरुष से कहा जाता है कि वह “यरूशलेम नगर के भीतर” जाए और ‘उन मनुष्यों के माथे पर चिन्ह लगाए, जो उस में किए जानेवाले सब घृणित कामों के कारण सांसें भरते और दु:ख के मारे चिल्लाते हैं।’ इसके बाद, छ: पुरुषों को हुक्म दिया जाता है कि वे उन सभी को घात करें, जिनके माथे पर चिन्ह नहीं लगा है।—यहेजकेल 9:1-6 पढ़िए।

11 हम जानते हैं कि इस भविष्यवाणी की पूर्ति में, “सन का वस्त्र” पहने हुए वह पुरुष, बचे हुए अभिषिक्‍त जनों को दर्शाता है। ये अभिषिक्‍त जन, प्रचार और चेला बनाने के काम के ज़रिए उन लोगों के माथे पर लाक्षणिक चिन्ह लगाते हैं, जो मसीह की “अन्य भेड़ें” बनते हैं। (यूह. 10:16, NW) यह चिन्ह इस बात का सबूत है कि ये भेड़ें यीशु मसीह के समर्पित और बपतिस्मा पाए हुए चेले हैं और उन्होंने नए मनुष्यत्व को पहन लिया है। (इफि. 4:20-24) ये लोग अभिषिक्‍त मसीहियों के साथ एक झुंड बनते हैं और चिन्ह लगाने के अहम काम में उनका हाथ बँटाते हैं।—प्रका. 22:17.

12. यहेजकेल का दर्शन किस तरह बताता है कि भेड़ समान लोगों को लगातार ढूँढ़ना ज़रूरी है?

12 यहेजकेल का दर्शन बताता है कि क्यों आज उन लोगों को लगातार ढूँढ़ना ज़रूरी है, जो “सांसें भरते और दु:ख के मारे चिल्लाते हैं।” क्योंकि लोगों की ज़िंदगी दाँव पर लगी है। बहुत जल्द, हथियार लिए छ: पुरुष यानी न्यायदंड लानेवाली यहोवा की स्वर्गीय सेना उन लोगों का नाश करेगी जिनके माथे पर चिन्ह नहीं लगा है। इस बारे में प्रेरित पौलुस ने लिखा कि प्रभु यीशु “अपने सामर्थी दूतों के साथ” आएगा और “जो परमेश्‍वर को नहीं पहचानते, और हमारे प्रभु यीशु के सुसमाचार को नहीं मानते उन से पलटा लेगा।” (2 थिस्स. 1:7, 8) ध्यान दीजिए कि लोगों का न्याय इस आधार पर किया जाएगा कि वे सुसमाचार को कबूल करते हैं या नहीं। इसलिए परमेश्‍वर का संदेश अंत तक सुनाया जाना बेहद ज़रूरी है। (प्रका. 14:6, 7) इससे ज़ाहिर होता है कि यहोवा के सभी सेवकों पर प्रचार करने की कितनी बड़ी ज़िम्मेदारी है।—यहेजकेल 3:17-19 पढ़िए।

13. (क) प्रेरित पौलुस ने क्या जवाबदारी महसूस की और क्यों? (ख) आपके प्रचार के इलाके में जो लोग रहते हैं, उनकी तरफ आप क्या जवाबदारी महसूस करते हैं?

13 प्रेरित पौलुस ने दूसरों को सुसमाचार सुनाने की जवाबदारी महसूस की। उसने कहा: “मैं यूनानियों और अन्यभाषियों का और बुद्धिमानों और निर्बुद्धियों का कर्जदार हूं। सो मैं तुम्हे भी जो रोम में रहते हो, सुसमाचार सुनाने को भरसक तैयार हूं।” (रोमि. 1:14, 15) पौलुस को परमेश्‍वर ने जो दया दिखायी थी, उसके लिए वह बहुत एहसानमंद था। इसलिए उसके दिल ने उसे उभारा कि वह दूसरों की मदद करे, ताकि उन्हें भी परमेश्‍वर की कृपा से फायदा हो सके। (1 तीमु. 1:12-16) वह मानो खुद को उस हर इंसान का कर्ज़दार समझता था जिससे वह मिलता था। और उसके मुताबिक यह कर्ज़ सुसमाचार सुनाकर ही चुकाया जा सकता था। क्या आप भी खुद को उन लोगों का कर्ज़दार समझते हैं, जो आपके प्रचार के इलाके में रहते हैं?—प्रेरितों 20:26, 27 पढ़िए।

14. सरेआम और घर-घर जाकर प्रचार करने की सबसे पहली और अहम वजह क्या है?

14 घर-घर जाकर प्रचार करने की सिर्फ यही वजह नहीं कि लोगों की जान दाँव पर लगी है, बल्कि इसकी एक और बड़ी वजह है। यह हमें मलाकी 1:11 में दर्ज़ भविष्यवाणी से पता चलती है, जहाँ यहोवा ऐलान करता है: ‘उदयाचल से लेकर अस्ताचल तक अन्यजातियों में मेरा नाम महान है, और मेरे नाम पर शुद्ध भेंट चढ़ाई जाती है; क्योंकि अन्यजातियों में मेरा नाम महान है।’ इस भविष्यवाणी की पूर्ति में यहोवा के समर्पित सेवक अपने प्रचार काम के ज़रिए पूरी धरती पर उसके नाम की स्तुति कर रहे हैं। (भज. 109:30; मत्ती 24:14) जी हाँ, सरेआम और घर-घर जाकर प्रचार करने की सबसे पहली और अहम वजह है, यहोवा को “स्तुतिरूपी बलिदान” चढ़ाना।—इब्रा. 13:15.

दुनिया को हिलाकर रख देनेवाली घटनाएँ —बहुत जल्द घटनेवाली हैं!

15. (क) इस्राएलियों ने किस तरह सातवें दिन और भी ज़्यादा काम किया? (ख) इससे प्रचार काम के बारे में क्या पता चलता है?

15 प्रचार के सिलसिले में आगे चलकर और क्या होनेवाला है? यहोशू की किताब में दर्ज़ यरीहो की घेराबंदी का ब्यौरा इस बात पर रोशनी डालता है। याद कीजिए कि परमेश्‍वर ने यरीहो का नाश करने से पहले इस्राएलियों को क्या हुक्म दिया था। उसने कहा था कि वे दिन में एक बार नगर की परिक्रमा करें और ऐसा उन्हें छः दिन तक करना था। मगर सातवें दिन उन्हें और भी ज़्यादा काम करना था। यहोवा ने यहोशू से कहा: ‘तुम सात बार नगर की परिक्रमा करना और पुरोहित नरसिंघे फूंकें। वे अन्त में ज्योंही जोर से नरसिंघा फूंकें त्योंही सब लोग जोर से युद्ध का नारा लगाएं। तब यरीहो नगर का परकोटा धंस जाएगा।’ (यहो. 6:2-5, नयी हिन्दी बाइबिल) यह मुमकिन है कि हमारे प्रचार काम में भी कुछ ऐसी ही तेज़ी आएगी। चाहे ऐसा हो या न हो, एक बात तो पक्की है। वह यह कि शैतान की दुनिया के अंत होने तक परमेश्‍वर के नाम और उसके राज्य की बहुत बड़ी गवाही दी जा चुकी होगी।

16, 17. (क) “बड़े क्लेश” के खत्म होने से पहले क्या होगा? (ख) अगले लेख में किन सवालों के जवाब दिए जाएँगे?

16 वह समय अब दूर नहीं जब हमारा संदेश “युद्ध का नारा” बन जाएगा। प्रकाशितवाक्य की किताब में न्यायदंड के इस ज़बरदस्त संदेश को ‘चालीस चालीस किलो के ओलों’ से दर्शाया गया है। और प्रकाशितवाक्य 16:21 कहता है कि “यह एक भयानक विपत्ति” होगी। परमेश्‍वर के इस अहम संदेश के ऐलान में घर-घर का प्रचार क्या भूमिका निभाएगा, यह तो वक्‍त ही बताएगा। लेकिन हम इस बात का पूरा यकीन रख सकते हैं कि “बड़े क्लेश” के खत्म होने से पहले यहोवा का नाम इस तरह जग-ज़ाहिर होगा, जैसे इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ था।—प्रका. 7:14; यहे. 38:23.

17 दुनिया को हिलाकर रख देनेवाली इन घटनाओं के होने तक, आइए हम पूरे जोशो-खरोश से राज्य का सुसमाचार सुनाते रहें। लेकिन घर-घर का प्रचार करते वक्‍त हमारे सामने क्या-क्या चुनौतियाँ आती हैं? और हम इन चुनौतियों का कैसे सामना कर सकते हैं? इन सवालों के जवाब अगले लेख में दिए जाएँगे।

[फुटनोट]

^ हमारी वेब साइट का पता है, www.watchtower.org

आप क्या जवाब देंगे?

• घर-घर जाकर प्रचार करने के बारे में बाइबल में क्या आधार दिया गया है?

• हमारे समय में, घर-घर के प्रचार पर कैसे ज़ोर दिया गया?

• यहोवा के समर्पित सेवकों पर प्रचार करने की बड़ी ज़िम्मेदारी क्यों है?

• आनेवाले समय में दुनिया को हिलाकर रख देनेवाली कौन-सी घटनाएँ घटेंगी?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 4 पर तसवीरें]

प्रेरित पौलुस की तरह क्या आप भी दूसरों को प्रचार करने की जवाबदारी महसूस करते हैं?

[पेज 5 पर तसवीर]

सन्‌ 1953 में भाई नॉर