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तुम नहीं जानते कि वह कहाँ सुफल होगा!

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“भोर को अपना बीज बो, और सांझ को भी अपना हाथ न रोक; क्योंकि तू नहीं जानता कि कौन सुफल होगा, यह या वह, वा दोनों के दोनों अच्छे निकलेंगे।”—सभो. 11:6.

1. पौधे को बढ़ता देखकर हम क्यों विस्मय से भर जाते हैं और क्यों खुद को छोटा महसूस करते हैं?

 एक किसान के लिए धीरज धरना बहुत ज़रूरी होता है। (याकू. 5:7) जब वह बीज बोता है, तो उसे इंतज़ार करना पड़ता है कि कब अंकुर फूटेगा और वह कब बढ़ेगा। अगर मिट्टी अच्छी हो और बीज को समय पर बारिश और धूप मिले, तो धीरे-धीरे अंकुर फूटता है और कोपलें दिखायी देने लगती हैं। फिर बढ़ते-बढ़ते वह पौधा बन जाता है, उसमें बालें आ जाती हैं। आखिरकार फसल पक जाती है और कटनी के लिए तैयार हो जाती है। बीज का बढ़ना अपने आप में एक करिश्‍मा है। और इस करिश्‍मे को देखकर हम विस्मय से भर जाते हैं। साथ ही, जब हमें पता चलता है कि बीज को बढ़ाने के पीछे किसका हाथ है, तो हम खुद को छोटा महसूस करते हैं। क्योंकि हम बीज बो तो सकते हैं और उसे सींच भी सकते हैं, लेकिन बढ़ानेवाला सिर्फ परमेश्‍वर ही है।—1 कुरिन्थियों 3:6 से तुलना कीजिए।

2. एक इंसान मसीह का चेला कैसे बनता है, इस बारे में पिछले लेख में दिए दृष्टांतों में यीशु ने क्या बताया?

2 जैसा कि पिछले लेख में हमने देखा, यीशु राज्य के प्रचार काम की तुलना बीज बोने से करता है। वह अलग-अलग किस्म की भूमि के दृष्टांत में बताता है कि एक किसान भले ही अच्छा बीज बोता है लेकिन यह बीज एक व्यक्‍ति में बढ़ेगा या नहीं, यह उसके दिल की हालत पर निर्भर करता है। (मर. 4:3-9) बीज बोकर सो जानेवाले किसान के दृष्टांत में यीशु बताता है कि किसान पूरी तरह नहीं समझ पाता कि एक इंसान कैसे मसीह का चेला बनता है। क्योंकि उसमें सच्चाई का जो बीज बढ़ता है, वह परमेश्‍वर की ताकत से बढ़ता है, न कि किसान की मेहनत से। (मर. 4:26-29) आइए यीशु के तीन और दृष्टांतों पर गौर करें। ये हैं, राई के दाने, खमीर और बड़े जाल का दृष्टांत। *

राई के दाने का दृष्टांत

3, 4. राज्य के संदेश के बारे में, राई के दाने के दृष्टांत में किन दो बातों पर ज़ोर दिया गया है?

3 राई के दाने का दृष्टांत भी मरकुस के अध्याय 4 में दर्ज़ है। इसमें दो बातों पर ज़ोर दिया गया है। पहली यह कि राज्य का संदेश सुननेवालों में बढ़ोतरी होगी और दूसरी यह कि संदेश कबूल करनेवालों को हिफाज़त मिलेगी। यीशु ने कहा, “हम परमेश्‍वर के राज्य की उपमा किस से दें, और किस दृष्टान्त से उसका वर्णन करें? वह राई के दाने के समान है; कि जब भूमि में बोया जाता है तो भूमि के सब बीजों से छोटा होता है। परन्तु जब बोया गया, तो उगकर सब साग पात से बड़ा हो जाता है, और उसकी ऐसी बड़ी डालियां निकलती हैं, कि आकाश के पक्षी उसकी छाया में बसेरा कर सकते हैं।”—मर. 4:30-32.

4 इस दृष्टांत में “परमेश्‍वर के राज्य” के बढ़ने के बारे में बताया गया है। यह बढ़ोतरी सा.यु. 33 के बाद से देखी गयी, जब से राज्य का संदेश दूर-दूर तक फैलता गया और मसीही कलीसिया भी बढ़ती गयी। राई का दाना छोटा होता है, जो किसी बहुत ही छोटी चीज़ को दर्शा सकता है। (लूका 17:6 से तुलना कीजिए।) दाने के छोटे होने के बावजूद, इसका पौधा 10-15 फुट तक बढ़ता है और इसकी डालियाँ मज़बूत होती हैं। इस वजह से इसे एक पेड़ कहा जा सकता है।—मत्ती 13:31, 32.

5. पहली सदी की मसीही कलीसिया में क्या बढ़ोतरी देखी गयी?

5 सामान्य युग 33 में, करीब 120 चेले पवित्र शक्‍ति से अभिषिक्‍त हुए। इन चंद लोगों से मसीही कलीसिया में बढ़ोतरी शुरू हुई। देखते-ही-देखते, हज़ारों लोग इस कलीसिया के सदस्य बन गए। (प्रेरितों 2:41; 4:4; 5:28; 6:7; 12:24; 19:20 पढ़िए।) तीस साल के अंदर, कटनी करनेवालों की गिनती आसमान छूने लगी। इसलिए प्रेरित पौलुस कुलुस्से की कलीसिया से कह सका कि सुसमाचार का “प्रचार आकाश के नीचे की सारी सृष्टि” में हो चुका है। (कुलु. 1:23) यह बढ़ोतरी तो देखते ही बनती है!

6, 7. (क) सन्‌ 1914 के बाद से क्या बढ़ोतरी हुई? (ख) आनेवाले समय में कैसी बढ़ोतरी होगी?

6 सन्‌ 1914 में जब स्वर्ग में परमेश्‍वर के राज्य की हुकूमत शुरू हुई, तब से राई के “पेड़” की डालियाँ बढ़ने लगीं। यह बढ़ोतरी उम्मीदों से कहीं ज़्यादा थी। परमेश्‍वर के लोगों ने यशायाह की इस भविष्यवाणी को हू-ब-हू पूरा होते देखा है: “छोटे से छोटा एक हजार हो जाएगा और सब से दुर्बल एक सामर्थी जाति बन जाएगा।” (यशा. 60:22) बीसवीं सदी की शुरूआत में प्रचार में हिस्सा लेनेवाले गिने-चुने अभिषिक्‍त जनों ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि सन्‌ 2008 के आते-आते करीब 70 लाख साक्षी, 230 से भी ज़्यादा देशों में प्रचार कर रहे होंगे। यह वाकई कमाल की बढ़ोतरी है, ठीक जैसे यीशु के दृष्टांत में राई का दाना बढ़कर एक पेड़ बन जाता है!

7 लेकिन क्या यह बढ़ोतरी इतने पर ही रुक जाएगी? नहीं। क्योंकि एक समय ऐसा आएगा, जब धरती पर जीनेवाला हर इंसान परमेश्‍वर के राज्य की प्रजा होगा। उस वक्‍त तक सारे विरोधियों को खत्म कर दिया जाएगा। यह खात्मा कोई इंसान नहीं करेगा, बल्कि सारे जहान का महाराजाधिराज यहोवा करेगा। (दानिय्येल 2:34, 35 पढ़िए।) उस वक्‍त हम यशायाह की एक दूसरी भविष्यवाणी की आखिरी पूर्ति होते देखेंगे: “पृथ्वी यहोवा के ज्ञान से ऐसी भर जाएगी जैसा जल समुद्र में भरा रहता है।”—यशा. 11:9.

8. (क) राई के दाने के दृष्टांत में पक्षी किसे दर्शाते हैं? (ख) आज भी हम किन बातों से बचे रहते हैं?

8 यीशु कहता है कि आकाश के पक्षी इस राज्य की छाया में बसेरा करेंगे। ये पक्षी, बीज बोनेवाले दृष्टांत में बताए पक्षियों की तरह नहीं हैं, जो अच्छे बीज चुग लेते हैं। उस दृष्टांत में पक्षी राज्य के दुश्‍मनों को दर्शाते हैं। (मर. 4:4) मगर राई के दाने के इस दृष्टांत में पक्षी ऐसे नेकदिल लोगों को दर्शाते हैं, जो मसीही कलीसिया में रहकर हिफाज़त पाना चाहते हैं। लेकिन आज भी वे उन आदतों से बचे रहते हैं, जो परमेश्‍वर की नज़र में उन्हें अशुद्ध बना सकती हैं। साथ ही, वे शैतान की दुनिया के गन्दे कामों से भी दूर रहते हैं। (यशायाह 32:1, 2 से तुलना कीजिए।) यहोवा ने भी मसीहाई राज्य की तुलना एक पेड़ से की और उसके बारे में यह भविष्यवाणी की: “[मैं उसे] इस्राएल के ऊंचे पर्वत पर लगाऊंगा; सो वह डालियां फोड़कर बलवन्त और उत्तम देवदार बन जाएगा, और उसके नीचे अर्थात्‌ उसकी डालियों की छाया में भांति भांति के सब पक्षी बसेरा करेंगे।”—यहे. 17:23.

खमीर का दृष्टांत

9, 10. (क) खमीर के दृष्टांत से यीशु ने किस बात पर ज़ोर दिया? (ख) बाइबल में खमीर को अकसर किस बात की निशानी बताया जाता है, और यीशु ने खमीर का जो ज़िक्र किया उससे क्या सवाल उठता है?

9 बढ़ने की क्रिया इंसान को हमेशा दिखायी नहीं देती। इसी बात पर ज़ोर देते हुए यीशु ने एक और दृष्टांत दिया था। उसने कहा: “स्वर्ग का राज्य खमीर के समान है, जिसे किसी स्त्री ने तीन भार आटे में मिलाया और तब तक उसे रख छोड़ा जब तक वह सब का सब खमीर नहीं हो गया।” (मत्ती 13:33, ईज़ी-टू-रीड वर्शन) खमीर किस बात की निशानी है और इसका राज्य के बढ़ने से क्या ताल्लुक है?

10 बाइबल में खमीर को अकसर पाप की निशानी बताया जाता है। प्रेरित पौलुस ने खमीर का इसी तरह ज़िक्र किया था, जब वह कुरिन्थुस की कलीसिया में मौजूद एक पापी के बुरे असर की बात कर रहा था। (1 कुरि. 5:6-8) तो क्या इस दृष्टांत में यीशु खमीर का ज़िक्र करके यह बता रहा था कि किसी तरह की बुराई बढ़ेगी?

11. प्राचीन इस्राएल में खमीर का किस तरह इस्तेमाल किया जाता था?

11 इस सवाल का जवाब जानने से पहले, हमें तीन बुनियादी बातों को ध्यान में रखने की ज़रूरत है। पहली, हालाँकि यहोवा ने फसह के पर्व के दौरान खमीर के इस्तेमाल की मनाही की थी, मगर दूसरे मौके पर उसने ऐसे बलिदान कबूल किए, जिनमें खमीर का इस्तेमाल हुआ था। जैसे धन्यवाद की मेलबलि में खमीर का इस्तेमाल होता था। यह बलिदान एक इस्राएली अपनी मरज़ी से चढ़ाता था, क्योंकि वह यहोवा से मिली सभी आशीषों के लिए उसका धन्यवाद करना चाहता था। और इस भोज में हिस्सा लेनेवालों को खुशी मिलती थी।—लैव्य. 7:11-15, NHT.

12. बाइबल जिस तरह किसी चीज़ को निशानी के तौर पर इस्तेमाल करती है, उससे हम क्या सीख सकते हैं?

12 दूसरी बात, अगर बाइबल की एक आयत में किसी चीज़ को बुराई की निशानी बताया गया है, तो दूसरी आयत में उसी चीज़ को अच्छाई की निशानी भी बताया गया है। मिसाल के लिए, 1 पतरस 5:8 में शैतान के खतरनाक और खूँखार स्वभाव को बताने के लिए उसकी तुलना एक सिंह से की गयी है। जबकि प्रकाशितवाक्य 5:5 में यीशु को “यहूदा के गोत्र का . . . सिंह” कहा गया है। इस आयत में सिंह का इस्तेमाल यह दर्शाने के लिए किया गया है कि यीशु निडरता से न्याय करेगा।

13. एक व्यक्‍ति जिस तरह मसीह का चेला बनता है, उस बारे में हम खमीर के दृष्टांत से क्या सीखते हैं?

13 तीसरी बात, यीशु ने अपने दृष्टांत में यह नहीं कहा कि खमीर ने पूरे आटे को सड़ा दिया और उसे इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। इसके बजाय, वह बता रहा था कि आम तौर पर रोटी बनाने के लिए क्या किया जाता है। स्त्री ने खुद आटे में खमीर मिलाया था और उसके बढ़िया नतीजे निकले थे। गौर कीजिए, खमीर आटे में मिलाया गया था। इसलिए खमीर कैसे उठा यह स्त्री नहीं देख पायी। इस बात से हमें उस आदमी की याद आती है, जो बीज बोता है और रात को सो जाता है। इस बारे में यीशु ने कहा था: ‘बीज अंकुरित होकर बढ़ता है और वह व्यक्‍ति स्वयं नहीं जानता कि यह कैसे होता है।’ (मर. 4:27, NHT) यीशु ने कितने आसान तरीके से समझाया कि एक व्यक्‍ति जिस तरह मसीह का चेला बनता है, वह हमें साफ दिखायी नहीं देता। यानी आध्यात्मिक रूप से उसका बढ़ना हमें शुरू-शुरू में नज़र नहीं आता, मगर आगे चलकर इसके नतीजे साफ दिखायी देते हैं।

14. खमीर पूरे आटे को खमीर कर देता है, इससे प्रचार काम के किस पहलू पर ज़ोर दिया गया है?

14 यह बढ़ोतरी न सिर्फ इंसान की नज़रों से छिपी होती है, बल्कि पूरी दुनिया में हो रही है। यह एक दूसरा पहलू है, जिस पर खमीर के दृष्टांत में ज़ोर दिया गया है। खमीर पूरे “तीन पसेरी आटे” को खमीर कर देता है। (लूका 13:21) खमीर की तरह, प्रचार का काम पूरी दुनिया में इस कदर फैल चुका है कि आज “पृथ्वी की छोर तक” राज्य का प्रचार किया जा रहा है और चेलों की गिनती बढ़ती ही जा रही है। (प्रेरि. 1:8; मत्ती 24:14) वाकई, राज्य के काम में हो रही बढ़ोतरी में हिस्सा लेना हमारे लिए बड़े सम्मान की बात है!

बड़ा जाल

15, 16. (क) बड़े जाल के दृष्टांत का सार बताइए। (ख) बड़ा जाल किसे दर्शाता है, और यह दृष्टांत राज्य की बढ़ोतरी से जुड़े किस पहलू की तरफ इशारा करता है?

15 राज्य के संदेश में कितने लोग दिलचस्पी लेते हैं, इससे ज़्यादा यह बात अहमियत रखती है कि क्या वे मसीह के सच्चे चेले साबित होंगे। राज्य की बढ़ोतरी से जुड़े इसी पहलू की तरफ इशारा करते हुए यीशु ने एक दृष्टांत दिया था। वह था जाल का दृष्टांत। उसने कहा: “स्वर्ग का राज्य उस बड़े जाल के समान है, जो समुद्र में डाला गया, और हर प्रकार की मछलियों को समेट लाया।”—मत्ती 13:47.

16 जाल, राज्य के प्रचार काम को दर्शाता है। इसमें हर तरह की मछलियाँ पकड़ी जाती हैं। यीशु आगे कहता है: “जब [जाल] भर गया, तो मुछवे उसको किनारे पर खींच लाए। उन्होंने बैठकर अच्छी-अच्छी मछलियों को तो बरतनों में इकट्ठा किया और खराब मछलियां फेंक दीं। जगत के अन्त में ऐसा ही होगा। स्वर्गदूत आकर दुष्टों को धर्मियों से अलग करेंगे, और उन्हें आग के कुंड में डालेंगे। वहां वे लोग रोएंगे और दांत पीसेंगे।”—मत्ती 13:48-50, आर.ओ.वी.

17. बड़े जाल के दृष्टांत में बताया छँटाई का काम कब होता है?

17 क्या मछलियों को अलग करना उस आखिरी न्यायदंड की तरफ इशारा करता है, जब यीशु अपनी महिमा में आएगा और भेड़ों को बकरियों से अलग करेगा? (मत्ती 25:31-33) जी नहीं। वह आखिरी न्यायदंड भारी क्लेश के दौरान होगा, जबकि जाल के दृष्टांत में बतायी मछलियों की छँटाई “जगत के अन्त” के दौरान होती है। * आज हम जगत के अन्त के उसी समय में जी रहे हैं, जिसके आखिर में भारी क्लेश शुरू होगा। अगर यह बात है, तो आज छँटाई का काम कैसे किया जा रहा है?

18, 19. (क) आज छँटाई का कौन-सा काम चल रहा है? (ख) नेकदिल लोगों के लिए क्या कदम उठाना ज़रूरी है? (पेज 21 पर दिया फुटनोट भी देखिए।)

18 आज हमारे समय में बड़ी तादाद में मछलियाँ यानी लाखों-लाख लोग यहोवा की कलीसिया की तरफ खिंचे चले आ रहे हैं। इनमें से कुछ स्मारक में हाज़िर होते हैं, तो कुछ हमारी सभाओं में आते हैं। ऐसे भी लोग हैं, जिन्हें हमारे साथ बाइबल अध्ययन करना अच्छा लगता है। लेकिन क्या ये सभी सच्चे मसीही साबित होंगे? यीशु ने दृष्टांत में कहा कि मछलियों से भरे जाल को ‘किनारे पर खींचकर’ लाया जाता है, मगर सिर्फ “अच्छी-अच्छी मछलियों” को ही बरतनों यानी मसीही कलीसियाओं में इकट्ठा किया जाता है। दूसरी तरफ, खराब मछलियों को फेंक दिया जाता है और आखिरकार उन्हें लाक्षणिक आग के कुंड में डाला जाएगा। दूसरे शब्दों में कहें तो उनका विनाश किया जाएगा।

19 जाल में बहुत सारी मछलियाँ पकड़ी जाती हैं, लेकिन कुछ मछलियाँ खराब निकलती हैं और उन्हें बरतनों में इकट्ठा नहीं किया जाता। उसी तरह, बहुत-से लोग यहोवा के साक्षियों के साथ बाइबल अध्ययन शुरू तो करते हैं, लेकिन समय के चलते इसे बंद कर देते हैं। कुछ ऐसे भी हैं, जिनकी परवरिश मसीही परिवारों में हुई है, लेकिन वे मसीह के नक्शेकदम पर चलना ही नहीं चाहते। वे परमेश्‍वर की सेवा करने का फैसला करने में टालमटोल करते हैं या कुछ समय सेवा करने के बाद ठंडे पड़ जाते हैं। * (यहे. 33:32, 33) लेकिन न्याय के दिन के आने से पहले यह बेहद ज़रूरी है कि सभी नेकदिल लोग मसीही कलीसिया का हिस्सा बनें और सुरक्षित रहें।

20, 21. (क) बढ़ोतरी के बारे में यीशु के दृष्टांतों पर चर्चा करने से हमने क्या सीखा? (ख) आपने क्या करने की ठानी है?

20 तो फिर, बढ़ोतरी के बारे में यीशु के दृष्टांतों पर चर्चा करने से हमने क्या सीखा? पहला सबक, राई के दाने के बढ़ने की तरह राज्य संदेश के सुननेवालों की गिनती में दिन दूनी रात चौगनी बढ़ोतरी हुई है। और यहोवा के इस काम को बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता! (यशा. 54:17) इसके अलावा, जो इस “[पेड़ की] छाया में बसेरा” करते हैं, उन्हें शैतान और उसकी दुष्ट दुनिया से हिफाज़त मिलती है। दूसरा सबक, बढ़ानेवाला परमेश्‍वर ही है। ठीक जैसे खमीर मिलाने पर यह नज़र नहीं आता कि वह कैसे पूरे आटे को खमीर बना देता है, उसी तरह बढ़ोतरी कैसे होती है यह हमेशा नज़र न आए, लेकिन यह होती ज़रूर है। तीसरा सबक, राज्य के संदेश में दिलचस्पी लेनेवाला हर इंसान अच्छी मछली साबित नहीं होता, कुछ बेकार मछलियाँ भी साबित होते हैं।

21 यह देखकर हमें कितना हौसला मिलता है कि यहोवा कई नम्र लोगों को अपनी तरफ खींच रहा है। (यूह. 6:44) इसका नतीजा यह हुआ कि देश-देश में हैरतअँगेज़ बढ़ोतरी हुई है। और इसका सारा श्रेय यहोवा परमेश्‍वर को जाता है। इस बढ़ोतरी को देखते हुए, आइए ठान लें कि हम इस सलाह को मानेंगे, जो सदियों पहले लिखी गयी थी: “भोर को अपना बीज बो, . . . क्योंकि तू नहीं जानता कि कौन सुफल होगा, यह या वह, वा दोनों के दोनों अच्छे निकलेंगे।”—सभो. 11:6.

[फुटनोट]

^ 1 सितंबर, 1992 की प्रहरीदुर्ग के पेज 17-22 पर और 1 अक्टूबर, 1975 की प्रहरीदुर्ग के पेज 589-608 पर इन दृष्टांतों के बारे में समझाया गया है। लेकिन इन दृष्टांतों की समझ में सुधार हुआ है, जिसके बारे में इस लेख में बताया गया है।

^ हालाँकि मत्ती 13:39-43 में राज्य के प्रचार काम के अलग पहलू के बारे में बताया गया है, लेकिन इसकी पूर्ति भी बड़े जाल के दृष्टांत की पूर्ति के समय होगी, यानी “जगत के अन्त” के दौरान। लाक्षणिक मछलियों को छाँटने का काम जगत के अंत के दौरान जारी रहता है, ठीक जैसे बोने और कटाई का काम इसी दौर में किया जाता है।—15 अक्टूबर, 2000 की प्रहरीदुर्ग का पेज 25-26; एकमात्र सच्चे परमेश्‍वर की उपासना करें किताब का पेज 178-181, पैराग्राफ 8-11.

^ क्या इसका मतलब है कि हर कोई जो बाइबल अध्ययन करना बंद कर देता है या यहोवा के लोगों के साथ संगति करना छोड़ देता है, उसे स्वर्गदूत बेकार समझकर फेंक देते हैं? जी नहीं! अगर कोई सच्चे दिल से यहोवा के पास लौटना चाहता है, तो वह उसे कबूल करने को तैयार रहता है।—मला. 3:7.

आप क्या जवाब देंगे?

• राज्य के बढ़ने और आध्यात्मिक हिफाज़त के बारे में, हम यीशु के दिए राई के दाने के दृष्टांत से क्या सीखते हैं?

• यीशु के दृष्टांत में खमीर किस बात की निशानी था और इस दृष्टांत के ज़रिए उसने राज्य के बढ़ने के बारे में किस बात पर ज़ोर दिया?

• बड़े जाल के दृष्टांत में राज्य की बढ़ोतरी से जुड़े किस पहलू पर ज़ोर दिया गया?

• हम क्या कर सकते हैं कि हम उन लोगों में गिने जाएँ, जिन्हें “बरतनों में इकट्ठा” किया गया है?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 18 पर तसवीरें]

राज्य के बढ़ने के बारे में राई के दाने का दृष्टांत हमें क्या सिखाता है?

[पेज 19 पर तसवीर]

खमीर के दृष्टांत से हम क्या सीखते हैं?

[पेज 21 पर तसवीर]

अच्छी मछलियों को खराब मछलियों से अलग करना किस बात को दर्शाता है?