मिशनरी, टिड्डियों के समान हैं
124वाँ गिलियड ग्रेजुएशन
मिशनरी, टिड्डियों के समान हैं
वॉचटावर बाइबल स्कूल ऑफ गिलियड हर छः महीने में ग्रेजुएशन कार्यक्रम आयोजित करता है और इसके लिए अमरीका के पूरे बेथेल परिवार को बुलाया जाता है। इस साल 8 मार्च को गिलियड स्कूल की 124वीं क्लास का ग्रेजुएशन था और इस मौके पर बेथेल परिवार के साथ-साथ 30 से भी ज़्यादा देशों से आए मेहमान मौजूद थे। इस दिन विद्यार्थी फूले नहीं समा रहे थे और उनकी इस खुशी में 6, 411 भाई-बहन भी शरीक थे।
शासी निकाय के सदस्य और कार्यक्रम के सभापति, भाई स्टीवन लॆट ने भाषण देकर कार्यक्रम की शुरूआत की। उनका विषय था, “यहोवा की लाक्षणिक टिड्डियों के साथ बढ़ते चलो।” प्रकाशितवाक्य 9:1-4 में अभिषिक्त मसीहियों के छोटे झुंड की तुलना टिड्डियों की बड़ी सेना से की गयी है। एक समय था जब यह झुंड यहोवा की सेवा में ठंडा पड़ गया था, मगर फिर सन् 1919 में उसमें दोबारा जोश भर आया। विद्यार्थियों को याद दिलाया गया कि ‘अन्य भेड़’ के सदस्य होने के नाते, वे इन लाक्षणिक टिड्डियों में मिल गए हैं।—यूह. 10:16, NW.
इसके बाद, अमरीका की शाखा समिति के सदस्य, भाई लॉन शिलिंग ने भाषण दिया। उनका विषय था, “एक-दूसरे को पूरा कीजिए।” यह भाषण बाइबल में दी अक्विला और प्रिस्किल्ला (प्रिसका) की मिसाल पर आधारित था, जो पहली सदी में एक शादीशुदा मसीही जोड़ा था। (रोमि. 16:3, 4) गिलियड क्लास में 28 शादीशुदा जोड़े थे। उन्हें याद दिलाया गया कि अगर वे मिशनरी के नाते कामयाब होना चाहते हैं, तो उन्हें अपनी शादी के बंधन को मज़बूत बनाए रखना होगा। बाइबल में अक्विला और उसकी पत्नी प्रिस्किल्ला का ज़िक्र हमेशा साथ-साथ आता है। यह दिखाता है कि प्रेरित पौलुस और कलीसिया के भाई-बहन उन्हें एक बढ़िया जोड़ी मानते थे। उसी तरह, आज मिशनरी जोड़ों को भी साथ मिलकर काम करना चाहिए, साथ उपासना करनी चाहिए और साथ मिलकर मिशनरी सेवा में आनेवाली चुनौतियों का सामना करना चाहिए। इस तरह वे एक-दूसरे को पूरा कर पाएँगे।—उत्प. 2:18.
इसके बाद, शासी निकाय के सदस्य भाई गाय पीयर्स ने एक भाषण दिया, जिसका शीर्षक था, “यहोवा की भलाई का जवाब भलाई से दो।” भाई पीयर्स ने समझाया कि एक भला इंसान सिर्फ बुराई करने से पीछे नहीं हटता, बल्कि दूसरों की खातिर अच्छे काम भी करता है। यहोवा परमेश्वर सर्वोत्तम रूप से भला है। परमेश्वर की भलाई और उसका प्यार हमें दूसरों की खातिर भले काम करने को उकसा सकता है। भाई पीयर्स ने विद्यार्थियों को शाबाशी देते हुए अपने भाषण के आखिर में कहा: “आप सभी बहुत अच्छा कर रहे हैं। और हमें पूरा भरोसा है कि आगे चलकर यहोवा आपको जो भी काम देगा, उसमें भी आप उसकी भलाई का जवाब भलाई से देंगे।”
इसके बाद, भाई माइकल बरनेट ने भाषण दिया। वे एक मिशनरी रह चुके हैं और उन्हें हाल ही में गिलियड स्कूल में सिखाने का ज़िम्मा सौंपा गया है। उनके भाषण का शीर्षक था, “यह तुम्हारी भौंहों के बीच टीका सा ठहरे।” आँखों के बीच ‘टीके’ की तरह इस्राएलियों को हमेशा यह बात याद रखनी थी कि यहोवा ने चमत्कार करके उन्हें मिस्र से छुड़ाया था। (निर्ग. 13:16) विद्यार्थियों को उकसाया गया कि वे गिलियड स्कूल में मिली ढेर सारी हिदायतों को भौंहों के बीच टीके की तरह लगाए रहें। भाई बरनेट ने नम्र बने रहने और अपनी मर्यादा में रहने पर ज़ोर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि साथी मिशनरियों और दूसरों के साथ गलतफहमियाँ दूर करते वक्त बाइबल सिद्धांतों को लागू करना बेहद ज़रूरी है।—मत्ती 5:23, 24.
लंबे अरसे से गिलियड स्कूल के शिक्षक रह चुके, भाई मार्क नूमार ने इस विषय पर भाषण दिया, “आपके बारे में क्या गीत गाया जाएगा?” पुराने ज़माने में यह दस्तूर था कि लड़ाई में मिलनेवाली फतह की खुशी में गीत गाए जाते थे। ऐसे ही एक गीत में रूबेन, दान और आशेर के गोत्रों की निंदा की गयी थी कि वे मेहनत में कोताही करते हैं। जबकि जबलून के गोत्र के त्याग का गुणगान किया गया था। (न्यायि. 5:16-18) गीत के बोल की तरह, हर मसीही के काम, आज नहीं तो कल दूसरों पर ज़ाहिर हो ही जाते हैं। अगर एक इंसान परमेश्वर के काम के लिए गज़ब का जोश दिखाए और यहोवा के संगठन से मिलनेवाले निर्देशन का वफादारी से पालन करे, तो वह यहोवा के दिल को खुश करेगा और अपने भाइयों के लिए एक अच्छी मिसाल साबित होगा। हमारे कामों से लाक्षणिक मायने में हमारे बारे में जो गीत लिखा जाता है, उसे सुनकर कलीसिया के बाकी लोग हमारी अच्छी मिसाल की नकल करने को उकसाए जाते हैं।
प्रचार में जाना भी गिलियड स्कूल की ट्रेनिंग का एक हिस्सा है। इसलिए 124वीं क्लास ने कुल मिलाकर 3, 000 घंटे प्रचार में बिताए। ‘परमेश्वर की सेवा स्कूलों के विभाग’ के भाई सैम रॉबरसन ने यह भाग पेश किया, “पवित्र शक्ति की दिखायी राह पर चलना।” इसमें भाई ने विद्यार्थियों से प्रचार में मिले कई अनुभव सुने। और कुछ अनुभवों का प्रदर्शन भी किया गया। इन हौसला बढ़ानेवाले अनुभवों को सुनने के बाद अमरीका की शाखा समिति के सदस्य, भाई पैट्रिक लाफ्रान्का ने कुछ गिलियड ग्रेजुएट के इंटरव्यू लिए, जो अलग-अलग देशों में सेवा कर रहे हैं। इन भाइयों ने जो कारगर सलाह दी, उनके लिए विद्यार्थी बहुत शुक्रगुज़ार थे।
शासी निकाय के सदस्य भाई ऐनथनी मॉरिस ने आखिरी भाषण दिया, जिसका शीर्षक था, “याद रखिए, देखी हुई वस्तुएँ थोड़े ही दिन की हैं।” बाइबल बढ़ावा देती है कि हम थोड़े दिन के क्लेश पर ध्यान देने के बजाय उन आशीषों पर ध्यान दें जो हमें भविष्य में यहोवा से मिलनेवाली हैं। (2 कुरि. 4:16-18) घोर गरीबी, अन्याय, अत्याचार, बीमारी और मौत, ये सब तो इस मौजूदा ज़िंदगी की हकीकत हैं। हो सकता है, मिशनरियों को इनमें से कुछ दर्दनाक हालात से गुज़रना पड़े। लेकिन अगर हम याद रखें कि ये हालात तो पल-भर के लिए हैं, तो हम यहोवा को लगातार अपनी ज़िंदगी में पहली जगह दे पाएँगे और अपनी आशा को मज़बूती से थामे रह पाएँगे।
कार्यक्रम की समाप्ति में भाई लॆट ने स्टेज पर बैठे सभी ग्रेजुएट्स को कुछ आखिरी शब्द कहे। उन्होंने विद्यार्थियों को बढ़ावा दिया कि वे कभी हिम्मत न हारें और उनसे कहा, “अगर यहोवा हमारे साथ है, तो आज़माइश चाहे कितनी बड़ी या मुश्किल क्यों न हो, हम उसका सामना कर पाएँगे और यहोवा के वफादार रह पाएँगे।” उन्होंने नए मिशनरियों को टिड्डियों की तरह बनने का बढ़ावा दिया। साथ ही, उन्हें यहोवा की सेवा में लगे रहने, अपना जोश बनाए रखने, यहोवा के वफादार रहने और उसका कहा मानते रहने को भी उकसाया।
[पेज 30 पर बक्स]
क्लास के आँकड़े
जितने देशों से विद्यार्थी आए: 7
जितने देशों में भेजे गए: 16
विद्यार्थियों की संख्या: 56
औसत उम्र: 33.8
सच्चाई में बिताए औसत साल: 18.2
पूरे समय की सेवा में बिताए औसत साल: 13.8
[पेज 31 पर तसवीर]
वॉचटावर बाइबल स्कूल ऑफ गिलियड की 124वीं क्लास
नीचे दी गयी लिस्ट में, पंक्तियों का क्रम आगे से पीछे की ओर है और हर पंक्ति में नाम बाएँ से दाएँ दिए गए हैं।
(1) निकलसन, टी.; मेन, एच.; सेन्गे, वाई.; स्नेप, एल.; वॉनेगॉस, सी.; पो, एल. (2) सांताना, एस.; ओ, के.; लेमैट्रे, सी.; विलियम्स, एन.; ऐलिगज़ैंडर, एल. (3) वुड्स, बी.; स्टेनटन, एल.; हंटली, ई.; ऐलवरेज़, जी.; क्रुस, जे.; बेनट, जे. (4) विलियमसन, ए.; गॉनसालेस, एन.; ज़ुरॉस्की, जे.; डहान्ड, आई.; मे, जे.; दियम्मी, सी.; टैवनर, एल. (5) लेमैट्रे, डब्ल्यू.; हैरिस, ए.; वेल्ज़, सी.; रॉजर्स, एस.; डरंट, एम.; सेन्गे, जे. (6) हंटली, टी.; वॉनेगॉस, ऐ.; पो, ए.; सांताना, एम.; बेनट, वी.; टैवनर, डी.; ओ, एम. (7) ज़ुरॉस्की, एम.; रॉजर्स, जी.; दियम्मी, डी.; निकलसन, एल.; ऐलवरेज़, सी.; स्नेप, जे. (8) हैरिस, एम.; गॉनसालेस, पी.; मेन, एस.; वुड्स, एस.; स्टेन्टन, बी.; विलियमसन, डी.; डरंट, जे. (9) क्रुस, पी.; डहान्ड, बी.; विलियम्स, डी.; वेल्ज़, एस.; ऐलिगज़ैंडर, डी.; मे, एम.
[पेज 32 पर तसवीर]
गिलियड स्कूल, वॉचटावर शिक्षा केंद्र में चलाया जाता है