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15 जुलाई, 2008

अध्ययन के लिए

दिए गए हफ्तों के लिए अध्ययन लेख:

1-7 सितंबर, 2008

घर-घर जाकर प्रचार करना—आज क्यों ज़रूरी है?

पेज 3

गीत नं. 3 (32), 18 (162)

8-14 सितंबर, 2008

घर-घर के प्रचार में आनेवाली चुनौतियों का सामना करना

पेज 7

गीत नं. 8 (53), 28 (224)

15-21 सितंबर, 2008

वह ‘परमेश्‍वर ही है, जो बढ़ाता है’!

पेज 12

गीत नं. 16 (143), 22 (130)

22-28 सितंबर, 2008

तुम नहीं जानते कि वह कहाँ सुफल होगा!

पेज 17

गीत नं. 6 (45), 21 (191)

अध्ययन लेखों का मकसद

अध्ययन लेख 1, 2 पेज 3-11

दुनिया-भर में यहोवा के साक्षी घर-घर के अपने प्रचार काम के लिए जाने जाते हैं। इन दोनों लेखों में चर्चा की जाएगी कि हम क्यों प्रचार के इस तरीके का बढ़-चढ़कर इस्तेमाल करते हैं। साथ ही, हम यह भी देखेंगे कि हम घर-घर के प्रचार में आनेवाली चुनौतियों का कैसे सामना करते हैं।

अध्ययन लेख 3, 4 पेज 12-21

इन लेखों में यीशु के पाँच दृष्टांत दिए गए हैं, जिन पर चर्चा करने से हमारा विश्‍वास मज़बूत होगा। इनमें बतायी कुछ बातों के बारे में हमें नयी समझ दी गयी है। ये पाँचों दृष्टांत अलग-अलग तरीकों से दिखाते हैं कि परमेश्‍वर की शक्‍ति की बदौलत कैसे राज्य के प्रचार में बढ़ोतरी हुई है। इन लेखों से परमेश्‍वर की शक्‍ति के लिए हमारी कदर बढ़ेगी।

इस अंक में ये लेख भी हैं:

हम नहीं डरे, आखिर यहोवा हमारे साथ था

पेज 22

यहोवा का वचन जीवित है—कुरिन्थियों को लिखी पत्रियों की झलकियाँ

पेज 26

अपने हालात के मुताबिक लक्ष्य रखिए और खुशी पाइए

पेज 29